Monday, January 18, 2016

प्रदेश पर ३२ हजार से एक लाख ७१ हजार करोड़ का हुआ कर्जा

अवधेश पुरोहित @ टी ओ सी न्यूज
भोपाल। जब प्रदेश में कथित कुशासन के मुखिया दिग्विजय सिंह को हटाकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश की सत्ता पर जब काबिज हुई थी तो उस समय प्रदेश पर लगभग ३२ हजार करोड़ का कर्जा था लेकिन २००३ से लेकर आज तक  तक प्रदेश पर एक लाख ७१ हजार करोड़ का कर्जा हो गया है। मजे की बात यह है कि विकास के नाम पर यह सरकार कर्ज लो और घी पियो की नीति अपनाते हुए भाजपा सरकार के सत्ता के मुखियाओं द्वारा अपनी छवि चमकाने के लिये इसी दौरान कथित ब्यूटी पार्लरों के संचालकों को करोड़ों रुपये की राशि खर्च की लेकिन न तो इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि सुधर सकी और न ही इतना भारी भरकम कर्ज लेने के बाद राज्य की हालत ठीक हो सकी, कर्ज लेकर घी पीने की नीति को अपनाते हुए, यह दावा जरूर किया जाता है कि प्रदेश बीमारू राज्य से निकलकर बाहर हो गया है लेकिन कर्ज लेकर विकास की नीति अपनाने के परिणाम क्या होंगे यह तो भविष्य बताएगा।

सरकार के द्वारा इस तरह के धड़ाधड़ कर्ज लेने के एवज में जहां राज्य की परसम्पत्तियों को गिरवी और बेचे जाने की स्थिति बनी है, यदि यही हालत रही तो शायद ही प्रदेश की कोई परसम्पत्ति बचे जिस पर सरकार कर्ज लेने से नहीं चूके। लेकिन मजे की बात यह है कि इस तरह के कर्ज लेने के बावजूद भी आज यह सरकार स्थायी कर्मचारियों के अलावा अस्थाई कर्मचारियों की वेतन समय पर नहीं दे पा रही है और राज्य के सारे विकास कार्य भी इन दिनों पूरे प्रदेश में बंद पड़े हैं और अधिकांश काम जो भी हो रहे हैं, वे या तो प्रायवेट पार्टनरशिप में या फिर बीओटी योजना के अंतर्गत राज्य में जितनी भी सड़कें बनी हैं उनमें अधिकांश सड़कें बीओटी योजन के अंतर्गत ही बनाई गई और उन पर चलने वाले वाहन मालिकों को अपनी जेबें ढीली करनी पड़ रही हैं, इतने भारी भरकम कर्ज से लदे इस राज्य की संविधान में प्रदत्त स्वास्थ्य, शिक्षा और पानी जैसी मूलभूत व्यवस्थाएं भी लडख़ड़ा रही हैं।

 स्वास्थ्य की तो यह स्थिति है कि प्रदेश के २७ जिलों के सरकारी अस्पताल एक एनजीओ के हाथों में यह कर्जदार सरकार सौंपने जा रही है। यदि यही स्थिति रही तो राज्य की हर व्यवस्था निजी हाथों में होगी, इसी क्रम में शिक्षा की भी धीरे-धीरे यही स्थिति बनती जा रही है कि सरकारी कम निजी शिक्षण संस्थाएं ज्यादा नजर आ रही हैं, मजे की बात यह है कि जब यही भाजपा के नेता विपक्ष में हुआ करते थे तो इसी तरह के कर्ज और वित्तीय प्रबंधन को लेकर दिग्विजय सिंह सरकार पर श्वेत पत्र जारी करने का दबाव बनाया करते थे और सड़क से लेकर सदन तक हंगामा करने में नहीं चूका करते थे, आज तब इस प्रदेश पर भारी भरकम कर्ज है तो प्रदेश के वित्त मंत्री रोज नये-नये बयान देकर यह समझाने के प्रयास कर रहे हैं कि हम कर्ज लेकर भी बेहतर हैं, सरकार द्वारा लिये जा रहे इस तरह के धड़ाधड़ कर्ज से जहां प्रदेश का हर नागरिक करीब साढ़े चार हजार से भी ज्यादा का कर्जदार है, लेकिन सरकार अभी भी कर्ज लेने से नहीं चूक रही है। एक साल के भीतर ही मध्यप्रदेश सरकार पर लगभग ३५ हजार करोड़ का कर्ज बढ़ गया है। यानी कर्ज लेने की रफ्तार ही इतनी तेज है कि उसे विकास कार्यों से लेकर कर्मचारियों के वेतन-भत्ते तक बांटने के लिए भी बाजार से ऋण उठाना पड़ रहा है। ३१ मार्च २०१४ की स्थिति में मप्र पर जहां एक लाख ३५ हजार ७९० करोड़ का कर्ज था, वहीं ३१ मार्च २०१५ की स्थिति में यह बढ़कर एक लाख ५३ हजार ५९५ करोड़ तक पहुंच गया और बीते साल बाजार से जहां सरकार ने लगभग ११ हजार ५०० करोड़ का कर्ज उठाया। इसके विपरीत केंद्र से उतना सहायता अनु दान मिला और न ही कर्ज राशि। वर्ष २००३ में जब भाजपा की सरकार बनी थी, तब मप्र पर लगभग ३२ हजार करोड़ का कर्ज था और आज यह बढ़कर पांच गुना से ज्यादा हो गया है। सीएजी के आंकड़े बताते हैं कि मप्र पर एक लाख ७१ हजार ५९५ करोड़ का कर्ज चढ़ गया है। इसमें भी सरकार की आर्थिक नीतियां तथा लापरवाही भी सामने आ रही है, जहां अनाप-शनाप खर्चों पर अंकुश लगाने में मैंनेजमेंट पूरी तरह फेल हो गया है। इसके अलावा जिन मदों से सरकार को टैक्स के रूप में अर्निंग होती है, वह भी कमजोर होती जा रही है। खासकर सेल्स टैक्स, कामर्शियल टैक्स, आबकारी, खनिज तथा परिवहन और प्रवेश कर से मिलने वाली राशि में भी कमी आई है। अब देखना यह है कि सरकार की यह कर्ज लेकर घी पीने की नीति आगे क्या रंग लाएगी और इस प्रदेश की जनता पर अपनी छवि और पार्टी की साख जमाने के लिए और कितना कर्ज लिया जाएगा यह तो भविष्य बताएगा। 

Sunday, January 17, 2016

राज्य सूचना आयोग का फैसला, धारा 7 के उल्लंघन पर मिल सकता है दंड

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लोक सूचना अधिकारी को कारण बताओ सूचना पत्र जारी 
राज्य सूचना आयोग ने समय सीमा में आवेदन का निराकरण एवं अपीलीय अधिकारी के आदेश का पालन न करने के कारण तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी रामनिवास कुशवाह को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने नोटिस में कुषवाह से जवाब तलब किया है कि धारा 7 का उल्लंघन करने के कारण क्यों न उनके विरूध्द धारा 20 (1) के तहत शास्ति अधिरोपित करने की कार्यवाही की जाए। आयोग ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत, मुरैना को निर्देष दिया है कि तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी को कारण बताओ नोटिस अविलंब तामील करा कर 20 जनवरी तक आयोग को अवगत कराएं।

तत्काल उपलब्ध कराए अभिलेख

सूचना आयुक्त आत्मदीप ने जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निर्देशित किया है कि ग्राम पंचायत मृगपुरा के जो भी अभिलेख रामनिवास कुशवाह (वर्तमान में सचिव, ग्राम पंचायत हासमी मेवड़ा, जनपद पंचायत मुरैना) के पास हो, उन्हे कुषवाह से प्राप्त करने हेतु तत्काल आवश्‍यक कार्यवाही कर सचिव, ग्राम पंचायत मृग़पुरा को अभिलेख उपलब्ध कराएं ताकि अपीलार्थी को वांछित जानकारी प्रदाय की जा सके । साथ ही मुख्य कार्यपालन अधिकारी की गई कार्यवाही के संबंध में आयोग के समक्ष पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। आयोग ने यह भी निर्देष दिए हैं कि कुषवाह द्वारा वांछित अभिलेख न दिए जाने पर उनके विरूध्द कानूनन कार्यवाही कर आगामी सुनवाई में आयोग को अवगत कराएं। आगामी सुनवाई 3/2/16 को होगी।

यह है मामला:

मुरैना जिले के रामस्वरूप सिंह द्वारा 19 फरवरी 2014 को सूचना के अधिकार के तहत लोक सूचना अधिकारी/सचिव, ग्राम पंचायत मृगपुरा रामनिवास कुषवाह से चाही गई ग्राम पंचायत में संचालित योजनाओं से संबंधित जानकारी प्रदान नहीं की गई । मामले में प्रथम अपील करने के बाद भी न जानकारी दिलाई गई और न ही अपीलीय अधिकारी का कोई आदेष प्राप्त हुआ। अपीलार्थी द्वारा उक्त संबंध में राज्य सूचना आयोग में अपील करने पर आयोग ने सुनवाई कर यह फैसला सुनाया।

संजय भारद्वाज "आइसना" के छिंदवाड़ा जिला संयोजक नियुक्त

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"आइसना" के छिंदवाड़ा जिला / तहसील इकाई का गठन शीघ्र किया जाना है.

देश में पत्रकारों का सबसे बड़ा संगठन "आल इंडिया स्माल न्यूज़ पेपर्स एसोसिएशन" (आइसना) की छिंदवाड़ा जिला और तहसील स्तर में इकाइयों का गठन किया जाना है। संगठन के विस्तार हेतु श्री संजय भारद्वाज जी को "आइसना" छिंदवाड़ा जिला संयोजक नियुक्त किया गया है. श्री संजय भारद्वाज पिता स्व श्याम सुन्दर भारद्वाज, छिंदवाड़ा म.प्र. वर्तमान में न्यूज 24 जिला क्राइम रिपोर्टर है.

छिंदवाड़ा के पत्रकार साथी सदस्यता प्राप्त करने हेतू आमन्त्रित हैं।सदस्यता हेतू योग्यता प्रमाणपत्र, प्रेस द्वारा जारी परिचय पत्र, दो रंगीन फोटो, सहित संपर्क कर सदस्यता लें सकते है।

छिंदवाड़ा में सदस्यता प्राप्त करने हेतु पत्रकार साथी श्री संजय भारद्वाज जी "आइसना" छिंदवाड़ा इकाई के "संयोजक" से सम्पर्क कर सकते है -
आप सभी हमारे श्री संजय भारद्वाज जी को शुभकामनाएं दे सकते है.

श्री संजय भारद्वाज जी का सम्पर्क न.
+919755304195
*************
17/01/2016
भोपाल.
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव (आइसना)
+91 9893221036
±91 9009844445
 ई-मेल: timesofcrime@gmail.com

बच्चों के पेट के कीड़ों को मारने की खिलाएंगे दवा

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राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस आगामी 10 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दिवस पर 1 से 2 वर्ष, तथा 2 से 19 वर्ष तक के सभी स्कूली बच्चों व आंगनवाड़ी केन्द्र में कृमि नाशक दवाई बच्चों को खिलाई जायेगी.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि यह गोली बच्चों के पेट में होने वाले कीड़े (कृमि) से बचाता है. उन्होंने बताया किं प्रत्येक आंगनवाड़ी केन्द्र, स्कूलों में साथ ही शाला त्यागी बच्चों को 10 फरवरी को एल्बेंडाजोल गोली एक साथ खिलाई जायेगी. इसके लिए ब्लॉक स्तर पर भी आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, ए.एन.एम., शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा.
कार्यशाला में मनीष शर्मा ने कृमिनाशक से होने वाले प्रतिकूल प्रभावों के बोरे में बताया किं कृमि होने से बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास में वृद्धि अवरूद्ध हो जाती है. कृमि कई कारणों से बच्चे के पेट पहुंच सकते है जैसे- नंगे पैर खेलने, बिना हाथ धोये खाना खाने, खुले में शौच करने, साफ सफाई ना रखने से होते है.
कृमि होने से खून की कमी (एनीमिया), कुपोषण, भूख न लगना थकान और बेचैनी, पेट में दर्द मिलती, उल्टी और दस्त आना, मल से खून आना, आदि हानिकारक प्रभाव पड़ते है.
बच्चों को कृमि नाशक देने से खून कमी में सुधार आना, बेहतर पोषण स्तर, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद, स्कूल और आंगनवाड़ी केन्द्रों में उपस्थिति तथा सीखने की क्षमता में सुधार लाने में मदद करता है.

Friday, January 15, 2016

बीवी मल्लिकार्जुनैय्या आईएफडब्लूजे के अध्यक्ष बने

सेवा में,

सभी वर्किंग कमेटी सदस्य, राष्ट्रीय परिषद के सदस्यगण, समस्त प्रदेशों के अध्यक्ष व महामंत्री और आईएफडब्लूजे के सम्मानित सदस्यों,



प्रिय साथियों,

आईएफडब्लूजे संविधान की धारा 53 के तहत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए संगठन की वर्किंग कमेटी ने बीवी मल्लिकार्जुनैय्या को इंडियन फेडरेशन अफ वर्किंग जर्नलिस्ट का अंतरिम अध्यक्ष चुना है। के विक्रम राव को हटाए जाने के चलते बीवी मल्लिकार्जुनैय्या का चुनावआवश्यक हो गया था।

इससे पूर्व के विक्रम राव को आईएफडब्लूजे के सचिव (उतर क्षेत्र) श्री हेमंत तिवारी ने 22 दिसंबर, 2015 को एक कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था। हालांकि वह किसी तरह का स्पष्टीकरण देने में विफल रहे। एसा माना जा रहा है कि उनके पास देने के लिए कोई स्पष्टीकरण न हो और वर्किंग कमेटी के पास न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत का पालन करने के बाद भी उन्हें अध्यक्ष पद से हटाने और मल्लिकार्जुनैय्या को अंतरिम अध्यक्ष चुनने के अलावा कोई विकल्प नही था।

श्री मल्लिकार्जुनैय्या कन्नड़ पत्रकारिता का एक जाना माना नाम है। वह लंबे समय तक केयूडब्लूजे के अध्यक्ष रहे और उन्होंने कनार्टक में आईएफडब्लूजे के कई सम्मेलन आयोजित किए हैं। अभी उनके पास आईएफडब्लूजे के वरिष्ठ उपाध्यक्ष का पद था। कई देशों की यात्रा कर चुके, विद्वान, सुसंस्कृत, निष्ठावान, ट्रेड यूनियन राजनिति के माहिर और कुशल संगठनकर्त्ता श्री मल्लिकार्जुनैय्या की इस पद पर चुने जाने से निसंदेह संगठन को नयी ऊर्जा मिलेगी।

श्री मल्लिकार्जुनैय्या ने आईएफडब्लूजे के चुनावों के तुरंत बाद होने वाले प्रतिनिधि सत्र तक के लिए अधोहस्ताक्षरी को प्रधान महासचिव पद पर कार्य करने की अनुमति दी है।

गौरतलब है कि श्री विक्रम राव को अनगिनत फरजीवाड़े करने और अपना चुनाव विधिसम्मत तरीके से न कराने व अध्यक्ष पर गैर कानूनी व मनमाने तरीके से तीन दशक से ज्यादा समय से काबिज रहने के आरोप सही साबित हुए हैं।

विक्रम राव को राष्ट्रीय व अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर व कई मंचो पर आईएफडब्लूजे को अपमानित करने व नीचा दिखाने का जिम्मेदार पाया गया है। आप सभी को मालूम है कि विक्रम राव की धोखाधड़ी, फरजीवाड़े, ठगी के चलते इंटरनेशनल आर्गेनाइजेशन आफ जर्नलिस्ट (आईओजे) ने आईएफडब्लूजे को बाहर निकाल दिया था। विक्रम राव ने आईओजे की ओर से बेरोजगार व प्रताड़ित पत्रकारों की मदद के लिए दी गयी प्रिंटिंग प्रेस को अपने निजी व्यवसाय के लिए इस्तेमाल कर 100 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि कमायी। विक्रम राव का पुत्र उक्त प्रिंटिंग मशीन को अपने व्यवसाय में इस्तेमाल करता रहा है।

इसके अलावा विक्रम राव ने पत्रकारों को विदेश यात्राएं कराने के नाम पर लाखों रुपये और सम्मेलनों में ली जाने वाली कैंप फीस जो करोड़ों में है, को भी हड़प कर लिया है। यह सिलसिला बरसों से चला आ रहा था।

साथियों जल्दी ही वर्किंग कमेटी के वृहत स्वरुप में एक बैठक उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में होगी जिसमें आईएफडब्लूजे के चुनाव कार्यक्रम को निर्धारित किया जाएगा। तब तक श्री बीवी मल्लिकार्जुनैय्या आईएफडब्लूजे के अध्यक्ष के रुप में कार्यरत रहेगे।

