Tuesday, May 31, 2016

निजी विद्युत कम्पनियों को लाभ पहुंचाने में लगी सरकार

अवधेश पुरोहित // टीओसी न्यूज
भोपाल। आज से १२ साल पूर्व भले ही प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बिजली, पानी और सडक़ के मुद्दे की समस्या का समाधान करने के वायदे के साथ सत्ता में आई हो लेकिन इतने वर्ष गुजर जाने के बाद स्थिति यह है कि ना तो इस प्रदेश की जनता को ठीक से बिजली मिल पा रही है और न ही प्रदेश की सडक़ों में जो गुणवत्ता होना चाहिए उस गुणवत्ता के साथ प्रदेश की सडक़ें बनाई जा रही हैं हाँ यह जरूर है कि सडक़ों के नाम पर करोड़ों का खेल इस सरकार में बैठे अधिकारियों द्वारा खेला जा रहा है तो वहीं राज्य में जितनी भी बीओटी की सडक़ें एमपीआरडीसी के तहत जो सडक़ें बनाई गई हैं उसकी हालत यह है कि वह बनने के चंद दिनों बाद ही उनमें गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं लेकिन इसके बावजूद भी इन सडक़ों पर चलने वाले वाहन चालकों से सरकार और टोल ठेकेदारों की दादागिरी के चलते जेब तो ढीली होती ही हैं। बात यदि भाजपा के सत्ता में आने के पहले किये गये इस प्रदेश की जनता को वायदे की बात करें तो पानी की भी लगभग यही स्थिति है, कहने को सरकार द्वारा इस समस्या के समाधान हेतु करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिये गये हैं लेकिन आज भी प्रदेश की आधी से अधिक आबादी के सामने पानी की समस्या बनी हुई है पानी की इस समस्या के चलते कई गांवों के युवा आज भी कुंवारे बैठे हैं क्योंकि बिजली और पानी की समस्या के चलते कोई भी अपनी लाड़ली को इन गांव के युवाओं के साथ शादी करने को तैयार नहीं हैं, कई गांवों में स्थिति यह है कि उल्टे लडक़े वाले लडक़ी वालों को दहेज देने को तैयार हैं लेकिन फिर भी इन युवाओं की शादी नहीं हो रही है। दिग्विजय सिंह के शासनकाल में यह समस्या कुछ ज्यादा ही थी लेकिन आज इतने वर्षों बाद भी राज्य की आम जनता को ठीक तरह से बिजली नहीं मिल पा रही है बल्कि मरम्मत और आदि के नाम पर प्रतिदिन कई घंटों तक राज्यभर में बिजली कटौती का दौर जारी है। इसके बावजूद भी यह सरकार राज्य में २४ घंटे बिजली देने का दावा करते नहीं थकती, राज्य में विद्युतीकरण के नाम पर जो खेल खेला गया उसके चलते जो ट्रांसफार्मर और केबल लगाये गये उनकी स्थिति यह है कि जरा सा लोड बढऩे पर वह एक ही क्षण में जल जाते हैं, विद्युतीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये की लागत से राज्यभर में जो खम्बे गाड़े गए उनकी स्थिति यह है कि वह ठीक से खड़े नहीं दिखाई देते हैं पूरे राज्य में जहां देखो वहां बिजली के खम्भे आड़े तिरछे नजर आएंगे यह स्थिति उस क्षेत्र की भी है जिस क्षेत्र से विद्युत मंत्री का संबंध है, लेकिन फिर भी घटनाओं को निमंत्रण दे रहे यह खम्भे आज भी सिर झुकाए यह संदेश देने में लगे हैं कि प्रदेश में बिजली व्यवस्था के सुधार के नाम पर करोड़ों का घोटाला हुआ है, बात यदि विद्युत समस्या से निजात पाने की की जाए तो इस मामले में करोड़ों रुपए तो खर्च किए गए लेकिन आज भी राज्य में ठीक से विद्युत वितरण की व्यवस्था में सुधार दिखाई दे रहा है और न ही उत्पादन के क्षेत्र में राज्य सरकार भले ही राज्य में रिकार्ड विद्युत उत्पादन का ढिंढोरा पीटने में नहीं थक रही हो लेकिन स्थिति यह है कि राज्य में लगे विद्युत संयंत्रों के रख रखाव पर करोड़ों रुपये तो खर्च प्रतिवर्ष किये जाते हैं लेकिन वह उस क्षमता से अपना उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं, इसके पीछे का जो कारण बताया जा रहा है वह यह है कि यह सरकार अपने उत्पादन बंद कर निजी कंपनियों से बिजली खरीदकर जनता को देने के पक्ष में है और अपने उत्पादन  इन्हीं निजी कंपनियों को बेचने की फिराक में हैं, लगता है कि इस  मामले में सरकार सफल भी होती नजर आ रही है तभी तो राज्य के अधिकांश पावर प्लांटों को इस सरकार ने बंद कर रखा है ओर जो चल रहे हैं उन्हें भी बंद करने की तैयारी की  जा रही है। यह सब खेल निजी कम्पनियों को लाभ पहुंचाने का चल रहा है और इस तरह के गोरखधंधे में भ्रष्टाचार की बू भी आ रही है। हालांकि यह सिलसिला शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान साल दर साल बढ़ता रहा और हर वर्ष तीन से पांच हजार करोड़ की बिजली निजी कंपनियों से खरीदी जाती रही इसी नीति को कारगार बनाने में १२०-१२० मेगावाट के सारणी और चचाई प्रोजेक्ट पुरानी मशीनों का बहाना लेकर बंद कर दिये गये जबकि निजी कम्पनियों से २५-२५ साल के अनुबंध इस सरकार द्वारा बिजली खरीदी करने के लिए किये गये मजे की बात यह है कि निजी कंपनियों से सस्ती दरों में बिजली मिलने के कारण राज्य से रेलवे सहित अन्य केन्द्रीय संस्थाऐं राज्य सरकार से बिजली खरीदी बंद करती जा रही हैं। प्रदेश के पांच थर्मल पॉवर प्लांटों को चलाने में भले ही करोड़ों रुपए खर्च किए गए हों पर बिजली उत्पादन १५ फीसदी (६२७ मेगावाट) ही हो पा रहा है। जबकि इनसे ४३२० मेगावाट बिजली पैदा होना चाहिए थी लेकिन इन प्लांटों में तैनात अधिकारियों द्वारा राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप धीरे-धीरे सभी प्लांटों से बिजली उत्पादन ठप करने की रणनीति चल रही है फिर चाहे वह सारणी थर्मल पावर प्लांट की सभी छ: यूनिटें हो या संजय गांधी पावर स्टेशन की एक या फिर अमरकंटक की दो इसी क्रम में सिंगाजी की एक यूनिट से बिजली उत्पादन बंद कर दिया गया मजे की बात यह है कि जहां राज्य सरकार ने अपनी एक रणनीति के चलते अपने पावर प्लांटों को तो बंद कर दिया तो वहीं दूसरी ओर निजी क्षेत्रों से करोड़ों की बिजली खरीदी का भी सिलसिला जारी रहा। जिन कम्पनियों पर मेहरबानी करके इस सरकार ने करोड़ों रुपए की बिजली खरीदी उनके नाम हैं मेसर्स एमबी पॉवर इन्फ्रा इस यूनिट से ६५९.५६ बिजली खरीदी  गई, बिजली खरीदी ३.३८ प्रति यूनिट की दर से खरीदी गई और इसका भुगतान २८७.८० करोड़ का किया गया इसी तरह से बीना पावर सप्लाई से ४७६८.३२ यूनिट बिजली खरीदी गई जिसको ५.०७ प्रति यूनिट की दर से ३०८८.७१ करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इसी तरह मेसर्स बीएल पावर लिमिटेड से ४१२.५२ बिजली की खरीदी ४.३८ प्रति यूनिट की दर से बिजली खरदी गई और १८८.८२ करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। निजी क्षेत्रों की कंपनियों को लाभ पहुंचाने के इसी क्रम में मेसर्स जेपी पावेर वेंचर्स से ३२४७.२८ बिजली ३.०९६ की दर से खरीदी गई जिसका भुगतान एक १००३.६० करोड़ का किया गया। राज्य शासन निजी विद्युत कंपनियों से बिजली खरीदने के मामले में सबसे ज्यादा मेहरबान रही तो मेसर्स सासन अल्ट्रा मेगा पर और इसी मेहरबानी के चलते इस निजी कम्पनी से १५५०६.६८ की बिजली एक रुपये १४ पैसे प्रति यूनिट की दर से खरीदी गई जिसका भुगतान १७७४.६० करोड़ रुपये का किया गया। मेसर्स टोरंट पीटीसी से १५५०.७१ की बिजली ५.१६ पैसे प्रति यूनिट की दर से खरीदी गई जिसका भुगतान १०५०.२६ करोड़ का किया गया। निजी कम्पनियों से बिजली खरीदी के क्रम में सरकार द्वारा मेसर्स लेंको अमरकंटक से ६४०७.४५ बिजली तीन रुपये २५ पैसे की दर से खरीदी गई और इसका भुगतान २०८९.०७ करोड़ का किया गया। एक ओर जहां निजी कंपनियों से बिजली खरीदी का गोरखधंधा भी इस राज्य में जोरों से पनप रहा है तो वीं दूसरी ओर राज्य की वितरण कंपनियों को घाटा होने का दौर भी जारी रहा राज्य के चार कंपनियों में जिनमें मध्य क्षेत्र विद्युत वितराण कंपनी को १११३.०० करोड़ रुपये का हुआ तो वहीं पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी १८८७.०० के घाटे में रही लगभग यही स्थिति प. क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की रही जिसको १८१०.०० करोड़ का घाटा हुआ। कम्पनियों को हो रहे घाटों के  इस दौर में मप्र विद्युत उत्पादन कम्पनी को ८९६.८२ करोड़ रुपये का घाटा पहुंचा। राज्य में कुल मिलाकर बिजली के नाम पर जो खेला जा रहा है वह भी अपने आपमें एक अजीब है, बिजली के इस खेल के चलते जहां करोड़ों रुपये का कारोबार का दौर भी जारी है तो वहीं राज्य की विद्युत उत्पादन इकाईयों को एक सुनियोजित षडय़ंत्र के चलते धीरे-धीरे बंद कर इस प्रदेश की बिजली व्यवस्था को लचर बनाकर निजी कंपनियों के हाथों सौंपने की तैयारी में यह सरकार लगी हुई है।

Wednesday, May 25, 2016

हत्या के फरार आरोपियों की गिरफ्‌तारी हेतु ईनाम की उद्‌घोषणा

Toc news
इन्दौर-दिनांक 25 मई 2016-पुलिस उप महानिरीक्षक इंदौर शहर इंदौर श्री संतोष कुमार सिंह द्वारा पुलिस थाना एमआईजी में आज दिनांक  को घटित हुए हत्या के प्रकरण के फरार आरोपियों की गिरफ्‌तारी हेतु दस-दस हजार रूपयें के ईनाम की उद्‌घोषणा की गई है।
पुलिस थाना एमआईजी क्षेत्रान्तर्गत आज दिनांक 24.05.16 के शाम को मोहम्मद निजाम की पुरानी रंजिश को लेकर चाकू मारकर हत्या, कर आरोपी (1) सद्‌दाम पिता नासिर निवासी कृष्णबाग कालोनी इन्दौर तथा आरोपी (2) इमरान पिता सलीम निवासी कृष्णबाग कालोनी इंदौर के, फरार हो गये। उक्त घटना पर पुलिस थाना एमआईजी द्वारा  हत्या का प्रकरण पंजीबद्ध किया गया।
प्रकरण की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए, उप पुलिस महानिरीक्षक, इंदौर (शहर), द्वारा उक्त आरोपियों में से प्रत्येक की गिरफ्‌तारी हेतु 10-10 हजार रूपये का ईनाम घोषित किया गया है। जो कोई भी व्यक्ति या पुलिस अधिकारी/पुलिस कर्मचारी उक्त आरोपियों की गिरफ्तारी करेगा या गिरफतारी हेतु सूचना देगा, जिससे आरोपी की गिरफ्तारी सुनिश्चित हो सकें। उसे प्रत्येकआरोपी की गिरफ्‌तारी हेतु 10,000-10,000 रूपये के नगद पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाएगा। सूचनाकर्ता चाहेगा तो उसका नाम गोपनीय रखा जायेगा।

करोड़ों खर्च करने के बाद नहीं मिट रहा कुपोषण का कलंक

अवधेश पुुरोहित @ toc news
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल के दौरान प्रदेश पर लगे कुपोषण के कलंक को यह सरकार मिटा पाने में असफल सी साबित होती नजर आ रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य पर्यवेक्षण के तहत १७ राज्यों के आंकड़े जारी किए गए उसमें कुपोषण के मामले में मध्यप्रदेश दूसरे नम्बर पर है, सर्वे के अनुसार बिहार पहले नम्बर पर है जहां पर करीब ४३ फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं जबकि ४२.८ प्रतिशत आंकड़े के साथ मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर है, मजे की बात यह है कि इस कुपोषण के कलंक को मिटाने के लिए राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिए गए और रोज नई नई योजनायें इससे मुक्ति पाने के लिए राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई, लेकिन उसके नतीजे शून्य ही नजर आ रहे हैं। हालांकि राज्य सरकार कुपोषण को लेकर तरह-तरह के दावे करती नजर आती है।

यूं तो पूरा राज्य कुपोषण की चपेट में है लेकिन जिस विदिशा जिले को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपना जिला बताते हैं और यहां से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सांसद हैं, लेकिन इसके बावजूद भी इस जिले में पांच साल तक के ४० फीसद बच्चे कुपोषण के शिकार हैं तो वहीं ३७ प्रतिशत ठिगने हैं, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-चार ने जो आंकड़े जारी किए हैं वह चौंका देने वाले तो हैं ही तो वहीं इस सरकार के कुपोषण के मामले में किये जा रहे बड़े-बड़े दावों की भी पोल खुलती नजर आ रही है। सर्वे के अनुसार विदिशा जिले में करीब ३६.७ प्रतिशत बच्चों को ही जन्म के तुरंत बाद मां का दूध मिल पाता है बच्चों में कुपोषण होने के कई कारण हो सकते हैं, गर्भवती महिला को यदि भरपूर पोषण नहीं मिला तो उसका सीधा असर जन्म लेने वाले बच्चे पर पड़ता है,

साथ ही जन्म के तुरंत बाद मां का दूध नहीं मिला तो नवजात में कुपोषण की संभावना अधिक बड़ जाती है ऐसा देखा जाए तो प्रदेश के हालत भी काफी अच्छे नहीं है सर्वे में ३७.२ प्रतिशत बच्चे कम वजन के तथा ४२ फीसद बच्चे सर्वेक्षण में ठिगने पाए गए। यूं तो सरकार के दावों के अनुसार जिलों में करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद कुपोषण घटने की बजाए बढ़ते नजर आ रहे हैं ग्रामीण क्षेत्रों के हर गांव में आठ से लेकर दस बच्चे कुपोषण का शिकार हैं उसमें बासौदा के शहर के सहरिया आदिवासी का भी एक बड़ा तबका है। इस क्षेत्र के १९ गांवों में यह लोग रहते हैं गरीबी सुविधाओं की कमी के कारण इन परिवारों में कुपोषित बच्चों की संख्या अधिक रहती है, जागरूकता की कमी के कारण एक ही परिवार में छ: से सात बच्चे होते हैं जिनकी देखरेख न होने के कारण वह कुपोषण की चपेट में आ जाते हैं।

मजे की बात यह है कि राज्य सरकार भले ही लाख दावे करे और सरकार के साथ महिला बाल विकास तथा स्वास्थ्य विभाग के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बाद भी महिलाओं तथा बच्चों के स्वास्थ्य पर कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण २०१२-१३ के अनुसार विदिशा जिले में शिशु मृत्यु दर ६५ है जबकि प्रदेश की ६२ है इसका मतलब यह है कि जिले में जन्म लेने वाले प्रत्येक एक हजार बच्चों में ६५ बच्चों की स्वास्थ्यगत कारणों से मृत्यु हो जाती है विदिशा जिले को मुख्यमंत्री अपना जिला बताते हैं तो वहीं दूसरी ओर इस क्षेत्र की सांसद सुषमा स्वराज हैं इसके बावजूद भी इस जिले की हालत यह है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस जिले में २२९३ आंगनबाड़ी केन्द्र चालू अवस्था में हैं जिनमें कुल ७३ हजार बच्चे दर्ज हैं, इन आंगनबाडिय़ों में बच्चों के पोषण आहार एवं व्यवस्थाओं पर हर साल पचास करोड़ की राशि खर्च की जाती है इसके बावजूद भी जिले में कुपोषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है

जिले के शिशु मृत्यु दर तथा आंगनबाड़ी में दर्ज बच्चों के आधार पर यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी  कि जिले में प्रतिवर्ष ११०५ बच्चों की सिर्फ कुपोषण तथा कुपोषण से संबंधित कारणों से मौत हो जाती है, कुपोषण के लिए चलाए जा रहे तमाम कार्यक्रमों के बाद यदि विदिशा जिले की यह स्थिति है तो इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य के ठेठ आदिवासी जिला झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, मण्डला, डिण्डौरी, बालाघाट, जिलों के साथ-साथ अन्य जिलों की क्या स्थिति होगी जबकि विदिशा मुख्यमंत्री का जिला है

