भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र
पतंजलि योग संस्थान बनाएगी मध्यप्रदेश सरकार
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की पहल पर शासन ने दिए आनन फानन में कार्रवाई के निर्देशभोपाल,02 जनवरी। महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि गोंदरमऊ में मध्यप्रदेश सरकार जल्दी ही एक योग संस्थान का निर्माण करवाएगी। इसमें योग प्रशिक्षण के अलावा महर्षि पतंजलि प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र की गतिविधियां चलाई जाएंगी। मध्यप्रदेश सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग आयुष विभाग के अलावा संस्कृति विभाग भी इस परियोजना से जुड़े रहेंगे। इस प्रस्तावित महर्षि पतंजलि चिकित्सा केन्द्र में यज्ञीय चिकित्सा, भोजन चिकित्सा और सूर्य किरण चिकित्सा जैसी तमाम सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। इंटरनेशनल योग कंफेडरेशन और भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र के प्रस्ताव पर सरकार ये कदम उठाने जा रही है।
पिछले सात दिनों से भोपाल में चल रहे नारायणीयम् यज्ञ के अंतिम दिन आज शासन ने इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अनुपस्थिति के कारण इंटरनेशनल योग कंफेडरेशन की अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष महामंडलेश्वर गायत्री देवी(एमी ब्लेसियो)के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह से मुलाकात की थी।इस प्रतिनिधि मंडल ने जब श्री सिंह को बताया कि लगभग पैंसठ देशों के प्रमुख लोग महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि करीब से देखने आना चाहते हैं तो उन्होंने इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रमुख सचिव आर. परशुराम से अनुरोध किया। श्री सिंह ने मुख्य सचिव से कहा कि इस सबंध में केनद्र सरकार के पर्यटन मंत्री श्री सहाय पिछले साल लगभग 1300 करोड़ रुपए देने की घोषणा कर चुके हैं लेकिन मध्यप्रदेश सरकार वह राशि नहीं ले पाई। इस बार राज्य सरकार का ये प्रस्तवा पहुंचते ही आवश्यक धनराशि केन्द्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को मुहैया करा दी जाएगी। मुख्य सचिव ने इस प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की और मुख्यमंत्री सचिवालय के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव को आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने इस प्रस्ताव को अमली जामा पहनाने के लिए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य श्री प्रवीर कृष्ण को आवश्यक प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने संस्कृति विभाग की ओर से श्री पंकज राग को भी एक प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए।
श्री मनोज श्रीवास्तव ने प्रतिनिधि मंडल में सुश्री एमी ब्लेसियो के साथ गए इंडो यूरोपियन चैंबर आफ स्माल एंड मीडियम एंटर प्राईजेस के भारत प्रमुख श्री विजय तिवारी और भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की सलाहकार लक्ष्मी ठाकुर सिंहल को आश्वासन दिया कि सरकार की ओर से भोपाल आने वाले विदेशी सैलानियों का पूरा सत्कार किया जाएगा। इसके लिए राज्य शासन की ओर से तय समय सीमा में सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएंगी।
