केंद्रीय नौकरियों में मात्र 8 फीसदी से कम प्रतिधिनित्व,
सचिव स्तर के 649 पदों में एकमात्र ओ बी सी का आधिकारी।
अब तक होती रही है केवल राजनीति । मुक्म्मल हक के लिए नहीं होती ठोस पहल। पिछड़ा वर्ग के हक पर हो रही है सालों से सियासत । क्या सियासत में उलझकर रह जायेगा मामला ? कूर्मि क्षत्रिय जागृति के प्रधान सपादक आर एस पटेल बता रहे कि सियासी और कानूनी दांव पेचों में उलझाकर रखा गया ओ बी सी हक ।
केन्द्र सरकार की कई रिक्रटिंग एजेसियों के और सरकारी नीतियों में खामियों की वजह से देष में पिछड़े वर्ग को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। लगभग दो दषक से अदर बैकवर्ड क्लास के लिए 27 फीसदी आरक्षण हांेने के बावजूद केंद्र सरकार की नौकरियों में इनका प्रतिषत 8 फीसदी से ज्यादा नहीं हो पा रहा है, ग्रुप ए की सर्विसस में तो यह प्रतिषत और भी कम है। हैरानी की बात है कि इस संबंध मे नेषनल कमीषन फार बैकवर्ड क्लास, केंद्र सरकार को कई बार पत्र लिख कर अपनी चिंता जाहिर कर चुका है, लेकिन केंद्र सरकार ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है। केंद्र सरकार की रिक्रूटिंग एजेंसियों के भेदभाव पूर्ण रवैये का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि ओबीसी कमीषन यू पी एस सी को कई बार पत्र लिख कर ग्रुप ए के लिए चुने गये उम्मीदवारों के जाति आधारित आंकड़े मांग चुका है, लेकिन यू पी एस सी ने हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर आंकड़े देने से साफ मना कर दिया है। एम पी पी एस सी, यू पी एस सी जानकारों को पिछड़ों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिल पाने के मामले में पिछड़ी जातियों की राजनीति करने बाले नेताओं की चुप्पी हैरान कर रही है। सपा के मुखिया मुलायमसिंह यादव हों, केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीतसिंह हो, बिहार के मुखिया नीतिषकुमार हो या विगत तीन दषकों से म प्र पिछडा वर्ग कांग्रेस संगठन का झड़ा उठाएं एवं 64 दिवसीय जागरण यात्रा निकालने वाले पूर्व मंत्री राजमणि पटेल।
सच यही है कि ये तमाम नेता राजनीति के इस मुकाम पर पिछड़ों की राजनीति करके ही पहुंचे है। विडंबना तो यह है इस मसले पर ऐसे सभी नेता चुप हैं। ऐसे में स्वाभाविक सवाल उठता है कि आखिर पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण मिलने के बावजूद कंेेद्र सरकार की नौकरियों में उनका प्रतिनिधित्व इतना कम क्यों है? नेषनल कमीषन फार बैकवर्ड क्लास के सदस्य और बिहार के पूर्व मंत्री षकील उज्जमा अंसारी का कहना है कि यह बात सच है कि केंद्र सरकार की नौकरियों में पिछड़े वर्गो का प्रतिनिधित्व प्राप्त आरक्षण जितना भी नहीं है। केंद्र सरकार की नौकरियों में पिछड़े वर्गो के लोगों का प्रतिनिधित्व कम होने के कई बड़े कारण है।
इसमें सबसे बड़ा कारण क्रिमीलेयर का प्रावधान, बैकलाग की व्यवस्था नहीं होना और ओ बी सी क्लास से योग्य उम्मीदवारों का नहीं मिलना। वर्तमान में ओ बी सी वर्ग के वैसे उम्मीदवार जिनके परिवार या, उनकी सलाना आय चार लाख या उससे अधिक है, उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता। दरअसल वर्तमान में यह सीमा बहुत कम है, इस वजह से कई जरुरतमंद लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता,
इस संबंध में ओ बी सी कमीषन केंद्र सरकार को पत्र लिख कर इस सीमा को चार से बढ़ा कर नौ लाख रुपये करने की सिफारस कर चुका है। परन्तु केंद्र सरकार इस सीमा को नौ लाख रुपये करने पर तैयार नहीं है पर लगभग सात लाख रुपये पर सहमत हो गई है। इसकी घोषणा करने के लिये राजनीतिक समय का इंतजार किया जा रहा है, इस बात की पुष्टि करते हुए षकील उज्जमा अंसारी भी कहते है कि केंद्र सरकार ने इस बाबत एक ग्रुप आफ मिनिस्टर का गठन किया है। इस गु्रप आफ मिनिस्टर की बैठक भी हो चुकी, उम्मीद है कि जल्द ही केन्द्र सरकार इस संबंध में आधिकारिक घोषणा कर देगी।