आईएफडब्लूजे की वर्किंग कमेटी ने विगत तीन दशकों में गैरकानूनी तरीके से संगठन के नाम पर हड़पे गए पैसों की वसूली के लिए विधिक कारवाई शुरु करने का भी फैसला किया है।


सधन्यवाद


सदैव आपका


परमानंद पांडे

प्रधान महासचिव, आईएफडब्लूजे

मुठभेड़ में 4 वर्दीधारी नक्सली ढेर

मौके से बंदूक एवं चाईना मेड हेंडग्रेनेड बरामद
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जगदलपुर, 15 जनवरी। छत्तीसगढ़ की बीजापुर जिला पुलिस ने आज सुबह हुयी मुठभेड़ में चार वर्दीधारी नक्सलियों को मार गिराया। मृत नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। मौके से बंदूक, हेंड ग्रेनेड समेत भारी मात्रा में नक्सली सामग्री का जखीरा जब्त किया गया है।

बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी ने बताया कि बीजापुर एसपी कन्हैया लाल धु्रव को खुफिया सूत्रों से यह जानकारी मिली थी कि आवापल्ली थाना क्षेत्र के कमकानार एवं पेद्दाजोजेर गांव के मध्य जंगल में बड़ी संख्या में नक्सली किसी बड़ी वारदात के फिराक में छिपे हुए हैं। फौरन ही एसपी ने एक कारगर रणनीति बनायी और पुलिस का संयुक्त बल रवाना किया गया, जिसने योजनाबद्ध तरीके से इलाके की घेराबंदी शुरू कर दी। पुलिस की मौजूदगी भांपकर नक्सली गोलीबारी करने लगे। जवाबी कार्रवाई में पुलिस बल ने मोर्चा संभालते हुए फायरिंग की। लगभग एक घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद अंतत: नक्सलियों के पैर उखड़ गए और वे घने जंगल और पहाड़ी की आड़ लेकर भाग गए।

उन्होंने बताया कि घटनास्थल की सर्चिंग के दौरान चार वर्दीधारी नक्सलियों के शव बरामद किए गए हैं, जिनकी शिनाख्त की जा रही है। घटनास्थल से 4 भरमार बंदूक, 4 चाईना मेड हेंडग्रेेनेड, पि_ू, बैनर, पोस्टर, नक्सली साहित्य, दवाईयां, गोला-बारूद, डेटोनेटर, बिजली के तार, बैटरी, एवं भारी मात्रा में दैनिक उपयोग की सामग्रियों का जखीरा बरामद किया गया है।

बीजापुर पुलिस की साल में तीसरी बड़ी सफलता

श्री कल्लूरी ने बीजापुर पुलिस की सराहना करते हुए कहा कि बीजापुर पुलिस का नए साल में यह तीसरा सफल आपरेशन है, जिसके लिए एसपी केएल धु्रव एवं उनकी समूची टीम बधाई के पात्र हैं। उन्होंने बताया कि विगत 6 जनवरी को आवापल्ली एलओएस कमांडर कोडिय़ामी कमला को ढेर कर दिया गया था, जिसके कब्जे से रायफल बरामद की गयी थी। इसी प्रकार 11 जनवरी को बीजापुर एएसपी कल्याण एलेसेला के नेतृत्व में महाराष्ट्र पुलिस के साथ चलाए गए संयुक्त आपरेशन में, इंद्रावती पार्क दलम की दो महिला कमांडरों को मारने में सफलता मिली थी। मौके से इंसास रायफल, मैग्जिन, भरमार बंदूक एवं बड़ी मात्रा में नक्सली सामान जब्त किया गया था।  

IAS की धमकी के बाद हरकत में आई पुलिस, कंडक्टर को किया गिरफ्तार

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छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी अजीत वसंत के चोरी गए गहनो के मामले में दरभंगापुलिस ने गुरूवार को नीरजा ट्रैवल्स के कंडक्टर हीरा सिंह को खगड़िया के बेला सिमरी से गिरफ्तार कर लिया. हालांकि हीरा ने खुद को निर्दोष बताया. इस मामले मेंपुलिस को अब ट्रैवल्स के खलासी की तलाश है जो कि फरार है.बता दें कि आईएएस अजीत 23 अक्तूबर 2015 को पत्नी रूपल ठाकुर के साथ अंधराठाढ़ी से पटना जा रहे थे. इसी दरम्यान दरभंगा बस स्टैंड पर उनका बैग चोरी हो गया था. उसमें उनकी पत्नी के गहने थे. इस संबंध में उन्होंने दरभंगा के विवि थाना में केस दर्ज़ कराया था.

आईएएस ने इस संबंध में बिहार सरकार से भी न्याय की गुहार लगाई थी. लेकिन करीब तीन महीने बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने आगामी 20 जनवरी को दरभंगा एसएसपी के समक्ष धरना पर बैठने का एलान कर दिया था. उसके बाद पुलिस हरकत में आई.पुलिस को अब बस के खलासी की तलाश है. आईएएस अजीत मूल रूप से मधुबनी के अंधराठाढ़ी के निवासी हैं. वे छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव के मोहला में एसडीएम के पद पर तैनात ह

Thursday, January 14, 2016

अखबार मालिकों की गुंडई और दुस्साहस पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कई आदेश दिए

Toc News
मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में अदालत ने अखबार मालिकों की गुंडई और दुस्साहस को संज्ञान लेते हुए वकीलों को निर्देश दिया कि वे वेज बोर्ड मांगने के कारण अखबारों से निकाले गए या ट्रांसफर किए गए या किसी रूप में प्रताड़ित किए गए मीडियाकर्मियों के डिटेल दाखिल करें. मीडियाकर्मियों के वकीलों के तर्क को अदालत ने गंभीरता से सुनने के बाद रजिस्ट्री को कहा कि राज्यों से जो रिपोर्ट मंगाई गई है उसे वकीलों को अधिकृत रूप से मुहैया कराया जाए ताकि वो अध्ययन करके रिपोर्ट अपना पक्ष प्रस्तुत कर सकें और उसी पक्ष में मीडियाकर्मियों के साथ हो रहे नकारात्मक व्यवहार का उल्लेख करें.

अदालत ने पूरे मामले की अगली सुनवाई के लिए छह हफ्ते बाद आने को कहा. इसके अलावा एक अन्य बड़ा डेवलपमेंट ये रहा कि मजीठिया मामले में जो केस नंबर एक है, दैनिक जागरण के कुछ कर्मियों से जुड़ा, उसके वकील अब परमानंद पांडेय नहीं होंगे. उनकी जगह कर्मियों ने कालिन गोंजाल्विस को वकील नियुक्त किया है. चर्चा है कि दैनिक जागरण के अन्य कर्मी भी परमानंद पांडेय को अपने वकील के रूप में न रखने को लेकर सक्रिय हैं और जल्द ही कोई बड़ा डेवलपमेंट हो सकता है.

सुप्रीम कोर्ट मे मंगलवार को मजीठिया मामले की जब सुनवाई हुई तो सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रंजन गोगई ने देश भर के अखबारो में मजीठिया वेज बोर्ड लागू नहीं करने पर न सिर्फ नाराजगी जताई बल्कि पत्रकारों के दुखों को अदालत के संज्ञान में लाने के लिए वकीलों से कहा. वकीलों ने बहस के दौरान कोर्ट के बताया कि अदालत द्वारा दिए गए समय के भीतर कई राज्यों ने मजीठिया वेज बोर्ड के इंप्लीमेंटेशन पर स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं की है. इस कारण पूरा मामला टलता जा रहा है और मीडियाकर्मियों का उत्पीड़न किया जा रहा है. जस्टिस गोगई ने पीड़ित पत्रकारों को दो सप्ताह में एडिशनल एफिडेविट पेश करने को कहा. साथ ही सभी राज्यों को भी आदेश दिया कि वो दो सप्ताह में रिपोर्ट पेश करें. मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी

अपर कलेक्टर आलोक श्रीवास्तव को किया संघ की सदस्यता से निलंबित

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छिदवाडा कलेक्टर महेश चन्द्र चौधरी का आडियो वायरल करने वाले SDM आलोक श्रीवास्तव के विरुद्ध राजपंत्र अधिकारी संघ ने की कार्यवाही संघ से किया निलंबित।

राज्य प्रशासनिक सेवा संघ ने छिंदवाड़ा में पदस्थ अपर कलेक्टर आलोक श्रीवास्तव को संघ की सदस्यता से निलंबित कर दिया है। संघ द्वारा इस मामले में सूचना जारी की गई है।
संघ की आज दिनांक 13 जनवरी को सम्पन्न आपात बैठक में आजीवन सदस्य Shri Alok Shrivastav ( LTM no. 19981107) को अनुशासनहीनता के कारण संघ की सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निलम्बित करने का निर्णय सर्व सम्मति से लिया गया.

सूचना आयुक्त मिंज को आरटीआई कार्यकर्ताओ ने सौपा ज्ञापन।

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महासमुंद। जिले के एक दिवसीय प्रवास पर मंगलवार 12 जनवरी को बसना पहुचे मुख्य सूचना आयुक्त सरजियस मिंज से भेंटकर आरटीआई कार्यकर्ता संघ ने उन्हें ज्ञापन सौंपकर उसमें निहित मांगो को पूर्ण किये जाने की बात कही। आरटीआई कार्यकर्ता संघ के प्रदेष उपाध्यक्ष सौरभ गोयल के नेतृत्व में संघ के सदस्य विनोद दास, प्रकाष सिन्हा, षीत गुप्ता, मनहरण सोनवानी, धरमू निषाद, जफर उल्ला खान, संतोष बेहेरा सहित अन्य कार्यकर्ताओ ने जिले के सभी विभाग के जन सूचना एवं प्रथम अपील अधिकारियो को मय कलक्टर सहित सूचना के अधिकार की विषेष कार्यषाला लगाकर सूचना के अधिकार की विस्तृत और इस अधिनियम की अनिवार्यता के बारे में जानकारी और गंभीरता से इसका पालन के निर्देष दिये जाने की मांग रखी। संघ के कार्यकर्ताओ ने मुख्य सूचना आयुक्त से कहा कि जब प्रषासनिक तंत्र को भ्रष्टाचार की ट्रेनिंग नही दी जाती तो पर भी आये दिन भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो रहे है जिससे बचने के लिए कुछ गैर जिम्मेदार अफसरो द्वारा सूचना के मौलिक अधिकार का हनन किया जा रहा है। जिसके बाद ज्ञापन सौंपकर जिले के जिस जनसूचना अधिकारी के विरूद्ध प्रथम अपील के मामले बढ़ रहे है उन्हें तत्काल जनसूचना अधिकारी के पद से हटाया जाने व जनसूचना अधिकारी पर अधिनियम की धारा 20-2 के तहत अनुषासनात्मक कार्रवाई किये जाने की मांग रखी गई। मुख्य सूचना आयुक्त को सौंपे गये ज्ञापन में आरटीआई कार्यकर्ता संघ की ओर से व्हिसल ब्लोअर एक्ट का कड़ाई से पालन किये जाने का निर्देष दिये जाने की मांग के साथ गौरव अग्रवाल विरूद्ध 24013-39 2013 सीएसआर 111 दिनांक 14 जून 2013 के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेष तहत सभी जिला पुलिस अधीक्षको एवं थाना प्रभारियों को सूचना के अधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के कडे़ निर्देष दिये जाने की मांग रखी। वहीं सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत द्वितीय अपील में दोषी जन सूचना अधिकारी के साथ प्रथम अपीलीय अधिकारी पर भी अधिनियम की धारा 20-2 के तहत कार्रवाई किये जाने की मांग रखते हुए सूचना के अधिकार पर जनसूचना एवं प्रथाम अपील अधिकारियों द्वारां बरती जा रही लापरवाही के मामलो में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त
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✅कलक्टर ने मांगा मार्गदर्षन...!
दरअसल सूचना के अधिकार के तहत बसना निवासी विनोद दास द्वारा कलेक्टर कार्यालय में जिला कलक्टर कार्यालय में जिला षिक्षा अधिकारी महासमुंद द्वारा लिपिक/लेखापाल बैकुंठ कुमार प्रधान प्रकरण में सौंपा गया विभागीय अभिमत दस्तावेज की सत्यापित छायाप्रति एवं उक्त प्रकरण में विभागीय अभिमत मिलने के बाद जिला कलक्टर द्वारा किये गये कार्यवाही की नोटषीट/आर्डरषीट की प्रमाणित सत्यापित छायाप्रति की मांग की गई है। जिसके बाद कलक्टर ने आवेदक को ‘‘तत्संबध में जानकारी दी जा सकती है अथवा नही‘‘ लिखा पत्र भेजकर षिक्षा सचिव से मार्गदर्षन प्रदान करने का उल्लेख किया हैै। इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सूचना के अधिकार में भ्रष्टाचार से जुडे मामले में जानकारी दिये जाने की मांग करने पर एक आरटीआई कार्यकर्ता को किस कदर परेषान किया जाता है। इसका यह केवल उदाहरण मात्र है। आरटीआई कार्यकर्ता संघ ने मुख्य सूचना आयुक्त से मुलाकात के दौरान इस बाबत जानकारी के साथ अधिनियम की छायाप्रति देकर इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। इस दौरान मुख्य सूचना आयुक्त के साथ जिला पंचायत सीईओ पुष्पेन्द्र मीणा एवं सरायपाली एसडीएम गौरव कुमार सिंह भी मौजूद थे।

वार्तालाप टेप कांड : अपर कलेक्टर श्री श्रीवास्तव निलंबित

Toc news @ Chhinwada
छिन्दवाडा/ 13 जनवरी 2016/
जबलपुर संभाग के कमिश्नर श्री गुलशन बामरा द्वारा कर्तव्य निर्वहन के दौरान मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 के अधीन कदाचरण की श्रेणी में आने पर मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 (क) के अंतर्गत अपर कलेक्टर छिन्दवाड़ा श्री आलोक श्रीवास्तव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में श्री श्रीवास्तव का मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय बालाघाट रहेगा तथा उन्हे निलंबन अवधि में नियमानुसार निर्वाह भत्ता देय होगा। यह कार्यवाही कलेक्टर श्री महेशचंद्र चौधरी के प्रतिवेदन पर अपर कलेक्टर श्री आलोक श्रीवास्तव द्वारा छिन्दवाडा में कर्तव्य निर्वहन के दौरान स्थानीय क्लब में अनाधिकृत पार्टी  कार्यक्रम किये जाने जिसमें मदिरापान की अस्थाई अनुज्ञप्ति प्राप्त नही करने और भुगतान के लिये अधिकारियों पर दबाव डालने, शासकीय वार्तालाप को टेप करके सोशल मीडिया पर अपलोड करने और कर्तव्य से अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने पर श्री श्रीवास्तव का यह कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 के अधीन कदाचरण की श्रेणी में आने पर की गई है।

Wednesday, January 13, 2016

अब पत्रकारों का दमन नही कर पायेगी पुलिस

Toc news
प्रेस काउंसिल ने राज्य सरकारों को चेताया...
पत्रकार नही है भीड़ का हिस्सा l पत्रकारों के साथ बढ़ती ज्यादती और पुलिस के अनुचित व्यवहार के चलते कई बार पत्रकार आजादी के साथ अपना काम नही कर पाते है
उसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए निर्देश भी दिया है कि पुलिस आदि पत्रकारों के साथ बदसलूकी ना करे...। पत्रकार भीड़ का हिस्सा नही है...। किसी स्थान पर हिंसा या बवाल होने की स्थिति में पत्रकारों को उनके काम करने में पुलिस व्यवधान नही पहुँचा सकती। पुलिस जैसे भीड़ को हटाती है वैसा व्यवहार पत्रकारों के साथ नही कर सकती।
ऐसा होने की स्थिति में बदसलूकी करने वाले पुलिसवालों या अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया जायेगा...।
काटजू ने कहाँ कि जिस तरह कोर्ट में एक अधिवक्ता अपने मुवक्किल का हत्या का केस लड़ता है पर वह हत्यारा नही हो जाता है। उसी प्रकार किसी सावर्जनिक स्थान पर पत्रकार अपना काम करते है पर वे भीड़ का हिस्सा नही होते। इस लिए पत्रकारों को उनके काम से रोकना मिडिया की स्वतंत्रता का हनन करना है
सभी राज्यों को दिए

