प्रतिनिधि// उदय सिंह पटेल (सिहोरा// टाइम्स ऑफ क्राइम)
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एमएसएस बनाने वाले आरक्षक की जमानत अर्जी हाईकोर्ट ने की खारिज
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक प्रकरण में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि खाकी वर्दी में किये गये अपराध के लिये क्षमा का कोई स्थान नहीं है। जस्टिस आर.सी. मिश्रा ने इस टिप्पणी के साथ अपीलार्थी सिपाही की जमानत अर्जी खारिज कर दी। इस अपराध को न केवल नाबालिग लडक़ी का अश£ील एमएमएस बनाया अपितु उसे और उसकी बहन को आत्महत्या करने के लिये मजबूर कर दिया। ज्ञात हो कि छतरपुर के पुलिस आरक्षक अरविंद पटेल को निचली अदालत से सजा हुई थी। जिसे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
मामले का विवरण इस प्रकार है-
उल्लेखनीय है कि विगत 22 मई 2010 को एक नाबालिग लडक़ी अपने दोस्त के साथ जा रही थी रास्ते में उसकी गाड़ी खराब हो गई। आरोपी अरविंद ने उन्हें रोका और समीप ही एक खंडहर में ले गया और उसने दोनों के कपड़े उतरवाये और अपने मोबाइल से अश£ील दृश्य बना लिये तथा आरोपी ने लडक़ी के पर्स में रखे 1,500/-पन्द्रह सौ रूपये भी छिन लिये और मोबाइल फोन नम्बर लेकर उसे बदनाम करने की धमकी देने लगा। दूसरे दिन लडक़ी ने एस.पी. को शिकायत की एस.पी. ने आरक्षक को तुरंत निलंबित कर दिया। इसके बाद भी आरोपी ने धमकाने का सिलसिला जारी रखा।
उल्लेखनीय है कि अस आरक्षक ने लडक़े से भी 10,000/- दस हजार रूपयों की मांग की तथा पीडि़ता की दूसरी बहन को भी धमकाना शुरू कर दिया और उससे संबंध बनाने का प्रस्ताव रखा।
अत: आरोपी की हरकतों से तंग व परेशान हो दोनों बहनों ने वगत 24 मई को जहरीली गोलियां खाकर आत्म हत्या कर ली। ट्रायल कोर्ट ने विगत 9 अगस्त 2012 को अरविंद को दोषी करार देते हुए भारतीय दण्ड विधान की धारा 306, 354, 506, 384 तथा 385 के तहत 10 वर्ष की सजा सुनपाई। अत: उक्त आदेश के खिलाफ आरोपी आरक्षक ने हाईकोर्ट में क्रिमनल अपील दायर की और जमानत हेतु आवेदन पत्र पेश किया किन्तु हाईकोर्ट ने अरविंद का जमानत आवेदन निरस्त कर दिया। राज्य सरकार की ओर से पैनल लायर अक्षय नामदेव ने पैरवी की।
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