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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी में चल रहा विवाद रविवार को चरम पर पहुंच गया। देश का सबसे बड़ा सियासी कुनबा दो खेमों में बंट चुका है। विधानसभा चुनाव से पहले अपनी 25वीं सालगिरह के मौके पर सपा टूट के कगार पर खडी हो गई है।
समाजवादी कुनबे में मचे इस सियासी महाभारत को लेकर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव खुद बहुत दुखी हैं। इन सबसे बेखबर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को अपना ‘तुरूप का पत्ता‘ चलते हुए अपने चाचा और वरिष्ठ मंत्री शिवपाल यादव सहित चार मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
इसके तुरंत बाद ऐक्शन में आये मुलायम ने भी जवाबी तौर पर प्रो रामगोपाल यादव को छह साल के लिए पार्टी से बर्खास्त कर दिया। दरअसल रामगोपाल ने रविवार सुबह ही ऐसा ‘लेटर बम’ छोड़ा था, जिसे पूरे घटनाचक्र का आधार माना जा रहा है।
रामगोपाल सुबह मुम्बई में थे, वहीं से उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समर्थन में एक पत्र लिखा। इसमें लिखा है कि जो अखिलेश के साथ नहीं है वे सब चुनाव नहीं जीत पाएंगे। थोड़ी ही देर में उनका यह पत्र चारों तरफ फैल गया।
इसके थोड़ी ही देर बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने आवास पर आयोजित पार्टी विधायकों और मंत्रियों की बैठक में वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव, नारद राय, ओम प्रकाश और शादाब फातिमा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की घोषणा कर दी। साथ ही अमर सिंह की करीबी फिल्म विकास परिषद की उपाध्यक्ष जया प्रदा को भी उनके पद से हटा दिया।
इस दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा में टूट की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी नहीं बंटेगी। उन्होंने खुद को पिता व सपा का वाजिब उत्तराधिकारी बताया।
सूत्रों के अनुसार अखिलेश ने अपने आधिकारिक आवास पर मंत्रियों व विधायकों की बुलाई बैठक में भावुक हो गए। उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वह सोमवार को उनके पिता की ओर से बुलाई गई बैठक में भी हिस्सा लेंगे और पार्टी की रजत जयंती के कार्यक्रम में भी जाएंगे।
अखिलेश ने कहा कि नेताजी (मुलायम) केवल पार्टी के ही नेता नहीं हैं, बल्कि वह मेरे पिता भी हैं और हमेशा उनकी सेवा करूंगा। अखिलेश ने इस दौरान सीधे तौर पर राज्यसभा सदस्य अमर सिंह पर हमला बोला और उन्हें ‘दालाल’ तक कह दिया।
कहा कि वह परिवार के साथ-साथ सपा को भी तोड़ने आए हैं। बैठक में शामिल विधायकों ने कहा कि अखिलेश ने अमर सिंह पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया।
उन्होंने अपने आधिकारिक आवास पर आयोजित बैठक में शिवपाल और तीन अन्य मंत्रियों की बर्खास्तगी के मुद्दे को उचित ठहराते हुए कहा कि अमर सिंह का कोई भी करीबी मेरे मंत्रिमंडल में नहीं होगा।
इसके बाद मुख्यमंत्री की संस्तुति पर राज्यपाल राम नाईक ने चारों मंत्रियों शिवपाल सिंह यादव, नारद राय, ओम प्रकाश और शादाब फातिमा को पदमुक्त कर दिया।
इस घटनाक्रम के बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के घर पर बड़े पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का जमावड़ा लगने लगा। सबसे पहले विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय और नरेश अग्रवाल वहां पहुंचे। फिर किरणमय नंदा, रेवती रमण, बेनी प्रसाद वर्मा व शिवपाल सिंह यादव भी पहुंच गए।
इस मुद्दे पर मुलायम सिंह यादव बड़े अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे। यह बैठक करीब दो घंटे चली। इसके बाद शिवपाल सिंह यादव ने अपनी सभी सरकारी सुविधाएं और सुरक्षा वापस कर दी।
थोड़ी देर बाद शिवपाल मीडिया के सामने आए और कहा कि रामगोपाल अपनी बहू और बेटे को घोटाले के मामले में सीबीआई से बचाने के लिए भाजपा के बड़े नेता से तीन बार मिल चुके हैं। उन्होंने हमेशा नेताजी (मुलायम सिंह यादव) और सपा को कमजोर करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में अगला चुनाव लड़ेगी।