इससे पहले आज सुबह इस प्रतिनिधि मंडल ने संत हिरदाराम मेडिकल कॉलेज आफ नैचरोपैथी एंड यौगिक साईंस के विद्यार्थियों से मुलाकात की। यहां आयोजित एक कार्यक्रम में महामंडलेश्वर गायत्री देवी ने कहा कि महर्षि पतंजलि के योग सूत्र वास्तव में खुशियों का खजाना हैं। जो इन सूत्रों को पढ़ समझकर अपने जीवन में उतारेगा उसका जीवन समृद्ध और सफल बन जाएगा। उन्होंने महाविद्यालय में योग की शिक्षा ले रहे देश विदेश के विद्यार्थियों से कहा कि वे संत हिरदाराम और उनके शिष्य सिद्धभाऊ की तरह समाजसेवा का संकल्प लें तो वे समाज के लिए उपयोगी साबित होंगे। उन्होंने कहा कि योगा के नाम पर जो दिखावा हो रहा है उससे प्रभावित न होकर युवाओं को महर्षि पतंजलि के योग सूत्रों का अध्ययन और मनन करना चाहिए। अध्ययन के बाद यदि युवा उन विषयों का स्वाध्याय करेंगे तो वे विषय को अच्छी तरह समझ जाएंगे। उन्होंने जीवन में पवित्रता अपनाने और पृथ्वी को पवित्र रखने के लिए पालीथीन का कम से कम उपयोग करने की सलाह भी दी।
इसी कार्यक्रम में बरकतउल्लाह विवि के पूर्व कुलपति और मध्यप्रदेश की एडमीशन और फीस नियामक कमेटी (एएफआरसी) के अध्यक्ष प्रो.हर्षवर्धन तिवारी ने कहा कि महर्षि पतंजलि के योग सूत्र हमारे शरीर में काम कर रहे असंख्य न्यूरॉनों को संयमित करते हैं। शरीर की इन अनजानी गतिविधियों को संयमित करना ही वास्तव में योग है।
सभी अतिथियों ने बाद में जीव सेवा संस्थान समूह की ओर से चलाए जा रहे लड़कियों के प्रबंधन संस्थान का भ्रमण भी किया। इससे पहले सभी आगंतुकों ने विद्यासागर पब्लिक स्कूल पहुंचकर छोटे छोटे बच्चों से मुलाकात की। सुश्री एमी ब्लेसियो ने बच्चों को प्यार किया और हिंदुस्तान की नई पीढ़ी को तराशने के इस अभियान की तारीफ की।
अतिथियों का सत्कार करने पहुंचे संत हिरदाराम गर्ल्स कॉलेज के डायरेक्टर श्री हीरो ज्ञानचंदानी, विद्यासागर पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर श्री भगवान दामानी, संस्थान की डायरेक्टर श्रीमती शशि राय, संस्थान के प्राचार्य और अन्य पदाधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। संस्थान की ओर से श्रीमती शशि राय ने सभी अतिथियों का शाल और श्रीफल से अभिनंदन किया। स्मृति के रूप में सभी अतिथियों को मार्गदर्शक पुस्तकों और डीवीडी का संग्रह भेंट किया गया।
भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र आनंदनगर में पतंजलि योग सप्ताह के दौरान आयोजित नारायणीयम् यज्ञ के अंतिम दिन आज योगिनी वीवी कल्याणी ने कथा का विधिवत समापन भी किया। यज्ञ के अंतिम दिन आज भंडारे का आयोजन भी किया गया।
भोपाल चाहेगा तो लगेगा विदेशियों का जमघटः एमी ब्लेसियो
भोपाल,01 जनवरी। डाओ केमिकल्स के खिलाफ लंदन ओलंपिक में सबसे पहले झंडा उठाने वाली इंटरनेशल योग कंफेडरेशन की अध्यक्ष महामंडलेश्वर गायत्री देवी(एमी ब्लेसियो) ने कहा है कि उनके फेडरेशन से जुड़े सभी 65 देशों के लोग महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि को करीब से देखना चाहते हैं। भोपाल के लोग जब भी चाहें राजधानी में विदेशियों का जमघट लग सकता है। उन्होंने कहा कि वे फिलहाल ये प्रयास कर रहीं हैं कि भोपाल के युवाओं को उन सभी देशों की भाषाएं सिखाई जाएं ताकि वे मध्यप्रदेश आने वाले पर्यटकों को भारतीय संस्कृति और योग की जानकारी दे सकें।नारायणीयम यज्ञ स्थल पर आज सभी दिनों की तरह औषधीय समिधा का हवन किया गया। इसी परिसर में ही योगिनी वीवी कल्याणी ने नारायणीयम कथा का वाचन किया और भक्तों को प्रसाद के रूप में उपहार बांटे।अपने इसी अभियान के तहत इटली की मूल निवासी सुश्री एमी ब्लेसियो आज एमपीनगर जोन-1 स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ फारेन लेंग्वेजेस भी पहुंची। यहां उन्होंने विदेशी भाषाएं सीख रहे युवाओं से चर्चा की और उन्हें इंटरनेशनल योग कंफेडरेशन से जुड़े सभी 65देशों में पर्यटन, कारोबार फैलाने, नौकरियां करने का आमंत्रण भी दिया। महामंडलेश्वर गायत्री देवी ने बताया कि वे लगभग चालीस सालों से हिंदुस्तान के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण कर रहीं हैं। उन्होंने बताया कि