वेश्याओं की गिरफ्तारी और एक वेश्या द्वारा उच्च अधिकारियों के नामों का खुलासा होते ही पुलिस अधिकारी सकते में
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बिहार के गया जिले के डिप्टी मेयर को पटना के एक होटल के कमरे से दो काल गर्ल्स के साथ गिरफ्तार किया गया है। गया के डिप्टी मेयर का नाम मोहन श्रीवास्तव है। उसे सोमवार रात एक पुलिस छापे के दौरान पटना के एक पॉश होटल से गिरफ्तार किया गया।
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, पटना के मध्य फ्रेजर रोड स्थित एक होटल पर मारे गए छापे में गया के डिप्टी मेयर के साथ छह लोगों को सैक्स रैकेट के सिसिले में गिरफ्तार किया गया है। सभी को पूछताछ के लिए कोतवाली लाया गया। यह पहला मौका है, जब बिहार में किसी डिप्टी मेयर को सैक्स रैकेट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
पिछले महीने गया पुलिस ने पुरुषों के पार्लर की आड़ में चलाए जा रहे सैक्स रैकेट का भांडाफोड़ किया था। यह पार्लर जिस परिसर में है, उसके मालिक मोहन श्रीवास्तव ही है। मोहन श्रीवास्तव ने हालांकि जहां सैक्स रैकेट संचालित हो रहा था, उस परिसर का मालिक होने से इनकार किया। बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि वह परिसर उनकी पत्नी के नाम पर है, लेकिन उन्होंने कहा कि उस संपत्ति से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
उधर, गया से जाने-माने वकील और सोशल एक्टिविस्ट मदन तिवारी की रिपोर्ट के मुताबिक गत 25 दिसंबर की रात को गया शहर में मसाज पार्लरों पर छापे के बाद वेश्याओं की गिरफ्तारी और एक वेश्या द्वारा उच्च अधिकारियों के नामों का खुलासा होते ही पुलिस अधिकारी सकते में आ गये। मसाज पार्लर का संचालक गया नगर निगम का उप मेयर मोहन श्रीवास्तव का नाम भी इस रैकेट को चलाने वालो में सामने आया। रात भर बिहार के उच्चाधिकारी कोतवाली थाने में मामले को दबाने के लिये फोन से पैरवी करने मे लगे रहे। उनका प्रयास था कि सबसे पहले लड़कियों को थाने से हटाया जाय ताकि उनका नाम न आये। पुलिस ने आनन फ़ानन मे लड़कियों को छोड़ दिया और एक ग्राहक को पार्लर का मालिक बताकर मुकदमा दर्ज किया। चूंकि यह मसाज पार्लर गांधी जी की प्रतिमा के ठीक पास एवं कोतवाली थाने से मात्र पचास कदम की दूरी पर चल रहा था इसलिये नागरिकों में भी भयानक रोष था।
तीन लड़किया गिरफ्तार की गई थीं, उनमें से एक हाई प्रोफ़ाईल काल गर्ल (देखें तस्वीर, लाल रंग की जींस में) थी जिसे गया नगर निगम के नगर आयुक्त दया शंकर बहादुर के सरकारी आवास पर कुछ पार्षदों ने पहले देखा था। दया शंकर बहादुर अकेले रहते थे, उनका परिवार साथ में नही रहता था। पार्षदों ने उक्त काल गर्ल को उनके ही घर का सदस्य समझा था लेकिन कोतवाली में उसकी गिरफ़तारी के बाद यह खुलासा हुआ कि वह हाई प्रोफ़ाईल काल गर्ल थी जो दया शंकर बहादुर की सेवा में लगी थी। पटना के एक होटल सम्राट का नाम भी उभर कर सामने आया है जहां इस काल गर्ल को ले जाकर पटना के राज्य स्तरीय सचिव/ उप सचिव स्तर के अधिकारियों को मौज मस्ती के लिये उपलब्ध कराया जाता था।