यहां यह हालत है तो बाकी जिलों की तो क्या हालत होगी यह कहना मुश्किल है। कुल मिलाकर राज्य में कुपोषण के कलंक मिटाने के लिए लाख दावे किये जा रहे हैं लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है कि इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हों हां यह जरूर है कि कुपोषण के नाम पर करोड़ों रुपए का बजट खर्च किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में तो इस प्रदेश का भगवान ही मालिक है।  

सिंहस्थ के दौरान स्वास्थ्य सामग्री खरीदी घोटाले से उठ रहे सवाल

अवधेश पुुरोहित @ toc news
भोपाल। सिंहस्थ की तैयारी को लेकर जहां देश के प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश सरकार की जमकर पीठ थपथपाई तो अपने भाषण के दौरान यह सवाल खड़े किए कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार में वह क्षमता है कि दोपहर तक यहां आंधी और तूफान से बर्बाद हुई व्यवस्था को शाम तक ठीक करने का महारथ तो इसी सरकार में है। यही नहीं उन्होंने सिंहस्थ को हाईटेक करने और उसके प्रचार-प्रसार को लेकर भी तमाम सवाल खड़े करते हुए कहा कि सिंहस्थ में आमंत्रण की जरूरत नहीं पड़ती, यही नहीं मोदी के पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सिंहस्थ की तैयारियों में चल रही धांधलियों और गड़बडिय़ों क ो लेकर यह सवाल खड़े किए थे कि सिंहस्थ में आने के लिए निमंत्रण की जरूरत नहीं है इस आस्था के पर्व में लोग स्वैच्छा से बाते हैं यही नहीं उन्होंने व्यवस्था को लेकर यह कहते हुए कि सिंहस्थ की व्यवस्था तो ईश्वर स्वयं करते हैं। इन भाजपा के दोनों नेताओं के इस तरह के बयान के बाद और सिंहस्थ्ज्ञ समाप्त होने के कुछ ही दिनों बाद सिंहस्थ की तैयारियों के लिये स्वास्थ्य विभाग द्वारा खरीदी गई स्वास्थ्य सामग्री के लिए पांच करोड़ की बजाए ६० करोड़ में खरीदी किये जाने को लेकर यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि जब अकेले स्वास्थ्य विभाग में पांच करोड़ की स्वास्थ्य सामग्री खरीदेने की एवज में ६० करोड़ में खरीदी की गई तो बाकी विभागों की स्थिति क्या होगी। हालांकि जिस स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य सामग्री खरीदी करने में ६० करोड़ खर्च किए उसी स्वास्थ्य विभाग की टीम के द्वारा इस सिंहस्थ के दौरान केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री  उमा भारती की तबीयत खराब हो गई तो स्वास्थ्य शिविर के पास उनको दी जाने वाली दवाएं तक उनकी किट में मौजूद नहीं थीं, यह दवाएं मेडिकल स्टोर से खरदकर उपलब्ध कराई गई मजं की बात यह है कि उमा भारती को खासंी का सिरप भी समय पर उपलब्ध नहीं करा पाए। इस घटना को लेकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब वीआईपी के मामले में यह हादसा तो आम जनता के साथ क्या होगा यह वही भुक्तभोगी जानता है। हालांकि सिंहस्थ की तैयारी के दौरान तमाम गड़बडिय़ों के आरोप समय-समय पर खुलासा होते रहे हैं इन्हीं खुलासों में साढ़े सात सौ रुपए में खरीदी का भी मामला कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री दिग्विजय सिंह ने उठाया था, वैसे इस हाईटेक सिंहथ्स की तैयारियों के दोरान गड़बडिय़ों और घोटालों को लेकर नित्य नये-नये खुलासे हानेे क ी उम्मीद है तो वहीें लोग यह संभावना व्यक्त करते नजर आ रहे हैं कि पिछले सिंहस्थ के दौरान एक एसी स्तर के अधिकारी के यहां जब सिंहस्थ के बाद छापे की कार्रवाई की गई तो उसके यहां सोने की ईंट तक किनली थी। अब देखना यह है कि इस सिंहसथ्ज्ञ के समापन के बाद किस -किसके यहां क्या क्या निकलता है यह भगवान महाकाल जाने लेकिन गन सिंहस्थ की तैयारियों और गड़बडिय़ों को लेकर तरह-की चर्चाचाएं व्याप्त हैं तो लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस नारे का हवाला देते हुए कि ना खाएंगे और न खाने देंगे का नारा देते हुए यह कहते नजर आ रहे हैं कि वह सिंहस्थ की तैयार से लेकर समापन तक हुए निर्माण और व्यवस्थाओं पर किए गए खर्च की एक निष्पख एजेंसी से जांच करा लें तो प ता चल जाएगा कि धर्म के नाम पर क्या-क्या गड़बडिय़ां की गई हैं हालांकि कुछ संस्थाओं द्वारा औरा लोगों द्वारा सिंहस्थ की तैयारी को लेकर जो स्तावेज और वीडियो बनाकर अपने पास संजोकर रखे हुए हैं, नका भी खुदासा लगता है धीरे-धीरे होता नजर आएगा एक ओर जहां सिंहसथ की तैयारी में हुई गड़बडिय़ों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं व्यापत हैं तो वहीं लोग सिंहस्थ के दौरान बार-बार मुख्यमंत्री का सपत्नी उज्जैन पहुंचे को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं चटकारे लेते करते नजर आ रहे हैं। मामला जो भी हो लेकिन सिंहस्थ के दौरान कुछ न कुछ तो गड़बडिय़ां हुई हैं और उनकी जांच किए जाने की भी लोग आवश्यकता बताते नजर आ रहे हैं। 

सिंहस्थ घोटाला: 93 रुपए का स्टेथोस्कोप 7000 में खरीदा

Toc News
भोपाल। सिंहस्थ महाकुंभ सानंद संपन्न हुआ। तीर्थयात्रियों ने प्रदेश सरकार के इंतजामों की तारीफ भी की, लेकिन अब सिंहस्थ में हुए करोड़ों के खर्चों का सोशल आॅडिट शुरू हो गया है। आरटीआई कार्यकर्ताओं समेत कई मीडियाकर्मी सिंहस्थ में हुए खर्चों की जानकारियां जुटा रहे हैं। उम्मीद है, आने वाले दिनों में कई बड़े और चौंकाने वाले खुलासे होंगे। फिलहाल पढ़िए इंदौर के पत्रकार प्रमोद त्रिवेदी की यह रिपोर्ट:


डॉक्टर के गले में लटकने वाले यंत्र स्टेथोस्कोप मरीज की धड़कन सुनने के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन सिंहस्थ-2016 में इसका उपयोग करोड़ों स्र्पए के वारे-न्यारे करने में किया गया। सरकारी अस्पतालों में जहां इसे इसी साल 93 स्र्पए में खरीदा गया, वहीं सिंहस्थ के लिए 7 हजार स्र्पए चुकाए गए। यानी करीब 80 गुना महंगा।

केवल स्टेथोस्कोप ही नहीं, स्वास्थ्य सुविधाओं के काम आने वाले तकरीबन सभी सामान कई गुना महंगे दामों पर खरीदे गए। लघु उद्योग निगम के माध्यम से हुई इस खरीदी में राज्य सरकार ने यह भी नहीं देखा कि सरकारी अस्पताल और सिंहस्थ के लिए खरीदे गए एक ही क्वालिटी वाले सामान की कीमत में इतना ज्यादा अंतर कैसे आ गया। कुल मिलाकर 5 करोड़ की स्वास्थ्य सामग्री 60 करोड़ रुपए में दी गई।

सरकारी और सिंहस्थ के अस्पतालों में कितना अंतर

लघु उद्योग निगम ने जो दाम तय किए, वो सरकारी अस्पतालों में की गई खरीद की कीमत से कई गुना ज्यादा हैं। रबर हैंड ग्लब्स सरकारी अस्पताल में 150 के, सिंहस्थ में 1890 रुपए के। ब्लड बैंक रेफ्रिजरेटर (50 बैग्स) को मध्यप्रदेश सरकार के पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन ने 97 हजार स्र्पए में खरीदा, लेकिन यही रेफ्रिजरेटर सिंहस्थ के लिए 3 लाख 70 हजार स्र्पए में खरीदा गया। ऐसा कोई भी सामान नहीं है, जिसकी ऊंची कीमत पर खरीदी नहीं की गई हो।

Tuesday, May 24, 2016

बीजेपी सिंहस्थ का गेंहू बेचकर कर्ज चुकाएगी: जिलाध्यक्ष

Present by - toc news @ times of crime
भोपाल (संकलन~अम्बरीश शर्मा)
सिंहस्थ के लिए एकत्र 500 क्विंटल गेहूं सतना के भाजपा संगठन ने उज्जैन नहीं भेजा है। इस गेहूं को बेचकर अब पार्टी अपना कर्ज चुकाने की तैयारी कर रही है। सतना जिला अध्यक्ष के इस बयान के बाद स्थानीय भाजपा में हड़कम्प मचा गया है। जिला अध्यक्ष के बयान की जब सार्वजनिक तौर पर किरकिरी होने लगी तो उन्होंने सफाई दी और कहा कि सिंहस्थ में लगे टेंट का कर्ज चुकाने के लिए यह बात कही गई थी।

दो दिन पहले सतना में हुई पार्टी की जिला कार्य समिति की बैठक में कई विधायक और स्थानीय भाजपा पदाधिकारियों की मौजूदगी में यह बात सामने आई कि सतना जिले से आस्था के नाम पर एकत्र किया गया गेहूं उज्जैन नहीं पहुंचा है। इस पर पार्टी की बैठक में ही सतना जिला अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह बघेल ने कहा कि सिंहस्थ के लिए इकट्ठा किए गए गेहूं को उज्जैन नहीं भेजा। अब इस गेहूं को बेचकर कर्ज की राशि अदा की जाएगी। इसके बाद भाजपा नेताओं की कार्यशैली पर उठे सवाल के बाद स्थानीय राजनीति में उथल-पुथल मच गई।

जिलाध्यक्ष बोले, सिंहस्थ के टेंट के खर्च का मांगा है पैसा
इस मामले पर बवाल मचने के बाद भाजपा जिलाध्यक्ष ने कल एक लिखित बयान जारी कर सफाई देते हुए कहा कि सतना जिला भाजपा पर कोई कर्ज नहीं है और सिंहस्थ के लिए संग्रहित अनाज एवं राशि उज्जैन भेजी जा चुकी है। जिन कार्यकर्ताओं से सहयोग नहीं मिल पाया था उनसे सहयोग मांगा गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने जिस कर्ज की बात कही थी उसका आशय उज्जैन में सिंहस्थ में पार्टी द्वारा लगाए टेंट आदि के लिए सतना हिस्सा भेजना था।

जमा हुए 15 लाख, भेजे 1.5 लाख
सूत्र बताते हैं कि 500 क्विंटल गेहूं एकत्र करने के साथ भाजपाईयों ने आम जनता से दान भी लिए थे। इस तरह करीब दस लाख रुपए के गेहूं और पांच लाख रुपए के करीब दान की राशि एकत्र होने की बात कही जा रही है। इस पूरी राशि को श्रद्धालुओं के हित के बजाय भाजपा के हित में खर्च करने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। वहीं गेहूं भेजने के लिए प्रभारी भाजपा नेता श्रीराम मिश्रा ने डेढ़ लाख रुपए नकद प्रदेश भाजपा को भेजने की बात कहकर पूरे मामले को और उलझा दिया है।

Monday, May 23, 2016

आइसना" जिला इकाई मंदसौर में श्री उमेश मैक्स को मंदसौर जिला संयोजक, श्री प्रकाशचंद्र शर्मा को जिला मीडिया प्रभारी नियुक्त

Toc news @ aisna

"आइसना" की मंदसौर जिला एवं तहसील इकाई का गठन शीघ्र किया जाना है. देश में पत्रकारों का सबसे बड़ा एवं लोकप्रिय संगठन "आल इंडिया स्माल न्यूज़ पेपर्स एसोसिएशन" (आइसना) की मंदसौर जिला और तहसील स्तर में इकाइयों का गठन किया जाना है। संगठन के विस्तार हेतु श्री उमेश नैक्स को "आइसना" मंदसौर जिला संयोजक मनोनित किया है..

मंदसौर सर्किट हाऊस में हुई पत्रकारों की बैठक में आइसना प्रदेश महासचिव विनय जी. डेविड ने मनोनित किया गया, बैठक में आइसना प्रदेश मिडिया प्रभारी सतीश सिंह, भोपाल  संभागीय महासचिव माखन विजयवर्गीय मौजूद रहें और
शुभकामनाएं दी.

जिले के पत्रकार साथी आइसना की सदस्यता प्राप्त करने हेतू आमन्त्रित हैं। सदस्यता हेतू योग्यता प्रमाणपत्र, प्रेस द्वारा जारी परिचय पत्र, दो रंगीन फोटो, सहित संपर्क कर सदस्यता ले सकते है।

जिले में सदस्यता प्राप्त करने हेतु पत्रकार साथी श्री उमेश नेक्स जी "आइसना" मंदसौर  जिला इकाई सम्पर्क कर सकते है -

श्री उमेश नेक्स जी का सम्पर्क न.
9424538555

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17/05/2016
भोपाल.

विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव (आइसना)
+91 9893221036

सतीश सिंह -भोपाल
प्रदेश मीडिया प्रभारी (आइसना)
+919098645009

आदेश के 10 दिन बाद भी थानेदार ने नही की एफआईआर

मामला बजरंगगढ पंचायत आवास कुटीरो मे निकाले रूपयो का 
Toc news
गुना।  जिले की बजरंगगढ पंचायत मे स्वीकृत आवास कुटीरो के हितग्राहियो के बैंक खातो से आवंटित राशि 35-35 हजार निकलवा कर रख लेने और फिर मांगे जाने पर

 सरपंच के परिजनो के द्वारा उन्हें सिर्फ 20-20 हजार रूपये ही दिये जाने की शिकायत 12.04.2016 को जनसुनवाई मे तीन हितग्राहियो के द्वारा जिसमे ग्राम निर्भयगढ निवासी प्रकाश पुत्र प्रेम नारायण स्वामी,दिलीप पुत्र मूलचंद सेनी,कमल पुत्र भांवला लाल सहरिया ने की थी। जिसमे उन्होने ने शिकायत की थी कि सरपंच के परिजनो के द्वारा संबंधितो के बैंक खाते खुलवाकर पासबुके अपने ही पास रख ली थी। और फिर खातो मे पैसा आ जाने के बाद तीनो ही हितग्राहीयो को अपने साथ ले जाकर सरपंज के परिजन ने बैंको की शाखाओ से 35 -35 हजार की राशि निकलवाई और अपने पास रख ली। जिसकी जॉच जिलाधीश गुना द्वारा नायब तहसीलदार वृत्त म्याना तहसील गुना के द्वारा की गई।

जिसमे अपने जॉच प्रतिवेदन क्रमांक/क्यू/ज.सु./2016 दिनांक 19.04.2016 मे स्पष्ट किया की कुल 10 हितग्राहियो को कुटीर निर्माण हेतु ओरियन्टल बैंक की हाट रोड गुना शाखा से द्वितीय किश्त के रूप मे 35 हजार -35 हजार रूपये की राशि मार्च माह मे प्राप्त हुई थी। बजरंगगढ सरपंच प्रतिनिधि राजू परिहार ने बदनीयती से हितग्राहियो की बैंक पास बुक अपने पास अनाधिकृत रूप से रखे हुये है। अतः शिकायतकर्ताओ की शिकायत प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होती है। अपने प्रतिवेदन मे यह भी लिखा कि बुलाये जाने पर राजू परिहार और सरपंच प्रेमलता परिहार उपस्थित नही हुये और शिकायत के संदर्भ मे अपने कथन दर्ज नही कराये। साथ ही सरपंच प्रतिनिधी पर एफआईआर,और सरंपच पर धारा 40 के तहत कार्यवाही के लिये लेख किया। प्रतिवेदन के बाद डिप्टी कलेक्टर गुना ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत गुना को पत्र क्रमांक/ क्यू/9-17/110/2016 दिनांक 28.04.2016 को पत्र लिखा लेख किया कि जिलाधीश महोदय द्वारा आदेशित किया गया कि श्री राजू परिहार के विरूद्व जांच मे आरोप प्रमाणित है।

संबंधित के विरूध प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज करे। इसी क्रम मे 6/05/16 को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत गुना ने एक पत्र सीईओ गुना को लिखा और कार्यवाही सुनिशित करने को कहा। दिनांक 12.05.16 को जनपद पंचायत गुना ने पत्र क्रमांक 1653 थाना प्रभारी बजरंगगढ को लिखा जिसमे लेख किया गया कि कथन,शिकायत, पंचनामा, और मौखिक साक्ष्यो के आधार पर सरपंच प्रतिनिधि राजू परिहार द्वारा 15-15 हजार रूपये लेने की बात सत्य प्रतीत होती है।

आरोपी राजू परिहार के विरूद्व आपराधिक प्रकरण दर्ज कर हितग्राहियो की राशि वापिस कराना अभीष्ट है। इस पत्र की कॉपी श्री विजयकान्त शर्मा सचिव ग्राम पंचायत बजरंगगढ को भेजी हैै। और संबधित थाने मे एफआईआर दर्ज कराकर उसकी प्रति कार्यालय मे उपलब्ध कराने की बात कही है। लेकिन 10 दिन बीत जाने के बाद भी बजरंगगढ थाना प्रभारी ने एफआईआर दर्ज नही की।

 इनका कहना है।
मेरी जानकारी मे कुटीरो से संबंधित मामले मे एफआईआर नही हुई है । अभी जॉच चल रही है। थाना प्रभारी बजरंगगढ

वायरल हो रही हैं असम में BJP महिला MLA की हॉट अर्धनग्न तस्वीरें

गुवाहाटी @ toc news
महिलाओं की सुन्दरता हर जगह चर्चा का कारण बन जाती है फिर चाहे वोह कोई बॉलीवुड की हसीना हो या फिर कोइ नेता I असम में इस समय चर्चा में है फ़िल्मी पर्दे से विधान सभा पहुँची अंगूरलता डेका, जो असम के इतिहास में अब तक की सब से सुन्दर और गलैमर से भरपूर महिला MLA होंगी I मज़े की बात यह है कि अंगूरलता डेका का BJP की महिला MLA चुने जाने के बाद से ही उन की हॉट तस्वीरें वायरल हो  रही हैं I तस्वीरों को देख कर अब खुद ही अंगूरलता की ग्लैमर का अंदाजा लगा सकते हैं I

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वायरल हो रहे तस्वीरों में एक तस्वीर स्वीमिंग पूल की है जिस के बारे में दावा किया गया है कि यह फोटोशाप्ड नहीं है. साथ ही संघ के कार्यकर्ताओ को चुनौती दी गयी है कि गांधी व नेहरू की फोटोशाप्ड तस्वीरें डालने वाले लोग यह साबित करें कि यह फोटोशाप्ड तस्वीर है. 