निर्देश
 प्रेस काउन्सिल ने देश के केबिनेट सचिव, गृह सचिव, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिवों व गृह सचिवों को इस सम्बन्ध में निर्देश भेजा है... और उसमे स्पष्ट कहा है कि पत्रकारों के साथ पुलिस या अर्द्ध सैनिक बलों की हिंसा बर्दाश्त नही की जायेगी...। सरकारे ये सुनिश्चित करे की पत्रकारों के साथ ऐसी कोई कार्यवाही कही न हो। पुलिस की पत्रकारों के साथ की गयी हिंसा मिडिया की स्वतन्त्रता के अधिकार का हनन माना जायेगा जो उसे संविधान की धारा 19 एक ए में दी गयी है। और इस संविधान की धारा के तहत बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मी या अधिकारी पर आपराधिक मामला दर्ज होगा।

Tuesday, January 12, 2016

अनेक अनियमितताएं पाई गई हैं पैरामेडिकल कॉलेज में

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देवास / राधे पैरामेडिकल कॉलेज में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितता की अनेक शिकायतें हैं।  शिकायत पाए जाने पर कलेक्टर द्वारा राधे पैरामेडिकल देवास की वर्ष 2013-14 की छात्रवृत्ति की जांच हेतु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व देवास अध्यक्षता में निरीक्षण दल का गठन किया गया था। दल में सदस्यों में मुख्य स्वास्थ्य एवं जिला चिकित्सा अधिकारी देवास, सहायक संचालक पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण तथा जिला संयोजक आदिम जाति, अनुसूचित जाति कल्याण देवास को बनाया गया है।
आदिम जाति कल्याण विभाग देवास द्वारा राधे पैरामेडिकल कॉलेज देवास का निरीक्षण किया गया था। निरीक्ष्ज्ञण के दौरान अनेक तरह की अनियमितताएं पाई गई थ्ज्ञी। उक्त निरीक्षण के दौरान जांच में पाया गया कि संस्था द्वारा समिति का पंजीयन, अनुमति/संबंद्धता, प्रवेशित छात्रों की वर्गवार जानकारी, शुल्क वितरण, छात्रवृत्ति खाता/ बैंक स्टेटमेंट, भवन संबंधी जानकारी नियुक्त स्टॉफ की सूची सहित संबंधित पत्रों की मूल प्रतियां प्रस्तुत नहीं की गई तथा छाया प्रतियां लिखित जानकारी देने से इनकार किया गया।
जांच में पाया गया कि संस्था प्रमुख द्वारा संस्था का समय सुबह 10 से 5 बजे तक का बताया गया। निरीक्षण दिनांक को अनूसूचित जाति वर्ग का एक छात्र तथा एक छात्रा की ही उपस्थिति मिली। जबकि संस्थान ने अनेक छात्र छात्राओं का प्रवेश बताया गया था।  प्रमुख द्वारा बताया गया कि प्रवेशरत छात्र-छात्राओं का पंजीयन सह चिकित्सा परिषद में अभी नहीं कराया गया।
नहीं मिली ऑरिजनल टीसी
संस्था में प्रवेश हेतु ऑरिजनल टीसी का उपलब्ध होना जरूरी है। ताकि कोई फर्जी एडमिशन नहीं हो सके। जबकि संस्था में निरीक्ष्ज्ञण के दौरान अनेक छात्र-छात्राओं की ऑरिजनल टीसी नहीं मिली। संस्था अभिलेख में अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों के स्थानांतरण प्रमाण पत्र देखे गए। टीसी के अभिलेख की उपलब्धता के आधार पर मोहनलाल मांगीलाल बछानिया की टीसी की अभिलेख मूल प्रति नहीं पाई गई, डुप्लीकेट नहीं पाई गई, छायाप्रति नहीं पाई गई। महेंद्रसिंह रामसिंह की टीसी की अभिलेख में मूल प्रति नहीं पाई गई, डुप्लीकेट नहीं पाई गई, छायाप्रति पाई है। विद्यार्थी सुभाष बिसनलाल मालवीय की टीसी की अभिलेख की उपलब्धता में मूल प्रति नहीं, डुप्लीकेट पाई गई, छायाप्रति नहीं पाई गई। इस प्रकार संध्या दिलीप मालवीय की टीसी की अभिलेख में उपलब्धता नहीं पाई गई, डुप्लीकेट पाई गई है  तथा छाया प्रति नहीं पाई गई है। उक्त छात्र-छात्राओं की टीसी की प्रमाणित छाया प्रतियों की एक-एक प्रति उपलब्ध कराने को कहा गया किंतु निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक की उपलब्ध नहीं कराई गई है तथा न ही कार्यालय को भेजी गई है। प्रशासन द्वारा पैरामेडिकल जैसे संवेदनशील शैक्षणिक संस्थान में पूरी गुणवत्ता के साथ ही संचालन के निर्देश दिए गए हैं।

स्थानांतरित इंजीनियर निपटा रहे हें काले कारनामे

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छतरपुर / जिले की महराजपुर नगर पालिका के इंजीनियर महेश असाटी आज फिर कार्यालय में बैठ कर अपने पुराने कारनामो को निपटाने में जुटे रहे । इन उपयंत्री महोदय का १५ दिन पहले रायसेन जिले की उदयपुरा नगर पंचायत के लिए स्थानांतरण हो गया है । उदयपुरा जाने के पहले वे अपने दस्तावेजों को दुरुस्त करने में जुटे हैं । इस गंभीर मसले पर उन्हें नगरीय निकाय के वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओ का संरक्षण मिला हुआ है ।
आर टी आई एक्टिविस्ट खेमराज चौरसिया ने बताया की असाटी जी की मिली भगत से महराजपुर नगर पालिका में बड़े पैमाने पर घोटाले हुए हैं । जिसकी जानकारी मांगने पर परिषद ने जानकारी भी नहीं दी ॥ परिषद ने 22 साल बाद कबाड़ नीलाम किया । ८ दिस १५ को नीलाम किये गए इस कबाड़ में वह सामान भी बेच दिया गया जो लिस्ट में था ही नहीं । लाखों का माल सिर्फ साढे तीन लाख में बेच दिया गया ॥ स्टोर में पिछले पांच सालों की गई खरीद फरोख्त की जानकारी 2700 रु जमा कराने के बाद भी परिषद द्वारा नहीं दी जा रही है ॥ उपयंत्री असाटी ने नगर में सड़कों के निर्माण , और टंकी निर्माण और अन्य निर्माण कार्यों में व्यापक भ्रस्टाचार किया है । अब उसी को कागजो में ठीक करने के लिए वे अब स्थानांतरण के बाद भी काम कर रहे हैं ।
इस मामले पर जब सागर के उप संचालक नगरीय निकाय एन के जैन से पूंछा गया तो उन्होंने बताया की हमे जैसे ही यह जानकारी लगी है हमने तत्काल वहां के सी एम ओ को निर्देशित किया है की वो तत्काल रिलीव करे ।

आर टी आई कार्यकर्ता और पत्रकार को पीटा फिर दर्ज कराया मामला

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मध्य  प्रदेश में आर टी आई के माध्यम से  प्रदेश के  भ्रस्ट व्यवस्था पर लगाम लगाने वाले  ये लोग अब सुरक्षित नहीं हैं । अधिकारियों  और नेताओं की आँख की किरकिरी बने ये आर टी आई कार्यकर्ता आये दिन तरह तरह की परताणना के शिकार हो रहे है । ऐसा ही एक मामला  छतरपुर जिले से सामने आया है । जहा एक साकार और आर टी आई कार्यकर्ता खेमराज चौरसिया को पीटा गया बाद मे  उसी के खिलाफ मामला दर्ज कर  अब जेल भेजने की तैयारी परशासन कर रहा है ।

वी ओ /  खेमराज चौरसिया ने हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार के  300 करोड़ के घोटाले को उजागर किया था । इसके अलावा वह  छतरपुर जिले में  162 करोड़ रुपये की लागत वाली सड़क निर्माण के घोटाले को उजागर किया था ।पिछले कुछ समय से महराजपुर नगर पालिका में हो रहे बड़े पैमाने पर घोटाले को लेकर  उसने सूचना के अधिकार के तहत मामला उजागर करने का प्रयास किया था । नगरपालिका ने  जानकारी तो दी नहीं  उलटे खेमराज चौरसिया को बुरी तरह से पीटा गया । मामले की रिपोर्ट कराने जब वह थाना पहुंचा तो उसकी रिपोर्ट दर्ज नही की गई । बाद मे नगर पालिका के सी एम ओ वसंत से रिपोर्ट लिखवाकर खेमराज चौरसिया के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है । अब पुलिस  उसे फरार बता कर अपनी पीठ टोक रही है ।

घूसखोर कृषि विस्तार अधिकारी गिरफ्तार

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 खरगोन। लोकायुक्त पुलिस ने कृषि विस्तार अधिकारी हबीब खान को 2600 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. इंदौर लोकायुक्त पुलिस ने देवकी नंदन यादव की शिकायत पर खरगोन जिले के करही में कार्रवाई करते हुए हबीब खान को रिश्वत राशि के साथ धरदबोचा.

हबीब खान ने खेतों में सिंचाई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले स्प्रिंकलर सेट का अनुदान देने के एवज में यह रिश्वत मांगी थी. किसानी से जुड़े देवकी नंदन ने रिश्वत देने के बजाए सीधे लोकायुक्त पुलिस को इसकी शिकायत कर दी.

शिकायत की तस्दीक के बाद लोकायुक्त पुलिस ने कार्रवाई करते हुए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत कृषि विभाग के इस रिश्वतखोर अफसर को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, कार्रवाई पूरी होने के बाद हबीब खान को निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया.

म.प्र. जनसंपर्क विभाग अधिमान्यता घोटाला : एक ही परिवार के 17 लोगों की अधिमान्यता

मुख्यमंत्री के साले की भी थी इसी अखबार से मान्यता
- मामला एक ही परिवार के 17 लोगों की अधिमान्यता का
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इन दिनों मुरैना, ग्वालियर व अन्य जगहों से प्रकाशित दैनिक अखबार "हिन्दुस्तान एक्सप्रेस" से जुड़े 17 लोगों को जनसम्पर्क विभाग के द्वारा दी गई अधिमान्यता को लेकर समाचार सुर्खियों में है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस अखबार के माध्यम से एक समय प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह के भाई संजय चौहान की भी मान्यता इसी समाचार पत्र से थी और जिस समाचार पत्र से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले जुड़े हों, उस अखबार को विज्ञापन और अन्य सुविधाओं के साथ-साथ मनचाही अधिमान्यता न देने का तो जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों की हिम्मत नहीं है और ऐसे में उसी अखबार से मध्यप्रदेश खनिज विकास निगम के पूर्व उपाध्यक्ष गोविंद मालू और संघ के नेता अरविंद कोटेकर, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा के करीबी उदय अग्रवाल की भी अधिमान्यता हो तो प्रदेश के इस तरह की राजनैतिक हस्तियों के समाचार पत्र से जुड़े रहने से यह बात तो साफ हो जाती है कि प्रदेश का कोई भी बड़े से बड़े अधिकारी की कोई जुर्रत हो सकती है कि वह इस समाचार पत्र को कोई दी जाने वाली सुविधा को रोक सके, यही नहीं जहां मुख्यमंत्री के साले इस समाचार पत्र से जुड़े हों और पूर्व सांसद अशोक अर्गल का इस समाचार पत्र के प्रधान संपादक चंद्रप्रकाश शिवहरे से दोस्ताना हो ऐसे में इन हस्तियों के सामाचार पत्र से और उसके प्रधान सम्पादक से जुड़ाव होने के कारण इन दिनों उक्त समाचार पत्र से 17 अधिमान्यताओं को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस बवाल के साथ ही कुछ और चर्चाएं इन दिनों लोग चटकारे लेकर करते देखे जा रहे हैं, जहां तक शराब किंग शिवहरे के व्यापारिक ठिकानों पर पड़े छापे के दौरान मिले दस्तावेज और डायरियों को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं आम हैं, हालांकि इसका खुलासा कुछ दिनों बाद होगा कि इस समूह से किन-किन प्रदेश और देश के राजनेताओं का जुड़ाव है और कौन अधिकारी इस कारोबार में सहभागी हैं, संजय सिंह के इस समाचार पत्र समूह से जुड़ाव होने के  कारण चर्चाओं का बाजार गर्म है।

हालांकि इस मामले में जैसा कि जनसम्पर्क के अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि पत्रकारों को अधिमान्यता देने के मामले में जनसम्पर्क विभाग द्वारा बनाई गई अधिमान्यता कमेटी की सिफारिश पर ही पत्रकारों को अधिमान्यता दी जाती है, फिर वह कमेटी चाहे पत्रकारों को जिला स्तर या राज्य स्तर की अधिमान्यता की सिफारिश करे इस कमेटी की सिफारिश के बाद ही जनसम्पर्क विभाग द्वारा पत्रकारों को अधिमान्यता दी जाती है सवाल यह उठता है कि जिस अधिमान्यता कमेटी के सदस्यों द्वारा इस समाचार पत्र के माध्यम से जिन लोगों को अधिमान्यता देने की सिफारिश की गई क्या उन्हें अधिमान्यता के नियमों की जानकारी नहीं है, जबकि जनसम्पर्क विभाग द्वारा होने वाली इस तरह की मीटिंगों के दौरान जो दस्तावेज उन्हें उपलब्ध कराये जाते हैं उनमें अधिमान्यता नियमों की एक कापी भी साथ में लगी होती है, यह उल्लेखनीय है कि जनसम्पर्क विभाग द्वारा उन्हीं पत्रकारों को अधिमान्यता दी जाती है जो श्रमजीवी की श्रेणी में आते हैं, जबकि ना तो जब इस समाचार पत्र से मुख्यमंत्री के साले की अधिमान्यता थी वह ना तो श्रमजीवी थे और ना पत्रकार और आज जिन लोगों की अधिमान्यता को लेकर समाचार सुर्खियों में वह लोग भी श्रमजीवी नहीं हैं, लेकिन कमेटी द्वारा पता नहीं क्यों और किसके दबाव पर या किस कारण ऐसे लोगों को जो जिनका श्रमजीवी से दूर-दूर का वास्ता नहीं, उन्हें अधिमान्यता देने की सिफारिश पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, भले ही इन दिनों बवाल हिन्दुस्तान एक्सप्रेस के माध्यम से दी गई 17 अधिमान्यताओं को लेकर समाचार सुर्खियों में हो, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी मध्यप्रदेश जनसम्पर्क विभाग द्वारा जिन पत्रकारों को अधिमान्यता दी गई है उनमें से अधिकांश ना तो श्रमजीवी पत्रकार हैं लेकिन ऐसे कई लोगों को अधिमान्यता दी गई है जिनमें वकील, डॉक्टर भी शामिल हैं।बात यदि अधिमान्यता की करें तो पंचर जोडऩे वाले और आटो चलाने वालों के पास भी जनसम्पर्क की अधिमान्यता है और वह धड़ल्ले से उस अधिमान्यता का दुरुपयोग करते नजर आते हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि  जनसम्पर्क द्वारा बनाई गई अधिमान्यता समिति के सदस्य क्या अपने दायित्वों का सही निर्वहन कर रहे हैं।

Sunday, January 10, 2016

शिवहरे के यहां ग्वालियर क्षेत्र में 20 ठिकानों पर की गई छापामार कार्यवाही में से 13 जगहों पर कार्यवाही पूरी

आयकर विभाग की इन्वेस्टीगेशन विंग की ओर से शराब कारोबारी लल्ला शिवहरे और लक्ष्मीनारायण शिवहरे के यहां ग्वालियर क्षेत्र में 20 ठिकानों पर की गई  छापामार कार्यवाही में से 13 जगहों पर कार्यवाही पूरी हो गई। सात ठिकानों पर कार्यवाही पूरी न होने से विभाग की टीमों ने उन जगहों को सील कर दिया

शराब कारोबारियों ने कोई राशि सरेंडर नहीं की है लेकिन उनके एक साझेदार कासिम खां बाड़ा निवासी वेदप्रकाश गोयल ने पांच करोड़ रूपये सरेंडर की है। इस केस में विभाग द्वारा सरेंडर करने के लिये कोई दबाव नहीं बनाया गया है। क्योंकि मिले कागजातों की जांच पड़ताल से विभाग को बड़ी रकम मिलने की उम्मीद है।

कागजातों से भरा एक कमरा
शराब कारोबारी के जिन 13 ठिकानों से कागजातों की जप्ती हुई है उनकी तादाद इतनी हैं कि विभाग का एक पूरा कमरा भर गया है। इन सभी कागजातों की आयकर विभाग गैंग जांच पड़ताल करेगा। शराब लाॅबी की टैक्स चोरी और अन्य सम्पत्तियों की जानकारी भी मिल रही है।

