राजस्थान में परिस्थितियां बनीं तो मुख्यमंत्री बन सकते हैं पायलट : पूनिया |
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राजस्थान में चल रही सियासी उठापटक के बीच भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा है कि अगर परिस्थितियां बनती हैं तो सचिन पायलट मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। उन्होंने पायलट को राष्ट्रीय नेता बताया। उन्होंने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्हें भाजपा पर सवाल उठाने की जगह अपना घर संभालना चाहिए।
एक समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान पूनिया ने कहा कि सचिन पायलट पिछले डेढ़ साल से राजस्थान के उप मुख्यमंत्री थे। इसके साथ ही वह पिछले छह साल से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी थे। पूनिया ने सवाल उठाया कि ऐसी स्थितियों में कांग्रेस पार्टी भाजपा पर उन्हें (सचिन पायलट को) संरक्षण देने का आरोप क्यों लगा रही है।
पूनिया ने राजस्थान के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत पर आरोप लगाया कि वह खुद अपनी पार्टी के गुजरात और मध्यप्रदेश के विधायकों को संरक्षण दे रहे थे, जो यहां होटलों में रुके हुए थे। जब अशोक गहलोत खुद ऐसा कर सकते हैं तो पायलट के पास दूसरे राज्यों में समर्थक क्यों नहीं हो सकते।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पायलट के पास लोगों का अच्छा समर्थन है और अगर स्थितियां बनीं तो वह राजस्थान के मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। हालांकि, पूनिया ने कहा कि अभी मामला अदालत में है इसलिए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन साफ है कि गहलोत के नेतृत्व की सरकार गिरने की स्थिति में आ गई है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा है कि उनके पास बहुमत है और इस बात पर उनके विरोधियों को भी संदेह नहीं है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक गहलोत ने दावा किया है कि हरियाणा में कथित तौर पर बंधक बनाए गए कांग्रेस विधायकों के एक छोटे गुट में से कुछ वापस आना चाहते हैं और समय आने पर यह साफ हो जाएगा।
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा है कि उनके पास बहुमत है और इस बात पर उनके विरोधियों को भी संदेह नहीं है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक गहलोत ने दावा किया है कि हरियाणा में कथित तौर पर बंधक बनाए गए कांग्रेस विधायकों के एक छोटे गुट में से कुछ वापस आना चाहते हैं और समय आने पर यह साफ हो जाएगा।
राजस्थान हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को पायलट और उनके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई न करने निर्देश दिया है। पायलट खेमे में इस निर्णय के आने के बाद गजब का उत्साह है। एक तरफ जहां इससे 19 विधायकों की सदस्यता पर तत्काल मंडरा रहा खतरा टल गया है, वहीं प्रक्रिया कानूनी दांव-पेच में भी उलझ गई है।
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