Friday, August 27, 2010
बालाघाट जिले में नकली खाद का कारोबार जोरों पर
पंचायत सचिव की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 98262 ८५५८१
कश्मीर नहीं देंगे, जान दे देंगे. गांधी चौक पर सभा में कहा - देशराज सिंह
ब्यूरो प्रमुख// सवित्री लोधी (अशोक नगर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 98262 85581
अशोक नगर। प्रदेशव्यापी आंदोलन के तहत भाजपा द्वारा जिला मुख्यालय गांधी पार्क पर शनिवार को कश्मीर बचाओं , धारा 370 हटाओं, एक देश दो कानून को लेकर धरना प्रदर्शन आम सभा का आयोजन किया गया । कार्यक्रम दोहपर 12 बजे से गांधी पार्क पर प्रांरभी हुआ। जिसमें वक्ताओं ने कहां कि केंद्र सरकार सरेआम देश को बेच रही हैं। कश्मीर में जो हो रहा हैं उसे सरकार आंखे मूंदकर देख रही हैं। जिस वक्त देश आजाद हुआ था उस समय कश्मीर में 2 लाख कश्मीरी पंडित निवास करते थे लेकिन आज देखने में आया हैं कि मात्र चार हजार पंडित वर्तमान में रहते हैं। अपने हीं देश में मुंह छुपाकर रहने को मजबूर हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू की करनी और कथनी का परिणाम कश्मीर की जनता भुगत रही हैं। केंद्र सरकार ने एक कानून नहीं बदला तो, एक देश में दो कानून लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी नहीं चलने देंगी। इसके लिए चाहें कार्यकर्ताओं को अपने प्राणों की आहूति क्यों? न देनी पडें। इसी तारतम में भाजपा के वरिष्ट एवं मंडल अध्यक्षों ने भी सैकडों की संख्या को संबोधित किया। सभा में उपस्थित प्रदेश मंत्री ओमप्रकाश खटीक, जिलाध्यक्ष भानू सिंह रघुवंशी, विधायक देशराज सिंह यादव, लड्डूराम कोरी, नपाध्यक्ष जजपाल सिंह जज्जी ,नपाध्यक्ष गोपाल कोली चंदेरी, राजेंद्र सिंह चौहान, डा. जयमंडल सिंह यादव, मनोज कलाकार, मुकेश कलावत, नीरज मनोरिया, कैलाश खैरा, आलोक बरैया जिला संगठन मंत्री पन्नालाल जैन, मलकीत सिह संधू, इसके साथ जिला महिला मोर्चा की कार्यकर्ता भी बडी संख्या में उपस्थित थी।
नवजात शिशु अस्पताल, मां जेल
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दलित छात्रों को प्रताडि़त करने वाले अतिथि शिक्षक को हटाने के निर्देश
लोन दिलाने वाले ठग पुलिस की गिरफ्त में
Thursday, August 26, 2010
अशोक नगर - लोन दिलाने वाले ठग पुलिस की गिरफ्त में
जन शिकायत
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अम्बिकापुर सरगुजा में फार्मासिस्टर ग्रेड-02 में नियुक्ति में नियुक्ति में बड़ी विभिन्ता उजागर
उपरोक्त विषय के सन्दर्भ में निम्न निवेदन व लेख यह है कि- 1. आपके अधिनस्थ मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के द्वारा फार्मासिस्टर ग्रेड-02 के नियुक्ति में कई जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के द्वारा कहीं पे फार्मासिस्टर की अंकसूची में प्राप्त अंक को मेरिट मान कर नियुक्ति आदेश दिया गया है जैसे कि-जिला कोरिया तो कही पे लिखित एवंं साक्षात्कार का आयोजन कर प्राप्त अंको एवं फार्मास्टिर की अंक आदि को सम्मिलित कर मेरिट अंक मान कर नियुक्ति आदेश देने का प्रावधान रखा जा रहा है। जैसे कि- जगदलपुर में दिनांक 21.08.2010 को लिखित परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रकार अपने-अपने जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपने-अपने मनमाने ढग़ से कार्य करने से नियुक्ति में बड़ी विभिन्ता उजागर सामने आ रही है। 2. लिखित परीक्षा व साक्षात्कार से फार्मासिस्ट उम्मीदवारों का व्यक्तित्व एवं कार्य शैली की जानकारी प्राप्त होगी। अत: आप से अनुरोध है कि बिना भेदभाव अपनाये रघुनाथ जला चिकित्सालय अम्बिकापुर सरगुजा में अगस्त या सितम्बर 2010 में फार्मासिस्ट की नियुक्ति करने के पूर्व समस्त उम्मीदवारों का लिखित परीक्षा आयोजित एवं साक्षात्कार में कुछ प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट सूची पर फार्मासिस्ट की नियुक्ति कराने का निर्देश मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अम्बिकापुर जिला सरगुजा छ.ग. को देने का कष्ट करें ताकि नियुक्ति की प्रक्रिया संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं छत्तीसगढ़ में एक समान (एकरूपता) रहे ताकि समस्त फार्मासिस्ट उम्मीद्वारों के साथ न्याय हो सके और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा मनमाने ढंग से की जा रही नियुक्ति पर रोक लग सके। भवदीय, पकंज कुमार पटेल, अमित केशरी निखिल कुमार सिंह, नरेश कुमार पटुल, आशीष गुप्ता, फार्मासिस्ट उम्मीदवारों/छात्रगण
दुराचारी शिक्षक को घमापुर पुलिस ने दबोचा
आरोपी को आठ वर्ष का कारावास
सिंगरौली. ट्रेन ट्रैक पर गार्ड का शव बरामद
चोरी का डीजल समेत तीन सुरक्षा प्रहरी गिरफ्तार
बालाघाट में गंदगी से वार्ड वासियों का जीना हुआ मुश्किल
मजदूरों को भुगतान नहीं होने से परेशानी
अम्बिकापुर में आंगनबाड़ी केन्द्रों में अव्यवस्था
वाहन पंजीयन में लाखों का घपला
क्या यह अफगानी महिलाओं का भविष्य है?
रिश्वतखोर करोड़पति इंजीनियर गया जेल
अम्बिकापुर की आखिर कब सुधरेगी संचार व्यवस्था
दलित महिला की गर्दन काटकर हत्या
डिंडोरी में रिश्वतखोर बीईओ रिश्वत लेते गिरफ्तार
टे्रक्टर डीलर ने की किसान से धोखाधड़ी
ब्यूरो प्रमुख// कमलेश गौर (रायसेन //टाइम्स ऑफ क्राइम)
रिपोर्टर से सम्पर्क 98260 93952
एक किसान ने गैरतगंज स्थित आयशर कम्पनी के टे्रक्टर डीलर पर नये के बदले पुराना ट्रेक्टर देकर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। इस संबंध में पीडि़त किसान ने कलेक्टर एवं एस.पी. को लिखित शिकायत कर कार्यवाही की मांग की है। जानकारी के अनुसार सालोनी आयशर ट्रेक्टर विक्रेता गैरतगंज के कोटेशन आधार पर अपना निजी पुराना ट्रेक्टर के जमा होने के बाद प्रकरण बैंक में शीघ्र स्वीकृत हो जायेगा। परन्तु ट्रेक्टर विक्रेता के द्वारा बैंक से फायनेंस न कराते हुए एल.एन.टी. से कराते हुए डीलर की बात सही मानते हुए भूमि संबंधित कागजात देकर हिन्दी, अंग्रेजी में लिखे अनगिनत कागजातों में हस्ताक्षर करा लिये। इसके बाद डीलर द्वारा नये के बदले पुराना ट्रेक्टर दे दिया गया। जब किसान ने ट्रेक्टर की छानबीन की तो पता चला कि पूर्व में यह ट्रेक्टर किसी अन्य व्यक्ति को विक्रय किया गया था एवं यह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक गढ़ी के पक्ष में बंधक है। इस कारण ट्रेक्टर का बीमा तथा परिवहन कार्यालय से मिलान करने से पता चला कि एक मशीनरी के दो कागजात तैयार कराए गए है। पीडि़त किसान ने बताया कि इस मामले की गैरतगंज थाने एवं कलेक्टर एवं एसपी को भी शिकायत करने पर भी कार्यवाही नहीं की जा रही है। उन्होंने आई.जी. एवं डी.आई.जी. को लिखित शिकायत भेजकर डीलर भेजकर डीलर पर कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है।
पटवारी राधाकिशन मालवीय ने न्यायलय एवं अनुवि.अ.बेगमगंज सिलवानी को मुसीबत में डाला
Monday, August 23, 2010
ढुढ़ों भ्रष्टाचार महोदय कहलाओं ''मास्टर माइंड''प्रतियोगिता
भू माफिया को प्रशासन से बचाने के लिए अखबारों ने ली सुपारी
भोपाल//आलोक सिंघई (टाइम्स ऑफ क्राइम)
राज्य सरकार के निर्देशों के बाद प्रदेश भर में भू माफिया के खिलाफ की जा रही कार्रवाई अब चोर सिपाही के खेल में बदल गई है. जगह जगह पर भू माफिया सरगनाओं ने स्थानीय समाचार पत्रों के माध्यम से सरकार और प्रशासन पर दबाब बनाना शुरु कर दिया है. राजधानी में भू माफिया के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को कुचलने के लिए कतिपय समाचार पत्र समूहों ने मुहिम को ठप करने की सुपारी ले ली है. ये अखबार भू माफिया को बचाने के लिए माहौल बना रहे हैं.कहा जा रहा है कि भू-माफिया ने अपने हितों की पैरवी करने के लिए इन अखबारों को मोटा चंदा मुहैया कराया है.