उनके कंफेडरेशन के कार्यक्रम साल भर पूरी दुनिया में चलते रहते हैं। भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव रखने वाली महामंडलेश्वर गायत्री देवी ने बताया कि महर्षि पतंजलि के योग सूत्र संस्कृत में हैं उनका इटेलियन भाषा और जर्मन भाषा में अनुवाद हो चुका है। कंफेडरेशन से जुड़े लोग अन्य देशों की भाषाओं में इस ग्रंथ का अनुवाद इटेलियन या जर्मन भाषा से कर रहे हैं लेकिन इससे मूल ग्रंथ की आत्मा मर जाती है। यदि भारतीय संस्कृति की समझ रखने वाले युवा इस ग्रंथ का अनुवाद संस्कृत से इन देशों की भाषाओं में करेंगे तो दुनिया भर में भारतीय संस्कृति को सही परिप्रेक्ष्य में समझा जा सकेगा।
भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र परिसर में चल रहे नारायणीयम् यज्ञ में भाग लेने आईं सुश्री एमी ब्लेसियो जब इंस्टीट्यूट आफ फारेन लैंग्वेजेस पहुंची तो वहां मौजूद संस्थान के संचालक जिगर एन पंड्या और युवाओं ने उनका भावभीना स्वागत किया। इस मौके पर कंफेडरेशन के सदस्य श्री विजय तिवारी ने बताया कि 2006 में उन्हें मह्रषि पतंजलि की जन्मस्थली गोंदरमऊ के बारे में शोध पत्र की जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिली थी। उस वक्त वे सांसद थे और दिल्ली में उनके साथ गए भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र के संस्थापक आचार्य हुकुमचंद शनकुशल से चर्चा के दौरान ये बात सामने आई थी। राजधानी की प्रख्यात शोध शिक्षिका सुश्री गोमती शनकुशल जी के इस शोध पत्र को पढ़कर उन्होंने महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि को वैश्विक पटल पर उभारने का संकल्प लिया था। उन्होंने बताया कि आज कंफेडरेशन से जुड़े तमाम पैंसठ देशों के लोग भोपाल को गैस त्रासदी के अलावा महर्षि पतंजलि के नाम से भी पहचानते हैं। उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि को इन देशों के लोग चरक, और कामसूत्र से जोड़कर पहचानते हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल योग कंफेडरेशन का प्रयास है कि इन देशों के लोगों को महर्षि पतंजलि के योग सूत्र उनकी भाषा में समझाए जाएं। उन्होंने कहा कि योग के ये सूत्र न केवल स्वास्थ्य बल्कि व्यापार, प्रबंधन,और जीवन की सभी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं।
सुश्री एमी ब्लेसियो ने युवाओं को संस्कृत में एक भजन भी गाकर सुनाया।
नारायणीयम् यज्ञ में महकी वसुधैव कुटुंबकम की सुगंध
भोपाल 31 दिसंबर। भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र परिसर में चल रहे नारायणीयम् यज्ञ में आज वसुधैव कुटुंबकम की भावना का उद्घोष करते हुए आहुतियां डाली गईं। योगिनी वी. वी. कल्याणी सुब्रमणियन और इटली से आईं महामंडलेश्वर गायत्री देवी(एमी ब्लेसियो) ने वेदों की ऋचाओं की ध्वनि के बीच औषधीय हवन सामग्री यज्ञ वेदी को समर्पित की।पांच दिनों से लगातार यज्ञ वेदी को समर्पित की जा रहीं वनौषधियों के धुएं की खुशबू ने आसपास के वातावरण को नई ऊर्जा से भर दिया है। आज यज्ञ के हवन में शामिल हुए श्रद्धालुओं ने नारायणीयम् पाठ में भी हिस्सा लिया। इसी परिसर में अंतर्राष्ट्रीय योग कंफेडरेशन ने प्राकृतिक चिकित्सा शिविर भी लगाया है। इस शिविर में कई गंभीर रोगों से प्रभावित व्यक्तियों का इलाज भारतीय चिकित्सा पद्धतियों से किया जा रहा है। शिविर में लकवा पीड़ित मरीजों और रहस्यमयी बाधाओं से प्रभावित लोगों का भी इलाज किया जा रहा है। एक ऐसी ही महिला का इलाज भी यज्ञीय चिकित्सा विधि से चल रहा है।
