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कोरबा ! जिले के कटघोरा थाना क्षेत्रांतर्गत छुरी में अग्रवाल परिवार के द्वारा आर्थिक कारणों से किये गये सामूहिक खुदकुशी का प्रयास और दो बहनों की मौत का मामला अभी लोगों के जेहन में ताजा है कि एसईसीएल की मानिकपुर कालोनी स्थित एक मकान में सीआईएसएफ के जवान द्वारा पत्नी व मासूम बच्चे के साथ सामूहिक खुदकुशी ने लोगों को उद्वेलित कर दिया है।
हर कोई इस घटना की वजह जानने को बेताब है। उल्लेखनीय है कि मानिकपुर क्षेत्र में सीआईएसएफ कालोनी के मकान क्रमांक बी 124 में रह रहे जवान संजय कुमार, पत्नी रिंकी और 7 माह की मासूम बच्ची का शव शुक्रवार शाम फांसी के फंदे पर झूलता हुआ पाया गया। इसका पता तब चला जब सीआईएसएफ के कुसमुंडा स्थित कंट्रोल रूम से प्रेषित संदेश कि, संजय कुमार को शाम 4 बजे विभागीय जांच की कड़ी में पेशी पर उपस्थित होने तलब किया गया है, यह संदेश पहुंचाने कंपनी हवलदार बिग्गू हरिजन संजय कुमार के मकान पहुंचा। काफी देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद कोई हलचल न होता देख उसने पड़ोसी की मदद से सीढ़ी के जरिये बालकनी में जाकर खिडक़ी से झांका तो संजय की पत्नी फांसी पर लटकी मिली। बिग्गू ने तत्काल सूचना अपने डीआईजी बीआर भट्टाचार्य को दी। वे भी शाम 5.30 बजे तक मौके पर पहुंचे और कर्मचारियों को भीतर भेजकर दरवाजा खुलवाया। अंदर गए तो संजय और उसकी बेटी एक कमरे में फंदे पर लटके मिले। पुलिस ने कमरे को सील कर दिया है।
शनिवार को फारेंसिक एक्सपर्ट की मदद से जांच व शव का पंचनामा पीएम की कार्यवाही कराई जाएगी। बताया जा रहा है कि जवान के खिलाफ विभागीय जांच चल रही थी। डीआईजी के मुताबिक अप्रैल महीने में जांच के दौरान संजय की जेब से 50 रूपये से अधिक की रकम मिली थी जबकि नियमत: ड्यूटी के दौरान सीआईएसएफ जवान के पास 50 रूपये से अधिक की राशि नहीं होनी चाहिए। इस विषय में पेशी पर आज उसे बुलाया गया था। डीआईजी ने और भी कोई जानकारी देने से इंकार कर दिया है। सवाल उठना लाजिमी है कि क्या विभागीय जांच से परेशान होकर या किसी तरह की कार्यवाही के भय से संजय ने सामूहिक खुदकुशी की है या फिर कुछ और कारण है?
जिसने देखा, कलेजा दहल गया सामूहिक खुदकुशी की खबर फैलते ही मौके पर कालोनी के लोग उमड़ पड़े। जिस किसी ने भी एक कमरे में मासूम बच्चे और पिता को और दूसरे कमरे में रिंकी को फंदे पर लटका देखा, उसका कलेजा दहल गया और आंसू बह निकले। यहां के लोगों ने बताया कि संजय और उसकी पत्नी काफी मिलनसार थे। किसी से कोई विवाद या झगड़ा भी नहीं था। बच्चे के जन्म उपरांत तीन माह पहले ही ये लोग मकान में आये थे। लोग इसकी कल्पना बड़ी मुश्किल से कर पा रहे हैं कि आखिर कैसे और किन हालातों में संजय ने अपनी मासूम बेटी को फंदे पर लटकाया होगा और खुद फांसी पर झूल गया।
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