इस फोटो को अपलोड करने वाले रंजन यादव ने फोटो के नीचे लिखा है कि आपने संघियों के बहुत सारे फ़ोटोशाप देखे होंगे जिसमें नेहरु से लेकर सोनिया गांधी तक के दारू और अय्याशी के चिन्ह मिल जाएँगे । इसके बारे में भक्त कुछ लिखे । अगर कोई फ़ोटोशाप साबित कर दे तो मैं Facebook का अकाउंट बंद कर दूँगा ।

वायरल हो रहे तस्वीरों में एक तस्वीर स्वीमिंग पूल की है जिस के बारे में दावा किया गया है कि यह फोटोशाप्ड नहीं है. साथ ही संघ के कार्यकर्ताओ को चुनौती दी गयी है कि गांधी व नेहरू की फोटोशाप्ड तस्वीरें डालने वाले लोग यह साबित करें कि यह फोटोशाप्ड तस्वीर है. इस फोटो को अपलोड करने वाले रंजन यादव ने फोटो के नीचे लिखा है कि आपने संघियों के बहुत सारे फ़ोटोशाप देखे होंगे जिसमें नेहरु से लेकर सोनिया गांधी तक के दारू और अय्याशी के चिन्ह मिल जाएँगे । इसके बारे में भक्त कुछ लिखे । अगर कोई फ़ोटोशाप साबित कर दे तो मैं Facebook का अकाउंट बंद कर दूँगा ।
माना यह जा रहा है कि अंगूरलता डेका देश की सबसे हॉट  महिला विधायिका हैं जिन्हों ने असम के बतद्रोवा से भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की। अंगूरलता डेका ने चुनाव में कांग्रेस के गौतम बोरा को हराया। अंगूरलता ने  जिस सीट से जीत हासिल की वहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी अधिक बताई जाती है। वहां पर बांग्लादेश से भारत आए हुए लोगों की संख्या काफी अधिक है।
अंगूरलता डेका राजनीति में आने से पहले फिल्में और मॉडलिगं किया करती थी। डेका कई बंगाली और असमिया फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं। साथ ही उन्हें फोटो शूट का भी शौक है। अंगूरलता डेका एक्ट्रेस होने के साथ-साथ डायरेक्टर भी हैं।  अंगूरलता डेका ने पहली बार राजनीति में कदम रखा साथ ही उन्हें सफलता भी मिली।
डेका ने असमिया फिल्म एक्टर और असम के थियेटर कलाकार आकाशदीप से शादी की है। दोनों ने साथ मिलकर कई फिल्मों में काम किया है। आकाशदीप का नाम मोनीदीप भी है। अंगूरलता के पति आकाशदीप ने भी चुनावों में प्रचार-प्रसार किया है।
अंगूरलता डेका ने अपनी हाई स्कूली पढ़ाई 2001 में सीबा एस.एस एल.सी स्कूल से की।  2003 में हायरसेकंडरी परीक्षा पास की। एम.एन.सी गर्ल बालिका महाविद्यालय, नलबाड़ी से बी.ए में गैजुश्न किया I अंगूरलता डेका अपनी फोटो अपने फैन्स के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करना नहीं भूलतीं हैं।

Friday, May 20, 2016

बार डांसर्स के साथ पकड़ाए स्वदेश बिल्डर्स, जेके अस्पताल, लेक लैंड बिल्डर्स के मालिक सहित भोपाल के एक दर्जन रईसजादे

Toc news





भोपाल। बार बालाओं के अश्लील डांस के ठुमके, मंहगी विदेशी शराब की चुस्कियां और उन पर लुटाते नोटों के साथ रेव पार्टी का मजा लेते हुए भोपाल शहर के नामी रईसजादों को पुलिस ने कान्हा फन सिटी पार्क होशंगाबाद रोड से कल सोमवार देर रात पकड़ा है। पकड़ाए गए लोगों में जेके मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के मालिक अनुपम चौकसे, स्वदेश बिल्डर के मालिक नितिन अग्रवाल, बिल्डर एसोसिएशन क्रेडाई के अध्यक्ष और लेक लैंड बिल्डर्स वसी खान, फिल्म प्रोड्यूसर धमेन्द्र कुशवाहा के नाम शामिल हैं। एडिशनल एसपी साउथ भोपाल मयंक अवस्थी ने इंडिया वन समाचार को बताया कि जिस समय पुलिस ने कान्हा फन सिटी पर दबिश दी, उस समय छह बार बालाओं के डांस पर यह सभी रईसजादे ठुमके लगा रहे थे। एडिशनल एसपी के अनुसार पकड़े गए लोगों में धमेन्द्र कुमार गुप्ता पिता नाथुराम गुप्ता उम्र 45 वर्ष निवासी ई-7/35 अरेरा कालोनी भोपाल, जितेन्द्र अहिरवार पिता चिमाधर अहिरवार उम्र 25 वर्ष निवासी मकान नम्बर 26 पिपरिया खास जिला सागर, सोनू तोनकर पिता महेन्द्र तोनकर उम्र 25 वर्ष निवासी मकान नम्बर 103 टापू नगर परदेशीपुरा इंदौर, कन्हैयालाल कुशवाहा पिता भाईजी प्रसाद कुशवाहा उम्र 32 साल निवासी पिपलिया होशंगाबाद, सतीश कुमार मुकाती पिता रामप्रसाद मुकाती उम्र 43 वर्ष निवासी ए 439 मीनाल कालोनी भोपाल, अनुपम चौकसे पिता जयनारायण चौकसे उम्र 37 वर्ष निवासी मकान नम्बर 31 श्यामला हिल्स भोपाल, वसी खान पिता एए खान उम्र 49 वर्ष निवासी लेक पर्ल कालोनी गोदरमउ गांधीनगर भोपाल, जितेन्द्र पाठक पिता राम सहाय पाठक उम्र 52 वर्ष निवासी एस 9ए सांची अपार्टमेंट शिवाजी नगर भोपाल, राहुल श्रीवास पिता भंवरलाल श्रीवास उम्र 34 वर्ष निवासी जे 191 जनता कालोनी ग्यारह नम्बर स्टॉप हबीबगंज भोपाल, विजय शर्मा पिता गणेशप्रसाद शर्मा उम्र 48 वर्ष निवासी 114 श्री टावर जोन 2 एमपी नगर भोपाल, राजू ज्ञानचंदानी पिता सुंदर कुमार ज्ञानचंदानी उम्र 48 वर्ष निवासी मकान नम्बर 437 आराधना नगर कमला नगर भोपाल, नितिन अग्रवाल पिता विजय कुमार अग्रवाल उम्र 49 निवासी मकान नम्बर एक ग्रीन एवेन्यू चूना भट्टी भोपाल, लोकेन्द्र सिंह राजपूत पिता भरत सिंह राजपूत उम्र 28 वर्ष निवासी एचआईजी 1 ओपटेल कुंज राधापुरम् कालोनी मिसरोद भोपाल के नाम शामिल हैं। इसके अलावा पुलिस ने मुबंई से बुलाई गई बार डांसर्स श्वेता सिंह, स्वाति सिरोदकर, पिंटाली सेन, शिखा पाठक, पीहू जायसवाल और खुशबू जायसवाल को भी हिरासत में लिया है। एडिशनल एसपी मयंक अवस्थी ने इंडिया वन समाचार को आगे बताया ​कि मौके से पुलिस ने एक कॉर्टन भरकर दस से एक हजार रुपए के नोट, जिनकी कीमत 68 हजार है भी बरामद किए हैं। यह नोट बार डांसर्स पर शहर के रईसजादों ने न्यौछावर किए थे। इसके अलावा पुलिस ने मंहगी विदेशी शराब की कई बोतलें भी मौके से जब्त की हैं। मिसरोद पुलिस ने इंडिया वन समाचार को बताया कि कान्हा फन सिटी के मालिक बल्लू पाटिदार के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस की रेड के दौरान बल्लू पाटिदार मौके से भाग गया था। पकड़ी गई बार डांसर्स ने पुलिस को बताया कि वह लोग कल सोमवार को मुंबई से हवाईजहाज से भोपाल आईं थी। इनको एक रात का पंद्रह हजार रुपए देने की डील थी। पुलिस ने आगे बताया कि यह बार डांसर्स पुलिस के साथ पूछताछ में सहयोग नहीं कर रही हैं। इंडिया वन समाचार को पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शहर के रसूखदारों को छुड़ाने के लिए पुलिस पर भारी दबाव बनाया गया था। साथ ही आरोपियों के नाम और फोटो मीडिया को नहीं देने के लिए भी पुलिस पर भारी दबाव था। सभी आरोपियों को मंगलवार दोपहर को थाने से जमानत दे दी गई

शिवराज सरकार के मंत्री भ्रष्ट्रो मे सरवोत्तम का एक और कारनामा

💰इन्दौर सीवेज प्रोजेक्ट में मंत्री नरोत्तम मिश्रा को मिले 26.70 करोड़ रुपए
जबलपुर. इन्दौर शहर में सीवरेज प्रोजेक्ट के ठेके के एवज में तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री नरोत्तम मिश्रा को 26 करोड़ 70 लाख रुपए दो कंपनियों से मिले थे। इस बेनामी आय से संबंधित मामले का खुलासा होने पर इन्कम टैक्स विभाग ने मंत्री के खिलाफ कार्रवाई शुरु की। विभाग के आंकलन अधिकारी के बाद आयकर आयुक्त और आयकर अपीलीय अधिकरण के यहां से आए आदेशों के बाद यह मामला हाईकोर्ट में दायर हुआ, जो फिलहाल विचाराधीन है।            

इस मामले पर अगली सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद होगी। आयकर विभाग ने 21 जुलाई 2008 को एक मुकेश शर्मा नामक व्यक्ति के यहां छापा मारा था। उसके यहां से बड़ी संख्या में दस्तावेज बरामद हुए, जिससे यह पता चला कि नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा इन्दौर में सीवेज प्रोजेक्ट के दिए गए ठेके में मुकेश ने लाइजनिंग एजेन्ट की भूमिका निभाई थी। दस्तावेजों से यह भी पता चला कि यह ठेका मे. नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड और मे. सिम्पलैक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. को दिया गया था। इसके लिए नगरीय प्रशासन मंत्री नरोत्तम मिश्रा को क्रमश: 16 करोड़ 20 लाख और 10 करोड़ 50 लाख रुपए कंपनियों से मिले थे।

पीएस को लगा है झटका
इस ठेके में तत्कालीन प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव को भी 2.21 करोड़ रुपए दोनों कंपनियों ने दिए थे। खुलासा होने पर आयकर विभाग ने उन्हें नोटिस देकर कहा था कि वे वर्ष 2009-10 के वर्ष टैक्स का निर्धारण करने दस्तावेज पेश करें। इस कार्रवाई को चुनौती देकर मलय श्रीवास्तव ने एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी। हाईकोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर के मलय श्रीवास्तव आंकलन अधिकारी के सामने हाजिर होकर अपनी बात रखें। यदि वे जांच अधिकारी के आदेश से संतुष्ट नहीं होते तो कानून में मौजूद विकल्पों के तहत उसे चुनौती देने स्वतंत्र होंगे।

‘बेनामी आय और निवेश में फर्क’
आयकर आयुक्त की ओर से दायर अपील पर 10 फरवरी 2016 को चीफ जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजय यादव की युगलपीठ ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान विभाग के अधिवक्ता संजय लाल का कहना था कि अधिकरण ने बेनामी आय और बेनामी निवेश को मत भिन्नता बताकर दरकिनार कर दिया, जो गलत था। प्रकरण का अवलोकन करके युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि विभाग की ओर से दी गई दलीलें से हम प्रथम दृष्टया सहमत हैं। चूंकि इस मामले में कानून के कुछ अहम सवाल जुड़े हैं, इसलिए इस मामले को विचारार्थ स्वीकार किया जा रहा है।

महापौर और आयुक्त भी दायरे में
मलय श्रीवास्तव की याचिका पर दिए फैसले में हाईकोर्ट ने मुकेश शर्मा के घर से बरामद हुए एक दस्तावेज का भी जिक्र किया था। दस्तावेज से साफ था कि तत्कालीन मंत्री को ठेके की 6 फीसदी राशि, प्रमुख सचिव को 1.25 फीसदी, नगरीय प्रशासन आयुक्त को आधा फीसदी, महापौर को 1 फीसदी और आयुक्त को आधा फीसदी राशि बतौर कमीशन दी गई थी। इस पर चारों के खिलाफ आयकर विभाग ने कार्रवाई शुरु की। इन्कम टैक्स की कार्रवाई को लेकर इन्दौर की तत्कालीन महापौर उमा शशि शर्मा और आयुक्त नीरज मंडलोई ने भी हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। फिलहाल ये याचिकाएं विचाराधीन हैं और उनकी सुनवाई भी ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद होगी।

हाईकोर्ट क्यों आया मामला
मंत्री नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ इन्कम टैक्स विभाग के आंकलन अधिकारी ने आयकर निर्धारण को लेकर आदेश पारित किया। जब मामला आयुक्त प्रशासनिक के पास पहुंचा तो उन्होंने 31 दिसंबर 2012 को आंकलन अधिकारी के आदेश को सही न पाते हुए फिर से फिर से टैक्स का निर्धारण करने कहा। उनका मानना था कि आंकलन अधिकारी ने सिर्फ बेनामी निवेश की ही जांच की है। जो मंत्री नरोत्तम मिश्रा को 26 करोड़ 70 लाख रुपए की बेनामी आय हुई, उसके बारे में कुछ नहीं लिखा गया। आयुक्त प्रशासनिक के इस आदेश को नरोत्तम मिश्रा ने आयकर अपीलीय अधिकरण में चुनौती दी। अधिकरण ने 25 नवम्बर 2014 को आयुक्त प्रशासनिक के आदेश को गलत ठहराते हुए खारिज कर दिया। इस पर आयकर आयुक्त की ओर से यह अपील हाईकोर्ट में दायर की गई।

नीमच मे कुकुरमुत्तों की तरह पनप रहे बार और आहाते

🇳🇪NNOI न्यूज़ एजेन्सी 🇳🇪
🍷🍻 🍻🍷
🍗🍖 जिला आबकारी विभाग जीम रहा हड्डियाँ 🍗🍖

म.प्र. के नीमच. जिला मुख्यालय सहित जिले के आसपास प्रमुख सड़क मार्गों पर दर्जनों अवैध दारू के अड्डे संचालित हो रहे हैं. इन अवैध अड्डों की वजह से जिले मे लगातार अपराध दर बढ़ रही है. आंकड़ों की द्रष्टि से देखा जाए तो विगत वर्ष की अपेक्षा बीते चार माह मे ज्यादा अपराध घटित हुए हैं. मामले मे जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आर के सगर का मानना है की हायवे पर रात मे होने वाली ज्यादातर घटनाओं मे शराबी तत्व एवं अवैध शराब के ढाबे अहाते एवं आबकारी की लचर व्यवस्था जवाबदार है. पुलिस कार्रवाई करती भी है लेकिन आबकारी विभाग की लचर व्यवस्था से अवैध शराब ढाबों पर बिक रही है.  उल्लेखनीय है की मंदसौर रोड.मनासा रोड एवं नवा गाँव. प्रतापगढ़ रोड पर रोजाना शाम होते ही दर्जनों ढाबों पर शराब बिकती देखी जा सकती है. लेकिन आबकारी विभाग को मिल रही ग हड्डियाँ इन पर लगाम लगाने मे बाधा बन रही है,
आलम यह है की पूरी रात हायवे पर धमाचौकडी देखी जा सकती है
इन असामाजिक तत्वों की बजह होटलों पर सभ्य ग्राहक की फजीहत हो रही है.
मामले मे सूत्रों ने बताया की इस बार शराब माफिया पर आबकारी महरबान रहा है. अवैध शराब पर विभाग की खुली छूट है. जिसके चलते बिना चालान के अवैध शराब धड़ल्ले से जिले मे सप्लाई हो रही है.

