समय पर फीस जमा ना होने के कारण बच्चो को परीक्षा मे बैठने से रोका, प्राचार्या ने बच्चो को भेजा घर |
ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा : 8305895567
एसडीएम के हस्तक्षेप के बाद बच्चो ने दी परीक्षा....
नागदा जिला उज्जैन. आदित्य बिरला हायर सेकंडरी स्कूल की प्राचार्या ने बुधवार को स्कूल फीस की आखिरी किस्त जमा नहीं होने पर लगभग 6 बच्चों को परीक्षा में नहीं बैठाने दिया और परीक्षा देने आए बच्चो को घर लौटा दिया। प्राचार्या जिद पर अड़ी रही कि वह बकाया फीस वाले बच्चों को परीक्षा नहीं देने देंगे।
जब बच्चो के अभिभावकों ने स्कूल पहुंचकर इस बात की नाराजगी जताई तो करीब डेढ़ घंटे बाद स्कूल प्रबंधन ने विद्यार्थियों के घर फोन कर उन्हें परीक्षा देने के लिये वापस बुलाया, लेकिन प्राचार्या की इस मनमानी से बच्चों को काफी परेशान होना पड़ा। अादित्य बिरला हायर सेकंडरी स्कूल में 2 मार्च से प्राइमरी कक्षाओं की परीक्षा चल रही है। कक्षा 6ठी के तीन पेपर सामाजिक विज्ञान, हिंदी, संस्कृत और 8वीं का हिंदी, अंग्रेजी, गणित का पेपर हो चुका है। बुधवार को कक्षा 8वीं का संस्कृत व कक्षा 6ठी का विज्ञान का पेपर था। दोपहर 2 बजे से परीक्षा शुरू होना थी।
इसके लिए बच्चे दोपहर लगभग 1.30 बजे ही स्कूल पहुंच गए थे। मगर दोनों कक्षाओं के करीबन 6 बच्चों को फीस की आखिरी किस्त जमा नहीं होने पर परीक्षा देने के लिए स्कूल में प्रवेश नहीं दिया गया। कुछ बच्चों ने बाहर खड़े रहकर स्कूल से बुलावे का इंतजार भी किया, लेकिन स्कूल के अंदर से कोई खबर नहीं आने से बच्चे निराश होकर लौट गए। इस पर पालकों ने स्कूल के बाहर प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ आक्रोश जताते हुवे मिडिया से सम्पर्क किया। जिस पर एएनआई न्यूज़ संवाददाता ने हस्तक्षेप कर ग्रेसिम के उच्चाधिकारियों और अनुविभागीय अधिकारी श्री आर पी वर्मा को मामले की जानकारी फोन पर देते हुवे स्कूल की प्राचार्या से श्री वर्मा की बात करवाई तब जाकर करीब 3.30 बजे बच्चों के घर फोन कर परीक्षा देने के लिए दोबारा स्कूल बुलाया गया।
दुर्गापुरा निवासी 8वीं के छात्र सरगम भारती का विज्ञान का पर्चा था। सरगम की मां तारा ने बताया करीब 5,640 रुपए आखिरी किस्त बाकी है। पिछली किस्त करीब 15 दिन पहले ही जमा की थी। इसी तरह 6ठी के छात्र विद्यानगर निवासी उत्कर्ष कंडारे की 5,400 रु., 8वीं की गांधीग्राम कॉलोनी निवासी शैलजा सोनी की बकाया फीस 4,440 रु. है। दोनों बच्चे भी अपने पालक बंटी कंडारे व आनंदीलाल सोनी के साथ स्कूल पहुंचे थे।
सवाल : जब पैनल्टी ले रहे हैं तो मनमानी क्यो ? अभिभावकों ने सवाल खड़ा किया है कि जब तय तारीख में फीस जमा नहीं होने पर प्रबंधन लेट फीस के नाम पर 50 रु. पैनल्टी वसूलता है। हमने सभी किस्त जमा कर दी और आखिरी किस्त बाकी थी तो पैनल्टी वसूल की जा सकती थी, लेकिन बच्चों को परीक्षा से वंचित कैसे किया जा रहा है, जो सरासर गलत है। दाेबारा परीक्षा दिलाते तो नए सिरे से सेट होता पर्चा।
एएनआई न्यूज़ इण्डिया सवांददाता से चर्चा मे प्राचार्या अजंता हंस अरोड़ा ने कहा कि किसी भी परीक्षार्थी का भविष्य खराब नहीं होने दिया जाएगा। बकाया परीक्षार्थियों की फीस जमा होते ही उन्हें दोबारा परीक्षा दिलवाई जाएगी। बच्चो की जवाबदारि भी हमारी है ये सभी बच्चे हमारे स्कूल के है तो उनके हितो के बारे मे भी हमे ही सोचना है।
अगर ऐसा होता तो स्कूल प्रबंधन इन परीक्षार्थियों के लिए अलग से प्रश्न पत्र सेट करता। ऐसे में बच्चों ने सिलेबस अनुसार जिस हिसाब से तैयारी की है वह बेकार जाती। साथ ही नए पैटर्न का पेपर हल करने में परीक्षार्थी के फेल होने की संभावना भी बनती। हालांकि अनुविभागीय अधिकार श्री आर पी वर्मा के हस्तक्षेप के बाद बच्चों को घर से बुलाकर परीक्षा दिलवाई गई।
पालक ध्यान दें...
किसी भी परिस्थिति में परीक्षा से वंचित नहीं रखा जा सकता। बीअारसी प्रणव कुमार ने बताया शिक्षा विभाग के नियमानुसार किसी भी परीक्षार्थी को परीक्षा से वंचित नहीं रखा जा सकता। यह नियम सरकारी व निजी स्कूल के लिए एक समान है। अगर कोई स्कूल ऐसा करता है तो आरटीई के नियम के तहत डीईओ को संबंधित स्कूल के जिम्मेदारों पर कार्रवाई का अधिकार है।
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