भोपाल । प्रदेश में यूँ तो विकास के दावेे मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के सत्ता और संगठन से जुड़े हर नेता करते हुए नजर आते हैं, यही नहीं भाजपा के शासनकाल में हुए विकास की बदौलत राज्य में तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने का भी दावा किया जाता है। लेकिन इन सभी के प्रदेश के विकास के दावों में कितनी सच्चाई है यह तो राज्य के दूरदराज के मैदानी इलाकों में जाकर इसकी हकीकत पता की जा सकती है। मजे की बात यह है कि जिस विकास का ढिंढोरा भाजपा सरकार के मुखिया द्वारा पीटा जा रहा है
उसी प्रदेश की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंत्रीमण्डल की सदस्य राज्य की खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे पिछले ढाई साल से अपने निर्वाचन क्षेत्र शिवपुरी के विकास के लिए पुरजोर कोशिश करने में लगी हुई हैं लेकिन नौकरशाही के असहयोग के चलते उनकी अपने निर्वाचन क्षेत्र की सारे विकास की योजनायें धरी की धरी रह गईं और अब उनका इन अधिकारियों को लेकर पारा इतना चढ़ा कि उन्होंने पिछले दिनों जिले के अधिकारियों के द्वारा प्रस्तुत पेपरों को पकड़कर यहाँ तक कह डाला कि इन पेपरों से काम नहीं चलने वाला कान खोलकर सुन लो सभी अधिकारी मैं तुम लोगों के घर धरना दूँगी,
मैं कैबिनेट मंत्री हूँ और सब जानती हूँ कि अध्यक्ष या कौन-कौन के यहाँ पैसा चल रहा है, आपने मुझे यदि सम्मान नहीं दिया तो मुझसे भी सम्मान की उम्मीद छोड़ दें, दरअसल राजे ने यह नाराजगी पार्षदों के साथ बैठक में दिखाई, अधिकारियों की हीलाहवाली से नाराज मंत्री ने अधिकारियों से साफ तौर पर कहा कि वे अपना रवैया सुधारें, धरातल पर काम करके दिखाएं केवल कागजों पर काम की रूपरेखा समझाने से कुछ नहीं होगा, उनको गुस्सा जब आया तब नगर पालिका के पार्षद भानु दुबे और मंजू गर्ग ने कहा कि नगर पालिका में ठेकेदारों की कद्र है
पार्षदों की कोई नहीं सुनता, पार्षद इस कदर नाराज थे कि उन्होंने सीएमओ के विरुद्ध कई आरोप तक लगा डाले। मंजू गर्ग और भानु दुबे ने यहाँ तक कहा कि सीएमओ नगर पालिका अध्यक्ष के गुलाम बनकर रह गए और हमें चेम्बर से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है, यशोधरा राजे की इस तरह की अपने क्षेत्र के विकास की धमकी से यह बात उजागर होती है कि राज्य में प्रदेश की नौकरशाही किस तरह से हावी है तो वहीं दूसरी ओर सत्ताधीशों की आपसी जंग में मिले संरक्षण के चलते नौकरशाही किस तरह से राज्य के जनप्रतिनिधियों के द्वारा चलाये जा रहे विकास में रोड़े का काम करते हैं।
उसी प्रदेश की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंत्रीमण्डल की सदस्य राज्य की खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे पिछले ढाई साल से अपने निर्वाचन क्षेत्र शिवपुरी के विकास के लिए पुरजोर कोशिश करने में लगी हुई हैं लेकिन नौकरशाही के असहयोग के चलते उनकी अपने निर्वाचन क्षेत्र की सारे विकास की योजनायें धरी की धरी रह गईं और अब उनका इन अधिकारियों को लेकर पारा इतना चढ़ा कि उन्होंने पिछले दिनों जिले के अधिकारियों के द्वारा प्रस्तुत पेपरों को पकड़कर यहाँ तक कह डाला कि इन पेपरों से काम नहीं चलने वाला कान खोलकर सुन लो सभी अधिकारी मैं तुम लोगों के घर धरना दूँगी,
मैं कैबिनेट मंत्री हूँ और सब जानती हूँ कि अध्यक्ष या कौन-कौन के यहाँ पैसा चल रहा है, आपने मुझे यदि सम्मान नहीं दिया तो मुझसे भी सम्मान की उम्मीद छोड़ दें, दरअसल राजे ने यह नाराजगी पार्षदों के साथ बैठक में दिखाई, अधिकारियों की हीलाहवाली से नाराज मंत्री ने अधिकारियों से साफ तौर पर कहा कि वे अपना रवैया सुधारें, धरातल पर काम करके दिखाएं केवल कागजों पर काम की रूपरेखा समझाने से कुछ नहीं होगा, उनको गुस्सा जब आया तब नगर पालिका के पार्षद भानु दुबे और मंजू गर्ग ने कहा कि नगर पालिका में ठेकेदारों की कद्र है
पार्षदों की कोई नहीं सुनता, पार्षद इस कदर नाराज थे कि उन्होंने सीएमओ के विरुद्ध कई आरोप तक लगा डाले। मंजू गर्ग और भानु दुबे ने यहाँ तक कहा कि सीएमओ नगर पालिका अध्यक्ष के गुलाम बनकर रह गए और हमें चेम्बर से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है, यशोधरा राजे की इस तरह की अपने क्षेत्र के विकास की धमकी से यह बात उजागर होती है कि राज्य में प्रदेश की नौकरशाही किस तरह से हावी है तो वहीं दूसरी ओर सत्ताधीशों की आपसी जंग में मिले संरक्षण के चलते नौकरशाही किस तरह से राज्य के जनप्रतिनिधियों के द्वारा चलाये जा रहे विकास में रोड़े का काम करते हैं।
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