इसके बाद मुलायम ने सपा के वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय महासचिव प्रो रामगोपाल यादव को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। प्रोफेसर रामगोपाल सपा मुखिया के चचेरे भाई हैं और पार्टी के थिंक टैंक माने जाते थे।
रामगोपाल के निष्कासन के बाद शिवपाल ने कहा कि हमारे घर के कुछ लोग भाजपा से मिल गए हैं। सीबीआई से बचने के लिए हमारे कुछ लोग भाजपा से मिलकर साजिश कर रहे हैं। अभी मुख्यमंत्री अखिलेश इन बातों को नहीं समझ रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए। शिवपाल सिंह यादव ने रामगोपाल यादव की बर्खास्तगी को लेकर भी एक बयान जारी किया।
बयान में उन्होंने कहा कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के आदेश पर पार्टी के महासचिव व राष्टीय प्रवक्ता रामगोपाल को पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है।
शिवपाल ने पत्र में कहा है कि आप सबने प्रोफेसर साहब का पत्र पढ़ लिया होगा। वह यह सब इसीलिए कर रहे हैं क्योंकि वह भाजपा से मिल गए हैं। रामगोपाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक बड़े नेता से तीन बार मिल चुके हैं। वह ये सब इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनके पुत्र अक्षय यादव एवं पुत्रवधु यादव सिंह घोटाले में फंसे हुए हैं। स्वयं को बचाने के लिए भाजपा के इशारे पर सपा को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं।
शिवपाल ने आगे लिखा कि मुख्यमंत्री समझ नहीं रहे हैं, लेकिन उन्हें यह बात समझनी चाहिए कि कौन उनका सगा है और कौन उनका शुभेच्छू है। प्रोफेसर साहब हमेशा तिकड़म करते रहते हैं। मैंने उनकी तानाशाही व नकारात्मक कार्यो को हमेशा ही पार्टी के सामने उठाया था। अब तो वह अखिलेश सरकार व नेताजी को कमजोर करने पर आमादा हैं।
गौरतलब है कि रामगोपाल यादव ने रविवार सुबह ही एक पत्र पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखा था, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सपा का भविष्य बताया है। रामगोपाल ने ‘प्यारे साथियों‘ नाम से संबोधित पत्र में कहा है कि ‘अखिलेश के साथ के लोगों ने पार्टी के लिए खून-पसीना बहाया और बड़े बलिदान दिए, जबकि दूसरी ओर ऐसे लोग हैं, जिन्होंने ‘करोड़ों कमाए और सत्ता का दुरुपयोग‘ किया।
रामगोपाल का पत्र सार्वजनिक होने के बाद मुलायम सिंह यादव के नजदीकी आशू मलिक ने एक बार फिर फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर बिना नाम लिए रामगोपाल पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा है कि पार्टी का एक बेहद खास शख्स भाजपा के साथ मिलकर समाजवादी पार्टी तोड़ने की साजिश रच रहा है।
सपा से निकाले जाने के बाद प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि मुझ पर शिवपाल यादव द्वारा लगाए गए सारे बयान झूठे हैं। मुझे पार्टी से निकाले जाने का दुख नहीं है, बल्कि दुख इस बात का है कि मुझ पर बेबुनियाद आरोप लगाए गए।
उन्होंने यह भी कहा कि मैं किसी भी सीबीआई जांच का हिस्सा नहीं हूं और दूसरी पार्टी के नेताओं से मिलते रहना ये तो एक सामान्य बात है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के बुलावे पर सैफई में कार्यक्रम में आए थे। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि मैं पार्टी में रहूं या न रहूं अखिलेश यादव के साथ हमेशा रहूंगा।
निष्कासन के बाद रामगोपाल ने शाम को एक पत्र और जारी किया, जिसमें उन्होंने सपा मुखिया मुलायम को अपना गुरु बताया। कहा कि वह पार्टी में रहें या न रहें अखिलेश के साथ वह सदैव रहेंगे। उधर, मुलायम के कुनबे में मची रार को लेकर विरोधियों ने भी रविवार को जमकर अपनी भड़ास निकाली।
भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व कांग्रेस ने एक सुर में हमला बोला। किसी ने इसे ‘फैमिली ड्रामा‘ करार दिया है तो किसी ने अखिलेश सरकार को चार दिन का मेहमान बताया।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेश में संवैधानिक संकट है। अखिलेश सरकार अल्पमत में पहुंच गई है। उसे बहुमत साबित करना चाहिए। चार मंत्री के बर्खास्त होने से समस्या का हल नहीं होगा, अखिलेश सरकार को जनता बर्खास्त करेगी।
