मध्यप्रदेश में बिजली खरीदी में करोड़ों रुपए के घोटाले को अंजाम दिया गया है. जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने इस घोटाले का खुलासा किया है.
मंच के सदस्यों का आरोप है कि प्रदेश में बिजली खरीदी में करीब 4 हजार 139 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है. जिसमें विद्युत नियामक आयोग के अधिकारियों से लेकर राज्य सरकार के मंत्री भी शामिल हैं.
उपभोक्ता मंच का कहना है कि राज्य सरकार ने लेंको अमरकंटक पावर कंपनी से बिजली खरीदी का रेट 2 रुपए 20 पैसे प्रति यूनिट तय किया था, लेकिन बाद में 2 रुपए 83 पैसे प्रति यूनित बिजली खरीदी गई. इस तरह प्रति यूनित 63 पैसे ज्यादा देकर 300 मैगावाट की बिजली खरीदी की जा रही है. और ये सिलसिला साल 2012 से चला आ रहा है.
वहीं, राज्य सरकार ने ही समझौता तोड़ने के चलते 14 फरवरी 2012 में लेंको पावर कंपनी को ब्लैक लेस्टेड करने का आदेश जारी किया था. इसके बाद 16 अक्टुबर 2012 को राज्य सरकार ने अपना आदेश वापिस लेकर लेंको कंपनी से 63 पैसे ज्यादा देकर 25 सालों के लिए बिजली खरीदने का करार किया है.
नागरिक उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे ने इस घोटाले के दोषियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए मुख्य सचिव, केंद्रीय सतर्कता आयोग, आयुक्त आर्थिक अपराध भोपाल और डीआईजी को लीगल नोटिस भेजा है. साथ ही कहा है कि यदि दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे.
मंच के सदस्यों का आरोप है कि प्रदेश में बिजली खरीदी में करीब 4 हजार 139 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है. जिसमें विद्युत नियामक आयोग के अधिकारियों से लेकर राज्य सरकार के मंत्री भी शामिल हैं.
उपभोक्ता मंच का कहना है कि राज्य सरकार ने लेंको अमरकंटक पावर कंपनी से बिजली खरीदी का रेट 2 रुपए 20 पैसे प्रति यूनिट तय किया था, लेकिन बाद में 2 रुपए 83 पैसे प्रति यूनित बिजली खरीदी गई. इस तरह प्रति यूनित 63 पैसे ज्यादा देकर 300 मैगावाट की बिजली खरीदी की जा रही है. और ये सिलसिला साल 2012 से चला आ रहा है.
वहीं, राज्य सरकार ने ही समझौता तोड़ने के चलते 14 फरवरी 2012 में लेंको पावर कंपनी को ब्लैक लेस्टेड करने का आदेश जारी किया था. इसके बाद 16 अक्टुबर 2012 को राज्य सरकार ने अपना आदेश वापिस लेकर लेंको कंपनी से 63 पैसे ज्यादा देकर 25 सालों के लिए बिजली खरीदने का करार किया है.
नागरिक उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे ने इस घोटाले के दोषियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए मुख्य सचिव, केंद्रीय सतर्कता आयोग, आयुक्त आर्थिक अपराध भोपाल और डीआईजी को लीगल नोटिस भेजा है. साथ ही कहा है कि यदि दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे.
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