किसान नेता चौधरी रणवीरसिंह के अनुसार क्रीमिलेयर के कैंप को तुरंत बढ़ाने की जरुरत है, इसके अलावा ओबीसी के लिए बैकलाग का प्रावधान नहीं होना भी ओबीसी को उसका हक मिलने में बड़ी बाधा बना हुआ है। दो दषक तक रेल्वे मजदूर यूनियन जबलपुर के प्रमुख रहे, आर एस पटेल के अनुसार एस सी और एस टी के लिये यह प्रावधान है कि उनके लिये निर्धारित सीटों को केवल उनके वर्ग से ही भरा वर्ग के योग्य उम्मीदवार जायेगा। अगर एस सी एस टी के योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पाते हैं तो उन सीटों को खाली रखा जाएगा। जब तक इस नहीं मिल पाते हैं, इस प्रावधान को ही बैकलाग कहते है। इस प्रावधान के चलते अधिकारी या रिक्रूटिंग एजेंसी एस सी एस टी वर्गो का हक नहीं मार पाती। लेकिन ओबीसी के साथ ऐसा नहीं नहीं। ओबीसी के लिए निर्धारित उम्मीदवार नहीं मिलने की स्थिति में जनरल कोटे में षिप्ट कर दिया जाता है। सपा के वरिष्ठ नेता सांसद मोहनसिंह का कहना है कि देष की आधी से ज्यादा आबादी ओबीसी के तहत आती है।
इस आबादी को नौकरियों में प्रतिनिधित्व देने के लिए दो दषक से 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन यह प्रावधान कागजी साबित हो रहा है। केंद्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी की भागीदारी 8 फीसदी से कम है। इन आंकडों से साफ जाहिर है कि पिछड़ा वर्ग को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। मोहनसिंह का कहना हैं कि यहां यह बात घ्यान में रखी जानी चाहिए कि आजादी के बाद कई बड़े नेता ओबीसी को आरक्षण देने के पक्ष में नहीं थे। काफी जद्धोजहद के बाद आरक्षण मिला भी, तो केवल कागजों पर।
हकीकत में पिछड़े वर्गो को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। देष के पिछडं़े वर्गो को पूरा हक न मिल पाने के कई कारण है। पिछड़ा वर्ग के छात्रों को पढ़ाई की सही सुविधा नहीं मिल पाना एक बड़ा कारण है। इसके आलावा, क्रीमिलेयर का प्रोविजन ओबीसी को उनका हक मिलने में एक बड़ी बाधा बना हुआ है। वरिष्ठ समाजसेवी और उ प्र संयुक्त जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष एच पी सिंह परिहार का कहना है कि हम इस संबंध में कई बार वित्तमंत्री पी चिंदबरम और गृहमंत्री से मिल चुके हैं। उन्होंने हमे आष्वासन दिया हैं कि हम जल्द ही इस समस्या का समाधान करगें। अगर सरकार अपने वादे पर खरा नहीं उतरती है, हम हम कानूनी दायरे में रहकर संघर्ष करने के लिए तैयार है। पदौन्नति में आरक्षण के मुद्दे को लेकर समाजवादी पार्टी ने भले ही संवेदनषील बना दिया हो लेकिन सच्चाई यह है कि पिछ़डे वर्ग के उत्थान के लिए मुलायमसिंह यादव ने कुछ नहीं किया। इस मुद्दे पर सर्वणों की विषेष हिमायती भाजपा की स्थिति रामाय स्वाहाः और रावणाय स्वाहाः जैसी हो गई है। वही हमारी संसद भी जाति के आधार पर बंटी दिखाई दे रही है।
सर्विस केंद्र सरकार के ओ बी सी कर्मियों प्रतिषत
ग्रुप कुल पद की संख्या
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गु्रप ए 91881 5031 5.3
गु्रप बी 137272 5354 3.9
ग्रुप सी 1810141 146621 8.1
गु्रप डी 696891 34845 5.0
कुल 27366185 191851 7.0
पद कुल पद ओ बी सी
सचिव या समकक्ष 102 0 0
अतिरिक्त सचिव या समकक्ष 113 0 0
संयुक्त सचिव या समकक्ष 434 0 1
सचिव स्तर के कुल 649 पदों में पिछड़ा वर्ग का एक मात्र अधिकारी, दिसम्बर 2012 की स्थिति में। यह आंकड़े संसद के षीतकालीन सत्र में केन्द्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय की ओर से संसद में दिये गये।
आर एस पटेल
प्रचार मंत्री अखिल भारतीय कुर्मि क्षत्रिय महासभा मोबाईल 8989535323
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