Wednesday, December 22, 2010

नित्यानंद बाबा का सेक्‍स वीडियो

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पकड़ी गई बहरी राज्यों से लड़कियां लाकर बेचने वाली महिला

मानसा: यहाँ की सिटी पुलिस ने बहारी राज्यों से लडकिया ला कर मनसा में बेचने के आरोप में एक महिला को हुनमानगड से ग्रिफ्तार कर लिया है. यह महिला 2002 से फरार बताई जाती है. पकड़ी गयी महिला एक बार 2002 में इसी मामले में पकडे जाने के बाद पुलिस को चकमा दे कर फरार हो गयी थी. मिलिजनकारी के अनुसार थाना सिटी पुलिस ने 13 अप्रैल 2002 को कोर्ट का टिबा में छापा मार के सूरज सिंह बजेवाला, गुरजंट सिंह लल्लुअना,व पमी करू नमक औरत को ग्रिफ्तार किया था और उस वक़्त इन के पास से बेचने के लिए लाई गयी पूजा कौर को भी मुक्त करवाया था और मामला दर्ज कर अदालत में भी पेश किया गया था पर उस वक़्त पमी कौर पुलिस को चकमा दे कार भाग गयी थी. जिस को बाद में अदालत ने भगौड़ा करार दे दिया था. पमी कौर को थाना सिटी पुलिस ने अदालत में पेश कर उसे जेल भिजवा दिया है.

प्रेमी की मौत की खबर सुन प्रेमिका ने लगाई फांसी

फतेहपुर (अमरेश श्रीवास्तव)
जाफरगंज थाना क्षेत्र के समसपुर गांव में प्रेमी की मौत से बेहालप्रेमका ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया। पुलिस ने शव कोपोस्टमार्टम हेतु भेज दिया है। 9 दिसंबर को थाना क्षेत्र के समसपुर गांवका निवासी अरुण यादव गांव की ही रहने वाली अपनी प्रेमिका रश्मि यादव कोबाइक में बिठाकर फतेहपुर जा रहा था। सदर कोतवाली क्षेत्र के सनगांव मोड़के समीप हाईवे पर ट्रक ने टक्कर मार दी, जिससे अरुण गंभीर रूप से घायल होगया था, जिसको हैलट कानपुर में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान उसकी मौतहो गई थी। अपने प्रेमी की मौत सुनकर प्रेमिका रश्मि बेहाल थी। घर मेंएकांत पाकर फांसी लगा ली। परिजनों को मालूम चला तो पुलिस को सूचना दी।थानाध्यक्ष आरसी दीक्षित ने कहा कि प्रेम संबंधों का मामला था, इसीलिएलड़की ने फांसी लगाकर जान दे दी। शव को पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया गया है।

Tuesday, December 21, 2010

बैंक के खाते को समय समय करते रहें चेक, दिल्ली NCR में कोई गिरोह बेंकों के ग्राहकों को बना रहा है निशाना

toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)
दिल्ली। बेंकों के इस फ्रोड में अशोक विहार के दीपक नागपाल व पीतमपुरा के बुजुर्ग SC Gupta भी बने .इन दोनों को भी बेंकों में फ्रोड करने वालों ने अपना शीकार बनाया ....दीपक का चेक ड्रो बॉक्स से चोरी हुआ तो SC Gupta के ATM से निकल गये पेशे ...आप भी रहिये सावधान आप भी हो सकते हैं ऐसे फ्रोड़ों के शीकार ..आप ATM से पेशे निकालकर निकले और आपने केंसल का बटन भी दबाया उसके बाद भी ATM से आपके बाहर जाने के बाद आपके पेशे निकल सकते हैं .सुनिए ऐसी ही कहानी .ये बुजुर्ग शख्स हैं पितामुरा के DU बलोक में रहने वाले SC Gupta ...इनका अपना अकाउंट हैं जनकपुरी के AXIS बेंक में ये बीती 13 December को प्रशांत विहार के AXIS बेंक के ATM से अपनी मिनी स्टेटमेंट लाने गये ..दिन के बारह बजे थे ....ये ATM में घुसे कार्ड डाला लेकिन मशीन ने काम नही किया ..इन्होने केंसिल का बटन दबाया और मुड़े तो देखा कि एक लडका भी पीछे खडा हैं ..इन्होने कहा कि मशीन शायद खराब हो गई हैं ..गुप्ता जी एक घंटे के लिए भांजे के पास गये और एक घंटे बाद आये और फिर चेक किया ..तो पाया कि उसके अकाउंट से बीस हजार गायब हैं .वो भी ATM से इसी बीच ....गुप्ताजी चोक गये बेंक से मिले ...100 नंबर कोल कि ..मोरया इन्क्लेव थाने गये जाहा इनका घर हैं ..उन्होंने कहा कि आप प्रशांत विहार जाइए जाहाँ ATM हैं ..प्रशांत विहार ने कहा कि आप जनकपुरी जाइए आपका खता जनकपुरी कि ब्रांच में हैं ..अभी पुलिस सिर्फ बयान लेकर चक्कर कटवा रही हैं किसी भी थाने ने FIR दर्ज नही कि हैं ..अब ये बुजुर्ग गुहार लगा लगाकर परेशान हो चुका हैं ..ये दुसरे शख्स हैं दीपक नागपाल ..इनका नीता ट्रेडिंग कम्पनी के नाम से PNB अशोक विहार में अकाउंट हैं .. 21 November को इन्होने 5 लाख का एक चेक वासुदेव के नाम का अशोक विहार कि सेन्ट्रल मार्केट के बैंक ऑफ़ बडोदा के ड्रो बॉक्स में डाला ...लेकिन उसी रात इस ड्रो बॉक्स से 80 चेक चोरी होने का मामला आया ..लेकिन दीपक को इसका पता उसी दिन नही चल पाया ...24 November को दीपक के इस अकाउंट से 5 लाख निकल गये जो गाजियाबाद के बेंक ऑफ़ इंडिया से निकले ...मात्र तीन दिन में फर्जी अकाउंट खुला ..उसको ATM चेक बुक सभी दे दी मामला साफ हैं कहीं न कहीं बेंकों के लोगों कि मिलीभगत हैं ...जो गारंटर बनाया वो कम्पनी की सिर्फ वेसे साइन हैं कोई मोहर आदि नही ..बेंकों के इस डीले रवेये ने कहे या मिलीभगत ने यहाँ भी लोगों कि कमाई हडप ली ...सिर्फ जांच कि बात कह यहाँ भी बेंक पल्ला झाड रहे हैं ...Bank of Broda के अधिकारी तो बात नही कर रहेलेकिन पंजाब नॅशनल बेंक अशोक विहार में जहाँ दीपक कि कम्पनी का खाता हैं वहां के अधिकारियों का कहना हैं कि बैंक ऑफ़ इंडिया गाजियाबाद से चेक आया था नोरम पूरे थे हम क्लियर करने को बाउंड थे हमने क्लियर कर दिया ..अब वो नकली अकाउंट हैं तो जिम्मेदारी बैंक ऑफ़ इंडिया कि हैं ....राजेन्द्र गुप्ता ( बेंक अधिकारी PNB अशोक विहार )टेक्स्ट - बैंक ऑफ़ इंडिया गाजियाबाद से चेक आया था नोरम पूरे थे हम क्लियर करने को बाउंड थे हमने क्लियर कर दिया ..अब वो नकली अकाउंट हैं तो जिम्मेदारी बैंक ऑफ़ इंडिया कि हैं ....4 इन मामलों से साफ हैं कि दिल्ली व NCR में कोई गिरोह सक्रिय हैं जो बेंकों के ग्राहकों को अपना निशाना बनाता हैं ..और कहीं न कहीं बेंकों के कर्मचारी भी इन मामलों में मिले नजर आ रहे हैं ....अब जरूरत हैं हम अपने अकाउंट के प्रति सावधान रहे .

Monday, December 20, 2010

करोड़ों की रिकबरी नोटिस के बाद विजली भी कटी

रिजवान चंचल लखनऊ से 09450449753
लखनऊ के मीडिया गलियारों से आ रही खबरों के मुताबिक स्वतंत्र भारत को करोड़ो की नोटिस तो मिली ही अब अखबार दफतर का विजली कनेक्सन भी काट दिया गया है अखबार से जुड़े पत्रकारों की हालत अतिदयनीय हो गई है उन्हें पिछले लगभग 4,5 महीनों से मानदेय व वेतन ही नहीं मिल सका है ज्यादातर पत्रकार जनसंदेश व दूसरे अखबारों से जुड़ गये है कुछ अभी भी अपना बकाया पाने की आस में डटे है लेकिन अब वे भी भागने को तैयार है कुल मिलाकर यह अखबार अब नानाप्रकार के जंजालों में उलझ चुका है जब कि एक दौर ऐसा भी था कि स्वतंत्र भारत न केवल प्रसार में ही यहां आगे था बल्कि इस अखबार की खासी हनक भी कायम थी अपने चमत्कारी दौर में स्वतंत्र भारत जयपुरिया ग्रुप के पास था बाद में इसे थापर ग्रुप ने खरीदा। केके श्रीवास्तव ने ललित थापर से यह अखबार खरीदा और अभी तक इसे संचालित कर रहे हैं लेकिन इधर काफी लम्बे अरसे से यह अखबार उतार-चढ़ाव में ही रहा बीच - बीच में ऐसी स्थित भी बनी कि केवल फाइल कापी ही छपी अखबार मार्केट से नदारत रहा अब देखना यह है कि आगे क्या होता है पिछले दिनों यह भी चर्चा आई थी कि इसे प्रदेश सरकार से जुड़े एक राजनेता ले रहें है लेकिन न्यायालय सम्बन्धी तमाम उलझाओं के चलते शायद वो डील फाइनल नही हो सकी अब करोड़ों की रिकबरी नोटिस के बाद तो और भी मुश्किल है डील होना।

ये भगवान या शैतान ?

Written by Rizwan Chanchal
news present by.... toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)
वैसे तो सारे कुओं में ही भांग पड़ी हुई है इसलिए किसी एक पेषे को क्या गरियाना मगर चिकित्सा क्षेत्र में हद तक आई गिरावट से अब ज्यादातर लोगों की आस्था दिनोदिन डाक्टरांे से उठती जा रही है अभी मेरे एक मिलने वालों के साथ डॉक्टरों द्वारा किया गया कारनामा हतप्रभ कर बैठा हुआ यूं कि चार बेटियों के बाप साथी ने पत्नी के गर्भ ठहरने पर दो जगह अलग अलग डाक्टरों से सोनोग्राफी कराई दोनो ही जगह उन्हे बेटी हीेने का संकेत दिया गया अन्ततः पत्नी को एबार्सन की सलाह दी वह नहीं राजी हुई समय गुजरा और हुआ बेटा। सारे परिवार के लोग यही कहते दिखे ये भगवान नही बल्कि शैतान है । हाल ही में एक खबर पढ़ने को मिली महाराष्ट्र के एक छाटे अस्पताल में डॉक्टर के पास एक गर्भवती स्त्री को लाया गया उसे दो बेटियों के बाद बेटा हुआ था लेकिन ससुराल वालों को विश्वास नहीं हुआ कि उसे लड़का हुआ है। वजह यह थी कि उस औरत की भी उसके पति ने सोनोग्राफी करवाई थी और उसे बताया गया था कि उसके गर्भ में बेटी है। खैर एक डॉक्टर ने माना भी तथा नाम न छापने का अनुरोध कर बताया कि औरत के गर्भ मे पल रहे बच्चे के बारे में गलत सूचना इसलिए दी जाती है ताकि गर्भपात कराने से डाक्टरों की आमदनी हो सके। हाला कि हर चिकित्सक ऐसा नही है लेकिन ज्यादातर पैसा कमाने की धुन में ब्यस्त हीे इस पवित्र पेशे को पूरी तरह बदनाम करने पर आमादा हैं न जानें कितनी मासूम जानें पैसे के चक्कर आये दिन ये भगवान कहे जाने वाले शैतान ले रहें होंगें देश में हर तरफ यही आलम है इस पर मैने एक रचना भी लिखी है इसे पढ़ें और प्रतिक्रिया भी दें -गर्भ में चीख पड़ी लाचार, देखकर खंजर की वो धाररूह भी कांप गई उसकी, रो पड़ी ले ले के सिसकी जुटा कर साहस वो बोली, न चाहूं ‘सजना’ न ‘डोली’ न हम पे खंजर ये तानो, मेरी पीड़ा को पहचानोंकरूॅगी बढ़-चढ़ कर हर काज, सभी को होगा हम पर नाजरहूंगी सदा आत्म निर्भर,करूंगी सेवा जीवन भर रोक लो हाथ बढ़ रहा है, पास खंजर आ रहा है खड़े हो हे पापा क्यों चुप, ये खंजर कहीं न जाये घुपहूॅ जीना चाहती मैं भी, हूॅ बेटों की जैसी बेटीबचा लो मुझे बचा लो तुम, मूर्छित मम्मी भी गुम सुम हुआ खंजर का तब तक वार, रक्त रंजित हुई लाचारहिचकियां लेकर वो बोली, सजा दी गर्भ में डोलीबिगाड़ा मैने किसका क्या, मिला ‘चंचल’ सिला जिसका। डॉक्टरी पेशे के पतन की यह कोई पराकाष्ठा नहीं है। दिल्ली के एक हृदय रोग अस्पताल के बारे में किस्सा सुनने में आया कि वहां मर चुके आदमी का ऑपरेशन करने के नाम पर भी उसके बेटे से पैसे वसूल किए जा रहे थे। वह तो बचपन में उसके साथ पढे़ एक युवा मित्र ने, जो वहां डॉक्टर था, ने उसे इशारे में बता दिया कि तुम्हें ऑपरेशन के नाम पर फालतू में लूटा जा रहा है तब वह और ज्यादा लुटने से बचा लेकिन इस तरह से कितने लोग लुट जाते होंगे। लखनऊ के निजी अस्पताल पैैसे वसूल करने के लिए मरीज की लाश न देने के लिए भी कई बार बदनाम हो चुके हैं और जो लखनऊ मे हो रहा है, मेरी समझ से वह सारे देश में भी हो रहा होगा। मुझे स्वयं इसी सप्ताह डंेगू बुखार की आशंका हुई मित्र की सलाह से एक बुजुर्ग डॉक्टर के पास गया। उन्होने कई टेस्ट बता दिये। एक को छोंडकर बाकी सभी टेस्ट करवा लिए इस बीच पत्नी ने देखा कि उनके नौकर- जिनके पास कंपाउंडर होने की भी योग्यता नहीं है- सभी को एक खास दुकान से न केवल दवाएं लाने को कह रहे हैं बल्कि डॉक्टर का नौकर हरेक की पर्ची के आधार पर सभी को एक जैसी ही हिदायतें दे रहा है। मैने उसकी बात नहीं मानी और बहुत अच्छा किया वर्ना हजारों के वारे न्यारे भी होते नई बीमारी अलग से आती। अभी कुछ दिनों पहले दिल्ली में कुछ नागरिक समूहों ने राष्ट्रीय स्तर पर एक चर्चा आयोजन की, जिसमें केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी तथा योजना आयोग के कुछ सदस्य भी शामिल हुये वहां बताया गया कि अस्पताल में भर्ती होने वाले 40 प्रतिशत लोग या तो उधार लेकर या अपनी जमीन-जायदाद बेचकर इलाज करवाते हैं भयानक गरीबी के कारण 23 प्रतिशत लोग तो अस्पतालों की तरफ झांकते भी नहीं क्योंकि भारत में आर्थिक उदारीकरण के जन्मदाता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की विचारधारा का क्रियान्वयन करने के लिए अब सरकारी अस्पतालों ने भी परीक्षणों का काफी पैसा मांगना शुरू कर दिया है। फिर भी लोग प्रति वर्ष 95,000 करोड़ रूपया दवाइयों-इलाज-डॉक्टरों पर खर्च करते हैं। दवाई कंपनियां 60 से लेकर 1500 गुना तक मुनाफा कमाती हैं और इसमें सभी मदद करते हैं, हमारी सरकारी अस्पतालों की चौपट व्यवस्था भी, सरकारी डॉक्टर भी, उनके कर्मचारी भी, निजी डॉक्टर भी, निजी अस्पताल भी, दवाई कंपनियां भी और न जाने कौन-कौन और हां हमारा स्वास्थ्य मंत्रालय भी। जिस देश मंे भारतीय चिकित्सा परिषद का अध्यक्ष- जो देश के स्वास्थ्य मंत्री का चहेता भी बताया जाता था- रिश्वत लेने के आरोप में गिरफतार होता है, उस देश में कहां-कहां, कितनी-कितनी तरह से, कितने-कितने स्तरांे पर साधारण जनता के स्वास्थ्य की कीमत पर कौन-कौन खा और डकार रहा है, हम तो उन सबको न जानते हैं, न जान सकते हैं और जान भी लें तो क्या बिगाड़ सकते हैं। बड़ी-बड़ी विदेशी दवा कम्पनियां हैं यहां, जिनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार का बजट ही इतना ज्यादा है कि प्रधानमंत्री-मंत्री अगर उनके इशारे पर नाचने को तैयार हो जाएं तो वे जहां चाहें, जितना चाहें, इन्हें भी नचा सकती हैं। दरअसल, डॉक्टरी पेशे को नियंत्रित करने की इच्छा किसी में नहीं है, न संकल्प शक्ति हैं वरना क्या यह लूट किसी को नहीं दिखती। ऐसा क्यों है कि सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं पर सकल घरेलू उत्पाद का महज 0।9 प्रतिशत ही खर्च करती है और अभी कहीं पढ़ा था कि शिक्षा पर महज दो प्रतिशत तथा विकसित देश तो अपने सकल घरेलू उत्पाद का दस प्रतिशत इस पर खर्च करते हैं। हमारी सरकार चाहती तो देश में आज 90,000 तरह की ब्रांडेड दवाइयां न बिकतीं, क्यांेकि कुछ सौ जेनेटिक दवाओं से ही लोगों का काम चल सकता है और वह भी बेहद सस्ते में। लेकिन सरकार लोगों की नहीं बड़ी कंपनियांे की है।और बात सिर्फ चिकित्सा पर खर्च की ही नहीं है। अभी कुछ समय पहले क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लौर के डॉक्टर के।एस. जैकब का एक लेख पढ़ा था, जिन्होंने बताया कि डायरिया जैसे तमाम रोग मूलतः अस्वच्छ पानी तथा आसपास फैली गंदगी के कारण होते है। टी.बी. का भी मुख्य कारण घर के आसपास फैली गंदगी तथा लोगों को पोषक पदार्थ न मिलना है लेकिन शुद्ध पेयजल तो क्या अशुद्ध पेयजल तक गरीब जनता को उपलब्ध नहीं है। डॉक्टर जैकब बताते हैं कि डॉक्टरांे के पास जाने वाले एक-तिहाई लोगों को दरअसल कोई बीमारी नहीं होती। वे तो जीवन की दिनोदिन बढ़ती मांगों से थके घबराए परेशान लोग होते हैं। डॉक्टर खुद व्यक्तिगत रूप से उनकी जांच करके मानवीय ढंग से उनकी चिंता दूर कर सकते हैं लेकिन नहीं, तरह-तरह के परीक्षण करवाने को लिख देते हैं। जाहिर है कि इससे डॉक्टरों की आमदनी होती है। निजी अस्पतालों के डॉक्टरों की तो आमदनी उससे तय होती है कि वे कितने अधिक परीक्षण करवाते हैं और कितना अधिक कमीशन उससे खुद हासिल करते हैैं।

