अवधेश पुरोहित // Toc News
भोपाल । पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी मंत्रीमण्डल के सदस्य और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के परम मित्र और सहयोगी केन्द्रीय मंत्री वेंकेया नायडू के द्वारा उस समय जबकि मध्यप्रदेश की राजनीति में सबकुछ शांत चल रहा था ऐसे में नायडू का यह बयान की कुछ लोग नहीं चाहते थे कि शिवराज मुख्यमंत्री बनें के मायने तलाशने में लोग लगे हुए हैं। मजे की बात यह है कि इन्हीं नायडू सहित भाजपा के केन्द्रीय नेता जिनमें अनंत कुमार, मुख्तार अब्बास नकवी और नरेन्द्र तोमर सहित भाजपा के लोहपुरुष कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा चुनाव के पूर्व प्रधानमंत्री के तौर पर इन्हीं शिवराज सिंह चौहान को उतारने का प्रयास किया था,
जिसका खामियाजा आज तक मध्यप्रदेश को भोगना पड़ रहा है, कल तक शिवराज को प्रधानमंत्री बनाने का सपना दिखाने वाले यह नेता जो आज नरेन्द्र मोदी के मंत्रीमण्डल में शामिल हैं वही नेता मध्यप्रदेश में शिवराज के समर्थक की भूमिका अपनाते हुए राज्य की कई योजनाओं में अपने चहेतों को काम दिलाया तो वहीं इस समय शायद ही प्रदेश में ऐसी कोई योजना नहीं होगी जिसमें नायडू की समर्थक कंपनियां और सुषमा स्वराज के वेल्लारी के हीरो रेड्डी बंधुओं की कंपनियां काम न कर रही हों मजे की बात तो यह है कि नायडू सहित केन्द्रीय नेताओं ने शिवराज की तारीफ कर प्रदेश का जितना दोहन किया यदि उसकी ठीक से जांच कराई जाए तो जितने भी काम इन नेताओं की निर्माण एजेंसियों द्वारा इस प्रदेश में कराया गया
उसमें कहीं न कहीं कोई गड़बड़झाला जरूर सामने आएगा, यह वही नायडू हैं जिनके चहेतों की एक कम्पनी के कारण शिवराज मंत्रीमण्डल के एक मंत्री पर कई गंभीर आरोप लगाये गये, लेकिन मध्यप्रदेश की राजनीति में जब सबकुछ सामान्य स्थिति में था और ऐसे में नायडू द्वारा यह कहना कि कुछ लोग नहीं चाहते थे कि शिवराज मुख्यमंत्री बने उनके वर्षों बाद इस तरह के रहस्योदघाटन के बाद सवाल यह उठता है कि क्या राजनीति से जुड़ा हर जानकार यह नहीं जानता कि शिवराज को मुख्यमंत्री ना बनाने का विरोध करने वाले नेताओं और विधायकों में मुख्यमंत्री के समर्थक शामिल थे तो वहीं केन्द्रीय नेताओं की एक टीम जिसमें नायडू, जेटली सहित तमाम नेताओं दिल्ली से ही अपना मन बनाकर शिवराज को मुख्यमंत्री बनाने की पहल में लगे हुए थे और इन सब नेताओं की इस मुहिम का विरोध उमा भारती सहित उनके समर्थक, विधायक और नेता कर रहे थे
, यही नहीं जब इन सभी नेताओं की इस मंशा का खुलासा हो गया कि आखिरकार वह यह तय करके आए हैं कि शिवराज को मुख्यमंत्री बनाना है तो अपनी आदत के अनुसार उमा भारती आग बबूला हो गई और दीनदयाल परिसर से बाहर निकलकर एमपी नगर के चौराहे पर स्थित अम्बेडकर की मूर्ति के समक्ष आकर उन्होंने इन नेताओं की नीति का विरोध करते हुए राम रोटी यात्रा भोपाल से लेकर अयोध्या तक करने की घोषणा कर दी। लेकिन वर्षों बाद नायडू ने ऐसा क्या रहस्य उजागर किया जिसमें कुछ नया था। हाँ, यह जरूर है कि वर्षों पुराने जख्म जरूर उन उमा समर्थक विधायकों और नेताओं के हरे जरूर कर दिये।
