कथित संगठन के लोगों ने क्यों नही बुलाई पुलिस?
खुरपा रोड में खड़े हुए बैल।
नरसिंहपुर// सलामत खान
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नरसिंहपुर। कथित संगठनों से नाम जोड़कर भगवा वस्त्र धारण करने वाले लोग पहले तो गाय-बैलों को ले जा रहे कथित तस्करों पर इतना गर्म होते हैं कि ठंड में उनका पारा सातवे आसमान पर चढ़ जाता है। मवेशियों पर क्रूरता बरतने का आरोप लगाकर पुलिस को बुलाने की धमकी दी जाती है फिर मवेशियों का डाक्टरी मुलायजा कराने का दवाब बनाया जाता है। कुछ घंटों की गरमा-गरमी व कानाफूसी के बाद मवेशियों व कथित तस्करों को छोड़कर ये अपने घरों का रूख कर लेते हैं और मवेशी भी गंतव्य तक रवाना हो जाते हैं। समङा में आ गया होगा कि माजरा क्या है। इस कथित गौप्रेम से भी आप वाकिफ हो गये होंगे। बीते शनिवार को ग्राम खुरपा रोड पर पैदल जा रही १५-२० मवेशियों की खेप को कुछ युवाओं द्वारा यह कहकर रोक लिया गया कि तुम इन्हे काटने के लिए ले जा रहे हो। इन मवेशियों को हांकने वाले दो-तीन लोगों के मुंह से अपनी सफाई देते-देते एक बार यह निकल गया कि जब भी आते हैं कुछ न कुछ तो देते ही हैं फिर हमें क्यों रोक रहे हो। फिर इन कथित संगठन के लोगों ने पैंतरा बदला और कहने लगे कि किसी को कुछ देने की जरूरत नही है और नर्म पडऩे लगे। कुछ देर बाद खेप जहां जानी थी, वहां के लिए रूकसत हो गयी। न पुलिस को बुलाया गया, न जानवरों का मुलायजा हुआ, फिर क्या हुआ? जब मवेशियों पर क्रूरता बरती जा रही थी तो यह पुलिस की जाँच का विषय था, याने पुलिस को बुलाना था। पुलिस को न बुलाने के भी अनेकों मायने हैं?