राजधानी के एक बड़े अखबार समूह ने ऐसी गृह निर्माण सहकारी समितियों को लामबंद करना शुरु कर दिया है जिनके खिलाफ प्रशासन सख्त कानूनी कार्रवाई कर रहा है. अपना घर बनाने का सपना संजोने वाले आम नागरिकों को मंहगी जमीनें और मकान बेचने वाले बिल्डरों को पहले से यही माफिया सरगना बढ़ावा देते रहे हैं. दिग्विजय सिंह के शासनकाल में पंजीयन विभाग ने जमीनों के जो दाम बढ़ाए थे वे आज आम नागरिकों के लिए हत्यारे साबित हो रहे हैं. जमीनों के बढ़े हुए दाम अब इतने अधिक हो गए हैं कि आम नागरिक के लिए मकान बनाना असंभव होता जा रहा है.इसी की आड़ में भू माफिया जरूरत मंदों को ठगता रहा है.यही भू माफिया सरकारी जमीनों को गृह निर्माण सहकारी समितियों के नाम पर आबंटित कराता रहा है.सहकारिता विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से सस्ते दामों पर खरीदी गई ये जमीनें मंहगे दामों पर कालाबाजार में बेची जा रहीं हैं. सरकार की कोई ठोस आवासनीति न होने के कारण घर बनाना आम लोगों के लिए दूर की कौड़ी साबित हो रहा है.
जमीन का यह दर्द जब लोगों के लिए असहनीय हो गया तब जाकर मौजूदा भाजपा सरकार ने भू माफिया पर अंकुश लगाने की कार्रवाई शुरु की है. इस बीच काला धन जुटाकर करोड़ों रुपए जुटा चुका भू माफिया अब सरकार और प्रशासन के लिए कड़ी चुनौती बन गया है. हालात ये हैं कि भू माफिया ने अपने बचाव के लिए जिस लावण्य गुरुकुल समिति में कुछ पत्रकारों को भी अपनी काली कमाई का हिस्सेदार बना लिया था उसके आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने में अब प्रशासन खुद को असहाय पा रहा है.समिति के सदस्यों का कहना है कि प्रशासन न तो उन्हें आज तक भूखंड दिला सका है और न ही दोषियों पर कोई कार्रवाई कर सका है.
भोपाल जिला प्रशासन ने 21 मई 2010 को गैर सदस्यों से भूखंड खाली कराए जाने की कार्रवाई शुरु की थी. इस जन सुनवाई में समिति के पूर्व अध्यक्ष शरद द्विेदी के माध्यम से समिति की जमीन का लगभग एक एकड़ टुकड़ा कथित तौर पर 28 लाख रुपए में खुले बाजार में बेच दिए जाने का मामला उठाया गया था. समिति के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी और सहकारिता विभाग के सेवानिवृत्त सहकारिता निरीक्षक जे.एस.गुजरावत पर भी 75 भूखंडों की नियम विरुद्ध रजिस्ट्री कराकर बेच देने की शिकायत की गई थी. लगभग पांच सौ भूखंडों वाली इस समिति के करीबन 355 भूखंड इन्हीं कालाबाजारियों ने खुले बाजार में बेच दिए थे. जिसके खिलाफ जिला प्रशासन ने जांच चालू की थी. लावण्य गुरुकुल के डेवलपर रमाकांत विजयवर्गीय इस जमीन के नाम पर करीब 475 लोगों से 30 करोड़ 34 लाख रुपए ऐंठे और शहर छोड़कर भाग गया था. इस बात को लेकर प्रशासन ने कार्रवाई शुरु की थी. इस अभियान में समिति के वास्तविक हितग्राहियों की सूची जुटाई गई थी. भूखंडों की रजिस्ट्री कराने वालों की पहचान भी इसी सूची के आधार पर की गई थी. प्रशासन को इन भूखंडधारियों से मकान या प्लाट खाली कराने थे और वास्तविक हितग्राहियों को उनका अधिकार दिलाना था.लेकिन अब तक प्रशासन की कार्रवाई गीदड़ भभकियों से आगे नहीं पहुंच पाई है.
प्रशासन के निर्देशों के बाद सहकारिता विभाग ने लावण्य गुरुकुल समिति के भूखंडों की कालाबाजारी करने वाले अध्यक्ष शरद द्विेदी और मैनेजर जितेन्द्र श्रीवास्तव के खिलाफ दस्तावेज न देने और धोखाघड़ी करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. सरकार में बैठे भू माफिया के संरक्षकों ने जनसुनवाई के दौरान आरोपियों से फर्जी दस्तावेज जमा करवा लिए हैं और अब इस कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डालने के प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि हितग्राहियों की जागरूकता के चलते यह सब संभव नहीं होगा लेकिन तमाम मामलों में प्रशासन और सहकारिता विभाग मामलों को ठंडा करने में जुटा है यह उसका एक उदाहरण जरूर है.
यह भी कहा जा रहा है कि भू माफिया की धमकियों के बाद प्रशासन और सरकार बचाव की मुद्रा में आ गए हैं. बड़े बड़े दावे करने वाले शासकों पर अब मीडिया का एक तबका भी दबाव बना रहा है. ऐसे में लगता है कि शिवराज सरकार की लोगों को अपना घर दिलाने की मुहिम ज्यादा देर जारी नहीं रह सकेगी.
सन्नी गौड़ को हत्या के आरोप से बरी नहीं होने दे रही रीवा पुलिस
पुलिस अधीक्षक महोदय अपनी रिपोर्ट में कहते हैं कि यह मामला अपराध क्रमांक 243। 07 भारतीय दंड विधान की धारा 147, 148, 149, 353, 332, 294, 506 बी,341, 336, 436, 427 से जुड़ा है. इसी प्रकार प्रकरण क्रमांक 244। 07 भादवि की धारा 147 ,148,149,353, 294, 506 बी, 341, 336, 436,और 427 से संबंधित है. घटना भी इसी अनुक्रम में हुई है. पोस्ट मार्टम के दौरान पुलिस ने मृतक राघवेन्द्र सिंह के खून से सने कपड़े और उसके शरीर से प्राप्त धातु के टुकड़े भी जब्त किए थे.
पुलिस अधीक्षक महोदय ने मृतक के भाई राज बहादुर सिंह के बारे में लिखा है कि वह प्रथम सूचना पत्र में लिखे गए बयान से सहमत नही है और उसका कहना है कि कुछ लोगों के कहने पर उसने राजनैतिक तौर पर बयान दिया था.जबकि पुलिस के पास सिर्फ जांच करने का अधिकार है.उसकी जवाबदारी है कि वह तथ्यों को जुटाए और उन्हें सिलसिलेबार अदालत के सामने प्रस्तुत करे.मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी मौत गोली लगने से होना पाया गया था. पुलिस ने मृतक के खूनसने कपड़े पोस्ट मार्टम में मृतक के शरीर से प्राप्त गोली और धातु के सफेद टुकड़े जांच के लिए फोरेंसिक साईंस लैब सागर भेजे थे.
रीवा के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक के निर्देश पर इंस्पेक्टर कमलेश शर्मा से मामले की छानबीन कराई गई. घटना स्थल के निरीक्षण में उन्होंने पाया कि 28.09.2007 को सतना जिले के रामपुर बघेलान के रहने वाले राजेश तिवारी पुत्र केशव प्रसाद तिवारी उम्र 45 वर्ष के बयान और चोरहटा के मद्देपुर में रहने वाले रामकुमार सिंह पुत्र रामायण सिंह पटेल उम्र 43 साल और चोरहटा के ही छिजवार गांव में रह रहे लालमणि पांडेय पुत्र कौशल प्रसाद पांडेय उम्र 40 साल ने अपने बयानों में कहा कि 22.09.2007 को जब यह घटना घटित हुई तब सुरक्षा गार्ड के रूप में तैनात संजय कुमार सिंह,और रघुनंदन सिंह ने अपनी बारह बोर की बंदूक से फायर किए थे जिससे बिहरा गांव के राघवेन्द्र सिंह घायल हो गए और उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई. इसी फायर से अन्य लोगों को भी चोट आई थी.
