कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष ने 14 और असंतुष्ट विधायकों को अयोग्य करार दिया |
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कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने 13 विधायक (बागी कांग्रेस-जेडीएस विधायक) अयोग्य घोषित किए गए हैं। कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष ने एक और बागी कांग्रेस विधायक श्रीमंत पाटिल को भी अयोग्य घोषित कर दिया।
रोशन बेग, आनंद सिंह, एच विश्वनाथ, एसटी सोमशेखर सहित कुल 14 विधायकों को अयोग्य घोषित किया। अयोग्य विधायक 15 वीं विधानसभा की अवधि समाप्त होने तक चुनाव नहीं लड़ सकते। कुमार ने कहा, ‘‘मैंने अपने न्यायिक विवेक का इस्तेमाल किया।’’ उन्होंने पहले कांग्रेस के तीन असंतुष्ट विधायकों को बृहस्पतिवार को अयोग्य करार दे दिया था और कहा था कि वह बाकी के मामलों में ‘‘आने वाले कुछ दिनों में’’ अपने फैसले की घोषणा करेंगे।
इससे पहले भी आर रमेश कुमार ने निर्दलीय विधायक आर शंकर को विधानसभा की सदस्यता से 2023 तक अयोग्य घोषित कर दिया था। आर शंकर के अलावा विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के दो बागी विधायकों रमेश जरकिहोली और महेश कुमातल्ली को 2023 में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने तक अयोग्य घोषित किया था। बता दें कि कर्नाटक में अचानक हुए एक राजनीतिक घटनाक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता बी. एस. येदियुरप्पा ने शुक्रवार को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने पक्ष में आंकड़े जुटाने की है। शपथ ग्रहण करने के बाद येदियुरप्पा ने कहा कि हम 29 जुलाई को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव रखेंगे।
कर्नाटक विधानसभाध्यक्ष ने 14 और बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया
कर्नाटक विधानसभाध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने रविवार को 14 और बागी विधायकों को दलबदल निरोधक कानून के तहत साल 2023 में विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने तक अयोग्य करार दिया। विधानसभाध्यक्ष का यह फैसला मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा द्वारा विधानसभा मेंबहुमत साबित करने के एक दिन पहले आया है। विधानसभाध्यक्ष की यह कार्रवाई कांग्रेस के 11 और जद(एस) के तीन विधायकों के खिलाफ की गई है। विधानसभाध्यक्ष ने अपने फैसले की घोषणा जल्दबाजी में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में की।
उनका यह फैसला कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार गिरने के बाद येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के दो दिन बाद आया है। विधानसभाध्यक्ष की इस कार्रवाई का येदियुरप्पा सरकार के भविष्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि इन विधायकों के तत्काल प्रभाव से अयोग्य ठहराये जाने से उनकी अनुपस्थिति से सदन की प्रभावी संख्या कम हो जाएगी जिससे भाजपा के लिए आगे की राह आसान हो जाएगी। एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार द्वारा पेश विश्वासमत पर मतविभाजन के समय 20 विधायकों के अनुपस्थित रहने से कई सप्ताह के ड्रामे के बाद उनकी सरकार गिर गई थी। इन 20 विधायकों में 17 बागी विधायक तथा एक-एक कांग्रेस और बसपा का और एक निर्दलीय था। 17 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिये जाने के बाद 224 सदस्यीय विधानसभा (विधानसभाध्यक्ष को छोड़कर जिन्हें मत बराबर होने की स्थिति में मतदान का अधिकार है) में प्रभावी संख्या 207 हो गई है। इसके साथ ही जादुई संख्या 104 रहेगी।
भाजपा के पास एक निर्दलीय विधायक के समर्थन से 106 सदस्य, कांग्रेस 66 (मनोनीत सदस्य सहित), जद(एस) 34 और एक बसपा का सदस्य जिसे विश्वासमत के दौरान कुमारस्वामी सरकार के लिए मतदान नहीं करने के लिए पार्टी द्वारा निष्कासित कर दिया गया है। कुमार से जब अयोग्य ठहराने के उनके विवादास्पद फैसले, जिस पर सवाल उठाये जा रहे हैं और पूरे मुद्दे पर उनके व्यवहार को लेकर आरोपों के बारे में पूछा गया तोउन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने न्यायिक विवेक का इस्तेमाल किया...मुझे 100 प्रतिशत आघात लगा है।’’ विधानसभाध्यक्ष की ओर से यह फैसला अचानक ऐसे समय आया है जब भाजपा की ओर से यह संकेत दिया गया कि स्वेच्छा से पद नहीं छोड़ने पर वह उनके खिलाफ सोमवार को विधानसभा की बैठक के दौरान अविश्चास प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है।
कुमार ने कहा कि वह यह कार्रवाई उन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली कांग्रेस और जदएस की अर्जियों पर कर रहे हैं जिन्होंने विधानसभा सदस्य के तौर पर अपने इस्तीफे सौंप दिये थे और जो एच डी कुमारस्वामी द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पर मतविभाजन के दौरान मौजूद नहीं थे। उसके कारण कुमारस्वामी सरकार गिर गई थी। कुमार ने कहा कि उन्होंने बागी विधायकों के उस अनुरोध को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने अपने इस्तीफों और उनके खिलाफ अयोग्य ठहराने की अर्जियों को लेकर उनके समक्ष पेश होने के लिए और चार सप्ताह का समय मांगा थाविधानसभाध्यक्ष ने इससे पहले बागी तीन विधायकों को अयोग्य ठहराने के समय ही स्पष्ट कर दिया था कि दलबदल निरोधक कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया कोई भी सदस्य वर्तमान सदन के कार्यकाल की समाप्ति तक चुनाव नहीं लड़ सकता। इस दलील को भाजपा, बागी विधायकों और कई अन्य विधिक विशेषज्ञों ने चुनौती दी है।
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