Thursday, May 19, 2016

भाजपा नेताओ की मिली भगत से अवैध निर्माण जोरो पर

Toc news
नीमच। केन्द्र व राज्य मे जब से भाजपा सरकार बनी है। भाजपा के विधायक से लेकर जनपद अध्यक्ष व जनपद सदस्य की नीमच मे हो रही है बल्ले बल्ले। यही भाजपा के नेता बडी बडी घोषणाएँ कर रहे है लेकिन विधायक,जनपद अध्यक्ष व जनपद सदस्य नीमच जिले की शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा करने से किसी से पीछे नही है जिसका ताजा मामला देखने को मिला ग्राम पंचायत जमुनिया कला की जनपद सदस्य प्रेमलता पति नवीन खारोल के सम्बंधि द्धारा सर्वे नम्बर 21 मे शासकीय भूमि पर सरकार के सारे नियमो को ताख पर रखकर अवैध निर्माण किया जा रहा है। वही प्रेमलता खारोल के सम्बंधि ने मनासा तहसील के ग्राम साण्डिया मे शासकीय भूमि पर अवैध मकान बना रखा है।जनपद सदस्य का यह चहेता अब ग्राम जमुनिया कला की शासकीय भूमि पर निर्माण कर रहा है लेकिन जिले मे बैठे जवाबदार अधिकारी पटवारी,तहसीलदार कलेक्टर आँख पर पट्टी बाँध कर इन नेताओ के चापलूस बने हुए है व नीमच जिले की शासकीय जमीन पर अवैध निर्माण कराने मे पुरा सहयोग दे रहे है। क्या जिले के अधिकारी भाजपा के नेताओ से डरते है। यह उनकी मिली भगत से अवैध निमाण हो रहे है।

इनका कहना
मेरे द्वारा इस मामले मे सभी अधिकारियो को अवगत कराया गया लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नही हुई।
                विनोद जायसवाल
                     सरपंच

साध्वी प्रज्ञा थ्री लेयर सुरक्षा के साथ सिंहस्थ स्नान करने लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस पर उज्जैन पहुंची

साध्वी प्रज्ञा थ्री लेयर सुरक्षा के साथ सिंहस्थ स्नान करने लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस पर उज्जैन पहुंची
Toc news @ Bhopal
भोपाल। मालेगांव धमाके की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल पुलिस देवास कोर्ट के आदेश पर सिंहस्थ स्नान के लिए उज्जैन लेकर आई. ब्लड प्रेशर सामान्य नहीं होने की वजह से साध्वी के उज्जैन जाने में करीब आठ घंटे की देरी हुई.
साध्वी को थ्री लेयर सुरक्षा में भोपाल से उज्जैन लाया गया है. थ्री लेयर सुरक्षा व्यवस्था के बीच साध्वी को लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस से उज्जैन लाया गया है.
इसके पहले मालेगांव बम विस्फोट में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से क्लीनचिट पाने वाली साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की मध्य प्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ के दौरान क्षिप्रा नदी में स्नान करने की मांग राज्य सरकार ने मान ली. साध्वी को उज्जैन में स्नान कराने के लिए मंगलवार को देवास जिला अदालत ने सरकार को दोबारा आदेश दिया था.
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक सुनील जोशी की हत्या में शामिल होने का आरोप है और इस मामले में देवास जिले की अदालत में सुनवाई चल रही है.
साध्वी की ओर से सिंहस्थ में स्नान के लिए किए गए आवेदन पर न्यायालय ने उन्हें 21 मई से पहले स्नान कराने के निर्देश सरकार को दिए थे. इसके बाद भी सरकार की ओर से कोई पहल नहीं किए जाने पर उन्होंने सोमवार से भोपाल के खुशीलाल आयुर्वेदिक चिकित्सालय में आमरण अनशन शुरू कर दिया था.
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर इन दिनों राजधानी भोपाल के केंद्रीय जेल में बंद हैं. उनकी बीमारी का भोपाल के खुशीराम आयुर्वेदिक चिकित्सालय में उपचार चल रहा हैं. साध्वी के करीबी भगवान झा के अनुसार, मंगलवार को देवास न्यायालय ने दोबारा सरकार को साध्वी को उज्जैन में स्नान कराने के निर्देश दिए, जिस पर उन्हें बुधवार को उज्जैन लाया गया है. साध्वी ने उज्जैन में ही अनशन तोड़ने का ऐलान किया है.
साध्वी ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कहा- मैं बेकसूर हूं। सच सामने आएगा। सत्यमेव जयते।  
उज्जैन के लिए रवाना होने से पहले साध्वी ने मीडिया से कहा कि, नरेंद्र मोदी बहुत अच्छे पीएम है। उनके नेतृत्व में निश्चित ही देश विकास करेगा।

Wednesday, May 18, 2016

हाईकोर्ट ने दिया डॉक्टरों के खिलाफ करवाई करने का आदेश

Toc News
इंदौर । फर्जीवाड़ा कर बुजुर्गो का नास्ता डकारने वाले डॉक्टरों के द्वारा पूर्व में किए गए घोटालो में विभागीय करवाई नही होने पर हाईकोर्ट ने 4 सप्ताह में करवाई करने का आदेश जारी किया है। सरकारी योजनाओ को भ्रष्टाचार की भेट चढाने वाले पूर्व CHMO डॉ. अशोक डगरिया, डॉ. माधव हसानी मेडिकल आफिसर P.C.सेठी हॉस्पिटल, जितेंद्र मौर्य लेखापाल, शिवसिंह दिरवाया के खिलाफ पत्रकार-आरटीआई कार्यकर्ता राजेन्द्र के गुप्ता की शिकायत पर लोकायुक्त में भी प्रकरण दर्ज है, इस मामले में पूर्व PS स्वास्थ्य कृष्ण कुमार और आयुक्त स्वास्थ्य भी जाँच में फंसे हुए है , इनके खिलाफ FIR दर्ज करवाने की विभागीय अनुशंसा होने के बावजूद डॉ.डागरिया, डॉ. हसानी, जितेंद्र मौर्य, शिवसिंह दिरवाया के खिलाफ विभागीय करवाई नही करने, पद से नही हटाने के कारण हाईकोर्ट में WP याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर मा.जस्टिस श्री एस. सी. शर्मा जी ने दिनांक 10.05.2016 को आदेश जारी कर 4 सप्ताह में इनके खिलाफ विभागीय करवाई करने का आदेश जारी किया है। हसानी उन डॉ. में शामिल है जिन्होंने शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत मनाए जाने वाले वृद्धजन दिवस को मनाए बिना फर्जी बिल लगा कर शासकीय राशि का गबन किया है। इस मामले में भी एफआईआर की अनुशंसा की गई है।

Tuesday, May 17, 2016

भोपाल में रेव पार्टी : 6 बार बालाओं के साथ 13 रईसजादों को पकड़ा

Toc news
भोपाल के मिसरोद थानांतर्गत आने वाले फन सिटी वाटर पार्क में किया गया था रेव पार्टी का आयोजन।
मुंबई से बुलाई गई थी 6 बार बालाएं, रात 2 बजे पुलिस ने दी दबिश,
6 बार बालाएं (लड़कियों) सहित 13 रईसजादों को पकड़ा,
शाम को आई थी लड़कियां,
दस-दस के नोटों की कई गड्डियां बरामद,
बार बालाओं और रईसजादों से चल रही है पूछताछ,
फन सिटी चेतन पाटीदार के बड़े भाई बब्लू पाटीदार का है,
चेतन पाटीदार के खिलाफ करीब 2 साल पहले एक महिला ने दिल्ली के पहाड़गंज थाने में दर्ज कराया था बलात्कार का मुकदमा।

Monday, May 16, 2016

प्रज्ञा ठाकुर की चेतावनी, कुंभ जाने दो, वर्ना अनशन कर त्याग दूंगी शरीर

Toc News
भोपाल। भोपाल के पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक संस्थान में इलाज करा रही साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने सोमवार से आमरण अनशन की चेतावनी दी है। प्रज्ञा ठाकुर ने अपने पत्र में लिखा कि अगर सोमवार 9 बजे तक उन्हे सिंहस्थ में जाने की अनुमति नहीं दी तो वे 10 बजे से आमरण अनशन पर बैठ जाएंगी। प्रज्ञा ठाकुर की चेतावनी ने सरकार की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। प्रज्ञा ठाकुर ने आगे लिखा, 'इसके बाद वह कुंभ खत्म होने पर अपनी देह त्याग देंगी और समाधि ले लेंगी।'

प्रज्ञा ठाकुर के वकील ने जेल अधीक्षक को यह पत्र दिया जिसकी कॉपी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, मानव अधिकार आयोग, महिला आयोग को भेजी है। पत्र में कहा गया कि जब कोर्ट ने कुंभ स्नान की अनुमति दे दी है तो फिर क्यों सरकार उन्हें जाने से रोक रही है? प्रज्ञा ठाकुर ने लिखा कि वो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहीं है और शायद अगला कुंभ ने देख पाएं इसलिए उनकी अंतिम इच्छा है कि वे उज्जैन कुंभ मे जाएं और अपने गुरू आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंदगिरी जी महाराज से आशीर्वाद लें।

आपको बता दें कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ने अवधेशानंदगिरी जी महाराज से दीक्षा ली थी और वहीं उन्हे नया नाम पूर्ण चेतानंद गिरी मिला था। उन्होंने लिखा है कि मैं अन्न जल त्याग दूंगी और मुझे कुछ होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी मध्य प्रदेश सरकार की होगी उन्होंने अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने लिखा कि मेरे साथ पहले एसएएफ का बल रहता था लेकिन वो भी हटा दिया गया है एैसे में उनकी जान को खतरा है। प्रज्ञा ठाकुर ने जेड प्लस सुरक्षा की मांग की और सवाल पूछा कि जब देवास जिला कोर्ट ने उज्जैन जाने की अनुमति दे दी है तो फिर सुरक्षा का हवाला देकर सरकार कोर्ट की अवमानना कर रही है।

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की चिट्ठी उनके सबसे विश्वसनीय भगवान झा लेकर पहुंचे थे। जेल अधीक्षक ने भगवान झा को आश्वासन दिया के वह मामले को वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा देंगे। भगवान झा ने कहा कि सरकार के पास पुलिस बल की कोई कमी नहीं है इसलिए साध्वी की सिंहस्थ यात्रा सुनिश्चित करा दी जाए नहीं तो गंभीर परिणाम होंगे। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अपनी चिट्ठी में अपने जीवित समाधि का समय भी तय कर दिया है। उन्होंने लिखा है कि अगर सरकार ने उन्हें सिंहस्थ में शामिल नहीं होने दिया तो वह 21 मई 2016 को रात आठ बजे जीवित समाधि ले लेंगी।

Sunday, May 15, 2016

मुख्यमंत्री जी, नदियां कर रही करुण पुकार

Present by _ toc news
-- चिंता से नहीं ठोस कदम उठाने से बदलेगी तस्वीर --
प्रदेश की प्रमुख नदियां सूख रही हैं, कुछ तो लुप्त प्रायः हो चुकी हैं और हद यह है कि उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर कुम्भ का आयोजन किया गया, लेकिन उसमें जल भराव के लिए नर्मदा नदी का सहारा लेना पड़ा। बावजूद इसके शिवराज सरकार कुछ ठोस कदम उठाने की बजाय नदियों के चीरहरण पर महज चिंता जाहिर करते हुए विचार प्रकट करती है तो अफसोस होता है। दरअसल निनौरा में आयोजित विचार महाकुम्भ के दौरान देश भर के बुद्धिजीवियों  ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में अपने-अपने विचार व्यक्त किए तो वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नदियों पर अपनी चिंता जाहिर करने वाले विचार रख दिए। उन्होंने कहा कि देश भर की नदियां सूख रही हैं। नदियों को पुनर्जीवित करना चाहिए। नर्मदा और क्षिप्रा के दोनों किनारों पर पेड़ लगाने का अभियान चलाएंगे। इसके साथ ही नर्मदा के उदगम स्थल पर अमरकंटक से संतों के साथ मिलकर विशाल पदयात्रा के माध्यम से पेड़ लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करेंगे।
देश भर में फैली पानी की किल्लत और सूखे से आमजन और किसान दोनों परेशान हैं। देश भर में दिन व दिन नदियों का जलस्तर गिरता जा रहा है। यदि यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब लोग बूंद-बूंद पानी को तरसेंगे। किसानों को खेती के लिए पानी तो दूर लोगों को पीने का पानी भी नसीब नहीं होगा। नदियों के किनार अतिक्रमण, प्रदूषण और अवैध खनन से नदियों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। मध्यप्रदेश में रेत के खनन से नदियों और उसकी जलवायु पर भारी खतरा मंडरा रहा है। शायद ही ऐसी कोई छोटी-बड़ी नदी हो, जिस पर रेत का उत्खनन न हो रहा हो। नर्मदा को मध्यप्रदेश की जीवनदायनी कहा जाता है। रेत माफिया बड़ी बड़ी राक्षसनुमा पोकलेन और जेसीबी मशीनों से बीच नदी से दिन रात रेत का उत्खनन कर रहे हैं। जिससे नदियां टापू में तब्दील होती जा रही हैं। इसके कारण आसपास के क्षेत्रों का जलस्तर गिरता जा रहा है।
नर्मदा का उदगम अमरकंटक से होता है, लेकिन पर्वतमाला से उतर कर चंद किलोमीटर बाद ही खनन माफिया नर्मदा का चीरहरण करता नजर आता है। माफिया रेत का उत्खनन कर अपनी तिजोरियां भरते हैं। जहां जहां से नर्मदा बहती हुई अपना मार्ग प्रशस्त करती है वहां-वहां हर जगह खनन माफियाओं द्वारा रेत खनन बेरोकटोक जारी रहता है। अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, सीहोर, हरदा, खंडवा, बड़वानी, धार और झाबुआ सहित ऐसा कोई जिला नहीं है जहां पर रेत का उत्खनन न हो रहा हो। नर्मदा पर वैध और अवैध दोनों तरीकों से शासन-प्रशासन की नाक के नीचे बेरोकटोक खनन जारी है। नर्मदा के अलावा प्रदेश में शायद ही ऐसी कोई नदी बची हो जहां रेत का वैध-अवैध उत्खनन न हो रहा हो। नर्मदा के अलावा महाकौशल में बेनगंगा, पेंच और कनान रेत उत्खनन के सबसे बड़े केंद्र हैं। चंबल मध्यप्रदेश की दूसरी बड़ी नदी है और यह इंदौर के महू से निकलकर धार, रतलाम, मंदसौर, शिवपुरी, भिंड और मुरैना होते हुए इटावा में जाकर यमुना से मिलती है। इन सभी जिलों में उत्खनन का कारोबार बदस्तूर जारी है। इनके अलावा बैतूल में ताप्ती, अनूपपुर, सीधी और सिंगरौली में सोन नदी, रायसेन, विदिशा, गुना, ओरछा की बेतवा, होशंगाबाद की तवा, देवास की काली सिंध और सीहोर की पार्वती नदी ये सभी नदियां बड़ी मात्रा में उत्खनन की शिकार हैं। इसलिए कहने में संकोच नहीं कि नदियों पर चिंता बहुत जरूरी है, लेकिन सिर्फ चिंता से क्या होगा। इसके लिए कोई ठोस कदम उठाने होंगे वो भी बिना किसी भेद-भाव के पूर्ण ईमानदारी के साथ। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस प्रकार अपनी चिंता जाहिर की है उसी प्रकार धरातल पर उतरकर नदियों के लिए कार्य करना बहुत जरूरी है। रेत माफियाओं के हौसले तो इतने बुलंद हैं कि खुद मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र बुधनी  नसरुल्लागंज को उन्होंने अवैध उत्खनन का सबसे बड़ा गढ़ बना रखा है, क्या शासन-प्रशासन इससे अनभिज्ञ है। अगर ऐसा है तो फिर समझा जा सकता है कि जिसकी नाक के नीचे नदी का चीरहरण हो रहा हो तो बाकी की नदियों का क्या हाल होता होगा आसानी से समझा जा सकता है।
-सौरभ जैन ‘अंकित’

