Wednesday, December 22, 2010
पकड़ी गई बहरी राज्यों से लड़कियां लाकर बेचने वाली महिला
प्रेमी की मौत की खबर सुन प्रेमिका ने लगाई फांसी
Tuesday, December 21, 2010
बैंक के खाते को समय समय करते रहें चेक, दिल्ली NCR में कोई गिरोह बेंकों के ग्राहकों को बना रहा है निशाना
Monday, December 20, 2010
करोड़ों की रिकबरी नोटिस के बाद विजली भी कटी
ये भगवान या शैतान ?
Sunday, December 19, 2010
भोपाल में 7 डॉक्टरों को एचआईवी संक्रमण का खतरा
उज्जैन संभाग में लाखों का बीज घोटाला
Saturday, December 18, 2010
न्याय का शासन है तो शलभ भदौरिया को जेल भेजो
अभियोग पत्र की इबारत पढऩे के बाद भविष्य की साफ तस्वीर उभर रही है. भारतीय दंड संहिता सभी के लिए एक समान है. इसलिए पत्रकारिता की खाल ओढ़कर आपराधिक जालसाजियां करने वाले शलभ भदौरिया की गिरफ्तारी और दंड सुनिश्चित है. इसीलिए वह चाहता है कि यह मामला किसी तरह ठंडे बस्ते में पड़ा रहे. दैनिक अग्निबाण के लिए खंडवा से पत्रकारिता करने वाले रवि जायसवाल ने इस मामले की खबर अपने अखबार में प्रकाशित कर दी. इससे तिलमिलाए शलभ भदौरिया ने उसे फोन करके काफी भला बुरा कहा और देख लेने की धमकी भी दी.
इसकी शिकायत पत्रकार साथी ने जिले के पुलिस अधीक्षक आई. पी. एस. हरिनारायण चारी मिश्रा से की है. गृह विभाग ने पत्रकारों के खिलाफ शिकायत की प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पुलिस की जांच का प्रावधान किया है इसलिए यह शिकायत फिलहाल जांच में है. पुलिस अधीक्षक एच.एन.सी. मिश्रा ने खंडवा में अपराधियों पर लगाम कसने का जो अभियान चलाया हुआ है उसे नागरिक और पत्रकार सभी समर्थन दे रहे हैं. जाहिर है कि स्थानीय पत्रकार की शिकायत को भी कानून को बुलंद बनाने वाले नजरिए से ही देखा जाएगा. मामले की तह में झांकें तो आम नागरिक भी समझ सकता है कि किस तरह पत्रकारिता की आड़ लेकर जालसाजी की गई है. इस मामले की शिकायत वर्ष 2003 में भोपाल के पत्रकार राधावल्लभ शारदा ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में की थी. इस शिकायत के सत्यापन के बाद निरीक्षक इंद्रजीत सिंह चौहान ने पाया कि वर्ष 1999 से 2003 के बीच श्रमजीवी पत्रकार नाम से प्रकाशित किए जाने वाले अखबार के प्रधान संपादक शलभ भदौरिया और संपादक विष्णुवर्मा विद्रोही थे. प्रेस पुस्तक पंजीकरण अधिनियम के अनुसार किसी भी समाचार पत्र के प्रकाशन से पहले उसका नाम भारत के पंजीयक के रजिस्टर में दर्ज करवाना अनिवार्य होता है.
पूंजीवाद के आगमन से पहले ट्रेड यूनियन आंदोलन बहुत प्रभावी हुआ करता था. इसी के चलते राजनेता भी पत्रकारों की तमाम मांगें आंखें मूंदकर मान लेते थे.
ऐसा ही कमोबेश पत्रकार भी किया करते थे.यही कारण था कि वर्ष 2002 में जब शलभ भदौरिया को तत्कालीन शासकों ने संगठन का मुखपत्र निकालने के लिए जनसंपर्क महकमे से धन देने का आश्वासन दिया तो उसने श्रमजीवी पत्रकार नामक अखबार का नकली पंजीयन प्रमाण पत्र बनवाया. यह जालसाजी पत्रकार भवन में ही की गई. जनसंपर्क महकमे की विज्ञापन शाखा ने इस फर्जी पंजीयन प्रमाण पत्र के आधार पर अखबार को विज्ञापन जारी करना शुरु कर दिए. मामले की शिकायत होने तक समाचार पत्रों के पंजीयक कार्यालय के फर्जी पंजीयन प्रमाण पत्र के आधार पर भदौरिया लाखों रुपयों की ठगी कर चुका था. यह ठगी मध्यप्रदेश के पत्रकारों के लिए विज्ञापन के मद में दी जाने वाली धन राशि की भी थी और डाक विभाग से मिलने वाली छूट की भी थी. तब सूचना का अधिकार अधिनियम लागू नहीं था और जनसंपर्क महकमे के अधिकारी आज की ही तरह जनसंपर्क के बजट की राशि को उजागर नहीं होने देना चाहते थे. इसीलिए जनसंपर्क विभाग के माध्यम से मध्यप्रदेश की जनता से की गई धोखाघड़ी आज भी सामने नहीं आई है. लेकिन डाक विभाग की ओर से रियायती मूल्यों पर डाक वितरण की जो छूट दी जाती है उस छूट की राशि शिकायत होने की तारीख तक एक लाख चौहत्तर हजार नौ सौ सत्तर हो चुकी थी.
यह शिकायत पंजीयक कार्यालय से प्राप्त जानकारी के आधार पर सत्य पाई गई. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सुधीर लाड़, थाना प्रभारी उमाशंकर तिवारी और विवेचना करने वाले निरीक्षक नरेन्द्र तिवारी ने अभियोग पत्र में पाया है कि आरोपियों ने भारतीय दंड संहिता की धारा-120 बी, 420, 467, 468, 471 के अंतर्गत अपराध किया है इसलिए माननीय न्यायालय के समक्ष अभियोग पत्र भेजा जा रहा है. जाहिर है कि इस मामले में कार्यपालिका ने अपना काम मुस्तैदी के साथ किया है.अब बारी विधायिका की है. माननीय मुख्यमंत्रीजी विधानसभा में उद्घोष कर चुके हैं कि अपराधी कोई भी हो,कैसा भी हो उसे छोड़ा नहीं जाएगा. इसलिए उम्मीद नजर आ रही है कि इस मामले में भी अपराधी सलाखों के पीछे अवश्य पहुंचेंगे. च
Friday, December 17, 2010
परियोजना अधिकारी ने लगा दिया सालभर अधिकारियों की गलती नही दिखती प्रशासन कों
पत्रकारिता विषय को नही समझते अधिकारी न्यायालय में गवाही के दौरान अधिवक्ता के कथन
राज्य सुरक्षा कानून के तहत चल रहें पत्रकार रामकिशोर पवाँर का मामला कई कारणों से जनचर्चा में बना हुआ हैं। पहला कारण तो यह हैं कि पीयूसीएल जैसे जनसंगठन द्वारा इस कानून को असंवैधानिक, मानवअधिकारों का हनन करने वाला और संविधान में प्रदत्त जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन करने वाला ठहराया जा चुका हैं। जिस तरह टाडा और पोटा जैसे कानून गलत हैं वैसे ही रासूका का दुरूपयोग होता हैं। दूसरा कारण तो यह है कि शासन और प्रशासन में बैठे हुए लोगों के इशारें पर इस कानून का दुरूपयोग किया जाता रहा हैं। जिला दण्डाधिकारी न्यायालय के फैसले माननीय उच्च न्यायालय में ठहर नहीं पाते हैं। इससे पता चलता हैं कि कुछ ताकतवर लोगों के इशारे पर कानून का दुरूपयोग करने के लिए जिले के सबसे बड़े अधिकारी किसी भी सीमा तक चले जाते हैं। प्रशासन कानून की आड़ लेकर पत्रकारों को जख्म देता रहता हैं। पत्रकारों के लिए सबसे बड़े दुख की बात यह हैं कि कानून की शक्ति का दुरूपयोग करने वाले अधिकारी के विरूद्ध उनको मालूम ही नही हैं कि करना क्या हैं? सदस्य संख्या और वार्षिक चंदे तक सीमित रहने वाले पत्रकार संघ के अध्यक्ष चाहें तो संगठन के माध्यम से पूरी की पूरी विचारण की प्रक्रिया को माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती हैं। कानून की शक्ति का दुरूपयोग करने वाले अधिकारीयों की वैधानिक जिम्मेदारी तय करवाई जा सकती हैं।
रासुका के दायरे में जिले के वरिष्ठ पत्रकार रामकिशोर पँवार को कुछ छोटे मामलों के आधार पर उस समय लाया जा रहा हैं जबकि वह विकलांग हैं और भारत के किसी नागरिक के शरीर और संपत्ति को गंभीर नुक्सान पहँुचाने की स्थिति में बिलकुल ही नही हैं। जिला प्रशासन उसे आम आदमी के विरूद्ध गंभीर और घृणित अपराध को अंजाम देने वाला आदतन अपराधी की श्रेणी में बता कर रासुका के तहत कार्यवाही को अंजाम देता चला जा रहा हैं। अपराधी और पत्रकार एक ही सिक्के के दो पहलू नही बताए जा सकते। आखिर अपराध और पत्रकारिता का कैसा नाता? जिला प्रशासन की कार्यवाही अपने आप में पत्रकारिता के पवित्र पेशे पर गंदा कीचड़ उछालने के समान हैं। इससे इमानदार और जीवन को जोखिम में डालकर पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों की साख पर बट्टा लगता हैं और आम आदमी पत्रकार को किसी दूसरे तरह का अपराधी समझने लगते हैं। आखिर जिला प्रशासन रामकिशोर पवाँर पर मुकदमा चलाकर दूसरे पत्रकारों को भला क्या सबक देना चाहता हैं? जिला प्रशासन की पत्रकारिता को नियंत्रित करने वाली यह कार्यवाही लोकतंत्र के हित में सही नही ठहराई जा सकती? गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के टिकिट पर विधान सभा चुनाव लड़ चुके भारत सेन अधिवक्ता जिला प्रशासन को अपने ब्यानों के माध्यम से ठीक ही नसिहत दे रहें हैं। वाकई प्रशासनिक अधिकारी पत्रकारिता जैसे विषय को समझते ही नही हैं।
Wednesday, December 15, 2010
होशंगाबाद जुआं पकडऩे गई पुलिस पर हमला
अवैध उत्खनन से हो रहा करोड़ों का राजस्व चोरी
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क : 99072 77862
बैतूल लोकायुक्त ने घूस लेते धर दबोचा
शादी को घसीटते रहने के बजाय क्या तलाक ले लेना बेहतर है?