Sunday, December 19, 2010

भोपाल में 7 डॉक्टरों को एचआईवी संक्रमण का खतरा

(टाइम्स ऑफ क्राइम)
भोपाल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में एचआईवी पीड़ित मरीज का ऑपरेशन करना सात जूनियर डॉक्टरों के लिए मुसीबत बन गया है और उनके भी एचआईवी संक्रमित होने का खतरा मंडराने लगा है। फिलहाल बचाव के लिए उनका उपचार किया जा रहा है। मंगलवार की रात गांधी मेडीकल कॉलेज के हमीदिया अस्पताल में एक मरीज का हड्डी का ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के दौरान पांच जूनियर डॉक्टरों को कुछ चोटें लगीं और उनका खून सीधे मरीज के खून के सम्पर्क में आ गया। बाद में ड्रेसिंग करते वक्त दो अन्य जूनियर डॉक्टर्स को भी नुकीला औजार लग जाने से खून निकला। इसके बाद जब मरीज के खून की रिपोर्ट आई तो उसने सभी के होश उड़ा दिए क्योंकि वह एचआईवी और हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त पाया गया। मरीज के एचआईवी संक्रमित होने का खुलासा होने के बाद सातों जूनियर डाक्टरों को एंटी र्रिटोवायरल थैरेपी (एआरटी) केंद्र ले जाया गया। इतना ही नहीं उन्हें 'प्री प्रोफिलेक्सिस डोज' (संक्रमण निरोधक दवा) भी दी गई ताकि उन्हें सम्भावित खतरे से बचाया जा सके। एआरटी केंद्र के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. हेमंत वर्मा ने बताया कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति का खून दूसरे व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर संक्रमण फैलने का पूरा खतरा रहता है, मगर एक माह तक 'प्री प्रोफिलेक्सिस डोज' देने से इससे बचा जा सकता है। लिहाजा सातों जूनियर डॉक्टरों को डोज दी जा रही है और अब उन्हें किसी तरह का खतरा नहीं है। इन सातों जूनियर डॉक्टरों के स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है।

उज्जैन संभाग में लाखों का बीज घोटाला

उज्जैन //डॉ. अरुण जैन
उज्जैन . संभाग में लाखों रुपए के बीज घोटाले के मामले में शुक्रवार को नए तथ्य सामने आए हैं। 26 जुलाई को ही बीज प्रमाणीकरण विभाग के अधिकारियों को इस बात की जानकारी मिल गई थी कि उज्जैन की संस्थाओं और निजी फर्मों ने जो बीज खरीदना बताया है वे जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय से नहीं आए हैं, विवि के दस्तावेज फर्जी हैं। इसके बावजूद 23 सितंबर यानी 3 माह तक अधिकारी बीज को प्रमाणित मानकर संस्थाओं को सर्टिफिकेट जारी करते रहे। 24 सितंबर को बीज उत्पादन सहकारी संस्थाओं और निजी फर्मों को बीज प्रमाणीकरण विभाग ने नोटिस जारी कर प्रजनक बीज को अवैध घोषित कर दिया था।संस्थाओं ने रखा अपना पक्ष - शुक्रवार को उज्जैन सीड एसोसिएशन द्वारा मीडिया के समक्ष अपना पक्ष रखा गया। एसोसिएशन अध्यक्ष बालाराम जाट, सदस्य बहादुरसिंह पटेल, प्रदीप खड़ीकर आदि ने संयुक्त रूप से बताया कि संभाग की जिन संस्थाओं और निजी फर्मों को बीज प्रमाणीकरण विभाग द्वारा ब्लैक लिस्टेड किया गया है, उन फर्मों और संस्थाओं ने बीज प्रमाणीकरण विभाग के अधिकारी सीएस सिंह, महिपालसिंह, सुरेश कुमार, राजीव सिन्हा, दिनेश शर्मा के कहने पर प्रजनक बीज क्रय किया था। इन्हीं अधिकारियों ने संस्थाओं और फर्मों को लंबे समय तक धोखे में रखा था। उक्त सभी अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है।ऐसे हुआ किसानों से धोखा - हजिले की जिन बीज उत्पादक संस्थाओं और निजी फर्मों ने करीब 500 कविन्टल बीज क्रय किया था, उन्हें जबलपुर कृषि विवि का टेग लगा हुआ बीज दिया गया। बीज के साथ प्रजनक सोयाबीन बीज के प्रमाणीकरण से संबंधित अन्य दस्तावेज भी दिए गए। हबीज प्रमाणीकरण संस्था को जबलपुर कृषि विवि से यह जानकारी 26 जुलाई को ही मिल चुकी थी कि जो बीज उज्जैन पहुंचा है, वह विवि ने भेजा ही नहीं था। इसके बावजूद चार दिन बाद तक यानी 30 जुलाई तक संस्थाओं के पंजीयन किए जाते रहे। यानी विभाग के अधिकारियों ने ही वास्तविक स्थिति सामने नहीं आने दी। हइस बीच संस्थाओं के निरीक्षण होते रहे। बीज का सत्यापन भी किया गया, लेकिन जबलपुर विवि का पत्र सार्वजनिक नहीं किया गया। इससे साफ होता है कि बीज प्रमाणीकरण विभाग के कुछ अधिकारी ही इस प्रकरण को दबाना चाहते थे।

Saturday, December 18, 2010

न्याय का शासन है तो शलभ भदौरिया को जेल भेजो

भोपाल // आलोक सिंघई (पीआईसीएमपी // टाइम्स ऑफ क्राइम)
सूचना की शक्ति से डरे हुए भ्रष्ट राजनेताओं ने पत्रकारों पर लगाम लगाने के लिए जो हथकंडे अपनाए वे आज प्रगति के पथ पर तेजी से बढ़ती जा रही शिवराज सरकार के पैरों की बेडियां बन गए हैं. अमानत में खयानत करने वाला कथित जालसाज शलभ भदौरिया ऐसा ही एक नमूना है जो सरकारी नुमाईंदों के पस्त हौसलों का उद्घोष कर रहा है. पत्रकारों के इस गद्दार ने अपने बचाव के लिए पत्रकारिता का मुखौटा पहन रखा है. भ्रष्ट सत्तातंत्र यह मुखौटा नोंचना भी नहीं चाहता क्योंकि उसे लगता है कि पत्रकारों को इसी बहाने कुछ खरी खोटी सुनाई जा सकती है. जबकि हकीकत यह है कि शलभ भदौरिया पर मुकदमा चलाकर उसे जेल न भेजने से बदनामी राजनीति की होगी पत्रकारिता पर उसका कोई असर नहीं पडऩे वाला. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के अफसरों ने तमाम दबावों और प्रलोभनों को दरकिनार करते हुए अपना अभियोग पत्र पूरी मुस्तैदी के साथ तैयार किया है.इसे जिला अदालत के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाना है. लेकिन विधि विशेषज्ञ की रायशुमारी के बहाने यह अभियोग पत्र अब तक अदालत की देहरी नहीं लांघ पाया है. न्यायप्रिय शासन की आवाज बुलंद करने के लिए इस अभियोग पत्र पर अदालत में सुनवाई होना जरूरी है.
अभियोग पत्र की इबारत पढऩे के बाद भविष्य की साफ तस्वीर उभर रही है. भारतीय दंड संहिता सभी के लिए एक समान है. इसलिए पत्रकारिता की खाल ओढ़कर आपराधिक जालसाजियां करने वाले शलभ भदौरिया की गिरफ्तारी और दंड सुनिश्चित है. इसीलिए वह चाहता है कि यह मामला किसी तरह ठंडे बस्ते में पड़ा रहे. दैनिक अग्निबाण के लिए खंडवा से पत्रकारिता करने वाले रवि जायसवाल ने इस मामले की खबर अपने अखबार में प्रकाशित कर दी. इससे तिलमिलाए शलभ भदौरिया ने उसे फोन करके काफी भला बुरा कहा और देख लेने की धमकी भी दी.
इसकी शिकायत पत्रकार साथी ने जिले के पुलिस अधीक्षक आई. पी. एस. हरिनारायण चारी मिश्रा से की है. गृह विभाग ने पत्रकारों के खिलाफ शिकायत की प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पुलिस की जांच का प्रावधान किया है इसलिए यह शिकायत फिलहाल जांच में है. पुलिस अधीक्षक एच.एन.सी. मिश्रा ने खंडवा में अपराधियों पर लगाम कसने का जो अभियान चलाया हुआ है उसे नागरिक और पत्रकार सभी समर्थन दे रहे हैं. जाहिर है कि स्थानीय पत्रकार की शिकायत को भी कानून को बुलंद बनाने वाले नजरिए से ही देखा जाएगा. मामले की तह में झांकें तो आम नागरिक भी समझ सकता है कि किस तरह पत्रकारिता की आड़ लेकर जालसाजी की गई है. इस मामले की शिकायत वर्ष 2003 में भोपाल के पत्रकार राधावल्लभ शारदा ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में की थी. इस शिकायत के सत्यापन के बाद निरीक्षक इंद्रजीत सिंह चौहान ने पाया कि वर्ष 1999 से 2003 के बीच श्रमजीवी पत्रकार नाम से प्रकाशित किए जाने वाले अखबार के प्रधान संपादक शलभ भदौरिया और संपादक विष्णुवर्मा विद्रोही थे. प्रेस पुस्तक पंजीकरण अधिनियम के अनुसार किसी भी समाचार पत्र के प्रकाशन से पहले उसका नाम भारत के पंजीयक के रजिस्टर में दर्ज करवाना अनिवार्य होता है.
पूंजीवाद के आगमन से पहले ट्रेड यूनियन आंदोलन बहुत प्रभावी हुआ करता था. इसी के चलते राजनेता भी पत्रकारों की तमाम मांगें आंखें मूंदकर मान लेते थे.
ऐसा ही कमोबेश पत्रकार भी किया करते थे.यही कारण था कि वर्ष 2002 में जब शलभ भदौरिया को तत्कालीन शासकों ने संगठन का मुखपत्र निकालने के लिए जनसंपर्क महकमे से धन देने का आश्वासन दिया तो उसने श्रमजीवी पत्रकार नामक अखबार का नकली पंजीयन प्रमाण पत्र बनवाया. यह जालसाजी पत्रकार भवन में ही की गई. जनसंपर्क महकमे की विज्ञापन शाखा ने इस फर्जी पंजीयन प्रमाण पत्र के आधार पर अखबार को विज्ञापन जारी करना शुरु कर दिए. मामले की शिकायत होने तक समाचार पत्रों के पंजीयक कार्यालय के फर्जी पंजीयन प्रमाण पत्र के आधार पर भदौरिया लाखों रुपयों की ठगी कर चुका था. यह ठगी मध्यप्रदेश के पत्रकारों के लिए विज्ञापन के मद में दी जाने वाली धन राशि की भी थी और डाक विभाग से मिलने वाली छूट की भी थी. तब सूचना का अधिकार अधिनियम लागू नहीं था और जनसंपर्क महकमे के अधिकारी आज की ही तरह जनसंपर्क के बजट की राशि को उजागर नहीं होने देना चाहते थे. इसीलिए जनसंपर्क विभाग के माध्यम से मध्यप्रदेश की जनता से की गई धोखाघड़ी आज भी सामने नहीं आई है. लेकिन डाक विभाग की ओर से रियायती मूल्यों पर डाक वितरण की जो छूट दी जाती है उस छूट की राशि शिकायत होने की तारीख तक एक लाख चौहत्तर हजार नौ सौ सत्तर हो चुकी थी.
यह शिकायत पंजीयक कार्यालय से प्राप्त जानकारी के आधार पर सत्य पाई गई. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सुधीर लाड़, थाना प्रभारी उमाशंकर तिवारी और विवेचना करने वाले निरीक्षक नरेन्द्र तिवारी ने अभियोग पत्र में पाया है कि आरोपियों ने भारतीय दंड संहिता की धारा-120 बी, 420, 467, 468, 471 के अंतर्गत अपराध किया है इसलिए माननीय न्यायालय के समक्ष अभियोग पत्र भेजा जा रहा है. जाहिर है कि इस मामले में कार्यपालिका ने अपना काम मुस्तैदी के साथ किया है.अब बारी विधायिका की है. माननीय मुख्यमंत्रीजी विधानसभा में उद्घोष कर चुके हैं कि अपराधी कोई भी हो,कैसा भी हो उसे छोड़ा नहीं जाएगा. इसलिए उम्मीद नजर आ रही है कि इस मामले में भी अपराधी सलाखों के पीछे अवश्य पहुंचेंगे. च

Friday, December 17, 2010

परियोजना अधिकारी ने लगा दिया सालभर अधिकारियों की गलती नही दिखती प्रशासन कों

रामकिशोर पंवार रोढावाला // (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल। कलेक्टर बैतूल की जनसुनवाई में बार बार दस्तक दे रहा पेंशन प्रकरण ने महिला बाल विकास विभाग का नकारापन उजागर करके रख दिया हैं। परियोजना अधिकारी वंदना तिवारी की अक्षमता और नकारापन के चलतें सेवानिवृत सुपरवाईजर सुशीला सेन का पेंशन प्रकरण आज तक लटका हुआ हैं। विभाग के अधिकारी ने सालभर से ज्यादा उम्र और पदक्रम तय करने को लेकर ही बिता दिए। मामला अभी तक कोषालय में पेश नही किया गया हैं। विभाग के कार्यक्रम अधिकारी प्रदीप राय तो केवल नोटिस देना जानते हैं लेकिन उन्होने परियोजना अधिकारी को नोटिस जारी करके कभी यह जानने की कोशिश नही करी कि सेवानिवृत्ति के पूर्व पेंशन प्रकरण क्यों तैयार नही किया गया? अगर जनाब पूछेगें तो विभाग के अधिकारियों का नकारापन उजागर होगा। विभाग का बड़ा अधिकारी अगर उम्र और पदक्रम तय करने में एक साल से ज्यादा समय लगा देता हैं तो एसा अधिकारी किस काम का हैं। अभी तो प्रकरण को भ्रष्टाचार की दलदल से गुजरना बाकी हैं। विभाग के बड़े अधिकारियों की गलती की सजा पेंशनर को एक बार फिर से दिए जाने की सम्भावना बनती जा रही हैं। विभाग के अधिकारी तो लेखापाल सुन्दरलाल उईके और पेंशनर पर ही मामला डालने का मन बना चुके हैं। दोनो को हर टेबल पर भारी कीमत चुकानी पड़ सकती हैं। कोषालय से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक यह कमाई का अवसर देने वाला प्रकरण जो हैं। विभाग में जो अधिकारी सीधे पैसे नहीं लेते हैं उन्होने चपरासियों को इस काम में लगा रहा हैं। रामा ओ रामा तेरा कितना हिस्सा बनता हैं। अधिकारी तुझे इस नाजायज काम का कितना कमीशन देते हैं।