इन खुलासों के बाद मौज मस्ती करने वाले सारे अधिकारी परेशान हो गये। मामला दबाने की कवायद शुरू हुई। नियमत: इस तरह के मामलों में बरामद लड़की का मेडिकल टेस्ट कराया जाता है, उनकी उम्र की जानकारी ली जाती है क्योंकि देह व्यापार निवारण कानून 1956 की धारा 5 (d) के तहत अगर लड़की नाबालिग है तो उससे वेश्यावृत्ति कराने वाले को आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। पुलिस ने बरामद लड़कियों का न तो मेडिकल कराया न ही उनका बयान धारा 164 के तहत दर्ज कराया। बरामद लड़कियों में से तीन की तस्वीर यहां दे रहे हैं। एक लड़की देखने से ही 18 वर्ष से कम की लगती है। एक अन्य लड़की जिसे गया नगर निगम के नगर आयुक्त दयाशंकर बहादुर के आवास पर देखा गया था, उसे पुलिस ने कहां हटाया, पता नहीं चल पा रहा है। उक्त लड़की ने भी बड़े बड़े नामों का खुलासा किया था। बड़ी मछलियों के नाम भी अब उभर कर सामने आ रहे हैं।
पटना का सम्राट होटल एक बहुत बड़े राजनेता का है। उस होटल का उपयोग राज्यस्तरीय अधिकारियों को हाई प्रोफ़ाईल काल गर्ल उपलब्ध कराने के लिये किया जाता था। उक्त लड़की के खुलासे के बाद अगर रेड मारी जाती तो सम्राट होटल के रेकार्ड से पता चल जाता कि कब कब गया नगर निगम का उप मेयर मोहन श्रीवास्तव वहां रुका था और कौन कौन अधिकारी उससे मिलने तथा काल गर्ल का आनंद लेने आये थे। पिछले नवंबर माह मे मोहन श्रीवास्तव ने दो अधिकारी तथा एक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता को काल गर्ल की सेवा उपलब्ध कराई थी। एक बड़े अधिकारी ने मोहन श्रीवास्तव को एक राजनीतिक दलाल से मुलाकात कराई जिसके माध्यम से मोहन श्रीवास्तव राज्य के मुख्यमंत्री के बेटे तक पहुंचना चाहता था। हालांकि वह दलाल मोहन श्रीवास्तव की मुलाकात मुख्यमंत्री के बेटे से करवाने मे असफ़ल रहा फ़िर भी उसे पचास हजार रुपया मोहन श्रीवास्तव ने दिया ताकि भविष्य मे किसी तरह से भेट करा दे। दलाल ने बहाना बनाया था कि मुख्यमंत्री का बेटा अभी मुंबई मे है।
ब्लू फ़िल्म बनाकर पार्षदो एवं अधिकारियों को कब्जे मे रखना मोहन श्रीवास्तव का काम रहा है। इस बार यह लंबी छलांग लगाना चाहता था और सीधे मुख्यमंत्री के बेटे को अपने कब्जे में लेना चाहता था। मोहन राजद के शासन में साधु यादव–सुभाष यादव का बेहद करीबी था तथा पुलिस की कस्टडी में पटना जा रहे अतुल प्रकाश को उन दोनों के दबाव में गया लाया गया था और अतुल का अपहरण करके उससे चारा घोटाला का रुपया जो साधु–सुभाष ने अतुल को रखने के लिये दिया था, वापस लेने के लिये यातना दी गई। उस समय गया के एसपी थे रविन्द्रण शंकरण जिन्होंने पहले सुरेन्द्र यादव मंत्री से रिक्वेस्ट किया कि अतुल प्रकाश को छोड़ दे परन्तु मोहन श्रीवास्तव ने उनकी बात सुरेन्द्र यादव से नहीं कराई तब बाध्य होकर मुकदमा करना पड़ा जिसके कारण सुरेन्द्र यादव को मंत्री पद खोना पड़ा। मसाज पार्लर कांड ने गया की राजनीति में उबाल ला दिया है। भडास पर खबरें आने के बाद अब सारे अखबार वाले इसके तह तक जाने मे लग गये हैं। उन्हें पता है अब इस मामले को दबाया नहीं जा सकता। उधर सभी राजनीतिक दल मोहन श्रीवास्तव के उपर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। पुलिस अपने रवैये मे बदलाव लायेगी, इसकी गुंजायश कम लगती है क्योंकि मकान पर जप्ती का नोटिस चिपकाने के पहले गया के सदर एस डी ओ मकसूद आलम ने नगर आयुक्त दयाशंकर बहादुर के साथ मोहन श्रीवास्तव के घर पर गये तथा आश्वासन दिया कि यह सब कुछ मात्र दिखावा है, वे पूरी तरह उनकी मदद करेंगे। लेकिन पटना में मोहन श्रीवास्तव को रंगे हाथ पकड़े जाने से पूरी कहानी सामने आ गई है।