इधर, बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चाचा-भतीजे की लड़ाई विकास के बजाय विनाश की ओर ले जा रही है। यह सरकार तीन-चार दिन में बर्खास्त हो जाएगी। समाजवादी पार्टी अब अपने अस्तित्व की समाप्ति की ओर है।
सपा का कहीं नाम भी नहीं रह गया है। सपा सरकार में वर्तमान झगड़ा लूट के पैसे के बंटवारे को लेकर हो रहा है, जिसमें प्रदेश पिस रहा है।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि यह सपा का अंदरूनी मामला है। इसका जनता से कोई लेनादेना नहीं है। उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ सरकार में चल रही उठापटक को लेकर राज्यपाल राम नाइक भी पैनी नजर थी। राज्यपाल राम नाईक के पास मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चारमंत्रियों की बर्खास्तगी का पत्र भेजा। राज्यपाल ने पत्र को स्वीकार कर चारों मंत्रियों को बर्खास्त किए जाने की संस्तुति की।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार पर किसी भी प्रकार का कोई संवैधानिक संकट नहीं है। राज्यपाल ने कहा कि जब तक बहुमत को कोई चुनौती नहीं देता, तब तक कोई संकट नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर बहुमत को कोई चुनौती देता है तब मैं कानून के अनुसार फैसला लूंगा। प्रदेश के ताजा हालात पर मेरी नजर है।
इस तरह तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में रविवार को राजधानी में दिन भर आरोपों और निष्कासनों का दौर चलता रहा।
देर रात तक सपा मुखिया मुलायम के आवास पर पूरे घटनाक्रम को लेकर बैठक भी चली। बैठक के बाद मुलायम थोड़ी देर के लिए बाहर आये लेकिन मीडिया से बात नहीं किए। कहा जो कुछ कहना है कल कहेंगे। सोमवार को उन्होंने पार्टी के विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई है। इसके लिए देर रात तक पार्टी कार्यालय में तैयारी होती रही।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी में चल रहा विवाद रविवार को चरम पर पहुंच गया। देश का सबसे बड़ा सियासी कुनबा दो खेमों में बंट चुका है। विधानसभा चुनाव से पहले अपनी 25वीं सालगिरह के मौके पर सपा टूट के कगार पर खडी हो गई है।
समाजवादी कुनबे में मचे इस सियासी महाभारत को लेकर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव खुद बहुत दुखी हैं। इन सबसे बेखबर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को अपना ‘तुरूप का पत्ता‘ चलते हुए अपने चाचा और वरिष्ठ मंत्री शिवपाल यादव सहित चार मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
इसके तुरंत बाद ऐक्शन में आये मुलायम ने भी जवाबी तौर पर प्रो रामगोपाल यादव को छह साल के लिए पार्टी से बर्खास्त कर दिया। दरअसल रामगोपाल ने रविवार सुबह ही ऐसा ‘लेटर बम’ छोड़ा था, जिसे पूरे घटनाचक्र का आधार माना जा रहा है।
रामगोपाल सुबह मुम्बई में थे, वहीं से उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समर्थन में एक पत्र लिखा। इसमें लिखा है कि जो अखिलेश के साथ नहीं है वे सब चुनाव नहीं जीत पाएंगे। थोड़ी ही देर में उनका यह पत्र चारों तरफ फैल गया।
इसके थोड़ी ही देर बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने आवास पर आयोजित पार्टी विधायकों और मंत्रियों की बैठक में वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव, नारद राय, ओम प्रकाश और शादाब फातिमा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की घोषणा कर दी। साथ ही अमर सिंह की करीबी फिल्म विकास परिषद की उपाध्यक्ष जया प्रदा को भी उनके पद से हटा दिया।
इस दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा में टूट की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी नहीं बंटेगी। उन्होंने खुद को पिता व सपा का वाजिब उत्तराधिकारी बताया।