तो वहीं उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम नायडू ने किया हालांकि उनकी यह कोशिश किसके इशारे पर थी और क्यों इस तरह का नायडू से बयान दिलाया गया, जबकि यह सर्वविदित है कि पिछले कुछ दिनों से उन्हीं उमा समर्थक कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय महामंत्री हैं, उन्होंने भी पिछले दिनों लोकप्रियता और लोकनीति को लेकर उनका एक बयान आया जो चर्चाओं में है और इसका जवाब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कल साँची बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित धर्म और राज्य व्यवस्था पर तीन दिवसीय धर्म-धम्म सम्मेलन के दौरान अपने भाषणों में कहा कि सबका सुख और सबका कल्याण हो, यही लोकनीति है, लोकनीति ऐसी होनी चाहिए जो इन लक्ष्यों की पूर्ति कर सके।
यह सर्वविदित है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मुख्यंमत्री बनाने वाले उन भाजपा के केन्द्रीय नेताओं जिनमें नायडू भी शामिल हैं इसके बाद इस प्रदेश से शिवराज को मुख्यमंत्री बनाने के एवज में जहाँ मौका लग वहाँ से एक-एक पाई वसूल की फिर चाहे वह अपने समर्थक निर्माण एजेंसियों के माध्यम से यही नहीं इन राष्ट्रीय नेताओं ने प्रदेश के उन पत्रकारों के हिस्से का बजट की भारी भरकम धनराशि अपने समर्थकों की पत्र-पत्रिकाओं को करोड़ों रुपये के विज्ञापन मध्यप्रदेश से दिलवाकर प्रदेश के पत्रकारों के हकों को छीनने का भी काम किया।
राजनीतिक क्षेत्र में यह चर्चा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मोदी के बराबरी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार बनाने क ी लालसा पैदा करने वाले इन केन्द्रीय नेताओं में ऐसा कुछ न कुछ खदक रहा है जो शिवराज को प्रगति की ओर अग्रेषित करने का भी हो सकता है, खैर नायडू के असमय आये इस तरह के बयान के मायने तलाशने में लोग लगे हुए हैं और अपने-अपने तरीके से उनके इस बयान के मायने तलाश रहे हैं।
भोपाल । पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी मंत्रीमण्डल के सदस्य और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के परम मित्र और सहयोगी केन्द्रीय मंत्री वेंकेया नायडू के द्वारा उस समय जबकि मध्यप्रदेश की राजनीति में सबकुछ शांत चल रहा था ऐसे में नायडू का यह बयान की कुछ लोग नहीं चाहते थे कि शिवराज मुख्यमंत्री बनें के मायने तलाशने में लोग लगे हुए हैं। मजे की बात यह है कि इन्हीं नायडू सहित भाजपा के केन्द्रीय नेता जिनमें अनंत कुमार, मुख्तार अब्बास नकवी और नरेन्द्र तोमर सहित भाजपा के लोहपुरुष कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा चुनाव के पूर्व प्रधानमंत्री के तौर पर इन्हीं शिवराज सिंह चौहान को उतारने का प्रयास किया था,
जिसका खामियाजा आज तक मध्यप्रदेश को भोगना पड़ रहा है, कल तक शिवराज को प्रधानमंत्री बनाने का सपना दिखाने वाले यह नेता जो आज नरेन्द्र मोदी के मंत्रीमण्डल में शामिल हैं वही नेता मध्यप्रदेश में शिवराज के समर्थक की भूमिका अपनाते हुए राज्य की कई योजनाओं में अपने चहेतों को काम दिलाया तो वहीं इस समय शायद ही प्रदेश में ऐसी कोई योजना नहीं होगी जिसमें नायडू की समर्थक कंपनियां और सुषमा स्वराज के वेल्लारी के हीरो रेड्डी बंधुओं की कंपनियां काम न कर रही हों मजे की बात तो यह है कि नायडू सहित केन्द्रीय नेताओं ने शिवराज की तारीफ कर प्रदेश का जितना दोहन किया यदि उसकी ठीक से जांच कराई जाए तो जितने भी काम इन नेताओं की निर्माण एजेंसियों द्वारा इस प्रदेश में कराया गया
