Thursday, February 21, 2013

बहनजी का अरबपति भैया



बसपा चीफ मायावती के भाई ने कहां से कमाए 760 करोड़
सतीश मिश्रा का बेटा भी है कई कंपनियों में पार्टनर
मायावती ने कियाबचाव, लेकिन कागजी कुछ नहीं
घाटे में चल रही कंपनी ने निवेश बेचकर कमाए 346 करोड़

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती के भाई आनंद कुमार की सात कंपनियों के पास 760 करोड़ रुपए की नगदी है। आनंद की जिस कंपनी को पिछले साल 80 लाख रुपए का घाटा हुआ, उसने न जाने क्या बेच दिया कि उसे पांच साल में 342 करोड़ रुपए मिले। अन्य कंपनियों में भी धनवर्षा जारी रही, जिससे उनकी कंपनियों के बैंक खातों में 760 करोड़ रुपए जमा हो गए।

मनोज श्रीवास्तव

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती के भाई आनंद कुमार एक बार फिर विवादों में हैं। वजह अच्छी नहीं है। उनकी सात कंपनियों के पास 760 करोड़ रुपए की नगदी है। जिस कंपनी ने पिछले साल घाटा खाया, उसने न जाने क्या बेच दिया कि 342 करोड़ रुपए जुटा लिए। अन्य कंपनियों में भी धनवर्षा जारी रही, जिससे उनकी कंपनियों के बैंक खातों में 760 करोड़ रुपए जमा हो गए। वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय आनंद की कंपनियों के लेन-देन की जांच कर रहा है। यह बात अलग है कि 2011 में मामला सामने आने के बाद से अब तक इस मसले पर केंद्र सरकार चुप ही रही है। दूसरी ओर, मायावती ने एक से ज्यादा बार रिटेल में एफडीआई के मसले पर भी पार्टीलाइन से विपरीत जाकर केंद्र सरकार को बचाया।
आनंद कुमार की वर्ष 1987 में बनी कंपनी होटल लाइब्रेरी क्लब प्राइवेट लिमिटेड को ही पिछले पांच वर्षों में 346 करोड़ रुपए मिले वहीं कुछ अन्य को भी कुछ रकम मिली जिसका कुल योग 760 करोड़ रुपए होता है। कंपनी की ओर से बताया गया है कि ये बड़ी रकम निवेश की बिक्री से मिली है। लेकिन कंपनी ये बता पाने में सक्षम नहीं रही कि इतना तगड़ा निवेश कैसा था, क्या था, किसे बेचा गया। इन सभी 7 कंपनियों के निदेशक मायावती के भाई आनंद कुमार हैं। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास जमा कागजातों के अनुसार 7 में से 6 कंपनियां वर्ष 2007 के बाद बनाई गई। ये वो समय था जब आनंद की बहन मायावती प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं। इन 7 में से सिर्फ एक कंपनी ढंग का व्यवसाय करती है बाकी 6 कंपनियां सिर्फ नाम की हैं। आनंद की रियल्टर्स नाम की कंपनी के एक डायरेक्टर बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के बेटे कपिल भी हैं। आनंद की इन कंपनियों को अधिकतर धन शेयर बेचने से मिला है। आनंद की कुछ कंपनियों ने थर्ड पार्टी से मिले अग्रिम भुगतान को भी जब्त कर लिया। इसके साथ ही इन कंपनियों के ऐसे निवेश को भी बेचा गया जिसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इन सभी कंपनियों से जुड़े मामले में जो बात प्रमुखता से सामने आई है वो ये है कि कुछ नेता या उनके रिश्तेदार या करीबी कंपनियां बनाते हैं। करोड़ों की हैसियत वाली ये कम्पनियाँ अपनी आय के स्त्रोत उजागर नहीं करती। अक्सर एक ही व्यक्ति इन कंपनियों में सर्वेसर्वा होता है। कई बार तो ऐसा होता है कि ये कम्पनियां काले धन को सफेद करने का जरिया भर ही होती हैं। कुछ नेता अपने रसूख का फायदा उठा अपनी इन कंपनियों को फायदा पहुचाते हैंद्य अभी जल्दी ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ऐसी ही कम्पनियां बनाने के आरोपों में फंसे हैं लेकिन इन दोनों ने ही इसे सिरे से नकार दिया।