Saturday, December 11, 2010
अवैध वसूली में टोटल टीवी के दो पत्रकार गए जेल
ऐसी घटनाओं की शिकायत ट्रक मालिकों द्वारा लगातार पुलिस के उच्चाधिकारियों और मीडिया वालों से की जा रही थी. कल भी कुछ लोग सड़क पर टीआई, कन्हीवाडा बनकर एक ट्रक, जिसका नम्बर- सीजी 10 बीडी 6050 था, के चालक से पचास हजार रूपये की मांग करने लगे. पैसा न देने पर ट्रक के कागजात लेने के बाद फर्जी रूप से ट्रक को चालान करने की कार्रवाई करने का नाटक करने लगे. परेशान ट्रक चालक इन लोगों के कार के पास गया तो देखा कि कार में दो युवतियां आपत्तिजनक स्थिति में दो अन्य युवकों के साथ मस्ती कर रही थी, जिसे देखकर चालक को शक हुआ.
उसने की इसकी सूचना फोन से अपने साथियों को दी. इसकी सूचना उसके साथियों ने पुलिस को भी दी. सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने दो युवकों को पकड़ लिया. जिसमें एक आरपी सिंह खुद को टोटल टीवी, महाकौशल का ब्यूरोचीफ बता रहा था. जबकि दूसरा रितेश सूर्यवंशी ऊर्फ गोलू सिवनी जिला संवाददाता है. इस बारे में जब भोपाल में टोटल टीवी के ब्यूरोचीफ राहुल सक्सेना से बात की गई तो उन्होंने कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया. सिवनी के पुलिस अधीक्षक रमन सिंह ने बताया कि टोटल टीवी के दो पत्रकारों को टीआई बनकर अवैध वसूली करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है. दोनों का चालान आईपीसी की धारा 419, 420 के तहत करके जेल भेज दिया गया.
तू शहर में जहां मिलेगा, तुझे चाकुओं से गोद दिया जाएगा
गंगाचरण मिश्र
जबलपुर : ''समाज के लिए दिन-रात जागते हुए मेहनत करने वाले पत्रकार जिस शहर में सुरक्षित नहीं होंगे, उस शहर में कोई सुरक्षित नहीं रह सकता। आधी रात के दौरान विधायक हरेन्द्रजीत सिंह ने मोबाइल पर मुझे जान से मारने की धमकी देते हुए लगातार 124 सेकेंड तक वो मानसिक प्रताड़ना दी है कि मैं और मेरा परिवार अब भय और दहशत के साये में जीवन-यापन करने को मजबूर है। मैं घर से बाहर जाता हूं तो मेरी पत्नी और बच्ची बार-बार मोबाइल पर सम्पर्क करते हैं और पूछते हैं कि खाना खाने कब आओगे, दरअसल वो यह जानना चाहते हैं कि कहीं विधायक ने अपनी धमकी को सच तो नहीं कर दिया। आखिर एक सभ्य समाज में पत्रकार के साथ ऐसा हो रहा है और सब खामोश क्यों हैं।''
यह पीड़ा जाहिर करते हुए नगर के वरिष्ठ पत्रकार, श्रमजीवी पत्रकार संघ के नगर अध्यक्ष और बीटीवी के संपादक गंगाचरण मिश्र की आंखें छलछला उठीं। उन्होंने बेबसी के साथ अपने साथ हुए इस घटनाक्रम की जानकारी जब पत्रकार वार्ता में शहर के तमाम पत्रकारों के सामने रखी तो सभी पत्रकार उद्वेलित हो उठे। श्री मिश्र ने बताया कि 5 और 6 दिसम्बर की दरम्यानी रात को जब वे घर पर थे, तभी पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के विधायक हरेन्द्रजीत सिंह का मोबाइल आया और उसने बिना कुछ पूछे ही सीधे गाली-गलौज शुरू कर दी और जान से मारने की धमकी देते हुए कहा कि अब तू शहर में जहां मिलेगा, तुझे चाकुओं से गोद दिया जाएगा।
श्री मिश्र ने बताया कि धमकियों का यह सिलसिला लगभग दो मिनट तक जारी रहा। पहले तो पत्रकारों को प्रताड़ित किया जाता था और अब सीधे हत्याएं होने लगी हैं, आखिर जननेता जिन पत्रकारों की मदद लेकर आगे बढ़ते हैं, उन्हीं के साथ इस प्रकार का व्यवहार कैसे करते हैं। श्री मिश्र ने सभी पत्रकारों को साक्ष्य के तौर पर धमकी वाले कॉल की रिकॉर्डिग वाली सीडी भी प्रदान की और उचित कार्रवाई के लिए पत्रकार जगत का सहयोग मांगा। इस मौके पर श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश महासचिव नलिनकांत वाजपेई, संभागीय अध्यक्ष परमानंद तिवारी और वरिष्ठ पत्रकार मोहन शशि ने भी पत्रकारों को सम्बोधित किया।
अपने साथी के साथ हुई घटना को लेकर पत्रकारों ने गजब की एकता प्रदर्शित की। पत्रकारों का कहना था कि जिस प्रकार की घटना गंगाचरण मिश्र के साथ हुई, ऐसी घटना कभी भी किसी पत्रकार के साथ न हो, इसलिए प्रशासन से शीघ्र ही उचित कार्रवाई करने दबाव बनाया जाएगा और शहर का पत्रकार जगत अपने साथी के लिए हर मोर्चे पर लड़ाई लड़ने तैयार है। पत्रवार्ता में प्रिंट और इलेट्रॉनिक मीडिया के सभी पत्रकार उपस्थित थे। पत्रकार संघ ने विधायक हरेन्द्रजीत सिंह पर तत्काल ही आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है। संघ का कहना है कि धमकी वाले कॉल की रिकॉर्डिग पुलिस को उपलब्ध करा दी गई है, इसलिए अब उन पर मामला दर्ज होना चाहिए और शीघ्र ही गिरफ्तारी हो।
श्रमजीवी पत्रकार संघ ने नगर अध्यक्ष के साथ हुई वारदात की जानकारी भाजपा के संगठन सहायक गोविन्द आर्य, विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी, पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई, वरिष्ठ भाजपा नेता प्रहलाद पटेल, एडीजीपी एमआर कृष्णा, संभागायुक्त प्रभात पाराशर, कलेक्टर गुलशन बामरा, एसपी संतोष सिंह के साथ ही थाना प्रभारी लार्डगंज हरिओम शर्मा को भी दी। इसके साथ ही महामहिम राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता, प्रभारी मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा को ज्ञापन प्रेषित कर घटना की पूरी जानकारी देते हुए उचित कार्रवाई की मांग की गई है। श्री मिश्र ने पत्रकार वार्ता में कहा कि इस घटना से उनका पूरा परिवार गहरे सदमे में है, इसलिये परिवारजनों की सुरक्षा के लिए प्रशासन को पहल करनी चाहिए। विधायक की कार्यप्रणाली देखकर ऐसा लगता है कि वे कभी भी कुछ भी करवा सकते हैं। साभार : दैनिक भास्कर
Friday, December 10, 2010
कागजों पर दिखाए 45 तालाबों का फर्जी भुगतान
ससुन्द्रा ग्राम पंचायत के सचिव की दबंगाई: जाबकार्ड पर रोजगार न मिलने की शिकायत पर सरेआम पिटाई
