वह मेरी बेटी थी और उसका नाम था...ज्योति
ब्रिटिश टेबलाइड अखबार संडे मिरर के इस खुलासे के बाद एक तरह से न सिर्फ पीड़िता के नाम का खुलासा हो गया है बल्कि उसके परिवार की पहचान भी सार्वजनिक हो गई है। ब्रिटिश अखबार लिखता है कि वह बहुत सूझबूझ से यह कदम उठा रहा है और ज्योति के नाम को सार्वजनिक कर रहा है। 53 वर्षीय बद्री सिंह के हवाले से अखबार लिखता है कि उनके पिता चाहते हैं कि पूरी दुनिया उनके बेटी को नाम से जाने। बद्री का कहना है कि उनकी बेटी ने कुछ गलत नहीं किया बल्कि गलत से लड़ने का काम किया जिसके कारण उसे अपनी जान गंवानी पड़ी। इसलिए वह अपनी बेटी का नाम सार्वजनिक कर रहे हैं, और ऐसा करते हुए उन्हें गर्व है।जो काम तमाम नैतिकताओं और कानूनी रोक टोक के बीच यहां का मीडिया नहीं कर पाया वह काम सरहद के उस पार के एक ब्रिटिश टेबलाइड अखबार ने आखिरकार कर दिया। दिल्ली में दरिंदगी का शिकार बनी लड़की के पिता बद्री सिंह ने न सिर्फ अपनी बेटी का नाम सार्वजनिक कर दिया है बल्कि सिलसिलेवार तरीके से उस दिन के सारे घटनाक्रम को भी सामने रखा है। उत्तर प्रदेश में बलिया के रहनेवाले बद्री सिंह ने एक और महत्वपूर्ण खुलासा किया है कि उस रात जो लड़का अवीन्द्र पांडे उसके साथ था वह ज्योति का केवल जान पहचानवाला था, इससे ज्यादा कुछ नहीं।
ब्रिटिश अखबार लिखता है कि उस रात ज्योति अपने दोस्त अवीन्द्र के साथ फिल्म देखने गई थी। जब रात के 9.30 बजे तक वह घर नहीं लौटी तो उन्होंने ज्योति और उसके दोस्त के मोबाइल पर फोन करना शुरू किया, लेकिन न तो ज्योति के फोन पर संपर्क हो सका और न ही उसके दोस्त से बात हो सकी। इसके बाद रात 11.15 बजे पुलिस का एक फोन आया और एक दोस्त की मोटरसाइकिल पर बैठकर मैं सफदरजंग अस्पताल पहुंचा। वहां पहुंचने पर मैंने देखा कि मेरी बेटी बेसुध पड़ी है और उसकी आंखें बंद है। मैने उसके सिर पर हाथ रखा और उसका नाम पुकारा। जब मैने उसका नाम लिया तो उसने धीरे से आंखें खोली और रोने लगी। मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आंसू रोके। और उससे कहा कि बेटी हिम्मत रखो, सब ठीक हो जाएगा।
घटना के बारे में अभी भी बद्री को पता नहीं था कि वास्तव में हुआ क्या है। अंत में एक पुलिसवाले ने सारी घटना के बारे में बद्री को बताया कि किस तरह से ज्योति और उसके साथी अवीन्द्र पांडे (28) एक बस में सवार हुए और बस में उनके साथ क्या क्या घटित हुआ। बद्री का कहना है कि इसके बाद मैंने अपनी पत्नी आशा (46) और बच्चों को फोन किया और कहा कि तुम लोग जल्दी से अस्पताल पहुंचो लेकिन मैंने बलात्कार के संबध में उन्हें कुछ नहीं बताया।
बद्री का कहना है कि "शुरू के दस दिनों में वह कई बार होश में आई थी। वह कुछ बोलने की कोशिश करती थी लेकिन बोल नहीं पाती थी। उसके मुंह में पाइप लगा हुआ था। वह इशारों से बताती थी। कागज पर कुछ लिखती भी थी। वह जीना चाहती थी। हमारे साथ रहना चाहती थी।" बद्री सिंह का कहना है कि पुलिस ने दो बार उसका स्टेटमेन्ट रिकार्ड किया लेकिन दोनों ही बार वे मौजूद नहीं थे। उनका कहना है कि वे बहुत डिस्टर्ब थे और स्टेटमेन्ट के वक्त वहां रुकने की ताकत उनके अंदर नहीं थी। हालांकि बद्री सिंह का कहना है कि उसने उस रात की घटना के बारे में उन्हें बताया था कि उसके साथ क्या हुआ था। बद्री सिंह चाहते हैं कि जिन लोगों ने उनकी बेटी के साथ ऐसा राक्षसी व्यवहार किया है उन्हें फांसी की सजा मिलनी चाहिए।
बद्री सिंह का कहना है कि अस्पताल में वह उसके पास ही रहते थे। जब भी वह कहते थे कि हमलोग जल्द घर जानेवाले हैं तो उसके चेहरे पर चमक आ जाती थी, और वह मुस्कुराने लगती थी। जैसे ही उसका सिर मैं अपनी गोद में रखता था, उसकी आंखें बंद हो जाती थी।
दिल्ली हवाई अड्डे पर लोडर का काम करनेवाले बद्री का कहना है कि ज्योति का जाना उनके लिए बहुत बड़ा झटका है क्योंकि वह लड़की ही उनके परिवार का केन्द्र बिन्दु थी। बद्री कहते हैं कि वे खुद किसी भी कीमत पर उसे जिन्दा देखना चाहते थे लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी उसे बचाया न जा सका।
बद्री ने एक और महत्वपूर्ण खुलासा करते हुए कहा है कि उस रात जो 28 वर्षीय नौजवान ज्योति के साथ था वह उसका ब्वायफ्रेण्ड नहीं था। बद्री सिंह का कहना है कि ज्योति की अवीन्द्र से न तो कोई सगाई हुई थी, और न ही दोनों की शादी होनेवाली थी। क्योंकि दोनों की जातियां अलग हैं। दोनों एक दूसरे के परिचित थे, बस। फिर बी बद्री सिंह का कहना है कि अवीन्द्र ने उस रात जो बहादुरी दिखाई है, उसके लिए उनके मन में अवीन्द्र के लिए इज्जत बढ़ गई है।
sabhar- visfot news network
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