अंग प्रदर्शन को अवधेशानंद ने बताया चिंतनीय

Present by - toc news
उज्जैन में आयोजित विचार कुंभ का हुआ शुभारंभ
उज्जैन। उज्जैन के निनौरा में तीन दिनी वैचारिक महाकुंभ का शुभारंभ गुरुवार को हुआ। विचार मंथन को संबोधित करते हुए स्वामी अवधेशानंद गिरी ने समाज में बढ़ रहे उपभोक्तावाद और अंग प्रदर्शन पर चिंता जताई और सकारात्मकता का संदेश दिया।
विचार कुंभ की खास बातें...
– विचार कुंभ का शुभारंभ वंदे मातरम् से हुआ। मंच पर संघ प्रमुख मोहन भागवत, सीएम शिवराजसिंह चौहान, जूना अखाड़े के पीठाधीश अवधेशानंद गिरि, गायत्री परिवार के प्रमुंख डॉ. प्रणव पंड्या, बौद्ध गुरु बेन बानगल थेरो और सांसद अनिल दवे मौजूद थे।
स्वामी अवधेशानंद बोले..
भारतीय समाज में बढ़ रहा उपभोक्तावाद और अंगप्रदर्शन चिंता का विषय है। हमें समाज को सकारात्मक दिशा देनी होगी। उन्होंने नदी औश्र पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने की जरूरत बताई। साथ ही कहा कि हमारे पास 5 लाख साधु-संत है। नदी बचाने और पौधे लगाने के लिए ये सब सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तत्पर हैं।
संघ प्रमुख् बोले…
भारत भूमि में सभी संप्रदायों को समेटने की ताकत और सामर्थ्य है। भारत माता हमारी जीवन दायिनी है। इसलिए भारत की विविधता को अलंकार के रूप में देखना चाहिए। विविधता का सम्मान किय जाना चाहिए। व्यवस्था शोषण मुक्त होनी चाहिए।
डॉ. प्रणव पंड्या ने कहा…
विचार कुंभ के आयोजन के लिए सीएम शिवराजसिंह चौहान को बधाई दी। इस विचार मंथन से निकलने निष्कर्ष ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी मानवता के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगीं।
ये हैं विचार के चार कुंभ
शक्ति कुंभ- 70 से ज्यादा देशों में असंतुलित लिंगानुपात की चुनौती।
स्वच्छता कुंभ- विश्व की 40 फीसदी आबादी अभी तक बुनियादी स्वच्छता के बगैर।
कृषि कुंभ- मिट्टी की उर्वरता, संरचना व संरक्षण व क्षरण।
कुटीर कुंभ- कुटीर उद्योगों की स्थिति व विकास।

मंत्री का पीए बता कर तीस करोड़ की रिश्वत मांगने वाला गिरफ्तार

Toc news
मुंबई, प्रेट्र। स्वयं को महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से का निजी सचिव (पीए) बता कर भूमि आवंटन मामले में 30 करोड़ की रिश्र्वत मांगने वाले व्यक्ति को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया।

गजानन पाटिल नामक इस व्यक्ति ने अर्थशास्त्री रमेश जाधव से धन मांगा था। वह एक ट्रस्ट का सदस्य है। शास्त्री को खड़से के कार्यालय से एक अनापत्ति प्रमाण पत्र की दरकार थी। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर जानकारी दी कि जाधव ने ठाणे जिले के निल्जे गांव में पिछली सरकार के दौरान हुए राजस्व भूमि के आवंटन से संबंधित काम के लिए विभाग में संपर्क किया था। पाटिल ने पहले एक करोड़ की राशि मांगी थी जिसे वह लगातार बढ़ाते हुए तीस करोड़ तक जा पहुंचा। तब जाधव ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से शिकायत की। जाल बुना गया और पाटिल को दबोच लिया गया। राजस्व मंत्री खड़से ने कहा इस व्यक्ति से मेरा या विभाग का कोई लेना-देना नहीं।

ठगों और ठगराज ने चालू किया स्टेट न्यूज चैनल

स्टेट न्यूज चैनल का नया धमाका यह क्या है.....
अब हम का कहै.. व्हाटसएप में लाइव चल रहो...

ठगों और ठगराज ने चालू किया स्टेट न्यूज चैनल
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आखिर ठगराज और ठगों के संगठित गिरोह ने फर्जीवाड़ा कर स्टेट न्यूज चैनल चालू कर लिया।
एस आर में और डी जी में 219 नम्बर चैनल पर दिखा रहे हैं।
एस आर का भोपाल में डी जी से ज्वाइन्ट वेंचर है। इसलिये भोपाल में दिखने लगा।डी जी और एस आर एम एस ओ हैं,ये किसी भी चैनल का प्रसारण नियमों के अन्तर्गत ही कर सकते हैं,किन्तु इन ठगों के जाल में एस आर और डी जी भी शामिल हो गये।
मामला दिलचस्प इसलिये हो गया है,क्योंकि स्टेट न्यूज की जिस आई डी को दिखाया जा रहा है,वह रजिस्टर्ड नहीं है,इनके पास टेलीपोर्ट का लायसेंस नहीं,जिस चेतना इन्टरटेनमेंट कम्पनी के बैनर में स्टेट न्यूज चलाया जा रहा है,उसमें सुनील शर्मा, गौरव शर्मा, कनिका शर्मा और शैलेन्द्र सोलंकी शामिल हैं,कम्पनी कार्यालय में शैलेन्द्र सोलंकी अभी मालिक के रूप में दर्ज नहीं हैं। किन्तु कई लोगों को मालिक की हैसियत से शेयर बेच दिये हैं।यह चार सौ  बीसी नहीं तो क्या है?
इन सबके पीछे इंडिया टी बी से हंकाले गये जो वर्तमान में इस फर्जी  चैनलके हेड हैं का हाथ है।
अब डी जी और एस आर चूंकि इस फर्जीवाड़े में शामिल हो गया है,अत: जिला प्रसाशन,कम्पनी कार्यालय,और ट्राई से इसकी शिकायत कऱ पत्रकार साथियों,विग्यापनदाताओं  व दर्शकों को इनकी ठगी, चार सौ बीसी से अवगत कराया जायेगा।

व्हाट्सएप से साभार

राजगढ़ से अरुण सक्सेना की ओर से व्हाट्सएप की पोस्ट


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भोपाल से संजय रायजादा

सत्तर कर्मचारियों की छह महिने सेलरी करीब चौवालिस लाख रूपए हजम कर जाने वाले स्टेट न्यूज का फर्जीवाड़ा इससे भी बड़ा है।स्टेट न्यूज की आड़ में सोलंकी ने छत्तीसगढ़ के उथोगपति श्याम जिन्दल से लाखों रूपए ऐंठ लिए।इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के ही एकअन्य व्यवसायी से और ग्वालियर के शर्मा जी से भ लिखों रूपए की ठगी है।मुझे ख सोलंकी से सेलरी के दो लाख रूपए लेने है लेकिन जुबान के अलावा हर कहीं से ठाकुर होने का दावा करने वाला सोलंकी सीथे तरीके से मेरा बकाया वेतन देने में छह महिने से आनाकानी कर रहा है

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बालाघाट से लक्ष्मी दुबे
hamare 40,000 vapas lene he.
kripya hamari help karen🙏

Friday, May 13, 2016

तीन पुलिसकर्मियों ने युवक का सिर फोड़ डाला

Toc news @ bhopal

भोपाल. आज 13 मई 2016 करीब 5.40  बजे शाम को भोपाल 6 नम्बर स्टेशन की ओर लगे बेरिकेट पुलिस चौकी के पास एक युवक की तीन पुलिसकर्मियों ने दिल खोल कर लट्टों से हाथ पैरों की तुड़ाई कर डाली, एक बेलगाम पुलिसकर्मी ने इस युवक के सिर पर निशाना साध कर जोरदार लट्ट मार कर सिर फाड़ डाला और वर्दी की धौस जमाकर कानून के रखवाले उस युवक कायो जबरिया चौकी पर बैठाकर रखा, युवक लहूलुहान होकर चिल्लाकर कर सिर फाटने पर अस्पताल पहुंचाने की बात कह रहा था. परन्तु कानून की धज्जियां उड़ाने वाले पुलियकर्मीयों को दया नहीं आई, सवाल यह उठता है कि आखिर पुलिस रक्षक है या भक्षक, रक्षक है तो पुलिस को गंभीरता के साथ ड्यूडी करना चाहिए नाकी गुड़ागर्दी. इस घटना के कई गवाह है जो एेसी पुलिस द्वारा की गई खुलेआम पीटई का विरोध करते है, वही युवक को पीटने वाले ड्यूडी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग करते है.... अभी युवक की क्या दशा है पता नही पर घटना घोर निंदनीय है....

हाईस्कूल छात्रा की रेप के बाद हत्या

यूपी - जालौन । जालौन सड़क, गलियों को छोड़िए अब महिलाएं और छात्राए घर में भी सुरक्षित नहीं है। जालौन जनपद के कोंच क्षेत्र में बुधवार आधी रात को सो रही छात्रा के साथ पड़ोसी ने पहले रेप किया और बाद में उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी आहट पाकर नीचे पहुंचे पिता की हैवान से हाथापाई भी हुई लेकिन वह भाग निकला। सनसनीखेज वारदात की सूचना पर पुलिस के अफसर मौके पर पहुंचे पिता ने पड़ोसी युवक पर रेप कर हत्या करने की तहरीर दी है।
दिल दहला देने वाली यह वारदात कोंच थाना क्षेत्र के नया पटेल नगर ब्लाक के पास की है। यहां रहने वाले रमाकांत कुशवाहा की बेटी चंचल कुशवाहा (16) क्षेत्र के कमला नेहरू बालिका इंटर कालेज में हाईस्कूल की छात्रा थी। चंचल की मां अपने बेटे के साथ रिश्तेदारी में गई थी पिता रमाकांत के मुताबिक भोजन करने के पश्चात रात करीब 11 बजे वह सोने के लिए छत पर चला गया। नीचे के हिस्से में बने कमरे में बेटी चंचल सो रही थी। आधी रात के बाद कुछ आहट सुनाई दी तो रमाकांत नीचे पहुंचा। बकौल रमाकांत उसने कमरे से भाग रहे पड़ोसी युवक जितेंद्र को दबोचा तो वह हाथापाई कर भाग निकला। रमाकांत जब कमरे के अंदर पहुंचा तो वहां उसकी बेटी चंचल मृत पड़ी मिली। उसकी गला घोंटकर हत्या की आशंका जाहिर की जा रही है। चंचल के कपड़े भी अस्त-व्यस्त मिले। सूचना पर पहुंची पुलिस को छानबीन के दौरान मकान के बाहरी हिस्से में सीढ़ी लगी मिली। आशंका जाहिर की जा रही है कि रेप के बाद हत्या करने वाला जितेंद्र सीढ़ी के जरिए पहले छत पर पहुंचा और बाद में नीचे सो रही चंचल के कमरे। दुराचार के बाद पकड़े जाने के भय से उसने चंचल की बेरहमी से गला घोंटकर हत्या कर दी। मौके पर पहुंचे सीओ और कोतवाल को पिता रमाकांत ने जितेंद्र के खिलाफ रेप के बाद हत्या करने की तहरीर दी है। कोतवाल का कहना है कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया जा रहा है। दुष्कर्म की बात पर उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ही दुराचार की पुष्टि हो सकेगी।

आबकारी विभाग ने पकड़ा शराब का बड़ा ज़ख़ीरा

Toc news
मंदसौर। मुखबिर की सूचना पर कलेक्टर महोदय के निर्देशन में और ज़िला आबकारी अधिकारी डॉ. शादाब अहमद सिद्दीक़ी के नेतृत्व में सहायक ज़िला आबकारी अधिकारी विजय मेढ़ा और आबकारी अमले ने नाहरगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम सूंठी के एक खेत में बने गड्डे से १०० पेटी देशी शराब बरामद की। मौक़े पर कोई भी व्यक्ति नहीं मिला अत: अज्ञात के विरुद्ध आबकारी अधिनियम की धारा ३४(२) का प्रकरण पंजीबध कर विवेचना में लिया गया है।इस कार्यवाही में मुख्य आबकारी आरक्षक मेकफ़र्लेंड प्रिन्स एवम् आबकारी आरक्षक योगेन्द्र बामनिया और धन्नालाल खन्ना सम्मिलित रहे।

गबन के आरोप में जिला सहकारी ग्रामीण बैंक के लेखपाल जे पी शर्मा को 35 साल की सजा,11 लाख का अर्थदंड भी

अपर सत्र न्यायाधीश बरेली श्री विजय चंद्र ने सुनाई सजा
2 प्रबंधकों की बिभागीय जांच के निर्देश
Toc news
रायसेन । रायसेन जिले के बाड़ी जिला सहकारी ग्रामीण बैंक में लेखापाल के पद पर पदस्थ रहने के दौरान लेखपाल जे पी शर्मा पर 17 लाख के गबन करने का आरोप अदालत में सिद्ध होने के बाद  गबन समेत बिभिन्न धाराओं में लेखपाल जे पी शर्मा को 35 साल की सजा,11 लाख का अर्थदंड की सजा सुनाई है।
 सजा अपर सत्र न्यायाधीश बरेली श्री विजय चंद्र ने सुनाई है।
अभियोजन के अनुसार वर्ष 1998 से 2007 के बीच श्री शर्मा बाड़ी में लेखपाल के पद पर पदस्थ थे इसी दौरान बे लगातार बे शासकीय राशि का गबन करते रहे। वर्ष 2010 में मामला उजागर होने पर पुलिस में माम्ला दिया गया। जांच में मामला सही पाया गया। पुलिस ने धारा 420,में 5 साल 409,में 10 साल,467,10 साल,468में 5 साल ,471में 5 साल कुल 35 साल की सजा सुनाई है तथा 11 लाख का अर्थ दंड लगाया हैं जो जमा होने पर बैंक को दे दिए जाने के आदेश दिए हैं
बही इस दौरान पदस्थ प्रबंधको की लापरवाही मानते  हुए श्रवण पटेरिया और तहर सिंह ठाकुर की बिभागीय जांच के आदेश दिए हैं।

सीईओ ने फेलाय भष्टाचार

( संजय भारद्वाज )
छिंदवाडा ।। जिले के परासिया जनपद पंचायत के सीईओ ने केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की योजनाओ में बडे पेमाने पर भ्रष्टाचार को आजम दिया है ?
     इस भष्टाचार में सीईओ ने ग्राम पंचायत के सचिवो का भर पूर साथ लिया है और कुछ सचिवो ने भी खुल कर भ्रष्टाचार को आपने आका के आशीर्वाद के तले आजम दिया है ?
और इसमे कुछ इंजिनियरो ने भी अपनी एक बडी अहम  भूमिका निभाई है ?
    यदि मेरे आरोप गलत हो तो प्रशासन चाहे तो लोकायुक्त से सीईओ के द्वारा चलाई गई प्रदेश सरकार की योजनाओ की , तथा केंद्र सरकार की योजना को गाँव गाँव में जा कर देखले । सारी सच्चाई सामने आ जायेगी ?
  पर क्या जांच होगी ? यदि होगी तो कब ? चलो देखते है प्रशासन का ऊट किस करवट ?????