कौन है कुमार

37 वर्षीय आनंद कुमार का करियर शुरू हुआ था नोएडा अथॉरिटी में बतौर क्लर्क। लेकिन बाद में राजनीतिक करियर में सफलता के सोपान चढ़ती बहन को देखकर उन्होंने व्यापार में हाथ आजमाया। वे बसपा के सदस्यों से बातचीत भी नहीं करते। 2011 की चुनावी रैली में मायावती ने जरूर कहा था कि वह हमेशा मेरे साथ खड़े रहे। बसपा ने 2012 में समाजवादी पार्टी के हाथों सत्ता गंवा दी। पिछले महीने शीत सत्र में बसपा ने यूपीए को रिटेल में एफडीआई के मसले पर संकट से निकला था।

26 बेनामी कंपनियां हैं आनंद कुमार की

5 दिसंबर 2011 को बीजेपी नेता किरीट सौमेया ने लखनऊ में ये कहकर सब को हैरान कर दिया था कि मुख्यमंत्री मायावती के भाई और पत्नी विचित्रा के नाम 26 बेनामी कंपनियां हैं। सौमेया ने सभी कंपनियों के पते भी सुबूत के तौर पर दिखाए। बीजेपी नेता किरीट सौमेया ने दावा किया था मायावती के भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी के नाम 26 बेनामी कंपनियां है और इसमें हजारों करोड़ का लेन-देन हुआ है और ये सारे पैसे मायावती की घूस की कमाई है। जो भी कह रहे हैं इसका उनके पास पूरा सुबूत है और आने वाले दिनों इस बारे में और भी बड़े खुलासे करेंगे उन्होंने कहा जल्द ही कई और कंपनियों के बारे में भी खुलासा करेंगे। सोमैया ने आशंका जताई थी कि आनंद की कंपनियों के माध्यम से मायावती सरकार के घोटालों की रकम ठिकाने लगाने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा था कि चुनाव बाद मायावती सरकार नहीं रहने वाली है, इसलिए यह सब किया जा रहा है। आनंद कुमार की तमाम फर्जी कंपनियां जांच के दायरे में हैं पर, केंद्र का कंपनी मंत्रालय उनकी कंपनियों को रजिस्ट्रेशन देता जा रहा है। सोमैया ने आरोप लगाया था कि आनंद कुमार द्वारा बनाई गई नई कंपनी फ्रंट एज इन्वेस्टमेंट प्रा.लि. में दिल्ली सरकार की भी साझेदारी की बात प्रकाश में आई है।

