मध्यप्रदेश में बड़ा चैनल घोटाला
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मध्यप्रदेश में इन दिनों बड़ा चैनल घोटाला चर्चा में है, जिसकी अंतरकथा व्यापमं से जोड़कर देखी जा रही है। खबर यह है कि वर्ष 2012 से उन चैनल्स पर मेहरबानी की गई जो अधिकांश जीरो टीआरपी पर हैं या बंद पड़े हैं, जबकि बड़े चैनल्स अपने प्राइम टाइम के समाचारों के विज्ञापन के लिए तरस रहे हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी की पसंद दूरदर्शन को छह अंकों की राशि में भी शामिल नहीं किया गया है। कुल 150 करोड़ के इस घोटाले में उन चैनल मालिकों की भी पौ बारह हो गयी, जो या तो जेल में बंद हैं या उन पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं.
दरअसल मध्यप्रदेश विधानसभा में 8 दिसम्बर 2015 को कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने तारांकित प्रश्न क्रमांक 288 के माध्यम से सरकार से यह जानकारी मांगी, तब से मध्यप्रदेश के राजनैतिक और प्रशासनिक हलकों में मीडिया मैनेजमेंट और चैनल घोटाले की चर्चाओं को पर लग गए हैं। मध्यप्रेश शासन के जनसम्पर्क विभाग के प्रमुख सचिव एसके मिश्रा ने आज मंत्रालय में इस घोटाले की जाँच के आदेश दिए हैं दूसरी ओर कांग्रेस इस मुद्दे को व्यापमं से जोड़कर भुनाना चाहती है। कांग्रेस के नेताओं ने इसे मीडिया मैनेजमेंट में जनधन लुटाने और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को खरीदने का सीधा-सीधा आरोप सरकार पर लगाया है.
मध्य प्रदेश सहारा समय को 12 करोड पचास लाख रुपये की राशि दी गयी है वहीं ईटीवी मध्यप्रदेश को 13 करोड़ और ईटीवी उर्दू को लगभग 1 करोड़ की राशि दी गए है। मध्यप्रदेश के ही चैनल बंसल न्यूज़ को 11 करोड़ 57 लाख , साधना न्यूज़ मध्यप्रदेश को 8 करोड 78 लाख रुपये की राशि विज्ञापनों के नाम पर बाँट दी गयी है. जबकि देश के प्रधानमंत्री की सर्वाधिक पसंद और शासकीय समाचारों के अधिकृत चैनल दूरदर्शन को मात्र 8 लाख में संतोष करना पड़ा है।
लोकल चैनल आपरेटर हैथवे इंदौर को 50 लाख , सुदर्शन न्यूज़ को 14 लाख ,सिटी केबल को 84 लाख ,टाइम्स नाउ को 1 करोड़ 39 लाख , एबीपी न्यूज़ को 12 करोड 76 लाख , ज़ी मीडिया को 6 करोड़ 10 लाख, सीएनबीसी आवाज को 6 करोड़ 50 लाख , इंडिया न्यूज़ को 8 करोड 68 लाख , एनडीटीवी को 12 लाख 84 हजार, न्यूज़ वर्ल्ड को 1 करोड 28 लाख रुपये , भास्कर मल्टिनेट को 6 लाख 95 हजार , सेंट्रल इंडिया डिजिटल नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड को 1 करोड़ 41 लाख की राशि लुटाई गयी है.
अपराधिक छवि वाले संचालकों पर भी कृपा
सरकार का जनसम्पर्क महकमा मध्यप्रदेश की जनता का पैसा लुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। जिन चैनल्स को विज्ञापनों के नाम पर करोड़ों रुपये दिए गए हैं, उनमें से अधिकांश चैनल के मालिक या तो जेलों में बंद हैं या उनके विरुद्ध वारंट निकले हुए हैं। मसलन पी 7 के संचालक केसर सिंह पर आर्थिक अपराध के कई मामले चल रहे हैं। उनके बंद पड़े चैनल को सरकारी खजाने से 76 लाख रुपये की राशि दी गई हैं.