19 को बालाघाट में बादल

Toc news
छिंदवाडा ।।  दिनांक 19-5-2016 को बालाघाट के लामटा में मध्य भारत के सुप्रसिद्ध सिंगर मास्टर बादल भारद्वाज का भव्य देवी जगराता का कार्यक्रम का आयोजन किया गया है ।
 इस कार्यक्रम के व्यवस्थापक अशोक अकेला ,  रमाकांत , राकेश गुप्ता , ओम साई सेवा समिति  है ।
      कार्यक्रम के मुख्य अतिथी विधायक रजनीश ठाकुर , पर्व सांसद कंकर मुजारे , साथ ही श्री प्रज्ञानन्द जी महाराज होंगे ।

पत्रकार पूजा की मौत में अब जागी पुलिस, साख बचाने के लिए जांच तेज

Toc News @ times of crime
फरीदाबाद। पत्रकार पूजा तिवारी की संदिग्ध हालात में मौत का मामला मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के सामने उठने के बाद स्थानीय पुलिस हरकत में आ गई है। पूजा मौत प्रकरण की जांच में शुरुआती लापरवाही के बाद पुलिस टीम अब सघन जांच में जुट गई है। गौरतलब है कि सोमवार को जिले के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री को मांग पत्र सौंपा था, जिसमें पूजा की मौत की जांच एसआइटी से कराने की मांग की गई थी।

पुलिस को साख बचाने की चुनौती

पुलिस इस मामले की तह तक जाकर अपनी साख भी बचाना चाहती है। यही कारण है कि पुलिस ने इंस्पेक्टर अमित का रिमांड खत्म होने के आखिरी दिन भी कई तथ्य भी जुटाए।

इंस्पेक्टर अमित की हैंड राइटिंग के नमून लिए

पुलिस ने फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) की टीम ने इंस्पेक्टर अमित कुमार की हैंड राइटिंग व उसकी आवाज के सैंपल लिए। इनसे पुलिस को जांच करने में महत्वपूर्ण तथ्य हाथ लग सकते हैं।

वहीं, चार दिन का पुलिस रिमांड खत्म होने पर इंस्पेक्टर अमित कुमार को आज मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी तरुण सिंघल की अदालत में पेश किया गया। जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

बता दें कि दो मई की रात सेक्टर-46 सदभावना अपार्टमेंट से गिरकर पत्रकार पूजा तिवारी की मौत हो गई थी। उस दौरान इंस्पेक्टर अमित कुमार व उसकी महिला दोस्त थी।

रविवार को एफएसएल की टीम जांच के लिए फरीदाबाद आई। टीम ने सदभावना अपार्टमेंट से पूजा की मौत के मामले में बारीकी पहलुओं से जांच की। उनके साथ इंस्पेक्टर अमित कुमार भी मौके पर मौजूद थे। उन्होंने टीम को पूरा घटनाक्रम बताया। टीम ने घटनास्थल पर मिले सामान को अपने कब्जे में लिया।

टीम ने अमित कुमार की हैंड राइटिंग का सैंपल पूजा के नाम से मिले सुसाइड नोट और आवाज के सैंपल घटना से पहले पूजा व उसके मित्र भरत के बीच बातचीत के ऑडियो की जांच को लिए हैं।

इस चर्चित मामले में इंस्पेक्टर अमित को अदालत में पेश करने से पहले उसकी संलिप्तता या बेगुनाही से संबंधित सभी तथ्य और सबूत पुलिस जुटाना चाहती है। चूंकि कोर्ट में पुलिस इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी को लेकर सही स्थिति पेश कर सके। यही वजह है कि पुलिस हर पहलू का बारीकी से अध्ययन कर रही है।

गोलू उर्फ़ हामिद खान के मिले नर कंकाल हुआ खुलासा

Toc News @ times of crime
सिंगरौली. बैढ़न थाना क्षेत्रान्तर्गत शर्मा कालोनी टाकीज के पास से गोलू उर्फ़ हामिद खान पिता अयूब खान घर मे यह बताकर की मै कुछ देर से आता हूँ 2 मई को रात नौ बजे घर से निकला और पूरी रात वापस नही आया तो राजू खान ने 3 मई को बैढ़न थाने में गुमसुदि की रिपोर्ट दर्ज करायी। 7 मई तक जब कुछ पता नही चला तो हामिद के माता पिता ने हत्या की आशंका जताई और संदेहियों के नाम सब्बा खान, छोटू खान.जावेद खान,बालम खान और एक नाबालिग के नाम दर्ज कराये।संदेहियों के बिरुद्ध धरा356 का अपराध दर्ज कर जांच के दौरान साक्षियों के कथनों के आधार पर घटना को गम्भीरता से लेते हुए सिंगरौली पुलिस अधीक्षक रुडोल्फ अलवारेस ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत   शर्मा एवं नगर पुलिस अधीक्षक गजेन्द्र सिंह बर्धमान ने अलग अलग टीमों का गठन कर जाँच और पूछ ताछ हेतू नगर पुलिस अधीक्षक गजेन्द्र सिंह,पुलिस अधीक्षक बिंध्यनगर ए पी गोस्वामी ने टीमे बनकर कार्यवाई करना शुरू किया । 9मई को मुखबिरी सुचना मिली कि ओरगायीं एस्सार टावर के पास एक नर कंकाल पड़ा है,तत्काल मौके पर बिवेचक सहित एफ. एस. एल.टीम एवं बरिष्ठ पुलिस अधिकारी घटना स्थल पर पहुँच कर नर कंकाल ,कपडे ,जूते को अपने कब्जे में लेकर हामिद के पिता से पहचान कराया गया जिससे पुष्टी हुयी कि पाया गया नर कंकाल और जुटे कपड़े हामिद के ही है
   प्रकरण की बिवेचना के दौरान घटना के मुख्य संदेही नाबालिग बालक टाकीज रोड से पूछ ताछ के द्वरा अपने संथियो के नाम बताया जो क्रमशः अन्नू उर्फ़ अनुज स्वीपर पिता रामसरण उम्र 20 वर्ष निवासी चिर घर के पास बैढ़न ,लक्की उर्फ़ दिब्यान्स श्रीवास्तव पिता दीपक कुमार उम्र 21वर्ष निवासी टाकीज रोड बैढ़न ,मो.सहजाद पिता मो. इब्राहिम उम्र20 वर्ष निवासी छोटी मस्जिद के पास बैढ़न ,आशीष गुप्ता पिता अनिल गुप्ता उम्र19 वर्ष निवासी टाकीज रोड बैढ़न के सांथ मिलकर 2मई को पल्सर गाडी न.m p66 m c 3295 एवं एक्टिवा गाड़ी न.m p 66 s 2523 से अपहरण कर ओरगायीं में ले जाकर एस्सार टावर के पास पत्थल और चाकू से हत्या कर लाश को छिपाने की जानकारी दी।
      मुख्य आरोपी नाबालिग बालक के सांथ अन्य आरोपी अन्नू स्वीपर ,मो.सहजाद,एवं आशीष गुप्ता को चाकू,पत्थल,और दोनों गाड़ियो के सांथ गिरफ्तार कर लिया गया है ।मृतक का मोबाइल भी बलियरि टायर फैक्ट्री के पीछे झाड़ी में से बरामद कर लिया गया है हत्या का एक आरोपी लक्की उर्फ़ दिब्यान्स श्रीवास्तव अभी भी फरार है।टीम उसकी खोज के लिए रवाना की गयी है।हत्या का कारण पैसे का लेन देन बताया जा रहा है।आरोपियों के बिरुद्ध मामला पंजीबद्ध कर कल न्यायालय में पेस किया जायेगा।मृतक हामिद खान का डी एन ए टेस्ट भी कराया जा रहा है जिससे और भी पुष्टी हो सके।

Wednesday, May 11, 2016

मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का डीजल डलवाया नीजी वाहनो में और पूडिय़ा खाई जानवरो ने

गैर जिम्मेदार अधिकारियों से हो शासकीय राशी के अपव्यय की वसूली
Toc news
भोपाल। जब यह पता था कि मध्यप्रदेश सरकार ने चुनाव आयोग से मात्र दस दिन का समय मांगा था तब जिला प्रशासन ने भीमपुर में अंत्योदय मेले के आयोजन को कैसे मंजूरी दी और मुख्यमंत्री कार्यालय ने उसे अपनी स्वीकृति प्रदान की! राज्य निर्वाचन आयोग एवं भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष बैतूल जिले के एक नामचीन एक्वीविस्ट ने चुनाव आचार संहिता के पूर्व शासकीय राशी का बड़े पैमाने पर अपव्यय के मामले जिला प्रशासन से उक्त राशी की भरपाई करने का निवेदन किया है।

आरटीआई कार्यकत्र्ता ने जिला प्रशासन से बकायदा कार्यक्रम में खर्च की गई राशी का पूरा हिसाब - किताब मांगा है। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर कहा जा रहा है कि खाया पीया कुछ नहीं और ग्लास तोड़ा बारह आने। 30 अप्रेल दिन शनिवार को मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में सीएम का दौरा होना था। जिसको लेकर प्रशासन ने पूरी तैयारियां भी कर ली थी,लेकिन उपचुनाव की घोषणा के बाद सीएम का दौरा निरस्त हो गया। जिसके बाद जिला प्रशासन होने के बाद प्रशासन तैयारियों में हुए खर्च को मैनेज करने में परेशान है।

उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल को सीएम शिवराज जिले के भीमपुर में शबरी माता महोत्सव अंतर्गत आयोजित वनाधिकार सम्मेलन एवं अंत्योदय मेला में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने वाले थे। जिसको लेकर प्रशासन ने सारी तैयारियां भी कर ली थी। जिसमें दस जनपदो से लोगों को जमा करने के लिए प्रशासन को तीस लाख रुपये भी दिए गए थे। इसके साथ ग्राणीणों को लाने के लिए 200 वाहन भी अधिग्रहित किए गए थे। जानकारी के अनुसार कार्यक्रम को लेकर प्रशासन ने भीमपुर में भारी तैयारिया कर रखी थी। लोगों को लाने ले जाने के लिए 54 पंचायतो में 50 से ज्यादा बसें भेजी गयी थी, जिसमें 40 स्कूल बसें थी।

वहीं 20 हजार पूड़ी के पैकेट तैयार करवाने इंदौर की एक फर्म को ठेका दे दिया गया था। 30 हजार पानी पाउच का ऑर्डर हो गया था। इसके साथ ही 7 टैंकर पानी भी तैयार था। टेंट तैयार हो रहा था, जिसका ठेका दस लाख रुपये में हुआ था। लेकिन कांग्रेस ने चुनाव आयोग के समक्ष मध्यप्रदेश सरकार के आवेदन को ही आधार बना कर आयोग के सामने एक ऐसा सवाल रख दिया कि चुनाव आयोग को विवश होकर 29 अप्रेल को ही उपचुनाव की घोषणा करनी पड़ी। सबसे चौकान्ने वाली बात तो यह थी कि डीजल एवं पेट्रोल वाहनो में डलने वाला अधिकांश ईधन जिले के टापर अधिकारियों ने अपने नीजी वाहनो में डलवा लिया और जिन वाहनो में डीजल डाला जा चुका था उनके वाहन मालिको से उक्त डीजल का सीधे नगद भुगतान तक प्राप्त कर लिया। इस काम में बकायदा पटवारी, आरआई और कोटवार तथा पंचायत सचिवो को लगाया गया था। पानी के पाऊच बैतूल पहुंचने के बाद वापस चले गए और पूडिय़ा लोगो में बंटने के बजाय जानवरो के मुंह का निवाला बनी। सरकारी राशी का ऐसा अपव्यय पहले कभी देखने को नहीं मिला था। मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग एवं भारत निर्वाचन आयोग ने घोड़ाडोंगरी उप चुनाव स्थगित नहीं किया था बल्कि उसे 10 दिनो का मात्र एक्सटेंशन दिया था। 10 दिनो बाद चुनाव आयोग को हरहाल में उक्त घोड़ाडोंगरी उप चुनाव के कार्यक्रम को पुन: घोषित करना था।

ऐसी स्थिति में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा लगभग तय थी उसके बाद भी बिना भारत निर्वाचन आयोग एवं राज्य निर्वाचन आयोग की अनुमति के जिला प्रशासन द्वारा मुख्यमंत्री का कार्यक्रम बनाया गया जिसमें सीएम हाऊस पूरी तरह से जिला प्रशासन को सहयोग प्रदान कर रहा था। अब मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में अपव्यय की गई भारी भरकम राशी के खर्चों को मैनेज करने में जिला प्रशासन लगा हुआ है। उल्लेखनीय है कि 30 अप्रेल को मुख्यमंत्री के भीमपुर में आयोजित अंत्योदय मेला कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस चुनाव आयोग के समक्ष पहुंची लम्बी - चौड़ी शिकायतो के साथ लेकिन चुनाव आयोग ने कांग्रेस की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए एक दिन पूर्व ही चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया जिससे भाजपा और सरकार की उम्मीदो पर पानी फिर गया। अब नए कार्यक्रम के अनुसार 30 मई को मतदान तथा 2 जून को परिणाम सामने आ जाएगें।

घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र में जिले की शाहपुर, घोड़ाडोंगरी, बैतूल एवं चिचोली तहसीलों के मतदान केन्द्र शामिल हैं। 11 जनवरी 2016 को प्रकाशित मतदाता सूची के अनुसार विधानसभा क्षेत्र में एक लाख 11 हजार 637 पुरूष तथा एक लाख 6 हजार 408 महिला मतदाता एवं 8 तृतीय लिंग मतदाता हैं। इस प्रकार इस क्षेत्रांतर्गत कुल दो लाख 18 हजार 53 मतदाता हैं। बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट पर पिछलेे तीन चुनावो में भाजपा की जीत हुई है। स्वर्गीस सज्जनसिंह उइके दो बार तथा श्रीमति गीता रामजीलाल उइके एक बार विधायक रह चुकी है। कांग्रेस से प्रतापसिंह उइके भी दो बार चुनाव लड़ चुके है तथा वे दिग्यविजय सिंह की कांग्रेस सरकार में केबिनेट मंत्री भी रह चुके है। इस बार कांग्रेस से उनकी दावेदारी लगभग पक्की मानी जा रही है वही दुसरी ओर भाजपा से श्रीमति गंगा सज्जन सिंह उइके को पार्टी अपना उम्मीदवार बना सकती है।

यहां से बसपा एवं सपा तथा आप भी चुनावी मैदान में अपने - अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री के भीमपुर कार्यक्रम के निरस्त हो जाने के बाद जिला प्रशासन की पूरी तैयारी धरी की धरी रह गई। भाजपा इस कार्यक्रम में सालीवाड़ा में आयोजित अंत्योदय मेले में चुके आदिवासी समाज के घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के दस हजार से अधिक आदिवासी परिवारो को भूस्वामी के पटट्े देना चाहती थी। जहां एक ओर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के निरस्त हो जाने के बाद अब कांग्रेस उन आदिवासियों परिवारो की सहानुभूति बटोरने का काम करेगी। वही दुसरी ओर भाजपा कांग्रेस के द्वारा चुनाव आयोग के समक्ष की गई शिकायत को आधार बना कर सहानुभूति पाने का प्रयास करेगी।

करोड़ों से एमपीआरडीसी की पुलिया में दरार

अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल । भाजपा सरकार भले ही बिजली, पानी और सड़क की समस्या से प्रदेश की जनता को मुक्ति दिलाने के नाम पर सत्ता में आई हो लेकिन हकीकत यह है कि इस प्रदेश में सरकार द्वारा सड़कों का जाल बिछाए जाने का दावा किया जा रहा है लेकिन उसकी जमीनी हकीकत यह है कि लोक निर्माण विभाग या अन्य विभागों के द्वारा निर्मित सड़कों की तो बात छोडि़ए जिस एमपीआरडीसी के अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं, उस निगम के द्वारा प्रदेश में कराई जा रही सड़कों के निर्माण की स्थिति यह है कि यह करोड़ों की लागत से निर्मित होने वाली सड़कों में गुणवत्ता का इतना अभाव रहता है कि वह बनने के कुछ ही दिनों बाद दरकने लगती हैं ऐसा ही एक मामला धार जिले के नागदा-गुजरी हाईवे के देजेला फाटे पर हाल ही में बनी पुलिया की दीवार में  दरार आने से दो फड़ हो गई यह दीवार सड़क के अर्थवर्क, गिट्टी मुरम की इस दीवार में चढ़ाई जाने वाली परतों की रोक का काम भी करती है,

२५० करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले नागदा-गुजरे हाईवे ७० किलो मीटर बनाया जा रहा है इस सीमेंटेड हाईवे के निर्माण की गुणवत्ता को लेकर एमपीआरडीसी ने बड़े-बड़े दावे किये थे, निगम के अफसर यह कहते नहीं थक रहे कि इस तरह की गुणवत्ता होगी कि लोगों ने आजतक किसी सड़क में नहीं देखी होगी लेकिन शुरुआती काम में इन अधिकारियों के दावे की पोल खुलने लगी मजे की बात यह है कि इस सड़क के निर्माण में जो निर्माता कंपनी द्वारा गुणवत्ता में लापरवाही की जा रही है उससे यही लगता है कि मध्यप्रदेश में सड़कों के जाल बिछाने का काम करने के तो दावे किये जाते हैं लेकिन वह सड़कें इतनी गुणवत्ताविहीन होती हैं जो अपने निर्माण के कुछ ही दिनों बाद दरकने लगती हैं। प्रदेश में यूं तो एपीआरडीसी के द्वारा सड़कों का जाल तो बिछाया जा रहा है लेकिन सड़कों की इन गुणवत्ता पर सवाल भी उठ रहे हैं, मजे की बात यह है कि इस निगम के अंतर्गत बनने वाली सड़कों के मामले में यह नियम है कि हर मटेरियल सड़क पर डालने के पहले लैब में टेस्ट होता है।

यह निर्धारित मापदण्डों के अनुसार है या नहीं मगर ऐसा लगता है कि इस नियम का पालन उस संस्था द्वारा नहीं किया जा रहा है जिसके मुख्यमंत्री अध्यक्ष हैं, २५० करोड़ की लागत से बनने वाले नागदा-गुजरी हाईवे निर्माण में बनाई गई सीमेंटेड देजेला फाटे पर बनाई गई पुलिया में दरार क्यों पड़ी इस संबंध में जानकारों का कहना है कि बनाई गई कांक्रीट में रेत की बजाए चूरी का इस्तेमाल किया गया था। पूर्व में मटेरियल में रेत इस्तेमाल किया जाता था क्योंकि इस समय पूरे प्रदेश में ट्रक ऑपरेटर और रेत माफियाओं के के कारण रेत के भाव आसमान छू रहे हैं।

