स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रयोगशाला और डॉक्टरों को, क्लिनिक, अस्पताल और नर्सिंग होम प्रबंधन को टीबी के मरीजों की रिपोर्टिंग करने के लिए अलग प्रारूप जारी किया है
भारत सरकार ने पोलियो की तर्ज पर ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) को भी जड़ से मिटाने के लिए कमर कस लिया है. टीबी के मरीजों के बारे में जानकारी नहीं देने वाले डॉक्टरों, अस्पताल प्रशासन और दवा दुकानदारों के खिलाफ भी अब कार्रवाई होगी और दोषी पाए जाने पर उन्हें जेल भेजा जाएगा.
खबर के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को अधिसूचना जारी कर कहा है कि अस्पताल या डॉक्टरों के टीबी मरीज की जानकारी नोडल अधिकारी और स्थानीय स्वास्थ्य कर्मचारी को नहीं देने पर संबंधित डॉक्टर, अस्पताल प्रबंधन और दवा दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्हें आईपीसी की धारा 269 और 270 के तहत 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा और/या जुर्माना चुकाना पड़ सकता है.
सरकार द्वारा टीबी को वर्ष 2012 में सूचनात्मक रोग घोषित किया गया था. लेकिन इसमें किसी तरह की कार्रवाई या सजा का प्रवाधान नहीं था. मंत्रालय ने प्रयोगशाला और डॉक्टरों को, क्लिनिक, अस्पताल और नर्सिंग होम प्रबंधन को रिपोर्टिंग करने के लिए अलग प्रारूप जारी किया है.
इसके तहत अब टीबी मरीज की पूरी जानकारी देनी पड़ेगी. टीबी मरीज का नाम और पता, उन्हें दी जाने वाली चिकित्सा सुविधा, नोडल अधिकारी और स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता को दी गई जानकारी की सूचना और जिला स्वास्थ्य अधिकारी या सीएमओ के नाम की जानकारी देनी होगी.
टीबी के खात्मे के लिए लड़ाई
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 2025 तक भारत टीबी मुक्त हो जाएगा. हमारा लक्ष्य डब्ल्यूएचओ द्वारा तय 2030 की समय सीमा से 5 साल पहले टीबी को खात्म करना है. पिछले सप्ताह दिल्ली में 'एंड टीबी समिट' कार्यक्रम में उन्होंने टीबी के खिलाफ लड़ाई की बात फिर दोहराई थी.
दुनिया भर में बीमारियों से होने वाली मौत के 10 प्रमुख वजहों में टीबी भी शामिल है. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में टीबी के कुल मरीजों में से एक चौथाई से अधिक मरीज भारत में हैं. भारत में अनुमानित तौर पर हर साल टीबी से मरने वाले मरीजों की संख्या 4 लाख 80 हजार है. इसके अलावा साल में तकरीबन 10 लाख से अधिक मरीजों की जानकारी सरकार के पास नहीं होती है.
No comments:
Post a Comment