डायरियों में मिले डेढ़ सौ अफसरों के नाम
लल्ला षिवहरे और पिंटू भाटिया के ठिकानों पर मारे गये छापे में सामने आई डायरियों की प्रारंभिक जांच में प्रदेष के कई एएस और आईपीएस सहित डेढ़ सौ अधिकारियों को रिष्वत दिये जाने की बात सामने आई है। इनमें से कई अधिकारियों का संबंध ग्वालियर और इंदौर से है। इन्हें षिवहरे एंड कंपनी द्वारा हर महीने एक तय रकम दी जा रही थी। अधिकारी की ग्रेड और पद के हिसाब से यह राषि 10 हजार और कहीं-कहीं उससे अधिक भी है।

प्रारंभिक जांच में आबकारी पुलिस टोल नांकों पर पदस्थ अधिकारी, कर्मचारी और जिला प्रषासन सेवा के डेढ़ सौ से ज्यादा अधिकारी, कर्मचारियों के नाम सामने आये हैं, जो एक तय राषि षिवहरे एंड कंपनी से ले रहे थे। आबकारी विभाग के निचले स्तर से उच्च अधिकारियों तक के नाम भी इस डायरी में हैं। टोल नांकों पर शराब पास कराने, फैक्ट्री से शराब बनने और बाहर भेजने तक के रास्ते में आने वाली हर चैकिंग वाली जगह पर रूपये दिये जाने की जानकारी भी डायरियों में दर्ज है।

यह राषि पांच हजार से लेकर लाखों तक है। शराब ठेकेदार ने खुद की कंपनियों में रूपये ट्रांसफर कर अघोषित आय को एक नम्बर में बदला है। इसके अलावा कोलकाता की ब्रीफकेस कंपनियों जिनके डायरेक्टर, स्टूडेंट्स, कर्मचारी या ऐसे लोग होते हैं, जिनका कोई बजूद नहीं होता। ऐसी कंपनियों को खरीदना और बेचना दिखाने के लिये पैसे का इस्तेमाल किया जाता है।

जीरो टीआरपी वाले चैनल्स पर मेहरबान हुआ जनसम्पर्क विभाग

मध्यप्रदेश में बड़ा चैनल घोटाला
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मध्यप्रदेश में इन दिनों बड़ा चैनल घोटाला चर्चा में है, जिसकी अंतरकथा व्यापमं से जोड़कर देखी जा रही है।  खबर यह है कि वर्ष 2012 से उन चैनल्स पर मेहरबानी की गई जो अधिकांश जीरो टीआरपी पर हैं या बंद पड़े हैं, जबकि बड़े चैनल्स अपने प्राइम टाइम के समाचारों के विज्ञापन के लिए तरस रहे हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी की पसंद दूरदर्शन को छह अंकों की राशि में भी शामिल नहीं किया गया है। कुल 150 करोड़ के इस घोटाले में उन चैनल मालिकों की भी पौ बारह हो गयी, जो या तो जेल में बंद हैं या उन पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं.

दरअसल मध्यप्रदेश विधानसभा में 8 दिसम्बर 2015  को कांग्रेस विधायक बाला बच्चन  ने तारांकित प्रश्न क्रमांक 288 के माध्यम से सरकार से यह जानकारी मांगी, तब से मध्यप्रदेश के राजनैतिक और प्रशासनिक हलकों में मीडिया मैनेजमेंट और चैनल घोटाले की चर्चाओं को पर लग गए हैं। मध्यप्रेश शासन के जनसम्पर्क विभाग के प्रमुख सचिव एसके मिश्रा ने आज मंत्रालय  में इस घोटाले की जाँच के आदेश दिए हैं दूसरी ओर कांग्रेस इस मुद्दे को व्यापमं से जोड़कर भुनाना चाहती है। कांग्रेस के नेताओं ने इसे मीडिया मैनेजमेंट में जनधन लुटाने और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को खरीदने का सीधा-सीधा आरोप सरकार पर लगाया है.

मध्य प्रदेश सहारा समय को 12 करोड पचास लाख रुपये की राशि दी गयी है वहीं ईटीवी मध्यप्रदेश को 13 करोड़ और ईटीवी उर्दू को लगभग 1 करोड़ की राशि दी गए है। मध्यप्रदेश के ही चैनल बंसल न्यूज़ को 11 करोड़ 57 लाख , साधना न्यूज़ मध्यप्रदेश को 8 करोड 78 लाख रुपये की राशि विज्ञापनों के नाम पर बाँट दी गयी है. जबकि देश के प्रधानमंत्री की सर्वाधिक पसंद और शासकीय समाचारों के अधिकृत चैनल दूरदर्शन को  मात्र 8 लाख में संतोष करना पड़ा है।

लोकल चैनल आपरेटर हैथवे इंदौर को 50 लाख , सुदर्शन न्यूज़ को 14 लाख ,सिटी केबल को 84 लाख ,टाइम्स नाउ को 1 करोड़ 39 लाख , एबीपी न्यूज़ को 12 करोड 76 लाख , ज़ी मीडिया को 6 करोड़ 10 लाख, सीएनबीसी आवाज को 6 करोड़ 50 लाख , इंडिया न्यूज़ को 8 करोड 68 लाख , एनडीटीवी को 12 लाख 84 हजार, न्यूज़ वर्ल्ड को 1 करोड 28 लाख रुपये , भास्कर मल्टिनेट को 6 लाख 95 हजार , सेंट्रल इंडिया डिजिटल नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड को 1 करोड़ 41 लाख की राशि लुटाई गयी है.

अपराधिक छवि वाले संचालकों पर भी कृपा

सरकार का जनसम्पर्क महकमा मध्यप्रदेश की जनता का पैसा लुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। जिन चैनल्स को विज्ञापनों के नाम पर करोड़ों रुपये दिए गए हैं, उनमें से अधिकांश चैनल के मालिक या तो जेलों में बंद हैं या उनके विरुद्ध वारंट निकले हुए हैं। मसलन पी 7 के संचालक केसर सिंह पर आर्थिक अपराध के कई मामले चल रहे हैं। उनके बंद पड़े चैनल को सरकारी खजाने से 76 लाख रुपये की राशि दी गई हैं.

चिटफंड कंपनी साईं प्रसाद मीडिया लिमिटेड के चैनल को 23 करोड़ 33 लाख रुपये दिए गए हैं। जिसमें कंपनी ने दो बार कंपनी और चैनल का नाम बदला। सूत्र बताते हैं  कि चैनल के मालिक भापकर मुंबई जेल में बंद हैं।  खबर भारती , भारत समाचार और स्टेट न्यूज़ को क्रमश: 9 करोड़, 45 लाख और 1 करोड़ से नवाजा गया है। जबकि जो चैनल गर्भ में ही है उसे भी 1 लाख अग्रिम रूप से दे दिए गए हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती प्रोडक्शन हाउस निकिता फिल्म्स को चैनल की आड़ में 61 लाख रुपये की रेवड़ी बांटी गयी है।  कई नेशनल चैनल्स के स्टेट ब्यूरो भी इस घोटाले की आड़ में भारी भरकम राशि लेकर उपकृत हुए हैं। इस घोटाले की सूची बहुत लम्बी है, जिसे लिखने और पढ़ने में काफ़ी समय लगेगा, इसलिए चुनिंदा नाम ही यहां दिए गए हैं।  

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने पूरे मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा है कि  " देश की आजादी में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ यानि मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन लोकतंत्र के मूल्यों को भ्रष्टाचार से बचाने का प्रतिबिम्ब मीडिया भी इस्तेमाल हो गया है.

मध्यप्रदेश शासन के जनसम्पर्क विभाग के प्रमुख सचिव एस के मिश्रा ने राज्य में हुए चैनल घोटाले के उजागर होने के बाद अब संपूर्ण मामले की जाँच करवाने के आदेश दिए हैं। कुल मिलाकर मध्यप्रदेश की राजनीति में अब चैनल घोटाला सुर्खियां बटोर रहा है। ऐसे में सरकार की छवि बनाने वाले विभाग जनसम्पर्क के साथ ही राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री की परेशानी बढ़ गई  है।

व्यापम की बुझती लौ में भड़केगी 100 करोड़ के विज्ञापन घोटाले की चिंगारी..........

मध्यप्रदेश मे एक और करोड़ो का घोटाला
फिर से तलवार लटकी सीएम शिवराज पर मीडियाकर्मी भी संदिगद्ध अवस्थाओ मे अब एक एक कर होंगे गायब, साधना न्यूज़, बंसल और etv का भी नाम।
Present by - Toc News
इंदौर : व्यापम घोटाले के बाद मध्यप्रदेश में एक ऐसा घोटाला सामने अाया है जिसने देश के चौथे स्तंभ को हिलाकर रख दिया. विज्ञापन घोटाला जिसे व्यापम घोटाले से जोड़कर आंका जा रहा है. इसका खुलासा होते ही प्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया. 8 दिसंबर 2015 को जब कांग्रेस विधायक बालबच्चन ने विधानसभा सत्र के दौरान जनसम्पर्क विभाग के मंत्री राजेंद्र शुक्ला ( जो की ऊर्जा मंत्री भी है ) से ताराकित प्रश्न क्रमांक 288 के माध्यम से जानकारी मांगी तो इस घोटाले की परते उधड़ने लगी, और तब से ही मध्यप्रदेश के राजनैतिक और प्रशासनिक हलकों में मीडिया मैनेजमेंट और चैनल घोटाले की चिंगारी भड़कने लगी. जानकारी में मालूम पड़ा की साल 2012 में सरकार ने धड़ल्ले से उन चैनल पर मेहरबानी की जो अधिकतर जीरो टीआरपी वाली है या फिर बंद पड़ी हुई है. जबकि कई बड़े चैनलों को विज्ञापन का भोग भी नही लगा. इतना ही नही जिस चैनल को पीएम मोदी की पसंद कहा जाता है, दूरदर्शन को 6 अंको की राशी भी नसीब नही हो पाई.

सरकार और मुख्यमंत्री के प्रचार के लिए जनसम्पर्क विभाग द्वारा आम आदमी की गाढ़ी मेहनत का तक़रीबन 100 करोड़ से भी अधिक पैसा धड़ल्ले से परोसा गया. इस बात के उजागर होते ही प्रदेश के पत्रकारों के कान खड़े हो गए. जनसम्पर्क विभाग की रहमत उन चैनल मालिको पर भी बरसी जो जेल की हवा खा रहे है या फिर वे अपराधिक मामले में संलिप्त है. बताया यह भी जा रहा है की ऐसे लोगो को भी विज्ञापन मिले है जो भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस से ताल्लुख रखते है जो सिर्फ सरकारी विज्ञापन लेने के लिए पत्रकार बन गए है. जब इस घोटाले का बवंडर मचने लगा तो जनसम्पर्क विभाग के प्रमुख सचिव एस के मिश्रा ने जांच के आदेश दे दिए. वही दूसरी तरफ प्रमुख विपक्षी कांग्रेस इस मामले के तार व्यापम से जोड़कर सरकार को घेरने में लग गई है. कांग्रेस के नेताओं ने प्रदेश सरकार पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को खरीदने का आरोप लगाया है.

अब आपको बताते है की बालबच्चन द्वारा प्रश्न क्रमांक 288 के बारे में जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक मध्य्रपदेश के सहारा समय को 12 करोड 50 लाख रुपये परोसे गए. वहीँ E tv मध्यप्रदेश को करीब 13 करोड़ और E tv उर्दू को करीब 1 करोड़ की राशी परोसी गई है, मध्यप्रदेश के स्थानीय चैनल बंसल न्यूज़ को 11 करोड़ 57 लाख, साधना न्यूज़ मध्यप्रदेश को 8 करोड 78 लाख रुपये विज्ञापनों के नाम पर परोस दिए गए है. जबकि देश के प्रधानमंत्री का सबसे चहेता और शासकीय समाचारों का अधिकृत चैनल दूरदर्शन को महज 8 लाख रुपए ही दिए गए. लोकल चैनल आपरेटर हाथ वे इंदौर को 50 लाख ,सुदर्शन न्यूज़ को 14 लाख ,सिटी केबल को 84 लाख ,Times now को 1 करोड़ 39 लाख , ABP News को 12 करोड 76 लाख , ज़ी मीडिया को 6 करोड़ 10 लाख, CNBC आवाज को 6 करोड़ 50 लाख , INDIA News को 8 करोड 67 लाख , NDTV को 12 लाख 84 हजार, न्यूज़ वर्ल्ड को 1 करोड 28 लाख रुपये , वही भास्कर मल्टिनेट के मालिक सुधीर अग्रवाल को 7 लाख, सेंट्रल इंडिया डिजिटल नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड को 1 करोड़ 41 लाख की रकम परोसी गई.

अपराधिक मामलो में संलिप्त संचालकों पर लुटाया आम आदमी का पैसा-

जनसम्पर्क विभाग ने आम आदमी का पैसा लूटने में उन लोगो के साथ भी कोई कसर नही छोड़ी जिन चेनलो के मालिक जेल में बंद है या फिर उन पर अपराधिक मुक़दमे दायर है. साथ ही ऐसे लोग भी है जिनके संबंध भाजपा या आरएसएस से है, उन्हें करोडो रुपए परोस दिए गए है. आपको बता दे की P 7 चैनल के संचालक केसर सिंह पर आर्थिक अपराध के कई मुक़दमे दायर है और उनकी बंद पड़ी चैनल को सरकारी खजाने से 76 लाख रुपये की राशी परोसी गई है. साथ ही साथ चिटफंड कंपनी साईं प्रसाद मीडिया लिमिटेड के चैनल को 23 करोड़ 33 लाख रुपये दिए गए हैं. बता दे की यह वही कंपनी है जिसने दो बार अपनी कंपनी और चैनल का नाम बदला था. सूत्रों के हवाले से इस चैनल के मालिक भापकर मुंबई जेल में बंद हैं. खबर भारती, भारत समाचार और स्टेट न्यूज़ को क्रमशः 9 करोड़, 96 लाख और 1 करोड़ रुपए परोसे गए.

जबकि हाल ही में शुरू हुए दबंग डी लाइव को 1 लाख अग्रिम रूप से दे दिए गए हैं , जनसम्पर्क विभाग की रहमत यही पर खत्म नही हुई प्रोडक्शन हाउस निकिता फिल्म्स को चैनल की आड़ में 51 लाख रुपये परोस दिए गए. देश के चौथे स्तंभ की सियासत में इस बवंडर के आने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर हमला बोलते हुए कहा उन्होंने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को खरीदने का प्रयास किया है जिससे की वह व्यापम घोटाले और डम्पर घोटाले से बच सके. मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाले की बुझती लौ के बीच मिडिया घोटाले की चिंगारी भड़कने लगी है जिसके बाद से ही प्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान पर संकट की तलवार लटकी हुई है.

बैतूल सर्किट हाऊस से लेकर पूजा स्वीट्स तक में मिला प्रदुषित पीने का पानी !