पत्रकारिता विषय को नही समझते अधिकारी न्यायालय में गवाही के दौरान अधिवक्ता के कथन

रामकिशोर पंवार रोढावाला // (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल। जिला मजिस्ट्रेट विजय आनन्द कुरील के न्यायालय में राज्य सुरक्षा कानून के तहत चल रहें पत्रकार रामकिशोर पवाँर के बहुचर्चित मामलें में गवाही के दौरान अधिवक्ता भारत सेन ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी पत्रकारिता जैसे महत्वपूर्ण विषय को समझते ही नही हैं। अंग्रजी शासन काल की मानसिकता अधिकारी रखते हैं और पत्रकारों पर फर्जी प्रकरण दर्ज करवाकर पत्रकारिता को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं। इससे लोक तंत्र का अहित होता हैं। आरोपी रामकिशोर पवाँर को क्रांतिवीर पत्रकार बताते हुए उनकी पत्रकारिता और माँ ताप्ती अभियान की प्रशंसा की गई। पत्रकारिता के हित में अधिवक्ता भारत सेन के ब्यानों से रासुका के तहत चल रहें मामले की वैधानिकता पर एक बार फिर से विचारणीय गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
राज्य सुरक्षा कानून के तहत चल रहें पत्रकार रामकिशोर पवाँर का मामला कई कारणों से जनचर्चा में बना हुआ हैं। पहला कारण तो यह हैं कि पीयूसीएल जैसे जनसंगठन द्वारा इस कानून को असंवैधानिक, मानवअधिकारों का हनन करने वाला और संविधान में प्रदत्त जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन करने वाला ठहराया जा चुका हैं। जिस तरह टाडा और पोटा जैसे कानून गलत हैं वैसे ही रासूका का दुरूपयोग होता हैं। दूसरा कारण तो यह है कि शासन और प्रशासन में बैठे हुए लोगों के इशारें पर इस कानून का दुरूपयोग किया जाता रहा हैं। जिला दण्डाधिकारी न्यायालय के फैसले माननीय उच्च न्यायालय में ठहर नहीं पाते हैं। इससे पता चलता हैं कि कुछ ताकतवर लोगों के इशारे पर कानून का दुरूपयोग करने के लिए जिले के सबसे बड़े अधिकारी किसी भी सीमा तक चले जाते हैं। प्रशासन कानून की आड़ लेकर पत्रकारों को जख्म देता रहता हैं। पत्रकारों के लिए सबसे बड़े दुख की बात यह हैं कि कानून की शक्ति का दुरूपयोग करने वाले अधिकारी के विरूद्ध उनको मालूम ही नही हैं कि करना क्या हैं? सदस्य संख्या और वार्षिक चंदे तक सीमित रहने वाले पत्रकार संघ के अध्यक्ष चाहें तो संगठन के माध्यम से पूरी की पूरी विचारण की प्रक्रिया को माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती हैं। कानून की शक्ति का दुरूपयोग करने वाले अधिकारीयों की वैधानिक जिम्मेदारी तय करवाई जा सकती हैं।

रासुका के दायरे में जिले के वरिष्ठ पत्रकार रामकिशोर पँवार को कुछ छोटे मामलों के आधार पर उस समय लाया जा रहा हैं जबकि वह विकलांग हैं और भारत के किसी नागरिक के शरीर और संपत्ति को गंभीर नुक्सान पहँुचाने की स्थिति में बिलकुल ही नही हैं। जिला प्रशासन उसे आम आदमी के विरूद्ध गंभीर और घृणित अपराध को अंजाम देने वाला आदतन अपराधी की श्रेणी में बता कर रासुका के तहत कार्यवाही को अंजाम देता चला जा रहा हैं। अपराधी और पत्रकार एक ही सिक्के के दो पहलू नही बताए जा सकते। आखिर अपराध और पत्रकारिता का कैसा नाता? जिला प्रशासन की कार्यवाही अपने आप में पत्रकारिता के पवित्र पेशे पर गंदा कीचड़ उछालने के समान हैं। इससे इमानदार और जीवन को जोखिम में डालकर पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों की साख पर बट्टा लगता हैं और आम आदमी पत्रकार को किसी दूसरे तरह का अपराधी समझने लगते हैं। आखिर जिला प्रशासन रामकिशोर पवाँर पर मुकदमा चलाकर दूसरे पत्रकारों को भला क्या सबक देना चाहता हैं? जिला प्रशासन की पत्रकारिता को नियंत्रित करने वाली यह कार्यवाही लोकतंत्र के हित में सही नही ठहराई जा सकती? गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के टिकिट पर विधान सभा चुनाव लड़ चुके भारत सेन अधिवक्ता जिला प्रशासन को अपने ब्यानों के माध्यम से ठीक ही नसिहत दे रहें हैं। वाकई प्रशासनिक अधिकारी पत्रकारिता जैसे विषय को समझते ही नही हैं।

Wednesday, December 15, 2010

होशंगाबाद जुआं पकडऩे गई पुलिस पर हमला

ब्यूरो प्रमुख// शेख अमीन कुरैशी (होशंगाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क : 99072 77862
होशंगाबाद. 21 लोगों पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज 7 गिरफ्तार सिवनीमालवा थाने के ग्राम टेमला में रविवार को जुंआ पकडने गई पुलिस टीम पर जुआं खेल रहे लोगों ने हमला कर दिया। जिसमें आरक्षक शंकरलाल मीना गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसका जिला चिकित्सालय में उपचार चल रहा है। सिवनी पुलिस ने बताया कि रविवार रात्रि को ग्राम टेमला ने पहाड़ी पर जुंआ खेलने की सूचना मिली पुलिस की गुण्डा स्काट टीम जुआं पकडने ग्राम टेमला पहुंची तो जुंआरियों ने पुलिस पर हमला कर दिया। पुलिस ने 21 नामजद लोगों पर और 6 अन्य पर धारा 307 और जुंआ एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

अवैध उत्खनन से हो रहा करोड़ों का राजस्व चोरी

ब्यूरो प्रमुख// शेख अमीन कुरैशी (होशंगाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क : 99072 77862
होशंगाबाद. सुरखी विधायक एवं कांग्रेस उपाध्यक्ष गोविन्द सिंह राजपूत ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश का खजाना लुटाने के लिये पूरी छूट दे दी है। अवैध उत्खनन के माध्यम से प्रदेश में करोड़ों के राजस्व की चोरी हो रही है हीं यहां के दुर्लभ जीव-जुंतओं का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है।प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि चंबल से लेकर होशंगाबाद, बुधनी तक खनिज संपदाओं का अवैध कारोबार जारी है, जिसके तार मुख्यमंत्री निवास और उनके संबंधियों से जुड़े हैं। इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि खनिज माफिया के कारोबार के कारण चंबल के घडिय़ालों की संख्या जहां 1290 से घटकर 60-70 रह गई है, वहीं सरकार की मनमानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाईकोर्ट की रोक के बाद भी न तो शिकार पर अंकुश लगाया गया और न ही खनिज के अवैध कारोबार पर। उन्होंने कहा कि मायनिंग कार्पारेशन में ठेकेदारों द्वारा पंजीयन न कराने से ही प्रदेश के राजस्व को लगभग 2500 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।

बैतूल लोकायुक्त ने घूस लेते धर दबोचा

बैतूल \ अपने कार्यालय के चपरासी से रिश्वत लेते कर्मचारी संघ का जिलाध्यक्ष
बैतूल // रामकिशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल पंचायत एवं सामाजिक न्याय विभाग के एक बाबू को लोकायुक्त पुलिस ने मंगलवार की रात रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों धर दबोचा। बाबू द्वारा भृत्य से मेडिकल स्वीकृति के नाम पर दस हजार रूपए रिश्वत मांगी जा रही थी। भृत्य की शिकायत पर लोकायुक्त की टीम ने छापामार कार्रवाई करते हुए बाबू के पास से पांच-पांच सौ रूपए के नोट बरामद कर उसे हिरासत में ले लिया। देर रात तक कार्रवाई जारी रही। लोकायुक्त पुलिस के डीएसपी एचएन संधू ने बताया कि पंचायत एवं सामाजिक न्याय विभाग के भृत्य रामनारायण पुंड की शिकायत पर जांच के लिए टीम बैतूल आई है। इस टीम में लोकायुक्त विभाग के दस कर्मचारी शामिल थे।भृत्य रामनारायण पुंड को विभाग से मेडिकल बिल स्वीकृति का 40 हजार रूपए मिलना था, लेकिन बाबू शंकर सिंह चौहान द्वारा रूपए दिए जाने के बदले दस हजार रूपए रिश्वत की मांग की जा रही है। रिश्वत की मांग किए जाने का रिकार्डेड टेप भी भेजा था।जिस पर मंगलवार को डीएसपी संदू के नेतृत्व में देर शाम न्याय विभाग के कार्यालय पहुंची। टीम ने भृत्य को पांच-पांच सौ रूपए के दस नोट केमिकल लगाकर दिए और बाबू शंकर सिंह चौहान के पास भेजा। जहां शंकर सिंह ने भृत्य से रिश्वत के रूपए लेकर अपनी जेब में रख लिए। इसके बाद लोकायुक्त टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए शंकर सिंह को दबोच लिया। उसके पास से नोट बरामद कर लिए और हाथ धुलवाने पर उसके हाथ रंगीन हो गए। इस मामले में लोकायुक्त टीम द्वारा कार्रवाई की जा रही है। शंकर सिंह चौहान कर्मचारी संघ का जिलाध्यक्ष भी है। गिरफ्तार

शादी को घसीटते रहने के बजाय क्या तलाक ले लेना बेहतर है?

इंडियन बिजनेस मैन अरुण नायर और ब्रिटिश मॉडल-अभिनेत्री लिज हर्ले के बीच डाइवोर्स की खबरें अब आम हो चुकी हैं। कुछ समय पहले तक दोनों के बीच ऑल वेल था। दोनों बेस्ट हाफ कपल थे। लेकिन लिज के क्रिकेटर शेन वॉर्न के साथ अफेयर की बात खुलने के साथ ही लिज और अरुण की तीन साल पुरानी शादी टूटने के कगार पर है। क्या आपको लगता हैं कि लिज उनसे अलग होकर सही कर रही हैं? क्या आप मानते हैं कि शादी को घसीटने के बजाय तलाक लेना बेहतर है? अपना जवाब हां या ना में दें।

Saturday, December 11, 2010

अवैध वसूली में टोटल टीवी के दो पत्रकार गए जेल

सिवनी toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)
सिवनी जिले में टीआई बनकर अवैध वसूली करते दो पत्रकारों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दोनों टोटल टीवी के पत्रकार हैं. दोनों एक ट्रक चालक को धमकाकर उससे पचास हजार रूपये की मांग कर रहे थे. शक होने पर चालक ने इसकी सूचना पुलिस को दी. जिसके बाद पुलिस ने दोनों को रंगेहाथ पकड़ लिया. अपराध पर नियंत्रण के लिए सिवनी पुलिस पिछले कई दिनों से चेकिंग अभियान चला रही थी. इसका फायदा उठाकर कुछ लोग उन सड़कों पर अवैध वसूली का काम कर रहे थे, जिन पर पुलिस नहीं रहती थी.
ऐसी घटनाओं की शिकायत ट्रक मालिकों द्वारा लगातार पुलिस के उच्‍चाधिकारियों और मीडिया वालों से की जा रही थी. कल भी कुछ लोग सड़क पर टीआई, कन्‍हीवाडा बनकर एक ट्रक, जिसका नम्‍बर- सीजी 10 बीडी 6050 था, के चालक से पचास हजार रूपये की मांग करने लगे. पैसा न देने पर ट्रक के कागजात लेने के बाद फर्जी रूप से ट्रक को चालान करने की कार्रवाई करने का नाटक करने लगे. परेशान ट्रक चालक इन लोगों के कार के पास गया तो देखा कि कार में दो युवतियां आपत्तिजनक स्थिति में दो अन्‍य युवकों के साथ मस्‍ती कर रही थी, जिसे देखकर चालक को शक हुआ.
उसने की इसकी सूचना फोन से अपने साथियों को दी. इसकी सूचना उसके साथियों ने पुलिस को भी दी. सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने दो युवकों को पकड़ लिया. जिसमें एक आरपी सिंह खुद को टोटल टीवी, महाकौशल का ब्‍यूरोचीफ बता रहा था. जबकि दूसरा रितेश सूर्यवंशी ऊर्फ गोलू सिवनी जिला संवाददाता है. इस बारे में जब भोपाल में टोटल टीवी के ब्‍यूरोचीफ राहुल सक्‍सेना से बात की गई तो उन्‍होंने कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया. सिवनी के पुलिस अधीक्षक रमन सिंह ने बताया कि टोटल टीवी के दो पत्रकारों को टीआई बनकर अवैध वसूली करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है. दोनों का चालान आईपीसी की धारा 419, 420 के तहत करके जेल भेज दिया गया.

तू शहर में जहां मिलेगा, तुझे चाकुओं से गोद दिया जाएगा

11 December 2010
गंगाचरण मिश्र

जबलपुर : ''समाज के लिए दिन-रात जागते हुए मेहनत करने वाले पत्रकार जिस शहर में सुरक्षित नहीं होंगे, उस शहर में कोई सुरक्षित नहीं रह सकता। आधी रात के दौरान विधायक हरेन्द्रजीत सिंह ने मोबाइल पर मुझे जान से मारने की धमकी देते हुए लगातार 124 सेकेंड तक वो मानसिक प्रताड़ना दी है कि मैं और मेरा परिवार अब भय और दहशत के साये में जीवन-यापन करने को मजबूर है। मैं घर से बाहर जाता हूं तो मेरी पत्नी और बच्ची बार-बार मोबाइल पर सम्पर्क करते हैं और पूछते हैं कि खाना खाने कब आओगे, दरअसल वो यह जानना चाहते हैं कि कहीं विधायक ने अपनी धमकी को सच तो नहीं कर दिया। आखिर एक सभ्य समाज में पत्रकार के साथ ऐसा हो रहा है और सब खामोश क्यों हैं।''
यह पीड़ा जाहिर करते हुए नगर के वरिष्ठ पत्रकार, श्रमजीवी पत्रकार संघ के नगर अध्यक्ष और बीटीवी के संपादक गंगाचरण मिश्र की आंखें छलछला उठीं। उन्होंने बेबसी के साथ अपने साथ हुए इस घटनाक्रम की जानकारी जब पत्रकार वार्ता में शहर के तमाम पत्रकारों के सामने रखी तो सभी पत्रकार उद्वेलित हो उठे। श्री मिश्र ने बताया कि 5 और 6 दिसम्बर की दरम्यानी रात को जब वे घर पर थे, तभी पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के विधायक हरेन्द्रजीत सिंह का मोबाइल आया और उसने बिना कुछ पूछे ही सीधे गाली-गलौज शुरू कर दी और जान से मारने की धमकी देते हुए कहा कि अब तू शहर में जहां मिलेगा, तुझे चाकुओं से गोद दिया जाएगा।
श्री मिश्र ने बताया कि धमकियों का यह सिलसिला लगभग दो मिनट तक जारी रहा। पहले तो पत्रकारों को प्रताड़ित किया जाता था और अब सीधे हत्याएं होने लगी हैं, आखिर जननेता जिन पत्रकारों की मदद लेकर आगे बढ़ते हैं, उन्हीं के साथ इस प्रकार का व्यवहार कैसे करते हैं। श्री मिश्र ने सभी पत्रकारों को साक्ष्य के तौर पर धमकी वाले कॉल की रिकॉर्डिग वाली सीडी भी प्रदान की और उचित कार्रवाई के लिए पत्रकार जगत का सहयोग मांगा। इस मौके पर श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश महासचिव नलिनकांत वाजपेई, संभागीय अध्यक्ष परमानंद तिवारी और वरिष्ठ पत्रकार मोहन शशि ने भी पत्रकारों को सम्बोधित किया।
अपने साथी के साथ हुई घटना को लेकर पत्रकारों ने गजब की एकता प्रदर्शित की। पत्रकारों का कहना था कि जिस प्रकार की घटना गंगाचरण मिश्र के साथ हुई, ऐसी घटना कभी भी किसी पत्रकार के साथ न हो, इसलिए प्रशासन से शीघ्र ही उचित कार्रवाई करने दबाव बनाया जाएगा और शहर का पत्रकार जगत अपने साथी के लिए हर मोर्चे पर लड़ाई लड़ने तैयार है। पत्रवार्ता में प्रिंट और इलेट्रॉनिक मीडिया के सभी पत्रकार उपस्थित थे। पत्रकार संघ ने विधायक हरेन्द्रजीत सिंह पर तत्काल ही आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है। संघ का कहना है कि धमकी वाले कॉल की रिकॉर्डिग पुलिस को उपलब्ध करा दी गई है, इसलिए अब उन पर मामला दर्ज होना चाहिए और शीघ्र ही गिरफ्तारी हो।
श्रमजीवी पत्रकार संघ ने नगर अध्यक्ष के साथ हुई वारदात की जानकारी भाजपा के संगठन सहायक गोविन्द आर्य, विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी, पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई, वरिष्ठ भाजपा नेता प्रहलाद पटेल, एडीजीपी एमआर कृष्णा, संभागायुक्त प्रभात पाराशर, कलेक्टर गुलशन बामरा, एसपी संतोष सिंह के साथ ही थाना प्रभारी लार्डगंज हरिओम शर्मा को भी दी। इसके साथ ही महामहिम राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता, प्रभारी मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा को ज्ञापन प्रेषित कर घटना की पूरी जानकारी देते हुए उचित कार्रवाई की मांग की गई है। श्री मिश्र ने पत्रकार वार्ता में कहा कि इस घटना से उनका पूरा परिवार गहरे सदमे में है, इसलिये परिवारजनों की सुरक्षा के लिए प्रशासन को पहल करनी चाहिए। विधायक की कार्यप्रणाली देखकर ऐसा लगता है कि वे कभी भी कुछ भी करवा सकते हैं। साभार : दैनिक भास्कर

