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ग्वालियर. मध्यप्रदेश, झारखंड, यूपी आदि राज्यों के लिकर किंग (शराब कारोबारी) ने मध्यप्रदेश सरकार से पत्रकारिता की राज्य स्तरीय अधिमान्यता हथिया ली है। ये हर साल दिखावे के लिए करोड़ों रुपए का इनकम टैक्स भी भरते हैं।
100 करोड़ के शराब कारोबारियों के पास क्यों हैं अधिमान्यता...
छापे में जब्त दस्तावेजों की जांच में जुटे इनकम टैक्स अफसरों का ध्यान गुमनाम संपत्तियों व टैक्स चोरी पर है, लेकिन वे इस बात से हैरान हैं कि 100 करोड़ से अधिक के शराब ठेके चलाने वाले लल्ला (रामस्वरूप शिवहरे) व लक्ष्मीनारायण शिवहरे पूर्णकालिक श्रमजीवी पत्रकार हैं।
जब जनसंपर्क विभाग के अफसरों से चर्चा की, तो पता चला कि अल्प शिक्षित लल्ला व लक्ष्मीनारायण को शासन ने संपादक मान्य करते हुए अधिमान्यता दी है। इन्हीं की तरह ही विवादास्पद जमीनों के कारोबारी राजकुमार उर्फ राजू कुकरेजा व कॉलेज संचालक, नेताओं सहित 50 से अधिक फर्जी पत्रकार शामिल हैं।
वॉट्सएप पर वायरल हो रहा फर्जीवाड़ा
अधिमान्यता से जुड़ा यह फर्जीवाड़ा वॉट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया एप्लीकेशंस पर भी वायरल हो रहा है। राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकारों की सूची में रामस्वरूप उर्फ लल्ला शिवहरे का नाम 588वें नंबर पर, राजकुमार कुकरेजा का नाम 589वें और लक्ष्मीनारायण शिवहरे का नाम 590वें नंबर पर दर्ज है। इसके अलावा प्रदेशभर में 50 से अधिक नेता व बिजनेसमैन अधिमान्य पत्रकार हैं।
अफसरों पर हो कार्रवाई
वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक कहते हैं कि पत्रकारिता को बदनाम करने वाले इन लोगों से सरकार को सावधान रहना चाहिए। ऐसे लोगों को जिन लोगों ने अधिमान्यता दी है, सरकार को उनके विरुद्ध भी कार्रवाई करनी चाहिए, साथ ही अयोग्य लोगों की अधिमान्यता तत्काल निरस्त की जाना चाहिए।
हां, नहीं कर पाते बैकग्राउंड चेक
जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव एसके मिश्रा ने कहा कि अधिमान्यता देने के लिए समाचार पत्र प्रस्ताव भेजता है। जिसे अधिमान्यता दी जा रही है, उसका बैकग्राउंड क्या है, यह हम चेक नहीं कर पाते हैं। इस तरह के मामलों में आगे से हम सावधानी बरतेंगे।
यह बहुत बड़ा मामला है
इनकम टैक्स विजीलेंस में डिप्टी कमिश्नर सुरेश बी. गायकवाड़ ने बताया कि यह करोड़ों के टैक्स से जुड़ा बहुत बड़ा मामला है। रामस्वरूप और लक्ष्मीनारायण शिवहरे के ग्वालियर स्थित घरों व अन्य राज्यों के ठिकानों पर मारे गए छापे में जब्त दस्तावेजों का परीक्षण चल रहा है।
ग्वालियर. मध्यप्रदेश, झारखंड, यूपी आदि राज्यों के लिकर किंग (शराब कारोबारी) ने मध्यप्रदेश सरकार से पत्रकारिता की राज्य स्तरीय अधिमान्यता हथिया ली है। ये हर साल दिखावे के लिए करोड़ों रुपए का इनकम टैक्स भी भरते हैं।
100 करोड़ के शराब कारोबारियों के पास क्यों हैं अधिमान्यता...
छापे में जब्त दस्तावेजों की जांच में जुटे इनकम टैक्स अफसरों का ध्यान गुमनाम संपत्तियों व टैक्स चोरी पर है, लेकिन वे इस बात से हैरान हैं कि 100 करोड़ से अधिक के शराब ठेके चलाने वाले लल्ला (रामस्वरूप शिवहरे) व लक्ष्मीनारायण शिवहरे पूर्णकालिक श्रमजीवी पत्रकार हैं।
जब जनसंपर्क विभाग के अफसरों से चर्चा की, तो पता चला कि अल्प शिक्षित लल्ला व लक्ष्मीनारायण को शासन ने संपादक मान्य करते हुए अधिमान्यता दी है। इन्हीं की तरह ही विवादास्पद जमीनों के कारोबारी राजकुमार उर्फ राजू कुकरेजा व कॉलेज संचालक, नेताओं सहित 50 से अधिक फर्जी पत्रकार शामिल हैं।
वॉट्सएप पर वायरल हो रहा फर्जीवाड़ा
अधिमान्यता से जुड़ा यह फर्जीवाड़ा वॉट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया एप्लीकेशंस पर भी वायरल हो रहा है। राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकारों की सूची में रामस्वरूप उर्फ लल्ला शिवहरे का नाम 588वें नंबर पर, राजकुमार कुकरेजा का नाम 589वें और लक्ष्मीनारायण शिवहरे का नाम 590वें नंबर पर दर्ज है। इसके अलावा प्रदेशभर में 50 से अधिक नेता व बिजनेसमैन अधिमान्य पत्रकार हैं।
अफसरों पर हो कार्रवाई
वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक कहते हैं कि पत्रकारिता को बदनाम करने वाले इन लोगों से सरकार को सावधान रहना चाहिए। ऐसे लोगों को जिन लोगों ने अधिमान्यता दी है, सरकार को उनके विरुद्ध भी कार्रवाई करनी चाहिए, साथ ही अयोग्य लोगों की अधिमान्यता तत्काल निरस्त की जाना चाहिए।
हां, नहीं कर पाते बैकग्राउंड चेक
जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव एसके मिश्रा ने कहा कि अधिमान्यता देने के लिए समाचार पत्र प्रस्ताव भेजता है। जिसे अधिमान्यता दी जा रही है, उसका बैकग्राउंड क्या है, यह हम चेक नहीं कर पाते हैं। इस तरह के मामलों में आगे से हम सावधानी बरतेंगे।
यह बहुत बड़ा मामला है
इनकम टैक्स विजीलेंस में डिप्टी कमिश्नर सुरेश बी. गायकवाड़ ने बताया कि यह करोड़ों के टैक्स से जुड़ा बहुत बड़ा मामला है। रामस्वरूप और लक्ष्मीनारायण शिवहरे के ग्वालियर स्थित घरों व अन्य राज्यों के ठिकानों पर मारे गए छापे में जब्त दस्तावेजों का परीक्षण चल रहा है।
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