TOC NEWS @ अवधेश पुरोहित
भोपाल। ठेठ आदिवासी संसदीय क्षेत्र झाबुआ-रतलाम में मिली भारतीय जनता पार्टी को पराजय के बाद वह शहडोल लोकसभा उपचुनाव में फूंक-फूंककर कदम रख रही है, यही वजह है कि भाजपा ने शहडोल में संगठन से ज्यादा सत्ता पर भरोसा जताया है, तभी तो इस क्षेत्र संसदीय क्षेत्र के होनेवाले उपचुनाव में बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं और नेताओं को तैनात करने के साथ-साथ पार्टी ने यहाँ एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों को लगा रखा है।
यही नहीं आठ मंत्रियों को तो बकायदा एक-एक विधानसभा क्षेत्र की जवाबदारी दी गई है। यद्यपि संगठन इसे जिम्मेदारी सौंपना नहीं मान रहा, पर जिस तरह से प्रभार वाले मंत्रियों के अलावा अन्य मंत्रियों को शहडोल संसदीय सीट में विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों का जिम्मा दिया गया है उससे साफ है कि पार्टी शहडोल उपचुनाव में सरकार और संगठन में से सरकार पर ज्यादा भरोसा कर रही है। यहां उल्लेखनीय है कि शहडोल संसदीय सीट में चार जिले अनूपपुर, शहडोल, उमरिया एवं कटनी (बड़वारा विधानसभा) समाहित हैं।
इन चारों जिलों में क्रमश: संजय पाठक, राजेन्द्र शुक्ल, ओमप्रकाश धुर्वे एवं ज्ञानसिंह प्रभारी मंत्री हैं। उमरिया ज्ञान सिंह का गृह जिला है। इस लिहाज से वैसे भी शहडोल संसदीय सीट में अक्सर चार मंत्रियों का आना-जाना लगा रहता है। इन चार मंत्रियों को भी यहां जिम्मेदारी सौंपी गई है। गौरतलब है कि प्रदेश के जल संसाधन राज्य मंत्री हर्षनारायण सिंह को जैत्पुर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ जाने से दिल्ली के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।
भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने बीते दिनों जबलपुर में शहडोल के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने बूथ स्तर पर पार्टी को और मजबूत करने व राज्य सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का निर्देश कार्यकर्ताओं को दिया। भगत ने कार्यकर्ताओं को साफ निर्देश दिया कि प्रत्याशी कोई भी हो, वे सिर्फ पार्टी का चुनाव-चिन्ह देखें। भाजपा को शहडोल उपचुनाव में सत्ता और संगठन में से सत्ता पर भरोसा दिखाने का कितना फायदा मिलता है, वह तो २२ नवम्बर को ही पता चलेगा, जब उपचुनाव का परिणाम सामने आएगा। उल्लेखनीय है कि शहडोल संसदीय सीट के लिए उपचुनाव के लिए मतदान १९ नवम्बर को होगा और इसके लिए अधिसूचना २६ अक्टूबर को जारी की जाएगी।
भोपाल। ठेठ आदिवासी संसदीय क्षेत्र झाबुआ-रतलाम में मिली भारतीय जनता पार्टी को पराजय के बाद वह शहडोल लोकसभा उपचुनाव में फूंक-फूंककर कदम रख रही है, यही वजह है कि भाजपा ने शहडोल में संगठन से ज्यादा सत्ता पर भरोसा जताया है, तभी तो इस क्षेत्र संसदीय क्षेत्र के होनेवाले उपचुनाव में बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं और नेताओं को तैनात करने के साथ-साथ पार्टी ने यहाँ एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों को लगा रखा है।
यही नहीं आठ मंत्रियों को तो बकायदा एक-एक विधानसभा क्षेत्र की जवाबदारी दी गई है। यद्यपि संगठन इसे जिम्मेदारी सौंपना नहीं मान रहा, पर जिस तरह से प्रभार वाले मंत्रियों के अलावा अन्य मंत्रियों को शहडोल संसदीय सीट में विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों का जिम्मा दिया गया है उससे साफ है कि पार्टी शहडोल उपचुनाव में सरकार और संगठन में से सरकार पर ज्यादा भरोसा कर रही है। यहां उल्लेखनीय है कि शहडोल संसदीय सीट में चार जिले अनूपपुर, शहडोल, उमरिया एवं कटनी (बड़वारा विधानसभा) समाहित हैं।
इन चारों जिलों में क्रमश: संजय पाठक, राजेन्द्र शुक्ल, ओमप्रकाश धुर्वे एवं ज्ञानसिंह प्रभारी मंत्री हैं। उमरिया ज्ञान सिंह का गृह जिला है। इस लिहाज से वैसे भी शहडोल संसदीय सीट में अक्सर चार मंत्रियों का आना-जाना लगा रहता है। इन चार मंत्रियों को भी यहां जिम्मेदारी सौंपी गई है। गौरतलब है कि प्रदेश के जल संसाधन राज्य मंत्री हर्षनारायण सिंह को जैत्पुर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ जाने से दिल्ली के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।
भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने बीते दिनों जबलपुर में शहडोल के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने बूथ स्तर पर पार्टी को और मजबूत करने व राज्य सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का निर्देश कार्यकर्ताओं को दिया। भगत ने कार्यकर्ताओं को साफ निर्देश दिया कि प्रत्याशी कोई भी हो, वे सिर्फ पार्टी का चुनाव-चिन्ह देखें। भाजपा को शहडोल उपचुनाव में सत्ता और संगठन में से सत्ता पर भरोसा दिखाने का कितना फायदा मिलता है, वह तो २२ नवम्बर को ही पता चलेगा, जब उपचुनाव का परिणाम सामने आएगा। उल्लेखनीय है कि शहडोल संसदीय सीट के लिए उपचुनाव के लिए मतदान १९ नवम्बर को होगा और इसके लिए अधिसूचना २६ अक्टूबर को जारी की जाएगी।
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