Friday, December 10, 2010

कागजों पर दिखाए 45 तालाबों का फर्जी भुगतान

उज्जैन// डॉ. अरुण जैन (टाइम्स ऑफ क्राइम)
कागज पर मौजूद और जमीन से नदारद तीन बलराम और 42 खेत तालाब के मूल्यांकन और अनुदान भुगतान में सहायक भूमि संरक्षण अधिकारियों की मिलीभगत परिलक्षित हो रही है। इसकी खास वजह यह है कि उक्त कार्यों में अधिकारियों की भूमिका के साथ स्थान ही बदले हैं। ऐसे में इन पर गाज गिरने की आशंका है। कृषि उत्पादन आयुक्त के निर्देश पर की गई जाँच में 3 बलराम और 42 खेत तालाब जमीन पर नहीं मिले हैं। इनके अनुदान का भुगतान कर दिया गया है। खास बात यह सामने आई है कि मूल्यांकन कार्य एवं अनुदान भुगतान राशि के वितरण में जो अधिकारी शामिल थे, उनके स्थान और भूमिका बदल गई है। मसलन जिस अधिकारी ने एक मापकर्ता सर्वेयर के रूप में कार्य को अंजाम दिया है तो इसी अधिकारी ने दूसरे स्थान पर मूल्यांकनकर्ता या अनुदान भुगतानकर्ता अधिकारी की भूमिका भी निभाई है। इसका उल्लेख भौतिक सत्यापन प्रतिवेदन में किया गया है। साफ है कि अनुदान भुगतान में मिलीभगत से अनियमितताओं को अंजाम दिया गया है।ये थे अधिकारी - 3 बलराम और 42 खेत तालाब में मापकर्ता सर्वेयर, मूल्यांकन कर्ता-कृषि विकास अधिकारी और अनुदान भुगतानकर्ता-सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी के रूप में कार्य करने वाले एमएस बिल्गैया, डीएस भदौरिया, आरसी माहोर, आरसी ठाकुर, एसएल गंगारेकर, वीके देराश्री, एमपी सुमन, आरके सूर्यवंशी, एमएस तोमर, संजीव उमठ, एसपी शाक्या, बीके गुप्ता, जीपी राठौर, पीके चौकसे, एएल गर्ग, जेएस राजपूत शामिल हैं।सात माह लगे सत्यापन में - तालाब बनाने में भारी अनियमितता की शिकायत के बाद वर्ष 2006-07 से वर्ष 2008-09 तक बनाए गए बलराम तालाब और खेत तालाब का भौतिक सत्यापन करने के निर्देश दिए गए थे। तालाब निर्माण में अनियमितता की शिकायत पर कृषि उत्पादन आयुक्त एमके राय ने कलेक्टर को पत्र लिखकर तालाबों का सत्यापन कराने के निर्देश दिए थे। कलेक्टर डॉ. एम. गीता ने जाँच का कार्य तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ को सौंपा था। भौतिक सत्यापन के लिए 3 सहायक परियोजना अधिकारियों के अलग-अलग दल बनाकर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा था। दल को जिले में 3 बलराम और 42 खेत तालाब की कोई संरचना नहीं मिली है।यहाँ नहीं मिले बलराम तालाब - जाँच दल को उज्जैन विकासखंड के ग्राम असलाना, घट्टिया के ग्राम गुढा और बडनग़र विकास खंड के ग्राम पालसोद में बलराम तालाब नहीं मिला है। इसमें कृषकों को कुल 2 लाख 40 हजार रुपए का अनुदान दिया गया है।नहीं मिली संरचना - भौतिक सत्यापन के लिए गठित जाँच दल को उज्जैन तहसील में 5, बडनग़र में 16, खाचरौद तहसील में 21 खेत तालाबों की संरचना नहीं मिली है। इसमें कृषकों को लाखों रुपए का अनुदान दिया गया है। कुल थे 84 तालाब - कृषि विभाग के अनुसार वर्ष 2006-07 से 2008-09 के मध्य जिले में 84 तालाब का निर्माण किया गया था। इसमें संरचना के आकार को आधार बनाते हुए 6 हजार 700 रुपए से लेकर 16 हजार 350 रुपए तक का अनुदान दिया गया था। इसी प्रकार प्रत्येक बलराम तालाब के लिए प्रत्येक कृषक को 80 हजार रुपए का अनुदान दिया गया है

ससुन्द्रा ग्राम पंचायत के सचिव की दबंगाई: जाबकार्ड पर रोजगार न मिलने की शिकायत पर सरेआम पिटाई

प्रतिनिधि // राजेश राठौर (बैतूल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
कहने को तो सरकार सौ दिन का रोजगार देते है। रोजगार न मिलने पर बेरोजगारी भत्ते देने की भी वकालत करती है लेकिन सच्चाई कुछ और ही बयां करती है। बैतूल जिले के आमला जनपद के ग्राम ससुन्द्रा में रोजगार की मांग करने वाले युवक को पूरे साल उसके जाब कार्ड पर रोजगार नहीं मिला। गांव पहुंचे पत्रकारो के दल के सामने पंचायत भवन में जब उस युवक ने पूरे साल रोजगार न मिलने की बात कहीं तो उसे ग्राम पंचायत के सचिव मनोज गढेकर ने उसे जमकर पीटा। ससुन्द्रा निवासी लक्ष्मण पंवार अपनी बेवा मां बटनी बाई सहित पूरे परिवार के भरण पोषण का दायित्व निभाता रहा है। इस युवक को जब पूरे साल गांव में सौ दिन तो दूर रहे एक दिन का भी रोजगार नहीं मिला तो बेबश लाचार युवक ने अण्डे की दुकान लगा कर किसी तरह अपने परिवार की जवाबदारी उठाई है। गांव के पहुंचे पत्रकारो के समक्ष वह अपने दर्द को छुपा नहीं सका और वह रो पड़ा उसे बताया कि पूरे में उसके जैसे कई लोगो को पूरे साल रोजगार नहीं मिला। पत्रकारो के समक्ष अपनी पीड़ा व्यक्त करने का उस गरीब को इतना बडा दण्ड मिला कि वह आज भी कराह रहा है।
पूरे गांव के सामने उस युवक को बेरहती से पीटते हुये मनोज गढेकर नामक पंचायत सचिव उसे डरा - धमका रहा था कि यदि उसने पुलिस में रिर्पोट की तो उसका वह गांव में रहना दुभर कर देगा। वैसे भी सचिव ससुन्द्रा गांव में आंतक का दुसरा नाम है। उसके द्वारा ग्राम सभा का आयोजन तो दूर पंचायत भवन परिसर के गेट में ताला तक लगा कर रखा जाता है ताकि कोई भी दुसरा व्यक्ति गांव के पंचायत भवन की ओर नजरे उठा कर तक नहीं देख सके। ग्राम पंचायत ससुन्द्रा के आदिवासी सरपंच श्रवण धुर्वे भी सचिव के खिलाफ कई बार शिकवा - शिकायते जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी आमला को कर चुकी है लेकिन ग्राम पंचायत अंधारिया के पूर्व सरपंच का बेटा मनोज गढेकर किराड जाति का होने के कारण पूरे गांव में अपनी दंबगाई दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। कुछ दिन पूर्व ही आमला जनपद सरपंच संघ के अध्यक्ष एवं उमरिया ग्राम पंचायत के सरपंच वीरसिंह निगम अपने पूरे पदाधिकारियों के साथ सरपंच श्रवण धुर्वे की शिकायतो के आधार पर सचिव और सरपंच के बीच तालमेल बिठाने का प्रयास कर चुके है इसके बाद भी दोनो के बीच मनमुटाव का खामियाजा पूरा गांव भोग रहा है। भोपाल - नागपुर नेशनल हाइवे 69 पर साईखेडा - ससुन्द्रा जोड मार्ग से मात्र 2 किलोमीटर स्थित ग्राम पंचायत ससुन्द्रा के ग्राम पंचायत कार्यालय मे 25 साल के युवक मनोज गढेकर जो कि ग्राम पंचायत ससुन्द्रा में सचिव के पद पर कार्यरत है उसके द्वारा उस युवक को पंचायत भवन परिसर में ही उस समय पीटा जब पत्रकारो का दल मुख्य कार्यपालन अधिकारी बाबू सिंह जामोद को उस गांव में जाब कार्ड धारको को रोजगार एवं वृद्धा अवस्था पेशंन न मिलने की ग्रामिणो द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारी दे रहे थे। जिला कलैक्टर के प्रति मंगलवार को लिा मुख्यालय पर होने वाली जनसुनवाई कार्यक्रम की सच्चाई जानने के लिए गये पत्रकारो के दल को ग्रामिणो ने बताया कि कलैक्टर जनसुनवाई मात्र नौटंकी बन गई है।
कलैक्टर की जनसुनवाई में जाने के बाद भी आमला जनपद की फुलिया बाई को न्याय न मिलने पर जहर खाना पडता है और यहां पर पंचायत सचिव की शिकवा - शिकायत करने पर लात जूते खाने पड रहे है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के स्वजाति ग्राम पंचायत ससुन्द्रा के सचिव मनोज गढेकर के द्वारा गांव की जा रही दबंगाई के चलते गांव में आदिवासी सरपंच श्रवण धुर्वे से लेकर पूरे गांव के लोग भयाक्रांत है। पत्रकारो द्वारा पंचायत सचिव द्वारा युवक की पिटाई किये जाने के मामले की जानकारी जब जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी बाबूसिंह जामोद को दी गई तो उनके द्वारा दिया गया ब्यान भी कम गैर जिम्मेदाराना नहीं था। श्री जामोद का कहना था कि पंचायत सचिव सरकारी कर्मचारी है उसके साथ तमीज से पेश आना चाहिये लेकिन क्या रोजगार मांगना या शिकवा - शिकायत करना कोई अपराध है...! जिसकी सजा उस युवक को इस तरह सार्वजनिक रूप से दी जायेगी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का स्वराज - सूराज - पंचायती राज का मतलब क्या यही है कि ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक के अधिकारी कर्मचारी लूट - खसोट करे ओर गांव के लोग रोजगार मांगे या शिकवा शिकायत करे तो उन्हे लात घूसे से पीटा जाये। अब चूंकि मामले में बवाल मचना स्वभाविक है क्योकि ग्राम पंचायत से लेकर जिला कलैक्टर के दरबार तक में लोगों को न्याय मिलने के नाम पर इस तरह की घटनाओं का सामना करना पड रहा है तब फुलिया बाई - उर्मिला बाई यदि जहर खाती है और लक्षमण को सरेआम पीटना पड़ता है तो फिर काहे का स्वराज .....!

सूचनाधिकार: साल भर से वांछित सूचनायें देने हेतु टालमटोल कर रहे प्रभागीय वन निदेशक

ब्यूरो प्रमुख उ. प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल (इलाहाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम) ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 99362 29401
कोरांव इलाहाबाद। जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 को सामाजिक वानिकी वन प्रभाग प्रभागीय निदेशक इलाहाबाद के जन सूचनाअधिकारी महत्व नहीं देेते जो चर्चा का विषय बना हुआ है।ज्ञात हो कि ए.ए. सिद्दी की पत्रकार ने आर.टी.आई के तहत उक्त निदेशक के जन सूचनाधिकारी से वन विभाग का कुछ आवश्यक सूचनाएं वर्ष 2009 मे मांगी थी। जो कोरांव रेंज में मनरेगा की धनराशि से कराये गये कार्य व स्थलों, व्यय प्रपत्र तथा कुछ जी. ओ जिसमें एक ही जिले कार्यालय में 25-30 वर्ष से कुछ कर्मियों को तैनात कर बंधुआ बना दिया गया है व कुछ अवैध खनन से संबंधित पेपर्स मांगे गये थे। इन संदर्भ में सूचना न देने पर प्रमुख वन संरक्षक उ.प्र. लखनऊ से भी वांछित सूचनाएं मांगी गयी। उन्होंने जन सूचना अधिकारी प्रभागीय निदेेशक सा.वा.वन प्रभाग इलाहाबाद को वांछित सूचनाएं मुहैय्या कराने का स्पष्ट आदेश दिया था। सूचना देने में फंस रही कुछ गर्दनों से उक्तनिदेशक ने आनाकानी की। सूचना माँगकत्र्ता ने प्रदेश के वन मंत्री, प्रमुख सचिव वन आदि सक्षम वनाधिकारी व अपीलीय वनाधिकारी वन संरक्षण इलाहाबाद वृत्त इलाहाबाद से की है।इस संदर्भ में अपीलीय वनाधिकारी ने वन निदेशक को सूचनाएं प्रदान करने का फैसला सुनाया। इस पर भी उक्त जन सूचनाअधिकारी ने सूचनाएं देने के लिए व समय नष्ट करने के लिए पच्चास हजार रूपये की मांग इस आशय से सूचना मांग कत्र्ता को पत्र देकर किया। की उक्त सूचनाएं देने मे पच्चास हजार रूपए लगेगा और जमा करने पर ही सूचना मिलेगी। अपीलीय अधिकारी से पुन: उक्त डिमान्ड राशि की शिकायत की गयी और उक्त यह अवगत कराया गया कि सूचना देने हेतु प्रति पेज 2 रूपया ही प्राप्त करने का प्राविधान है। तब जाकर प्रभागीय वन निदेशक सूचनाधिकारी सूचना देने हेतु हामी भरे और सूचना मांगकत्र्ता ने 18.11.2010 को एक सौ रूपया मनीआर्डर भेजा। और पुन: प्रार्थना पत्र भेजा। उक्त धनराशि निदेशक कार्यालय को वापस भेज दी गयी।

पत्रकार उत्पीडऩ मामला: डी.जी.पी. और आई.जी. से निष्पक्ष विवेचना की मांग

थाना कोरांव से विवेचना ट्रांसफर करने का आई.जी. ने दिया आश्वासन
ब्यूरो प्रमुख उ। प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल (इलाहाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 99362 29401

इलाहाबाद. कस्बा कोरांव इलाहाबाद ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन उ.प्र. इलाहाबाद के जिला उपाध्यक्ष ने 26 नवम्बर को पत्रकार उत्पीडऩ प्रकरण की उच्चन्यायालय इलाहाबाद के आदेश पर प्रदेश के डी.जी.पी. के निर्देश पर चल रही गैर जनपद के पुलिस अधिकारी से जांच को निष्पक्षता पूर्वक कराने व जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा उसी केस-प्रकरण से क्षुब्ध होकर तत्कालीन थानाध्यक्ष कोरांव द्वारा स्वयं वादी मुकदमा बन कर थाना कोरांव में दर्ज कराई गयी। प्राथमिकी को पुलिस थाना कोरांव से विवेचना हटाकर विशेष जांच प्रकोष्ठ से विवेचना कराने की मांग की है।अवगत हों कि अवैध खनन से नष्ट हो रहे वन, पर्यावरण की क्षति संबंधित खबरें ग्रा.प.ए उपाध्यक्ष अहमद सिद्दीकी ने प्रकाशित कराई थी और शिकायतें भी की थी। जिससे यू.पी.एम.पी. सीमा के म.प्र. के वन विभाग ने अभियान चलाकर परथर वन माफियाओं के विरूद्ध कार्यवाहीं की ट्रके जब्त हुयी कुछ ने जमानतें करायी और इस कारण धंधा बन्द होने से व थाना कोरांव पुलिस की लाखों रूपये की माहवारी रूकने से क्षुब्ध होकर व एक राय होकर माफियाओं, थाने के दलालों ने जाने से मारने झूठे केसो में फंसाने का प्रयास किया। जिसकी सूचना प्रदेश के डी.जी.पी. को भी दी। अमल न होने पर पत्रकार ने हाईकोर्ट की शरण ली।उच्वन्यायालय ने डी.जी.पी. को याचिका विनिश्चित करने का आदेश दिया और डी.जी.पी. ने आई.जी. जोन इलाहाबाद को। गैर जिले के पुलिस अधिकारी को जांच का आदेश दिया। वर्तमान मे जांच प्रतापगढ़ जिले के एक पुलिस उपअधीक्षक कर रहे है। उसी केस से जुड़े प्रकरण की विवेचना थाना कोरांव के पुलिस चौकी इंचार्ज कर रहे है। किन्तु न्यायालय के मेटर व एक पुलिस थानाध्यक्ष और पत्रकार मामले को लेकर जांच अधिकारी व विवेचक असमंजस में है। पत्रकार ने पुलिस के आलाअफसरों से पुलिस जांच अफसरों -विवेचक पर निष्पक्षता पूर्वक जांच न करने का आरोप लगाया है और रंजिशन थाना कोरांव थानाध्यक्ष कोरांव द्वारा दर्ज कराई गयी, गुण्डा टैक्स लेने के मुकदमें की विवेचना कोरांव पुलिस से हटाकर एस.आई.एस. से कराने की मांग भुक्तभोगी पत्रकार ने आई.जी.जोन इलाहाबाद से 26 नवम्बर को किया। आई.जी. ने आश्वासन दिया है। साथ ही डी.जी.पी. को भी उक्त आशय का एक पत्र पत्रकार ने डाक से भेजा है। कोरांव पुलिस के विवेचक अपने पूर्व थानेदार द्वारा दर्ज कराई गई पत्रकार के विरूद्ध विवेचना कर कैसे पत्रकार कर नाम हटाये और कैसे अपने थानेदार को गलत साबित करें। यह सांप छुछन्दर का हाल बना है। क्योंकि निष्पक्ष जांच कार्यवाहीं न होने पर यह केस पुन: हाईकोर्ट जा सकता है, जांच अधिकारी यदि निष्पक्ष जांच विवेचना करेंगे तो निश्चय ही निर्दोष बचेगा, दोषी फंसेगा अन्याय नहीं होगा। मजेदार बात तो यह है कि पूर्व एस.ओ. कोरांव अजय सिंह भी इस समय वकीलों पर लूट-मारपीट करने के मुल्जिम है व निलंबित है तथा फरार है। पत्रकारों-वकीलों का उत्पीडऩ करने में माहिर दरोगा है देखना है पुलिस क्या न्याय दिलाती है।

एम्स नई दिल्ली में गये हुए बिना भर्ती मरीजों तथा परिजनों को ठहरने की घोर समस्या

ब्यूरो प्रमुख उ। प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल (इलाहाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 9936229401
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम) 1०.१२.२०१०