इसलिये अब कोई भी निर्माण कंपनी मटेरियल में रेत का इस्तेमाल नहीं करता। निगम के अधिकारियों का इस संबंध में कहना है कि चूरी को विभाग ने मटेरियल में इस्तेमाल करने की प्रक्रिया केा अपना लिया है इसलिये एस्टीमेट इसी के अनुसार बनाया जाता है, मजे की बात यह है कि निगम के प्रोजेक्ट प्रभारी यह दावा भी करते हैं कि नियमित मानिटरिंग की जा रही है पुलिया में ऐसी त्रुटि कैसे रह गई पता नहीं लेकिन यह बड़ी चूक हुई है। वह यह भी दावा करते हैं कि गुणवत्ता से समझौता नहीं करेंगे निर्माता कम्पनी को पुलिया की दीवार तोड़कर नये सिरे से बनानी पड़ेगी।

इस संबंध में यह लोगों का कहना है कि दो माह पहले डीपीई का दल भी निर्माणाधीन नागदा-गुजरी हाईवे की गुणवत्ता परखने आया था, दल ने तीस गांव के समीप जांच की थी उसने ग्रीटिंग तो ठीक पाई गई लेकिन वायब्रेटर से जो दबाई की जानी चाहिए उसमें कमी पाई गई। अब कांक्रीट में गुणवत्ता की कमी सामने आई है। कुल मिलाकर राज्य में सड़कों के जाल बिछाने के नाम पर जो गुणवत्ता विहीन सड़कों का निर्माण चल रहा है उसको लेकर यह बात सामने आई है कि इस तरह के निर्माण कार्य में निगम के अधिकारी निर्माणाधीन एजेंसियों से लक्ष्मी दर्शन के चक्कर में गुणवत्ता से समझौता कर रहे हैं हालांकि इस तरह का काम पूरे प्रदेश में और सड़कों के निर्माण में जारी है,यह कब तक चलता रहेगा यह पता नहीं।   

नागा साधु पर तलवार से हमले की घटना से सुरक्षा पर उठे सवाल

अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल। सिंहस्थ के दौरान दत्त आखाड़ा स्थित गंगागिरी के आश्रम के संत तपस्वी गिरी पर एक युवक ने तलवार से हमला कर दिया, वार इतना तेज था कि उसके गले के कंठ के दो टुकड़े हो गए, घटना के बाद घायल संत को जिला अस्पताल लाया गया हालत बिगडऩे पर उन्हें इन्दौर रेफर कर दिया, जानकारी के मुताबिक भूखी माता मन्दिर के पास गुजरात के महेन्द्र गिरी का आश्रम है रविवार को सुबह ११ बजे महेन्द्र गिरी के शिष्य तपस्वी गिरी पर अज्ञात आरोपी ने तलवार से वार कर दिया, पंडाल में तब चार-पांच सेवादार मौजूद थे, जबकि घटना के समय महेन्द्र गिरी पास के ही पंडाल में गए हुए थे, हमले के बाद तपस्वी को खून की उल्टी हुई तत्काल सेवादार वहां पहुंचे तो गिरी खून से लथपथ थे, कंठ कट जाने की वजह से कुछ बोल नहीं सके केवल इशारे में ही किसी मूंछवाले का जिक्र उन्होंने किया। यह घटना जब घटित हुई जबकि सिंहस्थ की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था का सरकार दावा कर रही है, इस घटना से सवाल यह भी उठता है कि जब सिंहस्थ के अवसर पर उज्जैन में एक बड़ा अस्पताल तैयार किया गया है जिसको लेकर सरकार की  तरफ से यह दावा किया जा रहा है कि यह सम्पूर्ण आधुनिक व्यवस्थाओं से सुसज्जित है ऐसे में साधु को उपचार के लिए उज्जैन से इंदौर के एमवाय अस्पताल में रैफर करने के बाद उज्जैन में तैयार किये गये आधुनिक चिकित्सालय के दावे की भी पोल खुलती नजर आती है। 

व्यवस्था से नाराज साधुओं ने अधिकारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा

अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल। सिंहस्थ के दौरान साधु-संतों के डेरों में चोरी और गाडिय़ों की तोडफ़ोड़ जैसी आपराधिक घटनाओं से नाराज साधुओं का गुस्सा उस समय चरम पर पहुंच गया और जिसके परिणामस्वरूप दत्त अखाड़ा क्षेत्र में उन्होंने चक्काजाम किया यही नहीं पुलिस वालों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा हालांकि खबर यह भी है कि इस दौरान आक्रोषित साधुओं ने एसडीएम पर भी हमला किया, साधुओं ने इस दौरान तलवार, भाले हवा में लहराए जूना अखाड़े से जुड़े साधुओं के डेरे में शरारती तत्व तीन दिनों से अपराधी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, तंबू के बाहर खड़ी गाडिय़ों के कांच रात को फोडऩे की भी घटनाओं को अंजाम दिया।

सिंहस्थ क्षेत्र में लगातार चोरियों की घटनाएं बढ़ रही हैं, यही नहीं इसी दौरान एक साधु की कार पर कथित रूप से गोली भी मार दी गई।  इन घटनाओं से नाराज साधुओं ने एक घंटे तक रविवार को चक्का जाम किया एक दौरान पुलिस कर्मियों ने एक साधु को थप्पड़ जड़ दिया पुलिस की इस हरकत से नाराज साधुओं ने उनपर हमला बोल दिया। हालांकि इस घटना की  पुलिस पुष्टि नहीं कर रही है हालांकि यह जरूर है कि सिंहस्थ के दौरान अव्यवस्थाओं और सुरक्षा को लेकर साधुओं में आक्रोष व्याप्त है। 

अब तक 53 एनकाउंटर कर चुके हैं ये इंस्पेक्टर, किसकी हिट-लिस्ट में है नाम?

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रायपुर. फिल्म अब तक छप्पन के लीड कैरेक्टर साधु आगाशे (नाना पाटेकर) तो आपको याद ही होंगे। आज हम आपको ऐसे ही रियल कैरेक्टर से मिलवा रहे हैं। ये हैं एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अजित ओगरे। इंस्पेक्टर ओगरे नक्सलियों की मांद में घुसकर अब तक 53 एनकाउंटर कर चुके हैं। तीन बार गोलियां भी खाईं लेकिन तय कर लिया है कि जब तक नक्सलवाद खत्म नहीं होगा, नक्सली इलाके में ही ड्यूटी करेंगे। नक्सलियों की हिटलिस्ट मेंहै नाम...
- अजीत ओगरे का नाम नक्सलियों की हिटलिस्ट के टॉप-5 में शामिल है।
- कई सरेंडर नक्सलियों ने तो पुलिस अफसरों को यह भी बताया है कि ओगरे को मारने के लिए नक्सलियों ने स्पेशल टीम भी बनाई है।
पहली शादी एके-47 से की है
-ओगरे का कहना है कि उन्होंने पहली शादी तो अपनी एके-47 से की है, जो हमेशा उनके साथ रहती है। सोते समय भी वह बिस्तर पर बंदूक लेकर सोते है।
- 38 साल के अजीत ओगरे 12 साल की पुलिस की नौकरी में कुल 53 एनकाउंटर कर चुके हैं।
- पुलिस महकमे के हर अफसर को पता है कि गोली खाने के बाद भी ओगरे दो-तीन सिपाहियों के साथ घुसे तो एक-दो लाशें लेकर ही निकलते हैं।
- उन्हें बहादुरी के लिए तीन बार राष्ट्रपति का वीरता पदक मिल चुका है। तीन और के लिए पुलिस विभाग ने अनुशंसा की है।
- छत्तीसगढ़ पुलिस ने भी सम्मान देने के लिए उन्हें पहले इंस्पेक्टर के तौर पर चुना है, जिसे पिस्टल दी जाएगी।
जंगल से नाता नया था
- ऐसा नहीं है कि इंस्पेक्टर अजीत ओगरे का बैकग्राउंड नक्सल प्रभावित इलाके का हो।
- उनका पूरा बचपन और नौकरी लगने से पहले तक वे रायपुर के राजेंद्रनगर में रहे हैं।
- वह 2004 में छत्तीसगढ़ पुलिस में सब-इंस्पेक्टर चुने गए। एक साल की ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग बस्तर हुई।
- जगदलपुर कोतवाली में एक साल की ट्रेनिंग के बाद उन्हें 2006 में पहला थाना मिला धनोरा।
- धनोरा एक घोर नक्सली इलाका है और यहीं से लड़ाई शुरू हो गई।
- पहला साल भी पूरा नहीं हुआ और ओगरे ने पहला एनकाउंटर किया। आमाबेड़ा में सीआरपीएफ के साथ सर्चिंग के दौरान नक्सलियों से मुठभेड़ में कमांडर मंतू और समारू मारे गए।
- इसके बाद नक्सलियों से एनकाउंटर की पहचान बनते गए ओगरे। अगले ही साल यानी 2007 में औंधी एलओएस कमांडर पंकज और उसके साथी को मार गिराया।
- पहली पोस्टिंग के सिर्फ दो साल के भीतर यानी 2008 तक ओगरे 22 एनकाउंटर कर चुके थे। इसमें 10 नक्सलियों की बॉडी को तो अपने साथ लेकर आए थे।
53 एनकाउंटर में कोई शहीद नहीं
- इंस्पेक्टर ओगरे की सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि उनके द्वारा किए गए अब तक के 53 एनकाउंटर में फोर्स ने एक भी जवान नहीं खोया।
- उनके साथ जिला बल, सीआरपीएफ समेत कई पैरामिलिट्री के फोर्स भी रहे, जिन्हें उन्होंने सेफली निकला।
जंगल में ही पोस्टिंग चाहिए
- 22 एनकाउंटर के बाद आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के साथ ओगरे को इंस्पेक्टर बना दिया गया।
- इसके बाद जब मनचाही पोस्टिंग का ऑफर दिया गया तो उन्होंने नक्सल प्रभावित नारायणपुर चुन लिया।
- वहां उन्हें फ्री हैंड दे दिया गया। हर नक्सल ऑपरेशन में वह टीम के साथ जाते।
- इस दौरान उन्होंने नक्सलियों के डिविजनल वाइस सेक्रेट्री कमलक्का को मार गिराया। नक्सली पार्वती और फागू भी मारे गए।
- 2011 में उनकी पोस्टिंग धमतरी में हुई तो नक्सल प्रभावित थाना सिहावा चले गए। 2014 में राजनांदगांव जाना पड़ा तो वहां भी नक्सल बेल्ट मोहला को चुना। अब तक मैदानी इलाके में ड्यूटी ही नहीं की।
गोली लगी फिर भी गए जंगल
- कोंडागांव के धनोरा के जंगल में 2007 में मुठभेड़ के दौरान अजीत के कंधे और बाजू में दो गोलियां लगी थीं। इसके बाद भी वे नक्सलियों से लड़ते रहे।
- मुठभेड़ खत्म होने के बाद उन्हें थाने लाया गया। फिर केशकाल रेफर कर दिया गया।
- वहां दो दिन बाद ही उन्होंने छुट्टी ले ली। फिर अपने क्वार्टर आ गए। गोली लगने की बात उन्होंने माता-पिता को भी नहीं बताई।
- सात दिन बाद जंगल में नक्सलियों के होने की सूचना मिली। पट्टी बांधे ही अजीत वहां चले गए।
- 2009 में नारायणपुर में मुठभेड़ के दौरान गर्दन के पिछले हिस्से में गोली लगी। कई दिनों तक बिस्तर में रहे। डॉक्टरों का कहना था कि गोली थोड़ा सा भी नीचे लगती तो जान जा सकती थी।
- इसके बारे में भी उन्होंने घर वालों को नहीं बताया। महीने भर के इलाज के बाद ड्यूटी ज्वाइन कर ली।
भूखे-प्यासे 14 दिन जंगल में घूमते रहे
- इंस्पेक्टर ओगरे ने बताया कि 2011 में जब वे सिहावा थाना प्रभारी थे, धमतरी के एक थाने से सरेंडर नक्सली कमलक्का और सोनू चार रायफल और कारतूस लेकर भाग गए।
- एसपी ने उन्हें दोनों नक्सलियों को पकड़ने की जिम्मेदारी दी। 6 जवानों को लेकर वे जंगल में घुस गए।
- 14 दिनों तक बिना नहाए ही नक्सलियों को ढूंढते रहे। बारिश की वजह से जंगल में बड़े-बड़े कीड़े थे। काटने से शरीर फूल गया था। जवान बीमार पड़ गए थे। साफ पानी तक नसीब नहीं हुआ था।
- फिर भी सर्च बंद नहीं किया। ओडिशा बार्डर तक पहुंच गए, जहां दोनों नक्सलियों का एनकाउंटर कर लिया गया।
बहन का रिश्ता तय किए बिना लौटे थे ड्यूटी पर
- इंस्पेक्टर ओगरे एक बार फरसगांव में सर्चिंग पर गए थे। उनके लौटने के एक दिन बाद ही नक्सलियों ने वहां धमाका किया जिसमें 32 जवान शहीद हो गए थे।
- उन्होंने बताया कि एक बार वे अपनी बहन का रिश्ता तय करने 10 दिन की छुट्टी पर घर आए थे।
- नारायणपुर में 11 जवान शहीद होने की सूचना मिली। वे बिना रिश्ता तय किए ही छुट्टी से लौट गए।
पुलिस में क्यों आए?
- अजीत ओगरे शुरू में पुलिस में सिर्फ इसलिए आए थे कि उन्हें नौकरी की जरूरत थी।
- उन्होंने नलघर चौक स्थित गवर्मेंट स्कूल में स्कूली पढ़ाई की और छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीए किया है।
- एनसीसी में उन्हें शूटिंग के लिए नेशनल गोल्ड मेडल मिला था। उनका आर्मी में चयन हुआ।
- दो महीने काम करने के बाद ही वह नौकरी छोड़कर आ गए और रायपुर में पिकअप वैन चलाने लगे।
- एक साल बाद ट्रक भी चलाने लगे और दो साल तक महाराष्ट्र, पंजाब आदि राज्यों में माल ढोते रहे।
'मेरे इलाके में नक्सली तैनात करते हैं संतरी'
- एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का सपना है कि छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद का खात्मा हो जाए।
- उन्होंने कहा, 'नक्सल प्रभावित थानों के बाहर 24 घंटे बंदूकधारी संतरी तैनात किए जाते है, लेकिन मेरे थाने में ऐसा नहीं होता। मेरे इलाके में नक्सलियों को संतरी तैनात करना पड़ता है।'

मप्र प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा के भाजपा और मोदी से उनकी डिग्री को लेकर प्रश्न और आरोप जो उन्होंने फेस बुक के माध्यम से भी साझा किये हैं । आप भी पढ़ें।

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भाजपा कहती आई है कि आपातकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरदार की वेशभूषा में फरार हुए थे,यदि यह सच मान लिया जाये तो कल जैसा अमित शाह जी ने दावा किया है की 1975 में मोदी ने बीए पार्ट 1 किया है, तब फरारी के दौरान उनकी परीक्षा किसने दी ? मोदी जी की बीए की डिग्री के मामले में एक सत्य और सामने आया है कि मोदी जी की ग्रेजुएशन की डिग्री बनाने में जिस फोन्ट का इस्तेमाल किया गया वो Old English Text MT है जिसे माइक्रोसॉफ्ट ने 1992 में बनाया था, फिर DU के पास 1978 में ये फोन्ट कहाँ से आया ? लगता है व्यापम घोटाले से भाजपा का बहुत पुराना और पारिवारिक नाता है? बीजेपी का एक ही फॉर्मूला है, झूठ बोलो, जोर-जोर से बोलो और बार-बार बोलो जिससे सच की आवाज दब जाए ।

प्रेस वार्ता में अमित जोगी ने भूपेश से पूछा "ये रिश्ता क्या कहलाता है"?

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👉सांठ गांठ का मनगढंत और झूठा प्रचार करने वाले भूपेश ये बताएं कि लोक स्वास्थ यांत्रिकी मंत्री रहते हुए बिना निविदा बुलाए ६ गुना ज़्यादा क़ीमत पर जी।आयी। पाइप ख़रीद कर शासन को करोड़ों का नुक़सान पहुचाने के गम्भीर भ्रष्टाचार के मामले में १२ साल बाद भी रमन सरकार क्यों कार्यवाही नहीं कर रही है? लोकायुक्त के समक्ष सरकार ने भूपेश के ख़िलाफ़ रिपोर्ट को किस समझौते के अंतर्गत वापस लिया? १२ साल तक क्यों नहीं सरकार ने चालान प्रस्तुत किया? 12 बीपीएल परिवारों की जमीन दबाकर ख़ुद की दो मंज़िला अट्टालिका बनाने के मामले में भी भूपेश पर अब तक क्यों कार्यवाही नहीं की रमन सरकार ने ?

👉नेता प्रतिपक्ष बताएं सरगुजा में गरीब ग्रामीणों द्वारा निस्तारी के लिए प्रयोग में लाये जा रहे 53 एकड़ तालाब को सरकार के साथ सेटिंग कर, प्रशासन की मदद से तालाब को पाट कर, समतल जमीन बनाकर उसे 3 करोड़ रुपए प्रति एकड़ के भाव सेकौन बेच रहा है? मैँ पूछता हूँ, ये रिश्ता क्या कहलाता है ?