चिटफंड कंपनी साईं प्रसाद मीडिया लिमिटेड के चैनल को 23 करोड़ 33 लाख रुपये दिए गए हैं। जिसमें कंपनी ने दो बार कंपनी और चैनल का नाम बदला। सूत्र बताते हैं कि चैनल के मालिक भापकर मुंबई जेल में बंद हैं। खबर भारती , भारत समाचार और स्टेट न्यूज़ को क्रमश: 9 करोड़, 45 लाख और 1 करोड़ से नवाजा गया है। जबकि जो चैनल गर्भ में ही है उसे भी 1 लाख अग्रिम रूप से दे दिए गए हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती प्रोडक्शन हाउस निकिता फिल्म्स को चैनल की आड़ में 61 लाख रुपये की रेवड़ी बांटी गयी है। कई नेशनल चैनल्स के स्टेट ब्यूरो भी इस घोटाले की आड़ में भारी भरकम राशि लेकर उपकृत हुए हैं। इस घोटाले की सूची बहुत लम्बी है, जिसे लिखने और पढ़ने में काफ़ी समय लगेगा, इसलिए चुनिंदा नाम ही यहां दिए गए हैं।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने पूरे मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा है कि " देश की आजादी में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ यानि मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन लोकतंत्र के मूल्यों को भ्रष्टाचार से बचाने का प्रतिबिम्ब मीडिया भी इस्तेमाल हो गया है.
मध्यप्रदेश शासन के जनसम्पर्क विभाग के प्रमुख सचिव एस के मिश्रा ने राज्य में हुए चैनल घोटाले के उजागर होने के बाद अब संपूर्ण मामले की जाँच करवाने के आदेश दिए हैं। कुल मिलाकर मध्यप्रदेश की राजनीति में अब चैनल घोटाला सुर्खियां बटोर रहा है। ऐसे में सरकार की छवि बनाने वाले विभाग जनसम्पर्क के साथ ही राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री की परेशानी बढ़ गई है।
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मध्यप्रदेश में इन दिनों बड़ा चैनल घोटाला चर्चा में है, जिसकी अंतरकथा व्यापमं से जोड़कर देखी जा रही है। खबर यह है कि वर्ष 2012 से उन चैनल्स पर मेहरबानी की गई जो अधिकांश जीरो टीआरपी पर हैं या बंद पड़े हैं, जबकि बड़े चैनल्स अपने प्राइम टाइम के समाचारों के विज्ञापन के लिए तरस रहे हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी की पसंद दूरदर्शन को छह अंकों की राशि में भी शामिल नहीं किया गया है। कुल 150 करोड़ के इस घोटाले में उन चैनल मालिकों की भी पौ बारह हो गयी, जो या तो जेल में बंद हैं या उन पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं.
दरअसल मध्यप्रदेश विधानसभा में 8 दिसम्बर 2015 को कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने तारांकित प्रश्न क्रमांक 288 के माध्यम से सरकार से यह जानकारी मांगी, तब से मध्यप्रदेश के राजनैतिक और प्रशासनिक हलकों में मीडिया मैनेजमेंट और चैनल घोटाले की चर्चाओं को पर लग गए हैं। मध्यप्रेश शासन के जनसम्पर्क विभाग के प्रमुख सचिव एसके मिश्रा ने आज मंत्रालय में इस घोटाले की जाँच के आदेश दिए हैं दूसरी ओर कांग्रेस इस मुद्दे को व्यापमं से जोड़कर भुनाना चाहती है। कांग्रेस के नेताओं ने इसे मीडिया मैनेजमेंट में जनधन लुटाने और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को खरीदने का सीधा-सीधा आरोप सरकार पर लगाया है.
