सारस्वत ब्राह्मण समाज के भक्त दशहरा पर लंकेश की पूजा के साथ रावण के पुतला दहन का विरोध करते हैं। भगवान श्रीराम को रावण के वध पर ब्रह्महत्या का दोषी माना गया था
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रावण को भले बुराई के प्रतीक के रूप में दशहरा पर जलाया जाता है, लेकिन मथुरा में लंकेश के भी भक्त हैं। सारस्वत ब्राह्मण समाज के ये भक्त दशहरा पर लंकेश की पूजा के साथ रावण के पुतला दहन का विरोध करते हैं। मथुरा से रावण की मृत्यु का एक प्रसंग जुड़ा हुआ है। दरअसल, भगवान श्रीराम को रावण के वध पर ब्रह्महत्या का दोषी माना गया था, लेकिन अयोध्या के सभी ब्राह्मणों ने इस दोष निवारण से इन्कार कर दिया था। अश्वमेध यज्ञ में बाधा आ गई थी, तब मथुरा के पंडितों ने अनुष्ठान किया था। और अश्वमेध यज्ञ का मार्ग प्रशस्त्र हुआ था।
रावण भक्त मंडल की रविवार को हुई बैठक में मंगलवार को लंकेश का पूजन किए जाने का निर्णय लिया गया। बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ओमवीर सारस्वत ने बताया कि मंगलवार को लंकेश किया जाएगा। पं. अमित भारद्वाज ने बताया कि प्राचीन ग्रंथ ब्राह्मणोत्पत्ति में उल्लेख है कि अत्यधिक प्रयास और अनुनय-विनय के बाद अपने लघु भ्राता शत्रुघ्न की राजधानी मधुपुरी (मथुरा) और सरयूपार से कान्य कुब्ज ब्राह्मणों ने दोष निवारण को धार्मिक अनुष्ठान कर श्रीराम को ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त किया।
इस अनुष्ठान में सहस्त्र (एक हजार) ब्राह्मण शामिल हुए। इसमें मथुरा से 750 और 250 कान्यकुब्ज ब्रामह्मण थे। अनुष्ठान के बाद सभी ब्राह्मणों को आठ-आठ गांव बतौर दक्षिणा उपहार स्वरूप भेंट किए गए थे।
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