पूरे गांव के सामने उस युवक को बेरहती से पीटते हुये मनोज गढेकर नामक पंचायत सचिव उसे डरा - धमका रहा था कि यदि उसने पुलिस में रिर्पोट की तो उसका वह गांव में रहना दुभर कर देगा। वैसे भी सचिव ससुन्द्रा गांव में आंतक का दुसरा नाम है। उसके द्वारा ग्राम सभा का आयोजन तो दूर पंचायत भवन परिसर के गेट में ताला तक लगा कर रखा जाता है ताकि कोई भी दुसरा व्यक्ति गांव के पंचायत भवन की ओर नजरे उठा कर तक नहीं देख सके। ग्राम पंचायत ससुन्द्रा के आदिवासी सरपंच श्रवण धुर्वे भी सचिव के खिलाफ कई बार शिकवा - शिकायते जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी आमला को कर चुकी है लेकिन ग्राम पंचायत अंधारिया के पूर्व सरपंच का बेटा मनोज गढेकर किराड जाति का होने के कारण पूरे गांव में अपनी दंबगाई दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। कुछ दिन पूर्व ही आमला जनपद सरपंच संघ के अध्यक्ष एवं उमरिया ग्राम पंचायत के सरपंच वीरसिंह निगम अपने पूरे पदाधिकारियों के साथ सरपंच श्रवण धुर्वे की शिकायतो के आधार पर सचिव और सरपंच के बीच तालमेल बिठाने का प्रयास कर चुके है इसके बाद भी दोनो के बीच मनमुटाव का खामियाजा पूरा गांव भोग रहा है। भोपाल - नागपुर नेशनल हाइवे 69 पर साईखेडा - ससुन्द्रा जोड मार्ग से मात्र 2 किलोमीटर स्थित ग्राम पंचायत ससुन्द्रा के ग्राम पंचायत कार्यालय मे 25 साल के युवक मनोज गढेकर जो कि ग्राम पंचायत ससुन्द्रा में सचिव के पद पर कार्यरत है उसके द्वारा उस युवक को पंचायत भवन परिसर में ही उस समय पीटा जब पत्रकारो का दल मुख्य कार्यपालन अधिकारी बाबू सिंह जामोद को उस गांव में जाब कार्ड धारको को रोजगार एवं वृद्धा अवस्था पेशंन न मिलने की ग्रामिणो द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारी दे रहे थे। जिला कलैक्टर के प्रति मंगलवार को लिा मुख्यालय पर होने वाली जनसुनवाई कार्यक्रम की सच्चाई जानने के लिए गये पत्रकारो के दल को ग्रामिणो ने बताया कि कलैक्टर जनसुनवाई मात्र नौटंकी बन गई है।
कलैक्टर की जनसुनवाई में जाने के बाद भी आमला जनपद की फुलिया बाई को न्याय न मिलने पर जहर खाना पडता है और यहां पर पंचायत सचिव की शिकवा - शिकायत करने पर लात जूते खाने पड रहे है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के स्वजाति ग्राम पंचायत ससुन्द्रा के सचिव मनोज गढेकर के द्वारा गांव की जा रही दबंगाई के चलते गांव में आदिवासी सरपंच श्रवण धुर्वे से लेकर पूरे गांव के लोग भयाक्रांत है। पत्रकारो द्वारा पंचायत सचिव द्वारा युवक की पिटाई किये जाने के मामले की जानकारी जब जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी बाबूसिंह जामोद को दी गई तो उनके द्वारा दिया गया ब्यान भी कम गैर जिम्मेदाराना नहीं था। श्री जामोद का कहना था कि पंचायत सचिव सरकारी कर्मचारी है उसके साथ तमीज से पेश आना चाहिये लेकिन क्या रोजगार मांगना या शिकवा - शिकायत करना कोई अपराध है...! जिसकी सजा उस युवक को इस तरह सार्वजनिक रूप से दी जायेगी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का स्वराज - सूराज - पंचायती राज का मतलब क्या यही है कि ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक के अधिकारी कर्मचारी लूट - खसोट करे ओर गांव के लोग रोजगार मांगे या शिकवा शिकायत करे तो उन्हे लात घूसे से पीटा जाये। अब चूंकि मामले में बवाल मचना स्वभाविक है क्योकि ग्राम पंचायत से लेकर जिला कलैक्टर के दरबार तक में लोगों को न्याय मिलने के नाम पर इस तरह की घटनाओं का सामना करना पड रहा है तब फुलिया बाई - उर्मिला बाई यदि जहर खाती है और लक्षमण को सरेआम पीटना पड़ता है तो फिर काहे का स्वराज .....!
सूचनाधिकार: साल भर से वांछित सूचनायें देने हेतु टालमटोल कर रहे प्रभागीय वन निदेशक
पत्रकार उत्पीडऩ मामला: डी.जी.पी. और आई.जी. से निष्पक्ष विवेचना की मांग
ब्यूरो प्रमुख उ। प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल (इलाहाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
इलाहाबाद. कस्बा कोरांव इलाहाबाद ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन उ.प्र. इलाहाबाद के जिला उपाध्यक्ष ने 26 नवम्बर को पत्रकार उत्पीडऩ प्रकरण की उच्चन्यायालय इलाहाबाद के आदेश पर प्रदेश के डी.जी.पी. के निर्देश पर चल रही गैर जनपद के पुलिस अधिकारी से जांच को निष्पक्षता पूर्वक कराने व जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा उसी केस-प्रकरण से क्षुब्ध होकर तत्कालीन थानाध्यक्ष कोरांव द्वारा स्वयं वादी मुकदमा बन कर थाना कोरांव में दर्ज कराई गयी। प्राथमिकी को पुलिस थाना कोरांव से विवेचना हटाकर विशेष जांच प्रकोष्ठ से विवेचना कराने की मांग की है।अवगत हों कि अवैध खनन से नष्ट हो रहे वन, पर्यावरण की क्षति संबंधित खबरें ग्रा.प.ए उपाध्यक्ष अहमद सिद्दीकी ने प्रकाशित कराई थी और शिकायतें भी की थी। जिससे यू.पी.एम.पी. सीमा के म.प्र. के वन विभाग ने अभियान चलाकर परथर वन माफियाओं के विरूद्ध कार्यवाहीं की ट्रके जब्त हुयी कुछ ने जमानतें करायी और इस कारण धंधा बन्द होने से व थाना कोरांव पुलिस की लाखों रूपये की माहवारी रूकने से क्षुब्ध होकर व एक राय होकर माफियाओं, थाने के दलालों ने जाने से मारने झूठे केसो में फंसाने का प्रयास किया। जिसकी सूचना प्रदेश के डी.जी.पी. को भी दी। अमल न होने पर पत्रकार ने हाईकोर्ट की शरण ली।उच्वन्यायालय ने डी.जी.पी. को याचिका विनिश्चित करने का आदेश दिया और डी.जी.पी. ने आई.जी. जोन इलाहाबाद को। गैर जिले के पुलिस अधिकारी को जांच का आदेश दिया। वर्तमान मे जांच प्रतापगढ़ जिले के एक पुलिस उपअधीक्षक कर रहे है। उसी केस से जुड़े प्रकरण की विवेचना थाना कोरांव के पुलिस चौकी इंचार्ज कर रहे है। किन्तु न्यायालय के मेटर व एक पुलिस थानाध्यक्ष और पत्रकार मामले को लेकर जांच अधिकारी व विवेचक असमंजस में है। पत्रकार ने पुलिस के आलाअफसरों से पुलिस जांच अफसरों -विवेचक पर निष्पक्षता पूर्वक जांच न करने का आरोप लगाया है और रंजिशन थाना कोरांव थानाध्यक्ष कोरांव द्वारा दर्ज कराई गयी, गुण्डा टैक्स लेने के मुकदमें की विवेचना कोरांव पुलिस से हटाकर एस.आई.एस. से कराने की मांग भुक्तभोगी पत्रकार ने आई.जी.जोन इलाहाबाद से 26 नवम्बर को किया। आई.जी. ने आश्वासन दिया है। साथ ही डी.जी.पी. को भी उक्त आशय का एक पत्र पत्रकार ने डाक से भेजा है। कोरांव पुलिस के विवेचक अपने पूर्व थानेदार द्वारा दर्ज कराई गई पत्रकार के विरूद्ध विवेचना कर कैसे पत्रकार कर नाम हटाये और कैसे अपने थानेदार को गलत साबित करें। यह सांप छुछन्दर का हाल बना है। क्योंकि निष्पक्ष जांच कार्यवाहीं न होने पर यह केस पुन: हाईकोर्ट जा सकता है, जांच अधिकारी यदि निष्पक्ष जांच विवेचना करेंगे तो निश्चय ही निर्दोष बचेगा, दोषी फंसेगा अन्याय नहीं होगा। मजेदार बात तो यह है कि पूर्व एस.ओ. कोरांव अजय सिंह भी इस समय वकीलों पर लूट-मारपीट करने के मुल्जिम है व निलंबित है तथा फरार है। पत्रकारों-वकीलों का उत्पीडऩ करने में माहिर दरोगा है देखना है पुलिस क्या न्याय दिलाती है।