परिसर में आज इंडो यूरोपियन चैंबर आफ स्माल एंड मीडियम एंटर प्राईजेस का प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में संगठन के भारतीय प्रमुख विजय तिवारी ने बताया कि ये संगठन भारतीय उद्यमियों को यूरोप के देशों में कारोबार फैलाने के लिए मार्गदर्शन करता है। इसके साथ ही लगभग पैंसठ देशों के उद्यमियों को हिंदुस्तान में कारोबार फैलाने में भी मदद करता है। उन्होंने बताया कि ये संगठन भारतीय युवाओं को अपना रोजगार विकसित करने में मदद करता है। उन्होंने कहा कि भारत और यूरोप के कई देशों में कम्यून की भावना से जुड़े उद्योग विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इससे जहां कम लागत में औद्योगिक विकास हो सकेगा वहीं रोजगार के ज्यादा साधन भी विकसित हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि वेदों में वर्णित वसुधैव कुटुंबकम की भावना पर ही इंडो यूरोपियन चैंबर आफ स्माल एंड मीडियम एंटर प्राईजेस नाम का ये संगठन पैंसठ देशों के युवाओं का मार्गदर्शन कर रहा है। इटली से आए पटकथा लेखक श्री पावलो ने भी चर्चा में भाग लिया।
यज्ञ के प्रथम सत्र में भाग लेने के बाद मंगलवार को सुश्री एमी ब्लेसियो एमपी नगर स्थित विदेशी भाषा अध्ययन केन्द्र में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होंगी। इस केन्द्र में कंफेडरेशन से जुड़े सभी पैंसठ देशों की भाषाएं सिखाई जाएंगी। भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र स्थानीय युवाओं को महर्षि पतंजलि योग विद्याओं से शिक्षित करके इन देशों में भेजने की व्यवस्था करेगा। जिन देशों के विद्यार्थी महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि भोपाल आकर योग विद्या का अध्ययन करना चाहेंगे वे भी इस सेंटर में भाषा सीख सकेंगे।
नारायणीयम् यज्ञ में आज दामिनी को सबला बनाने का संकल्प
यज्ञीय चिकित्सालय से बुलंद मनोबल वाले समाज का निर्माण संभवःआचार्य शनकुशलभोपाल,30 दिसंबर। दिल्ली में असामाजिक तत्वों के गेंगरेप और कत्ल का शिकार हुई बेकसूर दामिनी ने आज राजधानी के नारायणीयम् यज्ञ में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। यज्ञ में शामिल धर्मप्रेमी श्रद्धालुओं ने दामिनी को अपनी श्रद्धांजलि दी और संकल्प लिया कि वे अपने आसपास इस तरह की किसी घटना को नहीं होने देंगे। साथ ही उन्होंने लड़कियों को शिक्षित और समर्थ सबला बनाने का संकल्प भी लिया।
यज्ञ में शामिल अंतर्राष्ट्रीय योग कंफेडरेशन की अध्यक्ष सुश्री एमी ब्लेसियो ने भी इस यज्ञ में भाग लिया और उन्होंने नारी शक्ति के इस अभियान में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई। बाद में यज्ञाचार्य योगिनी वी.बी. कल्याणी सुब्रमणियन ने कहा कि समाज में लगातार नैतिक संवाद कायम करके युवा शक्ति को सकारात्मक दिशा में अग्रसर किया जा सकता है।
भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र के संस्थापक आचार्य हुकुमचंद शनकुशल ने इस मौके पर बताया कि आम लोगों को बुलंद मानसिक मनोबल वाले समाज में बदलने में यज्ञीय चिकित्सालय बहुत कारगर उपक्रम है। यज्ञ करने और उसे सफल बनाने में जुटने वाले श्रद्धालुओं को जीवन का सार समझाना बहुत सरल हो जाता है। उन्होंने कहा कि समाज को यज्ञीय चिकित्सालय के साथ साथ भोजन चिकित्सालयों की भी सख्त जरूरत है। आधुनिक हिंदुस्तान में चाहे जितनी आर्थक प्रगति हो गई हो लेकिन लोगों का भोजन उन्हें पर्याप्त पोषण नहीं दे रहा है। ऊंची दूकान फीका पकवान जैसे संस्थानों पर टूटे पड़ रहे लोग वास्तव में कुपोषण की चपेट में आ जाते हैं जिससे कई तरह की बीमारियां उन्हें जकड़ लेती हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र के मौजूदा भोजन चिकित्सालय में लोगों को इस तरह का पौष्टिक भोजन बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है जो विभिन्न रोगों के निदान में सहयोगी साबित होता है। चिकित्सकीय पद्धति से बना ये भोजन बलिष्ट और स्वस्थ शरीर बनाने में सहयोगी साबित होता है। भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र समाज में कम्यून का भाव विकसित करने का प्रयास कर रहा है जो शक्तिशाली हिंदुस्तान की नींव साबित होगा।