इलाहाबाद. कोरांव इलाहाबाद प्राप्त जानकारी एवम प्रत्यक्ष दर्शित अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान अंसारी नगर नई दिल्ली जो भारत का एक बहुचर्चित एवम् प्रत्येक अंगों के इलाज के लिए आर्युविज्ञान संस्थान के रूप में केन्द्रसरकार द्वारा संचालित है, उसमें बिना भर्ती हुए मरीजों तथा साथ में गये हुए परिजनों के लिए ठहरने तक के लिए कोई सुविधा नहीं है। जिससे दूर दूर से पहुंचने वाले मरीजों तथा परिजनों को विशेष परेशानियों से गुजर करना पड़ता है। इसका प्रमुख कारण वहां पर तैनात गार्डों की बदसलूकी का होना है। प्राय: यह देखा गया कि विभिन्न रोगों से ग्रसित मरीज येने केन प्रकरेण अस्पताल तो पहुंच जाता है और जैसे ही गेट के अन्दर छटपटाते मरीज एवं बिलखते परिजन अपने साथ झोला बैग लेकर अस्पताल ग्राउन्ड मे रखने लगते है, तभी वहां टहलते घूमते कई गार्ड पहुंच जाते है और वे मरीजों तथा परिजनों को डॉटना फटकारना चालू कर देते है, और कहते है हटो यहां से हटाओं ये सभी समान बाहर ले जाओ। जहां भी मरीज अपना सामान रख देते है, वहां पहुंचकर झोला बैग फेकना शुरू कर देते है। कई जगह ठोकरे खाते-खाते जब मरीज तथा साथ मे गये हुए परिजन फुटपाथ पर बैठ जाते हैं, तो वहां पर भी सुरक्षा गार्ड जो वर्दी लगाये रहते है। वे अपने हाथ से झोला फेकने लगते है। तमाम गिड़गिड़ाने पर भी जरा सी रहम नाम की चीज इन सुरक्षा गार्डो को नही आती है। कभी- कभार यह भी होता है कि इन तमाम समस्याओं से आजिज होकर मरीज तथा साथ गये हुए परिजन अपना झोला बैग लेकर बिना इलाज के ही चले जाते हैं। कैन्टीन जो एम्स परिसर में है उसमें मनमाना पैसा भोजन के लिए लिया जाता है।

बैतूल जिले की जनता के साथ धोखा हुआ

ताप्ती रथ तो बुलवा लेकिन ताप्ती को मान - सम्मान नहीं दिया
बैतूल से रामकिशोर पंवार की रिपोर्टः
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम) 10।12.2010
बैतूल . सूर्य पुत्री पुण्य सलिला मां ताप्ती की महिमा को जन - जन तक पहुंचाने के लिए वचनबद्ध मां तापती जागृति मंच ने गौरव दिवस पर मां ताप्ती को प्रदेश गान में शामिल न किये जाने के शिवराज सरकार के फैसले पर नारजगी जतलाई है. मंच ने ताप्ती रथ को भोपाल बुलवा कर ताप्ती की आड़ में बैतूल जिले की संस्कृति के प्रदर्शन को भी स्वार्थ की राजनीति बता कर इसे ताप्ती के नाम को बदनाम करने का ओछा प्रयास बताया है. मंच के संस्थापक रामकिशोर पंवार एवं मंच से जुडे अधिवक्ता संजय शुक्ला एवं सुखराम पण्डागरे ने प्रदेश गान में ताप्ती के नाम को जोडने के लिए अगले माह रणनीति तय करने के लिए सभी मां ताप्ती के श्रद्धालु भक्तो का जिला स्तरीय सम्मेलन आयोजित करने का फैसला लिया है. मंच की विज्ञिप्त के अनुसार दिसम्बर माह के प्रथम सप्ताह में आयोजित सम्मेलन में सभी राजनैतिक दलो - धार्मिक - सामाजिक संगठनो - स्वंयसेवी संगठनो तथा विभिन्न संस्थाओं से जुडे जागरूक लोगो को सम्मेलन में भाग लेने की अपील की है. इस सम्मेलन में बैतूल जिले से एक जनहित याचिका प्रदेश गान पर रोक लगाने एवं ताप्ती का नाम जोडे जाने के बारे में एक जनहित याचिका दायर करने की भी रणनीति पर विचार किया जायेगा. मंच ने जिले के सभी अधिवक्ताओं, पत्रकारो, बुद्धिजीवियों, चिंतको के अजावा बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायतो के सरपंचो उप सरपंचो पंचो, दस जनपदो के अध्यक्षो उपाध्यक्षो सदस्यो, नगर पालिका एवं नगर पंचायतो के अध्यक्षो उपाध्यक्षो पार्षदो, पांचो विधायको, जिले की सांसद , सभी राजनैतिक दलो के जिलाध्यक्षो को राजनीति से उपर उठ कर इस सम्मेलन में भाग लेने की अपील की है. मां ताप्ती जागृति मंच ने पडौसी बुराहनपुर जिले के भी सभी जागरूक लोगो को इसमें भाग लेने का अपील की है.

बैतूल में फर्जी पत्रकारों और न्यूज चैनलों ने मचायी लूट

बैतूल से रामकिशोर पंवार की रिपोर्टः
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम) 10.12.2010

बैतूल . भले ही भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 250 नये न्यूज चैनलो को अनुमति नहीं दी है लेकिन इन सबसे उन्हे क्या फर्क पड़ता जिनके लिए कोई भी नया न्यूज चैनल शुरू करना एक मजाक बन गया हो। आपको भले ही यकीन न हो इस बैतूल जिले में सूचना प्रसारण मंत्रालय नहीं बल्कि आबकारी विभाग की एनओसी पर डाक एवं तार विभाग किसी भी नाम के न्यूज चैनल को खोलने की अनुमति प्रदान कर देता है। लोकल केबल के नाम पर डाक विभाग से पंजीयन पाने के बाद इस जिले में दो दर्जन से भी अधिक न्यूज चैनल धडल्ले से चल रहे है।
हर कार्यक्रम में चैनलो के लोगो- मोनो – आई डी की इतनी भरमार रहती है कि देखने वाला समझ भी नहीं पाता कि कौन सा चैनल कहाँ का है….? इसी कड़ी में इस समय दिल्ली एवं भोपाल से तथाकथित प्रसारित होने वाले न्यूज चैनलो के रिर्पोटरों- कैमरामेनों – स्ट्रींगरों तथा ब्यूरो चीफ को बनाने के नाम पर लम्बा-चौड़ा गोरखधंधा चल रहा है। इस धंधे में शामिल तथाकथित न्यूज चैनलो के डायरेक्टरों – न्यूज एडिटरों – फैंचाइसी – प्रदेश ब्यूरो चीफों - – रिर्पोटरों द्धारा राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक न्यूज चैनलो के नाम पर 25 से 50 हजार रूपये प्रति व्यक्ति अनाधिकृत वसूली की जा रही है।इस लूट-खसोट में बड़े बैनरों के भी शामिल हो जाने से मीडिया के क्षेत्र से जुड़े लोग भौचक्के है। सबसे बड़ा चौकान्ने वाला तथ्य यह है कि इस समय जिले में इलेक्ट्रानिक मीडिया के सौ-सवा सौ रिर्पोटर – कैमरामेन – स्ट्रींगर एवं ब्यूरो चीफों ने आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले की ग्राम पंचायतों एवं नगरीय क्षेत्रो में लोगो के बीच दहशत का कारण बने हुए है। जिले के दो दर्जन से अधिक सरपंच एवं सचिवों ने इस बारे में बकायदा शिकायतें अपने जनपदों एवं जिला पंचायत के आला अफसरों तथा नोडल एजेंसी के पास दर्ज करवाई है, जिसमें उनसे अनाधिकृत धौंस धपट कर रूपये की मांग करने तथा उसकी पूर्ति न किए जाने पर उन्हें मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताडि़त किए जाने का उल्लेख किया गया है। अभी हाल ही में बैतूल के निजी चिकित्सकों की ओर से डां मनीष लश्करे को ब्लैकमेल करने वाले एक न्यूज चैनल के रिर्पोटर के खिलाफ बैतूल गंज पुलिस चौकी में रिर्पोट दर्ज करवाई है।इधर इस क्षेत्र में आई बेमौसमी बाढ़ के बाद बैतूल जिले में पत्रकारों की संख्या का आंकड़ा चार सौ से ऊपर पहुंच गई है। सूत्रों ने बताया कि भोपाल एवं दिल्ली, नोएडा – हरियाणा – पंजाब – बिहार के टीवी चैनलो के बैतूल जिले में कार्यरत रिर्पोटरों – स्ट्रींगरों – कैमरामैनों एवं ब्यूरो चीफ बने अधिकांश लोगों के पास टीवी चैनल का या तो आई डी – लोगो – एफ टी पी नम्बर है . इनमें से कुछ तो ऐसे भी है जिनके पास न तो आई डी है और न लोगो। इन लोगों के पास नियुक्ति पत्र तो दूर रहा टीवी चैनलों की फिक्वेंसी नम्बर तक नहीं है। टीवी पर खबर आयेगी भी या नहीं स्वंय उस रिर्पोटर से लेकर कैमरामेन तक को पता नहीं रहता जो कि हर उस खाने – पीने वाली पत्रकारवार्ता में सबसे पहले पहुंच जाता है. ऐसे में आम टीवी चैनलों पर खबरों की उम्मीद लगाने वाला दर्शक हैरान एवं परेशान है। जहाँ एक ओर आपको इस छोटे से आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में आज तक – कल तक – परसों तक – नरसों तक के रिर्पोटर एवं आई डी – लोगो लेकर गांव- गांव , गली – गली में घुम – घुम कर अवैध चौथ वसूली करने वाले मिल जाएगे वही दूसरी ओर एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि इन तथाकथित लूटेरों को भी लूटने वालों की कमी नहीं है।बैतूल जिले में बीते वर्ष मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय रिजनल न्यूज चैनल चाहे बात वाच न्यूज की हो या फिर वाइस आफ इंडिया की सभी के नाम पर ठगी के शिकार बने लोगों की कमी नहीं है। वाच टीवी के एक रिर्पोटर को पूरे आठ माह तक मुफ्त की बेगार करवाने के बाद जब पैमेंट देने की बात आई तो पता चला कि चैनल ही बंद हो गया . इसी तरह नोएडा से प्रसारित होने वाले साधना मीडिया समूह द्धारा बैतूल के दो युवकों से हरियाली एवं साधना न्यूज के नाम पर दस हजार रूपये तथा दूसरे से पच्चीस हजार रूपये का लिखित एग्रीमेंट करने के बाद दोनों को चैनल के लोगो एवं नियुक्ति पत्र देने के बाद उनके साथ पर एक अन्य युवक को उन दोनों से अधिक रूपये देने पर बैतूल का ब्यूरो चीफ बनाया गया। जब धोखाधड़ी के शिकार बने युवकों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कर साक्ष्य के साथ साधना न्यूज चैनल के खिलाफ मामला दर्ज करवाने की धमकी दी गई तो दोनों को उनके रूपये वापस लौटाए गए।
इसी तरह टाइम टीवी के नाम पर बैतूल में कुछ लोग रिर्पोटर बने उन्हें बकायदा नियुक्ति पत्र तथा चैनल लोगो- आईडी तक दिया गया, लेकिन बाद में पता चला कि टाइम टीवी का भोपाल ब्यूरो ही बदल गया तथा कुछ समय बाद तो टाइम टीवी का नाम ही बदल गया. अब वही पंजाबी धार्मिक चैनल चारदीकला टाइम टीवी के नाम से प्रसारित होने लगा है। इस पंजाबी चैनल के बैतूल जिले में एक नहीं बल्कि आधा दर्जन रिर्पोटरों के पास चैनल का आई डी लोगो मौजूद है। बैतूल जिले में न्यूज 24 एवं टीवी 24 के भी रिर्पोटर मिल जाएंगें। अक्सर देखने में यह आता है कि भोपाल में टीवी चैनलों की लम्बी चौड़ी दुकान खोल कर बैठे ब्यूरो चीफ को बैतूल जैसे कई जिलों में बेगार में काम करने वाले लोग मिल जाते है जिनका वे समय – समय पर उपयोग किसी न किसी खबर में उनका नाम देकर उनसे साल भर हमाली और दलाली करवाते रहते है।
इन्ही न्यूज चैनलों के द्धारा बैतूल के समीपस्थ ग्राम सेहरा में एक तथाकथित ज्योतिषी कुंजीलाल विश्वकर्मा की तथाकथित मौत का लाइव टेलीकास्ट पूरे 12 घंटे तक देश भर के प्रमुख न्यूज चैनलों के भोपाल में बैठे रिर्पोटरों का झुठ का पुलिंदा उस समय बिखर गया जब कुंजीलाल विश्वकर्मा की करवाचौथ के दिन मौत नहीं हो सकी। भोपाल में बैठे न्यूज चैनलों के ब्यूरो चीफ द्धारा बैतूल में कुछ ऐसे लोगो को दी गई तथाकथित नियुक्ति पत्र एवं नियुक्ति पत्र की लालसा में एक ऐसी झुठी टीआरपी बढाने वाली खबर प्रायोजित की गई जिसके चलते पूरा देश गुमराह होता रहा. आपको आश्चर्य होज्ज कि बैतूल जिले में बहुचर्चित पत्रकार रजत शर्मा के इंडिया टीवी का चैनल आई डी लोगो तक मौजूद है, जबकि न्यूज चैनल इंडिया टीवी चैनल के हेड के अनुसार बैतूल जिले में उनका कोई भी अधिकृत या अनाधिकृत रिर्पोटर – स्ट्रींगर -कैमरामेन नहीं है। इसी कड़ी में जी न्यूज के चैनल आई डी लोगो की बैतूल जिले में मौजूदगी इस बात का संकेत देती है कि किस तरह इस क्षेत्र में लूट-खसोट मची हुई है। इन सबसे हट कर यदि बात की जाये कि जिले में इन न्यूज चैनलों के नाम पर मची लूट खसोट के पीछे कौन लोग जवाबदेह है तो निश्चित तौर पर कहीं न कहीं यह बात सामने आती है कि भोपाल में बैठे देश के ख्याति प्राप्त न्यूज चैनलो के ब्यूरो चीफों के द्धारा स्वयं के लेटरपेड पर कई लोगो को चैनल का रिर्पोटर – स्ट्रींगर – कैमरामैन तक बना डाला गया है जबकि ऐसे लोगो का दिल्ली एवं नोएडा तथा अन्य न्यूज चैनलों के मुख्य कार्यालयों के असाइमेंट के पास कोई जानकारी तक नहीं है।
इस क्षेत्र में आई बाढ़ के कारण न्यूज चैनलों की विश्वसनीसता तक दांव पर लग जाती है। जी न्यूज तक न बैतूल से एक ऐसी खबर प्रसारित कर दी जिसमें दो बेगुनाह आदिवासी को शेर की खाल का तस्कर तक बता डाला बाद में वह शेर की खाल सियार की निकली। एक साथ एक महिला को नौ बच्चे होने की खबर हो या फिर बैतूल में स्वाइन फ्लू फैलने की खबर …… इस प्रकार की भ्रामक खबरों से न्यूज चैनलों की स्वंय की प्रतिष्ठा भी मिटटी में मिल रही है। सबसे पहले एक्सक्लूसीव खबर देने के चक्कर में कई बार बैतूल जिले से ऐसी खबरें तक प्रसारित हो गई कि पूरा जिला प्रशासन फजीहत में पड़ गया था। बैतूल जिले में तो कई मजेदार तथ्य सामने आए है। ऐसी स्थिति में कई ऐसे रिर्पोटर बैतूल जिले में देखने को मिल जाएगे जिनके पास विभिन्न चैनलो के एफ टी पी नम्बर देकर उनसे मुफ्त की बिज्जर करवाई जा रही है . अभी हाल ही में मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के नाम से शुरू होने वाले एक टी वी चैनल की सहारा समय से निकले कुछ रिर्पोटरों द्धारा फैंचाइसी लेने के बाद उसके लिए रिर्पोटरों बनाने के नाम पर विज्ञापन छपवाया गया तथा ले देकर अपने चहेतों को नियुक्ति पत्र एवं चैनल का आई डी – लोगो तक दे दिया गया। जबकि अभी न्यूज चैनल का प्रसारण तक शुरू नहीं हुआ है और उसके रिर्पोटरों ने चैनल का आई डी – लोगो लेकर सरकारी तथा गैर सरकारी कार्यालयों की खाक छाननी शुरू कर दी है।बैतूल जिले में टीवी चैनलों के रिर्पोटरों की चकाचौंध में अब जिले के केबल आपरेटरों के भी कूद जाने से जिले में न्यूज चैनल अन्य मनोरंजन चैनलों से अधिक दिखाई देने लगे है। कब कौन सा न्यूज चैनल बंद हो जाए तथा कौन सा नया चालू हो जाये कहा नहीं जा सकता, लेकिन इन सबके चलते दिन प्रतिदिन इलेक्ट्रानिक मीडिया की इमेज खराब होती चली जा रही है।
बैतूल जिले में एक व्यक्ति ने भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक से स्वंय के लिए न्यूज चैनल का शीर्षक मांगा लेकिन मिला दैनिक समाचार पत्र ” सेन्टर न्यूज बैतूल का नाम अनुमोदित होकर आ गया। अब आवेदक ने अपने अल्प ज्ञान से उक्त समाचार पत्र के शीर्षक को न्यूज चैनल बना कर उसका लोकल केबल पर बकायदा प्रसारण तक शुरू कर दिया। जिले में आधा दर्जन न्यूज चैनल ऐसे ही चल रहे है जिनके पास सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की कोई लिखित अनुमति तक नहीं है . सबसे बड़ी मजेदार बात तो यह है कि जिले के आला अफसरो तक को यह नहीं मालूम कि बिना सूचना प्रसारण मंत्रालय की स्वीकृति के कोई भी केबल आपरेटर किसी भी प्रकार का प्रसारण या उसका प्रर्दशन तक नहीं कर सकता।
बैतूल जिले के जन सम्पर्क कार्यालय में इस बार स्थानीय स्तर पर सौ सवा सौ लोगो को स्थानीय निकायों के चुनावों में मतदान एवं मतगणना केन्द्रों में प्रवेश के परिचय पत्र जारी किये जाए जो कि चुनाव आयोग के निर्देशों की सरासर अवहेलना की श्रेणी में आता है। बैतूल जिले में न्यूज चैनलों के नाम पर धोखाधड़ी के शिकार बने युवकों के द्धारा अब न्यूज चैनलों के भोपाल एवं दिल्ली तथा नोएडा सहित अन्य स्थानों के असाइमेंट प्रमुखों एवं एडिटरों तथा मालिकों के खिलाफ न्यायालय में पृथक रूप से परिवाद प्रस्तुत किये जाने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में अब यह देखना बाकी है कि आने वाले समय में टीवी चैनलों एवं उनके रिर्पोटरों तथा स्ट्रींगरों का भविष्य क्या होगा तथा आखिर कब तक केबल के नाम पर यू ही न्यूज चैनल बिना अनुमति के चलते रहेगें।

