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मध्य प्रदेश में 2007 से 5 ग्लोबल इन्वेस्टमेंट का आयोजन किया जा रहा है जिसमे हर साल लाखो करोड़ के एम.ओं.यू होते है जो सिर्फ कागज़ पर ही रह जाते है और धरातल पर कोई काम नही होता है. हर 2 साल में इस आयोजन के नाम पर करोड़ो रूपए खर्च होते है, पर निवेश नही आ रहे है. इस आयोजन की विलासता इतनी शर्मनाक है कि इस वर्ष के आयोजन में भी सभी मेहमानों को चांदी की थाली में खाना खिलाया जा रहा है, जबकि प्रदेश में कुपोषण से लगातार मौत हो रही है.
वर्ष 2012 के इन्वेसटमेंट समिट में 500 हेक्टर के एयर कार्गो हब स्थापित करने का निर्णय हुआ था, जो सिर्फ कागज़ पर ही रह गया है. फ्यूचर ग्रुप ने 2012 और 2014 दोनों आयोजन में 2500 करोड़ के फ़ूड पार्क बनाने का वादा किया था जिस की आज भी कोई जानकारी नही है. वेल्लोरे यूनिवर्सिटी, फिल्म सिटी, भारत फोर्ज, रॉकलैंड हॉस्पिटल, कैडिला ग्रुप, अमेरिकन कॉपर लिमिटेड ऐसे अनेक उदाहरण जिनमे निवेश के सिर्फ दिखावे हुए है. आज भी अनिल अम्बानी ने जो पीथमपुर में निवेश की बात करी है वही निवेश 2015 में ही तय हो गया था. ऐसा प्रतीत होता है हर बार समिट के नाम पर पुराने वादे ही दोहराए जा रहे है.
एसोचैम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में निवेश न आने का मुख्य कारण यहाँ का बुरा इन्फ्रास्ट्रक्चर और सरकारी नीतिया है. प्रदेश के लगभग 86.5 प्रतिशत प्रोजेक्ट सिर्फ कागजों में अटक कर रह जाते है. रिपोर्ट में यह पता चलता है कि 87 प्रोजेक्ट को शुरू होने में 4.5 साल लग जाते है. एसोचैम की दूसरी रिपोर्ट में प्रदेश में 2008-2015 के बीच प्रदेश के इन्फ्रा स्ट्रक्चर के नए निवेश में 76.9 प्रतिशत की कमी आई है. रिओ टिंटो की हीरा खदान का खुद शिवराज सिंह ने उद्घाटन किया था पर पिछले माह रिओ टिंटो ने मध्य प्रदेश में सरकार की नीतियों से परेशान होकर प्रदेश में काम ही बंद कर दिया है. रिलायंस सीमेंट ने मैहर में निवेश करने के बाद अपना पूरा सीमेंट उद्योग बिरला ग्रुप को बेच दिया है.
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की 2015 रिपोर्ट के अनुसार औधोगिक केंद्र विकास निगम लिंमिटेड ने 2009-2014 के बीच में 5720 एकड़ जमीन का अधिग्रहण उद्योग के विकास के लिए किया, जिसमे से सिर्फ 1750 एकड़ का आवंटन हुआ है. अकेले भोपाल में 3200 एकड़ ज़मींन का अधिग्रहण किया गया जिसमे में सिर्फ 600 एकड़ (20 प्रतिशत) ही आवंटित हुई. अतः साफ़ है कि निगम की नाकामी के कारण उद्योगों को जमीन उपलब्ध नहीं करायी जा सकी. रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया है कि निगम के पास न तो कोई वार्षिक योजना है और न ही कोई निगरानी की व्यवस्था.
CAG की इसी रिपोर्ट के अनुसार भोपाल के आसपास ही 27 इंडस्ट्रियल पार्क बनने थे जिस हेतु 302 आवेदन भी आये थे परन्तु इसमें भी कोई प्रगति नहीं हुई है.
मध्य प्रदेश में निवेश न आने के कारण शिवराज सरकार की ख़राब नीतिया और भ्रष्टाचार है. मध्य प्रदेश में ग्लोबल समिट के नाम पर 2007 से एक लूट चल रही है जहा जनता का पैसा बहाया जाता है और प्रदेश के व्यापम जैसे मुद्दों को दबाया जा रहा है.
आम आदमी पार्टी यह मांग करती है की शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में हुए निवेश को लेकर श्वेत पत्र जारी करे. आम आदमी पार्टी शिवराज सरकार के इस झूठ को जनता के बीच ले जाएगी और उन्हें बताएगी कि उन्हें किस तरह से निवेश के नाम पर ठगा जा रहा है.
