प्रदेश में वर्ष 2017-18 में 4 हजार 281 करोड़ रूपये की खनिज राजस्व आय प्राप्त हुई है। पिछले 14 वर्षो में राजस्व आय में 400 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
वर्ष 2017-18 में कोयला खनिज से 2041 करोड़ रूपये, चूना पत्थर से 363 करोड़, तांबा से 39 करोड़, बाक्साइट से 12 करोड़, मैंगनीज से 31 करोड़, आयरन से 17 करोड़ और अन्य खनिजों से 105 करोड़ रूपये की आय प्राप्त हुई है।
मध्यप्रदेश देश के आठ खनिज सम्पन्न राज्यों में से एक है। राज्य के विपुल खनिज भण्डार प्रदेश के औद्योगिक और आर्थिक विकास की प्रमुख कड़ी है। खनिज राजस्व का प्रदेश की राजकोषीय आय में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। हीरा उत्पादन में प्रदेश का राष्ट्र में एकाधिकार होने के साथ ताम्र अयस्क, मैंगनीज के उत्पादन में देश में पहला स्थान है। रॉक फास्फेट और चूना पत्थर के उत्पादन में दूसरा और कोयले के उत्पादन में प्रदेश का देश में चौथा स्थान है।
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ई-खनिज पोर्टल
प्रदेश में डिजिटल इण्डिया के तहत खनिज विभाग ने खदान ऑक्शन, परिवहन, भण्डारण आदि के क्षेत्र में अनेक नवाचार किये हैं। अब सभी 51 जिलों में ई-खनिज पोर्टल से खनिजों के परिवहन के लिये ऑनलाईन ई-टीपी सेवा सफलता से लागू है। इस व्यवस्था के सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। व्यवस्था के लागू होने से केन्द्र सरकार की केशलेस ट्रांजेक्शन की मंशा भी पूरी हुई है। खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन और भण्डारण पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिये खनिज परिवहन वाहनों के ई-रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया है। साथ ही, ऑनलाइन व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम से खनिजों की अवैध क्रियाओं को रोकने की व्यवस्था की गई है। प्रदेश की सभी खनिज खदानों की जियो फेंसिंग के साथ ही खनिज विभाग की समस्त कार्य-प्रणालियों को जल्द ही ऑनलाइन किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश देश के आठ खनिज सम्पन्न राज्यों में से एक है। राज्य के विपुल खनिज भण्डार प्रदेश के औद्योगिक और आर्थिक विकास की प्रमुख कड़ी है। खनिज राजस्व का प्रदेश की राजकोषीय आय में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। हीरा उत्पादन में प्रदेश का राष्ट्र में एकाधिकार होने के साथ ताम्र अयस्क, मैंगनीज के उत्पादन में देश में पहला स्थान है। रॉक फास्फेट और चूना पत्थर के उत्पादन में दूसरा और कोयले के उत्पादन में प्रदेश का देश में चौथा स्थान है।
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रेत खनन नीति
प्रदेश में जन-सामान्य को रेत खनिज की आपूर्ति तर्क संगत मूल्यों पर करवाने के उद्देश्य से रेत खनन नीति 2017 लागू की गई है। नीति में रेत खदानों के संचालन के अधिकार ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों को दिये गये है। अब प्रदेश में रेत खदानों का ठेका दिया जाना प्रतिबन्धित किया गया है। रेत खदानों के संचालन के पूर्व माईनिंग प्लान और पर्यावरण स्वीकृति की औपचारिकताओं को पूर्ण करने का दायित्व संबंधित जिले के कलेक्टर का होगा। नई नीति में यह भी प्रावधान किया गया है कि रेत खदानों से प्राप्त आय का 50 प्रतिशत हिस्सा पंचायत अथवा नगरीय निकाय को प्राप्त होगा। शेष 50 प्रतिशत राशि पर्यावरण और नदी संरक्षण पर खर्च की जायेगी।
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