बैतूल : गोलमाल है भई सब गोलमाल है सहकारिता का निकला पलीता

एपीएल का गेंहू हमारा था वो, छै माह से कहां गया उसे ढुंढो....!
- बैतूल- रामकिशोर पंवार की खास रिर्पोट
toc news internet channel
बैतूल। अभी गोलमाल थ्री रीलिज नहीं हुई है उसके पहले ही बैतूल जिले में गोलमाल थ्री रीलिज हो जाने के बाद आमीरखान की बहुचर्चित हिन्दी फिल्म थ्री इडियट का गाना कुछ इस प्रकार गुंजने लगा है कि गेंहू हमारा था वो.....! कहां गया उसे ढुंढो......! हालाकि इस गाने के बजने के बाद भी बेसुध बैतूल जिला प्रशासन मध्यप्रदेश की सरकार अपनी महत्वाकांक्षी योजना गरीब मेलो का पुलिस परेड ग्राऊण्ड पर आयोजन कर रही है ताकि गरीबो लोगो की सरकारी योजनाओं के लाभ लेने के लिए अच्छी खासी परेड हो सके।
अभी तक आपने केवल गरीबो के ही राशन पर लोगों को हाथ साफ करते सुना होगा लेकिन जब आपको पता चले कि सम्पन्न लोगो के नाम पर जारी हुये एपीएल कार्ड धारको का ही राशन पिछले एक अप्रेल 2010 से सितम्बर 2010 तक कागजो पर ही बट गया तब आपको कैसा लगेगा...! सवाल यह उठता है कि ऐसा सब कैसे हो गया और सबंधित अधिकारी क्या करते रहे....! सवाल का जबाब भी कम चौकान्ने वाला नहीं था, अधिकारियों एवं सहकारी समितियों के संचालको ने तर्क दिया कि एपीएल के राशन का उठाव दुकानो से नहीं हो रहा था इसलिए एपीएल का पूरा गेहंू पिछले छै माह से जिले भर के ही नहीं पडौसी जिलो एवं प्रांतो के गल्ला एवं अनाज व्यापारी जिले भर की 91 सहकारी उपभोक्ता भंडारो तक पहुंचने के पहले ही व्यापारियों के गोदामो एवं बाजारो में पहुंच गया। यूं तो राज्य सरकार ने एपीएल ए बीपीएलए अंत्योदय योजनाओं के तहत गेंहू सरकारी दर पर राशन कार्ड धारको को देने की अभिनव योजना चला रही है। मध्यप्रदेश के पडौसी राज्य महाराष्ट से लगे प्रदेश के सीमावर्ती आदिवासी ाहुल्य बैतूल जिले में एक अप्रेल 2010 से जिले के एपीएल कार्ड धारको को मिलने वाले गेहूं के लिए 30 सितम्बर 2010 तक अप्रेल फूल बनाने का कार्यक्रम चलाया गया। इस महत्वाकांक्षी कार्ययोजना में जिले के खाद्य विभाग एवं जिला सहकारी बैंक के अधिनस्थ सभी छोटी - बडी 95 सहकारी समितियां लगी हुई थी। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि प्रदेश के केबीनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन के गृह जिले की राह का मील का पत्थर बना यह जिला अकसर इन छै माह में उनके स्वागत सत्कार में कहीं न कहीं एपीएल का गेहूं ने कोई कसर नहीं छोडी है
लोग भले ही कुछ भी कहे लेकिन बैतूल जिले अब तक के सबसे बडे गेहूं घोटाले में बैतूल जिला मुख्यालय के भाजपा विधायक अलकेश आर्य के भाई - भतीजे भी शामिल है। वैसे तो विधायक महोदय के भाई साहब बैतूल विकासखढ की सेहरा सहकारी आदिम जाति सहकारी समिति में कार्यरत सेल्समेन है जिनका भी इस महा घोटाले में बडा हाथ और पांव बताया जा रहा है। अब सरकार आकडो की बाते करे तो पता चलता है कि जिले की 558 ग्राम पंचायतो में 1343 गांव है इसके अलावा तीन नगर पालिकाओं , पंाच नगर पंचायतो में 13 लाख 95 हजार 175 आबादी में 1 लाख 55 हजार 967 एपीएल राशन कार्ड धारक है। वैसे तो जिले में बीपीएल कार्ड धारको की संख्या 43 हजार 427 है तथा अंत्योदय योजना के कार्ड धारको की संख्या भी कम चौकान्ने वाली नहीं है। बीते छै माह में प्रति एपीएल राशन कार्ड पर औसतन 11 से 18 किलो राशन 7 रूपये के हिसाब से आवंटित किया गया
बैतूल जिले में छै माह में प्रति राशन कार्ड प्रति माह औसतन 21 लाख 55 हजार 637 किलो एपीएल का गेंहू का आवटंन किया जाना था अब प्रतिमाह एपीएल का गेंहू का आवंटन 91 सहकारी समितियों की लगभग 5 सौ ग्रामिण क्षेत्रो एवं शहरी क्षेत्रो की गैर आदिमजाति सहकारी समितियों द्वारा संचालित उपभोक्ता दुकानो को दिया गया। अब जिला खाद्य विभाग के पास मौजूद आकडो की बाते करे तो पता चलता है कि हम यह बताने की स्थिति में नहीं है कि कितना किलो किस - किस एपीएल कार्ड पर दिया गया किस भाव में दिया गया....! राशन दुकानो के मासिक प्रतिवेदन में उपरोक्त एपीएल का पूरा गेंहू बाटा जाना प्रमाणित किया गया है। पर सच्चाई अपने आप में कम चौकान्ने वाली नहीं है क्योकि जिले के सभी शहरी क्षेत्र के अधिकारियों - कर्मचारियों - सम्पन्न लोगो को मिलने वाला एपीएल का गेहूं कागजो में खानापूर्ति तो बता दिया गया। यह पूरा मामला जिला कलैक्टर एवं जिला खाद्य विभाग के आला अफसरो से लेकर उपभोक्ता दुकानो के सेल्समेन की जानकारी में है। सब के पास अपने - अपने तर्क है इस एपीएल के गेंहू के महाघोटाले को लेकर तभी तो सब के सब एक सूर में कोई न कोई तर्क देकर अपनी जवाबदारी एवं जवाबदेही से साफ बच निकलते जा रहा है
पूरे मामले की एक सच्चाई भी कम चौकान्ने वाली नहीं है जिसके अनुसार बैतूल जिले की ग्रामिण क्षेत्रो में कार्य करने के लिए पंजीकृत आदिम जाति सहकारी समितियां एवं शहरी क्षेत्र के धन्नासेठो एवं फर्जी तरीके से पंजीकृत उपभोक्ता भंडारो के द्वारा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग से प्राप्त एपीएल राशन कार्ड धारको का गेंहू आम उपभोक्ता तक पहुंचा नहीं और बाजारो में जा पहुंचा। माह अप्रेल से जून तक सरकारी मूल्य पर कृषि उपज मंडियो में 12 सौ प्रति क्विंटल के हिसाब से गेंहू खरीदा गया लेकिन 15 जून 30 सितम्बर तक गेंहू का बाजारी भाव 15 सौ रूपये प्रति क्विंटल के भाव से बिका। जिले के एक शहरी क्षेत्र के सहकारी उपभोक्ता भंडार के संचालक प्रेम शंकर मालवीय के परिवार के नाम पर बडोरा मेे फलोर मिल स्थापित है। जिसकी प्रतिदिन की गेंहू खपत बैतूल जिले में सबसे अधिक है जिसकी आपूर्ति कहां से हुई यह जांच का विषय है। पूरे प्रकरण में सबसे चौकान्ने वाली जानकारी यह आई कि जिले का अधिकांश एपीएल जिले की फलोर मिलो एवं साप्ताहिक बाजारो में तो बेचा गया साथ ही पडौसी राज्य के सीमावर्ती जिलो मे भी भारी मात्रा में गेंहू की अतंरराज्यीय सीमा से कृषि उपज मंडी के बेरियरो से उनकी निकासी हुई
एक अप्रेल से तीस सितम्बर तक के एपीएल के गेंहू के बेभाव में बिकने के चलते कई आदिम जाति सहकारी समितियों के सेल्समेनो से लेकर जिले के कई अफसरो के न्यारे - व्यारे हो गये। बैतूल जिले के इस साल के सबसे बडे एपीएल के गेंहू घोटाले के सामने आने पर सभी अधिकारी एवं कर्मचारी किसी भी प्रकार की ब्यानबाजी देने से बच रहे है। खबर लिखे जाने तक इस महाघोटाले के चलते पूरे जिले में हडकम्प मच गई है। जिला खाद्य विभाग पूरे मामले की जांच करने एवं एक अप्रेल 2010 से 30 सितम्बर 2010 तक आंवटित एपीएल के गेंहू की 7 रूपये के बदले 11 रूपये प्रतिकिलो के हिसाब से वसूली की बात कर रहा है। मात्र चार रूपये प्रतिकिलो के हिसाब से प्रतिमाह बिके 21 लाख 55 हजार 637 किलो गेंहू के हिसाब से आंवटित छै माह 1 करोड 93 लाख 38 हजार 22 किलो गेंहू का अतिरिक्त मूल्य 4 रूपये प्रतिकिलो के हिसाब से सरकारी खजाने में जमा तो हो जायेगा लेकिन पूरे महाघोटाले में इन पंक्तियो के लिखे जाने तक न तो वसूली प्रक्रिया शुरू हो सकी है। जिला खाद्य अधिकारी श्री ठाकुर के अनुसार बैतूल जिले के चार दुकान के संचालको के खिलाफ पुलिस में एफ आई आर दर्ज कार्यवाही की गई है। अब इस महाघोटाले पर जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति अधिकारी श्री ठाकुर द्वारा यह तर्क यह दिया जा रहा है कि बैतूल जिले के एपीएल के सभी राशन कार्ड धारको को बीते छै माह में दिया जाने वाला एपीएल का गेंहू बाजार में नही बेचा गया है। एपीएल पूरा का पूरा ही एपीएल का गेंहू कार्ड धारको को दिया गया है। राशन कार्ड धारको से पता कर लिया जाये....!
श्री ठाकुर इस बात को जानते है कि पौने दो लाख लोगो तक कोई एन जी ओ तो क्या भगवान भी नहीं जा सकता क्योकि आज भी कई दुकानो के पास फर्जी राशन कार्ड है। जिले में ऐसे एपीएल कार्ड धारको की भी कमी नहीं है जो कि इस दुनिया से बिदा हुये बरसो हो गये। जब बैतूल जैसे जिला मुख्यालय पर मृत लोगो को पेशंन तक मिलती आ रही थी वहां के दुरस्थ क्षेत्रो में क्या कुछ संभव नहीं है। बैतूल जिले की 13 लाख की आबादी में मात्र में 43 हजार 427 ही बीपीएल कार्ड धारक है ऐसी स्थिति में जिले में यदि औसतन माना जाये कि एक परिवार में चार सदस्य है तब भी बैतूल जिले में तीन लाख राशन कार्ड धारक होना चाहिये....! सरकारी आकडो में सवा दो लाख से ढाई लाख लोगो के राशन कार्ड बने है। जिले में नीला - पीला - सफेद कार्ड के चक्कर में सब कुछ काला बाजार हो रहा है। अब मामले के उजागर होने पर कहा जा रहा है कि इसलिए एपीएल के गेंहू की कालाबाजारी के खिलाफ उन दुकानदारो के खिलाफ वसूली की जायेगी लेकिन वह भी राजनैतिक दबाव के चलते संभव नहीं है क्योकि जिले की अधिकांश आदिम जाति सहकारी समितियां और जिला सहकारी बैंक तक सत्ताधारी दल के कब्जे में है ऐसे में अपने ही लोगो के चेहरो पर से नकाब हटाने का साहस किसी में भी नहीं है। मामले ने तूल पकडा और कांग्रेस यदि धोखे से भी कुंीाकरणी निंद्रा से जाग गई तो एपीएल राशन कार्ड के गेंहू महाघोटाले में औसतन तीस से पचास प्रतिशत दुकानो से गेंहू की तथाकथित 4 रूपये प्रति किलो के हिसाब से वसूली की जा सकती है। गरीबो के अनाज पर अमीरो का डाका तो सभी के दिलो के दिमाग पर था लेकिन एपीएल कार्ड धारक जिसमें जिले के उद्योगपति - ठेकेदार - पंूजीपति - धन्नासेठ - होटल - दुकान - कंपनी - प्रतिष्ठान के मालिको के अलावा क्लास वन टू थ्री फोर के अधिकारी एवं कर्मचारी जिन्हे राशन की दुकान का लाल - पीला - सडा गेंहू बेस्वाद लगता है आखिर उनके कार्ड का गेंहू गया कहां पर ....!
बैतूल जिले के खाद्य अधिकारी ठाकुर उपभोक्ता दुकानदारो के पक्ष में कुछ इस प्रकार कहते है कि पूरे के पूरे बेइमान या चोर नहीं है ....! लेकिन जब उनसे पुछा गया कि इमानदार भी है तो प्रमाण दीजिए तो वे बगले झांकने लगे। बरहाल बैतूल जिले से गेंहू की कालाबाजारी पर ग्रामिण एवं शहरी बैतूल की एक नकारात्मक तस्वीर यह है कि अब सरकार को गरीब के साथ - साथ अमीर मेला भी लगा कर उन्हे भी सरकारी योजनाओं की जानकारी देनाी चाहिये।

भारत भ्रष्टतम देशों में शुमार, घूस लेने में पुलिस नंबर-1

भारत में 100 में 54 लोग भ्रष्ट
नई दिल्ली। भारत में भ्रष्टाचार दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। एक सर्वे से खुलासा हुआ है कि इस देश में रहने वाले 100 में 54 लोग बेईमान हैं। ये खुलासा हुआ है गैर सरकारी संगठन ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ की रिपोर्ट से। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल यहां हर दूसरे शख्स ने अपना काम कराने के लिए अधिकारियों को रिश्वत दी। वहीं खुलासा हुआ है कि पुलिस रिश्वत लेने के मामले में नंबर वन है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के खुलासे से साफ हो गया है कि 100 में 80 ना सही लेकिन देश में भ्रष्टाचार का आंकड़ा इससे कम भी नहीं। देश में 100 में 54 लोग भ्रष्ट हैं। जो अपना काम करवाने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं। फिर चाहे इसके लिए वो घूस दें या घूस लें।
संयुक्त राष्ट्र संघ की ट्रांसपेरेंसी इंटरनेश्नल की 7वीं रिपोर्ट इंटरनेश्नल एंटी करप्शन डे के मौके पर जारी की गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल भारत में अपना कोई न कोई जरुरी काम करवाने के लिए 54 फीसदी लोगों ने रिश्वत दी। यानि देश का हर दूसरा शख्स रिश्वत देने में यकीन रखता है। सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार पुलिस डिपार्टमेंट में है। सर्वे में भारत को इराक और अफगानिस्तान सहित सबसे भ्रष्ट देशों में गिना गया है।
यही नहीं, रिपोर्ट में लोगों की राय लेने के बाद ये भी लिखा गया है कि भारत के करीब 74 फीसदी लोगों के मुताबिक पिछले 3 सालों में देश में रिश्वतखोरी काफी बढ़ी है। मालूम हो कि भारत में टू जी स्पेक्ट्रम जिसने देश को 1 लाख 76 हजार करोड़ का चूना लगाया। भ्रष्टाचार की मुंबई में आदर्श इमारत भी इसी बात को दर्शाती है। कॉमनवेल्थ में सैकड़ों करोड़ का घोटाला भी इसी की तस्दीक करता है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेश्नल के आंकड़े चौकाने वाले हैं, इसमें भारत के अलावा दुनिया भर में बढ़ते भ्रष्टाचार की भी बात की गई है। अगर दुनिया के दूसरे देशों की बात करें तो रिपोर्ट में और कई चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए गए हैं। इस सर्वे में 86 देशों में 91,000 लोगों से बात की गई। 2010 के ग्लोबल करप्शन बैरोमीटर के मुताबिक पिछले 12 महीनों में दुनिया के हर चौथे आदमी ने घूस दी। घूस लेने वालों में शिक्षा, स्वास्थ्य और टैक्स विभाग के अधिकारी सबसे आगे हैं।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेश्नल 2003 से करप्शन पर रिपोर्ट जारी कर रही है। यह उसकी 7वीं रिपोर्ट है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेश्नल की 7वीं रिपोर्ट के आंकड़ों ने दुनियाभर में फैल रहे भ्रष्टतंत्र के दावों पर मुहर तो लगाई ही है। साथ ही भारत में फैल रहे भ्रष्टाचार के कैंसर को भी बेपर्दा किया है।

Thursday, December 9, 2010

आखिर गुरू शिष्या का रिश्ता शर्मसार हुआ, माफी मांगी

ब्यूरो प्रमुख उ। प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल (इलाहाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 99362 29401
इलाहाबाद. कस्बा कोरांव मे स्थित 27 नवम्बर को उस समय एक प्रेमी शिक्षक एवं छात्रा को रंगरेलिया मनाते लोगों ने पकड़ लिया जब ये दोनों अपने विद्यालय से फुर्सत होकर मुहल्ला चमनगंज मे स्थित अपने आवास पर गया था और अपनी उक्त प्रेमिका को बुलाया था।अवगत हो कि 27 नवम्बर को समय ग्राम कपासी क्षेत्र की एक लड़की कोरांव में स्थित प्राइवेट स्कूल मे शिक्षारत है और उसी स्कूल का एक युवक जो बतौर शिक्षक कार्यरत है तथा राजनीति करता है। योजनाबद्ध तरीके से गुरू ने अपने अपनी शिष्या प्रेमिका को अपने सुनसान कमरे मे बुलाया था। जैसे ही ये दोनो बंद कमरे अपनी मुहब्बत को परवान चढ़ाने लगे वैसे ही आस पास के कुछ बच्चों ने उन दोनो की हरकत को देखकर अगल बगल के लोगों को सूचित कर दिया, अन्तोगत ये दोनों मुहल्लेवालो के हत्थे चढ़ गये, आखिरकार दोनो जोड़ो ने मुहल्लेवालों से हाथ पैर जोड़कर तथा आरजू विनती करके भविष्य मे ऐसी गलती न करने को तैयार हो गये, आगे बात न बढ़े तथा घर एवं रिश्तेदारी तथा थाने तक बात न पहुंचे, लोगों ने दया दृष्टि के साथ उन लोगों को छोड़ दिया । उक्त युवक अथवा शिक्षक गाढ़ा क्षेत्र का बताया जाता है तथा कस्बा कोरांव में अपना निजी मकान बनवा लिया है। और एक राजनीति पार्टी मे शामिल होकर नेतागिरीकी शुरूआत भी की थी। लेकिन उक्त हरकतों से कस्बा वासियों के निगाह मे नेताजी घटिया किस्म घोषित हो गए। प्रेमिका किसी तरह तो अपने घर चली गई लेकिन अपने ऊपर उस मुहल्ले और विद्यालय में एक अपनी गलत पहचान प्रदर्शित कर गयी। उक्त वारदात को लेकर कस्बे मे तरह-तरह की चर्चायें व्याप्त है।

पति से तलाक लेंगी करिश्मा कपूर?