इस पुलिसिया छानबीन में पाया गया कि जेपी सीमेंट फैक्ट्री जे.पी.नगर में तैनात सुरक्षा गार्ड संजय कुमार सिंह और रघुनंदन सिंह ने हिंसक भीड़ पर गोलियां चलाईं थीं.पुलिस ने उनकी लाईसेंसी बंदूकें भी जब्त कर लीं और उन्हें सागर की फोरेंसिक प्रयोगशाला में बैलिस्टिक विशेषज्ञ को भेजा. विवेचना में जब दोनों आरोपियों के विरुद्ध अपराध प्रमाणित पाया गया तो उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया.
प्रकरण में पुलिस ने प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों समेेत घायलों और सुरक्षाकर्मियों के भी कथन लिए और कुल 75 गवाहों के बयान जुटाए. इनमें से 54 गवाहों ने कहा कि प्राथमिकी में सन्नी गौड़, रजनीश गौड़, के.पी.शर्मा, अजय सिंह राणा, रमेश गुप्ता,रावत और शिवशंकर तो घटना स्थल पर उपस्थित ही नहीं थे. जबकि 24 अन्य गवाह राजनैतिक आधार पर बयान दे रहे हैं और उनका कहना है कि उपरोक्त सभी सात आरोपियों ने ही इस गोलीकांड को अंजाम दिया था. पुलिस रिपोर्ट में इस राजनीतिक आधार का कोई खुलासा नहीं किया गया है और न ही इसके संबंध में कोई प्रमाण प्रस्तुत किए गए हैं.
मामले की विवेचना करने वाले अधिकारी ने पाया कि घटना के करीब ढाई घंटे पहले शिक्षित बेरोजगार युवा संगठन के बैनर तले गांव के लड़के विंध्य द्वार पर सुनियोजित तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे. यहां जिला प्रशासन के तत्कालीन एसडीएम शिवपाल सिंह, कार्यपालिक दंडाधिकारी श्रीमती शिवानी पांडेय, तत्कालीन नगर पुलिस अधीक्षक निश्चल झारिया, थाना प्रभारी बीडी त्रिपाठी, निरीक्षक यूसी तिवारी, निरीक्षक जीके तिवारी, और अन्य पुलिस अधिकारी,कर्मचारी सभी मौजूद थे. प्रदर्शनकारी अपनी मांगे मनवाने के लिए फैक्ट्री प्रबंधन पर दबाव बना रहे थे कि वे बाहर आकर ज्ञापन लें और उनकी मांगे पूरी करें. भीड़ की नाराजगी और प्रबंधन विरोधी भाषणबाजी को देखते हुए फैक्ट्री प्रबंधन के अधिकारी बाहर नहीं निकले उन्होंने पुलिस अफसरों के कहा कि भीड़ के 10-12 लोगों का प्रतिनिधि मंडल भीतर आकर ज्ञापन दे.यह प्रस्ताव प्रदर्शनकारियों ने अस्वीकार कर दिया. चर्चा करने के बजाए प्रदर्शनकारी पथराव और तोडफ़ोड़ करने लगे.जिसे रोकने के लिए पुलिस अधिकारियों ने काफी प्रयास किया इस दौरान पुलिस कर्मियों को चोटें भी आईं. तभी विंध्य गेट पर तैनात सुरक्षा गार्ड संजय कुमार सिंह और रघुनंदन सिंह ने अपनी लाईसेंसी बंदूकों से फायर किए जिससे प्रदर्शनकारियों को चोटें आईं. चूंकि यह घटनाक्रम पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की उपस्थिति में ही हुआ था और इस दौरान फैक्ट्री प्रबंधन का कोई अधिकारी घटना स्थल पर मौजूद नहीं था. इसलिए नामजद आरोपियों के अपराध के लिए उकसाने और गोलियां चलाने जैसी कोई घटना में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता. रीवा के तत्कालीन एसपी रवि कुमार गुप्ता अपने पत्र में लगभग फैसला देने वाले अंदाज में कहते हैं कि प्रकरण की विवेचना में उपलब्ध सबूतों के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट में अंकित आरोपियों सन्नी गौड़,रजनीश गौड़, के.पी.शर्मा, अजयसिंह राणा, रमेश गुप्ता, रावत और शिवशंकर के बारे में नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने कोई अपराध किया है. जबकि सुरक्षा गार्ड संजय कुमार सिंह और रघुनंदन सिंह के विरुद्ध अपराध प्रमाणित पाया गया है. इसलिए प्रथम सूचना रिपोर्ट से इन सातों लोगों के नाम निकालकर दोनों सुरक्षा गार्डों के खिलाफ न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत करने के संबंध में मार्गदर्शन देने का कष्ट करें. लार्ड एक्टन ने कहा है कि शक्ति मनुष्य को भ्रष्ट बना देती है और अकूत शक्ति उसे अत्यंत भ्रष्ट कर देती है.यही कारण है कि आज तीन साल बीत जाने के बावजूद इस गोलीकांड के वास्तविक आरोपियों को पुलिस अदालत तक नहीं पहुंचा सकी है. पुलिस ने इस कहानी को अपने जाल में कुछ इस तरह उलझा दिया है कि सारा मामला भ्रमपूर्ण बन गया है. भारतीय दंड विधान में माना जाता है कि प्राथमिकी ही घटना का वास्तविक विवरण है. पुलिस को फरियादी की सहायता करने वाला अंग माना जाता है.इस घटना में सबसे ज्यादा पीडि़त तो मृतक राघवेन्द्र सिंह है जिसे न्याय दिलाने के लिए पुलिस को आवश्यक प्रमाण जुटाने थे. लेकिन पुलिस इस मामले का कोई समाधान निकालने के मूड में नहीं दिखती. हॉरेन लास्की का कहना है कि रिच मैन मेक्स द लॉ,एंड लॉ ग्राईंड्स द पुअर. यनि कि अमीर आदमी कानून बनाते हैं और गरीब आदमी उसमें पीसे जाते हैं. पुलिस की भूमिका इस मामले में कुछ ऐसी ही नजर आती है. पुलिस की कसरतों से नजर आ रहा है कि सन्नी गौड़ और उनके साथी वास्तविक आरोपी हैं और पुलिस उन्हें बचाने में जुटी है. यदि ऐसा नहीं है तो पुलिस मामले को अदालत में भेजने के बजाए उसे मजिस्ट्रेटी जांच में क्यों उलझाए हुए है. यदि सन्नी गौड़ और उनके प्रबंधकीय सहयोगी घटना स्थल पर मौजूद ही नहीं थे तो अदालत उन्हें बाई"ात बरी कर ही देगी. ऐसे में पुलिस और प्रशासन मामले को जबरिया क्यों उलझाए हुए हैं. दरअसल गोली चालन की यह घटना पुलिस और प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों की मौजूदगी में ही हुई है जिसके लिए किसी न्यायिक अधिकारी ने आदेश नहीं दिए थे जाहिर है कि ऐसे में वे अधिकारी अपनी जवाबदारी से नहीं बच सकते.
विंध्य अंचल के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पुलिस इस मामले को उलझाकर अपना उल्लू सीधा करने का प्रयास कर रही है. राज्य सरकार ने उन्हें भारत भवन का ट्रस्टी बनाकर उन्हें राजनीतिक कवच देने का प्रयास किया है. हत्या जैसे संगीन आरोपों के बावजूद सन्नी गौड़ राज्य शासन से अनुबंध कर रहे हैं.आखिर प्रशासन और सरकार उन्हें इस कलंक से मुक्ति दिलाने की राह में रोड़ा क्यों बन रहे हैं यह जांच का विषय है.