सूत्रों के अनुसार अखिलेश ने अपने आधिकारिक आवास पर मंत्रियों व विधायकों की बुलाई बैठक में भावुक हो गए। उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वह सोमवार को उनके पिता की ओर से बुलाई गई बैठक में भी हिस्सा लेंगे और पार्टी की रजत जयंती के कार्यक्रम में भी जाएंगे।
अखिलेश ने कहा कि नेताजी (मुलायम) केवल पार्टी के ही नेता नहीं हैं, बल्कि वह मेरे पिता भी हैं और हमेशा उनकी सेवा करूंगा। अखिलेश ने इस दौरान सीधे तौर पर राज्यसभा सदस्य अमर सिंह पर हमला बोला और उन्हें ‘दालाल’ तक कह दिया।
कहा कि वह परिवार के साथ-साथ सपा को भी तोड़ने आए हैं। बैठक में शामिल विधायकों ने कहा कि अखिलेश ने अमर सिंह पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया।
उन्होंने अपने आधिकारिक आवास पर आयोजित बैठक में शिवपाल और तीन अन्य मंत्रियों की बर्खास्तगी के मुद्दे को उचित ठहराते हुए कहा कि अमर सिंह का कोई भी करीबी मेरे मंत्रिमंडल में नहीं होगा।
इसके बाद मुख्यमंत्री की संस्तुति पर राज्यपाल राम नाईक ने चारों मंत्रियों शिवपाल सिंह यादव, नारद राय, ओम प्रकाश और शादाब फातिमा को पदमुक्त कर दिया।
इस घटनाक्रम के बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के घर पर बड़े पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का जमावड़ा लगने लगा। सबसे पहले विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय और नरेश अग्रवाल वहां पहुंचे। फिर किरणमय नंदा, रेवती रमण, बेनी प्रसाद वर्मा व शिवपाल सिंह यादव भी पहुंच गए।
इस मुद्दे पर मुलायम सिंह यादव बड़े अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे। यह बैठक करीब दो घंटे चली। इसके बाद शिवपाल सिंह यादव ने अपनी सभी सरकारी सुविधाएं और सुरक्षा वापस कर दी।
थोड़ी देर बाद शिवपाल मीडिया के सामने आए और कहा कि रामगोपाल अपनी बहू और बेटे को घोटाले के मामले में सीबीआई से बचाने के लिए भाजपा के बड़े नेता से तीन बार मिल चुके हैं। उन्होंने हमेशा नेताजी (मुलायम सिंह यादव) और सपा को कमजोर करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में अगला चुनाव लड़ेगी।
इसके बाद मुलायम ने सपा के वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय महासचिव प्रो रामगोपाल यादव को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। प्रोफेसर रामगोपाल सपा मुखिया के चचेरे भाई हैं और पार्टी के थिंक टैंक माने जाते थे।
रामगोपाल के निष्कासन के बाद शिवपाल ने कहा कि हमारे घर के कुछ लोग भाजपा से मिल गए हैं। सीबीआई से बचने के लिए हमारे कुछ लोग भाजपा से मिलकर साजिश कर रहे हैं। अभी मुख्यमंत्री अखिलेश इन बातों को नहीं समझ रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए। शिवपाल सिंह यादव ने रामगोपाल यादव की बर्खास्तगी को लेकर भी एक बयान जारी किया।
बयान में उन्होंने कहा कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के आदेश पर पार्टी के महासचिव व राष्टीय प्रवक्ता रामगोपाल को पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है।
शिवपाल ने पत्र में कहा है कि आप सबने प्रोफेसर साहब का पत्र पढ़ लिया होगा। वह यह सब इसीलिए कर रहे हैं क्योंकि वह भाजपा से मिल गए हैं। रामगोपाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक बड़े नेता से तीन बार मिल चुके हैं। वह ये सब इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनके पुत्र अक्षय यादव एवं पुत्रवधु यादव सिंह घोटाले में फंसे हुए हैं। स्वयं को बचाने के लिए भाजपा के इशारे पर सपा को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं।
शिवपाल ने आगे लिखा कि मुख्यमंत्री समझ नहीं रहे हैं, लेकिन उन्हें यह बात समझनी चाहिए कि कौन उनका सगा है और कौन उनका शुभेच्छू है। प्रोफेसर साहब हमेशा तिकड़म करते रहते हैं। मैंने उनकी तानाशाही व नकारात्मक कार्यो को हमेशा ही पार्टी के सामने उठाया था। अब तो वह अखिलेश सरकार व नेताजी को कमजोर करने पर आमादा हैं।
