अब तक 14 की मौत की, प्रशासन सन्न
सिटी चीफ // मुकेश तिवारी (बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बालाघाट। बालाघाट जिले के परसवाड़ा तहसील में आने वाले एवं शहर मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर दूर है ग्राम जरेरा। अब तक एक सप्ताह में 14 मौते एक ही गांव में हो चुकी है। स्वास्थ्य अमला इस निष्कर्ष में नहीं पहुंचा हैकि इसे मलेरिया कहें या डेंगू की बीमारी। आज 28 वर्ष की उम्र की महिला जांगुला बाई को चलते मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग ने एक दिन कैम्प लगाकर रक्त पट्टी लेकर एवं जांच के लिए नमूने लेकर मेडिकल कालेज जबलपूर भेज दिया है। एवं हाथ पर हाथ रखकर यह इंतजार किया जा रहा है कि अभी तक रिपोर्ट नहीं आयी है। जब खून की जांच रिपोर्ट आयेगी तब निष्कर्ष निकाला जाएगा। उपचार किस विधि से किया जाएगा। चूंकि डेंगू की बीमारी में खून प्लेटलेट्स की मात्रा कम हो जाती है। एवं इसकी जांच की सुविधा जिला चिकित्सालय में खून से प्लाज्या को पृथक करने की मशीन नहीं है। अत: इलाज में विलंब हो रहा है। एवं मलेरिया की बीमारी के लिए चिकित्सकों को खून की जांच करनी आती नही है। एवं वर्तमान में कोई में कोई जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ नहीं है। यदि है तो भी उन्हें खून की जांच मे मलेरिया के कीटाणु फेल् सीपेरम दिखता दिखता ही नहीं है एवं वे जांच रिपोर्ट में मलेरिया नेगेटिव की रिपोर्ट पेश कर देते है। एवं रोगी की जांच में भ्रम पैदा कर देते है कि मरीज को मलेरिया हैं ही नहीं। यदि देखा जाय तो मलेरिया के पुष्टि होने पर मरीज का इलाज कुल 150-200 रूपये में हो जाता है। किंतु इससे बड़े चिकित्सकों चलाये जा रहे बडे नर्सिग होमों को मेंटेनेस नहीं हो सकता है। एवं वे आई.सी.यू में भर्ती न कर पाये तो एक मरीज के पीछे 15-20 हजार रूपये का बिल कैसे बना पायेंगे। चिकित्सकों के इस अमानवीय दृष्टिकोणों पर किसी जनप्रतिनिधि,या शासन में बड़े पदों पर बैठे नुमाइंदो की नजर नहीं पड़ रही है। क्योंकि ये मौते बहुत छोटे गांव के गरीब परिवारों के घर हो रही है। यदि ये आलम स्वास्थ्य विभाग के घरों में होता है तो शायद भारत के सबसे अच्छे मेडिकल स्पेशलिस्ट एवं प्रदेश के बड़े से बड़े चिकित्सा केन्द्र से महज 24 घंटे के अंदर इलाज एवं दवाईयों एवं जांच की सुविधा उपलब्ध हो जाती। इन गरीब एवं मध्यम परिवार क अधिकतर लोग हैं, जो अपने निए कर्ज एवं चंदे की व्यवस्था से इलाज करा रहे है। इस दौरान उनके बी.पी.एल कार्ड, जाब कार्ड, दीनदयाल योजना आदि कागजों की मांग प्रशासन के स्वास्थ्य अधिकारी कर रहे है वे मरीज का इलाज कराये या सरकारी योजनाओं के कार्ड लेने वापिस घर जाए। स्वास्थ्य अमला बैठे-बैठे इन गरीब मजदूरों को या तो जबलपूर मेडिकल रिफर कर रहे या कहते है नागपुर जाओ। यहां सुविधा नहीं है। जिले के स्वास्थ्य अधिकारी डा. साहू का कहना ह ैहमने रक्त के जांच के सेंपल जबलपूूर मेडिकल कालेज भेज दिया है किन्तु एक सप्ताह व्यतीत हो जाने के बाद भी जांच की रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। यह कहकर पल्ला झाड़ ़दिया। पूर्व जनपद सदस्य श्री क्ष्ीारसागर ने बताया कि यदि सी.एम.ओ. चाहते तो एक प्रतिनिधि भेजकर एक गाड़ी में सेंपल रखकर 24 घंटे में रिपोर्ट बुला सकते थेे, उनके हाथ घोर लापरवाही बरती जा रहिी है। जिला पंचायत सदस्य उम्मेद लिल्हारे ने बताया मेरे क्षेत्र में हो रही लगातार मौते बर्दाश्त नहीं की जावेगी, इसके खिलाफ कार्यवाहीं कही मांग की जावेगी।
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