देह व्यापार के कारोबार का पर्दाफाश
क्राइम ब्रांच ने मुखबिर की सूचना पर दबिश देकर तीन युवती व दो युवकों देह व्यापार के दलाल सहित धर दबोचा है। एसपी जयंतकुमार थोरात को मुखबिर से सूचना मिली कि शहर में देह व्यापार का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। इस धंधे में कोलकाता से युवतियों को बुलाया जाता है। खबर मिलते ही उन्होंने क्राइम ब्रांच की टीम को योजना बना कर दबिश देने के निर्देश दिए। उनके निर्देश पर क्राइम ब्रांच डीएसपी वीके मिश्रा, सीएसपी राकेश भट्ट सहित सदस्यों ने उन्हें पकड़ने की योजना बनाई। उन्होंने शुभम विहार स्थित एन राजपूत के मकान में दबिश दी। यहां तीन युवतियां व दो युवक संदिग्ध हालत में थे। पुलिस ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया। उनके साथ देह व्यापार कराने वाले एजेंट को भी दबोच लिया गया।
Saturday, August 14, 2010
Wednesday, August 11, 2010
अब पुलिस प्रशासन गुण्डे-मवाली के बदले कलम के सिपाही को करेगा जिला बदर
बैतूल से खास खबर
बैतूल। पत्रकार समाज का आइना होता है लेकिन अकसर देखने को मिलता है कि जब भी समाज का या किसी भी वर्ग या सरकारी मोहकमे का चेहरा अपने आइने में दिखाने का प्रयास करता है तो उसके साथ वह सब कुछ घटता है जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती। प्रेस को लोकतंत्र का चौथा प्रहरी कहा गया है लेकिन प्रेस और पुलिस दोनों ही अकसर एक दुसरे के विरूद्ध संघर्ष पर उतर जाते है। प्रेस की कलम को अकसर पुलिस के डण्डे के बल पर तोडऩे का प्रयास होता है. देश के इतिहास में ऐसे बिरले ही उदाहरण देखने को मिलेगें जिसमें समाज का आइना कहे जाने वाले पत्रकार को ही समाज से बहिष्कृत करने का प्रयास किया जाता है. बैतूल जिले की पुलिस ने लोकतंत्र के इतिहास में उस चौथे प्रहरी को समाज के लिए नासूर बता कर उसे समाज और उसके प्रभाव क्षेत्र से बाहर करने के लिए उसे तडीपार करने का एक ताना - बाना बुना है. जिले की पुलिस ने जिले के सबसे वरिष्ठ पत्रकार एवं बीते 28 वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी लेखनी से समाज में जागृति लाने का प्रयास किया है ऐसे ही पत्रकार को जिला बदर करने के लिए ऐसे मामलो की सूचि बनाई है जिनमें से अधिकांश मामलो का न्यायालय से निपटारा तथा बरी तक किया जा चुका है. जिस समाज में पुलिस पत्रकार का भय और आंतक बता रही है उसी समाज के एक अंग सिक्ख समुदाय ने अभी कुछ दिन पूर्व ही बैतूल जिला मुख्यालय पर स्थित गुरूद्वारा में पत्रकार को सम्मानित किया है. जिले के वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्र पंजाब केसरी दिल्ली के बैतूल ब्यूरो चीफ रामकिशोर पंवार को बैतूल जिला पुलिस प्रशासन ने मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा एवं लोक स्वास्थ अधिनियम की धारा 5 क के अन्तगर्त बैतूल जिले की सीमा से बाहर करने की अनुशंसा बैतूल जिला दण्डाधिकारी कलैक्टर से की है. सबसे शर्मसार तथ्य यह है कि जिला दण्डाधिकारी बैतूल को जिला पुलिस अधिक्षक अपने शासकीस प्रतिवेदन पत्र में जिले के वरिष्ठ पत्रकार को जिले की महिलाओं छेडछाड़ करने का आरोप लगा रही है उसी पुलिस ने वह पत्र भी जिला दण्डाधिकारी को सौपा है सिमेंछेडछाड का एक मात्र प्रकरण का उल्लेख है जिसमें भी आपसी समझौता होने की बात लिख रही है. मात्र एक छेडछाड़ के प्रकरण पर पूरी जिले की महिलाओं की अस्मत को खतरा बताने वाली जिले की पुलिस न तब और भी हद कर दी जब वह दोनो पक्षो की रिर्पोट दर्ज मामलो के न्यायालय में समझौता हो जाने तथा न्यायालय द्वारा निर्दोष सिद्ध किये जाने के बाद भी उन मामलो को आधार बना कर लोकतंत्र के चौथे प्रहरी को बैतूल जिले से तड़ीपार करने का पूरा मन बना लिया है. इन सारे घटनाक्रम के पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार है कि पत्रकार रामकिशोर पंवार द्वारा जिले के जिला एवं सत्र न्यायालय में अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम श्रेणी न्यायमूर्ति सुनील शौक की अदालत में आरोपी मयंक भार्गव एवं मयूर भार्गव तथा अन्य के विरूद्ध तीन धोखाधड़ी के मामले दर्ज करवाने के लिए एक परिवाद प्रस्तुत किया था जिस पर विद्धवान न्यायाधीश के एक आदेश पर बैतूल पुलिस थाना में अपराध क्रंमाक 499-6, 500-6, 501-6 के तहत धोखाधड़ी एवं अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था. मामले में पुलिस की टालामटोली एवं आरोपियो को कथित संरक्षण से कई बार न्यायालय ने पुलिस को फटकार भी लगाई. स्थिति तो यह तक आ गई थी कि पुलिस द्वारा साक्ष्य अभाव में तीनो मामलो को लेकर एक खात्मा प्रतिवेदन न्यायालय में पेश किया गया था जिसे न्यायालय ने अमान्य करते हुये स्वंय जिला पुलिस अधिक्षक बैतूल को बीते वर्ष 2009 में स्वंय जांच कर प्रतिवेदन पेश करने को कहा लेकिन पुलिस ने सारे मामले में परिवादी द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत मामलो को लेकर आरोपियो के साथ समझौता न किये जाने पर क्षुब्ध होकर परिवादी के खिलाफ जिला बदर की कार्यवाही हेतू जिला दण्डाधिकारी को एक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया. न्यायालय ने इस बार फिर बैतूल जिला पुलिस अधिक्षक को फटकार लगाते हुये डी जी पी को भी उक्त तीनो जालसाजी के मामलो में पुलिस की टालामटोली पर नाराजगी दर्ज करते हुये एक कड़ा पत्र लिखा लेकिन पुलिस उक्त न्यायालीन पत्र के जवाब के पूर्व ही परिवादी को ही जिला बदर करने के लिए अपने छदम तरीको को अपनाने से नहीं चुक रही. जिले की पुलिस एवं प्रशासन से प्रताडि़त इस पत्रकार ने प्रेस कौसिंल आफ इंडिया में भी वर्ष 2006 में आवेदन प्रस्तुत किया गया जिस पर प्रेस कौसिंल ने भी पुलिस प्रताडऩा एवं प्रशासनिक कार्यवाही से प्रताडि़त पत्रकार को न्याय दिलवाने एवं उसकी जन माल की सुरक्षा के संदर्भ में प्रदेश के मुख्य एवं गृह सचिव को पत्र भी लिखा लेकिन जिले के सक्रिय सबसे वरिष्ठ पत्रकार को पुलिस और प्रशासन द्वारा प्रताडि़त किये जाने की घटनाओं पर विराम नहीं लगा. बीते वर्ष मार्च 2009 से लेकर इन पंक्तियो के लिखे जाने तक एक भी प्रकरण दर्ज न होने की स्थिति तथा 26 अप्रेल में हुई एक सड़क दुर्घटना में घायल पत्रकार जो कि अभी तक अपाहिज होने के बाद जिसे डाक्टरो की सलाह पर दो वर्षो तक आराम एवं उपचार की सलाह दी गई है. अभी भी उस पत्रकार के कुल्हे के जोड़ का आपरेशन होने के बाद भी बिस्तर पर पड़े पत्रकार के खिलाफ पुलिस का दमनात्मक कार्यवाही का दौर जारी है. एक तरफ प्रदेश की भगवा रंग में रंगी भाजपा सरकार के मुखिया शिवराज सिंह पत्रकारो की महापंचायत बुलाने की बाते कहती है उसी भाजपा सरकार का सरकारी महकमा भाजपा शासन काल के बीते छै सालो में इस पत्रकार को प्रताडि़त करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. सरकार की प्रताडऩा के तौर तरीको ने तुगलकी फरमानो को भी पीछे छोड़ दिया है. जिले के अनुविभागीय दण्डाधिकारी ने इस पत्रकार को प्रताडि़त करने के लिए आंख मुंद कर भारत की राजधानी दिल्ली से निकलने वाले सर्वाधिक हिन्दी दैनिक पंजाब केसरी के पंजीयन को तक निरस्त करने का तुगलकी आदेश तक जारी कर दिया था. इस मामले में प्रेस कौसिंल आफ इंडिया से बुरी तरह फटकार पा चुके जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के गठजोड़ ने अब उस अपाहिज पत्रकार को जिलाबदर करने का मन बना लिया है जो तीन माह तक बैसाखियो के सहारे भी ढंग से चल फिर नहीं सकता. सीधे पैर के घुटने एवं कुल्हे के आपरेशन के बाद आर्थिक रूप से कमजोर इस कलम के धनी को निर्धन बनाने के लिए उसके खिलाफ तड़ीपार की पुलिस और प्रशासन ऐसे तैयारी कर रहा हो जैसे पत्रकार ने हत्या - बलात्कार - डकैती - चोरी - राजद्रोह - जासूसी - बलवा - अपहरण जैसे संगीन मामलो को अंजाम देकर समाज और जिले में आतंक और भय का साम्राज्य स्थापित कर रखा हो. अपने दामन में लगे दागो को छुपाने के लिए पुलिस ने न्यायालय को भी गुमराह करने में कोई कसर नही छोड़ी. पुलिस न्यायालय से बरी और आपसी समझौता हो जाने के बाद भी उन्ही मामलो को आधार बना कर प्रेस की आजादी का गला अपने मतलब के लिए घोटना चाहती है. पुलिस ने जिन मामलो को जिला बदर की कार्यवाही का आधार बनाया है उनमें से एक भी मामला जिले की शांती को भंग करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है. जिन 107 एवं 116 के मामलो का पुलिस जिक्र कर रही है उन मामलो में दोनो पक्षो पर उक्त कार्यवाही होती है लेकिन हर वर्ष सैकड़ो 107 एवं 116 के मामलो को यदि पुलिस आधार बनाती है तो जिले से जिला बदर होने वालो की तो लम्बी - चौड़ी सूचि बनाई जा सकती है. अपने मतलब एवं स्वार्थ के लिए पुलिस और प्रशासन का गठजोड़ केवल प्रेस को अपना आइना दिखाने से रोक कर उसकी आजादी को ही खतरे में डाल रही है. इस समय बैतूल जिले में अपराधो की बाढ़ सी आ गई है. बलात्कार से लेकर लूट हत्या जैसे संगीन मामलो में अव्वल नम्बर पर आने वाले इस जिले में प्रेस की इस तरह गला घोटा जाता रहेगा तो फिर लोकतंत्र का चौथा पाया जिसे प्रहरी भी कहा जाता है वह चरमरा कर गिर जायेगा. बैतूल जिले में जबसे आर एल प्रजापति जिला पुलिस अधिक्षक आये है जिले में अपराधो का ग्राफ बढ़ा है. रायसेन में विवादास्प रहे जिले के पुलिस अधिक्षक का तथाकथित धर्म और कर्म लोगो के परे की बात है. जिले में अभी तक इस पुलिस अधिक्षक के कार्यकाल में पुलिस की जो छबि जो खराब हुई है उसे धोने में पुलिस को सालो लग जायेगें.