मध्य प्रदेश सहारा समय को 12 करोड पचास लाख रुपये की राशि दी गयी है वहीं ईटीवी मध्यप्रदेश को 13 करोड़ और ईटीवी उर्दू को लगभग 1 करोड़ की राशि दी गए है। मध्यप्रदेश के ही चैनल बंसल न्यूज़ को 11 करोड़ 57 लाख , साधना न्यूज़ मध्यप्रदेश को 8 करोड 78 लाख रुपये की राशि विज्ञापनों के नाम पर बाँट दी गयी है. जबकि देश के प्रधानमंत्री की सर्वाधिक पसंद और शासकीय समाचारों के अधिकृत चैनल दूरदर्शन को मात्र 8 लाख में संतोष करना पड़ा है।
लोकल चैनल आपरेटर हैथवे इंदौर को 50 लाख , सुदर्शन न्यूज़ को 14 लाख ,सिटी केबल को 84 लाख ,टाइम्स नाउ को 1 करोड़ 39 लाख , एबीपी न्यूज़ को 12 करोड 76 लाख , ज़ी मीडिया को 6 करोड़ 10 लाख, सीएनबीसी आवाज को 6 करोड़ 50 लाख , इंडिया न्यूज़ को 8 करोड 68 लाख , एनडीटीवी को 12 लाख 84 हजार, न्यूज़ वर्ल्ड को 1 करोड 28 लाख रुपये , भास्कर मल्टिनेट को 6 लाख 95 हजार , सेंट्रल इंडिया डिजिटल नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड को 1 करोड़ 41 लाख की राशि लुटाई गयी है.
अपराधिक छवि वाले संचालकों पर भी कृपा
सरकार का जनसम्पर्क महकमा मध्यप्रदेश की जनता का पैसा लुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। जिन चैनल्स को विज्ञापनों के नाम पर करोड़ों रुपये दिए गए हैं, उनमें से अधिकांश चैनल के मालिक या तो जेलों में बंद हैं या उनके विरुद्ध वारंट निकले हुए हैं। मसलन पी 7 के संचालक केसर सिंह पर आर्थिक अपराध के कई मामले चल रहे हैं। उनके बंद पड़े चैनल को सरकारी खजाने से 76 लाख रुपये की राशि दी गई हैं.
चिटफंड कंपनी साईं प्रसाद मीडिया लिमिटेड के चैनल को 23 करोड़ 33 लाख रुपये दिए गए हैं। जिसमें कंपनी ने दो बार कंपनी और चैनल का नाम बदला। सूत्र बताते हैं कि चैनल के मालिक भापकर मुंबई जेल में बंद हैं। खबर भारती , भारत समाचार और स्टेट न्यूज़ को क्रमश: 9 करोड़, 45 लाख और 1 करोड़ से नवाजा गया है। जबकि जो चैनल गर्भ में ही है उसे भी 1 लाख अग्रिम रूप से दे दिए गए हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती प्रोडक्शन हाउस निकिता फिल्म्स को चैनल की आड़ में 61 लाख रुपये की रेवड़ी बांटी गयी है। कई नेशनल चैनल्स के स्टेट ब्यूरो भी इस घोटाले की आड़ में भारी भरकम राशि लेकर उपकृत हुए हैं। इस घोटाले की सूची बहुत लम्बी है, जिसे लिखने और पढ़ने में काफ़ी समय लगेगा, इसलिए चुनिंदा नाम ही यहां दिए गए हैं।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने पूरे मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा है कि " देश की आजादी में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ यानि मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन लोकतंत्र के मूल्यों को भ्रष्टाचार से बचाने का प्रतिबिम्ब मीडिया भी इस्तेमाल हो गया है.
मध्यप्रदेश शासन के जनसम्पर्क विभाग के प्रमुख सचिव एस के मिश्रा ने राज्य में हुए चैनल घोटाले के उजागर होने के बाद अब संपूर्ण मामले की जाँच करवाने के आदेश दिए हैं। कुल मिलाकर मध्यप्रदेश की राजनीति में अब चैनल घोटाला सुर्खियां बटोर रहा है। ऐसे में सरकार की छवि बनाने वाले विभाग जनसम्पर्क के साथ ही राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री की परेशानी बढ़ गई है।
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