पैसा हो तो ही उपचार संभव
ब्यूरो प्रमुख// जितेन्द्र अग्रवाल (हरदा //टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से संपर्क:- 8085199183
toc news internet channal
हरदा . पिछले 12 साल से जमें सिराली के डॉ. अशोक वर्मा अब सरकारी वेतन लेकर भी निजी प्रेक्टिस में ज्यादा समय बिता रहे हैं। इनकी दुकान जमने के कारण कहीं और तबादले की भनक लगते ही सीधे होशंगाबाद और भोपाल का रास्ता तय कर लेते हैं। अस्पताल में प्रेग्नेंसी जांच जो नि:शुल्क होती है। उसके भी 30 रूपये लिये जा रहे हैं। बकायदा इसके बदले रसीद भी दी जा रही है। क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि इस रसीद की भी जांच होना चाहिये कि वह अस्पताल में जमा हो रही है या नहीं डॉ. खुद सिराली में ही अपने निवास पर अंग्रेजी दवाई का मेडिकल स्टोर भी चला रहे हैं। इस मेडिकल पर अप्रशिक्षित लडक़े बैठा दिये गये हैं। बताते है कि जांच होगी तो मेडिकल स्टोर का लायसेंस ऐसे व्यक्ति के पास है जो भोपाल में काम कर रहा है। किराये पर लिये गये इस लायसेंस की जांच भी हरदा ड्रग इंस्पेक्टर को करना चाहिये। लेकिन वह ऐसा नहीं करते। जिस व्यक्ति के नाम से लायसेंस बनाया गया है। वह भोपाल में एक बड़ी पैथॉलॉजी चला रहा है। पहले उसने फार्मेसी किया था लेकिन बाद में डीएमएलटी करने के बाद भोपाल चला गया। जमा जमाया मेडिकल दवाईयों सहित डॉ. ने ही सौदा कर ले लिया है। सिराली में अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं है। फिर भी यहां धड़ल्ले से एक्स-रे खींचे जा रहे है एवं सोनोग्राफी खुलेआम की जा रही है।
इस मामले की भी जांच होनी चाहिए। बगैर रेडियोलॉजिस्ट के ऐसा काम हो सकता है? अस्पताल के एक दो लोगों को छोडक़र पूरा स्टॉफ डॉ. की गतिविधियों के कारण नाराज है। ऐसी परिस्थिति में डॉ. का तबादला इसलिये भी जरूरी है कि सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिलता। सरकार दावा करती है कि बिना उपचार के अभाव में किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं होना चाहिये। लेकिन सरकार द्वारा खासकर शिवराजसिंह जैसे संवेदनशील मुख्यमंत्री द्वारा पचासों तरह की योजनायें और इनमें भरपूर बजट के बावजूद डॉ. अशोक वर्मा जैसे चिकित्सकों की कार्यप्रणाली के चलते गरीबों का उपचार ही नहीं हो पा रहा। सिराली के सरकारी अस्पताल में यह गरीब अपने परिजन को लेकर भटकते रहे हैं।
लेकिन डॉ. अशोक वर्मा अपने घर में ही फीस लेकर मरीज देखा करते हैं। इसी घर में मेडिकल स्टोर्स और छोटी पेथॉलॉजी तक खोल रखी है। इतना ही नहीं डॉ. अशोक वर्मा की पत्नी श्रीमती रश्मी वर्मा भी इसी चिकित्सालय में मेडिकल ऑफि सर के पद पर कार्यरत है। दोनों पति-पत्नी इस क्षेत्र में खुलकर निजी प्रेक्टिस कर रहे है। जबकि सरकार इन्हें वेतन सरकारी खजाने से गरीबों के उपचार के लिए दे रही है।
No comments:
Post a Comment