निशक्त एवं मानसिक रोगियों का जिला बदर कैसे....?
जिला बदर की कार्यवाही किसके खिलाफ की जाना चाहिये यह विचारण प्रश्र है। जो व्यक्ति निशक्त या अपाहिज होने के साथ-साथ दुसरो के सहारे बैसाखियो से पिछले एक साल से चल रहा हो तथा उसे रात्री में गहरी निंद्रा में बेहोशी के छटके आते हो ऐसे व्यक्ति को जब उसका पूरा परिवार अकेले नहीं छोड़ता है। उसके साथ परिवार का कोई न कोई सदस्य हमेशा रात्री समय एवं आते-जाते समय मौजूद रहता है क्या ऐसे व्यक्ति को जिला बदर उन अपराधो को आधार बना कर किया जाना जो न्यायालय द्वारा दोष मुक्त या फिर समझौता के तहत सुलझ गये है क्या उचित है...? सवाल यह उठता है कि ऐसे पत्रकार को उसकी कलम के वार से आहत पुलिस एवं प्रशासन द्वारा जालसाज व्यक्तियो को बचाने के लिए राजनैतिक दबाव के चलते तड़ीपार करना क्या उसके मानवीय अधिकारो के हनन की श्रेणी में नहीं आता है। बैतूल जिला प्रशासन उस व्यक्ति को जिला बदर करना चाहता है जिसके कुल्हे के जोड़ का एक पखवाड़ा पूर्व ही आपरेशन हुआ है जिसे जमीन पर बैठने की सख्त मनाही है तथा जो अब केवल दुसरो के सहारे से चल फिर सकता है उसके खिलाफ पुलिस एवं प्रशासन की यह कारवाही दमणात्मक नहीं है। क्या पुलिस और प्रशासन दोनो मिल कर प्रेस की आजादी का सरे आम गला नही घोट रहे है. जिस ढंग से देश में न्यायपालिका अपनी ताकत का प्रशासन एवं पुलिस को अहसास करा रही है. में ऐसे कई सवालो का पुलिस और प्रशासन को जवाब देना होगा क्योकि इस देश में अभी न्यायापालिका के प्रति लोगो का विश्वास पूरी तरह से टूटा नहीं है.
- हनुमान भक्त चले रावण के साथ -
बैतूल जिले के बहुचर्चित हनुमान भक्त जिला पुलिस अधिक्षक आर एल प्रजापति के घर पर हर मंगलवार एवं शनिवार के दिन होने वाली राम भक्त हनुमान की चालिसा एवं सुदंर कांड में उपस्थित रहने वाले भार्गव बंधुओ के हनुमान प्रेम से प्रसन्न होकर हनुमान भक्त प्रजापति ने उन्हे हर प्रकार के संरक्षण देने की कसम खा रखी थी. बार - बार न्यायालय के आदेशो को दर किनार करके हनुमान भक्त ने इन दोनो जालसाज भार्गव बंधुओ को हर प्रकार का संरक्षण दिया बदले में इन लोगो ने पुलिस अधिक्षक को अपनी सेवा का भाव भी जो कि कई प्रकार से कहा जाता रहा है. न्यायालय की फटकार एवं हिदायतो को दरकिनार कर इन लोगो को बचाने के चक्कर में जिला पुलिस अधिक्षक न्यायालय की अवमानना से भी नहीं चुके पाये. जब न्यायालय ने पुलिस अधिक्षक को अपनी ताकत से अवगत करवाया तो आनन - फानन में उस पत्रकार के खिलाफ षंडय़ंत्रो का ऐसा ताना - बाना बुने जाने लगा कि पिछले एक साल से बिस्तर पर पड़े दुसरो के सहारे चलने वाले इस जिले ही नहीं प्रदेश एवं देश के विभिन्न समाचार पत्रो के कलमकार को जिला बदर करवाने के लिए पूरी ताकत झोक दी.
- प्रेस कौसिंल आफ इंडिया को भी धता दे गये पुलिस के अफसर -
बैतूल जिले के वरिष्ठ पत्रकार ने अपनी पत्रकारिता की शुरूआत 1980 से की पुलिस का रिकार्ड बताता है कि वह 1988 से अपराधिक प्रवृति में लिप्त है. पुलिस के अत्याचारो को छापने वाले इस पत्रकार को पुलिस 88 के दशक से प्रताडि़त कर रही है. उसने इस मामले को लेकर कई बार प्रेस कौसिंल आफ इंडिया में शरण ली. बीते वर्ष 2006 में एक बार फिर वह पुलिस अत्याचारो एवं जिला प्रशासन द्वारा की जा रही प्रताडऩा के खिलाफ प्रेस कौंसिल की शरण में गया . उसके द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर जिला कलैक्टर एवं जिला पुलिस अधिक्षक को नोटिस जारी किये गये थे. प्रेस कौंसिल आफ इंडिया में प्रस्तुत प्रकरण में जिला कलैक्टर की अनुउपस्थिति में अपर कलैक्टर डां मसूर अख्तर एवं जिला पुलिस अधिक्षक की अनुउपस्थिति में जिला अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक डी एस भदौरिया पहुँचे. जहां पर प्रेस कांैसिल को दोनो अधिकारियो ने आश्वत किया कि पत्रकार को किसी भी प्रकार की प्रताडऩा नहीं दी जायेगी तथा उसे संरक्षण दिया जायेगा. न्यायालीन मामलो को छोड़ कर उसके खिलाफ पुलिस किसी भी प्रकार की झुठे मामलो में फंसा कर उसे प्रताडि़त किये जाने की कार्यवाही भविष्य में नहीं करेगी. पुलिस ने प्रेस कौसिंल की हिदायतो को गंभीरता से नहीं लिया.