गौरतलब है कि रामगोपाल यादव ने रविवार सुबह ही एक पत्र पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखा था, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सपा का भविष्य बताया है। रामगोपाल ने ‘प्यारे साथियों‘ नाम से संबोधित पत्र में कहा है कि ‘अखिलेश के साथ के लोगों ने पार्टी के लिए खून-पसीना बहाया और बड़े बलिदान दिए, जबकि दूसरी ओर ऐसे लोग हैं, जिन्होंने ‘करोड़ों कमाए और सत्ता का दुरुपयोग‘ किया।
रामगोपाल का पत्र सार्वजनिक होने के बाद मुलायम सिंह यादव के नजदीकी आशू मलिक ने एक बार फिर फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर बिना नाम लिए रामगोपाल पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा है कि पार्टी का एक बेहद खास शख्स भाजपा के साथ मिलकर समाजवादी पार्टी तोड़ने की साजिश रच रहा है।
सपा से निकाले जाने के बाद प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि मुझ पर शिवपाल यादव द्वारा लगाए गए सारे बयान झूठे हैं। मुझे पार्टी से निकाले जाने का दुख नहीं है, बल्कि दुख इस बात का है कि मुझ पर बेबुनियाद आरोप लगाए गए।
उन्होंने यह भी कहा कि मैं किसी भी सीबीआई जांच का हिस्सा नहीं हूं और दूसरी पार्टी के नेताओं से मिलते रहना ये तो एक सामान्य बात है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के बुलावे पर सैफई में कार्यक्रम में आए थे। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि मैं पार्टी में रहूं या न रहूं अखिलेश यादव के साथ हमेशा रहूंगा।
निष्कासन के बाद रामगोपाल ने शाम को एक पत्र और जारी किया, जिसमें उन्होंने सपा मुखिया मुलायम को अपना गुरु बताया। कहा कि वह पार्टी में रहें या न रहें अखिलेश के साथ वह सदैव रहेंगे। उधर, मुलायम के कुनबे में मची रार को लेकर विरोधियों ने भी रविवार को जमकर अपनी भड़ास निकाली।
भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व कांग्रेस ने एक सुर में हमला बोला। किसी ने इसे ‘फैमिली ड्रामा‘ करार दिया है तो किसी ने अखिलेश सरकार को चार दिन का मेहमान बताया।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेश में संवैधानिक संकट है। अखिलेश सरकार अल्पमत में पहुंच गई है। उसे बहुमत साबित करना चाहिए। चार मंत्री के बर्खास्त होने से समस्या का हल नहीं होगा, अखिलेश सरकार को जनता बर्खास्त करेगी।
इधर, बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चाचा-भतीजे की लड़ाई विकास के बजाय विनाश की ओर ले जा रही है। यह सरकार तीन-चार दिन में बर्खास्त हो जाएगी। समाजवादी पार्टी अब अपने अस्तित्व की समाप्ति की ओर है।
सपा का कहीं नाम भी नहीं रह गया है। सपा सरकार में वर्तमान झगड़ा लूट के पैसे के बंटवारे को लेकर हो रहा है, जिसमें प्रदेश पिस रहा है।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि यह सपा का अंदरूनी मामला है। इसका जनता से कोई लेनादेना नहीं है। उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ सरकार में चल रही उठापटक को लेकर राज्यपाल राम नाइक भी पैनी नजर थी। राज्यपाल राम नाईक के पास मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चारमंत्रियों की बर्खास्तगी का पत्र भेजा। राज्यपाल ने पत्र को स्वीकार कर चारों मंत्रियों को बर्खास्त किए जाने की संस्तुति की।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार पर किसी भी प्रकार का कोई संवैधानिक संकट नहीं है। राज्यपाल ने कहा कि जब तक बहुमत को कोई चुनौती नहीं देता, तब तक कोई संकट नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर बहुमत को कोई चुनौती देता है तब मैं कानून के अनुसार फैसला लूंगा। प्रदेश के ताजा हालात पर मेरी नजर है।
इस तरह तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में रविवार को राजधानी में दिन भर आरोपों और निष्कासनों का दौर चलता रहा।
देर रात तक सपा मुखिया मुलायम के आवास पर पूरे घटनाक्रम को लेकर बैठक भी चली। बैठक के बाद मुलायम थोड़ी देर के लिए बाहर आये लेकिन मीडिया से बात नहीं किए। कहा जो कुछ कहना है कल कहेंगे। सोमवार को उन्होंने पार्टी के विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई है। इसके लिए देर रात तक पार्टी कार्यालय में तैयारी होती रही।
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