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सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को 11,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले की एक विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने और दूसरी राहतों की मांग को लेकर दायर की गयी एक याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने पर सहमत हो गया।
उच्चतम न्यायालय में कल दो अलग अलग याचिकाएं दायर की गयीं जिनमें विदेश भागे हीरा कारोबारी नीरव मोदी और घोटाले में कथित रूप से संलिप्त दूसरे लोगों के निर्वासन की प्रक्रिया जल्द से जल्द, अच्छा हो कि दो महीने के भीतर, शुरू करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गयी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ के सामने आज एक याचिका का जिक्र किया गया। पीठ ने अगली सुनवाई 23 फरवरी को तय कर दी।
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वकील जे पी धंडा के जरिये दायर की गयी जनहित याचिका में याचिकाकर्ता विनीत धंडा ने मोदी और एक दूसरे हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की संलिप्तता वाले बैंकिंग घोटाले की जांच के लिए एक एसआईटी के गठन की मांग की है। याचिका में पीएनबी के शीर्ष प्रबंधन की भूमिका की जांच की भी मांग की गयी है। वकील एम एल शर्मा के जरिये दायर की गयी दूसरी याचिका में कहा गया कि एसआईटी में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शामिल किए जाएं और दावा किया कि बैंकिंग घोटाले से आम जनता और सरकारी राजस्व को गंभीर नुकसान पहुंचा है।
याचिका में मांग की गयी कि घोटाले की जांच किसी ऐसी एजेंसी से ना करायी जाए जिसपर ''नेताओं/अधिकारियों का नियंत्रण हो। याचिका में आरोप लगाया गया कि भारतीय रिजर्व बैंक के वित्तीय नियमों एवं नियमित तंत्र का पालन किए बिना मामले में ऋण जारी किए गए। धंडा की याचिका में कोर्ट से वित्त मंत्रालय को 10 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि के ऋण देने के संबंध में दिशानिर्देश तय करने का निर्देश देने की मांग की गयी ताकि ऋण राशि की सुरक्षा एवं वापसी सुनिश्चित हो। इसमें देश में फंसे हुए ऋण मामलों के ब्यौरे का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति के गठन की भी मांग की गयी। सीबीआई पहले ही मोदी, उनके रिश्तेदार चोकसी और अन्य के खिलाफ दो प्राथमिकियां दर्ज कर चुकी है।
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