ब्यूरो प्रमुख उ. प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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- कांग्रेसियों ने दिया धरना व नायब तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन -
कोरांव नगर पंचायत के तरॉव स्थिति सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था काफी दयनीय व भ्रष्टाचारयुक्त है। यहां पर नियुक्त समस्त कर्मचारी व अधिकारी घूसखोरी में लिप्त देखे जा रहे हैं। यहां पर आने वाली नि:शुल्क दवाईयां सरेआम मेडिकल स्टोर पर बेच दी जाती इसका पता तब चला जब कई शिक्षित मरीजों ने मेडिकल स्टोर से खरीदी दवाइयों पर विक्रय मूल्य न लिखा होकर 'नॉट फार सेलÓ लिखा हुआ देखा। जिसकी बिक्री पर शासन ने प्रतिबन्ध लगाया है उसी की बिक्री कर देना कालाबाजारी नही है तो और क्या है? पन्द्रह अप्रैल को कांग्रेस के प्रदेश महासचिव द्वारा दवाइयों की कालाबाजारी को रोकने के लिए अपने कार्यकर्ताओं सहित उक्त स्वास्थ्य केन्द्र पर धरना दिया व अधिकारियों के विरूद्ध मुर्दाबाद के नारे लगाये। स्वास्थ्य केन्द्र के बोर्ड पर लगी दवाईयों की सूची की एक भी दवाइयां मरीजों को नहीं दी जा रही हैं। कुछ मरीजों से पूछताछ से यह भी जानकारी मिली कि यहां स्वास्थ्य जांच भी बाहर से करवाई जाती है। जो जांच यहां पर होती भी है तो उसका अत्याधिक खर्च भी लिया जाता है। यहां कर्मचारी ज्यादातर कार्यालयीन समय में भी नदारत रहते हैं जो रहते भी है वे घूस लेने के लिए टक-टकी लगाकर बैठे रहते हैं जिसका उदाहरण 15 अप्रैल को ही रंगे हाथों घूस लेते पकड़ा जाने वाला फार्मासिस्ट त्रिवेणी प्रसाद कुशवाहा निवासी ग्राम उल्दा है जो कि एक मारपीट के सिलसिले में रिपोर्ट बनवाने आये खीरी थाना क्षेत्र के भोला सिंह चौहान से 300 रूपये की वसूलीकर रिपोर्ट बनाई थी। भोला सिंह ने बताया कि सर्वप्रथम उसके थाने में रिपोर्ट लिखाने के लिए दीवान को 200 रूपये घूस लिया गया रिपोर्ट बनाने की वाजिब फीस 70 रूपये है। इसी प्रकार कुछ मरीजों ने डॉ. चन्द्रा एवं डॉ. ए.के. सिंह पर भी घूसखोरी व कार्य में लापरवाही का आरोप लगाया। मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार रखने का भी मामला सामने आया जिससे धरना प्रदर्शन कारियों ने बवाल खड़ा कर दिया एवं नारेबाजी करने लगे। जिसकी सूचना मिलते ही पुलिस कर्मियों व नायब तहसीलदार कोरांव मौके पर पहुंच कर मामले को शान्त कराया व उनका ज्ञापन लिया। एवं आश्वासन दिया दोषियों को दण्ड जरूर मिलेगा किन्तु कुछ समय बीतने पर उक्त मामले को ठंडे बस्ते में डालकर सभी अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
कोरांव नगर पंचायत के तरॉव स्थिति सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था काफी दयनीय व भ्रष्टाचारयुक्त है। यहां पर नियुक्त समस्त कर्मचारी व अधिकारी घूसखोरी में लिप्त देखे जा रहे हैं। यहां पर आने वाली नि:शुल्क दवाईयां सरेआम मेडिकल स्टोर पर बेच दी जाती इसका पता तब चला जब कई शिक्षित मरीजों ने मेडिकल स्टोर से खरीदी दवाइयों पर विक्रय मूल्य न लिखा होकर 'नॉट फार सेलÓ लिखा हुआ देखा। जिसकी बिक्री पर शासन ने प्रतिबन्ध लगाया है उसी की बिक्री कर देना कालाबाजारी नही है तो और क्या है? पन्द्रह अप्रैल को कांग्रेस के प्रदेश महासचिव द्वारा दवाइयों की कालाबाजारी को रोकने के लिए अपने कार्यकर्ताओं सहित उक्त स्वास्थ्य केन्द्र पर धरना दिया व अधिकारियों के विरूद्ध मुर्दाबाद के नारे लगाये। स्वास्थ्य केन्द्र के बोर्ड पर लगी दवाईयों की सूची की एक भी दवाइयां मरीजों को नहीं दी जा रही हैं। कुछ मरीजों से पूछताछ से यह भी जानकारी मिली कि यहां स्वास्थ्य जांच भी बाहर से करवाई जाती है। जो जांच यहां पर होती भी है तो उसका अत्याधिक खर्च भी लिया जाता है। यहां कर्मचारी ज्यादातर कार्यालयीन समय में भी नदारत रहते हैं जो रहते भी है वे घूस लेने के लिए टक-टकी लगाकर बैठे रहते हैं जिसका उदाहरण 15 अप्रैल को ही रंगे हाथों घूस लेते पकड़ा जाने वाला फार्मासिस्ट त्रिवेणी प्रसाद कुशवाहा निवासी ग्राम उल्दा है जो कि एक मारपीट के सिलसिले में रिपोर्ट बनवाने आये खीरी थाना क्षेत्र के भोला सिंह चौहान से 300 रूपये की वसूलीकर रिपोर्ट बनाई थी। भोला सिंह ने बताया कि सर्वप्रथम उसके थाने में रिपोर्ट लिखाने के लिए दीवान को 200 रूपये घूस लिया गया रिपोर्ट बनाने की वाजिब फीस 70 रूपये है। इसी प्रकार कुछ मरीजों ने डॉ. चन्द्रा एवं डॉ. ए.के. सिंह पर भी घूसखोरी व कार्य में लापरवाही का आरोप लगाया। मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार रखने का भी मामला सामने आया जिससे धरना प्रदर्शन कारियों ने बवाल खड़ा कर दिया एवं नारेबाजी करने लगे। जिसकी सूचना मिलते ही पुलिस कर्मियों व नायब तहसीलदार कोरांव मौके पर पहुंच कर मामले को शान्त कराया व उनका ज्ञापन लिया। एवं आश्वासन दिया दोषियों को दण्ड जरूर मिलेगा किन्तु कुछ समय बीतने पर उक्त मामले को ठंडे बस्ते में डालकर सभी अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
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