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लखनऊ। आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यूपी की सियासत में कई चौकाने वाले बदलाव देखने को मिल रहें हैं। इसी कड़ी में कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय के बाद पार्टी के मौजूदा विधायक मुख़्तार अंसारी 2017 में सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। लखनऊ जेल में बंद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी मौजूदा समय में मऊ से विधायक हैं।
अफजाल अंसारी ने शनिवार को सपा प्रदेश अध्यक्ष से मुलाक़ात के बाद कहा कि समाजवादी पार्टी जिस हिसाब से टिकट का बंटवारा करेगी उसी अनुसार चुनाव लड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि पार्टी के मौजूदा विधायक और उनके भाई मुख़्तार अंसारी सपा के ही चुनाव चिन्ह पर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि जल्द ही सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव गाजीपुर का दौरा करेंगे और एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे। बता दें की दो दिन पूर्व ही शिवपाल यादव ने कौमी एकता दल के पार्टी में विलय की घोषणा की थी।
कौन हैं मुख़्तार अंसारी
पूर्वांचल में अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह मुख्तार अंसारी मऊ, गाजीपुर, वाराणसी, जौनपुर में कुख्तार अपराधी के तौर पर जाने जाते थे। लेकिन अपराध की दुनिया के साथ ही उन्होंने 1995 में राजनीति की दुनिया में भी कदम रखा और 1996 मे विधायक बनें।
इस दौरान भी अंसारी और बृजेश सिंह में खूनी संघर्ष जारी रहा, अंसारी की एक रैली पर बृजेश सिंह धावा भी बोल दिया था। इस दौरान गोलीबारी में अंसारी के तीन लोगों की मौत हो गई थी, बृजेश सिंह बुरी तरह से घायल हो गया था और माना जा रहा था कि उसकी मौत हो गई है
कई हत्याओं का मास्टरमाइंड रहें हैं अंसारी
जिस वक्त अंसारी जेल में था उस वक्त कृष्णानंद राय और उसके छह सहयोगियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावरों ने एके 47 से 400 राउंड गोलियां चलाई थी। सात शव से 67 गोलियां मिली थी। इस मामले में मुख्य गवाह शशिकांत राय की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। हालांकि पुलिस ने इसे आत्महत्या मानने से इनकार कर दिया। इस हत्याकांड के बाद बृजेश सिंह फरार हो गया।
मुख्तार अंसारी 2007 में पहली बार बसपा विधायक बने अपने ऊपर लगे हर आरोपों से अंसारी ने इंकार किया था। उसके बाद मायावती ने उन्हें गरीबों का मसीहा बताया। यह वही दौर था जब अंसारी की छवि रॉबिन हुड के तौर पर स्थापित हुई थी। अंसारी ने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ा, उस वक्त भी वह जेल में थे, लेकिन वह भाजपा के मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ हार गया।
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