मुंबई। करिश्‍मा कपूर और संजय कपूर की शादीशुदा जिंदगी एक बार फिर खतरे में है। बॉलीवुड की गलियों में खबर है कि संजय इन दिनों दिल्‍ली स्थित एक सोशलाइस्‍ट के साथ प्रेम की पींगें बढ़ा रहे हैं। दोनों को अक्‍सर एक साथ प‍ार्टियों में भी देखा जा रहा है। बताया जाता है कि वो महिला स्‍वयं एक मॉडल है और उसका पहले भी तलाक हो चुका है।
सूत्र बताते हैं करिश्‍मा इस बात से बेहद नाराज हैं। बताया जाता है कि वे जल्‍द ही अदालत में तलाक के लिये अर्जी भी डाल सकती हैं। हालांकि उन्‍होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है, लेकिन इस बार करिश्‍मा बहुत नाराज हैं।
अभिषेक बच्‍चन से सगाई टूटने के बाद करिश्‍मा ने संजय के साथ 23 सितम्‍बर 2003 को शादी की थी। संजय का उसी समय अपनी पहली पत्‍नी डिजाइनर नंदितना महतानी के साथ तलाक हुआ है। इसके बाद दोनों की शादीशुदा जिंदगी ठीक-ठाक चलने लगीं। संजय और करिश्‍मा की पहली बेटी समायरा का जन्‍म 2005 में हुआ। हालांकि, इसके बाद भी दोनों के बीच के रिश्‍ते में खटास बनी रही।
इसके कुछ समय बाद करिश्‍मा कुछ समय के लिये अपने पति से अलग रहने लगीं, लेकिन बाद में दोनों के बीच समझौता हो गया और वे फिर साथ हो गये। इसके फौरन बाद इस जोड़े के घर दूसरे बच्‍चे का जन्‍म हुआ। इसी साल मार्च में करिश्‍मा ने अपने बेटे किआन को जन्‍म दिया। लेकिन, एक बार फिर दोनों का रिश्‍ता बिखरने की कगार पर है।
संजय की इस तरह की आदतों से करिश्‍मा तंग आ चुकी हैं। बहुत सोच-समझकर उन्‍होंने अब अपनी जिंदगी की राहें संजय से अलग करने का मन बना लिया है।

खिलाडी गांवो से चुने जाए न कि दिल्ली, मुम्बई, बैंगलुरू से -सिंधिया


जिला प्रतिनिधि// सावित्री लोधी (अशोक नगर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 98262 ८५५८१

shok नगर। भारत देश की विश्व में प्रभुता बढ़ाने के लिए देश की सरकार को परिवर्तन करना होगा। खिलाडियों का चयन गुना, अशोकनगर, शिवपुरी जैसे छोटे-छोटे शहरो से करना होगा और उन्हें प्रशिक्षित करना होगा। तभी भारत का परचम लहरेगा संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय उधोग एवं वाणिज्य राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया। वे अशोकनगर में आपका सांसद आपके द्वार कार्यक्रम में आए थे। श्री सिंधिया ने कहा कि विश्व की आबादी 600 करोड़ हैं, जिसकी 16 प्रतिशत जनसंख्या हिंदूस्तान में निवास करती हैं। अगर हिंदुस्तान को अंतराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताएं जैसे ओलंपिक, एशिया में 16 प्रतिशत स्वर्ण हासिल करना हैं तो नीति बनानी होगी। प्रथम हिंदुस्तान के खिलाडियों को आधुनिक 21वी सदी की अधोसंरचना देनी होगी, जिससे वे अपने खेल का विकास कर सके। दूसरा खेल। दूसरा खेल प्रशिक्षकों का चयन बारीकी से करना होगा। तथा समय-समय पर उनके कार्य की मानीटरिंग करना होगी। तीसरा खिलाडिय़ों का चयन ग्रामीण अंचलों से कर उन्हें आधुनिक स्तर पर प्रशिक्षित किया जाए। उन्होने ब्राजील का उदाहरण देते हुए बताया कि फुटवाल का बेताज बादशाह ब्राजील के 15 खिलाडिय़ों में से 8 ग्रामीण अंचल के हैं। जिन्हें तराश कर सितारा बनाया गया हैं। तभी भारत की अंतराष्ट्रीय टीम खेल जगत में परचम लहरा पाएंगी। उन्होनें इस मौके पर खिलाडिय़ों को सम्मानित भी किया। -


महिलाऐं बेहतर राजनीतिज्ञ-सिंधिया


अशोकनगर। आपका सांसद आपके द्वार कार्यक्रम में संबोधित करते हुए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हिंदुस्तान की महिलाऐं बेहतर राजनीतिज्ञ होती हैं। सारी राजनीति घर से ही शुरू होती हैं। जब महिलाएं घर में रहकर घर का मैनेजमेंट तथा राजनीति सुचारू रूप से चला लेनी हैं तो बाहर की राजनीति करना बडी बात नहीं हैं। श्री सिंधिया ने कहा कि देश की राष्ट्रपति महिला हैं, कांग्रेस अध्यक्ष महिला हैं अब महिला सशक्तिकरण का कार्य शुरू हो गया हैं। आगे सांसद, विधायक महिलाऐं होगी।

जनसुनवाई में किसान द्वारा बैंक प्रबंधक पर लगाये गए धोखाधड़ी के आरोपो की खुली पोल

जिला प्रतिनिधि// सावित्री लोधी (अशोक नगर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 98262 85581
अशोक नगर । विगत दिनों जिला मुख्यालय पर जनसुनवाई में एक मामला आया था, जिसमें ईसागढ ब्लॉक के ग्राम कोहरवास के आशा राम पुत्र अजब सिंह यादव द्वारा एक आवेदन देकर पंजाब नेशनल बैंक शाखा सुखपुर के प्रबंधक पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। पंजाब नेशनल बैंक सुखपुर के प्रबंधक संजीव कुमार ने बताया कि उक्त कृषक द्वारा हमारी शाखा से 14.3.2006 को टै्रक्टर व किसान कार्ड हेतु रूपए 5 लाख 77 हजार का ऋण लिया था लेकिन किसान द्वारा अभी तक एक भी किस्त की अदायेगी नहीं की गई थी। जब बैंक द्वारा खाते को एन.पी.ए. की श्रेणी मेें अंतरित कर वसूली की कार्यवाही की गई, जिसमें बैंक की वसूली एजेंसी ने दिनांक 19.11.2010 को टे्रक्टर जब्त किया था। ट्रेक्टर जब्ती की सूचना थाना प्रभारी ईसागढ़ ़को भी उसी दिनांक को दे दी गई थी, लेकिन उक्त कृषक आशाराम द्वारा द्वेषपूर्ण एवं वैमनस्यता पूर्वक वसूली को बाधित करने के इरादे से मेरे ऊपर जन सुनवाई के दौरान धोखाधड़ी का आरोप लगाया था, जो असत्य एवं निराधार हैं क्योंकि कृषक शाखा द्वारा दिये गए ऋण की अदाएगी में अवरोध उत्पन्न कर रहा था।

बंद पड़ी हैं चलित पशु चिकित्सा ईकाई

जिला प्रतिनिधि// सावित्री लोधी (अशोक नगर // टाइम्स ऑफ क्राइम)

ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 98262 85581

अशोक नगर, किसी दुर्घटना में घायल एवं बीमार मवेशियों को मौक पर ही उपचार देने वाली चलित पशु चिकित्सा इकाई नाम की रह गई हैं। इस कारण लोगों को परेशान तो होना ही पड़ता हैं। साथ ही पशुओं की मौत भी हो जाती हैं। जिला मुख्यालय पर पशु चिकित्सालय के पीछे स्थित चल पशु चिकित्सा ईकाई के कार्यालय और कर्मचारियों के होने के बाद भी पशुओं को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा हैं। मौके पर ही पशुओं को चिकित्सा उपलब्ध हो, इसलिए पशु चिकित्सा ईकाई पहुंचकर ऐसे पशुओं को तुरंत उपचार पहुंचाती हैं। लेकिन इस ईकाई के होने के बाद भी घायल और बीमार पशुओं को समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा हैं, जिस कारण उनकी मौत भी हो रही हैं। -

कार्यालय सूना, कर्मचारी नदारद

चल पशु चिकित्सा इकाई कार्यालय हर समय खाली मिलता हैं और वहां के कर्मचारी नदारत मिलते हैं। बुधवार को भी इसी तरह का वाक्या सामने आया। दोपहर लगभग दो बजे अपने ही टे्रक्टर से घायल हुए एक बछड़े को किसान लेकर पहुंचे, लेकिन पशु अस्पताल चार बजे खुली। इसके पूर्व ही चल चिकित्सा इकाई को दिखाने का था, लेकिन इस दौरान कार्यालय पूरी तरह खाली मिला। चल इकाई में पदस्थ कर्मचारी नदारद मिले। यह पहला वाक्या नहीं हैं कि इस तरह पूरा का पूरा कार्यालय कर्मचारी विहीन हो। लेेकिन इस ओर वरिष्ठ अधिकारियों ने गौर नहीं किया। इससे उक्त कैशलोन निवासी किसान दो घंटे तक पुश चिकित्सालय में बछड़े को घायल अवस्था में लिए बैठा रहा। वहीं कई बार चल इकाई के निष्क्रिय रहने से पशुओं की मौत हो चुकी हैं। ऐसा कई बार हुआ हैं कि मवेशी वेचारे सडक पर घायल पडे तडपते रहते हैं और इस ओर चलित इकाई का ध्यान तक नहीं जाता हैं।

विकलांग दिवस पर सामाजिक न्यास विभाग ने बच्चों को पकड़ाई अन्य जगह की तख्ती

जिला प्रतिनिधि// सावित्री लोधी (अशोक नगर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 98262 ८५५८१

अशोक नगर. संजय स्टेडियम में तीन दिन तक चली विकलांग खेलकूद एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का समापन विगत दिवस विश्व विकलांग जन दिवस के अवसर पर हुआ। इस मौके पर विजेता प्रतिभागियों को जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने पुरूस्कृत किया। इस कार्यक्रम में जिले के चारों ब्लाको से विकलांग विधार्थी सहित विकलांग लोग शामिल हुए। इसी दोरान जब रेस प्रारंभ हो रही थी, उससे पूर्व तख्ती लिए बैठे बच्चो से पूछा गया कि चंदेरी ब्लाक के कितने बच्चे हैं, तो ईसागढ की तख्ती लिए बैठी 10-12 छात्राओं में से तीन छात्राओं ने कहा कि हम भी चंदेरी विकासखंड से आए हैं। ईसागढ़ की तख्ती हमें सर पकड़ा गए हैं। वहंी ईसागढ़ से आए विकलांगों की संख्या काफी कम थी, इसलिए मौजूद सर ने चंदेरी की छात्राओं को तख्तियां पकड़ा दी, जिससे कि ईसागढ़ से आए विकलांगों की संख्या ठीक-ठाक जान पड़े ।

- अधिकारियों ने भी नहीं दिया ध्यान:- सामाजिक न्याय विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जिला मुख्यालय के पीटीआई के अतिरिक्त डिप्टी कलेक्टर अभिषेक दुबे लंबे समय तक कार्यक्रम स्थल पर मौजूद रहे। लेकिन उन्होने एक बार भी जाकर विकलांग बच्चों का हालचाल नहीं पूछा और न हीं यह भा जानने का प्रयास नहंी किया कि कहीं औपचारिकता तो नहंी निभाई जा रही थी।

यातायात पुलिस ने कसा बेलगाम यातायात पर शिकंजा

जिला प्रतिनिधि// सावित्री लोधी (अशोक नगर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 98262 85581
जिला मुख्यालय पर विगत कुछ महीनों से नगर की यातायात व्यवस्था की स्थिति काफी दयनीय हो गई थी क्योंकि यातायात विभाग का प्रभार लईक खांन से हटाकर किसी और व्यक्ति को सौंप दिया गया था। पुलिस अधीक्षक चंद्रशेखर सोलंकी द्वारा नगर की यातायात व्यवस्था को सुदृढ कराने के लिये पुन: नवंबर माह में लईक खान को यातायात विभाग का दायित्व सौंपकर नगर के बेलगाम यातायात को पटरी पर लाने को निर्देशित किया। लईक खान द्वारा पुलिस अधीक्षक श्री सोलंकी के निर्देशन में नगर की चौपट पड़ी यातायात व्यवस्था को सुदृढ करने में जुट गये। उन्होने रेलवे फाटक तथा नगर के प्रमुख चौराहो पर खडे अनियंत्रित वाहनों पर शिकंजा कसा जिससे वाहन चालको में हडकंप मच गया। रेलवे फाटक पर तैनात जवान फाटक बंद होते ही सक्रिय नजर आते हैं। जिससे फाटक से गुजरने वाले लोगों को जाम में नहीं फंसना पडता हैं। यातायात प्रभारी खान ने बताया कि जब से मुझे दायित्व सौंप गया हैं तब से 30 नवंबर तक 282 वाहनो के चालान बनाये गये हैं। जिसमें दोपहिया, ट्रक, टै्रक्टर आदि शामिल हैं। जिनसे यातायात विभाग को 39600 रूपए के राजस्व की प्राप्ति हुई हैं। श्री खांन ने आगे बताया कि हमारे विभाग में पर्याप्त बल नहीं होने के बाद भी मेरा प्रयास रहता हैं कि नगर में यातायात सुगम तथा सुदृढ़ हो जिससे आमजन सुरक्षित चल सके।

जिला परियोजना समन्वयक ने किया विद्यालयों का औचक निरीक्षण

क्राइम रिपोर्टर// सरला पाण्डेय (अम्बिकापुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
क्राइम रिपोर्टर से संपर्क:-9981658690
अम्बिकापुर. कलेक्टर एवं जिला मिषन संचालक डॉ. कमलप्रीत सिंह के निर्देशानुसार विद्यालयों में गुणवत्तायुक्त शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सर्व शिक्षा अभियान के जिला परियोजना समन्वयक श्री एसपी.पाण्डेय द्वारा बुधवार एवं गुरूवार को बलरामपुर, रामानुजगंज एवं अम्बिकापुर विकासखण्ड के विद्यालयों का आकस्मिक निरीक्षण किया गया। डीपीसी द्वारा बुधावार को विकासखण्ड स्रोत केन्द्र कार्यालय बलरामपुर एवं रामानुजगंज विकासखण्ड के प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला देवगई, मितगई, नवापारा, कनकपुर, त्रिकुण्डा एवं बालक आश्रम बगरा के निरीक्षण के दौरान बच्चों की उपस्थिति कम पायी गई तथा आश्रम में पानी का पम्प खराब अवस्था में पाया गया। श्री पाण्डेय द्वारा गुरूवार को अम्बिकापुर विकासखण्ड के बालक एवं कन्या प्राथमिक शाला बरगवां एवं नानदमाली के निरीक्षण के दौरान श्रीमती अर्चना केरकेट्टा, श्रीमती अनिया तिर्की, श्रीमती फ्रिदा केरकेट्टा एवं श्री राजन बखला बिना किसी सूचना के अनुपस्थित पाये गये। बच्चों एवं ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि ये शिक्षक-शिक्षिकाएं प्रतिदिन अपरान्ह 3.30 बजे विद्यालय से चले जाते हैं। अनुपस्थित शिक्षक-शिक्षिकाओं को कारण बताओ नोटिस जारी की गई है। डीपीसी ने शिक्षकों से कहा है कि बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा उपलब्ध कराये तथा पाठ्यक्रम पूर्ण करते हुए बच्चों को उसकी पुनरावृत्ति कराते हुए परीक्षा हेतु तैयार करायें।