एम्स नई दिल्ली में गये हुए बिना भर्ती मरीजों तथा परिजनों को ठहरने की घोर समस्या
इलाहाबाद. कोरांव इलाहाबाद प्राप्त जानकारी एवम प्रत्यक्ष दर्शित अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान अंसारी नगर नई दिल्ली जो भारत का एक बहुचर्चित एवम् प्रत्येक अंगों के इलाज के लिए आर्युविज्ञान संस्थान के रूप में केन्द्रसरकार द्वारा संचालित है, उसमें बिना भर्ती हुए मरीजों तथा साथ में गये हुए परिजनों के लिए ठहरने तक के लिए कोई सुविधा नहीं है। जिससे दूर दूर से पहुंचने वाले मरीजों तथा परिजनों को विशेष परेशानियों से गुजर करना पड़ता है। इसका प्रमुख कारण वहां पर तैनात गार्डों की बदसलूकी का होना है। प्राय: यह देखा गया कि विभिन्न रोगों से ग्रसित मरीज येने केन प्रकरेण अस्पताल तो पहुंच जाता है और जैसे ही गेट के अन्दर छटपटाते मरीज एवं बिलखते परिजन अपने साथ झोला बैग लेकर अस्पताल ग्राउन्ड मे रखने लगते है, तभी वहां टहलते घूमते कई गार्ड पहुंच जाते है और वे मरीजों तथा परिजनों को डॉटना फटकारना चालू कर देते है, और कहते है हटो यहां से हटाओं ये सभी समान बाहर ले जाओ। जहां भी मरीज अपना सामान रख देते है, वहां पहुंचकर झोला बैग फेकना शुरू कर देते है। कई जगह ठोकरे खाते-खाते जब मरीज तथा साथ मे गये हुए परिजन फुटपाथ पर बैठ जाते हैं, तो वहां पर भी सुरक्षा गार्ड जो वर्दी लगाये रहते है। वे अपने हाथ से झोला फेकने लगते है। तमाम गिड़गिड़ाने पर भी जरा सी रहम नाम की चीज इन सुरक्षा गार्डो को नही आती है। कभी- कभार यह भी होता है कि इन तमाम समस्याओं से आजिज होकर मरीज तथा साथ गये हुए परिजन अपना झोला बैग लेकर बिना इलाज के ही चले जाते हैं। कैन्टीन जो एम्स परिसर में है उसमें मनमाना पैसा भोजन के लिए लिया जाता है।
बैतूल जिले की जनता के साथ धोखा हुआ
बैतूल में फर्जी पत्रकारों और न्यूज चैनलों ने मचायी लूट
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम) 10.12.2010
बैतूल . भले ही भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 250 नये न्यूज चैनलो को अनुमति नहीं दी है लेकिन इन सबसे उन्हे क्या फर्क पड़ता जिनके लिए कोई भी नया न्यूज चैनल शुरू करना एक मजाक बन गया हो। आपको भले ही यकीन न हो इस बैतूल जिले में सूचना प्रसारण मंत्रालय नहीं बल्कि आबकारी विभाग की एनओसी पर डाक एवं तार विभाग किसी भी नाम के न्यूज चैनल को खोलने की अनुमति प्रदान कर देता है। लोकल केबल के नाम पर डाक विभाग से पंजीयन पाने के बाद इस जिले में दो दर्जन से भी अधिक न्यूज चैनल धडल्ले से चल रहे है।
हर कार्यक्रम में चैनलो के लोगो- मोनो – आई डी की इतनी भरमार रहती है कि देखने वाला समझ भी नहीं पाता कि कौन सा चैनल कहाँ का है….? इसी कड़ी में इस समय दिल्ली एवं भोपाल से तथाकथित प्रसारित होने वाले न्यूज चैनलो के रिर्पोटरों- कैमरामेनों – स्ट्रींगरों तथा ब्यूरो चीफ को बनाने के नाम पर लम्बा-चौड़ा गोरखधंधा चल रहा है। इस धंधे में शामिल तथाकथित न्यूज चैनलो के डायरेक्टरों – न्यूज एडिटरों – फैंचाइसी – प्रदेश ब्यूरो चीफों - – रिर्पोटरों द्धारा राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक न्यूज चैनलो के नाम पर 25 से 50 हजार रूपये प्रति व्यक्ति अनाधिकृत वसूली की जा रही है।इस लूट-खसोट में बड़े बैनरों के भी शामिल हो जाने से मीडिया के क्षेत्र से जुड़े लोग भौचक्के है। सबसे बड़ा चौकान्ने वाला तथ्य यह है कि इस समय जिले में इलेक्ट्रानिक मीडिया के सौ-सवा सौ रिर्पोटर – कैमरामेन – स्ट्रींगर एवं ब्यूरो चीफों ने आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले की ग्राम पंचायतों एवं नगरीय क्षेत्रो में लोगो के बीच दहशत का कारण बने हुए है। जिले के दो दर्जन से अधिक सरपंच एवं सचिवों ने इस बारे में बकायदा शिकायतें अपने जनपदों एवं जिला पंचायत के आला अफसरों तथा नोडल एजेंसी के पास दर्ज करवाई है, जिसमें उनसे अनाधिकृत धौंस धपट कर रूपये की मांग करने तथा उसकी पूर्ति न किए जाने पर उन्हें मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताडि़त किए जाने का उल्लेख किया गया है। अभी हाल ही में बैतूल के निजी चिकित्सकों की ओर से डां मनीष लश्करे को ब्लैकमेल करने वाले एक न्यूज चैनल के रिर्पोटर के खिलाफ बैतूल गंज पुलिस चौकी में रिर्पोट दर्ज करवाई है।इधर इस क्षेत्र में आई बेमौसमी बाढ़ के बाद बैतूल जिले में पत्रकारों की संख्या का आंकड़ा चार सौ से ऊपर पहुंच गई है। सूत्रों ने बताया कि भोपाल एवं दिल्ली, नोएडा – हरियाणा – पंजाब – बिहार के टीवी चैनलो के बैतूल जिले में कार्यरत रिर्पोटरों – स्ट्रींगरों – कैमरामैनों एवं ब्यूरो चीफ बने अधिकांश लोगों के पास टीवी चैनल का या तो आई डी – लोगो – एफ टी पी नम्बर है . इनमें से कुछ तो ऐसे भी है जिनके पास न तो आई डी है और न लोगो। इन लोगों के पास नियुक्ति पत्र तो दूर रहा टीवी चैनलों की फिक्वेंसी नम्बर तक नहीं है। टीवी पर खबर आयेगी भी या नहीं स्वंय उस रिर्पोटर से लेकर कैमरामेन तक को पता नहीं रहता जो कि हर उस खाने – पीने वाली पत्रकारवार्ता में सबसे पहले पहुंच जाता है. ऐसे में आम टीवी चैनलों पर खबरों की उम्मीद लगाने वाला दर्शक हैरान एवं परेशान है। जहाँ एक ओर आपको इस छोटे से आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में आज तक – कल तक – परसों तक – नरसों तक के रिर्पोटर एवं आई डी – लोगो लेकर गांव- गांव , गली – गली में घुम – घुम कर अवैध चौथ वसूली करने वाले मिल जाएगे वही दूसरी ओर एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि इन तथाकथित लूटेरों को भी लूटने वालों की कमी नहीं है।बैतूल जिले में बीते वर्ष मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय रिजनल न्यूज चैनल चाहे बात वाच न्यूज की हो या फिर वाइस आफ इंडिया की सभी के नाम पर ठगी के शिकार बने लोगों की कमी नहीं है। वाच टीवी के एक रिर्पोटर को पूरे आठ माह तक मुफ्त की बेगार करवाने के बाद जब पैमेंट देने की बात आई तो पता चला कि चैनल ही बंद हो गया . इसी तरह नोएडा से प्रसारित होने वाले साधना मीडिया समूह द्धारा बैतूल के दो युवकों से हरियाली एवं साधना न्यूज के नाम पर दस हजार रूपये तथा दूसरे से पच्चीस हजार रूपये का लिखित एग्रीमेंट करने के बाद दोनों को चैनल के लोगो एवं नियुक्ति पत्र देने के बाद उनके साथ पर एक अन्य युवक को उन दोनों से अधिक रूपये देने पर बैतूल का ब्यूरो चीफ बनाया गया। जब धोखाधड़ी के शिकार बने युवकों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कर साक्ष्य के साथ साधना न्यूज चैनल के खिलाफ मामला दर्ज करवाने की धमकी दी गई तो दोनों को उनके रूपये वापस लौटाए गए।