Toc News @ Betul
बैतूल से रामकिशोर पंवार की खास रिर्पोट
बैतूल, मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में जहां एक पूरा गांव हेडपम्प के पीने के पानी से अपने मुॅंह से निकलने वाली
दुर्गंध से परेशान है वहीं परेशानी वाली बात तो अब जिला मुख्यालय पर आ गई है कि यहां का पीने का पानी अपने मानक मापदण्ड से कितने नीचले स्तर पर जा पहुंचा हैै। सरकारी सर्किट हाऊस से लेकर बैतूल गंज तक के पूजा स्वीट्स हाऊस तक में परोसा जाने वाला पानी आम आदमी के शरीर को अनेको बिमारियों की सौगात देने के साथ - साथ जहरीला हो गया है। भोपाल से आई मध्यप्रदेश आइसना के प्रदेश महासचिव विनय जी डेेविड की तीन सदस्यीय टीम ने बैतूल नगर का विभिन्न स्थानो का पीने का पानी का परीक्षण अपने साथ लाए उपकरण से किया जिसमें यह पाया गया कि वह पानी कितना अशुद्ध है। बैतूल गंज में कृषि विभाग के एक एसडीओ  के सामने रखे गिलास के पानी का परीक्षण किया गया तो वे स्वंय हक्का - बक्का रह गए। बैतूल गंज में पूजा स्वीट्स के सामने लोगो की भीड जमा हो गई कि आखिर माजरा क्या है। जब लोगो ने अपनी आंखो से पूजा स्वीट्स की दुकान में लगे टयूबवेल के पानी का परीक्षण करके दिखाया तो पानी मौजूद तत्व जो लोगो की जान के साथ खिलवाड करते है वे साफ नंगी आंखो से दिखाई देने लगे। जहां एक ओर बैतूल गंज में आइसना के प्रदेश महासचिव विनय जी डेविड एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी सतीश सिंह पानी का परीक्षण कर रहे थे वहीं दुसरी ओर सर्किट हाऊस बैतूल में आइसना के प्रदेश सचिव रामकिशोर पंवार सर्किट हाऊस में एक नम्बर , व्ही आई पी कमरे में मंत्री से लेकर संत्री तक को परोसे जाने वाले पीने के पानी का परीक्षण कर रहे थे। श्री पंवार ने इस मामले में लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग के एक अधिकारी ललवानी से जब इस बारे में चर्चा की तो उनका जवाब काफी चौका देने वाला एवं शर्मसार था । कुछ देर बार विभाग के मुखिया विजयवर्गीय से बातवीत की तो उन्होने घटना पर दुख जताते हुए क्षमा मांगी और तत्काल पानी के सेम्पल का जांच करने के लिए विभाग की टीम को भेजा। इधर पीडब्लयूडी विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी सर्किट हाऊस के प्रदुषित जल के मामले की शिकायती मिलने पर दौडे चले आये। जहां पर उन्हे सर्किट हाऊस में लगा जल शुद्धिकरण यंत्र बंद पडा मिला। पूरे मामले की जानकारी लोक निमार्ण मंत्री तक पहुंचने में देर नहीं लगी। इधर प्रदेश के लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव ने बैतूल में पीने के पानी के परीक्षण के बाद उसके जहरीले होने की जानकारी मिलने पर भोपाल से जल्छ एक टीम बैतूल भेजने की बात कहीं। बैतूल जिला मुख्याालय पर आम आदमी से लेकर खास आदमी तक यदि जहरीला पानी पी रहे है तब ऐसे में आधे बैतूल को पीने का शुद्ध पानी की केन , बाटल, पाऊच सप्लाई करने वाले ज्योति चिल्ड वाटर से लेकर सांई चिल्ड वाटर सहित अन्य सभी नामचीन शुद्ध पेयजल की पूर्ति करने वालो की सप्लाई किये गए जल का भी परीक्षण किया गया जिसे देखने केे बाद लोगो के होश उड गए। बैतूल जिला मुख्यालय पर लोगो में जागरूकता लाने के लिए आइसना द्वारा चलाई जा रही शुद्ध जल की मुहीम के तहत बैतूल में दो दर्जन से अधिक लोगो के स्वंय टयूबवेलो एवं नगरीय निाकय के द्वारा की जा रही जल आपूर्ति के जल का भी परीक्षण किया गया जिसमें वह भी जंक एवं अन्य वैक्टेरिया से मिश्रीत पाया गया। आज बैतूल की एक साल पूर्व चुनी गई नगर पालिका परिषद की वर्षगांठ पर बैतूल का जल पीने योग्य न पाये जाने पर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी अपना पक्ष रखने को सामने नहीं आया।  इधर बैतूल गंज में पूजा स्वीट्स के प्रदुषित जल के मामले में आइसना की टीम को डराने - धमकाने का कुत्सीत प्रयास किया गया और जब उसमे उन्हे सफलता नहीं मिली तो टीम को प्रलोभन देने के लिए कुछ लोगो को भेजा भी गया लेकिन आइसना के प्रदेश महासचिव एवं मीडिया प्रभारी ने बताया कि लोगो के स्वास्थ के साथ खिलवाड नहीं किया जाएगा। रेस्टोरेंट एवं होटलो स्वंय के लगे टयूबवेल के जल को शुद्धिकरण करके ही लोगो को देने के नियम कानून बने हुए है। यदि जो व्यक्ति या संस्था इसका उल्लघंन करते हुए पाये जाते है तो उसके कानूनी कार्रवाई तथा होटल को सील करने अधिकार खाद्य एवं औषिधी नियंत्रक विभाग जिला मुख्य चिकित्सालय बैतूल के पास होते है। इस मामले मे सीधी शिकायत प्रदेश सरकार को किये जाने के बाद पूरे मामले में तूल पकडने की पूरी संभावनाए दिखाई दे रही है।

दिनेश शर्मा एवं विक्रम सिंह "आइसना" बैतूल जिला इकाई के संयोजक और राज मालवीया जिला मिडिया प्रभारी नियुक्त

दिनेश शर्मा एवं विक्रम सिंह "आइसना" बैतूल जिला इकाई के संयोजक और राज मालवीया जिला मिडिया प्रभारी नियुक्त

"आइसना" के बैतूल जिला / तहसील इकाई का गठन शीघ्र किया जाना है.

बैतूल. देश में पत्रकारों का सबसे बड़ा राष्ट्रीय स्तरीय पत्रकार संगठन "आल इंडिया स्माल न्यूज़ पेपर्स एसोसिएशन" (आइसना) की बैतूल जिला और तहसील स्तर में इकाइयों का गठन किया जाना है। संगठन के विस्तार हेतु दिनेश शर्मा एवं विक्रम सिंह को "आइसना" बैतूल जिला इकाई का संयोजक नियुक्त किया  है. राज मालवीया समय जगत को आइसना जिला मिडिया प्रभारी नियुक्त किया गया है. आज बैतूल सर्किट हाऊस में हुई बैठक में मनोनित किया गया, बैठक में आइसना प्रदेश महासचिव विनय डेविड, वरिष्ठ पत्रकार कैलाश गुप्ता, आइसना प्रदेश सचिव राम किशोर पंवार, पत्रकार सतीश सिंह इडिण्या 24x7, अजय शर्मा लोक आह्वान, क्षेत्रपाल शर्मा जेके न्यूज एवं आइ एन एन, संजीव डाफरे राष्ट्रीय हिन्दी मेल, पवन मालवीय शब्द संग्राम, सुनील भूसारी राष्ट्रीय हिन्दी मेल, राजू खान, राजेश द्विवेदी, आनन्द सोनी बैतूल हलचल, सौरभ वर्मा, मिन्टू सिंह, दिलीप घोरे मौजूद थे.

बैतूल जिले के पत्रकार साथी सदस्यता प्राप्त करने हेतू आमन्त्रित हैं। सदस्यता हेतू योग्यता प्रमाणपत्र, प्रेस द्वारा जारी परिचय पत्र, दो रंगीन फोटो, सहित संपर्क कर सदस्यता लें सकते है।

बैतूल में सदस्यता प्राप्त करने हेतु पत्रकार साथी दिनेश शर्मा एवं विक्रम सिंह जी "आइसना" बैतूल  इकाई के "संयोजक" से सम्पर्क कर सकते है -

दिनेश शर्मा ( शहरी )
±91999355591
विक्रम सिंह ( ग्रामीण )
+918989708911
*************

भोपाल.
विनय जी. डेविड
प्रांतीय महासचिव (आइसना)
+91 9893221036
±91 9009844445
 ई-मेल: timesofcrime@gmail.com

पत्रकार मित्रों के लिए खास समाचार..

Toc News
पत्रकारों के लिए विशेष सुविधा, भारत के किसी भी पत्रकार चैनल / प्रिंट / सामाजिक साइट / वेब पोर्टल पत्रकारों के लिए ख़ास ,भारत सरकार सूचना विभाग ने जारी किया टोल फ्री नंबर 18001800303,इस नंबर पर पत्रकार सीधे दर्ज कर सकेंगे अपनी शिकायत,  13 जनवरी को करेंगे टोल फ्री नंबर का शुभारंभ..
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भोपाल राजधानी के इक्कीस थानों के थाना प्रभारी बदले

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भोपाल. राजधानी के इक्कीस थानों के थाना प्रभारी बदल दिए गए है। जबकि दो थाना प्रभारियों को लाइन भेजा गया है। एसएसपी रमन सिंह सिकरवार ने शनिवार को इसके आदेश जारी कर दिए है।
एमपी नगर टीआई सूर्यकांत अवस्थी, गौतम नगर टीआई मुख्तार कुरैशी, शाहपुरा टीआई आशीष धुर्वे, तलैया टीआई मनीष भदौरिया, श्यामला हिल्स टीआई नरेंद्र ठाकुर, मंगलवारा टीआई नीरज वर्मा, बैरसिया टीआई एसची लाडिय़ा, कोहेफिजा टीआई बीएल मंडलोई, नजीराबाद टीआई रमेश चौहान, खजूरी टीआई मदन यवने, छोला टीआई रूपेश दुबे, हनुमानगंज टीआई जीतेंद्र पाठक, बैरागढ़ टीआई सुधीर अरजरिया, रातीबड़ टीआई दीपा खरे, टीटी नगर टीआई दिनेश चौहान, कोलार टीआई सुदेश तिवारी, पिपलानी टीआई पकंज द्विवेदी, अशोक गार्डन टीआई मनीष मिश्रा, जहांगीराबाद टीआई प्रीतम ठाकुर, कमला नगर टीआई आशीष भïट्टाचार्य, हबीबगंज टीआई रवींद्र यादव को बनाया गया है। जबकि एमपी नगर टीआई राजकुमार सर्राफ व नजीराबाद थाना प्रभारी गौरव बुंदेला को लाइन भेजा गया है।
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चार टीआई को भेजा ट्रेफिक
मंगलवारा टीआई आरबीएस कुशवाहा, उपमन्यु सक्सेना, दीपक खत्री, रेणु मुराब, सारिका जैन को ट्रेफिक टीआई बनाया गया है।

Wednesday, January 6, 2016

प्रदेश में जैविक खेती को लेकर भ्रम की स्थित क्यों

Present by toc news
अवधेश पुरोहित
भोपाल। यूं तो प्रदेश में ऐसी कोई योजना नहीं है जिसको लेकर स्वयं राज्य सरकार से लेकर और उनके अधिकारियों के साथ-साथ जिस योजना का लाभ जिस हितग्राही को मिलना है उस तक भ्रम की स्थिति इस प्रदेश में बनी हुर्ई है, जहां तक सरकारी योजनाओं के सफलता के दावे की बात है तो सरकार की ओर से तरह-तरह के दावे भी किये जा रहे हैं, पिछले तीन वर्षों से प्राकृतिक आपदा झेल रहे किसानों की समस्या और उसकी समाधान को लेकर सरकार की ओर से तरह-तरह के दावे किये जा रहे हैं, लेकिन उन सभी दावों से भ्रम की स्थिति बनी हुई है और लोग इस खोज में लगेे हुए हैं कि आखिर सच कौन बोल रहा है, सरकार या देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या फिर राज्य के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन या विधानसभा में दिये गये सरकारी जानकारी के आंकड़े, इंदौर में आयोजित औद्योगिक समिट में पधारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश में हो रही जैविक खेती को लेकर जो भाषण दिया था उसमें यह कहा गया था कि राज्य में ४० प्रतिशत जैविक खेती की जा रही है और उन्होंने अपने भाषण के दौरान यह भी कहा था कि अन्य राज्यों को मध्यप्रदेश से प्रेरणा लेना चाहिए, पता नहीं इस प्रेरणा को लेकर उनका क्या उद्देश्य था। लेकिन जहां तक जैविक खेती का मामला है प्रदेश में २०११ में जैविक कृषि नीति लागू की गई इन पांच सालों में एक साल छोड़ दिया जाए तो शेष वर्षों में जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या दो अंकों में ही पहुंच पाई। एक ओर जहां देश के प्रधानमंत्री जैविक खेती को लेकर प्रदेश में ४० प्रतिशत होने का दावा करते हैं तो वहीं दूसरी ओर हाल ही में कांग्रेस के विधायक डॉ. गोविंद सिंह द्वारा हाल ही में सम्पन्न हुए सत्र के दौरान जैविक खेती के संबंध में पूछे गये प्रश्न के उत्तर में सरकार ने यह जानकारी दी कि राज्य में ५.१२ प्रतिशत जैविक खेती की जा रही है। तो वहीं दूसरी ओर राज्य के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन के हाल ही में दिये गये एक बयान में उन्होंने यह दावा किया कि राज्य में ४० प्रतिशत जैविक खेती की जाती है सवाल यह उठता है कि इस मामले में सही कौन, प्रधानमंत्री या सरकारी अफसरों द्वारा दिये गये विधानसभा में जानकारी या कृषि मंत्री, इससे तो यही जाहिर होता है कि जैविक खेती के मामले में सरकार भ्रम की स्थिति में है और कुछ भी आंकड़े प्रस्तुत करके पता नहीं किसको गुमराह करने में लगी हुई है। 

भ्रष्टाचार मुक्त मध्यप्रदेश के संकल्प के विज्ञापन की आश्यकता क्यों पड़ी?

Present by toc news
अवधेश पुरोहित
भोपाल। पिछले दिनों मध्यप्रदेश सरकार की ओर से एक विज्ञापन जारी किया गया जिसमें भ्रष्टाचार से मुक्त प्रदेश के संकल्प की ओर एक ठोस कदम की बात कही गई, सवाल यह उठता है कि आखिर भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन प्रदेश की जनता को देने के वायदे के साथ २००३ में यह सरकार सत्ता पर काबिज हुई, यदि दो मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती और बाबूलाल गौर के कार्यकाल को छोड़ दें तो प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार को ११ वर्ष होने को हैं, लेकिन रोजाना जिस तरह से प्रदेश के कर्मचारियों और अधिकारियों पर लोकायुक्त और विभिन्न जांच एजेंसियों द्वारा डाले जा रहे छापे के दौरान जिस पर भी छापे की कार्यवाही की जा रही है वह करोड़पति ही निकल रहा है तो वहीं दूसरी ओर प्रतिदिन लोकायुक्त की गिरफ्त में कभी बाबू तो कभी अधिकारी तो कभी पटवारी कोई ना कोई रिश्वत लेते धराये जा रहे हैं, मजे की बात यह है कि प्रदेश के भाजपा शासनकाल के दौरान स्थिति यह बन गई है कि छोटा कर्मचारी भी करोड़पति दिख रहा है, उस प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त कहने का प्रयास सरकार को क्या आईना दिखाने का काम नहीं है, सवाल यह भी उठता है कि आखिरकार प्रदेश के लोकप्रिय जनप्रिय दरिद्र नारायण की सेवा का संकल्प लेकर राजनीति में उतरे और प्रदेश के विकास के लिये अपनी रातों की नींद का त्याग कर प्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने का सपना संजोने में लगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस सपने के स्वर्णिम मध्यप्रदेश को आखिर  भ्रष्ट प्रदेश कहा किसने यह भी एक शोध का विषय है, सवाल यह भी उठता है कि आखिरकार इस तरह का विज्ञापन वी. पाली रस्तोगी के विभाग के द्वारा इस समय जारी करने की आवश्यकता क्या पड़ गई और यह बताने की आवश्यकता क्यों महसूस हुई कि भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के संकल्प की ओर कदम बढ़ा रहा है। इस विज्ञापन को लेकर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाओं का दौर जारी है और लोग इसे चटकारे लेकर यह कहते देखे जा रहे हैं कि अभी तक तो राज्य के लोगों को यह समझ में आ रहा है कि हमारा प्रदेश भ्रष्ट नहीं है लेकिन अब भ्रष्टाचार मुक्त संकल्प के विज्ञापन से यह साफ इशारा करता है कि प्रदेश में कहीं न कहीं भ्रष्टाचार पनप रहा है और सरकार अब इस सदी के १६वें साल में और अपने सत्ता के ११वें वर्ष में यह संकल्प ले रही है कि अब वह इस प्रदेश को भ्रष्टाचारमुक्त मध्यप्रदेश बनाने की ओर अग्रसर है, तो लोग यह कहते भी नजर आ रहे हैं कि इस तरह के संकल्प के स्लोगन के साथ सरकार की ओर से जारी इस विज्ञापन में यह भी संकेत मिल रहे हैं कि २००३ में भले ही सत्ता पर काबिज होने के समय भाजपा ने अपने जनसंकल्प में इस बात का दावा किया हो कि प्रदेश की जनता को भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देंगे वह तो शायद उमा भारती के नेतृत्व में लड़ा गया विधानसभा चुनाव के समय का था, लेकिन अब शिवराज सरकार भाजपा के २०११ के बाद एक नया वायदा इस प्रदेश की जनता के समक्ष इस विज्ञापन के माध्यम से करने जा रही है, देखना अब यह है कि यह सरकार की ओर से भ्रष्टाचार मुक्त मध्यप्रदेश के संकल्प की ओर ठोस कदम, यह संकल्पयुक्त विज्ञापन में दिया गया संदेश कितना ठोस होगा यह तो भविष्य बताएगा कि इस विज्ञापन के जारी होने के बाद मध्यप्रदेश में कितना भ्रष्टाचार कम हुआ है। 

Tuesday, January 5, 2016

चुनाव आयुक्त आर परशुराम पर भी भ्रष्ट आचरण का आरोप

Toc news
भोपाल। एक इंजीनियरिंग कॉलेज को गलत तरीके से जुर्माना राशि में छूट देने के मामले में जांच का सामना कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बाद अब आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग एवं पूर्व मुख्य सचिव आर परशुराम की भी शिकायत सामने आई है। शिकायत में एक नहीं दो कॉलेजों को अनाधिकृत फायदा पहुंचाने का उल्लेख किया गया है। आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) से की गई शिकायत के बाद अब फरियादी को बयानों के लिए बुलाया गया।

गौरतलब है कि आरकेडीएफ कालेज को अवैध तरीके से लाभ पहुंचाने के मामले में ईओडब्ल्यू ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया और आरकेडीएफ के संचालक सुनील कपूर के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के तहत अपराध दर्ज किया है। शिकायतकर्ता राधावल्लभ शारदा ने ईओडब्ल्यू को की गई लिखित शिकायत में आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री, मंत्री के साथ तत्कालीन प्रमुख सचिव आर परशुराम और डायरेक्टर भाटिया भी लिप्त हैं। इन्होंने आरकेडीएफ कालेज के साथ सत्यसांई शिक्षण संस्थान को भी इसी तरह लाभ पहुंचाया है। शारदा ने आरोप लगाया है कि शुरूआत में फाइल में आरकेडीएफ का नाम चलता रहा, बाद में अधिकारियों ने उसमें सत्यसांई का भी नाम जोड़ दिया। इस तरह एक कालेज की जगह दो संस्थानों से ढाई-ढाई लाख रुपए जुर्माना वसूला गया। उन्होंने तत्कालीन सीएम, मंत्री और कालेज संचालक के साथ अधिकारियों के भूमिका की जांच की मांग की.