आर.टी.ओ. विभाग को दलालों से मुक्त किया जाए

क्राइम रिपोर्टर// सरला पाण्डेय (अम्बिकापुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
क्राइम रिपोर्टर से संपर्क:- 9981658690

छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 10 वर्ष पश्चात भी शासकीय कार्यालयों की कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं आया है, उम्मीद थी की नये राज्य के गठन के पश्चात अधिकारी एवं कर्मचारी स्वमेव अपने व्यवहार में सुधार लायेंगे। लेकिन कोई परिवर्तन न आने से नागरिकों को निराशा ही मिली है। अम्बिकापुर स्थित क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के कार्यालय का सारा कार्य एजेंटों के माध्यम से होना दुर्भाग्यपूर्ण है। दु:ख तो इस बात की है कि अधिकारी स्वयं एजेंटों को शासकीय अभिलेख, फाइल, रिकार्ड उठाने के लिये कहते हैं। कार्यालय के सभी कर्मचारी एजेंटों के माध्यम से अवैध कमाई करते हैं, इसलिए कोई विरोध नहीं करता। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ शासन के परिवहन विभाग ने आरटीओ विभाग के कार्य कराने के लिए एजेंटों को मान्यता नहीं दी है तथा शासकीय कार्यालय में बड़े-बड़े बोर्ड में हर कार्य की दर सूची निर्धारित समयावधि का उल्लेख करते हुए लगा रखी है, लेकिन एक भी कार्य बगैर एजेंट के सहयोग से अम्बिकापुर स्थित क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के कार्यालय में संपादित नहीं हो रहा है, जो चिंता का विषय है। सबसे ज्यादा परेशानी नागरिकों को नवीन कंम्प्युटर लायसेंस बनाने में होती है। निर्धारित शुल्क एक वर्ष का लायसेंस बनाने के लिए 160 रूपये तथा दो वर्ष के लिए लगभग 200 रूपये है जबकि एजेंटों द्वारा लायसेंस बनाने के नाम पर एक हजार रूपये तक वसूला जाता है। एजेंट लायसेंस बनवाने का पूरा ठेका ले लेते है। लायसेंस निर्माण करने वाले समिति के सदस्यों, आरटीओ अधिकारी, कर्मचारी को निर्धारित दर जो कि अवैध रूप से कमाई की होती है। बंदर बाट कर दी जाती है, यदि कोई नागरिक सीधे बैंक से चालान पटाकर लायसेंस बनाना चाहें तो आटीओ कार्यालय के भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी उसको इतनी बार घुमा देंगे कि वह परेशान होकर एजेंट की शरण लेने के लिए मजबूर हो जाएगा। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय अम्बिकापुर द्वारा किसी भी दलाल को मान्यता प्रदान नहीं की गई है, फिर भी अम्बिकापुर में कई व्यक्ति अपने आपको स्वयं एजेंट घोषित कर नागरिकों से आटीओ विभाग से कोई भी कार्य करने का दावा कर अवैध रूप से भारी कमाई करने में लगे है। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पश्चात यदि शासकीय विभागों में भ्रष्ट कार्यालयों का आंकलन किया जावे तो खाद्यविभाग, लोक निर्माण विभाग, से पहले परिवहन विभाग का नाम आयेगा। अम्बिकापुर के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में तो वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण पंजीयन कराने, फिटनेस प्रमाण-पत्र देने में बाबू से लेकर साहब तक का अवैध कमाई रेट फिक्स रहता है। अधिकांश बाबू अम्बिकापुर अम्बिकापुर के स्थानीय निवासी हैं, यदि शासन को आरटीओ ऑफिस अम्बिकापुर की कार्यप्रणाली में सुधार लाना हो तो सबसे पहले कार्यालय से एजेंटों को हटाया जाये तथा सभी अधिकारियों, कर्मचारियों का तत्काल जिले से बाहर स्थांनातरण कर दिया जाये तभी सरगुजा की जनता राहम महसूस कर सकेंगी।

पत्रकारिता को कलंकित किया जे. पी. हितकर ने

ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)

ब्यूरों प्रमुख से सम्पर्क : 98265 40182

पत्रकार समाज को आइना दिखाने का काम करता है, लेकिन सरगुजा के एक साप्ताहिक समाचार-पत्र ''हितकर और दिनकर'' के सम्पादक जे.पी. हितकर ने 22 वर्षीय युवती को एक मकान में ले जाकर गाली गलौज व मारपीट कर अनाचार कर पत्रकारिता को कलंकित किया है। जे.पी. हितकर का साप्ताहिक समाचार पत्र ''हितकर और दिनकर'' नियमित रूप से प्रकाशित भी नहीं होता, जे.पी. हितकर महिलाओं को पत्रकार बनाने का प्रलोभन देता तथा अपने मोटर सायकल पर बैठाकर घुमाता रहता था। सरगुजा जिले के ग्रामीण क्षेत्र की कई युवतियों को वह पत्रकार बनाने का प्रलोभन देकर ड्रेस बनाने के नाम पर, पे्रस कार्ड देने के नाम पर, हजारो रूपए की ठगी कर चुका है। केन्द्रीय विद्यालय के सामने भगवानपुर में जे.पी.हितकर के निवास में ही ''हितकर और दिनकर'' साप्ताहिक समाचार पत्र का कार्यालय है। गांधीनगर पुलिस थाना, अंबिकापुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार जे.पी.हितकर को धारा 366, 342, 294, 506, 323 व 376 के तहत गिरप्तार किया है। पुलिस ने बताया कि मूलत: खजूरी कुसुमी निवासी युवती सुभाषनगर में किराये के मकान में रहती है। जबरदस्ती मोटरसायकल मे बैठाकर एक घर में ले जाकर जान से मारने की धमकी दे मकान में बंद कर अनाचार किया। पुलिस ने बताया कि घटना के वक्त आरोपी जे.पी. हितकर नशे में था। जे.पी.हितकर के खिलाफ पूर्व में भी जयनगर थाना में एक युवती ने अनाचार का मामला दर्ज कराया था। जिसमें भी उसकी गिरप्तारी की गई थी। जनसम्पर्क कार्यालय, अंबिकापुर में जे.पी हितकर के बारे में जानकारी लेने पर संतोष मौर्य उपसंचालक ने बताया कि जे.पी.हितकर साप्ताहिक समाचार-पत्र ''हितकर और दिनकर'' के संपादक है। अखबार का प्रकाशन नियमित रूप से नहीं किया जा रहा है। अपराधिक घटना न्यायालय द्वारा जे.पी. हितकर को दोषी होने पर सजा दी जाएगी।सरगुजा जिले में ऐसे कई संपादक, पत्रकार है, जिनका कोई अखबार नहीं है। लेकिन फिर भी वो अधिकारियों से वसूली करते है। जिला सम्पर्क कार्यालय द्वारा समय-समय पर पत्रकारों की सूची विभिन्न शासकीय कार्यालयों में भेजी जाती है। फिर भी बगैर अखबार के पत्रकार अपनी हरकतों से बाज नहीं आते, जिसके कारण पत्रकारिता पर दाग लगता रहता है। रायपुर की मासिक पत्रिका ''अटल छत्तीसगढ़'' के नाम पर अंबिकापुर के कुछ पत्रकारों ने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर सरपंचो से हजारो रूपए के विज्ञापन प्रकाशन के नाम पर वसूली की। एक बड़ी गाड़ी ''संपादक अटल छत्तीसगढ़'' लिखी हुई ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर घूमती रहती है। उस गाड़ी का पंजीयन क्रमांक नहीं लिखा गया है। जो आर.टी.ओ. विभाग की लापरवाही को दर्शाता है।

सुन्दर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय का हाल बेहाल

ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरों प्रमुख से सम्पर्क : 98265 40182

प. सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय बिलासपुर ने 50 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों का तीन साल बरबाद कर दिया है। 5 साल पहले-2005 में विवि अस्तित्व में आया था इन पॉच वर्षो में विवि प्रबधन केवल दो बार ही परीक्षा करवा सका है। यानि विद्यार्थियों का तीन साल परीक्षा में इं़तजार में गुजर गया 2010 तक विवि में 75 हजार विद्यार्थी दखिल ले चुके है। इससे यह माना जा रहा है। कि विभिन्न कोर्स के लगभग 60 से ज्यादा विद्यार्थी तीन साल बेकार चले गये है। विवि ने छत्तीसगढ़ फार्म भरने के चार सेन्टर बनाये थे बिलासपुर मुख्यालय के अलावा रायपुुर जगदलपुर और अम्बिकापुर कार्यालय खोलकर फार्म भराए गयें। फार्म भरने के बाद की बाकी खानापूर्ति बिलासपुर में की गई। इन वजह से तयशुदा समय में परीक्षाए नही हुई तब इस बारे मे पूछताछ करने पहुचे विद्यार्थियों सही जवाब नही मिला। राजधानी सहित दुसरे क्षेत्रीय कार्यालयो में विद्यार्थी चक्कर काटते रहे पर उनकी नही सुनी गई। आजकल कहकर लौटाया जा रहा। इसी इसी में इतने साल गुजर गए। मुक्त विवि के विद्यार्थी एक जगह संगठित नही हो सके इस वजह से अब तक विरोध नही हुआ टाइम ऑफ क्राइम के छत्तीसगढ़ ब्युरो चीफ राजेन्द्र जैन ने कुछ पीडि़त विद्यार्थियों से चर्चा की। छात्रों ने अपनी पीड़ा बयान करते हुॅए कहा कि हमारी कोई सुनने वाला नही है। विभिन्न विषयों के लिए न्यूनतम 2000 से 10000 तक फीस ली गई है। फीस लेने के समय कहा गया था कि किताबे विवि देगा। परीक्षा में उत्र्तीण के लिये विशेष कक्षाए आयोजित की जाएगी पढ़ाई तो दुर विवि ने किताब नहीं तक दी। मोटी फाीस लेकर भी हमारा पूरा साल बेकार चला गया। शासन ने विवि उन विद्यार्थीयो के लिये खोला था जो काम के साथ साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते है। एैसे विद्यार्थीयो की सुविधा को ध्यान में रखकर रोजगार मुलक कोर्स इसमे शामिल किए गए थे। व्यवसायिक व कम्प्युटर कोर्स भी रखा गया। परीक्षा के समय विद्यार्थी को तैयार करने के लिय 155 अध्ययन केन्द्र की स्थापना की गई जमीनी हकीकत इससे जुदा है। विवि विद्यार्थीयो को आगे बढ़ाना तो दूर उसके साल बरबाद कर उनके लिए अभिशाप बन गया।

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नेताओं का काम
चिंटू ने चमन से कहा: 'क्या तुम बता सकते हो कि एक आदमी नेता बनने केबाद क्या खास काम करता है?
चमन : 'चुनाव के पहले वह अपना हाथ हिलाता है और बाद में जनता के विश्वास को।
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मजबूरी
हैइंस्पेक्चटर ने रमन से कहा : नालायक...!
तुम इतने गिरे हुए हो कि केेवल पांच सौ रूपए के लिए इस बुजुर्ग व्यक्ति का सिर फोड़ दिया ?
रमन ने कहा : ' और क्या करता साहब ... मजबूरी है! ऐसे ही तो बूंद - बूंद से घड़ा भरता है।
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आइटम गर्ल का
डांसचंपू ने पिता से कहा : 'पापा , मैं भी अपनी शादी में आइटम गर्ल को डांस करवाऊंगा।
पापा : 'बेवकूफ,क्या बकता है , यह तमाशा किस गधे की शादी में देख लिया ?
चंपू : 'आपकी शादी के वीडियो में।
पापा : 'अबे नालायक अपनी मौसी और बुआ को नहीं पहचानता !
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पत्नी की शॉपिंग
पत्नी ने पति से कहा : ' देखो जी , अगर तुम मेरे साथ नहीं चलोगे , तो मैं भी शॉपिंग केलए नहीं जाऊंगी।
पति ने कहा : ' तुम्हे....... मेरे साथ जाना इतना अच्छा लगता है।
पत्नी ने कहा : 'अच्छा तो नहीं लगता , पर कोई सामान उठाने वाला भी तो कोई होना चाहिए। *************************************************************************
बेचारा पति
पत्नी : 'अगर रात को घर में कभी चोर आ जाए , तो तुम क्या करोगे ?
पति : ' वह जो चोर कहेगा। पत्नी : 'क्यों ?
पति : 'आज तक इस घर में मैंने कुछ किया भी है जो अब करूंगा ?
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तोता बना बॉस
ए क आदमी तोता खरीदने गया। दु कानदार ने एक तोता दिखाकर कहा, ' यह लीजिए।
यह तोता आपके घर की रखवाली करेगा।
कोई चोर - उचक्का आ गया तो शोर मचाने लगेगा। रूखा - सूखा जो भी दोगे , खा लेगा।
कीमत है 500 रूपए। दुकानदार ने दूसरा तोता दिखाया, 'यह कई तरह के काम करता है।
मसलन , आपकेबच्चों को होमवर्र्क करने में मदद करेगा।
हर मुश्किल में आपको हल सुझाएगा। यह कम्प्यूटर भी जानता है। जरा बढिय़ा खाने का शौकीन है। इसका दाम है 1000 रूपए।
ग्राहक ने कहा,' और जो यह तीसरे पिंजरे में है ...?
दुकानदार ने कहा ,'यह कोई काम नहीं करता। दिनभर हुक्म चलाता रहता है। और खाने को इसे हलवा - पूरी चाहिए। इसका मूल्य है 2000 रूपए। ग्राहक 'लेकिन यह इतना महंगा क्यों है ?
दुकानदार : ' यह उन दोनों का बॉस है। *************************************************************************
ड्राइवर की चालाकी
टैक्चसी वाला :' सर सॉरी , मैं मीटर चालू करना भूल गया था। अब कितना भाड़ा लूं ?
संता : 'अरे कोई बात नहीं। मैं भी अपना बटुआ भूल आया हूं ! *************************************************************************
खूब रोया संता -
संता अकेले बैठकर रो रहा था। बंता ने पूछा: 'यार संता , तुम क्यों रो रहे हो ? संता: ' यार , एक लड़की को भूलने की कोशिश कर रहा हूं। बंता: ' इसमें रोने की क्या बात है ? संता: 'जिस लड़की को भूलने की कोशिश कर रहा हूं, उसका नाम याद नहीं आ रहा। *************************************************************************
एक सपना
-पति : 'मैंने रात तुम्हें सपने में देखा। पत्नी : ' क्या देखा ?
पति : ' मैंने देखा कि समुद्र में हम तुम एकजहाज पर चले जा रहे हैं। इतने में एक भयंकर तूफान आता है और मैं समुद्र में गिर जाता हूं। डूबने लगता हूं कि तुम मुझे बचा लेती हो। फिर तुम कहती हो किमैं सात जन्मों तक तुम्हारा साथ दूंगी। पत्नी ने पूछा : ' फिर ? पति : 'यह सुनते ही मैं समुद्र में कुूद जाता हूं। *************************************************************************

नरसिंहपुर : भरी पड़ी हुयी हैं नालियाँ, नगर पालिका सुस्त

सिटी चीफ // आनंद कुमार नेमा (नरसिंहपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से सम्पर्क 94246 44258

नरसिंहपुर शहर के महाजनी वार्ड की नालियाँ लबालब भरी हुयी हैं। जिनकी नगर-पालिका परिषद द्वारा नरसिंहपुर किसी भी प्रकार की साफ-सफाई नहीं की जा रही है। नालियों का गंदा पानी रास्ते में फैल रहा है, जिससे स्थानीय निवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों को निवासियों को इस गंभीर समस्या से उबारने के लिए नगर-पालिका परिषद का कोई ध्यान नहीं है और न ही किसी जनप्रतिनिधियों का।

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जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

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‘‘ANI NEWS INDIA’’ सर्वश्रेष्ठ, निर्भीक, निष्पक्ष व खोजपूर्ण ‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया ऑनलाइन नेटवर्क’’ हेतु को स्थानीय स्तर पर कर्मठ, ईमानदार एवं जुझारू कर्मचारियों की सम्पूर्ण मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले एवं तहसीलों में जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / पंचायत स्तर पर क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों / संवाददाताओं की आवश्यकता है।

कार्य क्षेत्र :- जो अपने कार्य क्षेत्र में समाचार / विज्ञापन सम्बन्धी नेटवर्क का संचालन कर सके । आवेदक के आवासीय क्षेत्र के समीपस्थ स्थानीय नियुक्ति।
आवेदन आमन्त्रित :- सम्पूर्ण विवरण बायोडाटा, योग्यता प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार के स्मार्ट नवीनतम 2 फोटोग्राफ सहित अधिकतम अन्तिम तिथि 30 मई 2019 शाम 5 बजे तक स्वंय / डाक / कोरियर द्वारा आवेदन करें।
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पारिश्रमिक :- पारिश्रमिक क्षेत्रिय स्तरीय योग्यतानुसार। ( पांच अंकों मे + )

कार्य :- उम्मीदवार को समाचार तैयार करना आना चाहिए प्रतिदिन न्यूज़ कवरेज अनिवार्य / विज्ञापन (व्यापार) मे रूचि होना अनिवार्य है.
आवश्यक सामग्री :- संसथान तय नियमों के अनुसार आवश्यक सामग्री देगा, परिचय पत्र, पीआरओ लेटर, व्यूज हेतु माइक एवं माइक आईडी दी जाएगी।
प्रशिक्षण :- चयनित उम्मीदवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण भोपाल स्थानीय कार्यालय मे दिया जायेगा, प्रशिक्षण के उपरांत ही तय कार्यक्षेत्र की जबाबदारी दी जावेगी।
पता :- ‘‘ANI NEWS INDIA’’
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