इसी तरह टाइम टीवी के नाम पर बैतूल में कुछ लोग रिर्पोटर बने उन्हें बकायदा नियुक्ति पत्र तथा चैनल लोगो- आईडी तक दिया गया, लेकिन बाद में पता चला कि टाइम टीवी का भोपाल ब्यूरो ही बदल गया तथा कुछ समय बाद तो टाइम टीवी का नाम ही बदल गया. अब वही पंजाबी धार्मिक चैनल चारदीकला टाइम टीवी के नाम से प्रसारित होने लगा है। इस पंजाबी चैनल के बैतूल जिले में एक नहीं बल्कि आधा दर्जन रिर्पोटरों के पास चैनल का आई डी लोगो मौजूद है। बैतूल जिले में न्यूज 24 एवं टीवी 24 के भी रिर्पोटर मिल जाएंगें। अक्सर देखने में यह आता है कि भोपाल में टीवी चैनलों की लम्बी चौड़ी दुकान खोल कर बैठे ब्यूरो चीफ को बैतूल जैसे कई जिलों में बेगार में काम करने वाले लोग मिल जाते है जिनका वे समय – समय पर उपयोग किसी न किसी खबर में उनका नाम देकर उनसे साल भर हमाली और दलाली करवाते रहते है।
इस क्षेत्र में आई बाढ़ के कारण न्यूज चैनलों की विश्वसनीसता तक दांव पर लग जाती है। जी न्यूज तक न बैतूल से एक ऐसी खबर प्रसारित कर दी जिसमें दो बेगुनाह आदिवासी को शेर की खाल का तस्कर तक बता डाला बाद में वह शेर की खाल सियार की निकली। एक साथ एक महिला को नौ बच्चे होने की खबर हो या फिर बैतूल में स्वाइन फ्लू फैलने की खबर …… इस प्रकार की भ्रामक खबरों से न्यूज चैनलों की स्वंय की प्रतिष्ठा भी मिटटी में मिल रही है। सबसे पहले एक्सक्लूसीव खबर देने के चक्कर में कई बार बैतूल जिले से ऐसी खबरें तक प्रसारित हो गई कि पूरा जिला प्रशासन फजीहत में पड़ गया था। बैतूल जिले में तो कई मजेदार तथ्य सामने आए है। ऐसी स्थिति में कई ऐसे रिर्पोटर बैतूल जिले में देखने को मिल जाएगे जिनके पास विभिन्न चैनलो के एफ टी पी नम्बर देकर उनसे मुफ्त की बिज्जर करवाई जा रही है . अभी हाल ही में मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के नाम से शुरू होने वाले एक टी वी चैनल की सहारा समय से निकले कुछ रिर्पोटरों द्धारा फैंचाइसी लेने के बाद उसके लिए रिर्पोटरों बनाने के नाम पर विज्ञापन छपवाया गया तथा ले देकर अपने चहेतों को नियुक्ति पत्र एवं चैनल का आई डी – लोगो तक दे दिया गया। जबकि अभी न्यूज चैनल का प्रसारण तक शुरू नहीं हुआ है और उसके रिर्पोटरों ने चैनल का आई डी – लोगो लेकर सरकारी तथा गैर सरकारी कार्यालयों की खाक छाननी शुरू कर दी है।बैतूल जिले में टीवी चैनलों के रिर्पोटरों की चकाचौंध में अब जिले के केबल आपरेटरों के भी कूद जाने से जिले में न्यूज चैनल अन्य मनोरंजन चैनलों से अधिक दिखाई देने लगे है। कब कौन सा न्यूज चैनल बंद हो जाए तथा कौन सा नया चालू हो जाये कहा नहीं जा सकता, लेकिन इन सबके चलते दिन प्रतिदिन इलेक्ट्रानिक मीडिया की इमेज खराब होती चली जा रही है।
बैतूल जिले के जन सम्पर्क कार्यालय में इस बार स्थानीय स्तर पर सौ सवा सौ लोगो को स्थानीय निकायों के चुनावों में मतदान एवं मतगणना केन्द्रों में प्रवेश के परिचय पत्र जारी किये जाए जो कि चुनाव आयोग के निर्देशों की सरासर अवहेलना की श्रेणी में आता है। बैतूल जिले में न्यूज चैनलों के नाम पर धोखाधड़ी के शिकार बने युवकों के द्धारा अब न्यूज चैनलों के भोपाल एवं दिल्ली तथा नोएडा सहित अन्य स्थानों के असाइमेंट प्रमुखों एवं एडिटरों तथा मालिकों के खिलाफ न्यायालय में पृथक रूप से परिवाद प्रस्तुत किये जाने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में अब यह देखना बाकी है कि आने वाले समय में टीवी चैनलों एवं उनके रिर्पोटरों तथा स्ट्रींगरों का भविष्य क्या होगा तथा आखिर कब तक केबल के नाम पर यू ही न्यूज चैनल बिना अनुमति के चलते रहेगें।
बैतूल : गोलमाल है भई सब गोलमाल है सहकारिता का निकला पलीता
भारत भ्रष्टतम देशों में शुमार, घूस लेने में पुलिस नंबर-1
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के खुलासे से साफ हो गया है कि 100 में 80 ना सही लेकिन देश में भ्रष्टाचार का आंकड़ा इससे कम भी नहीं। देश में 100 में 54 लोग भ्रष्ट हैं। जो अपना काम करवाने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं। फिर चाहे इसके लिए वो घूस दें या घूस लें।
संयुक्त राष्ट्र संघ की ट्रांसपेरेंसी इंटरनेश्नल की 7वीं रिपोर्ट इंटरनेश्नल एंटी करप्शन डे के मौके पर जारी की गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल भारत में अपना कोई न कोई जरुरी काम करवाने के लिए 54 फीसदी लोगों ने रिश्वत दी। यानि देश का हर दूसरा शख्स रिश्वत देने में यकीन रखता है। सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार पुलिस डिपार्टमेंट में है। सर्वे में भारत को इराक और अफगानिस्तान सहित सबसे भ्रष्ट देशों में गिना गया है।
यही नहीं, रिपोर्ट में लोगों की राय लेने के बाद ये भी लिखा गया है कि भारत के करीब 74 फीसदी लोगों के मुताबिक पिछले 3 सालों में देश में रिश्वतखोरी काफी बढ़ी है। मालूम हो कि भारत में टू जी स्पेक्ट्रम जिसने देश को 1 लाख 76 हजार करोड़ का चूना लगाया। भ्रष्टाचार की मुंबई में आदर्श इमारत भी इसी बात को दर्शाती है। कॉमनवेल्थ में सैकड़ों करोड़ का घोटाला भी इसी की तस्दीक करता है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेश्नल के आंकड़े चौकाने वाले हैं, इसमें भारत के अलावा दुनिया भर में बढ़ते भ्रष्टाचार की भी बात की गई है। अगर दुनिया के दूसरे देशों की बात करें तो रिपोर्ट में और कई चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए गए हैं। इस सर्वे में 86 देशों में 91,000 लोगों से बात की गई। 2010 के ग्लोबल करप्शन बैरोमीटर के मुताबिक पिछले 12 महीनों में दुनिया के हर चौथे आदमी ने घूस दी। घूस लेने वालों में शिक्षा, स्वास्थ्य और टैक्स विभाग के अधिकारी सबसे आगे हैं।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेश्नल 2003 से करप्शन पर रिपोर्ट जारी कर रही है। यह उसकी 7वीं रिपोर्ट है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेश्नल की 7वीं रिपोर्ट के आंकड़ों ने दुनियाभर में फैल रहे भ्रष्टतंत्र के दावों पर मुहर तो लगाई ही है। साथ ही भारत में फैल रहे भ्रष्टाचार के कैंसर को भी बेपर्दा किया है।
Thursday, December 9, 2010
आखिर गुरू शिष्या का रिश्ता शर्मसार हुआ, माफी मांगी
पति से तलाक लेंगी करिश्मा कपूर?
