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सत्य और अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 148वीं जयंती दुनियाभर में मनाई जा रही है। बापू के बारे में बहुत सी जानकारियां लोगों को मालूम है, लेकिन उनकी हत्या करने वाले नाथूराम विनायक गोडसे के बारे में लोग कम ही जानते हैं।
30 जनवरी 1948 को नाथूराम ने दिल्ली के बिड़ला भवन में प्रार्थना-सभा के दौरान पहले तो हाथ जोड़कर प्रणाम किया और उसके बाद अपनी पिस्तौल से तीन गोलियां दाग दीं। खास बात यह है कि उसने भागने का प्रयास भी नहीं किया। पेश हैं गोडसे से जुड़ी अहम जानकारियां:-
1. नाथूराम विनायक गोडसे का जन्म 19 मई 1910 को महाराष्ट्र के पुणे में बारामती नामक स्थान पर मराठी परिवार में हुआ था। नाथूराम के बचपन का नाम रामचन्द्र था। इनके पिता विनायक वामनराव गोडसे पोस्ट आफिसर थे।
2. नाथूराम का पालन-पोषण लड़की की तरह किया गया था। इसकी वजह थी नाथू के माता-पिता के तीन पुत्रों की अल्पकाल में मौत हो गई थी। सिर्फ एक बेटी ही जीवित थी। इसलिए माता-पिता ने मन्नत मांगी थी कि अगर इस बार पुत्र हुआ तो उसका पालन-पोषण लड़की की तरह करेंगे। इसके लिए नाथू की नाक भी छिदवा दी गई थी।
3. नाथूराम एक हिंदू, लेकिन कट्टर राष्ट्रवादी थे। पेशे से पत्रकार था और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़ा था। बाद में वह अखिल भारतीय हिन्दू महासभा भी जुड़ा। भारत के विभाजन और उसके बाद हुई साम्प्रदायिक हिंसा और कत्लेआम में लाखों हिन्दुओं की हत्या के लिए गोडसे गांधी को ही जिम्मेदार मानता था।
4. साजिश रचने और बापू की हत्या करने के अपराध में गोडसे और उनके दोस्त नारायण आप्टे को 15 नंवबर 1949 को अंबाला जेल में फांसी पर लटका दिया गया था। गांधी जी को गोली मरने के फौरन बाद ही गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया था। दिल्ली में तुगलक रोड पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ केस दर्ज हुआ था। खास बात है कि कोर्ट कार्यवाही को कैमरों में रिकॉर्ड भी किया गया।
5. गोपाल गोडसे की किताब के मुताबिक नाथूराम को गांधी की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा बाद में बिल्कुल नहीं सुहायी थी। गो़डसे के कट्टरवाद के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी हाथ था। संघ की विचारधारा ने उसके मानसपटल को बदल दिया था।
6. गोडसे के बयान के मुताबिक, "गांधी ने जब मुसलमानों के हक में आखिरी उपवास रखा तो मैंने ठान लिया कि अब उनका अस्तित्व को खत्म करना ही होगा। दक्षिण अफ्रीका में गांधी ने भारतीयों के लिए बेहतरीन काम किया था, लेकिन जब वह भारत लौटे तो उनकी मानसिकता खुद को आखिरी जज मानने की बन गई।'
7. नाथूराम गांधी को मारने के लिए पुणे से दिल्ली आया था। इस दौरान वह पाकिस्तान से आए हुए हिन्दू और सिख शरणार्थियों के शिविरों में भी रहा। इस दौरान उसने एक शरणार्थी की मदद से एक इतालवी कम्पनी की पिस्तौल भी खरीदी।
8. गांधी की हत्या से पहले गोडसे और उसके साथियों ने एक असफल प्रयास भी किया था। इस साजिश के तहत दिल्ली के बिरला हाउस में 20 जनवरी 1948 को मदनलाल पाहवा ने गांधी की प्रार्थना-सभा में बम भी फेंका था, लेकिन इसमें बापू बच निकले थे।
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