उसमें कहीं न कहीं कोई गड़बड़झाला जरूर सामने आएगा, यह वही नायडू हैं जिनके चहेतों की एक कम्पनी के कारण शिवराज मंत्रीमण्डल के एक मंत्री पर कई गंभीर आरोप लगाये गये, लेकिन मध्यप्रदेश की राजनीति में जब सबकुछ सामान्य स्थिति में था और ऐसे में नायडू द्वारा यह कहना कि कुछ लोग नहीं चाहते थे कि शिवराज मुख्यमंत्री बने उनके वर्षों बाद इस तरह के रहस्योदघाटन के बाद सवाल यह उठता है कि क्या राजनीति से जुड़ा हर जानकार यह नहीं जानता कि शिवराज को मुख्यमंत्री ना बनाने का विरोध करने वाले नेताओं और विधायकों में मुख्यमंत्री के समर्थक शामिल थे तो वहीं केन्द्रीय नेताओं की एक टीम जिसमें नायडू, जेटली सहित तमाम नेताओं दिल्ली से ही अपना मन बनाकर शिवराज को मुख्यमंत्री बनाने की पहल में लगे हुए थे और इन सब नेताओं की इस मुहिम का विरोध उमा भारती सहित उनके समर्थक, विधायक और नेता कर रहे थे
, यही नहीं जब इन सभी नेताओं की इस मंशा का खुलासा हो गया कि आखिरकार वह यह तय करके आए हैं कि शिवराज को मुख्यमंत्री बनाना है तो अपनी आदत के अनुसार उमा भारती आग बबूला हो गई और दीनदयाल परिसर से बाहर निकलकर एमपी नगर के चौराहे पर स्थित अम्बेडकर की मूर्ति के समक्ष आकर उन्होंने इन नेताओं की नीति का विरोध करते हुए राम रोटी यात्रा भोपाल से लेकर अयोध्या तक करने की घोषणा कर दी। लेकिन वर्षों बाद नायडू ने ऐसा क्या रहस्य उजागर किया जिसमें कुछ नया था। हाँ, यह जरूर है कि वर्षों पुराने जख्म जरूर उन उमा समर्थक विधायकों और नेताओं के हरे जरूर कर दिये।
तो वहीं उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम नायडू ने किया हालांकि उनकी यह कोशिश किसके इशारे पर थी और क्यों इस तरह का नायडू से बयान दिलाया गया, जबकि यह सर्वविदित है कि पिछले कुछ दिनों से उन्हीं उमा समर्थक कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय महामंत्री हैं, उन्होंने भी पिछले दिनों लोकप्रियता और लोकनीति को लेकर उनका एक बयान आया जो चर्चाओं में है और इसका जवाब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कल साँची बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित धर्म और राज्य व्यवस्था पर तीन दिवसीय धर्म-धम्म सम्मेलन के दौरान अपने भाषणों में कहा कि सबका सुख और सबका कल्याण हो, यही लोकनीति है, लोकनीति ऐसी होनी चाहिए जो इन लक्ष्यों की पूर्ति कर सके।
यह सर्वविदित है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मुख्यंमत्री बनाने वाले उन भाजपा के केन्द्रीय नेताओं जिनमें नायडू भी शामिल हैं इसके बाद इस प्रदेश से शिवराज को मुख्यमंत्री बनाने के एवज में जहाँ मौका लग वहाँ से एक-एक पाई वसूल की फिर चाहे वह अपने समर्थक निर्माण एजेंसियों के माध्यम से यही नहीं इन राष्ट्रीय नेताओं ने प्रदेश के उन पत्रकारों के हिस्से का बजट की भारी भरकम धनराशि अपने समर्थकों की पत्र-पत्रिकाओं को करोड़ों रुपये के विज्ञापन मध्यप्रदेश से दिलवाकर प्रदेश के पत्रकारों के हकों को छीनने का भी काम किया।
राजनीतिक क्षेत्र में यह चर्चा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मोदी के बराबरी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार बनाने क ी लालसा पैदा करने वाले इन केन्द्रीय नेताओं में ऐसा कुछ न कुछ खदक रहा है जो शिवराज को प्रगति की ओर अग्रेषित करने का भी हो सकता है, खैर नायडू के असमय आये इस तरह के बयान के मायने तलाशने में लोग लगे हुए हैं और अपने-अपने तरीके से उनके इस बयान के मायने तलाश रहे हैं।
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