👉एक तरफ़ तो प्रदेश के प्रथम मुख्य मंत्री होने के नाते मेरे पिता जी श्री अजीत जोगी के इलाज में ख़र्च हो चुके सवा करोड़ रुपए का विधिवत भुगतान सरकार पिछले ४ सालों से नहीं कर रही है और दूसरी तरफ़ भूपेश और नेता प्रतिपक्ष को न केवल बचाने का काम कर रही है बल्कि उन्हें अरबों रुपए का ग़ैरक़ानूनी फ़ायदा भी पहुँचा रही है।

डीजीपी को लेकर दो खेमे में बंटे पुलिस अफसर

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भोपाल। नए पुलिस महानिदेशक के चयन को लेकर मप्र के पुलिस अधिकारी दो धडे मे बंट गए हैं। जिम्मेदारी मिलने के बाद कार्यकाल का लगभग 11 माह मिलने पर कुछ जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चहेते अफसरों में शामिल सरबजीत सिंह की वकालत कर रहे हैं। तो दूसरी ओर परंपरा व वरिष्ठता का हवाला देकर अफसर इस पद के लिए प्रमुख दावेदारों में शामिल पुलिस हाऊसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष ऋषि कुमार शुक्ला की पैरवी कर रहे है।

विभागीय सूत्रों की माने तो इसके मद्देनजर ही राज्य में डीजी स्तर के अधिकारी दिल्ली में पदस्थ अफसरों के माध्यम से लॉबिंग में जुटे हैं। इनका मानना है, कि पुलिस महानिदेशक जैसा महत्वपूर्ण पद अब तक कैडर के सबसे वरिष्ठ अफसर को ही मिलता आया है। यदि परंपरा को तोड़ते हुए वरिष्ठता की सूची में शामिल 10वें नंबर के अधिकारी को यह पद दिया गया, तो भविष्य में दूसरे काबिल व वरिष्ठ अफसरों के लिए रास्ते बंद हो जाएंगे। लिहाजा पुलिस मुख्यालय के अफसर पुलिस विभाग की खुफिया विंग के प्रमुख सरबजीत सिंह की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से नजदीकियों को देखते हुए भी ऋषी कुमार शुक्ला को मप्र का नया डीजीपी बनाने रास्ते तलाशते नजर आ रहे हैं। 1983 बैच के अफसर श्री शुक्ला को गुप्तचर शाखा का विशेषज्ञ माना जाता है। वे अपनी अब तक की सेवा में केन्द्र में सीबीआई और सीआईएसएफ जैसी महत्तवपूर्ण संस्थाओं में भी काम कर चुके हैं। यह बात अलग है, कि सीएम हाऊस से सीधे मामला जुडऩे के बाद विरोधी खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।

क्यों मचा घमासान

मौजूदा पुलिस महानिदेशक सुरेंद्र सिंह अगले माह 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वरिष्ठता क्रम में ऋषि कुमार शुक्ला पहले नंबर है। सेवानिवृत्ति के लिए भी इनके पास अगस्त 2020 तक का समय है। बावजूद इसके सरकार की मंशा पंसदीदा अफसरों में शामिल रहे सरबजीत सिंह को उपकृत करने की है। जबकि कार्यकाल का महज साल भर रहने यानी सेवानिवृत्ति के लिए 30 जून 2017 रहने के बाद भी वरिष्ठता सूची में उनका नाम काफी नीचे है। इसी तथ्य से अफसर लाम बंद हो गए हैं।

नहीं बने डीजीपी तो बनेंगे डीजी लोकायुक्त

अफसरों की लामबंदी को देखते हुए समझा जाता है, कि डीजीपी नहीं बनाए जाने की दशा में सरबजीत को डीजी लोकायुक्त बनाया जा सकता है। इसको लेकर प्रशासनिक स्तर पर विचार शुरू हो गया है। वहीं पद से हटने के बाद निर्वतमान डीजीपी सुरेंद्र सिंह का पुर्नवास करने संबंधी चर्चा है। फिलहाल यह तय नहीं हो पाया है, कि उन्हें किस विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

इंजेक्शन खरीदी के नाम पर ग्वालियर और रीवा में हुआ घोटाला

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(भोपाल )। भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में घोटाला और फर्जीवाड़ा होना एक आम बात है फिर चाहे वह किसानों के नाम पर किया गया हो या फिर ग्रामीण विकास की मनरेगा और अन्य योजनाओं का मामला हो या फिर व्यापमं महाघोटाले की बात हो, घोटाले दर घोटाला लगता है इस सरकार की नीति बनकर रह गई है। नकली दवाईयों की खरीदी के नाम पर स्वास्थ्य विभाग ने घोटाला एक आम बात है, लेकिन अब इंजेक्शन घोटाला भी सामने आया है। चिकित्सा विभाग (डीएमई) से संबद्ध अस्पतालों में इंजेक्शन की खरीदी में अधिप्राप्ति क्रय और उच्च स्तरीय समिति इंदौर (सीपीसी) और टेंडर नियम का पालन करते हुए कंपनी को एक करोड़ की राशि दे दी।

विभागीय सूत्रों ने बताया कि सीएमई से संबद्ध रीवा के श्यामशाह अस्पताल और ग्वालियर के जेए अस्पताल के डीन ने मैरोपनेम एक ग्राम इंजेक्शन की खरीदी की गई। दोनों को अस्पतालों में यह खरीदी साल २०१२-१३ के बीच की गई। सीपीसी ने इस डीजे नेम द्वारा निर्मित इंजेक्शन की अनुमोदित दर ३८५ रुपए  प्रति चाइल रखी थी। नियमानुसार इसकी खरीदी कम टेंडर वाली दवा कंपनी से खरीदी की जानी थी। सांई बाबा इंटरप्राइजेज नामक दवा कंपनी ने मेरोपीनेम एक ग्राम इंजेक्शन की कीमत २११.९० रुपए प्रति वाइल रखी, लेकिन दोनों अस्पतालों के प्रबंधन ने इमरजेंसी बताते हुए सीपीसी की दर ३८५ रुपए प्रति वाइल से हिसाब से इसका भुगतान किया।

रीवा में कंपनी को ३० लाख रुपए दिए गए वहीं ग्वालियर में १.२० करोड़ का अतिरिक्त भुगतान कंपनी को किया, कुल मिलाकर इमरजेंसी से नाम पर अफसरों ने १.५ करोड़ का घोटाला कर दिया। लोकायुक्त कर रही जांच - सूत्रों ने बताया कि डीएमई ने अंदरुनी स्तर पर जांच में पाया कि दो नों अस्पतालों में नियम विरुद्ध भुगतान किया गया है। अब इसकी जांच लोकायुक्त द्वारा की जा रही है। वहीं शासन अभी कंपनी से केवल पचास प्रतिशत ही राशि वसूली कर पाई है। इसके अलावा विभाग ने दोषियों पर भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की।

जब डीएमई से सम्बद्ध अस्पतालों के बिलों का क्रॉस वेरिफिकेशन किया जा रहा था, तो ग्वालियर और रीवा का मामला पकड़ में आया। २०१३-१४ की जांच में पाया गया कि इंदौर के एमवाय अस्पताल में इंजेक्शन मेरोपेन की खरीदी १९० रुपए प्रति बाटल की दर पर की गई। भोपाल के हमीदिया अस्पताल में इंजेक्शन २१०.३० रुपए प्रति बाइल की दर से खरीदा गया तथा ग्वालियर और रीवा के अस्पताल द्वारा यह ३८५  रुपस प्रति वाइल की दर से दवा कंपनी को भुगतान किया गया। डीएमई से संबंद्ध अस्पतालों से दवा खरीदी के लिए सीपीसी इंदौर रेट निर्धारित करता है।

इसके अलावा डीएमर्ठ से संबद्ध अस्पतालों में अधिवक्ता भंडार क्रय नियम के तहत सीएमएचओ और सिविल सर्जन इमरजेंसी में कम्पनियों के निम्न भरे गए टेंडर के हिसाब से दवा और मेडिकल उपकरण खरीद सकते हैं। कुल मिलाकर राज्य के स्वास्थ्य विभाग में कभी दवाओं के नाम पर तो कभी भर्ती के नाम पर कुछ न कुछ घोटालों का सिलसिला जारी है देखना अब यह है कि भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने वायदा कर सत्ता में आई यह भाजपा सरकार के कार्यकाल में और कितने घोटाले और फर्जीवाड़े का सिलसिला कब तक चलता रहेगा।    

इंदौर आ रही ट्रेन में हुआ दिल दहलादेने वाला हादसा

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इंदौर। नागदा से इंदौर आ रही पैसेंजर ट्रेन में उस वक्त बड़ा दर्दनाक हादसा हो गया, जब ट्रेन अपनी रफ्तार में थी और लोग इंदौर पहुंचने ही वाले थे। गनीमत रही कि हादसा इतना बड़ा नहीं हुआ वरना कुछ लोगों की जान भी जा सकती थी। मंगलवार देर रात पुलिस के जवान तीन लोगों को जख्मी हालत में एमवायएच लेकर आए। घायल खंडवा का रहने वाला 42 वर्षीय जय सिंह, उत्तर प्रदेश का राम अवतार और नागदा का इकबाल हुसैन था। इनके अलावा तीन और जख्मी है, जो निजी अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। सभी यात्री उज्जैन सिंहस्थ से इंदौर लौट रहे थे। कुछ लोगों के हाथ और कोहनी खिड़की में हलके से बाहर थे। देर रात लक्षमीबाइ नगर स्टेशन से मामांगलिया के बीच कोच के बाहर एक पोल लोगो के हाथों से टकरा गया। सभी के हाथों की हड्डियां टूट गई। गनीमत रही कि कोई बच्चा बाहर नहीं झांक रहाथा या कोई गेट से, वरना गर्दन भी कट सकती थी। घटना के बाद भी ट्रेन नही रुकी। लोग कराहते रहे और ट्रेन सीधे इंदौर रेलवे स्टेशन आकर रुकी। लोगों का कहना है कि सिंगल की कोई रॉड बाहर की तरफ निकली थी जिससे यह हादसा हुआ। यह रेलवे की खासी लापरवाही है, जिससे लोगों की जान भी जा सकती है।

Tuesday, May 10, 2016

गुजरात यूनिवर्सिटी प्रोफेसर ने किया नया खुलासा, MA डिग्री में बहुत बड़ी गड़बड़

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पीएम नरेन्द्र मोदी की डिग्री को लेकर चल रहे विवाद में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं और पीएम की डिग्री को फर्जी बताया जा रहा है। पीएम नरेन्द्र मोदी की दिल्ली यूनिवर्सिटी से BA डिग्री को लेकर जहां आम आदमी पार्टी लगातार उनपर निशाना साध रही है वहीं अब गुजरात यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने नरेन्द्र मोदी की गुजरात यूनिवर्सिटी से MA डिग्री पर सवाल खड़े किये है

गुजरात यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जयंती पटेल ने एक फेसबुक पोस्ट कर पीएम नरेन्द्र मोदी की डिग्री पर सवाल उठाये हैं। जयंती पटेल का दावा है कि गुजरात यूनिवर्सिटी के VC ने इंडियन एक्सप्रेस को अपने स्टेटमेंट में नरेन्द्र मोदी के MA Part-2 के जो पेपर्स बताये हैं उनके नाम में कुछ गड़बड़ हैं और MA Part-2 में ऐसे पेपर्स नही हैं।

जयंती पटेल का कहना है कि नरेन्द्र मोदी ने MA Part-1 में बतौर रेगुलर स्टूडेंट प्रवेश लिया था लेकिन क्लास में कम उपस्थिति के कारण उनको एक्सटर्नली एग्जाम की सलाह दी थी। जयंती पटेल गुजरात यूनिवर्सिटी में 1969 से लेकर 1993 तक Political Science डिपार्टमेंट में थे।

सास के जेवरों पर थी नजर: बहुओं ने रची लूट की कहानी

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इंदौर। जूनी इंदौर के ब्रुक बॉंड कॉलोनी में हुई सनसनीखेज लूट का आखिरकार खुलासा हो ही गया है। पुलिस ने बताया कि घटना हुई ही नही, बल्कि बहुओं की नजर अपनी सास के गहनों पर थी और इसी लिए उन्होंने लूट की कहानी गढ़ी। लूट की यह कहानी महज चंद घंटों में सुलझ गई और घर वाले पुलिस को बोल गए कि यह हमारा पारिवारिक मामला है इसलिए रिपोर्ट नहीं लिखवाना है।
मकान मालिक अलताफ शेख ने बताया कि छोटी बहू नौसीन और बड़ी बहू रूबी ही घर परे थे। करीबन 15 मिनट में बुरखा पहनकर आए बबदमाश 50 हजार रुपए नकद और 15 लाख के जेवरात ले गए। होश आने पर बहुओं ने सबसे पहले जानकारी अपने ससुर को दी। ससुर ने पुलिस को बुलवाया। बाद में पुलिस ने जब दोनों के मेडिकल की बात कही तो परिवार समझ गया कि दाल में काला है और जल्दी पता चल जाएगा कि पूरी दाल ही काली है। इस पर परिवार ने पहले आपसी-बातचित की। उसमें पाया कि लुटेरों ने सिर्फ रुबी और नौसीन की सास के जेवरों पर ही क्यों हाथ मारा, चाहते तो बहुओं के जेवरभी निकाल लेते, लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया? जबकि बहुओं के जेवर भी तो उसी लॉकर में थे। हांलाकि परिवार वालों ने रिपोर्ट लिखवाने से ही मना कर दिया, लेकिन पुलिस ने भी अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी है।

Monday, May 9, 2016

और कलेक्टर ने अपने साले का दो दिन में बनवा दिया बीपीएल कार्ड

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भोपाल-> मध्यप्रदेश सरकार द्वारा यूं तो हर काम समय एक समयसीमा में होने के तमाम दावे किये जाते हैं मगर ऐसा आज तक कोई कहते नजर नहीं दिखाई दिया कि उसका चाहे गरीबी रेखा की सूची में नाम जोडऩे का मामला हो या फिर कृषकों को खेती किसानी से संबंधित खसरा खतौनी मिलने का दावा हो लेकिन जब बात कलेक्टर के साले की हो तो सारे नियम और कायदे एक साथ लागू हो जाते हैं और वह काम दिनों में नहीं बल्कि मिनटों में हो जाता है,

ऐसा ही एक मामला होशंगाबाद के कलेक्टर संकेत भोंडवे के साले का मामला हो तो फिर अधिकारी की क्या मजाल जो वह उनके काम में हीला हवाली करे और कलेक्टर के साले के काम को सम्पन्न कराने का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भांजी रितू चौहान जो कि होशंगाबाद में अनुविभागीय अधिकारी के पास हो तो फिर बात ही कुछ और है, हाल ही में इस तरह के तुरत फुरत में बने होशंगाबाद के नजदीकी रिश्तेदार (साले) जो कि महाराष्ट्र के मूल निवासी हैं और वर्तमान में अपने जीजा होशंगाबाद कलेक्टर होने के नाते मध्यप्रदेश के निवासी बन गये उनके द्वारा गरीबी रेखा में नाम जोड़े जाने का आवेदन मुख्यमंत्री की भांजी रितू चौहान जो कि अनुविभाीय अधिकारी हैं उनके समक्ष सात फरवरी २०१५ को प्रस्तुत किया गया।

मजे की बात यह है कि सात फरवरी को कलेक्टर होशंगाबाद के साले के इस आवेदन पर अनुविभागीय अधिकारी सुश्री रितू चौहान द्वारा नौ फरवरी को उनका नाम जोड़े जाने की उन्हें सूचना दे दी और नगर पालिका होशंगाबाद में दिनंाक ११ फरवरी २०१५ को कलेक्टर होशंगााद के साले विक्रम विनायक कोवे का नाम दर्ज किये जाने के आदेश कर दिये, मध्यप्रदेश की इस भाजपा सरकार के इतिहास में शायद ही यह पहला अवसर होगा जब किसी गरीब व्यक्ति का नाम इतनी जल्दी से गरीबी रेखा की सूची में जोड़े जाने की प्रक्रिया सम्पन्न हुई हो।

फिर क्यों न हो जब वह गरीब होशंगाबाद के कलेक्टर का साला हो, मजे की बात यह है कि कलेक्टर द्वारा अपने साले को महाराष्ट्र से लाकर होशंगाबाद में बीपीएल धारक तो बना दिया गया तो वहीं इसी दौरान अपने साले को मप्र आदिवासी वित्त विकास निगम के माध्यम से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत वाहन क्रय किये जाने के संबंध में भी प्रकरण स्वीकृत कर वाहन भी उपलब्ध करवा दिया गया। यूं तो राज्य में इस तरह का खेल शासकीय अधिकारियों और भाजपा के नेताओं द्वारा अपनों को उपकृत कराने का दौर चल ही रहा है, अगर ऐसे में होशंगाबाद कलेक्टर ने अपने साले को मध्यप्रदेश शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ पहुंचाने का कार्य किया तो लोग इसे गलत नहीं मान रहे हैं, हालांकि इस संबंध में कलेक्टर संकेत भोंडवे से उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए उनके मोबाइल पर कई बार सम्पर्क किया गया लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।

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