- पुलिस का इंडेक्स क्या कहता है...? -
बैतूल जिले की पुलिस ने जिला मजिस्टे्रज बैतूल को भेजे प्रतिवेदन मे लिखा है कि 1988 से बैतूल निवासी रामकिशोर पंवार का पूरा अपराधिक रिकार्ड कुछ इस प्रकार है कि उसके खिलाफ मारपीट के तीन छेड़छाड़ के एक तथा अवैध पैसा वसूली के चार प्रकरण दर्ज है। पुलिस की रिर्पोट में रामकिशोर पंवार के खिलाफ 1986 से प्रकरण दर्ज करती चली आ रही है. पुलिस ने जिस अपराध क्रंमाक 82/ 86 का जिक्र कर रही है उसकी रोजनामचा डायरी ही नहीं है. इस प्रकरण में पाथाखेड़ा कोयलाचंल क्षेत्र केे तत्कालिक पुलिस चौकी प्रभारी आर . के शर्मा के खिलाफ दैनिक भास्कर भोपाल में छपी एक खबर एक थानेदार जो आदमखोर हो गया रिर्पोट से क्षुब्ध होकर पुलिस चौकी पर कथित हमलवार करने वाली भीड़ में उसे भी आरोपी बनाया गया जिसमें वह दोष मुक्त हो चुका है. पुलिस द्वारा दर्ज अपराध क्रंमाक 296 / 96, अपराध क्रंमाक 697 / 2004 में आपसी समझौता तथा 355 / 2005 , एवं अपराध क्रंमाक 427 / 2006 में उसे न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया. जिसमें स्वंय फरियादी का ब्यान विद्धवान न्यायाधीश के समक्ष बिना किसी दबाव के दिया गया जो कि अहम स्थान रखता है इस बात के लिए कि रामकिशोर पंवार के आंतक के चलते लोग गवाही नहीं देते है. अपराध क्रंमाक 87 / 88 , अपराध क्रंमाक 45 / 90 अपराध क्रंमाक 201 / 96 अपराध क्रंमाक 355 / 96 के 107 एवं 116 के प्रकरणो का छै माह की अवधि में निराकरण हो चुका है. वर्तमान में उसके खिलाफ मात्र चार प्रकरण चल रहे है जिसमें पक्षकार की पेशी तारीख पर मौजूद नही हो पा रहे है जिसके चलते न्यायालय से उनके खिलाफ जमानती वारंट भी जारी हो चुके है. रामकिशोर पंवार के खिलाफ एक भी ऐसा संगीन मामला जो कि पूरे जिले की या बैतूल नगर की शांती को खतरा हो वह न तो दर्ज हुआ है और न न्यायालय में चल रहा है. जिले की पुलिस थानो में उसके खिलाफ बलात्कार , हत्या , लूट , डकैती , हत्या का प्रयास , चोरी , धारा 109 एवं 110 के तहत कोई कार्यवाही नहीं हुई है. न तो उसकी निगरानी खुली है और न वह निगरानी शुदा बदमाश की श्रेणी में है. उसके खिलाफ राष्ट्रद्रोह जैसे भी कोई मामले दर्ज नहीं है. पत्रकारिता के क्षेत्र में आने के पूर्व भी उसकेखिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हो सका है. पत्रकारिता से जुडऩे के बाद पुलिस एवं प्रशासन को बेनकाब करने के अपराध में पुलिस एवं प्रशासन ने उसके खिलाफ जिला बदर की कार्यवाही बदले की भावना एवं उसके द्वारा दर्ज तीन अलग - अलग जालसाजी के मामले में आरोपियो को बचाने के लिए की जा रही है. श्री पंवार को उसकी 27 साल की निष्पक्ष एवं नीडर पत्रकारिता का तोहफा मिला है. वैसे भी बैतूलवी पत्रकारिता के सबसे वरिष्ठ इस पत्रकार ने पूरे पत्रकारिता के कार्यकाल के दौरान पुलिस एवं प्रशासन की नाक में दम कर रखा था. पुलिस भयाक्रांत हो चुकी थी उसके द्वारा उजागर किये जाने वाले मामलो से चाहे वह दलित महिला उर्मिला के ज़हर खाने का मामला हो या फिर बहुचर्चित पारधी कांड हर मामलें पर पुलिस को बेनकाब करने का दण्ड उसे दिया जा रहा है. पुलिस की अब तकी सभी कार्यवाही में मात्र पुलिस ने केवल अपने छदम तरीको को ही अपनाया है.
जालसाजों के लिए मोहरा बने जिला मजिस्टे्रज
-अपने न्यायालय में जिला पुलिस अधिक्षक द्वारा प्रस्तुत पत्र क्रंमाक कार्यालय पुलिस अधिक्षक बैतूल , राज्य सुरक्षा अधिनियम - 11 - 2009 दिनांक 30 जुलाई 2009 के संदर्भ में न्यायालय जिला जिला मजिस्ट्रेज बैतूल द्वारा दावा प्रकरण क्रंमाक 8 दिनांक 12 अप्रेल 2010 का इतने दिनो बाद भेजा जाना कम आश्चर्य जनक बात नहीं है. जिला पुलिस अधिक्षक एवं न्यायालय जिला मजिस्ट्रेज बैतूल कार्यालय के बीच की दूरी महज आधा किलोमीटर भी नहीं है. अभी तक पूरे प्रकरण को स्वंय जिला मजिस्टे्रज के कार्यालय में उनके निज सहायक द्वारा दबाये रखा गया था ताकि दोनो पक्षो के बीच समझौता हो जाये और सारे मामले का पटाक्षेप हो जाये. मयंक - मयूर द्वारा जिला मजिस्टे्रज के निज सहायक अरूण सोहाने से मित्रता का भरपूर फायदा उठा कर पत्रकार रामकिशोर पंवार को डराने - धमकाने तथा समझौता करने के लिए भार्गव समाज के जिलाध्यक्ष बाबू भार्गव एवं पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष आंनद प्रजापति , अधिवक्ता प्रशांत गर्ग, जिले के वरिष्ठ पत्रकार इंदर चंद जैन सहित एक दर्जन से अधिक लोगो के पास जाकर उनसे दबवा बनाने का प्रयास किया गया था. जब इन दोनो भार्गव बंधुओ के खिलाफ न्यायालय में प्रस्तुत परिवाद को परिवादी पत्रकार रामकिशोर पंवार द्वारा वापस न लिये जाने पर उसे प्रताडि़त करने की मंशा से जिला कलैक्टर - जिला मजिस्टे्रज के कार्यालय में पेडिंग पड़ी जिला बदर की कार्यवाही को मूर्त रूप प्रदान किया गया ताकि प्रताडि़त व्यक्ति अपने जिला बदर होने की कार्यवाही से डर कर समझौता कर सके. अपने खिलाफ जिला बदर की कार्यवाही से जरा भी नहीं डरे पत्रकार रामकिशोर पंवार इस मामले को लेकर हाईकोर्ट की शरण लेने जा रहे है।
- नमक का हक अदा कर रहे है प्रभात झा -
बैतूल जिले में प्रदेश भाजपा के पूर्व कोषाध्यक्ष विजय कुमार खण्डेलवाल के निधन के बाद हुये लोकसभा उप चुनाव में बैतूल में डेरा डाले भाजपा के सचेतक , भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य प्रभात झा बैतूल में धोखाधड़ी के इन दो आरोपी भाईयो मयंक एवं मयूर भार्गव के घर में ही डेरा डाले रहे। उनकी आवाभगत से प्रभावित झा ने बैतूल में उन्हे अपना सच्चा हितैषी मान कर अपना राजनैतिक प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया. फर्श से अर्श पर आये प्रभात झा के नाम पर ही दोनो जालसाजी के आरोपी बंधुओ ने प्रभात झा के नाम का और नमक का भरपूर फायदा उठाया. इन लोगो ने लोकसभा उप चुनाव के बाद बैतूल जिले की भाजपाई राजनीति में लोकसभा, विधानसभा चुनाव, नगरीय निकाय, नगर पंचायत, जिला पंचायत, जनपद पंचायत, ग्राम पंचायत तक टिकट देने की दुकान खोल रखी है. हाल ही में जब जिला न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम श्रेणी द्वारा इनके विरूद्ध दर्ज जालसाजी के मामले में पुलिस अधिक्षक को भेजे फरमान के बाद से प्रभात झा से जिला पुलिस एवं प्रशासन पर दबाव बनवाया गया कि उनके विरूद्ध न्यायालय में धोखाधड़ी का परिवाद दर्ज करने वाले फरियादी को उसके विरूद्ध दर्ज न्यायालय से बरी एवं समझौता हो चुके मामलो की एक सूचि बना कर उसे जिला बदर किया जाये. पुलिस ने अपने द्वारा न्यायालय में इन जालसाज बंधुओ के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के मामलो में प्रस्तुत खात्मा को अस्वीकार करने एवं मामले की जांच स्वंय पुलिस अधिक्षक से करवाये जाने के 23 जनवरी 2009 के फैसले के बाद पुलिस अधिक्षक बैतूल ने 30 जुलाई 2009 को जिला दण्डाधिकारी बैतूल को एक पत्र 14 प्रकरणो की सूचि के साथ प्रस्तुत करते हुये पत्रकार रामकिशोर पंवार को मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा एवं लोक स्वास्थ अधिनियम की धारा 5 क के अन्तगर्त बैतूल जिले की सीमा से बाहर करने की अनुशंसा करते हुये जिला पुलिस अधिक्षक बैतूल ने इस पत्रकार को समाज की तथा कथित गतिशिलता को अवरूद्ध करने एवं शांती व्यवस्था भंग होने की आशंका व्यक्त की है. पुलिस ने पत्रकार का समाज में भय एवं आतंत बताया जिसके चलते लोग स्वच्छंद होकर विचरण नहीं कर सकते . जिला पुलिस अधिक्षक की अनुशंसा जुलाई से अप्रेल तक ठंडे बस्ते में रही लेकिन अचानक जब न्यायालय ने पुन: इस मामले को लेकर पुलिस की नीयत एवं मंशा पर ऊंगली उठा कर शंका जाहिर करते हुये फरमान जारी कर दिया कि पुलिस अधिक्षक धोखाधड़ी के मामले में अपनी जांच प्रतिवेदन रिर्पोट प्रस्तुत करने में क्यों टालामटोली कर रहे है. पुलिस को न्यायालय ने जमकर फटकार भी लगाई और नीयत तारीख भी याद दिलवाई कि उक्त तारीख तक अनिवार्य रूप से वह जांच प्रतिवेदन एवं अन्य कार्यवाही से हर हाल में न्यायालय को अवगत करवाये.
