श्री शिवराज सिंह चौहान |
अवधेश पुरोहित @ Toc News
भोपाल । भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देकर सत्ता में काबिज हुई भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपने शासनकाल के १३ वर्षों के शासनकाल के बाद भी न तो इस प्रदेश को भय से मुक्त करवा पाई और ना ही भूख बात यदि उनके तीसरे वायदे भ्रष्टाचार की की जाए तो भाजपा के शासनकाल में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि ऊपर से लेकर नीचे तक और नीचे से लेकर ऊपर तक भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है जिसमें सत्ताधीश और उनके परिजनों से लेकर राज्य के हर जनता के हितों का सरोकार रखने वाले विभाग के अदने से कर्मचारी से लेकर बड़े कर्मचारी इस भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगाने से नहीं चूक रहे हैं।
यही वजह है कि इस भाजपा शासनकाल में जहाँ सदी का महाघोटाला व्यापमं घटित हुआ तो वहीं सरकार द्वारा बिजली खरीदी के नाम पर करोड़ों के घोटाले को अंजाम दिया तो वहीं किसानों के नाम पर करोड़ों रुपये की सब्सिडी अधिकारियों द्वारा हजम कर जाने के जैसे मामले भी उजागर हुए, घोटाले की यदि बात करें तो शायद ही ऐसा कोई विभाग होगा जहां इस सरकार के कार्यकाल के दौरान घोटालों को कोई अंजाम नहीं दिया गया हो, फिर चाहे वो विद्युत विभाग हो या लोक निर्माण विभाग हो या फिर सिंचाई विभाग हो, हर विभाग में सरकारी योजनाओं के नाम पर भ्रष्टाचार को जन्म दिया गया।
वर्षों पहले छतरपुर जिले में एक किसान पर कागजों में कुआ खोदकर कर्ज लादने का काम कुछ दबंगों द्वारा कार्य को अंजाम दिया गया था, मजे की बात यह है कि बैंक के कर्ज की किश्त वह किसान मजबूरीवश पटाने लगा लेकिन जब बैंक के कर्मचारियों द्वारा उस पर दबिश दी गई तो उक्त किसान द्वारा बैंक के कर्मचारियों को एक टका सा जवाब दिया गया था कि जिस कुए के कर्ज की हम किश्त भर रहे हैं वह कुआ कहां है तो बैंक के अधिकारियों के होश उड़ गए। लेकिन इस सरकार में बीपीएल और एससी, एसटी के किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी के नाम पर प्रतिवर्ष करीब पाँच करोड़ रुपये की सब्सिडी वसूल रही है जो वास्तव में जमीन पर मौजूद नहीं है,
इस घटना से यह उजागर होता है कि इस सरकार में जहाँ जिसको दिखा वह लूट करके शासकीय खजाने के राजस्व को हानि पहुंचाने में लगा हुआ है, फिर चाहे वह किसान ही क्यों न हो, ऐसा ही एक मामला मंदसौर जिले में सामने आया, जहां मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने उपभोक्ताओं के बाद अब सरकार से भी वसूली करने का तरीका खोज लिया है। यह मामला तो केवल मंदसौर जिले का है यदि ठीक से इसकी किसी निष्पक्ष एजेंसी द्वारा जांच करवाई जाए तो इस प्रदेश के हर जिले में बीपीएल और एससी, एसटी के किसानों को मुफ्त में बिजली दिये जाने के मामले में घोटाले का खुलासा हो सकता है, लेकिन इस सरकार में ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं देता है, क्योंकि प्रदेश में बह रही भ्रष्टाचार की गंगोत्री में सत्ताधीशों से लेकर राजनेताओं और अधिकारियों तक सभी डुबकी लगाने में लगे हुए हैं, ऐसे में जहाँ जिसको जो मिल रहा है वह अपनी कारगुजारी दिखाने में पीछे नहीं रहता।
ऐसा ही खेल किसाना के के नाम पर मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने उ पभोक्ताओं के बाद अब सरकार से भी वसूली करने का तरीका खोज लिया है। मंदसौरा जिले में कंपनी दो सालों से ऐसे कनेक्शनों के नाम पर सालाना करीब पांच करोड़ रुपए की सब्सिडी वसूल रही है जो वास्तव में है ही नहीं। जिन किसानों के नाम पर यह कनेक्शन हैं, उन तक बिल पहुंचते ही नहीं और कागजों पर ही बिलिंग हो जाती है। जिले में ऐसे करीब दो हजार फर्जी कनेक्शन बताए जा रहे हैं। कंपनी के मुताबिक दो महीने पहले ही मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं, लेकिन अब तक जांच शुरू नहीं हुई है।
सरकार की योजना के मुताबिक एससी, एसटी और बीपीएल किसानों को तीन से पाँच हॉर्सपावर मोटर के लिए मुफ्त कनेक्शन दिए जाते हैं। सब्सिडी का पूरा पैसा सरकार कंपनी को देती है। माफी याजना का लाभ उठाने के लिए कागजों पर ही कनेक्शन जारी कर दिए गए हैं, जबकि किसानों के खेत में कुंए में गड़बी सामने आई जब लिबवास गांव के गणेशराम कनेक्शन लेने के लिए कंपनी के कार्यालय पहुंचे। उन्हें बताया गया कि उनके खेत पर तो पहले से ही कनेक्शन हैं। इसके बाद फर्जी कनेक्शन के कई मामले सामने आ गए। योजना के तहत जिले के कुल २४०११ कनेक्शनों में से अभी लगभग दो हजार कनेक्शन फर्जी हैं, सबसे ज्यादा शिकायत मल्हारगढ़ तहसील के बूढ़ा वितरण केन्द्र की है।
यह मामला तो केवल मंदसौर का है लेकिन यदि पूरे प्रदेश में इस तरह के मामले की निष्पक्ष एजेंसी द्वारा जांच कराई जाए तो किसानों के हितैषी और उनकी खेती को लाभ का धंधा बनाने वाली सरकार के उस ढिंढोरे की पोल खुलती नजर आएगी जिसमें बीपीएल और एससी, एसटी के नाम पर दी जाने वाली सब्सिडी का के गड़बड़झाले का खुलासा होगा, इस घटना से यह साबित होता है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही हर सब्सिडी वाली योजनाओं में अधिकारी इस तरह के फर्जीवाड़ा करने से बाज नहीं आ रहे हैं, यह मामला तो अकेला विद्युत विभाग का है अन्य विभागों में भी गरीब किसानों के नाम पर यह खेला खेला गया फिर चाहे वह कृषि विभाग या सहकारिता विभाग ही क्यों न हो।
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