Monday, January 4, 2016

तीन लाख की झांकी आठ लाख में बनवा रहा कृषि विभाग

Toc news
झांकी निर्माण के लिए अधिकतम लागत वाले टेंडर को दी स्वीकृति
डॉ नवीन जोशी
भोपाल।गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग झांकी तैयार करवा रहा है। इसके लिए बकायदा टेंडर बुलवाये गये, बुधवार को टेंडर की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई, लेकिन खास बात यह है कि तीन लाख की झांकी का आठ लाख रुपए की लागत से निर्माण कराया जा रहा है।
किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग भोपाल संभाग के संयुक्त संचालक कार्यालय द्वारा 23 दिसंबर से 30 दिसंबर के बीच निविदा बुलाई गई। इसी दिन बुधवार को दोपहर 2 बजे निविदा खोली गई। निविदा प्रक्रिया में पांच लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें संजय डिजाइनर ने 8 लाख 53 हजार,  लोटस डिजाइनर ने 8 लाख 85 हजार, डेकोफेयर ने 8 लाख 44 हजार,  गायत्री कंस्ट्रक्शन ने 8 लाख रुपए और आशिफ कंस्ट्रक्शन ने 3 लाख 30 हजार रुपए की दर लिफाफा टेंडर में भरा था। लेकिन विभाग ने गायत्री कंस्ट्रक्शन की दर को सबसे कम मानते हुए 8 लाख रुपए टेंडर जारी कर दिया।
आशिफ डेकोरेटर्स के आशिफ खान ने आरोप लगाया है कि पहले पांच टेक्निकल लिफाफे खोले गए, लेकिन बाद में दर वाले मात्र चार लिफाफे ही खोले गये। आशिफ कंस्ट्रक्शन का लिफाफा खोला ही नहीं गया। टेंडर प्रक्रिया में अधिकारियों ने गायत्री कंस्ट्रक्शन से मिलकर टेंडर उनसे नाम कर दिया। आशिफ का कहना है कि तीन अन्य झांकी निर्माताओं ने गायत्री कंस्ट्रक्शन को सपोर्ट कर दिया और टेंडर अधिकतम दर 8 लाख रुपए में दे दिया गया। नियमानुसार न्यूनतम दर वाले निर्माता को झांकी निर्माण का टेंडर मिलना था। अब विभाग के जिम्मेदार अफसर स्वयं को मामले से अनभिग्य बता रहे हैं।
निविदा पत्र में नहीं अनुभव समयावधि का उल्लेख: निविदा पत्र में पांच साल का अनुभव मांगा गया लेकिन बाद में अनुभव के लिए समयावधि निर्धारित कर दी गई। विभाग ने 2011 से 2015 के बीच पांच साल का कार्य अनुभव मांगा, लेकिन इस बात का निविदा पत्र में कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया। इससे अधिकांश झांकी निर्माता टेंडर नहीं डाल पाये। न ही न्यनतम दर वालों का टेंडर खोला गया।
2014 में भी गायत्री कांस्ट्रक्शन को मिला था टेंडर: पिछले वर्ष 2014 में भी गायत्री कंस्ट्रक्शन को ही टेंडर मिला था। उस समय साढ़े सात लाख रुपए की लागत से झांकी बनवाई गई थी। इस वर्ष भी इसी झांसी निर्माता कंपनी को आठ लाख रुपए का टेंडर दिया गया है।
इनका कहना है :
'संयुक्त संचालक एसएम बालपांडे ने गायत्री कंस्ट्रक्शन से मिलकर अधिकतम कास्ट आठ लाख रुपए में टेंडर जारी कर दिया। हमने तीन लाख तीस हजार रुपए की न्यनतम कास्ट का टेंडर डाला था लेकिन इसे खोला ही नहीं गया।Ó
                                                     - आशिफ खान, झांकी निर्माता, आशिफ डेकोरेटर
'मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। आप जेडी आफिस में संपर्क करें। वैसे न्यनतम कास्ट वाले को ही टेंडर दिया जाता है, अधिकतम कास्ट में टेंडर जारी किया गया है तो यह गलत है।Ó
                                                    - बीएस सहारे अपर संचालक, कृषि संचालनालय

कुक्कुट निगम के एमडी के विरुध्द मोर्चा
भोपाल।
कर्मचारी संगठनों ने मप्र कुक्कुट निगम के एमडी डा. एचबीएस भदौरिया के खिलाफ मोर्चा लिया है। दरअसल संचालनालय पशुपालन के अंतर्गत संचालित प्रक्षेत्रों यानी फाम्र्स को कुक्कुट निगम को हस्तांतरित किया जा रहा है। इसके विरोध में मप्र लघु वेतन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष जीवन सिंह बिष्ट, प्रांतीय पशु चिकित्सा विभागीय कर्मचारी समिति के अध्यक्ष महेन्द्र शर्मा एवं मप्र अजाजजा कर्मचारी संघ के सचिवदवराम जमरे तथा तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने सरकार को लिखित शिकायत की है कि उक्त हस्तांतरण आदेश निरस्त कर निगम के एमडी के विरुध्द जांच संस्थापित की जाये।

Sunday, January 3, 2016

भेल कस्तूरबा अस्पताल की लापरवाही चरम पर, मरचरी में चूहों ने डेड बॉडी को कुतरा

January 3rd, 2016 , toc news

भोपाल। एक हृदयविदारक घटना में भेल कस्तूरबा अस्पताल भोपाल की मरचरी में रखी एक महिला की डेड बॉडी को शनिवार – रविवार की दरमियानी रात चूहों ने कुतर दिया। कस्तूरबा अस्पताल की लापरवाही का पता उस समय लगा जब मृत महिला के अंतिम संस्कार के लिए उसके परिजन आज रविवार सुबह डेड बॉडी लेने आए। डेड बॉडी के चहरे पर चूहे द्वारा कुतरे जाने की जानकारी मिलते ही मृत महिला के परिजन भड़क उठे और उन्होनें कस्तूरबा अस्पताल में हंगामा कर दिया।

मृतक के परिजन कस्तूरबा अस्पताल के जिम्मेदार डॉक्टरों और दूसरे कर्मचारियों पर पुलिस में क्रिमिनल केस दायर करने कि मांग कर रहे थे। इंडिया वन समाचार को मिली जानकारी के अनुसार मृतक महिला जिसकी डेड बॉडी को चूहों ने कुतर दिया था वो भेल के एक रिटायर्ड कर्मचारी बलदेव की पत्नी थी। मृतक बलदेव के लड़के गुप्तेश्वर ने इंडिया वन समाचार को बताया कि उसकी मां की तबियत खराब होने पर सात दिन पहले कस्तूरबा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गड़िया बाई जो दमे से पीड़ित थी उसकी कल शनिवार रात दस बजे करीब मौत हो गई थी। गुप्तेश्वर ने आगे बताया कि मां की मौत के बाद उन लोगों ने डेड बॉडी अस्पताल की मरचरी में कल शनिवार देर रात रखवा दी थी। अपनी मां की डेड बॉडी के साथ हुए हादसे से व्यथित गुप्तेश्वर ने रोते हुए आगे बताया कि आज रविवार सुबह जब वह अपने परिजनों के साथ मां की डेड बॉडी लेने मरचरी गया तो उन लोगों ने देखा कि मरचरी का दरवाजा खुलते ही एक बड़ा चूहा मरचरी से निकलकर बाहर भागा।

जब गुप्तेश्वर की मां की डेड बॉडी बाहर लाई गई तो गुप्तेश्वर और उसके साथ आए परिजन यह देखकर सन्न रह गए कि गड़िया बाई के चहरे पर कई जगह किसी जानवर के कुतरने के निशान थे। गुप्तेश्वर के साथ आए उसके एक परिजन ने इंडिया वन समाचार को बताया कि चूहे के कुतरने की वजह से मृतक के चहरे पर घाव हो गए थे। मृतक महिला के बेटे ने आरोप लगाया कि उसकी मां की डेड बॉडी मरचरी से निकालने के समय ठंडी नहीं थी। उसने आरोप लगाया कि कस्तूरबा अस्पताल के मैनेजमेंट के लापरवाही के चलते ही उसकी मां की डेड बॉडी के साथ ये हादसा हुआ। कस्तूरबा अस्पताल के हेड मेडिकल सर्विसेज डॉ एके दवे ने मरचरी में चूहे के होने के आरोप से साफ इंकार किया है। डॉ. दवे ने इंडिया वन समाचार से बात करते हुए कहा कि मरचरी का टेम्परेचर दो डिग्री सेंटिग्रेड रखा जाता है। इस दो डिग्री टैम्परेचर में किसी चूहे का जिंदा रहा पाना मुमकिन नहीं है। मगर डॉ. दवे यह नहीं बता पाए कि डेड बॉडी के चहरे पर मरचरी में घाव कैसे हो गए। डॉ. दवे ने आश्वासन दिया कि अस्पताल मैनेजमेंट दुर्घटना की जांच कराएगी। गौरतलब है कि डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे कस्तूरबा अस्पताल की लापरवाही इतनी बढ़ गई है कि मरचरी में इस तरह कि घटनाएं पहले भी हो चुकी है। कस्तूरबा अस्पताल के एक कर्मचारी ने इंडिया वन समाचार को बताया कि कुछ साल पहले मरचरी के काम नहीं करने के कारण एक डेड बॉडी फूल गई थी। चूहे द्वारा डेड बॉडी को काटने की घटनाए पूर्व में भी हो चुकी है मगर अस्पताल मैनेजमेंट ने इनको रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठाए है। 

देश के लिए कुर्बान हुए शहीद लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन

एयर बेस हमले में शहीद हुए लेफ्टिनेंट कर्नल की शहादत को में " टाइम्स आॅफ क्राइम " सलाम करता है।
फोटो लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन

फोटो लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन
Toc news
पठानकोट (पंजाब): यहां वायु सेना के स्टेशन पर कल हुए आतंकी हमले के बाद आज एक ग्रेनेड विस्फोट हुआ, जिसमें एनएसजी के एक कमांडो की जान चली गई। कल के हमले में घायल सुरक्षाकर्मियों में से तीन ने कल रात अस्पताल में दम तोड़ दिया, जिससे इस दुस्साहसिक हमले में मरने वाले भारतीय सुरक्षाकर्मियों की संख्या सात हो गई है। गोलीबारी में चार हमलावर आतंकवादियों को मार गिराया गया।  लेफ्टिनेट कर्नल निरंजन एनएसजी के बम निष्क्रिय करने वाले दस्ते के सदस्य थे और आतंकी हमले के बाद के तलाशी अभियान के दौरान मिले एक ग्रेनेड को निष्क्रिय कर रहे थे।
 
इसी दौरान ग्रेनेड फटने से उनकी मौत हो गई। इस दौरान चार अन्य सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। रक्षा सूत्रों ने बताया कि केरल के रहने वाले निरंजन एक मृत आतंकवादी के शरीर से बंधे ग्रेनेड को निकालने की कोशिश करते हुए उसकी चपेट में आ गए। रक्षा सुरक्षा कोर (डीएससी) के तीन सदस्यों की कल रात अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। फिलहाल अस्पताल में जिन घायल सुरक्षा कर्मियों का इलाज किया जा रहा है उनमें डीएससी के आठ कर्मी और एक गरूड़ कमांडो शामिल है। 
 
इस बीच संयुक्त तलाशी अभियान अभी जारी है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि एनआईए ने आतंकी हमले की जांच का जिम्मा संभाल लिया है। पंजाब पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारी पुलिस महानिदेशक सुरेश अरोड़ा की अगुवाई में वहां मौजूद हैं।

पत्रकार लिमटी खरे से सिवनी पुलिस निकाल रही खुंनश

रविवार विशेष
2016 के पहले दिन की सौगात
(लिमटी खरे की जुबानी)

अभी बारह भी नहीं बजे थे। 31 दिसंबर को बिदाई देने सड़कों पर लोग उमड़ रहे थे। हम भी अपना कार्यालय बंद कर घर के रास्ते पर थे। रास्ते में जो कुछ हुआ वह जीवन का पहला अनुभव ही माना जा सकता है। सालों से नये साल में बहुत ज्यादा ज़श्न जैसा तो नहीं मनाते हैं पर 2016 के पहले ही क्षण पुलिस ने जो कुछ किया वह हमारे जीवन का सबसे काला क्षण ही माना जायेगा। हमने अपने जीवन में पहली बार इस तरह की ज़बरिया दादागिरी वाली कार्यवाही के चलते शर्मिंदगी और त्रास झेला है, जिसे एक गंदा सपना समझकर भुलाने की कोशिश अवश्य करूंगा, क्योंकि अधिकारी अधिकारी होते हैं, पुलिस पुलिस होती है, वे चाहें तो कभी भी किसी भी मोड़ पर किसी भी मामले में दो सेकेण्ड में उलझा सकते हैं। हमें अधिकारियों और पुलिस की कार्यवाही की चिंता नहीं है, पर हम इसका फैसला जनता जनार्दन पर ही छोड़ना चाहेंगे कि वे ही फैसला करें कि 33 साल के पत्रकारिता जीवन में हमने पीत पत्रकारिता की है अथवा सकारात्मक और विकासशील सोच के साथ एक पत्रकार के रूप में अपने दायित्वों को निभाया है। वैसे भी देश भर में पत्रकारों के साथ इस तरह की घटनाएं अब आम हो चुकी हैं। सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं की कहावत को मूल मंत्र मानते हुये हमारा प्रयास सत्य के लिये लड़ना ही रहा है, हो सकता है हम गलत रहे हों पर सत्य की राह छोड़ना हमने मुनासिब नहीं समझा।

0 तीन लोगों में से दो लोगों पर वह भी दो जिम्मेदार संपादकों पर जिनके खिलाफ कभी भी किसी भी पुलिस थाने में अब तक कोई भी अपराध पंजीबद्ध न हो के साथ, पुलिस अगर जरायमपेशा लोगों जैसा बर्ताव करती है तो इसे क्या उचित माना जा सकता है। अगर पुलिस के नगर पुलिस अधीक्षक जैसे वरिष्ठ अधिकारी से, अधीनस्थ कर्मचारी के द्वारा की गयी बदतमीज़ी की शिकायत अगर की जाये तो क्या यह अनुचित है?

