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नीमच। जिले में एक मंदिर ऐसा है, जहां मन्नात पूरी होने पर हथकड़ियां चढ़ाई जाती हैं। जेल से कैदी व उनके परिजन कारागार मुक्ति की कामना से मंदिर में मन्नत लेते हैं। कई भागे कैदियों ने हथकड़ियां हाथों से मंदिर परिसर में ही खोली भी हैं।
मंदिर जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर नीमच-मनासा रोड से 4 किमी अंदर की ओर जालीनेर में स्थित है। मनासा तहसील के इस गांव में करीब 50 साल से अधिक पुराना खाखरदेव (सगस बाबजी या नाग देवता) का मंदिर है। यहां मंदिर में चहुंओर हथकड़ियां टंगी हैं।
मान्यता है कि खाखर देवजी से प्रार्थना करने पर गंभीर अपराधों में जेल में बंद कैदी को कारावास से मुक्ति मिलती है। कानूनी व अन्य अड़चनें दूर होती हैं। मन्नात या मान्यता पूरी होने पर कैदी चोरी-चुपके या परिवार के साथ मंदिर पहुंचता है और भगवान को हथकड़ी चढ़ाकर कर धन्यवाद ज्ञापित करता है। मंदिर के पुजारी शिवनारायण मेघवाल ने बताया कि करीब 50 साल से मंदिर में हथकड़ी चढ़ाने का चलन है।
मान्यता क्यों और कब से
करीब 50 साल से अधिक समय पूर्व इस मंदिर का निर्माण हुआ। शुरूआत में भोपा जयचंद मेघवाल भगवान की सेवा करते थे। मंदिर में दर्शन व भोपाजी के आशीर्वाद के लिए कतार लगती थी। जेल से रिहाई व अपराधों से मुक्ति मिलने पर भोपा के कहे अनुसार भगवान को हथकड़ियां अर्पित की जाने लगीं, तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
सर्पदंश से मृत्यु एक भी नहीं
जालीनेर का खाखर देव मंदिर काफी सिद्ध है। ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायत जालीनेर के गांव जालीनेर व अन्य गांवों में किसी भी ग्रामीण को सर्पदंश या अन्य जानवर के काटने पर अस्पताल नहीं ले जाया जाता। उनका मानना है कि देवरे पर लाने से ही उसे जहर से मुक्ति मिल जाती है।
बंदी खुद चढ़ाते हैं हथकड़ियां
मंदिर में 3 से 4 उदाहरण ऐसे हैं, जहां रातोंरात बंदी खुद हथकड़ियां चढ़ा गए। संभवत: वे कहीं से भागकर आए थे। गांव से बाहर होने के कारण उनके संबंध में अधिकृत रूप से कोई कुछ नहीं कह सकता। हथकड़ी चढ़ाने की परंपरा सालों से है।
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