नागदा में ओद्यौगिक प्रदूषण से हुए गंभीर जल, वायु और भूमि प्रदूषण की पुनः जांच के आदेश जारी |
ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा : 8305895567
नागदा. नागदा जिला उज्जैन में ओद्यौगिक इकाइयों द्वारा फैलाए गए गंभीर जल, वायु एवं भूमि प्रदूषण के संबंध में असंगठित मजदूर कांग्रेस के प्रदेश संयोजक अभिषेक चौरसिया की शिकायत के परिपेक्ष्य में जिला कलेक्टर एवं दंडाधिकारी, उज्जैन के निर्देशानुसार मध्यप्रदेश शासन द्वारा गठित 9 विभागों की जांच समिति को दोबारा से जांच एवं पुनः री-सैंपलिंग का आदेश शासन द्वारा जारी किया गया है जिसकी जानकारी शिकायतकर्ता अभिषेक चौरसिया को पत्र के माध्यम से अवगत करवाकर की गई हैं।
अभिषेक चौरसिया ने बताया कि उक्त जांच समिति के प्रतिवेदन पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए मेरे द्वारा राज्य शासन के समक्ष अपनी आपत्ति प्रस्तुत की गई थीं और नागदा एवं आसपास स्थित ग्रामीण क्षेत्रों में हुई जांच को प्रभावित करने वाले तथ्यों सहित विभिन्न विषयों पर शासन का ध्यान आकर्षित करवाया था । जिसे शासन के उच्च अधिकारियों द्वारा गंभीरता से लेते हुए आम जनमानस के हित को ध्यान में रखते हुए सभी उद्योगों में दोबारा से नए सिरे से जांच करने का शासन का आदेश जारी हुआ हैं । जांच के दौरान नागदा के ओद्यौगिक इकाइयों ग्रेसिम इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड ( स्टेपल फाइबर डिवीजन) , लैक्सेस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गुलब्रांड सन लिमिटेड, ग्रेसिम केमिकल डिवीजन, आरसीएल कैटेलिस्ट लिमिटेड, क्लिरिएंट केमिकल आदि में पुनः जांच की जाएगी।
अभिषेक चौरसिया ने बताया निम्न कारणों से उन्होंने शासन के समक्ष आपत्ति दर्ज करवाई थी -
- 1) जांच समिति को प्रतिवेदन 15 दिवस में प्रस्तुत करना था लेकिन निश्चित समय अंतराल निकालने के बाद 2 माह बाद आधा अधूरा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया ।
- 2) जांच समिति के कई सदस्य निरीक्षण के दौरान मौजूद नहीं थे फिर किस आधार पर उन्होंने अपना प्रतिवेदन शासन के समक्ष प्रस्तुत किया ।
- 3) शिकायतकर्ता को उक्त जांच समिति के द्वारा अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान नहीं किया गया ।
- 4) जांच समिति के आने की खबर स्थानीय उद्योगों को 3 दिवस पूर्व ही लग गई थीं जिससे उन्होंने अपने प्रोडक्शन यूनिट के कार्य में कमी कर दी थीं ।
- 5) जांच समिति द्वारा शिकायतकर्ता द्वारा चिन्हित 30 बिंदुओं से जल के सैंपल, 50 बिंदुओं से मिट्टी के सैंपल और 10 जगहों से वायु के सैंपल एकत्रित करने के प्रस्ताव को दरकिनार किया गया था ।
- 6) जांच समिति द्वारा जांच को प्रभावित करने का कार्य किया गया क्योंकि जांच समिति द्वारा ओचक निरीक्षण के नाम पर किसी भी प्रकार का सैंपल एकत्रित नहीं किया गया और इसके विपरित उद्योगों को 1 दिन का समय देकर अपनी गलतियां सुधारने का अवसर प्रदान किया गया ।
- 7) जांच समिति द्वारा विगत 10 वर्षों में ग्रेसिम उद्योग में हुई 19 श्रमिकों की मृत्यु पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं करते हुए काग़ज़ी खानापूर्ति कर मामले को दबाने का प्रयास किया गया और किसी भी प्रकार की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई ।
- 8) जांच समिति के अन्तर्गत स्वास्थ्य विभाग द्वारा उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों के स्वास्थ्य सम्बन्धी शिकायती बिंदु पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई ।
- 9) ओद्यौगिक प्रदूषण की जांच के संबंध में अधीक्षण यंत्री एवं क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण बोर्ड द्वारा शिकायतकर्ता को जांच के दौरान दरकिनार करवाने का प्रयास किया गया और विवाद पश्चात मात्र 8 सैंपल देकर जांच के नाम पर इतिश्री कर ली गईं तथा दोबारा से बुलाने पर निजी जांच करवाने का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी से भागने का प्रयास किया गया।
अभिषेक चौरसिया ने बताया कि उक्त जांच समिति जल्द ही नागदा के ओद्यौगिक इकाइयों, शहर के विभिन्न चिन्हित बिंदुओं एवं चंबल नदी के किनारे स्थित 22 ग्राम पंचायतों के क्षेत्रों का दौरा करेगी क्योंकि अब फसलों के कट जाने से ग्रामीणों की प्रदूषित एवं घटती उपजाऊ भूमि आदि की जांच करने में भी कृषि विभाग को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी ।
अभिषेक चौरसिया ने बताया कि उक्त जांच समिति के संबंध में शासन द्वारा दोबारा से जांच के आदेश की प्रतिलिपि संयुक्त संचालक (श्रम विभाग, उज्जैन), संयुक्त संचालक (स्वास्थ्य विभाग, उज्जैन), संयुक्त संचालक ( कृषि विभाग, उज्जैन), अधीक्षण यंत्री, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भोपाल , सुश्री ऋतु तोमर, वैज्ञानिक, भू-जल बोर्ड, उज्जैन, डॉ. डीके बाघेला, प्रयोगशाला प्रभारी, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, इंदौर, श्री सुनील कुमार मीणा, वैज्ञानिक, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भोपाल एवं अनुविभागीय दंडाधिकारी, नागदा को जारी की गई हैं ।
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