मध्य प्रदेश में 2007 से 5 ग्लोबल इन्वेस्टमेंट का आयोजन किया जा रहा है जिसमे हर साल लाखो करोड़ के एम.ओं.यू होते है जो सिर्फ कागज़ पर ही रह जाते है और धरातल पर कोई काम नही होता है. हर 2 साल में इस आयोजन के नाम पर करोड़ो रूपए खर्च होते है, पर निवेश नही आ रहे है. इस आयोजन की विलासता इतनी शर्मनाक है कि इस वर्ष के आयोजन में भी सभी मेहमानों को चांदी की थाली में खाना खिलाया जा रहा है, जबकि प्रदेश में कुपोषण से लगातार मौत हो रही है.
वर्ष 2012 के इन्वेसटमेंट समिट में 500 हेक्टर के एयर कार्गो हब स्थापित करने का निर्णय हुआ था, जो सिर्फ कागज़ पर ही रह गया है. फ्यूचर ग्रुप ने 2012 और 2014 दोनों आयोजन में 2500 करोड़ के फ़ूड पार्क बनाने का वादा किया था जिस की आज भी कोई जानकारी नही है. वेल्लोरे यूनिवर्सिटी, फिल्म सिटी, भारत फोर्ज, रॉकलैंड हॉस्पिटल, कैडिला ग्रुप, अमेरिकन कॉपर लिमिटेड ऐसे अनेक उदाहरण जिनमे निवेश के सिर्फ दिखावे हुए है. आज भी अनिल अम्बानी ने जो पीथमपुर में निवेश की बात करी है वही निवेश 2015 में ही तय हो गया था. ऐसा प्रतीत होता है हर बार समिट के नाम पर पुराने वादे ही दोहराए जा रहे है.
एसोचैम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में निवेश न आने का मुख्य कारण यहाँ का बुरा इन्फ्रास्ट्रक्चर और सरकारी नीतिया है. प्रदेश के लगभग 86.5 प्रतिशत प्रोजेक्ट सिर्फ कागजों में अटक कर रह जाते है. रिपोर्ट में यह पता चलता है कि 87 प्रोजेक्ट को शुरू होने में 4.5 साल लग जाते है. एसोचैम की दूसरी रिपोर्ट में प्रदेश में 2008-2015 के बीच प्रदेश के इन्फ्रा स्ट्रक्चर के नए निवेश में 76.9 प्रतिशत की कमी आई है. रिओ टिंटो की हीरा खदान का खुद शिवराज सिंह ने उद्घाटन किया था पर पिछले माह रिओ टिंटो ने मध्य प्रदेश में सरकार की नीतियों से परेशान होकर प्रदेश में काम ही बंद कर दिया है. रिलायंस सीमेंट ने मैहर में निवेश करने के बाद अपना पूरा सीमेंट उद्योग बिरला ग्रुप को बेच दिया है.
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की 2015 रिपोर्ट के अनुसार औधोगिक केंद्र विकास निगम लिंमिटेड ने 2009-2014 के बीच में 5720 एकड़ जमीन का अधिग्रहण उद्योग के विकास के लिए किया, जिसमे से सिर्फ 1750 एकड़ का आवंटन हुआ है. अकेले भोपाल में 3200 एकड़ ज़मींन का अधिग्रहण किया गया जिसमे में सिर्फ 600 एकड़ (20 प्रतिशत) ही आवंटित हुई. अतः साफ़ है कि निगम की नाकामी के कारण उद्योगों को जमीन उपलब्ध नहीं करायी जा सकी. रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया है कि निगम के पास न तो कोई वार्षिक योजना है और न ही कोई निगरानी की व्यवस्था.
CAG की इसी रिपोर्ट के अनुसार भोपाल के आसपास ही 27 इंडस्ट्रियल पार्क बनने थे जिस हेतु 302 आवेदन भी आये थे परन्तु इसमें भी कोई प्रगति नहीं हुई है.
मध्य प्रदेश में निवेश न आने के कारण शिवराज सरकार की ख़राब नीतिया और भ्रष्टाचार है. मध्य प्रदेश में ग्लोबल समिट के नाम पर 2007 से एक लूट चल रही है जहा जनता का पैसा बहाया जाता है और प्रदेश के व्यापम जैसे मुद्दों को दबाया जा रहा है.
आम आदमी पार्टी यह मांग करती है की शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में हुए निवेश को लेकर श्वेत पत्र जारी करे. आम आदमी पार्टी शिवराज सरकार के इस झूठ को जनता के बीच ले जाएगी और उन्हें बताएगी कि उन्हें किस तरह से निवेश के नाम पर ठगा जा रहा है.
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