भोपाल. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व सैनिकों और अन्य लोगों के साथ ‘शहीदों अमर रहो’ और ‘वंदे मातरम’ के उद्घोष के साथ भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे यहां आकर श्रद्धा सुमन अर्पित करने का मौका मिला. हमारे देश में जब सेना का स्मरण करते हैं तो उसकी ज्यादातर चर्चा एक ही रूप की होती है, यूनिफॉर्म, हाथ में शस्त्र, आंखों में ज्वाला जैसे हरपल दुश्मन की तलाश में हों. कहीं पर भी प्राकृतिक संकट आया हो, जवान आपत्ति में फंसे लोगों की जिंदगी को बचाने के लिए अपनी जिंदगी खपा देते थे.
दो वर्ष पूर्व जब श्रीनगर में भयंकर बाढ़ आई, ऐसे समय देश ने देखा कि हमारे सेना के जवान श्रीनगर की इन वादियों में बाढ़ पीडि़तों के जीवन बचाने के लिए अपने आप को खपा रहे थे. इस दौरान मेरी सेना के भीतर की मानवता देखिए, कभी उन्होंने ये नहीं सोचा कि ये तो वो लोग हैं जो पत्थर मारते हैं, हमारे सिर फोड़ देते हैं. ये सब अनुभव करने के बाद भी जब मानवता ने ललकारा, पुरानी बातों को भुलाकर उन्हें बचाने के लिए जी जान से जुटे रहे.
पीएम के भाषण के मुख्य बिंदु…
– भारतीय सेना मानवता की मिसाल है.
– अनुशासन, सामान्य नागरिकों के प्रति व्यवहार के मानकों में भारत की सेना पूरे विश्व में प्रथम पंक्ति में नजर आती है.
– 29 सितंबर को सैनिकों ने एक और वीरता दिखाई.
– हमारे जवानों ने सिर्फ शस्त्र के आधार पर नहीं, बल्कि नैतिकता और व्यवहार के आधार पर अपनी छवि बनाई है.
– शांति सेना में भारतीय सेना का बड़ा योगदान.
– पश्चिम एशिया में धमाके हो रहे हैं.
– इन दिनों आतंकवाद ने भयंकर रूप ले लिया है.
– यमन में देश के हजारों नागरिक फंसे थे, बम वर्षा हो रही थी. जीवन और मृत्यु के बीच देश के नागरिक वहां जूझ रहे थे. हमने सेना के जवानों को वहां भेजा और जवानों का पराक्रम देखिए, पांच हजार से ज्यादा वहां फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापस ले आए. अन्य देशों, पाकिस्तान के नागरिकों को भी बचाकर ले आए.
– हमारे पूर्वजों ने कभी भी किसी की एक इंच जमीन के लिए झगड़ा नहीं किया.
– अगर आदर्शों के लिए जीवन की जंग लड़ने की नौबत आई तो भारतीय सेना पीछे नहीं रही.
– पहले और दूसरे विश्व युद्ध से हमारा कोई लेना देना नहीं था, लेकिन इन दोनों में इसी धरती की संतान, मेरे देश के डेढ़ लाख वीर जवानों ने बलिदान दिया था.
– जल, थल, नभ और अर्द्धसैनिक बल, कोस्ट गार्ड के जवान इसलिए अपनी जवानी खपा देते हैं कि हम चैन की नींद सो सकें.
– हमारे सोने पर सैनिक को शिकायत नहीं होती, लेकिन जागने के वक्त भी सोए रहते हैं, जोकि ठीक नहीं.
– सिर्फ सेना के जवान जागते रहें, ये उनके साथ अन्याय होगा. हमें भी जागने के समय जागना चाहिए. उस समय सोने का हमें कोई हक नहीं.
– सेना का सबसे बड़ा शस्त्र उसका मनोबल होता है. ये शस्त्र से नहीं आता, सवा सौ करोड़ देशवासियों के उनके पीछे खड़े रहने से आता है.
– हमारे देश में 1962 के युद्ध के बाद लोग मिठाइयों के पैकेट देश के जवानों को भेजते थे.
– सेना बोलती नहीं, पराक्रम करती है.
– रोज मेरे बाल नोच लिए जाते थे, मोदी सो रहा है. लेकिन हमारी सेना नहीं बोलती, हमारे रक्षा मंत्री भी नहीं बोलते.
– मध्य प्रदेश सरकार ने शौर्य स्माकर निर्माण किया. यह हम सभी के लिए तीर्थ क्षेत्र है.
– भारत मां को अपना परिवार बनाकर अपनों को अकेले छोड़कर चल देने वाले सैनिकों का यह त्याग ‘छोटा त्याग’ नहीं.
– हम बचपन से माखन लाल चतुर्वेदी जी की कविता सुनते आए हैं कि ‘मुझे तोड़ लेना वन माली, उस पथ पर देना तुम फेंक.. मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ पर जाएं वीर अनेक’.
– हम जानते हैं हमारे देश के जवान पिछले कई दशकों से हर सरकार से वन रैंक-वन पेंशन की मांग कर रहे थे.
– हर सरकार ने बढि़या शब्दों में उनसे सिर्फ वादे किए.
– सरकार आने के बाद हमने वन रैंक-वन पेंशन लाने का वादा किया था, जो हमने पूरा किया. आज इससे मुझे संतोष की अनुभूति है.
– अब तक साढ़े 5 हजार करोड़ रुपये फौजियों के खातों में वितरित हो चुके हैं.
– सातवें वेतन आयोग पर सरकार काम कर रही है.
– सेवानिवृत्त फौजियों की ढेर सारी शिकायतें लंबित पड़ी थीं, उन्हें हमने तेजी से निपटाया.
– सेना का जवान अपनी जवानी सीमा पर खपा देता है.
– 15-17 साल की नौकरी के बाद जब वापस घर आता है, तो यह सोचता है कि अब नई जिंदगी कैसे शुरू करूं.
– अभी एक महत्वपूर्ण काम किया है सरकार ने, फौज से रिटायर होने वाले फौजी को आखिरी वर्ष स्किल डेवलपमेंट का कोर्स करने के बाद प्रमाण पत्र दिया जाता है.
No comments:
Post a Comment