खतरा किसको किससे है....? -
बैतूल जिले की पुलिस ने जिला दण्डाधिकारी बैतूल को भेजे प्रतिवेदन में जानकारी दी है कि रामकिशोर पंवार का समाज में भय एवं आतंंक है जिसके चलते उसके खिलाफ कोई गवाही नहीं देता है. पुलिस द्वारा दर्ज मामलो में आरोपी को न्यायालय ने अपनी कथित शिकायत को ही झुठला दिया. सारनी की श्रीमति राखी गुलबाके ने अपराध क्रंमाक 427 -06 धारा 384 बैतूल न्यायालय में प्रस्तुत किया जिस पर न्यायालीन प्रकरण क्रमांक 3732 -06 धारा 384 के मामले में सारनी थाने में किसी भी प्रकार की शिकायत करने से ही इंकार कर दिया. इस प्रकरण में शिकायतकत्र्ता के ही मुकर जाने के बाद श्री पंवार को दिनांक 26 दिसम्बर 2008 को दोषमुक्त कर दिया गया. इसी तरह सारनी थाने में दर्ज बैतूल न्यायालीन प्रकरण 1089 - 96 धारा 354 के मामले में फरियादी ने स्वंय न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर बिना किसी दबाव के आपसी राजीनाम प्रस्तुत किया. इसी तरह सारनी थाने के अपराध क्रंमाक 82- 86 जो बैतूल न्यायालीन में प्रस्तुत किया गया. इस न्यायालीन प्रकरण 2531-86 में दिनांक 21 अप्रेल 1998 को दोषमुक्त कर दिया है.आमला थाना में दर्ज प्रकरण में मुलताई न्यायालय में फरियादी की बेटी एवं एक मात्र प्रकरण की प्रत्यक्ष दर्शी गवाह ही अपने पूर्व के कथित ब्यान से मुकर गई. बैतूल जिले की पुलिस के किसी भी थाने या पुलिस चौकी या किसी अधिकारी के समक्ष पुलिस द्वारा दर्ज अपराधो के किसी भी गवाह-फरियादी ने पुलिस को लिखित या मौखिक रूप से यह शिकायत दर्ज नहीं करवाई कि उसे रामकिशोर पंवार या उसके नाम से कोई डरा या धमका रहा है.सबसे अधिक मजेदार बात तो यह है कि जिले की पुलिस जिस पत्रकार का समाज में भय एवं आतंक बता रही है उसके पास से उसने कोई धारधार हथियार - चाकू - छूरा - तलवार - गुप्ती - बंदुक - पस्तोल - रिवाल्वर - बम - गोले - विस्फोटक सामग्री जप्त या बरामद नहीं की ऐसे में उसका आतंक कलम का है या तलवार का यह पुलिस ही बता सकती है साथ ही वह इस बात का खुलासा भी कर सकती है कि आखिर रामकिशोर पंवार से किसको खतरा है समाज को या पुलिस को....? एक बात और चौकान्ने वाली यह भी है कि विगत 27 वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत इस पत्रकार के खिलाफ किसी धर्म - समुदाय - समाज- वर्ग- विशेष सहित जिले के सामाजिक- राजनैतिक संगठनो के द्वारा उससे समाज को किसी प्रकार का खतरा है इस बारे में कोई मौखिक- लिखित शिकायत दर्ज नहीं की है. ऐसे में पत्रकार रामकिशोर पंवार के खिलाफ बैतूल जिले की पुलिस प्रस्तुत जिला बदर का प्रकरण पुलिस की ओछी मानसिकता का परिचय देता है.
Friday, August 6, 2010
फर्जी अंकसूची का गोरखधंधा करने वाला सरगना दिलशाद खान गिरफ्तार
जिला प्रतिनिधि // डी। जी. चौरे(बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम)
जिला प्रतिनिधि डी. जी. चौर से सम्पर्क 93023 02479
महिला बहुउद्देशीय प्रशिक्षण संस्थान में फर्जी अंकसूची के जरिए प्रवेश लेकर 16 माह के प्रशिक्षण के बाद सात छात्राओं जबलपुर निवासी अंजना पिता किशन लाल पटेल , कटनी निवासी अर्चना पिता बाबूलाल शर्मा , बालाघाट तिरोड़ी निवासी सलमा पिता रमजान सिद्दीकी, बैहर निवासी ममता पिता विनय पांडे, आवलाझरी निवासी निभा पिता सुखदेव नागवंशी, कायदी निवासी सरिता पिता बुजबिहारी चैतगुरू, भरवेली निवासी रूहिना बानो पिता अब्बास खान को परीक्षा से वंचित रखा गया । जबकि सभी छात्राओं 16 माह का प्रशिक्षण पूरा किया है।
बालाघाट: मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के भरवेली थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अमेड़ा पंचायत में फर्जी अंक सूची लगाकर पंचायत कर्मी की नौकरी कर रहे रमेश रहांगडाले (29 वर्ष) को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उसकी निशानदेही पर भरवेली थाना पुलिस ने दबिश देकर जबलपुर रांझी के इंदिरा नगर निवासी दिलशाद खान (45 वर्ष) को बुधवार को गिरफ्तार किया। भरवेली थाना प्रभारी अमित दाणी ने बताया कि इस मामले की शिकायत जिला पंचायत एवं संचार संकर्म समिति के सदस्य उम्मेद लिल्हारे ने की थी, जिस पर भरवेली पुलिस ने अमेड़ा पंचायत कर्मी को गिरफ्तार कर आरोपियों के खिलाफ अपराध क्रमांक 130/10, धारा 420, 465, 467, 471 के तहत दर्ज कर मामले पर कार्यवाही शुरू की थी। थाना प्रभारी ने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ में रमेश रहांगडाले ने जबलपुर निवासी दिलशाद खान द्वारा अंक सूची बनाकर देने की बात स्वीकार की थी। इसके आधार पर भरवेली पुलिस ने बुधवार को दिलशाद खान को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया और पुलिस रिमाण्ड में लिया है। गौरतलब है कि उक्त मामले को लेकर प्रकाशित खबर के बाद हुई कार्यवाही से फर्जी अंकसूची का गोरखधंधा करने वाले दिलशाद खान को लेकर पूर्व में भी मामले पुलिस विवेचना में आए हैं। इस बार मिली सफलता के बाद पुलिस अन्य मामलों में भी इसके शामिल होने की आशंका जता रही है। उल्लेखनीय है कि जिले में फर्जी अंकसूची के जरिये एएनएम प्रशिक्षण ले रही सात छात्राओं के विरूद्ध कोतवाली और इसी प्रकार पंचायत कर्मी की नौकरी के लिए लालबर्रा व रामपायली थानों में मामले सामने आए थे। आरोपी दिलशाद खान के अनुसार, 1996 से वह फर्जी अंकसूची का कारोबार कर रहा है, लेकिन पूर्व में कभी पकड़ा नही गया।
बालाघाट ए.एन.एम.के प्रशिक्षण में फर्जी अंकसूची
जिला मुख्यालय में स्थित महिला बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रशिक्षण संस्थान में फर्जी अंकसूची लगाकर प्रवेश व प्रशिक्षण लेने के मामले में थाना कोतवाली पुलिस ने सीएमएचओ कार्यालय की शिकायत पर सात छात्राओं के खिलाफ मामला पंजीबद्घ किया है। ज्ञात हो 7 जून को इन छात्राओं को जबलपुर मेडिकल कॉलेज में परीक्षा देने पर माध्यमिक शिक्षा मण्डल के प्रमाणीकरण के उपरांत उजागर हुए फर्जी अंकसूची के चलते रोक लगा दी गई थी। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजरानी खरे की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने सोमवार को एएनएम छात्रों के खिलाफ धारा 420, 468, 471 भादवि के तहत मामला पंजीबद्घ किया है। जानकारी के अनुसार फर्जी अंकसूची के माध्यम से प्रशिक्षण लेने वाली सात ए.एन.एम. प्रशिक्षिणार्थियो में कुमारी सरिता पिता बृजबिहारी चैत गुरू कायदी कुमारी ममता पिता विनय पांडे ग्राम सिलगी बैहर, कुमारी निभा पिता सुखदेव नांगवंशी ऑवलाझरी, कुमारी अर्चना पिता बाबूलाल नई बस्ती कटनी, कुमारी रूबीना पिता अब्बास खान भरवेली कुमारी सलमा पिता रमजान सिद्दीकी तिरोड़ी और कुमारी अंजना पिता किशनलाल पटेल जबलपुर शामिल लें। बहुउद्देशिय स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रशिक्षण केन्द्र बालाघाट में वर्श 2008-2009 में 47 प्रशिक्षिणार्थियों ने प्रशिक्षण लिया था जिनमें सात लिया प्रशिक्षणार्थी की हायर सेकेण्डरी के अंकसूची फर्जी पाई गई जॉच जारी है।Thursday, August 5, 2010
मेरे सैया हौदेदार फिर डर काहे का
