प्रभारी डॉक्टर श्री दास के अधीनस्थ डॉक्टर और नर्सें कर रही उनके आदेश की अवहेलना
सिहोरा के सिविल अस्पताल में नर्सों का बोलबाला
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अस्पताल के कायदे कानून बला-ए-ताक पर रख, कर रही मनमानी।
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सिहोरा अस्पताल की नर्सें हुई सब बेलगाम।
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प्रतिनिधि // उदयसिंह पटेल (सिहोरोटाइम्स ऑफ क्राइम)प्रतिनिधि से सम्पर्क 93298 48072
मध्य प्रदेश सरकार ने खासतौर पर गर्भवती महिलाओं के लिये अस्पतालों में नि:शुल्क चिकित्सा, तथा (जननी) सुरक्षा योजना के तहत महिलाओं को 1400/- (चौदह सौ) की नगद राशि निर्धारित की है। किन्तु खेद है, कि प्रसवकाल के उपरान्त जो राशि हितग्राही (प्रसूता) को सरकार द्वारा मिलती है, उससे कहीं अधिक राशि अस्पताल में फीस और मेहनताना के नाम पर डॉक्टर तथा नर्से गर्भवती महिलाओं से ढग़ लेती हैं। इसी प्रकार सिहोरा अस्पताल में अभी ताजी दो घटनाएं प्रकाश में आईं। प्रथम घटना विगत 17 जून की है, जब ग्राम गुनहरू मोहसाम की रमा बर्मन नामक एक गर्भवती मजदूर महिला के पेट में दर्द हुआ तो वह अपने परिजनों के साथ सिहोरा अस्पताल पहुंची ड्यूटी पर उपस्थित नर्स मंजू राय ने पूंछा की? क्या जजकी कराने आई हो, तो पीडि़ता के परिजनों ने बताया की काफी देर से पेट में दर्द हो रहा है, और जजकी का समय भी पूरा हो गया है, तब नर्स ने कहा की इस अस्पताल में बिना फीस के जजकी नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि, पीडि़ता के पेट में अधिक दर्द होने से नर्स ने पर्ची में लिखकर दवाइयाँ लाने पीडि़ता के पति को बाजार भेजा, तब तक आरोपी नर्स मंजू राय ने पीडि़ता पर शिकंजा कसा और उस पर दबाव बनाकर पीडि़ता से 1400/- (चौदह सौ) जजकी कराने के नाम पर अपना मेहनताना वसूल कर लिया। जबकि उक्त योजना के अन्तर्गत पीडि़ता को 1400/- (चौदह सौ) की राशि मिलना तो दूर की बात है। किन्तु गरीब महिला से आरोपी नर्स ने चौदह सौ की नगद राशि पहले ही दम देकर हड़प ली। और पीडि़ता को धमकाया की इस बात की वह चर्चा नहीं करे वरना ठीक नहीं होगा। अत: पीडि़ता ने एक बच्चे को जन्म दिया किन्तु नर्स ने घूस लेकर भी अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया। सिहोरा ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ को जानकारी में बताया गया है, कि आरोपी नर्स ने पीडि़ता के बच्चे की साफ-सफाई नहीं की और न ही उस शिशु को टिटनिस का इन्जेक्शन लगाया अत: जन्म होने के एक घंटे बाद शिशु की मृत्यु हो गई। लोगों का मानना है, कि पीडि़ता के बच्चे की मौत आरोपी नर्स मंजू राय की लापरवाही के कारण हुई। ज्ञात हो कि बच्चे की मृत्यु के तुरंत बाद आरोपी नर्स ने पीडि़ता को अस्पताल से बाहर निकाल दिया तो पीडि़ता के परिजनों ने नर्स से कहा पीडि़ता की हालत ठीक नहीं है। उसका डॉक्टरी इलाज करवा दें तो नर्स ने कहा कि यदि डॉक्टरी इलाज कराना है तो डॉक्टर पलोड की फीस अलग से देना किन्तुु पीडि़ता के पास इलाज के लिये रूपये नहीं थे, रात भी अधिक हो गई थी गांव जाने का कोई साधन नहीं था, तब एमबूलेन्स के ड्रायवर को पीडि़ता पर दया आई तो उसने पीडि़ता और उसके परिजनों को गांव तक पहुंचाया। इसी प्रकार दूसरी घटना विगत 30 जून रात 9 बजे की है। जब सुकरती बाई नाम एक गर्भवती महिला को मझगवाँ के शासकीय चिकित्सालय से रेफर कर उसे सिहोरा अस्पताल भेजा गया था। उल्लेखनीय है, कि उक्त पीडि़त महिला को अस्पताल में भर्ती तो कर लिया किन्तु पीडि़ता के पास डॉक्टर पलोड तथा ड्यूटी पर तैनात नर्स नमिता विक्टर एवं संगीता डेनियल को देने के लिये पीडि़ता के पास 1000/- (एक हजार रूपये) नहीं थे इस कारण दोनों नर्सों ने गर्भवती महिला पर अनैतिक दबाव डालकर 1000/- (एक हजार रूपये) मजबूर किया। अत: पीडि़ता ने रूपये देने में अपनी अस्मर्थता जताई। ज्ञात हो कि पीडि़ता के पास केवल सौ रूपये थे जो नर्सों ने ले लिये और डॉक्टर पलोड से कहकर पीडि़ता को तुरंत जबलपुर रेफर करा दिया और उक्त पीडि़ता को तुरंत अस्पताल से बाहर निकाल दिया उल्लेखनीय है, कि अस्पताल के बाहर गेट पर गर्भवती महिला ने एक शिशु को जन्म दिया और सुबह उजाला होते ही पीडि़ता वहां से चली गई। सिविल अस्पताल सिहोरा में कार्यरत नर्सों के इस अमानवीय कृत्य से दुखी जनता ने नर्सों के खिलाफ सक्त कार्रवाई करने की मांग जिला प्रशासन से की है।
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