उन्होंने बताया कि भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र में पिरामिड थेरेपी सेंटर विकसित किया जा रहा है। गोमेद के बारीक पत्थरों से आने वाली सूर्य किरणों से यहां जल्दी ही कई तरह के रोगों का उपचार फिर शुरु हो जाएगा। ये चलित थेरेपी सेंटर अलग अलग रोगियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाए जा रहे हैं।
आज यज्ञ स्थल पर आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा के भतीजे तरुण पटवा और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी श्री खान भी पहुंचे। इंटरनेशनल योग कंफेडरेशन की अध्यक्ष सुश्री एमी ब्लेसियो ने उन्हें प्रतीक चिन्ह और देश के सभी प्रमुख 12 धर्मों के धर्मग्रंथ भेंट किए। इस कार्यक्रम में जनसंपर्क अधिकारी सुश्री उमा भार्गव, इटली के प्रमुख पत्रकार श्री पावलो, इंटरनेशनल योग कंफेडरेशन की पदाधिकारी सुश्री लक्ष्मी ठाकुर सिंघल, योग कंफेडरेशन से जुड़े सभी 65 देशों से तालमेल बिठाने वाले श्री विजय तिवारी, सुश्री शुभ्रा शनकुशल,क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला की वैज्ञानिक सुश्री मोहिनी सक्सेना,सुबुद्धो चक्रवर्ती, मुकेश गुप्ता, सुश्री शैलजा सिंघई और कई अन्य श्रद्धालुजन भी उपस्थित थे।
नारायणीयम् यज्ञ ने बनाया धनात्मक ऊर्जा का सिद्धक्षेत्र
भोपाल,29 दिसंबर। आनंदनगर स्थित भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र में चल रहे नारायणीयम् यज्ञ ने समूचे भूमंडल में धनात्मक ऊर्जा का माहौल बना दिया है। यहां हो रहीं औषधीय आहुतियों से जो खुशबू फैल रही है उसने अब कई जीर्ण रोगों से मुक्ति का असर पैदा कर दिया है। नारायणीयम् यज्ञ की यज्ञाचार्य योगिनी वी.बी. कल्याणी सुब्रमणियन ने इस मौके पर कहा कि ये यज्ञ समस्त मनोकामनाएं पूरी करता है और इसका असर अवश्यंभावी है।योगिनी बी.वी. कल्याणी ने आज कृष्ण अवतार जन्म के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आमतौर पर नारायणीयम् यज्ञ संस्कृत में होता है पर लोगों की सुविधा के लिए 85 वर्षीय योगिनी कल्याणी इसे हिंदी में भी समझाती हैं। इटली से आईं इंटरनेशनल योग कंफेडरेशन की अध्यक्ष एमी ब्लेसियो और उनके साथ आयोजन में शामिल श्री पावलो ने भी यज्ञ में अपनी आहुतियां डालीं।
आयोजन में शामिल इंटरनेशनल योग कंफेडरेशन की भारत इकाई की सदस्य और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सचिव लक्ष्मी ठाकुर सिंघल ने बताया कि कल नारायणीयम् यज्ञ में सुदामा मिलन प्रसंग होगा। इस आयोजन के लिए लोग चार मुट्ठी चिवड़ा ला रहे हैं। इस चिवड़े को जो लोग अपने खजाने में रखेंगे उनकी चहुंओर उन्नति होने लगेगी।
नारायणीयम् यज्ञ के प्रभाव की विवेचना करते हुए भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र के संस्थापक आचार्य हुकुमचंद शनकुशल ने बताया कि यज्ञ का असर हमारी समूची मनोदशा पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमारे चारों वेद विज्ञान आधारित सूत्रों से भरे पड़े हैं। इन चारों वेदों के आधार पर आयुर्वेद की रचना की गई है। यही कारण है कि आयुर्वेद में निष्णांत होने की चाहत रखने वालों को इन चारों वेदों का अध्ययन करना अनिवार्य है। जो लोग इन वेदों के ज्ञान को आत्मसात करने की क्षमता नहीं रखते वे कभी सफल आयुर्वेद चिकित्सक नहीं बन सकते।