(लिमटी खरे)
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मध्य प्रदेश सरकार अपने प्रचार साधनोें का प्रयोग कर चाहे जो कहें किन्तु जमीनी हकीकत को वे झुटला नहीं सकते हैं। कहा जा रहा है कि एमपी में अब कलेक्टरी भी बिकने लगी है। प्रदेश में हर तरफ अराजकता का आलम है। सांसद विधायक अपना अपना हित साधने में जुटे हुए हैं। किसी को किसी की परवाह ही नहीं है। विकास के नाम का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। विपक्ष में बैठी कांग्रेस द्वारा बड़े बड़े होर्डिंग्स लगाकर केंद्र के पैसे का हिसाब पूछती नजर आती है, पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और सांसद कांति लाल भूरिया इस मामले को संसद में और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह इसे विधानसभा में उठाने से गुरेज ही करते आए हैं।
मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय और एनसीबी के आंकड़ों को अगर देखा जाए तो हर दिए एक बलात्कार का मामला औसतन सामने आ रहा है। इन मामलों का सबसे दुखद पहलू यह है कि इसमें ज्यादातर बलात्कार की शिकार बालाएं नाबालिग ही होती हैं। इसके अलावा सामूहिक बलात्कार के मामलों में भी तेजी से ही इजाफा हुआ है। एक अखबार के अनुसार सागर संभाग में ही 330 मामलों में से 126 मामलों में पीडिता किशोरी ही थी अर्थात वह नाबालिग ही थी।
शिवराज सिंह चौहान के लिए यह बात सबसे ज्यादा शर्मनाक होनी चाहिए कि एनसीबी के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक साल में मध्य प्रदेश में बलात्कार की 3406 घटनाएं प्रकाश में आईं। 365 दिन में 3406 बलात्कार के हिसाब से अगर देखा जाए तो कमोबेश हर रोज एक बलात्कार का औसत आता है। कहने को तो शिवराज सिंह चौहान खुद को प्रदेश के बच्चों का मामा ही निरूपित करते हैं पर जब बालाओं के साथ बलात्कार के आंकड़ों की बात आती है वे मौन ही साध लेते हैं।
महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में मध्य प्रदेश एक के बाद एक सीढ़ी चढ़ता ही जा रहा है। प्रदेश में महिलाओं के साथ हिंसा, बलात्कार, यौन दुराचार, हत्या, लिंग आधारित भेदभाव, भू्रण हत्या आदि जैसे जघन्य अपराध जमकर घट रहे हैं। सरकारी आंकड़ों को अगर माना जाए तो पिछले तीन सालों में बलात्कार के दस हजार से अधिक मामले सामने आए हैं। वर्ष 2011 में प्रदेश में 3406 बलात्कार के मामलों में पीडिता नाबालिगों की तादाद 1262 है।
शिवराज सिंह चौहान अपने मतदाताओं को लुभाने के लिए भले ही जनता के द्वारा करों से संग्रहित राजस्व की होली खेलकर सामूहिक विवाह यानी कन्या दान और लाड़ली लक्ष्मी योजना चला रहे हों पर वास्तविकता में तो उनकी भांजियां ही सुरक्षित नहीं हैं उनके राज में। कुछ संगठनों ने तो कन्या दान योजना और लाड़ली लक्ष्मी योजना को संविधान के खिलाफ ही करार दिया है। वैसे देखा जाए तो कन्यादान योजना के विज्ञापनों में दहेज के लिए सामग्री की खरीद की निविदाएं आमंत्रित हो रही हैं। इस तरह सरकार की पैरवी पर ही दहेज का चलन फिर वापस आ रहा है। हालात देखकर यह कहने में हमें कोई संकोच नहीं है कि रामराज का दावा करने वाले शिवराज खुद ही दहेज प्रथा के पोषक हैं।
भले ही शिवराज सिंह चौहान द्वारा मध्य प्रदेश की बच्चियों का खुद को मामा बताया जा रहा हो, पर वास्तव में वे प्रदेश वासियों को मामा ही बना रहे हैं। शिव के राज में बच्चियों की खरीदी बिक्री शिवराज की मंशाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाने के लिए काफी कही जा सकती है। मध्य प्रदेश गर्म गोश्ती की मण्डी में तब्दील होता जा रहा है। इस सूबे में बालाओं को चंद पैसे के लिए ही अपहरण कर बेच दिया जाता है जो शर्मनाक ही कहा जाएगा।
पिछले दिनों बांधवगढ़ में एक रिसोर्ट में कोरियाई युवती के साथ हुए रेप के मामले ने क्या वैश्विक स्तर पर भारत और मध्य प्रदेश की साख पर चार चांद लगाए होंगे? जाहिर है नहीं, इसी तरह की घटनाएं मध्य प्रदेश में घटित हो रही है और पुलिस हाथ पर हाथ रखे बैठी है। आखिर पुलिस भी बेचारी क्या करे, जब प्रदेश में हर एक पद बिक रहा हो तो भला पुलिस क्यों जोखम मोल लेने चली। (साई फीचर्स)
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