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नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर यौन उत्पीड़न के एक आरोपी प्रफेसर के मामले में जीएसकैश (जेंडर सेंसटाइजेशन कमिटी अगेंस्ट सेक्शुअल हैरसमेंट) की सिफारिशें को न मानने का आरोप लगाया है और इसके विरोध में गुरुवार को सभी क्लासों के बहिष्कार का आह्वान किया।
गौरतलब है कि जीएसकैश ने अपनी जांच में इस प्रफेसर को उनके अंडर रिसर्च कर रही SC स्टूडेंट के यौन उत्पीड़न का दोषी पाया था और जुलाई 2013 में ही उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की थी।
इसके अलावा प्रफेसर की सैलरी से 5 लाख रुपये पीड़िता को दिए जाने की भी सिफारिश की गई थी, लेकिन इन सिफारिशों के 6 महीने बाद यानी पिछले हफ्ते जेएनयू एग्ज़ेक्युटिव काउंसिल ने मामले पर गौर करने के लिए एक समिति बनाई। यह प्रफेसर दिसंबर 2013 में रिटायर हो चुके हैं।
इस बारे में पूछे जाने पर जेएनयू के वाइस चांसलर एस.के.सोपोरी ने कहा कि इस मामले के सभी पहलुओं पर गौर करने के लिए अब एक छोटी समिति बनाई गई है।
बताया जाता है कि आरोपी प्रोफेसर का एकैडमिक बायोडेटा बेहद लंबा-चौड़ा है। वे सेंटर में इकॉनमिक्स पढ़ाने के अलावा विदेश की कई जानी-मानी यूनिवर्सिटीज से भी जुड़े रहे हैं। साथ ही, कई नामी अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी हैं।
नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर यौन उत्पीड़न के एक आरोपी प्रफेसर के मामले में जीएसकैश (जेंडर सेंसटाइजेशन कमिटी अगेंस्ट सेक्शुअल हैरसमेंट) की सिफारिशें को न मानने का आरोप लगाया है और इसके विरोध में गुरुवार को सभी क्लासों के बहिष्कार का आह्वान किया।
गौरतलब है कि जीएसकैश ने अपनी जांच में इस प्रफेसर को उनके अंडर रिसर्च कर रही SC स्टूडेंट के यौन उत्पीड़न का दोषी पाया था और जुलाई 2013 में ही उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की थी।
इसके अलावा प्रफेसर की सैलरी से 5 लाख रुपये पीड़िता को दिए जाने की भी सिफारिश की गई थी, लेकिन इन सिफारिशों के 6 महीने बाद यानी पिछले हफ्ते जेएनयू एग्ज़ेक्युटिव काउंसिल ने मामले पर गौर करने के लिए एक समिति बनाई। यह प्रफेसर दिसंबर 2013 में रिटायर हो चुके हैं।
इस बारे में पूछे जाने पर जेएनयू के वाइस चांसलर एस.के.सोपोरी ने कहा कि इस मामले के सभी पहलुओं पर गौर करने के लिए अब एक छोटी समिति बनाई गई है।
बताया जाता है कि आरोपी प्रोफेसर का एकैडमिक बायोडेटा बेहद लंबा-चौड़ा है। वे सेंटर में इकॉनमिक्स पढ़ाने के अलावा विदेश की कई जानी-मानी यूनिवर्सिटीज से भी जुड़े रहे हैं। साथ ही, कई नामी अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी हैं।
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