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में भूत व्याधि का इलाज करने की व्याख्या भी दी गई है। भूत विद्या की पराकाष्ठा तक पहुंचने वाले लोग ही परकाया प्रवेश, मुर्दा आदमी को जिंदा करने और बीमार इंसान को स्वस्थ करने जैसे चमत्कार कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि मेडीकल साईंस ने भी इस गूढ़ विद्या का अस्तित्व स्वीकार कर लिया है लेकिन वह उसकी प्रक्रिया विकसित नहीं कर पाया है। उन्होंने बताया कि जिन लोगों की जन्मकुंडली के पांचवे घर में केतु और मंगल की युति बन जाती है उनके रोगों का निदान बहुत कठिन हो जाता है। आचार्य शनकुशल ने बताया कि भूतबाधा दूर करने के लिए शीथ देने की व्यवस्था की गई है। इसे शेर की चर्बी, सुअर की चर्बी,गौ लोचन, सफेद गुंगुची, सांप की केंचुली आदि से सिद्ध करके बनाया जाता है। आमतौर पर तांत्रिक लोग इन विद्याओं के प्रयोग से सम्मोहन, वशीकरण और उच्चाटन जैसी क्रियाएं करते हैं। इन विधाओं के वैज्ञानिक तरीके से इस्तेमाल से गँभीरतम जीर्ण रोगों से भी निजात पाई जा सकती है।
क्वान्टम सिद्धांतों जैसा सटीक है यज्ञः प्रो. हर्षवर्धन तिवारी
भोपाल,28 दिसंबर। मध्यप्रदेश की एडमीशन और फीस नियामक कमेटी (एएफआरसी) के अध्यक्ष प्रो.हर्षवर्धन तिवारी का कहना है कि यज्ञ की आहूतियां और उनसे उठने वाली सुगंध क्वाण्टम भौतिकी के सिद्धांतों जैसे सटीक असर पैदा करते हैं। योग से जहां चित्त की वृत्तियों का नियमन होता है वहीं यज्ञ से इन संयमित वृत्तियों को उन ऊंचाईयों तक पहुंचाया जाता है जहां हम भौतिक साधनों से कतई नहीं पहुंच सकते। भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र में चल रहे नारायणीयम् यज्ञ के दौरान आयोजित एक कार्यक्रम में इस विषय पर लिखी गई प्रो. तिवारी की एक किताब का विमोचन किया गया।उन्होंने कहा कि वेदों और पारंपरिक ज्ञान के भंडार में कई अध्याय आज भी ऐसे हैं जिन पर पर्याप्त प्रकाश नहीं डाला जा सका है। भारतीय संस्कृति में छुपे पड़े इसी अमूल्य ज्ञान भंडार को निकालने के लिए पिछले साल आयोजित एक संगोष्ठी के दौरान उन्हें ये पुस्तक लिखने की प्रेरणा मिली थी। उन्होंने बताया कि हमारी चेतना को नियंत्रित करने में घ्राण इंद्रिय का योगदान सबसे अधिक होता है। गंधों से हम अपनी चेतना को नियंत्रित कर सकते हैं। यही कारण है कि हर गंध अपनी अलग आवृत्ति पैदा करती है। जो न्यूरॉन हमें गंध का संदेश पढ़ने में मदद करते हैं वही इसे दवा का स्वरूप भी प्रदान कर देते हैं। कई बार किसी गंध को सूंघकर हमारे रौंगटे खड़े हो जाते हैं। कई बार यही गंध हमारे मनोविकारों को नष्ट करने में भी मददगार साबित होती है। आधुनिक विज्ञान जिन स्थानों पर हमारा अस्तित्व शून्य महसूस करती है उन स्थानों पर इन्हीं गंधों का असर एक नई दुनिया की सैर कराता है।
प्रो. तिवारी ने कहा कि अपने पिता को योग करते देखकर मुझे जो बातें समझ नहीं आती थीं वे बातें आज पुस्तक लिखते समय मुझे चमत्कारी नजर आती हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय योग में लिखे गए हर शब्द पर पूरा अनुसंधान ग्रंथ लिखा जा सकता है। पूरी दुनिया जानती है कि भारत ऋषि मुनियों का देश है। शेष विश्व को अब ये समझाने का वक्त करीब आ गया है कि हिंदुस्तान का ये ज्ञान मानव मात्र के लिए कल्याणकारी है। इसके लिए हमें योग को अपनी शिक्षा में शामिल करना होगा। योग पर अनुसंधान हों और भारतीय ज्ञान के अनछुए पहलुओं पर पड़ा पर्दा हटाया जाए।
इसी अवसर पर भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र के संस्थापक आचार्य हुकुमचंद शनकुशल ने यौगिक चिकित्सा से उपचार की पद्धति का प्रदर्शन किया। उन्होंने एक युवती की उलझी मनोदशा की चेतना लौटाने का प्रयोग भी दिखाया। इसके बाद उस युवती को उन्होंने यज्ञ वेदी की परिक्रमा करने के निर्देश दिए। वेदी की परिक्रमा करने के बाद युवती ने बताया कि वह अब स्वस्थ महसूस कर रही है।