सूत्र बताते हैं करिश्मा इस बात से बेहद नाराज हैं। बताया जाता है कि वे जल्द ही अदालत में तलाक के लिये अर्जी भी डाल सकती हैं। हालांकि उन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है, लेकिन इस बार करिश्मा बहुत नाराज हैं।
अभिषेक बच्चन से सगाई टूटने के बाद करिश्मा ने संजय के साथ 23 सितम्बर 2003 को शादी की थी। संजय का उसी समय अपनी पहली पत्नी डिजाइनर नंदितना महतानी के साथ तलाक हुआ है। इसके बाद दोनों की शादीशुदा जिंदगी ठीक-ठाक चलने लगीं। संजय और करिश्मा की पहली बेटी समायरा का जन्म 2005 में हुआ। हालांकि, इसके बाद भी दोनों के बीच के रिश्ते में खटास बनी रही।
इसके कुछ समय बाद करिश्मा कुछ समय के लिये अपने पति से अलग रहने लगीं, लेकिन बाद में दोनों के बीच समझौता हो गया और वे फिर साथ हो गये। इसके फौरन बाद इस जोड़े के घर दूसरे बच्चे का जन्म हुआ। इसी साल मार्च में करिश्मा ने अपने बेटे किआन को जन्म दिया। लेकिन, एक बार फिर दोनों का रिश्ता बिखरने की कगार पर है।
संजय की इस तरह की आदतों से करिश्मा तंग आ चुकी हैं। बहुत सोच-समझकर उन्होंने अब अपनी जिंदगी की राहें संजय से अलग करने का मन बना लिया है।
खिलाडी गांवो से चुने जाए न कि दिल्ली, मुम्बई, बैंगलुरू से -सिंधिया
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 98262 ८५५८१
महिलाऐं बेहतर राजनीतिज्ञ-सिंधिया
अशोकनगर। आपका सांसद आपके द्वार कार्यक्रम में संबोधित करते हुए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हिंदुस्तान की महिलाऐं बेहतर राजनीतिज्ञ होती हैं। सारी राजनीति घर से ही शुरू होती हैं। जब महिलाएं घर में रहकर घर का मैनेजमेंट तथा राजनीति सुचारू रूप से चला लेनी हैं तो बाहर की राजनीति करना बडी बात नहीं हैं। श्री सिंधिया ने कहा कि देश की राष्ट्रपति महिला हैं, कांग्रेस अध्यक्ष महिला हैं अब महिला सशक्तिकरण का कार्य शुरू हो गया हैं। आगे सांसद, विधायक महिलाऐं होगी।
जनसुनवाई में किसान द्वारा बैंक प्रबंधक पर लगाये गए धोखाधड़ी के आरोपो की खुली पोल
बंद पड़ी हैं चलित पशु चिकित्सा ईकाई
जिला प्रतिनिधि// सावित्री लोधी (अशोक नगर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 98262 85581
अशोक नगर, किसी दुर्घटना में घायल एवं बीमार मवेशियों को मौक पर ही उपचार देने वाली चलित पशु चिकित्सा इकाई नाम की रह गई हैं। इस कारण लोगों को परेशान तो होना ही पड़ता हैं। साथ ही पशुओं की मौत भी हो जाती हैं। जिला मुख्यालय पर पशु चिकित्सालय के पीछे स्थित चल पशु चिकित्सा ईकाई के कार्यालय और कर्मचारियों के होने के बाद भी पशुओं को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा हैं। मौके पर ही पशुओं को चिकित्सा उपलब्ध हो, इसलिए पशु चिकित्सा ईकाई पहुंचकर ऐसे पशुओं को तुरंत उपचार पहुंचाती हैं। लेकिन इस ईकाई के होने के बाद भी घायल और बीमार पशुओं को समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा हैं, जिस कारण उनकी मौत भी हो रही हैं। -
कार्यालय सूना, कर्मचारी नदारद
चल पशु चिकित्सा इकाई कार्यालय हर समय खाली मिलता हैं और वहां के कर्मचारी नदारत मिलते हैं। बुधवार को भी इसी तरह का वाक्या सामने आया। दोपहर लगभग दो बजे अपने ही टे्रक्टर से घायल हुए एक बछड़े को किसान लेकर पहुंचे, लेकिन पशु अस्पताल चार बजे खुली। इसके पूर्व ही चल चिकित्सा इकाई को दिखाने का था, लेकिन इस दौरान कार्यालय पूरी तरह खाली मिला। चल इकाई में पदस्थ कर्मचारी नदारद मिले। यह पहला वाक्या नहीं हैं कि इस तरह पूरा का पूरा कार्यालय कर्मचारी विहीन हो। लेेकिन इस ओर वरिष्ठ अधिकारियों ने गौर नहीं किया। इससे उक्त कैशलोन निवासी किसान दो घंटे तक पुश चिकित्सालय में बछड़े को घायल अवस्था में लिए बैठा रहा। वहीं कई बार चल इकाई के निष्क्रिय रहने से पशुओं की मौत हो चुकी हैं। ऐसा कई बार हुआ हैं कि मवेशी वेचारे सडक पर घायल पडे तडपते रहते हैं और इस ओर चलित इकाई का ध्यान तक नहीं जाता हैं।
विकलांग दिवस पर सामाजिक न्यास विभाग ने बच्चों को पकड़ाई अन्य जगह की तख्ती
अशोक नगर. संजय स्टेडियम में तीन दिन तक चली विकलांग खेलकूद एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का समापन विगत दिवस विश्व विकलांग जन दिवस के अवसर पर हुआ। इस मौके पर विजेता प्रतिभागियों को जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने पुरूस्कृत किया। इस कार्यक्रम में जिले के चारों ब्लाको से विकलांग विधार्थी सहित विकलांग लोग शामिल हुए। इसी दोरान जब रेस प्रारंभ हो रही थी, उससे पूर्व तख्ती लिए बैठे बच्चो से पूछा गया कि चंदेरी ब्लाक के कितने बच्चे हैं, तो ईसागढ की तख्ती लिए बैठी 10-12 छात्राओं में से तीन छात्राओं ने कहा कि हम भी चंदेरी विकासखंड से आए हैं। ईसागढ़ की तख्ती हमें सर पकड़ा गए हैं। वहंी ईसागढ़ से आए विकलांगों की संख्या काफी कम थी, इसलिए मौजूद सर ने चंदेरी की छात्राओं को तख्तियां पकड़ा दी, जिससे कि ईसागढ़ से आए विकलांगों की संख्या ठीक-ठाक जान पड़े ।
- अधिकारियों ने भी नहीं दिया ध्यान:- सामाजिक न्याय विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जिला मुख्यालय के पीटीआई के अतिरिक्त डिप्टी कलेक्टर अभिषेक दुबे लंबे समय तक कार्यक्रम स्थल पर मौजूद रहे। लेकिन उन्होने एक बार भी जाकर विकलांग बच्चों का हालचाल नहीं पूछा और न हीं यह भा जानने का प्रयास नहंी किया कि कहीं औपचारिकता तो नहंी निभाई जा रही थी।
यातायात पुलिस ने कसा बेलगाम यातायात पर शिकंजा
जिला परियोजना समन्वयक ने किया विद्यालयों का औचक निरीक्षण
आर.टी.ओ. विभाग को दलालों से मुक्त किया जाए
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 10 वर्ष पश्चात भी शासकीय कार्यालयों की कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं आया है, उम्मीद थी की नये राज्य के गठन के पश्चात अधिकारी एवं कर्मचारी स्वमेव अपने व्यवहार में सुधार लायेंगे। लेकिन कोई परिवर्तन न आने से नागरिकों को निराशा ही मिली है। अम्बिकापुर स्थित क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के कार्यालय का सारा कार्य एजेंटों के माध्यम से होना दुर्भाग्यपूर्ण है। दु:ख तो इस बात की है कि अधिकारी स्वयं एजेंटों को शासकीय अभिलेख, फाइल, रिकार्ड उठाने के लिये कहते हैं। कार्यालय के सभी कर्मचारी एजेंटों के माध्यम से अवैध कमाई करते हैं, इसलिए कोई विरोध नहीं करता। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ शासन के परिवहन विभाग ने आरटीओ विभाग के कार्य कराने के लिए एजेंटों को मान्यता नहीं दी है तथा शासकीय कार्यालय में बड़े-बड़े बोर्ड में हर कार्य की दर सूची निर्धारित समयावधि का उल्लेख करते हुए लगा रखी है, लेकिन एक भी कार्य बगैर एजेंट के सहयोग से अम्बिकापुर स्थित क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के कार्यालय में संपादित नहीं हो रहा है, जो चिंता का विषय है। सबसे ज्यादा परेशानी नागरिकों को नवीन कंम्प्युटर लायसेंस बनाने में होती है। निर्धारित शुल्क एक वर्ष का लायसेंस बनाने के लिए 160 रूपये तथा दो वर्ष के लिए लगभग 200 रूपये है जबकि एजेंटों द्वारा लायसेंस बनाने के नाम पर एक हजार रूपये तक वसूला जाता है। एजेंट लायसेंस बनवाने का पूरा ठेका ले लेते है। लायसेंस निर्माण करने वाले समिति के सदस्यों, आरटीओ अधिकारी, कर्मचारी को निर्धारित दर जो कि अवैध रूप से कमाई की होती है। बंदर बाट कर दी जाती है, यदि कोई नागरिक सीधे बैंक से चालान पटाकर लायसेंस बनाना चाहें तो आटीओ कार्यालय के भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी उसको इतनी बार घुमा देंगे कि वह परेशान होकर एजेंट की शरण लेने के लिए मजबूर हो जाएगा। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय अम्बिकापुर द्वारा किसी भी दलाल को मान्यता प्रदान नहीं की गई है, फिर भी अम्बिकापुर में कई व्यक्ति अपने आपको स्वयं एजेंट घोषित कर नागरिकों से आटीओ विभाग से कोई भी कार्य करने का दावा कर अवैध रूप से भारी कमाई करने में लगे है। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पश्चात यदि शासकीय विभागों में भ्रष्ट कार्यालयों का आंकलन किया जावे तो खाद्यविभाग, लोक निर्माण विभाग, से पहले परिवहन विभाग का नाम आयेगा। अम्बिकापुर के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में तो वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण पंजीयन कराने, फिटनेस प्रमाण-पत्र देने में बाबू से लेकर साहब तक का अवैध कमाई रेट फिक्स रहता है। अधिकांश बाबू अम्बिकापुर अम्बिकापुर के स्थानीय निवासी हैं, यदि शासन को आरटीओ ऑफिस अम्बिकापुर की कार्यप्रणाली में सुधार लाना हो तो सबसे पहले कार्यालय से एजेंटों को हटाया जाये तथा सभी अधिकारियों, कर्मचारियों का तत्काल जिले से बाहर स्थांनातरण कर दिया जाये तभी सरगुजा की जनता राहम महसूस कर सकेंगी।
पत्रकारिता को कलंकित किया जे. पी. हितकर ने
ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरों प्रमुख से सम्पर्क : 98265 40182
पत्रकार समाज को आइना दिखाने का काम करता है, लेकिन सरगुजा के एक साप्ताहिक समाचार-पत्र ''हितकर और दिनकर'' के सम्पादक जे.पी. हितकर ने 22 वर्षीय युवती को एक मकान में ले जाकर गाली गलौज व मारपीट कर अनाचार कर पत्रकारिता को कलंकित किया है। जे.पी. हितकर का साप्ताहिक समाचार पत्र ''हितकर और दिनकर'' नियमित रूप से प्रकाशित भी नहीं होता, जे.पी. हितकर महिलाओं को पत्रकार बनाने का प्रलोभन देता तथा अपने मोटर सायकल पर बैठाकर घुमाता रहता था। सरगुजा जिले के ग्रामीण क्षेत्र की कई युवतियों को वह पत्रकार बनाने का प्रलोभन देकर ड्रेस बनाने के नाम पर, पे्रस कार्ड देने के नाम पर, हजारो रूपए की ठगी कर चुका है। केन्द्रीय विद्यालय के सामने भगवानपुर में जे.पी.हितकर के निवास में ही ''हितकर और दिनकर'' साप्ताहिक समाचार पत्र का कार्यालय है। गांधीनगर पुलिस थाना, अंबिकापुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार जे.पी.हितकर को धारा 366, 342, 294, 506, 323 व 376 के तहत गिरप्तार किया है। पुलिस ने बताया कि मूलत: खजूरी कुसुमी निवासी युवती सुभाषनगर में किराये के मकान में रहती है। जबरदस्ती मोटरसायकल मे बैठाकर एक घर में ले जाकर जान से मारने की धमकी दे मकान में बंद कर अनाचार किया। पुलिस ने बताया कि घटना के वक्त आरोपी जे.पी. हितकर नशे में था। जे.पी.हितकर के खिलाफ पूर्व में भी जयनगर थाना में एक युवती ने अनाचार का मामला दर्ज कराया था। जिसमें भी उसकी गिरप्तारी की गई थी। जनसम्पर्क कार्यालय, अंबिकापुर में जे.पी हितकर के बारे में जानकारी लेने पर संतोष मौर्य उपसंचालक ने बताया कि जे.पी.हितकर साप्ताहिक समाचार-पत्र ''हितकर और दिनकर'' के संपादक है। अखबार का प्रकाशन नियमित रूप से नहीं किया जा रहा है। अपराधिक घटना न्यायालय द्वारा जे.पी. हितकर को दोषी होने पर सजा दी जाएगी।सरगुजा जिले में ऐसे कई संपादक, पत्रकार है, जिनका कोई अखबार नहीं है। लेकिन फिर भी वो अधिकारियों से वसूली करते है। जिला सम्पर्क कार्यालय द्वारा समय-समय पर पत्रकारों की सूची विभिन्न शासकीय कार्यालयों में भेजी जाती है। फिर भी बगैर अखबार के पत्रकार अपनी हरकतों से बाज नहीं आते, जिसके कारण पत्रकारिता पर दाग लगता रहता है। रायपुर की मासिक पत्रिका ''अटल छत्तीसगढ़'' के नाम पर अंबिकापुर के कुछ पत्रकारों ने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर सरपंचो से हजारो रूपए के विज्ञापन प्रकाशन के नाम पर वसूली की। एक बड़ी गाड़ी ''संपादक अटल छत्तीसगढ़'' लिखी हुई ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर घूमती रहती है। उस गाड़ी का पंजीयन क्रमांक नहीं लिखा गया है। जो आर.टी.ओ. विभाग की लापरवाही को दर्शाता है।
सुन्दर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय का हाल बेहाल
ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरों प्रमुख से सम्पर्क : 98265 40182
प. सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय बिलासपुर ने 50 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों का तीन साल बरबाद कर दिया है। 5 साल पहले-2005 में विवि अस्तित्व में आया था इन पॉच वर्षो में विवि प्रबधन केवल दो बार ही परीक्षा करवा सका है। यानि विद्यार्थियों का तीन साल परीक्षा में इं़तजार में गुजर गया 2010 तक विवि में 75 हजार विद्यार्थी दखिल ले चुके है। इससे यह माना जा रहा है। कि विभिन्न कोर्स के लगभग 60 से ज्यादा विद्यार्थी तीन साल बेकार चले गये है। विवि ने छत्तीसगढ़ फार्म भरने के चार सेन्टर बनाये थे बिलासपुर मुख्यालय के अलावा रायपुुर जगदलपुर और अम्बिकापुर कार्यालय खोलकर फार्म भराए गयें। फार्म भरने के बाद की बाकी खानापूर्ति बिलासपुर में की गई। इन वजह से तयशुदा समय में परीक्षाए नही हुई तब इस बारे मे पूछताछ करने पहुचे विद्यार्थियों सही जवाब नही मिला। राजधानी सहित दुसरे क्षेत्रीय कार्यालयो में विद्यार्थी चक्कर काटते रहे पर उनकी नही सुनी गई। आजकल कहकर लौटाया जा रहा। इसी इसी में इतने साल गुजर गए। मुक्त विवि के विद्यार्थी एक जगह संगठित नही हो सके इस वजह से अब तक विरोध नही हुआ टाइम ऑफ क्राइम के छत्तीसगढ़ ब्युरो चीफ राजेन्द्र जैन ने कुछ पीडि़त विद्यार्थियों से चर्चा की। छात्रों ने अपनी पीड़ा बयान करते हुॅए कहा कि हमारी कोई सुनने वाला नही है। विभिन्न विषयों के लिए न्यूनतम 2000 से 10000 तक फीस ली गई है। फीस लेने के समय कहा गया था कि किताबे विवि देगा। परीक्षा में उत्र्तीण के लिये विशेष कक्षाए आयोजित की जाएगी पढ़ाई तो दुर विवि ने किताब नहीं तक दी। मोटी फाीस लेकर भी हमारा पूरा साल बेकार चला गया। शासन ने विवि उन विद्यार्थीयो के लिये खोला था जो काम के साथ साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते है। एैसे विद्यार्थीयो की सुविधा को ध्यान में रखकर रोजगार मुलक कोर्स इसमे शामिल किए गए थे। व्यवसायिक व कम्प्युटर कोर्स भी रखा गया। परीक्षा के समय विद्यार्थी को तैयार करने के लिय 155 अध्ययन केन्द्र की स्थापना की गई जमीनी हकीकत इससे जुदा है। विवि विद्यार्थीयो को आगे बढ़ाना तो दूर उसके साल बरबाद कर उनके लिए अभिशाप बन गया।
मजेदार चुटकुले, जोक्स, रोमांटिक चुटकुले, Hindi Jokes /Chutkule 5
चिंटू ने चमन से कहा: 'क्या तुम बता सकते हो कि एक आदमी नेता बनने केबाद क्या खास काम करता है?