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एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, पटना के मध्य फ्रेजर रोड स्थित एक होटल पर मारे गए छापे में गया के डिप्टी मेयर के साथ छह लोगों को सैक्स रैकेट के सिसिले में गिरफ्तार किया गया है। सभी को पूछताछ के लिए कोतवाली लाया गया। यह पहला मौका है, जब बिहार में किसी डिप्टी मेयर को सैक्स रैकेट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
पिछले महीने गया पुलिस ने पुरुषों के पार्लर की आड़ में चलाए जा रहे सैक्स रैकेट का भांडाफोड़ किया था। यह पार्लर जिस परिसर में है, उसके मालिक मोहन श्रीवास्तव ही है। मोहन श्रीवास्तव ने हालांकि जहां सैक्स रैकेट संचालित हो रहा था, उस परिसर का मालिक होने से इनकार किया। बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि वह परिसर उनकी पत्नी के नाम पर है, लेकिन उन्होंने कहा कि उस संपत्ति से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
उधर, गया से जाने-माने वकील और सोशल एक्टिविस्ट मदन तिवारी की रिपोर्ट के मुताबिक गत 25 दिसंबर की रात को गया शहर में मसाज पार्लरों पर छापे के बाद वेश्याओं की गिरफ्तारी और एक वेश्या द्वारा उच्च अधिकारियों के नामों का खुलासा होते ही पुलिस अधिकारी सकते में आ गये। मसाज पार्लर का संचालक गया नगर निगम का उप मेयर मोहन श्रीवास्तव का नाम भी इस रैकेट को चलाने वालो में सामने आया। रात भर बिहार के उच्चाधिकारी कोतवाली थाने में मामले को दबाने के लिये फोन से पैरवी करने मे लगे रहे। उनका प्रयास था कि सबसे पहले लड़कियों को थाने से हटाया जाय ताकि उनका नाम न आये। पुलिस ने आनन फ़ानन मे लड़कियों को छोड़ दिया और एक ग्राहक को पार्लर का मालिक बताकर मुकदमा दर्ज किया। चूंकि यह मसाज पार्लर गांधी जी की प्रतिमा के ठीक पास एवं कोतवाली थाने से मात्र पचास कदम की दूरी पर चल रहा था इसलिये नागरिकों में भी भयानक रोष था।
तीन लड़किया गिरफ्तार की गई थीं, उनमें से एक हाई प्रोफ़ाईल काल गर्ल (देखें तस्वीर, लाल रंग की जींस में) थी जिसे गया नगर निगम के नगर आयुक्त दया शंकर बहादुर के सरकारी आवास पर कुछ पार्षदों ने पहले देखा था। दया शंकर बहादुर अकेले रहते थे, उनका परिवार साथ में नही रहता था। पार्षदों ने उक्त काल गर्ल को उनके ही घर का सदस्य समझा था लेकिन कोतवाली में उसकी गिरफ़तारी के बाद यह खुलासा हुआ कि वह हाई प्रोफ़ाईल काल गर्ल थी जो दया शंकर बहादुर की सेवा में लगी थी। पटना के एक होटल सम्राट का नाम भी उभर कर सामने आया है जहां इस काल गर्ल को ले जाकर पटना के राज्य स्तरीय सचिव/ उप सचिव स्तर के अधिकारियों को मौज मस्ती के लिये उपलब्ध कराया जाता था।