कार्यक्रम के अंत में इंटरनेशनल योग कंफेडरेशन के प्रतीक चिन्ह में प्रदर्शित सभी 12 धर्मों के ग्रंथ इस आयोजन के स्मृति चिन्ह के साथ मेहमानों को भेंट किए गए। कंफेडरेशन के संयोजक श्री विजय तिवारी ने बताया कि भारतीय योग की विभिन्न विधाओं को विश्व पटल पर लाकर हम हिंदुस्तान को विश्व गुरु के रूप में आसानी से स्थापित कर सकेंगे। जैसे जैसे लोगों के बीच भारतीय ज्ञान की साख बढ़ेगी, आम लोगों का जीवन भी सहज और सफल होता जाएगा।
कार्यक्रम में उत्तराखंड योजना आयोग के पूर्व सदस्य प्रताप सिंह बिष्ट, लक्ष्मी ठाकुर सिंघल, पिरामिड चिकित्सा की विशेषज्ञ सुश्री नलिनी और सुश्री सरोज भी उपस्थित थीं। सुश्री नलिनी इन दिनों भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र में अकीक का पिरामिड बनवा रहीं हैं। कार्यक्रम में सर्वश्री अजय राज सक्सेना, विनोद विश्वकर्मा, मुकेश गुप्ता और कई गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।
नारायणीयम् यज्ञ में आज स्वस्थ विश्व के लिए आहुतियां संपन्न
भोपाल,27 दिसंबर। भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र आनंदनगर में चल रहे नारायणीयम् यज्ञ में आज समूची मानवता के उत्तम स्वास्थ्य के लिए तरह तरह की जड़ी बूटियों की आहुतियां डाली गईं। वेद आधारित इस यज्ञीय चिकित्सालय में उन गुप्त बाधाओं के निदान के लिए भी आहुतियां हुईं जिनका समाधान आधुनिक चिकित्सा विधियों से भी संभव नहीं हो पा रहा है। योगिनी बी.वी.कल्याणी सुब्रमणियन ने वेदों की उन ऋचाओं का विशेष रूप से मंत्रोच्चार किया जिनके माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी गुत्थियों को सहजता से सुलझाया जा सकता है।
योगिनी बी.वी.कल्याणी सुब्रमणियन ने बताया कि नारायणीयम् यज्ञ का ये वैज्ञानिक स्वरूप देश भर में अपनी विशेष साख रखता है। यज्ञ के इस स्वरूप को समझने वालों में मानव कल्याण की आहुतियां डालने की होड़ लगी रहती है। इस यज्ञ की धूनी लोगों को कई रोगों और भूतबाधाओं से भी राहत दिलाती है। आज के यज्ञीय आयोजन में इटली से आईं महामंडलेश्वर गायत्री देवी(सुश्री एमी ब्लेसियो) ने भी भाग लिया।
नारायणीयम् यज्ञ की महिमा बताते हुए आचार्य हुकुमचंद शनकुशल ने कहा कि जिन लोगों की आयु आचार विचार और अज्ञान के कारण क्षीण हो चुकी है वे भी इस यज्ञीय चिकित्सालय में अपना जीवन संवार सकते हैं। ये यज्ञ आम आदमी की पहुंच के भीतर है। उन्होंने कहा कि यदि यज्ञीय समिधाओं से मानव जीवन का कल्याण न हो सके तो यज्ञ करना व्यर्थ का उपक्रम बनकर रह जाता है। उन्होने बताया कि यज्ञ एक तरह से आग्नेय चिकित्सा है जिससे गंभीर रोगों, जैसे ह्दय रोग, लकवा, और रोग प्रतिरक्षा प्रणाली खराब होने जैसे तमाम रोगों का समाधान संभव है। उन्होंने बताया कि ऋग्वेद की ऋचाओं में वायरस और अन्य जीवाणुओं को नष्ट करने की क्षमता है। यज्ञ की धूनी इंसान की कोषिकाओं तक समा जाती है। इसका असर बहुत तेज होता है और दमा तक के रोगियों की सांस सहज बना देता है।
आचार्य हुकुमचंद शनकुशल ने बताया कि धूम चिकित्सा नैनो मेडिसिन का काम करती है। लोग कहते हैं कि यज्ञ से घी को आग में जलाकर बर्बाद किया जाता है, जबकि हिंदुस्तान के पंडितों ने जर्मनी में यज्ञ करके साबित किया है कि 65 किलोमीटर तक की ऊंचाई तक का क्षेत्र यज्ञ के धुंएं से वायरस विहीन हो जाता है। उन्होंने बताया कि गूगल की धूनी से गिरगिट दूर भाग जाते हैं। बड़े बड़े जानवर यज्ञ की सुगंध से भाग खड़े होते हैं। इसी प्रकार यज्ञ होते ही गंभीर रोग भी सिर पर पांव रखकर भागने लगते हैं।
