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बिहार के पत्रकार राजदेव रंजन के कथित फरार हत्यारों के राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव और राजद के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन के साथ देखे जाने की रिपोर्टों का मामला सोमवार सुप्रीम कोर्ट के सामने आया..
बिहार के पत्रकार राजदेव रंजन के कथित फरार हत्यारों के राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव और राजद के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन के साथ देखे जाने की रिपोर्टों का मामला सोमवार सुप्रीम कोर्ट के सामने आया और शीर्ष अदालत ने यह सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक रिपोर्ट मांगी कि जब उनकी मुलाकात हुई थी तो क्या आरोपी ‘घोषित भगोड़े’ थे या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को इस बहुचर्चित मामले की जांच के लिए तीन महीने का समय दिया और मोहम्मद कैफ व मोहम्मद जावेद सहित मामले के छह आरोपियों को निर्देश दिया कि वे आरोपपत्र दायर नही होने के आधार पर जमानत नही मांगे। कैफ और जावेद राजद नेताओं के साथ दिखे थे।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की पीठ ने सिवान (टाउन) के सत्र न्यायाधीश को इस संबंध में एक रिपोर्ट देने को कहा। इसके साथ ही उन्हें आरोपियों के घोषित भगोड़ा होने की स्थिति के अलावा मामले में किसी अन्य पहलू और इस बारे में भी रिपोर्ट देने को कहा कि क्या किसी अदालत से गैरजमानती वारंट जारी किया गया था। पीठ ने कहा कि राज्य पुलिस ने पहले ही आरोपपत्र दाखिल कर दिया है और सीबीआइ जांच में प्रगति हो रही है, ऐसे में जिन आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया है, वे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 (2) के तहत जमानत के विस्तार का दावा नहीं करेंगे।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद के बेटे और बिहार सरकार में मंत्री यादव ने दलील दी कि वे ‘संयोगवश मुलाकातें’ थीं और आरोपी उस दिन किसी मामले में घोषित भगोड़े नहीं थे। राजद उपाध्यक्ष शहाबुद्दीन ने भी यही दलील दी कि जिस दिन वे राजद नेताओं के साथ दिखे थे, उस दिन वे घोषित भगोड़े नहीं थे। बिहार की ओर से पेश वकील गोपाल सिंह ने राजद नेताओं की दलीलों का समर्थन किया और कहा कि उस दिन आरोपी घोषित भगोड़े नहीं थे। इस पर न्यायालय ने सिवान के सत्र न्यायाधीश से 28 नवंबर तक न्यायिक रिपोर्ट मांगी। वरिष्ठ पत्रकार रंजन एक हिंदी दैनिक के लिए काम कर रहे थे। बिहार के सिवान में 13 मई की शाम उनकी हत्या कर दी गई थी।
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