0 इसके पहले 25 दिसंबर की रात को बाहुबली चौक पर यातायात पुलिस के रघुराज सिंह के द्वारा दैनिक हिन्द गजट के वाहन को रोका गया। इसके बाद जब मौके पर हम पहुंचे तब रघुराज सिंह द्वारा पांच सौ रूपये के चालान बनाने की बात कही गयी। हमने पांच सौ रूपये निकाल कर दिये, पर आज तक चालान नहीं मिल पाया। इसी बीच अन्य वाहनों को सगा सौतेला व्यवहार करते हुये राघुराज सिंह के द्वारा छोड़ा जाता रहा।

0 यातायात पुलिस को विशेष कैमरों से बहुत पहले ही लैस कर दिया गया है। इन कैमरों का उपयोग अब तक यातायात पुलिस के द्वारा क्यों नहीं किया गया है यह भी शोध का ही विषय माना जा सकता है। कैमरा अगर चालू कर कार्यवाही की जाती है तो इसमें पारदर्शिता की पूरी पूरी उम्मीद रहती है। यातायात पुलिस के द्वारा पारदर्शिता क्यों नहीं बरती जाती है, यह शोध का ही विषय माना जा सकता है।

0 इसी बात को हमारे द्वारा 31 दिसंबर और एक जनवरी की दर्म्यानी रात को नगर पुलिस अधीक्षक राजेश तिवारी को बताया गया था। पता नहीं उन्हें इसमें क्या आपत्तिजनक लगा कि उन्होंने मौके पर ही पुलिस की धाराओं का उल्लेख करते हुये हमें और दैनिक हिन्द गजट के संपादक को शातिर अपराधियों के मानिंद यातायात पुलिस के वाहन में बैठाकर पहले कोतवाली में ले जाकर बैठाया गया, फिर मुलाहजे़ के लिये ले जाया गया। बिना रक्त परीक्षण के ही चिकित्सक के द्वारा नगर निरीक्षक से मोबाईल पर बात कर लिख दिया जाता है कि दोनों नशे में नहीं हैं। फिर रात दो ढाई बजे तक कोतवाली में ही निरूद्ध कर बैठाया जाता है। उसके बाद बिना किसी कार्यवाही के ही छोड़ दिया जाता है।

0 समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया और दैनिक हिन्द गजट के द्वारा लगातार ही कोतवाली पुलिस के रवैये के बारे में विस्तार से खबरों का प्रकाशन किया जाता रहा है। नये कोतवाल शैलेष मिश्रा ने जैसे ही कोतवाली की कमान सम्हाली थी वैसे ही उन्होंने कोतवाली पुलिस को निकम्मी करार दिया था।

0 जब यह अखबार आपके हाथ में होगा तब तक घटना को घटे हुये 60 घंटे के लगभग बीत चुके होंगे। इस मामले में पुलिस ने आगे क्या कार्यवाही की है इस बारे में शायद ही कोई जानता हो। इन परिस्थितियों में क्या माना जाये? क्या यह सारा घटनाक्रम पूर्व नियोजित था? क्या पुलिस के खिलाफ खबरों के प्रकाशन और प्रसारण का खामियाज़ा दो संपादकों के द्वारा भुगता गया है। दोनों ही संपादकों के चाल चलन, आचार विचार, सकारात्मक और नकारात्मक सोच और मान प्रतिष्ठा के बारे में आम जनता से राय ली जाकर जिले के वरिष्ठ अधिकारी बेहतर तस्दीक कर सकते हैं।

0 क्या यह कार्यवाही समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया और दैनिक हिन्द गजट को चमकाने धमकाने के लिये की गयी थी? अगर यह मान भी लिया जाये कि कोई नशे में वाहन चला रहा है (वस्तुतः जैसा कि नहीं था) तो भी क्या शातिर अपराधियों के मानिंद उसे पुलिस की जीप में बैठाकर पहले कोतवाली ले जाया जायेगा, फिर उसे जघन्य अपराधियों की तरह कोतवाली में बैठाया जायेगा? फिर क्या दोबारा उसे पुलिस जीप में ले जाकर मनमाने तरीके से उसका मुलाहज़ा कराया जायेगा? देश प्रदेश में कानून नाम की चीज है अथवा हिटलरशाही ही हावी है कि जैसा अधिकारी के मन में आयेगा वैसा ही वह करेगा?

(31 दिसंबर और एक जनवरी की दर्म्यानी रात पुलिस और दोनों संपादकों के मध्य कुछ ऐसे वार्तालाप भी हुये हैं जिनका उल्लेख करना हम मुनासिब नहीं समझते हैं। हमारा उद्देश्य पाठकों के बीच पुलिस की खाकी वर्दी की छवि बिगाड़ने का कतई नहीं है, पर अगर ज्यादती हुयी है तो उसे हम जनता की अदालत में रखना अपना कर्त्तव्य समझते हैं)

देश भर में हो रही सिवनी पुलिस की कार्यवाही की निंदा

Toc  News
भोपाल, दिल्ली, उत्तराखण्ड में पत्रकारों ने की भर्त्सना

(नन्द किशोर)
भोपाल (साई)। नये साल के पहले दिन ही मध्य रात्रि को सिवनी पुलिस के द्वारा दो संपादकों के साथ किये गये व्यवहार की देश भर में निंदा का दौर आरंभ हो गया है। सोशल मीडिया व्हाट्सएप पर देश भर के विभिन्न मीडिया समूहों में इस घटना की भर्त्सना कड़े शब्दों में की जाकर, इसकी जांच की मांग की जा रही है।

अपने जमाने की चर्चित पत्रिका रही माया के मध्य प्रदेश ब्यूरो रहे वरिष्ठ पत्रकार चंदा बारंगल लिखते हैं कि राजेश तिवारी जैसे पुलिस अफसर एमपी पुलिस पर कलंक हैं। हम सब साथ हैं . . .ये समूची बिरादरी का अपमान है। उन्होंने लिखा है कि लिमटी भाई हम आपके साथ हैं।

भोपाल के ही एम.के. विजयवर्गीय लिखते हैं कि डीजीपी सुरेंद्र सिंह7049100001 से मामले की बात की जाये एवं संबंधित तमाम पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी पर कानूनी कार्यवाही हो। भोपाल में बैठे तमाम अखबार के संपादक इस मामले को एकजुटता के साथ उठायें। उन्होंने आगे लिखा है कि सिवनी की घटना प्रदेश के पत्रकार जगत के लिये प्रदेश पुलिस विभाग की नाकाबिलियत का नमूना है।

भोपाल के एक समूह में भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार कैलाश गुप्ता लिखते हैं - लिमटी भाई हम आपके साथ हैं। भोपाल के ही नवीन आनंद जोशी ने कहा है कि लिमटी भाई हम आपके साथ हैं। उन्होंने कहा है कि लंबे समय से निरंकुश है पुलिस और सरकार। वे लिखते हैं कि पत्रकार मित्र तीसरा नेत्र खोलें।

एक समूह में वरिष्ठ पत्रकार अवधेश भार्गव ने लिखा है कि लिमटी भाई जो शिकायत की है उसकी प्रति हो सके तो मेल कर दें। भोपाल के ही राजेश पाठक ने कहा है कि इस मामले की तुरंत उचित माध्यम से शिकायत की जाये एवं कार्यवाही होने की दिशा में आंदोलन किया जाये।

राजगढ़ के अरूण का कहना था कि कलंकित चेहरे को उजगार करना भी धर्म है। उन्होंने लिखा है कि राजगढ़ के पत्रकार इस घटना की निंदा करते हैं। टाईम्स ऑफ क्राईम के संपादक विनय डेविड ने व्यक्तिगत संदेश भेजकर कहा है कि जो शिकायत की है उसकी प्रति मेल पर भेजें।

इस मामले की इंडियन फेडरेशन ऑफ स्माल न्यूज पेपर्स एॅसोसिएशन नई दिल्ली की उत्तराखण्ड ईकाई के अध्यक्ष चंद्र शेखर जोशी ने भी कड़े शब्दों मेें भर्त्सना की है। उन्होंने इस मामले की न्यायिक जांच के लिये सूबे के निज़ाम शिवराज सिंह चौहान को पत्र भी लिखा है। देर रात तक इस मामले में देश के अनेक हिस्सों से प्रतिक्रियाओं का सिलसिला जारी था।

Madhya Pradesh government paid Rs 1.25 crore to lawyers to oppose CBI probe in Vyapam sacm: Activist

Represent by: Toc News 
Ajay Dubey, member of TI's India Board, alleged here that between 2013 and 2015, the state government threw the rules to wind while hiring senior counsels.
INDORE: A member of India chapter of anti-graft NGO Transparency International (TI) today claimed that Madhya Pradeshgovernment spent Rs 1.25 crore to "hire senior counsels to oppose the petitions demanding CBI probe into Vyapam scam". 

Ajay Dubey, member of TI's India Board, alleged here that between 2013 and 2015, the state government threw the rules to wind while hiring senior counsels. 

"As the government's standing counsels were already arguing these cases, why senior counsels were hired and paid high fees?" he asked, citing information obtained from the state legal department. 

Citing the rules of the legal department, Dubey claimed that senior counsels can be hired only when the standing counsels and legal officers of the government express unwillingness to take up a case. 

Dubey said he will raise the issue with the Prime Minister's Office and the Union Law Ministry. 

When the rackets operating in examinations conducted by Vyapam (MP Professional Examination Board) and the Dental and Medical Admission Test came to light, the BJP government in the state first opposed the demand of CBI probe. 

The government's stand was that the probe by the Special Task Force constituted by the state was moving in the right direction. Later, as there was a hue and cry over mysterious deaths of several accused persons, it agreed to CBI probe, following which the Supreme Court handed over the probe to the Central agency last year. 

Secretary of MP's legal department R K Vani was not available for comments.

http://m.economictimes.com/articleshow/50421419.cms

Saturday, January 2, 2016

एसडीएम आए तो रिश्वत की रकम दी वापस

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कलेक्टर ने किया निलम्बित

पचोर । शुक्रवार को पचोर तहसील में मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत कागज बनवाने आये  सुल्तानिया निवासी जितेन्द्र मालवीय  से तहसील में पदस्थ बाबु  अशोक बड़ोने   ने 1 हजार रुपए  की रिश्वत लेकर भी दस्तावेज आगे नही बढ़ाए तो फरियादी ने हंगामा कर दिया । मामला बिगड़ता देख तहसीलदार  के हस्तक्षेप के बाद रकम लोटा दी ।   जिस दोरान यह मामला हुआ उस दोरान सारंगपुर  एसडीएम भी तहसील मुख्यालय में मोजूद थे ।

एक पट्टे पर  साईन के एक हजार

तहसील में हुए हंगामे के दोरान उपस्थित  किसानो  ने आरोप लगाया की मुख्यमंत्री आवास योजना  के पट्टे पर हस्ताक्षर  के लिए 1 हजार रूपये लिए जा रहे हैं और  ना देने पर परेशान करने का आरोप लगाया वहीँ पुरे मामले में मौजूद होने के बावजूद तहसीलदार कोई भी प्रतिक्रिया देने से बचते नजर आए।

इस तरह हुआ उजागर
काम नही हुआ तो हितग्राही ने हंगामा मचाया इस दौरान एक मिडिया कर्मी वहां मामले का मोबाइल जेब में रखकर वीडियो भी बना रहा था जिसकी भनक लिपिक अशोक बडोने को नही थी । इस मामले में  जब लिपिक रूपये लोड़ाने लगा तो 700 रूपये लोटा दिए लेकिन फरियादी ने कहा की मेने तों 1000 रूपये दिए तो बाबु ने वह मोजूद कांग्रेस नेता से 300 रुपए मांगे जो बाबु  ने नेताजी  को कमीशन के रूप में दिए थे ।
हल्ला करने  पर लगी भीड़ एवं
तहसीलदार गोपाल सिंह भिलाला के सामने जीतेन्द्र मालवीय को बाबू ने एक हजार रुपए लौटाए।
उल्लेखनीय है की घटना की जानकारी लगने पर कलेक्टर तरुणकुमार पिथोड़े ने तत्काल प्रभाव से लिपिक को निलम्बित कर दिया। लेकिन घटनाक्रम में अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े तहसीलदार पर कार्रवाई नही हुई । बताया जा रहा है की अन्य लिपिक एवं पटवारियों द्वारा भी इस तरह की घटनाओं को रोजाना अंजाम दिया जा रहा है ।
हाल ही में तहसील परिसर में अतिक्रमण करवाने में भी इस तरह की भूमिका सामने आ चुकी है जो सर्वविदित है ।

लेख छपवाने के लिए देने पड़े थे 13 लाख रूपये : राम जेठमलानी

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जेठमलानी ने कहा की जेटली मीडिया को कंट्रोल करते है । जेठमलानी ने बताया की उन्होंने अप्रैल में जेटली के खिलाफ एक बहुत ही पुख्ता लेख लिखा था । जिसमे उन्होंने जेटली से कुछ सवाल लिखे थे और उनके जवाब पूछे थे । उस समय मुझे ‘सन्डे गार्डियन ‘ के लिए लिखते हुए 5 साल हो चुके थे ।

जेतली ने कहा की – में वीकली कॉलम में लिखा करता था । में शुक्रवार को लेख भेजता था और वो उसे शनिवार को देखके रविवार को छापते थे ।

जेठमलानी ने कहा – में रविवार सुबह अपना लेख पड़ने के लिए अखबार खोला तो मेरा लेख खाली था । उसकी जगह पर उन्होंने विज्ञापन लगा दिया था । में उस समय ‘सन्डे गार्डियन’ बोर्ड का अध्यक्ष था । मैंने तुरंत इस्तीफ़ा दिया ।

जेठमलानी ने बताया की इसके बाद उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बुलाया और कहा की में अपना लेख इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित करवाना चाहता हूँ। इसके लिए आप मुझसे पैसे भी ले सकते है । अपना लेख प्रकाशित करवाने के लिए मुझे उन्हें 13 लाख रुपये देने पड़े थे ।

पुलिस का चेहरा, बदतमीज़ी और बेईज़्ज़ती

(लिमटी खरे)
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सिवनी. नया साल इस तरह से पुलिस के नये चेहरे को लेकर आयेगा इसका भान सपने में भी नहीं था। पुलिस के द्वारा 31 दिसंबर और 01 जनवरी की दर्म्यानी रात में दो जिम्मेदार संपादकों के साथ जिस तरह का बर्ताव किया गया है उसको पाठकों के समक्ष रखा जा रहा है अब पाठक ही फैसला करें और अपना निर्णय दें।
0 वर्ष 2015 की आखिरी रात में समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक लिमटी खरे, दैनिक हिन्द गजट के संपादक शरद खरे एवं एक अन्य कर्मचारी सादिक खान रोज़ की तरह ही लगभग साढ़े ग्यारह पौने बारह बजे बारापत्थर स्थित अपने कार्यालय से घर को रवाना हुये।
0 सर्किट हाउस चौराहे पर खाकी वर्दी वाले सिपाहियों के द्वारा दोनों के दो पहिया वाहनों को रोका गया। इसके बाद यातायात प्रभारी जगोतनी मसराम के द्वारा दोनों को नये साल की बधाईयां दी गयीं। इसी बीच नगर पुलिस अधीक्षक राजेश तिवारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने भी बाकायदा गर्मजोशी के साथ नये साल की बधाईयां लीं और दीं। राजेश तिवारी के द्वारा पूछा गया कि क्या हो गया कैसे रूके हैं? इसके जवाब में हमने बताया कि पुलिस ने गाड़ी रोकी है, रूटीन चैकिंग है, अभी कागज़ वगैरह दिखाकर चले जायेंगे।
0 राजेश तिवारी के द्वारा मौके पर तैनात पुलिस को निर्देश दिये जाते हैं। इसके बाद हमने राजेश तिवारी को बताया कि ये वे ही अधिकारी (रघुराज चौधरी) हैं जिन्होंने 25 दिसंबर को भी हमारी गाड़ी रोककर जमकर हुज़्ज़त की थी। पांच सौ रूपये का चालान काटा जा रहा था। हमने पांच सौ दिये पर चालान नहीं काटा गया। हमने बताया कि उस दिन भी इनके (रघुराज चौधरी) के द्वारा बदतमीज़ी की गयी थी।
0 इसी बीच दैनिक हिन्द गजट के संपादक शरद खरे ने सीएसपी का ध्यान आकर्षित कराया कि रघुराज चौधरी इस समय भी लोगों से बदतमीज़ी से बात कर रहे हैं। इस पर सीएसपी ने पूछा कि आप कौन हैं। हमने बताया कि ये दैनिक हिन्द गजट के संपादक हैं। फिर क्या था, अमूमन शांत चित्त और धीर गंभीर रहने वाले सीएसपी राजेश तिवारी हत्थे से उखड़ गये और उन्होंने यातायात प्रभारी को निर्देश दिये कि इन दोनों (जबकि मौके पर हम तीन लोग थे) का मुलाहजा कराओ।
0 सर्किट हाउस चौराहे पर सीएसपी राजेश तिवारी इस कदर चीख रहे थे मानो वे आम जुआरी, सटोरिये या जरायमपेशा व्यक्ति से बात कर रहे हों। इसके बाद शातिर बदमाशों की तरह पुलिस ने दोनों संपादकों को यातायात पुलिस के वाहन में बैठाया और लेकर कोतवाली चले गये। कोतवाली में दोनों जिम्मेदार संपादकों को इस तरह बैठाया गया मानो वे शातिर चोर या अपराधी हों।
0 इसके बाद सीएसपी कोतवाली पहुंचे और उन्होंने यातायात प्रभारी को फिर डांट पिलायी कि दोनों के साथ क्या बातें कर रहीं हैं। जाकर मुलाहजा करवाओ और अगर कोई बात हो तो धारा 353 का मामला कायम कर दो। दोनों संपादक पुलिस के इस बर्ताव से बेहद आश्चर्य में थे।
0 जब दोनों को लेकर पुलिस अस्पताल पहुंची तब वहां मौजूद चिकित्सक के द्वारा मुलाहज़ा फार्म पढ़ा ही जा रहा था कि अचानक ही एक सिपाही प्रकट हुए और उन्होंने चिकित्सक को मोबाईल देते हुये कहा कि टीआई साहब से बात कर लें। चिकित्सक ने नगर कोतवाल से बात की और बिना किसी परीक्षण के ही मुलाहज़ा फार्म भर दिया गया। दोनों संपादकों के द्वारा बार बार आग्रह किया जाता रहा कि उनका रक्त परीक्षण कराया जाये ताकि पता लग सके कि हकीकत क्या है? इसके जवाब में चिकित्सक ने कहा कि साहब से बात हो गई है, हमारे यहां रक्त परीक्षण नहीं होता है। चिकित्सक के द्वारा महज़ दो लाईन में लिख दिया गया कि कंज्यूम्ड अल्कोहल बट नॉट एंटॉक्सीकेटेड अर्थात अल्कोहल का सेवन किया है पर नशे में नहीं हैं।
0 इसके बाद दोनों को फिर शातिर बदमाशों की तरह यातायात पुलिस के वाहन में कोतवाली ले जाया गया। कोतवाली में पुलिस अधीक्षक के सामने चर्चा हुयी। सुलझी सोच के धनी पुलिस अधीक्षक ए.के. पाण्डेय के द्वारा मामले की जानकारी ली गयी। उन्होंने 25 दिसंबर और 31 दिसंबर के वीडियो फुटेज़ मांगे। इसके बाद रात लगभग ढाई बजे दोनों को बिना किसी अपराध की कायमी के छोड़ दिया गया।
0 इस पूरे मामले को क्या माना जाये। इस तरह की हरकतों से सुलझी सोच के धनी शांत चित्त सीएसपी राजेश तिवारी आखिर क्या संदेश देना चाहते हैं?
0 समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के कैमरापर्सन का कैमरा पांच अक्टूबर को छुड़ा लिया गया था। इसकी शिकायत पुलिस में दर्ज़ है। रात डेढ़ बजे कैमरा पर्सन को एसडीओपी के द्वारा थाने बुलाया जाता है, हम भी साथ जाते हैं। रात को जबरन ही परेशान किया जाता है। इसके बाद सीएसपी राजेश तिवारी ने हमें फोन कर बताया कि कैमरा मिल गया है और कैमरा पर्सन को वापस कर दिया गया है, जब तहकीकात हुयी तो बात गलत निकली।
0 इसके बाद दैनिक हिन्द गजट कार्यालय पर 14 फरवरी को बम पटकने के आरोपी हिन्द गजट आते हैं, वाद विवाद करते हैं। इसकी सूचना नगर कोतवाल को दी जाती है। रात एक बजे फिर शांत चित्त एसडीओपी राजेश तिवारी का फोन आता है। उन्हें कहा जाता है कि हम नींद में हैं। हमने इसकी सूचना आई.जी. जबलपुर को उसी समय दी कि हमें जबरन ही देर रात फोन करके परेशान किया जाता है।
0 हमने 33 साल के पत्रकारिता जीवन में नई दिल्ली, रायपुर, भोपाल, रीवा, जबलपुर, नागपुर आदि अनेक प्रदेशों के ख्यातिलब्ध अखबारों में काम किया है। इस दौरान जिन भी जिलों में रहे हैं वहां की पुलिस थानों के रिकॉर्ड से इस बात को तस्दीक किया जा सकता है कि हमारा चाल चलन कैसा है? क्या हम आदतन आपराधिक प्रवृत्ति के हैं? क्या हम सरकारी काम में बाधा डालने के आदी हैं?
0 यह है पूरा घटनाक्रम, आप पाठक ही फैसला करें कि सिवनी में अमन चैन कायम है या फिर कुछ और। अगर आपको लगता है कि पुलिस की कार्यवाही सही है तो आपका फैसला सिर आँखों पर।

