बबूल बोने से आम की फसल नहीं मिलती
शुलभ भदौरिया का मुंह काला
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आखिर भोपाल के पत्रकार भवन का फैसला हो गया। अब मीडिया सेंटर के बनने का रास्ता साफ हो गया।
उल्लेखनीय है, कि पत्रकार भवन में एक गुट ने गुण्डागर्दी की दम पर अपना कब्जा जमा रखा था। जीर्ण शीर्ण,जर्जर स्थिति में इमारत को पंहुचाने के बाद भी अपनी रोजी रोटी का जरिया इस भवन को बनाये हुये थे।
आखिर सरकार को आमजनों की शिकायतों से यह पता चला कि पत्रकार भवन में सामन्तशाही की दम पर अपने हितों के लिये किराये से देकर लीज की शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा है।सरकार ने नोटिस पत्रकार भवन समिति के अध्यक्ष एन पी अग्रवाल व पत्रकार भवन की जमीन के लीजधारी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के अध्यक्ष अवधेश भार्गव को नोटिस जारी कर राजस्व न्यायालय तलब किया।
चूंकि पत्रकार भवन में एक गुट का कब्जा था और कोई पत्रकार वहॉ घुस ही ऩहीं पाता था,यहॉ तक कि न्यायालय से श्री अग्रवाल के पक्ष में स्टे के बावजूद गुण्डागर्दी चालू थी। बिल्डिंग भी जर्जर हो चुकी थी। नई बनवाने या रखरखाव के लिये समिति के पास पैसा नहीं था,आखिर दोनों पदाधिकाऱियों ने निर्णय लिया कि सरकार से चर्चा की जायेे। मुख्यमंत्री व आला अधिकारियों से चर्चा की गई,चर्चा उपरॉत इस शर्त पर कि सरकार इस इमारत को मीडिया सेंटर के रूप में भब्य इमारत बना कर पत्रकारों के लिये खोल दे। सरकार तत्काल राजी हो गई और मुख्यमंत्री जी ने तत्कल 5 करोड़ इस इमारत के लिये मंजूर कर दिये। यह भी कहा कि और भी जो राशि लगेगी उपलब्ध कराई जायेगी। आखिर कलेक्टर भोपाल ने 2 फरवरी 2015 को लीज कैंसिल कर दी।
चूंकि गुण्डागर्दी की दम पर काबिज लोगों की आमदनी समाप्त हो रही थी,वे पार्टी न होते हुये भी कमिश्नर भोपाल के न्यायालय में पंहुच गये और हाई कोर्ट से अपील के निराकरण तक स्टे आर्डर ले आये।काफी कशमकश, जद्दोजहद के बाद अपर आयुक्त ने कलेक्टर भोपाल का निर्णय बरकरार रखा ।
अब पत्रकारभवन की नई इमारत बनने का रास्ता साफ हो गया है,गुण्डा प्रवृत्ति के लोगों केहौसले पस्त हो चुके हैं। इधर अवधेश भार्गव व एन पी अग्रवाल ने उच्च न्यायालय जबलपुर में कैवियट भी फाइल कर दी है,जिससे न्यायालय को गुमराह कर किसी प्रकार की अडंगेबाजी से बचा. जा सके। परे प्रदेश के पत्रकारों को इस निर्णय का स्वागत करना चाहिये,आखिर उन्हें इतनी बड़ी मीडिया सेंटर की सौगात मिलने जा रही है।
शुलभ भदौरिया का मुंह काला
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आखिर भोपाल के पत्रकार भवन का फैसला हो गया। अब मीडिया सेंटर के बनने का रास्ता साफ हो गया।
उल्लेखनीय है, कि पत्रकार भवन में एक गुट ने गुण्डागर्दी की दम पर अपना कब्जा जमा रखा था। जीर्ण शीर्ण,जर्जर स्थिति में इमारत को पंहुचाने के बाद भी अपनी रोजी रोटी का जरिया इस भवन को बनाये हुये थे।
आखिर सरकार को आमजनों की शिकायतों से यह पता चला कि पत्रकार भवन में सामन्तशाही की दम पर अपने हितों के लिये किराये से देकर लीज की शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा है।सरकार ने नोटिस पत्रकार भवन समिति के अध्यक्ष एन पी अग्रवाल व पत्रकार भवन की जमीन के लीजधारी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के अध्यक्ष अवधेश भार्गव को नोटिस जारी कर राजस्व न्यायालय तलब किया।
चूंकि पत्रकार भवन में एक गुट का कब्जा था और कोई पत्रकार वहॉ घुस ही ऩहीं पाता था,यहॉ तक कि न्यायालय से श्री अग्रवाल के पक्ष में स्टे के बावजूद गुण्डागर्दी चालू थी। बिल्डिंग भी जर्जर हो चुकी थी। नई बनवाने या रखरखाव के लिये समिति के पास पैसा नहीं था,आखिर दोनों पदाधिकाऱियों ने निर्णय लिया कि सरकार से चर्चा की जायेे। मुख्यमंत्री व आला अधिकारियों से चर्चा की गई,चर्चा उपरॉत इस शर्त पर कि सरकार इस इमारत को मीडिया सेंटर के रूप में भब्य इमारत बना कर पत्रकारों के लिये खोल दे। सरकार तत्काल राजी हो गई और मुख्यमंत्री जी ने तत्कल 5 करोड़ इस इमारत के लिये मंजूर कर दिये। यह भी कहा कि और भी जो राशि लगेगी उपलब्ध कराई जायेगी। आखिर कलेक्टर भोपाल ने 2 फरवरी 2015 को लीज कैंसिल कर दी।
चूंकि गुण्डागर्दी की दम पर काबिज लोगों की आमदनी समाप्त हो रही थी,वे पार्टी न होते हुये भी कमिश्नर भोपाल के न्यायालय में पंहुच गये और हाई कोर्ट से अपील के निराकरण तक स्टे आर्डर ले आये।काफी कशमकश, जद्दोजहद के बाद अपर आयुक्त ने कलेक्टर भोपाल का निर्णय बरकरार रखा ।
अब पत्रकारभवन की नई इमारत बनने का रास्ता साफ हो गया है,गुण्डा प्रवृत्ति के लोगों केहौसले पस्त हो चुके हैं। इधर अवधेश भार्गव व एन पी अग्रवाल ने उच्च न्यायालय जबलपुर में कैवियट भी फाइल कर दी है,जिससे न्यायालय को गुमराह कर किसी प्रकार की अडंगेबाजी से बचा. जा सके। परे प्रदेश के पत्रकारों को इस निर्णय का स्वागत करना चाहिये,आखिर उन्हें इतनी बड़ी मीडिया सेंटर की सौगात मिलने जा रही है।
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