"कांकेर|
छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल कांकेर जिले में 11 आदिवासी बच्चियों से
बलात्कार का सनसनीखेज मामला सामने आया है| घटना नरहरपुर ब्लॉक के झलियामारी
गांव स्थित कन्या आश्रम का है| जहां लगभग दो सालों से 11 आदिवासी नाबालिग
बच्चियों से हर रात बलात्कार किया जा रहा था| पुलिस ने आरोपी शिक्षाकर्मी
मन्नूराम गोटा और चौकीदार दीनानाथ को गिरफ्तार कर लिया है| इसके अलावा
आश्रम की अधीक्षिका बबीता मरकाम को भी निलंबित कर जांच शुरु की गई है|
पुलिस का कहना है कि दोनों आरोपी लंबे समय से आदिवासी बच्चियों के साथ
बलात्कार कर रहे थे| बच्चियां डर के मारे इस बात को किसी से बता नहीं पा
रही थी| शुक्रवार 05 जनवरी, 13 को बच्चियों ने बलात्कार की शिकायत महिला
एवं बाल विकास अधिकारी को की| इसके बाद डीएम अलरमेल मंगई डी ने तत्काल
मामले की जांच की और शिकायत को सही पाया| इसके बाद नरहरपुर थाने में
शिक्षाकर्मी मन्नूराम गोटा और चौकीदार दीनानाथ के खिलाफ भादसं की धारा 376,
2ख एवं 34 के तहत मामला दर्ज किया गया|"
यह एक खबर थी, जो छप गयी और दब गयी|
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
अखबारों
में 11 आदिवासी लड़कियों के साथ हुए बलात्कार की छोटी सी ये खबर छपी| अत:
यह एक आम खबर थी, जो छप गयी और दब गयी| बात-बात पर बयान देने वाली भारत के
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा ममता शर्मा की आँख में इस खबर को पढकर
आंसू नहीं छलके, न आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल को इस घटना
में कोई अनहोनी, अन्याय या शोषण की बात दिखी! अन्ना हजारे भी इस घटना के
बाद अनशन पर बैठने के बजाय मौन साधे बैठे हैं| प्रतिपक्ष की नेता सुषमा
स्वराज, जो बात-बात पर संसद में महिलाओं के अधिकारों के लिये सशक्त तरीके
से बोलती देखी जाती हैं, उनको और उनकी पार्टी को ये घटना बोलने लायक नजर
नहीं आयी| सारी शक्तियों की केन्द्र और सत्ताधारी गठबन्धन की प्रमुख सोनिया
गांधी, प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह और राहुल गॉंधी भी इस पर एक शब्द
नहीं बोले! खुद को हिन्दुत्व और संस्कृति के ठेकेदार मानने वाले राष्ट्रीय
स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंद दल, दुर्गा वाहिनी जैसे अनेक
हिन्दूवादी संगठन भी इस घटना पर मौन साधे हुए हैं| बाबा रामदेव और श्रीश्री
रविशंकर की आँख में भी आदिवासी कन्याओं के साथ घटित घटना से आँसू की एक
बंद भी नहीं टपकी| सुप्रीम कोर्ट जो राष्ट्रहित में बात-बात पर संज्ञान
लेकर कार्यवाही करता रहता है, उसके न्यायमूर्तियों को भी आदिवासी लड़कियों
के साथ लगतार वर्षों तक हुए बलात्कार में कुछ भी अनहोनी नजर नहीं आयी! भय,
भूख और भ्रष्टाचार से मुक्त प्रशासन देने की वकालत करने सत्ता हासिल करने
वाली भाजपा की छत्तीसगढ में करीब एक दशक से सरकार है, जिसके राज में हर दिन
आदिवासियों के खिलाफ लगातार अत्याचार होते रहते हैं| जिनमें सोनी सोढी का
मामला भी बहशी दरिन्दों की कहानी खुद-ब-खुद बयां करता है| इस या उस घटना पर
भाजपा के नेता तो मौन हैं ही, प्रदेश सरकार एवं प्रशासन स्वयं आदिवासियों
पर अत्याचार कर रहे है| लेकिन इस सबसे दुर्भाग्यपूर्ण तो ये है कि
आदिवासियों के तथाकथित समाज सेवक, राजनेता, जननेता, कर्मचारी नेता और
ब्यूरोक्रेट्स केवल मौन साधे हुए हैं| आखिर क्यों? क्या आदिवासियों के
इंसान होने पर शक है? क्या आदिवासी असंवेदनशील होते हैं? क्या आदिवासियों
का कोई नेतृत्व नहीं है| इस सब का मतलब ये है कि आदिवासियों को जब चाहो,
जहॉं चाहो, जैसे चाहो इस्तेमाल करो और भूल जाओ? दिल्ली में एक लड़की से
गैंग रैप होने पर, इसे मीडिया इस प्रकार से प्रसारित और प्रचारित किया किया
गया है, मानो कोई राष्ट्रीय आपदा आ गयी है| देश के तथाकथित बड़े लोग इस
प्रकार से पेश आते हैं, मानो पूरा देश हिल रहा है| भाजपा की ओर से संसद का
विशेष-सत्र बुलाये जाने की मांग उठने लगती है| लेकिन दर्जनों आदिवासी
लड़कियों को हर दिन वर्षों तक हवस का शिकार बनाने की अन्दर तक हिला देने
वाली क्रूरतम और अमानवीय घटना मीडिया, सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनेताओं,
ब्यूराके्रट्स, बुद्धिजीवियों, धर्म व संस्कृति के ठेकेदारों और
न्यायपालिका सहित किसी के लिये भी चिन्ता का विषय नहीं है! आखिर क्यों?
इसके लिये कोई तो जिम्मेदार होगा? केवल इतना कह देने से काम नहीं चल सकता
कि लोगों की संवेदनाएँ समाप्त हो गयी हैं या देश पर मनुवादियों का कब्जा
है, इसलिये आदिवासियों को ये सब तो सहना ही होगा! सवाल ये है कि संवेदनाएँ
समाप्त क्यों हो गयी हैं या देश पर मनुवादी ताकतों का कब्जा क्यों है?
मनुवादियों की धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक गुलामी की
बेड़ियों से मुक्ति के लिये हमने आजादी के बाद से आज तक किया क्या है? यदि
कुछ भी नहीं किया तो मनुवादी आपको क्यों मुक्त करेंगे? सच तो ये है, इसके
लिये और कोई नहीं, बल्कि आदिवासी राजनेता और बड़े-बड़े अफसर जिम्मेदार हैं,
जिन्हें सिर्फ और सिर्फ अपने व्यक्तिगत विकास और सुख-सुविधाओं की परवाह
है, उन्हें अपने वर्ग और लोगों की कोई परवाह नहीं है| जो केवल लाल बत्तियों
और वातानुकूलित सुविधाओं के भूखे हैं| जो संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण
का तो लाभ उठा रहे हैं, लेकिन वे इस बात को भूल गये हैं कि उन्हें सरकार और
प्रशासन में प्रदान किया गया आरक्षण मात्र व्यक्तिगत विकास करने, सम्पत्ति
और एश-ओ-आराम जुटाने के लिये नहीं, बल्कि अपने वर्ग का पूरी संवैधानिक तथा
वैधानिक ताकत के साथ प्रतिनिधित्व करने के लिये दिया गया है|-
09828502666
Dr. Purushottam Meena 'Nirankush' |
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