उन्होंने बताया कि यज्ञ में जो हमें नजर आता है वही घटना हमारे भीतर भी घट रही होती है। हमारा भोजन भी यज्ञ की तरह ही होता है। यदि हम ज्यादा समिधा डालें तो अग्नि मंद हो जाती है और कब्ज होने लगता है। इसी अग्नि को तेज करने के लिए हमें उपवास की सलाह दी जाती है। जिन्हें यज्ञ का विज्ञान आ जाता है वे मानव शरीर की कई गुत्थियां आसानी से सुलझा सकते हैं।इस विज्ञान को समझने के लिए यज्ञ में शामिल होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र इसी विधा पर आधारित यज्ञीय चिकित्सालय स्थापित करने के लिए लगभग पच्चीस सालों से प्रयोग कर रहा है। इन प्रयोगों को वैज्ञानिक कसौटियों पर भी कसा जा चुका है। सौ से अधिक ऐसे गंभीर रोगियों को रोग मुक्त किया जा चुका है जिन्हें आधुनिक चिकित्सा विधि ने लाईलाज मान लिया था। उन्होंने कहा कि अब इंटरनेशनल योग कंफेडरेशन के सहयोग से इस यज्ञीय चिकित्सालय की राह प्रशस्त हो गई है।
कलश यात्रा के साथ नारायणीयम् सप्ताह यज्ञ का भव्य शुभारंभ भोपाल,26 दिसंबर। भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र आनंदनगर में आज कलश यात्रा के साथ सात दिनों तक चलने वाले नारायणीयम् सप्ताह यज्ञ का भव्य शुभारंभ हो गया। यज्ञाचार्य योगिनी वी.बी.कल्याणी सुब्रमणियन ने कलश स्थापना के साथ ही यज्ञ वेदी की स्थापना की। इस मौके पर महिलाओं ने मंगलोत्सव भी मनाया।
विश्व कल्याणार्थ सात दिनों तक चलने वाले इस नारायणीयम् सप्ताह यज्ञ का आयोजन तीसरे महर्षि पातंजलि सप्ताह महोत्सव के अंतर्गत किया जा रहा है। इस दौरान यज्ञों की आहुतियों के साथ साथ दुनिया के कई देशों से आने वाले योग साधक मानव शरीर के कई रहस्यों का वैज्ञानिक रीतियों से विश्लेषण भी प्रस्तुत करेंगे। यज्ञ की औपचारिक शुरुआत के मौके पर योगिनी वी.बी.कल्याणी सुब्रमणियन ने कहा कि नारायणीयम् भगवत कार्य है। इसकी रचना शेषावतार नारायण भट्टाश्री ने की है। इनका जन्म महर्षि पातंजलि के बाद हुआ था। उन्होंने कहा कि यज्ञ में होने वाली आहुतियां मानव कल्याण के कई नए आयाम विकसित करेंगी।
यज्ञ की विधिवत शुरुआत के लिए आज दोपहर आनंद नगर स्थित राम मंदिर से भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र परिसर स्थित यज्ञशाला तक कलश यात्रा निकाली गई। सिर पर कलश लेकर परिसर पहुंची महिलाओं की आगवानी स्वयं योगिनी वी.बी. कल्याणी सुब्रमणियन ने की। उनके साथ इंटरनेशनल योग कंफेडरेशन की अध्यक्ष महामंडलेश्वर गायत्री देवी(एमी ब्लेसियो, इटली) भी उपस्थित थीं।कलश यात्रा के बाद यज्ञाचार्यों ने विष्णु सहस्त्रनामम् ,विष्णुभुजंगम , नारायणियम महात्म्य का पाठ किया। इसके बाद भजनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी हुआ।
कल सुबह सात बजे से गणपति होमम् के बाद यज्ञ की आहुतियां प्रारंभ होंगी। विष्णु सहस्त्रनामम् , विष्णु भुजंगम, नामवली (भजन) , और प्रसादम के साथ नारायणीयम सप्ताह की अन्य गतिविधियां भी प्रारंभ हो जाएंगी। परायणम् -वराह अवतारम् के बाद यज्ञ की महिमा व्यक्त करने वाले प्रभाषणम् होंगे। शाम को परायणम् (भजन) के साथ साथ भागवत बारहवां स्कंद बारहवां अध्याय के पाठ होंगे। ललिता सहस्त्रनामम् के बाद आरती और भजन का आयोजन होगा। सास्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान गुड़ और चावल की खीर का विशेष प्रसादम् वितरित किया जाएगा।
आज कलश यात्रा की गतिविधियों में आचार्य हुकुमचंद शनकुशल, श्रीमती शुभ्रा शनकुशल, वास्तुशास्त्री बद्री नारायण उपाध्याय, भारतीय योग कंफेडरेशन के श्री विजय तिवारी, श्री मुकेश गुप्ता- ममता गुप्ता, अनिल शर्मा, विनोद विश्वकर्मा, डा.विजय जैमिनी, हरिओम, संबुद्ध चक्रवर्ती, बबलू यादव, गौराबाई, पूनम, अर्चना शर्मा, सुशीला शर्मा, योगेन्द्र प्रताप(विन), मो.यूनुस और बड़ी संख्या में महिलाएं व पुरुष धर्मावलंबी भी उपस्थित थे ।
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