पठानकोट आतंकी हमला : चार आतंकियों को मार गिराया

- 2 जवान शहीद, 5 घायल
- बड़ा आतंकी हमला नाकाम
Toc news
नई दिल्ली/चंडीगढ़ : पंजाब के पठानकोट में एयरफोर्स स्टेशन पर आतंकी हमला हुआ है. देर रात करीब 3 बजे से आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच चली फायरिग। चार आतंकियों को मार गिराया गया है। इस हमले में दो जवान शहीद हो गए हैं. अभी अभी फायरिंग बंद हो चुकी है। सेना, एयरफोर्स और एनएसजी के जवानों ने मोर्चा संभाला हुआ है. आतंकी पाकिस्तान से आए हैं, इसकी पुष्टि हो चुकी है.

पठानकोट में एयरफोर्स स्टेशन पर तीन तरफ से आतंकी घुसे थे. हेलिकॉप्टर से पूरे घटनाक्रम पर निगरानी रखी जा रही है. आतंकी हमले के बाद जम्मू, हिमाचल और चंडीगढ़ की ओर जाने वाली सड़कें सील कर दी गई हैं.

जिस एयरफोर्स स्टेशन पर हमला हुआ है वो फाइटर बेस है. हमले की वजह से जम्मू-पठानकोट मार्ग पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था करते हुए पूरे इलाके की नाकेबंदी कर दी गई है.

एनएसए अजीत डोभाल ने पूरे मामले पर नजर बनाकर रखी है. बताया जा रहा है कि यह वही आतंकवादी हैं जिन्होंने गुरदासपुर में कल वहां के एसपी का वाहन छीना था. इस घटना के बाद देशभर में हाई अलर्ट जारी कर दिया है. अबतक मिली जानकारी के अनुसार यह आतंकी जैश-ए-मोहम्मद के हो सकते हैं. पाकिस्तान की सीमा से हमले से कुछ ही पहले वे भारत में आए हैं.

जिस स्थान पर यह हमला हुआ है वहां से पाकिस्तान की सीमा महज 30 किलोमीटर की दूरी पर है. दिल्ली से आतंकी हमले के मौके की दूरी करीब 450 किलोमीटर है. आतंकी हमले का इनपुट भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास पहले से था. जबकि, आतंकियों ने कल ही एसपी की गाड़ी छीनकर बड़े हमले की आशंका को पुख्ता कर दिया था. हमले के बाद सूचनाओं का अध्ययन किया जा रहा है.

Friday, January 1, 2016

आज से हो जाएं होशियार, पैन कार्ड लेकर चलना करें आदतों में शुमार

Toc News
1st January 2016
नई दिल्ली, भारत सरकार ने काले धन पर लगाम लगाने के लिए बहुत ही शख्त रूख अपना लिया है इसलिए आज से पैसों के सभी बड़े आदान प्रदान में पैन कार्ड को अनिवार्य बना दिया है। पैन कार्ड नहीं लेकर चलने वाला ग्राहक अगर सौदों के मूल्य की गलत जानकारी देता है और आयकर विभाग उससे भारी जुर्माना वसूल सकता है और सात साल की जेल भी हो सकती है। यह नियम आज 1 जनवरी से ही लागू कर दिया गया है।

आज 1 जनवरी 2016 से लागू हुए निर्देश के अनुसार अगर कोई भी व्यक्ति 50 हजार रुपये से अधिक का आदान प्रदान करता है तो उसे पैन नंबर बताना पड़ेगा, अगर किसी व्यक्ति के पास पैन कार्ड नहीं है तो उसे फॉर्म 60 भरना पड़ेगा। फॉर्म 60 में सौदे और रुपये के आदान प्रदान की सही जानकारी देनी होगी। एक पृष्ठ के फॉर्म में सौदे की सही जानकारी के अलावा व्यक्तिगत जानकारी भी देनी होगी और स्थायी पते के तौर पर आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र भी लगाना पड़ेगा।

आयकर विभाग के मुताबिक फॉर्म 60 में गलत जानकारी देने पर सजा और भारी जुरमाना वसूला जाएगा, अगर कर चोरी 25 लाख से ऊपर पायी गयी तो छह महीने से सात साल तक सश्रम कारावास एवं जुरमाना देना होगा। अगर कर चोरी 25 लाख से कम की है तो तीन महीने से दो वर्ष तक की सजा हो सकती है।

इन नियमों में सौदों के अलावा विदेश यात्रा और होटल का बिल जमा करने के लिए भी पैन कार्ड अनिवार्य किया गया है साथ ही 2 लाख से ऊपर के आभूषण खरीदने पर, 10 लाख से ऊपर की अचल संपत्ति की खरीद, बैंक में 50 हजार से अधिक जमा या निकलने पर, वर्ष में पांच लाख से अधिक की रकम जमा करने पर भी पैन नंबर देना होगा।

युवती के साथ संदिग्ध हालत में मिला दरोगा

बलिया- उत्तर प्रदेश में बलिया के एक दरोगा के कृत्य से जनपद में खाकी वर्दी शर्मसार हो गई। गुरुवार को भोर में एक पुलिस चौकी इंचार्ज एक घर में महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा गया। ग्रामीणों ने दरोगा को घर में बंद कर दिया। 100 नंबर डायल कर घटना की सूचना पुलिस को दी। सीओ सदर बाबू लाल यादव, नरहीं एसओ रामरतन सिंह सहित अन्य आला अधिकारी पहुंच गए। सीओ के मुताबिक मामले की जांच बैठा दी गई है। उधर पुलिस कप्तान अनीस अहमद ने कहा कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
नरहीं थाने के एक पुलिस चौकी इंचार्ज का पास के ही एक गांव में काफी दिनों से आनाजाना था। पुलिस चौकी का एक सिपाही अक्सर दरोगा को लेकर गांव की एक युवती से मिलने रात के वक्त जाता था। पुलिस की गाड़ी रात के वक्त एक घर के सामने रुकती थी और दरोगा वहां घंटों वक्त बिताता था। यह देख आसपास के लोग परेशान थे। बुधवार को ग्रामीण पहले से ही दरोगा को पकड़ने के लिए तैयार थे।
रात लगभग नौ बजे चौकी इंचार्ज एक सिपाही के साथ बाइक से युवती के घर पहुंचा। थोड़ी देर बाद ग्रामीणों ने जैसे ही घर का दरवाजा खोला तो दारोगा और युवती को आपत्तिजनक स्थिति में देखकर आगबबूला हो गए। ग्रामीणों ने पहले दरोगा को थप्पड़ जड़ा, फिर दरवाजा बंद कर दोनों को घर में ही कैद कर दिया।
इसके बाद 100 नंबर डायल कर घटना की सूचना दी। इस पर एसओ मौके पर पहुंच गए। मौके की नजाकत को भांप थानाध्यक्ष ने आला अधिकारियों को घटना की सूचना दी। मौके पर तत्काल सीओ बाबूलाल यादव पहुंच गए। घटना को लेकर ग्रामीणों में जबर्दस्त उबाल है।इस संबंध में सीओ सदर बाबूलाल यादव ने बताया कि मामले की जांच बैठा दी गई है। गांव में पुलिस तैनात कर दी गई है।-एजेंसी

शर्मनाकः वहशी दरिंदे ने किया घोड़ी से रेप

Toc news
बागपतःउत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है । जहां पर एक युवक पर घोड़ी से रेप करने का आरोप लगा है। पुलिस ने युवक के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। जानकारी के अनुसार घोड़ी का मालिक मुजफ्फरनगर के हमीदपुर का रहने वाला है। उसे किसी काम से बाहर जाना था तो उसने अपनी घोड़ी की बच्ची को अपने रिश्तेदार के यहां बाधकर चला गया।

उसने आरोप लगाया है कि जब वह काम से वापिस आया तो घोड़ी की बच्ची लहुलूहान हालत में थी और कमरेमें पड़ोसी युवक राजबीर भी था।इससे पहले की घोड़ी का मालिक विनोद कुछ समझ पाता उससे पहले ही आरोपी राजबीर वहां से भाग चुका था। गुस्साए मालिक ने इस मामले की सूचना पुलिस में दी तो पुलिस को इस बात पर यकीन करना मुशिकल हो गया।

मीडिया के पहुंचने के बाद पुलिस अधिकारियों ने आरोपी के राजबीर के खिलाफ केसदर्ज कर लिया। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर घोड़ी की बच्ची को मेडिकल जांच के लिए भेज दिया है।

आपकी आवाज की विशाल जनसभा 20 जनवरी को झाबुआ में

आपकी आवाज की विशाल जनसभा 20 जनवरी को झाबुआ में "
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विशाल जनसभा हजारों कार्यकर्ताओं के साथ नववर्ष में
जिला झाबुआ मध्य प्रदेश में दिनांक 20/01/2016 स्थान सामुदायिक भवन मैदान समीप बस स्टैन्ड झाबुआ में "आपकी आवाज" एक सामाजिक संगठन के जिला इकाई श्री उनीकृष्नन पिल्लई जिलाध्यक्ष झाबुआ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सभी पदाधिकारी व कार्यकर्ता साथी उपस्थित होकर जन सभा को सफल बनाने में यथा सम्भव सहयोग प्रदान करें और अपने सहयोगी साथियों के साथ अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने की महति कृपा करेंगे।

आपका साथी
श्री सन्तोष पाण्डेय
राष्ट्रीय प्रमुख सचिव
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सिवनी पुलिस ने पत्रकार लिमटी खरे और शरद खरे पर की दुर्भावाना से कार्यवाही

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सिवनी.  31 दिसंबर और 1 जनवरी की दर्मयानी रात समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया और दैनिक हिन्‍द गजट के संपादक लिमटी खरे और शरद खरे अपने सहयोगी सादिक खान के साथ जब घर लौट रहे थे तब कोतवाली पुलिस और यातायात पुलिस ने रोककर की बदसूलकी। एसडीओपी राजेश तिवारी ने दिए मुलाहजा के आदेश। तीन में से दो लोगों पर टूटा पुलिस का नजला। पुलिस के पास नहीं थे मुलाहजा फार्म। जबरन अपराधियों की तरह दो संपादकों को यातायात पुलिस की गाडी में ले जाया गया कोतवाली। बाद में मुलाहजे के दौरान संपादकों ने की ब्‍लड टेस्‍ट कराने की मांग। चिकित्‍सक ने बिना रक्‍त परीक्षण के ही लिख दिया नशे में हैं दोनों संपादक। बिना किसी कार्यवाही बिना किसी जगह हस्‍ताक्षर लिए पुलिस ने देर रात परेशान कर छोडा संपादकों को।

दोनों संपादकों ने की इस मामले की न्‍यायिक जांच की मांग। लगातार पुलिस की नाकामियों पर से पर्दा हटाया जा रहा था दैनिक हिन्‍द गजट और समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा।

मामले की भारतीय प्रेस परिषद को भेजी गई शिकायत।

मामले की जानकारी दी गई गृह सचिव श्रीमति सीमा शर्मा को।

पुलिस कर रही बदले की कार्यवाही। पुलिस अधीक्षक अतिरि‍क्‍त पुलिस अधीक्षक का हो चुका है स्‍थानांतरण।

एसडीओपी राजेश तिवारी के कार्यकाल में कोतवाली पर भीड का हो जाता है कब्‍जा। इसके पहले कभी इस तरह का वाक्‍या नहीं आता रहा है पेश। पुलिस या कानून का भय हो गया है लोगों में समाप्‍त। सभ्‍य समाज को परेशान करती नजर आ रही है पुलिस। मीडिया के खिलाफ भी हाे रही है पुलिस बर्बर।

यातयात पुलिस के पास नहीं है ब्रीथ एनलाईजर। इसके पहले बना था दैनिक हिन्‍द गजट के वाहन का चालान। 25 दिसंबर को पांच सौ रूपए देने के बाद भी नहीं बनाया था यातायात पुलिस ने चालाना। बार बार दैनि‍क हिन्‍द गजट और समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के खिलाफ पुलिस कर रही जबरन कार्यवाही।

आज के बाद पुलिस दुर्भावना के चलते कर सकती है दोनाें संपादकों के खिलाफ दुर्भावना से केस दर्ज।

सिवनी के सांसद, विधायक, स्‍वयंभू नेता, पत्रकार संगठन डरते हैं एसडीओपी राजेश तिवारी से। किसी की नहीं खुलती पुलिस के खिलाफ जुबान।

पत्रकार साथी लिमटी खरे जी का न.
+919425011234

नववर्ष 2016 की हार्दिक शुभकामनाएं

आपको और आपके परिवार को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ll ईश्वर से यही कामना है कि आने वाला प्रत्येक नया दिन आपके जीवन में अनेकानेक सफलताएँ एवं अपार खुशियाँ लेकर आए ll इस अवसर पर ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह वैभव, ऐश्वर्य, उन्नति, प्रगति, आदर्श, स्वास्थ्य, प्रसिद्धि और समृद्धि के साथ साथ आजीवन आपको जीवन पथ पर गतिमान रखे ll नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ll

आपका
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव
आॅल इण्डिया स्माॅल न्यूज पेपर एसोसिएशन ( आइसना)

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