क्राइम की पहल पर 10 वर्षों से लंबित मामले का शीघ्र निराकरण हुआ। आयुक्त उच्चशिक्षा म.प्र. शासन भोपाल द्वारा किये गये फैसले को लोगों ने इंसाफ की जीत, और भ्रष्टाचार का मुंह काला निरूपति किया शासकीय राशि का गबन करने वाले फ्राड ओ.पी. दुबेे से गबन की राशि वसूली, की जाय जनता ने मांग की -
प्रतिनिधि // उदयसिंह पटेल (सिहोरोटाइम्स ऑफ क्राइम) -
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उल्लेखनीय है कि उपरोक्त मामला सन् 1999 का है उस समय आरोपी ओ।पी. दुबे शासकीय महाविद्यालय पनागर में उच्च श्रेणी लिपिक था, और उसके पास कैश का भी प्रभार रहा। इस प्रकरण के जानकार सूत्रों ने ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ को लिखित जानकारी में बताया कि आरोपी ओ.पी. दुबे के खिलाफ दस्तावेजों की कूट रचना करने तथा 58, 357=85 (अन्ठावन हजार तीन सौ सन्तावन रूपये पचासी पैसे) नगद राशि के गबन का गंभीर आरोप था। गौरतलब है कि उस समय शासकीय कला महाविद्यालय पनागर की प्राचार्य श्रीमती कीर्ति गुरू थी, जिनकी शिकायत पर यह प्रकरण आयुक्त उच्चशिक्षा म.प्र. शासन के कार्यालय में लंबित रहा। अत: जांच के दौरान आयुक्त ने आरोपी ओ.पी. दुबे को इस घटना का दोषी मानते हुये विगत 6 दिसंबर 2008 को पदच्युत करने का आदेश पारित कर दिया। अत: आरोपी ओ.पी. दुबे ने उक्त आदेश के खिलाफ डॉ. रघुवंशी उपसचिव उच्चशिक्षा विभाग मंत्रालय में अपील कर दी। और वह हिकमत लगाकर बहाल हो गया उल्लेखनीय है कि आरोपी अपील से बहाल तो हो गया किन्तु प्रकरण में आरोपी के खिलाफ जांच धीमी गति से चलती रही। ज्ञात हो कि शासकीय महाविद्यालय सिहोरा के जानकार सूत्रों द्वारा हमारे सिहोरा संवाददाता को इस प्रकरण के संदर्भ में जैसे ही जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत इस घटना का संपूर्ण उल्लेख 2,3 बार अखबार ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ में प्रकाशित कराया और फ्राड ओ.पी. दुबे मुख्य लिपिक की कलई शासन, प्रशासन, एवं जनता के बीच उजागर कर दी। गौरतलब है कि आशीष उपाध्याय आयुक्त उच्च शिक्षा म.प्र. शासन भोपाल द्वारा उक्त प्रकरण में संपूर्ण जांच पड़ताल कर अंतत: आरोपी ओंम प्रकाश उर्फ ओ.पी. दुबे मुख्य लिपिक को विगत 1999 शासकीय कला महाविद्यालय पनागर की घटना (गबन) का दोषी मानते हुये नौकरी से बरखास्त कर दिया। लोगों ने इस फैसले को इंसाफ की जीत होना बताया। और उच्चशिक्षा विभाग के आयुक्त माननीय आशीष उपाध्याय की प्रशंसा की।
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