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नई दिल्ली। गत कुछ दिनों से बीसीसीआई में जारी गतिरोध के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि बीसीसीआई लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को मानने को लेकर 14 दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करे। साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि लोढ़ा कमेटी एक स्वतंत्र ऑडिटर की नियुक्ति करेगी जो बीसीसीआई को दिए गए सारे ठेकों की जांच करेगी। इसके साथ ही आदेश में कहा गया है कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू किए जाने से पहले स्टेट एसोसिएशन को कोई फंड नहीं दे सकेगा।
आपको बता दें कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लेकर बीसीसीआई की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आज बीसीसीआई के खातों की बारीकी से जांच के भी आदेश जारी किए हैं। मामले की अगली सुनवाई की तारीख 5 नवंबर की रखी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए यह भी आदेश जारी किए हैं कि जब तक बीसीसीआई लोढ़ा कमेटी की सारी सिफारिशों को मानती नहीं है तब तक उसे किसी भीप्रकार को कोई धन नहीं दिया जाएगा।
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बीसीसीआई न्यायालय के निर्देशों और समिति की अनुशंसाओं का पालन किए जाने तक अपने प्रदेश निकायों (राज्य क्रिकेट बोर्डस) को धन का आवंटन नहीं करेगा।शीर्ष अदालत ने कहा कि बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के अदालत के निर्देशों और समिति की अनुशंसाओं को मानने की प्रतिबद्धता के संबंध में अदालत में हलफनामा पेश करें।न्यायालय ने कहा कि लोढ़ा समिति के सचिव इस आदेश की एक प्रति अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अध्यक्ष शशांक मनोहर को भेजेंगे।
खारिज की गई थी बीसीसीआई की याचिका- इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को सही ठहराने के लिए जो बीसीसीआई ने पुनर्विचार की याचिका दायर की थी, उसे आज खारिज कर दिया गया है। आपको बता दें कि इससे पहले 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिट लोढ़ा कमेटी के फैसलों को पूर्ण रुप से लागू करने को कहा था। बीसीसीआई ने इससे पहले 16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के एस फैसले को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की थी जिसमें लोढ़ा कमेटी ने कहा था कि सिफारिशों को लागू किया जाए। दायर याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसपर दोबारा विचार किया जाए, इस पर विचार करने के लिए पांच जजों की बेंच स्थापित की जाए, साथ ही याचिका में यह भी मांग की गई थी कि न्यायमूर्ति ठाकुर को इसमें ना शामिल किया जाए।
ये हैं लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें-
आपको यहां बताएं कि बीसीसीआई और लोढ़ा कमेटी के बीच का गतिरोध कई महीनो से चला आ रहा है। पिछले साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को नई सिरे से खड़े करने के लिए न्यायमुर्ति लोढ़ा की अध्यक्षता में एक समिति गठिक किया था जिसको यह जिम्मेवारी दी गई थी। समिति ने जो सिफारिशें की थीं, जिसको लागू करने को लेकर आज बात की गई है उसके अनुसार-
- बीसीसीआई के किसी भी पदाधिकारी की आयु 70 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- बोर्ड में कार्यरत कोई भी पदाधिकारी सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए।
- बीसीसीआई की गवर्निंग काउंसिल में नियंत्रक और कैग के भी एक सदस्य के शमिल होने की बात पर जोर दिया गया था।
- सट्टेबाजों को लेकर संसद को सख्त कानून बनाने की भी बात कही गई थी।
- बीसीसीआई को आरटीआई के दायरे में लाने के लिए हर संभव नियम बनाने की भी बात कही गई थी।
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