जिला प्रतिनिधि // डी. जी. चौरे (बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम)
जिला प्रतिनिधि डी। जी. चौर से सम्पर्क 93023 02479
बालाघाट। मध्यप्रदेश का ख्याति प्राप्त बैनगंगा संभाग के अंतर्गत सबडिविजन अधर नहर अनुविभाग वारासिवनी जिसमें ग्रामीण रोजगार योजना के अंतर्गत लगभग 50 करोड़ से भी अधिक के कार्य हो चूके है एवं नाली बनाने का कार्य(काढ़ा) लगभग 20 से 25 करोड़ का हो चुका है जिसमें फिल्ड में सबइंजीनियर कार्य कराता है एवं अनुविभागीय अधिकारी कार्य निरिक्षण करता है।उक्त सबडिवीजन में सिंचाई होती है एवं वसूली भी की जाती है समझ से परे है कि अनुविभागीय अधिकारी श्री ओमप्रकाश बोपचे दाहिने अंग से लकवे से पीडि़त है एवं चलने फिरने में असमर्थ है जो लगभग जनवरी 2008 से शरीर से अक्षम है। वह अधिकारी उतने बड़े सबडिवीजन को कैसे चला रहा होगा। यह शासन-प्रशासन के लिए विचरणीय प्रश्न है?विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि अनुविभागीय अधिकारी श्री ओ.पी.बोपचे माननीय गौरीशंकर बिसेन जी सहकारिता मंत्री मध्यप्रदेश शासन भोपाल का करीबीय रिस्तेदार है। माननीय सांसद श्री के.डी. देशमुख जी का निवास भी उक्त सबडिवीजन से लगभग 300 मी. की दूरी पर स्थित है। माननीय विधायक श्री प्रदीप जैसवाल जी भी वारासिवनी के स्थानीय है। प्रशासन में कार्यरत कार्य पालन यन्त्री श्री पी.सी.महाजन बैन गंगा संभाग बालाघाट से भोपाल तक उच्च अधिकारी कुम्भकर्ण की नींद ग्रसित है।
सिंगरौली में दो स्टॉफ नर्से निलम्बित
सिंगरौली। जिला चिकित्सालय बैढऩ में 29 जून 2010 को प्रसव वेदना से पीडि़त महिला श्रीमती सोनकुवर पत्नी राम कृपाल बैगा की मृत्यु को कलेक्टर सिंगरौली पी. नरहरि ने संज्ञान लेते हुए जॉच के आदेश दिये थे। जॉंच अधिकारी उमराव सिंह मरावी डिप्टी कलेक्टर एवं प्रशासन जिला चिकित्सालय द्वारा प्रस्तुत जॉच प्रतिवेदन के निष्कर्षो को कलेक्टर पी. नरहरि द्वारा गम्भीरता से लेते हुए दो स्टॉफ नर्स श्रीमती सुशीला साहू एवं श्रीमती गंगा अवस्थी को कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही बरतने के कारण तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया है। श्रीमती डॉ. विमल खेस महिला चिकित्सक जिला चिकित्सालय को कारण बताओ सूचना पत्र जारी करते हुए कलेक्टर ने कहा है कि आपके संवेदनशीलता के कारण प्रसूता श्रीमती सोनकुवर को समय रहते नेहरू अस्पताल में भर्ती नहीं कराया जा सका। अत: क्यों न आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाय कलेक्टर सिंगरौली द्वारा एक सप्ताह में उत्तर चाहा गया है।
ठेकेदार की लापरवाही ने ले ली मासूमों की बलि
हथगोले और देशी कट्टा बरामद
होशंगाबाद. पिपरिया पुलिस ने सिलारी चौक क्षेत्र से एक युवक को मुखबिर की सूचना पर बंदी बनाया है। युवक के पास से पुलिस को एक देशी कट्टा और एक हथगोला मिला है। पुलिस ने युवक से पूछताछ के दौरान पता लगाया कि वह हथगोला रामपुर से खरीदा है। वहां छापा मारने पर हथगोला बनाने वाले व्यक्ति को बंदी बनाया। उसके पास से भी एक हथगोला बरामद हुआ है। एसडीओपी केके रजक ने बताया कि 29 जुलाई को मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर एसआई एसएन शुक्ला ने सिलारी चौक क्षेत्र में जाकर आकस्मिक रूप से वहां खड़े लोगों में से संदिग्ध लोगों की जांच की तो पुलिस को ग्राम पाली निवासी दयाली उर्फ दयालदास पिता शिवदास बैरागी के पास से एक 12 बोर का देशी कट्टा और एक हथगोला मिला। दयाली के खिलाफ पुलिस ने अपराध दर्ज कर लिया है। इस बारे में एसपी होशंगाबाद को सूचना दिए जाने पर उन्होनें पुलिस बल को निर्देशित किया कि दयाली से हथगोले और कट्टे के बारे में पता लगाया जाए कि उसने वह सामान कहां से प्राप्त किया है। दयाली से पूछताछ के दौरान पता चला कि उसने वह हथगोला और कट्टा ग्राम रामपुर निवासी प्रताप करेडे से खरीदा है। प्रताप करेडे शादी और विवाह के लिए आतिशबाजी बनाने का काम करता है। आतिशबाजी के काम में आने वाले बारूद का इस्तेमाल वह हथगोले बनाने के लिए करने लगा और समय के साथ वह इसी का कारोबार करने लगा। प्रताप के खिलाफ भी पुलिस ने अपराध दर्ज किया है।
महिलाओं की चैन छीनने वाले गिरफ्तार
होशंगाबाद. महिलाओं के गले से चैन छीनने वाले तीन आरोपियों को पुलिस ने धर दबोचा। साथ ही आरोपियों से चोरी का माल भी बरामद किया गया है। गाडरवारा पुलिस द्वारा सूचना देने पर पिपरिया नगर पुलिस ने वाहन चैकिंग कर आरोपियों को पकडऩे में सफलता हासिल की है। जिला पुलिस अधीक्षक रूचिवर्धन श्रीवास्तव ने बताया कि गाडरवारा पुलिस से सूचना मिलने पर तत्काल पिपरिया थाने को अलर्ट कर आरोपियो को पकडऩे निर्देश दिए गए। एसडीओपी केके रजक ने बताया कि पुलिस अधीक्षक रूचिवर्धन श्रीवास्तव से जानकारी मिली कि तीन अज्ञात व्यक्ति हीरो होंडा स्पलेंडर प्लस काले रंग की गाड़ी से एक महिला के गले से सोने की चैन में लाकेट सहित छीनकर पिपरिया तरफ भागे है। तत्काल उसी समय से पिपरिया एवं बनखेड़ी में चैकिंग पाइंट लगाकर वाहनों की चैकिंग शुरू की गई और सफलता पुलिस के हाथ लगी जब बनखेड़ी रोड स्थित एक स्कूल के पास एसआई एसएन शुक्ला, एसआई एलडी वैष्णव, एएसआई बीएस तोमर ने चैकिंग के दौरान तीनों लड़कों को स्पलेंडर मोटर साईकिल क्रमांक एमपी 05 एमए 7421 पर पकड़ा। जिनमें आरोपी छोटू उर्फ दीपक पिता महेश सोनी 20 वर्ष, विवेक पिता महेश सोनी 21 वर्ष दोनों पुरानी बस्ती पिपरिया एवं राजाराम पिता मनमोहन उर्फ नर्मदा सोनी 22 वर्ष निवासी गोरा थाना सिलवानी के पास से गाडरवारा से छीनी गई सोने की चैन भी मय लाकेट मिली है। पूछताछ में आरोपियों ने पिछले 2 माह में चार चैन छीनने की बात कबूली। महिलाओं के गले से छीनी गई सोने की चैन सुनीता पत्नी पप्पू कुचबंदिया एवं साईना पत्नी कैलाश उर्फ कल्लू कीर पुरानी बस्ती पिपरिया के घर से बरामद की गई है। आरोपियों से बरामद मोटर साईकिल भी चोरी की बताई जा रही है। आरोपियों का एक साथी शुभम कोरी अभी फरार है। जिसकी तलाश की जा रही है। पुलिस में मामले में आरोपियों पर अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया है।
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जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है
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पता :- ‘‘ANI NEWS INDIA’’
‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया नेटवर्क’’
23/टी-7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, प्रेस काम्पलेक्स,
नीयर दैनिक भास्कर प्रेस, जोन-1, एम. पी. नगर, भोपाल (म.प्र.)
मोबाइल : 098932 21036
क्र. पद का नाम योग्यता
1. जिला ब्यूरो प्रमुख स्नातक
2. तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / हायर सेकेंडरी (12 वीं )
3. क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
4. क्राइम रिपोर्टरों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
5. ग्रामीण संवाददाता हाई स्कूल (10 वीं )
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