Toc News
भोपाल। सिंहस्थ महाकुंभ सानंद संपन्न हुआ। तीर्थयात्रियों ने प्रदेश सरकार के इंतजामों की तारीफ भी की, लेकिन अब सिंहस्थ में हुए करोड़ों के खर्चों का सोशल आॅडिट शुरू हो गया है। आरटीआई कार्यकर्ताओं समेत कई मीडियाकर्मी सिंहस्थ में हुए खर्चों की जानकारियां जुटा रहे हैं। उम्मीद है, आने वाले दिनों में कई बड़े और चौंकाने वाले खुलासे होंगे। फिलहाल पढ़िए इंदौर के पत्रकार प्रमोद त्रिवेदी की यह रिपोर्ट:
डॉक्टर के गले में लटकने वाले यंत्र स्टेथोस्कोप मरीज की धड़कन सुनने के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन सिंहस्थ-2016 में इसका उपयोग करोड़ों स्र्पए के वारे-न्यारे करने में किया गया। सरकारी अस्पतालों में जहां इसे इसी साल 93 स्र्पए में खरीदा गया, वहीं सिंहस्थ के लिए 7 हजार स्र्पए चुकाए गए। यानी करीब 80 गुना महंगा।
केवल स्टेथोस्कोप ही नहीं, स्वास्थ्य सुविधाओं के काम आने वाले तकरीबन सभी सामान कई गुना महंगे दामों पर खरीदे गए। लघु उद्योग निगम के माध्यम से हुई इस खरीदी में राज्य सरकार ने यह भी नहीं देखा कि सरकारी अस्पताल और सिंहस्थ के लिए खरीदे गए एक ही क्वालिटी वाले सामान की कीमत में इतना ज्यादा अंतर कैसे आ गया। कुल मिलाकर 5 करोड़ की स्वास्थ्य सामग्री 60 करोड़ रुपए में दी गई।
सरकारी और सिंहस्थ के अस्पतालों में कितना अंतर
लघु उद्योग निगम ने जो दाम तय किए, वो सरकारी अस्पतालों में की गई खरीद की कीमत से कई गुना ज्यादा हैं। रबर हैंड ग्लब्स सरकारी अस्पताल में 150 के, सिंहस्थ में 1890 रुपए के। ब्लड बैंक रेफ्रिजरेटर (50 बैग्स) को मध्यप्रदेश सरकार के पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन ने 97 हजार स्र्पए में खरीदा, लेकिन यही रेफ्रिजरेटर सिंहस्थ के लिए 3 लाख 70 हजार स्र्पए में खरीदा गया। ऐसा कोई भी सामान नहीं है, जिसकी ऊंची कीमत पर खरीदी नहीं की गई हो।
भोपाल। सिंहस्थ महाकुंभ सानंद संपन्न हुआ। तीर्थयात्रियों ने प्रदेश सरकार के इंतजामों की तारीफ भी की, लेकिन अब सिंहस्थ में हुए करोड़ों के खर्चों का सोशल आॅडिट शुरू हो गया है। आरटीआई कार्यकर्ताओं समेत कई मीडियाकर्मी सिंहस्थ में हुए खर्चों की जानकारियां जुटा रहे हैं। उम्मीद है, आने वाले दिनों में कई बड़े और चौंकाने वाले खुलासे होंगे। फिलहाल पढ़िए इंदौर के पत्रकार प्रमोद त्रिवेदी की यह रिपोर्ट:
डॉक्टर के गले में लटकने वाले यंत्र स्टेथोस्कोप मरीज की धड़कन सुनने के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन सिंहस्थ-2016 में इसका उपयोग करोड़ों स्र्पए के वारे-न्यारे करने में किया गया। सरकारी अस्पतालों में जहां इसे इसी साल 93 स्र्पए में खरीदा गया, वहीं सिंहस्थ के लिए 7 हजार स्र्पए चुकाए गए। यानी करीब 80 गुना महंगा।
केवल स्टेथोस्कोप ही नहीं, स्वास्थ्य सुविधाओं के काम आने वाले तकरीबन सभी सामान कई गुना महंगे दामों पर खरीदे गए। लघु उद्योग निगम के माध्यम से हुई इस खरीदी में राज्य सरकार ने यह भी नहीं देखा कि सरकारी अस्पताल और सिंहस्थ के लिए खरीदे गए एक ही क्वालिटी वाले सामान की कीमत में इतना ज्यादा अंतर कैसे आ गया। कुल मिलाकर 5 करोड़ की स्वास्थ्य सामग्री 60 करोड़ रुपए में दी गई।
सरकारी और सिंहस्थ के अस्पतालों में कितना अंतर
लघु उद्योग निगम ने जो दाम तय किए, वो सरकारी अस्पतालों में की गई खरीद की कीमत से कई गुना ज्यादा हैं। रबर हैंड ग्लब्स सरकारी अस्पताल में 150 के, सिंहस्थ में 1890 रुपए के। ब्लड बैंक रेफ्रिजरेटर (50 बैग्स) को मध्यप्रदेश सरकार के पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन ने 97 हजार स्र्पए में खरीदा, लेकिन यही रेफ्रिजरेटर सिंहस्थ के लिए 3 लाख 70 हजार स्र्पए में खरीदा गया। ऐसा कोई भी सामान नहीं है, जिसकी ऊंची कीमत पर खरीदी नहीं की गई हो।
No comments:
Post a Comment