चमन : 'चुनाव के पहले वह अपना हाथ हिलाता है और बाद में जनता के विश्वास को।
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मजबूरी
हैइंस्पेक्चटर ने रमन से कहा : नालायक...!
तुम इतने गिरे हुए हो कि केेवल पांच सौ रूपए के लिए इस बुजुर्ग व्यक्ति का सिर फोड़ दिया ?
रमन ने कहा : ' और क्या करता साहब ... मजबूरी है! ऐसे ही तो बूंद - बूंद से घड़ा भरता है।
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आइटम गर्ल का
डांसचंपू ने पिता से कहा : 'पापा , मैं भी अपनी शादी में आइटम गर्ल को डांस करवाऊंगा।
पापा : 'बेवकूफ,क्या बकता है , यह तमाशा किस गधे की शादी में देख लिया ?
चंपू : 'आपकी शादी के वीडियो में।
पापा : 'अबे नालायक अपनी मौसी और बुआ को नहीं पहचानता !
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पत्नी की शॉपिंग
पत्नी ने पति से कहा : ' देखो जी , अगर तुम मेरे साथ नहीं चलोगे , तो मैं भी शॉपिंग केलए नहीं जाऊंगी।
पति ने कहा : ' तुम्हे....... मेरे साथ जाना इतना अच्छा लगता है।
पत्नी ने कहा : 'अच्छा तो नहीं लगता , पर कोई सामान उठाने वाला भी तो कोई होना चाहिए। *************************************************************************
बेचारा पति
पत्नी : 'अगर रात को घर में कभी चोर आ जाए , तो तुम क्या करोगे ?
पति : ' वह जो चोर कहेगा। पत्नी : 'क्यों ?
पति : 'आज तक इस घर में मैंने कुछ किया भी है जो अब करूंगा ?
*************************************************************************
तोता बना बॉस
ए क आदमी तोता खरीदने गया। दु कानदार ने एक तोता दिखाकर कहा, ' यह लीजिए।
यह तोता आपके घर की रखवाली करेगा।
कोई चोर - उचक्का आ गया तो शोर मचाने लगेगा। रूखा - सूखा जो भी दोगे , खा लेगा।
कीमत है 500 रूपए। दुकानदार ने दूसरा तोता दिखाया, 'यह कई तरह के काम करता है।
मसलन , आपकेबच्चों को होमवर्र्क करने में मदद करेगा।
हर मुश्किल में आपको हल सुझाएगा। यह कम्प्यूटर भी जानता है। जरा बढिय़ा खाने का शौकीन है। इसका दाम है 1000 रूपए।
ग्राहक ने कहा,' और जो यह तीसरे पिंजरे में है ...?
दुकानदार ने कहा ,'यह कोई काम नहीं करता। दिनभर हुक्म चलाता रहता है। और खाने को इसे हलवा - पूरी चाहिए। इसका मूल्य है 2000 रूपए। ग्राहक 'लेकिन यह इतना महंगा क्यों है ?
दुकानदार : ' यह उन दोनों का बॉस है। *************************************************************************
ड्राइवर की चालाकी
टैक्चसी वाला :' सर सॉरी , मैं मीटर चालू करना भूल गया था। अब कितना भाड़ा लूं ?
संता : 'अरे कोई बात नहीं। मैं भी अपना बटुआ भूल आया हूं ! *************************************************************************
खूब रोया संता -
संता अकेले बैठकर रो रहा था। बंता ने पूछा: 'यार संता , तुम क्यों रो रहे हो ? संता: ' यार , एक लड़की को भूलने की कोशिश कर रहा हूं। बंता: ' इसमें रोने की क्या बात है ? संता: 'जिस लड़की को भूलने की कोशिश कर रहा हूं, उसका नाम याद नहीं आ रहा। *************************************************************************
एक सपना
-पति : 'मैंने रात तुम्हें सपने में देखा। पत्नी : ' क्या देखा ?
पति : ' मैंने देखा कि समुद्र में हम तुम एकजहाज पर चले जा रहे हैं। इतने में एक भयंकर तूफान आता है और मैं समुद्र में गिर जाता हूं। डूबने लगता हूं कि तुम मुझे बचा लेती हो। फिर तुम कहती हो किमैं सात जन्मों तक तुम्हारा साथ दूंगी। पत्नी ने पूछा : ' फिर ? पति : 'यह सुनते ही मैं समुद्र में कुूद जाता हूं। *************************************************************************
नरसिंहपुर : भरी पड़ी हुयी हैं नालियाँ, नगर पालिका सुस्त
नरसिंहपुर शहर के महाजनी वार्ड की नालियाँ लबालब भरी हुयी हैं। जिनकी नगर-पालिका परिषद द्वारा नरसिंहपुर किसी भी प्रकार की साफ-सफाई नहीं की जा रही है। नालियों का गंदा पानी रास्ते में फैल रहा है, जिससे स्थानीय निवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों को निवासियों को इस गंभीर समस्या से उबारने के लिए नगर-पालिका परिषद का कोई ध्यान नहीं है और न ही किसी जनप्रतिनिधियों का।
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जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है
जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है
‘‘ANI NEWS INDIA’’ सर्वश्रेष्ठ, निर्भीक, निष्पक्ष व खोजपूर्ण ‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया ऑनलाइन नेटवर्क’’ हेतु को स्थानीय स्तर पर कर्मठ, ईमानदार एवं जुझारू कर्मचारियों की सम्पूर्ण मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले एवं तहसीलों में जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / पंचायत स्तर पर क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों / संवाददाताओं की आवश्यकता है।
कार्य क्षेत्र :- जो अपने कार्य क्षेत्र में समाचार / विज्ञापन सम्बन्धी नेटवर्क का संचालन कर सके । आवेदक के आवासीय क्षेत्र के समीपस्थ स्थानीय नियुक्ति।
आवेदन आमन्त्रित :- सम्पूर्ण विवरण बायोडाटा, योग्यता प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार के स्मार्ट नवीनतम 2 फोटोग्राफ सहित अधिकतम अन्तिम तिथि 30 मई 2019 शाम 5 बजे तक स्वंय / डाक / कोरियर द्वारा आवेदन करें।
नियुक्ति :- सामान्य कार्य परीक्षण, सीधे प्रवेश ( प्रथम आये प्रथम पाये )
पारिश्रमिक :- पारिश्रमिक क्षेत्रिय स्तरीय योग्यतानुसार। ( पांच अंकों मे + )
कार्य :- उम्मीदवार को समाचार तैयार करना आना चाहिए प्रतिदिन न्यूज़ कवरेज अनिवार्य / विज्ञापन (व्यापार) मे रूचि होना अनिवार्य है.
आवश्यक सामग्री :- संसथान तय नियमों के अनुसार आवश्यक सामग्री देगा, परिचय पत्र, पीआरओ लेटर, व्यूज हेतु माइक एवं माइक आईडी दी जाएगी।
प्रशिक्षण :- चयनित उम्मीदवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण भोपाल स्थानीय कार्यालय मे दिया जायेगा, प्रशिक्षण के उपरांत ही तय कार्यक्षेत्र की जबाबदारी दी जावेगी।
पता :- ‘‘ANI NEWS INDIA’’
‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया नेटवर्क’’
23/टी-7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, प्रेस काम्पलेक्स,
नीयर दैनिक भास्कर प्रेस, जोन-1, एम. पी. नगर, भोपाल (म.प्र.)
मोबाइल : 098932 21036
क्र. पद का नाम योग्यता
1. जिला ब्यूरो प्रमुख स्नातक
2. तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / हायर सेकेंडरी (12 वीं )
3. क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
4. क्राइम रिपोर्टरों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
5. ग्रामीण संवाददाता हाई स्कूल (10 वीं )
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