इन खुलासों के बाद मौज मस्ती करने वाले सारे अधिकारी परेशान हो गये। मामला दबाने की कवायद शुरू हुई। नियमत: इस तरह के मामलों में बरामद लड़की का मेडिकल टेस्ट कराया जाता है, उनकी उम्र की जानकारी ली जाती है क्योंकि देह व्यापार निवारण कानून 1956 की धारा 5 (d) के तहत अगर लड़की नाबालिग है तो उससे वेश्यावृत्ति कराने वाले को आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। पुलिस ने बरामद लड़कियों का न तो मेडिकल कराया न ही उनका बयान धारा 164 के तहत दर्ज कराया। बरामद लड़कियों में से तीन की तस्वीर यहां दे रहे हैं। एक लड़की देखने से ही 18 वर्ष से कम की लगती है। एक अन्य लड़की जिसे गया नगर निगम के नगर आयुक्त दयाशंकर बहादुर के आवास पर देखा गया था, उसे पुलिस ने कहां हटाया, पता नहीं चल पा रहा है। उक्त लड़की ने भी बड़े बड़े नामों का खुलासा किया था। बड़ी मछलियों के नाम भी अब उभर कर सामने आ रहे हैं।
पटना का सम्राट होटल एक बहुत बड़े राजनेता का है। उस होटल का उपयोग राज्यस्तरीय अधिकारियों को हाई प्रोफ़ाईल काल गर्ल उपलब्ध कराने के लिये किया जाता था। उक्त लड़की के खुलासे के बाद अगर रेड मारी जाती तो सम्राट होटल के रेकार्ड से पता चल जाता कि कब कब गया नगर निगम का उप मेयर मोहन श्रीवास्तव वहां रुका था और कौन कौन अधिकारी उससे मिलने तथा काल गर्ल का आनंद लेने आये थे। पिछले नवंबर माह मे मोहन श्रीवास्तव ने दो अधिकारी तथा एक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता को काल गर्ल की सेवा उपलब्ध कराई थी। एक बड़े अधिकारी ने मोहन श्रीवास्तव को एक राजनीतिक दलाल से मुलाकात कराई जिसके माध्यम से मोहन श्रीवास्तव राज्य के मुख्यमंत्री के बेटे तक पहुंचना चाहता था। हालांकि वह दलाल मोहन श्रीवास्तव की मुलाकात मुख्यमंत्री के बेटे से करवाने मे असफ़ल रहा फ़िर भी उसे पचास हजार रुपया मोहन श्रीवास्तव ने दिया ताकि भविष्य मे किसी तरह से भेट करा दे। दलाल ने बहाना बनाया था कि मुख्यमंत्री का बेटा अभी मुंबई मे है।
ब्लू फ़िल्म बनाकर पार्षदो एवं अधिकारियों को कब्जे मे रखना मोहन श्रीवास्तव का काम रहा है। इस बार यह लंबी छलांग लगाना चाहता था और सीधे मुख्यमंत्री के बेटे को अपने कब्जे में लेना चाहता था। मोहन राजद के शासन में साधु यादव–सुभाष यादव का बेहद करीबी था तथा पुलिस की कस्टडी में पटना जा रहे अतुल प्रकाश को उन दोनों के दबाव में गया लाया गया था और अतुल का अपहरण करके उससे चारा घोटाला का रुपया जो साधु–सुभाष ने अतुल को रखने के लिये दिया था, वापस लेने के लिये यातना दी गई। उस समय गया के एसपी थे रविन्द्रण शंकरण जिन्होंने पहले सुरेन्द्र यादव मंत्री से रिक्वेस्ट किया कि अतुल प्रकाश को छोड़ दे परन्तु मोहन श्रीवास्तव ने उनकी बात सुरेन्द्र यादव से नहीं कराई तब बाध्य होकर मुकदमा करना पड़ा जिसके कारण सुरेन्द्र यादव को मंत्री पद खोना पड़ा। मसाज पार्लर कांड ने गया की राजनीति में उबाल ला दिया है। भडास पर खबरें आने के बाद अब सारे अखबार वाले इसके तह तक जाने मे लग गये हैं। उन्हें पता है अब इस मामले को दबाया नहीं जा सकता। उधर सभी राजनीतिक दल मोहन श्रीवास्तव के उपर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। पुलिस अपने रवैये मे बदलाव लायेगी, इसकी गुंजायश कम लगती है क्योंकि मकान पर जप्ती का नोटिस चिपकाने के पहले गया के सदर एस डी ओ मकसूद आलम ने नगर आयुक्त दयाशंकर बहादुर के साथ मोहन श्रीवास्तव के घर पर गये तथा आश्वासन दिया कि यह सब कुछ मात्र दिखावा है, वे पूरी तरह उनकी मदद करेंगे। लेकिन पटना में मोहन श्रीवास्तव को रंगे हाथ पकड़े जाने से पूरी कहानी सामने आ गई है।
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