यह है आनंद का कारोबार नामा

आनंद कुमार की सबसे पुरानी कंपनी है होटल लाइब्रेरी क्लब प्राइवेट लिमिटेड। स्थापना हुई थी 1987 में। कंपनी मसूरी में एक बजट होटल चलाती है – द शिल्टन। कंपनी की शेयर पूंजी है 24 लाख रुपए की। जिसका मालिकाना हक आनंद और उसकी पत्नी विचित्रा लता का है। 2007-08 में इस होटल व्यवसाय से कंपनी का लाभ था 25 लाख रुपए। 2011-12 में कंपनी को 80 लाख रुपए का नुकसान हुआ, लेकिन अज्ञात निवेश बेचकर कंपनी ने 152 करोड़ रुपए जरूर कमाए। यह सिर्फ एक साल का मामला नहीं है। पिछले पांच वर्षों में कंपनी ने अज्ञात निवेशों को बेचकर 346 करोड़ रुपए कमाए हैं। कंपनी की ओर केंद्र सरकार को दी गई जानकारी में निवेश दस्तावेजों की कोई जानकारी नहीं दी गई है। न ही यह बताया गया है कि क्या और किसे बेचा गया है।
इसके अलावा बाकी छह कंपनियां तो 2007 के बाद ही बनी। यानि मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद। रॉबर्ट वाड्रा और नितिन गड़करी की कंपनियों के मकडज़ाल के बाद अब यह मायावती के भाई की कंपनियों का मकडज़ाल सामने आया है। जहां एक कंपनी ने दूसरी कंपनी में निवेश किया। पहली का पता नहीं और दूसरी लाभ बढ़ाती रही। काम क्या किया, यह कहीं दिखता नहीं। सब कुछ संदेहास्पद। कुमार की दो कंपनियों ने तो हिस्सेदारी बेचकर ही 171 करोड़ रुपए जुटा लिए। दिया रियल्टर्स के शेयर होल्डर्स के नाम दीक्षा विंडसर, लेजर फाइनेंशियल एंड प्रोजेक्ट कंसल्टेंट्स, सनशाइन हाइट्स प्रा.लि. ने 78 करोड़ रुपए की प्रीमियम पर शेयर खरीदे। सारा पैसा बैंक में है। एक अन्य कंपनी डीएलए इंफ्रास्ट्रक्चर के बैंक खाते में 80 करोड़ रुपए जमा है। दिया रियल्टर्स ने 2011-12 में 4.5 करोड़ रुपए का लाभ जरूर कमाया, लेकिन यह समझ से परे है कि कंपनी का इस दौरान खर्च सिर्फ 1.5 लाख रुपए था। जाहिर है कंपनी ने बिना खर्च किए ही करोड़ों रुपए कमा लिए। मायावती के करीबी सतीश चंद्र मिश्रा का बेटा कपिल दिया रियल्टर्स में आनंद के साथ पार्टनर है। इन सात कंपनियों का रजिस्ट्रेशन भले ही देश के कई हिस्सों में हो, सभी में डायरेक्टर आनंद कुमार हैं। पता भी नोएडा का ही दिया है जो काफी लंबे समय से उनके घर का ही पता है। जब आनंद की फम्र्स से जुड़ी कंपनियों की तफ्तीश की तो वहां भी कम गड़बडिय़ां नहीं थी। कुमार की नियंत्रित एक अन्य कंपनी तमन्ना डेवलपर्स की अंश पूंजी है एक लाख रुपए। 2011-12 में कंपनी को 40 हजार रुपए का नुकसान हुआ। उसने कुमार की ही एक फर्म शिवानंद रियल एस्टेट में एक लाख रुपए का एक निवेश शालिनी होल्डिंग्स लिमिटेड को 2009-10 में 142 करोड़ रुपए में बेचा।
इस अवधि में तमन्ना के कुल खर्चे 99 हजार रुपए थे, जबकि आय हुई 142 करोड़ रुपए। बारीकी से देखने पर पता चला कि शालिनी होल्डिंग्स की किताबों में इस अवधि में शिवानंद रियल एस्टेट में निवेश दिखाया ही नहीं गया है। शालिनी होल्डिंग्स का मालिकाना हक 13 निवेश कंपनियों का है। इन कंपनियों का मालिकाना हक भी निवेश कंपनियों का एक मकडज़ाल है।
2010-11 में हालांकि कंपनी ने 82.42 करोड़ रुपए की एक जमीन को ट्रेडिंग स्टॉक में कन्वर्ट किया। उस पर डेवलपमेंट एक्टिविटी करने के बाद भी नुकसान में 11.94 करोड़ रुपए में बेच दिया। इसमें उन्होंने स्रोत का उल्लेख ही नहीं किया। हालांकि, कंपनी ने नियामक को सौंपे दस्तावेजों में यह नहीं बताया कि कैपिटल एडवांस को जब्त कर यह संचय बनाया गया। दो अन्य कंपनियों के लेन-देन भी बहुत पारदर्शी नहीं हैं। रिवॉल्यूशनरी रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड को एक लाख रुपए के निवेश पर 60 करोड़ रुपए का लाभांश मिला। यह भी केंद्र सरकार को सौंपे दस्तावेजों से ही सामने आया है। सातवीं कंपनी एक्सपीरियंस प्रोजेक्ट्स प्रा.लि. 2008 में बनी थी। इसमें भी कुमार एवं उसकी पत्नी शेयरहोल्डर हैं। 2009-10 और 2010-11 में, कंपनी का कामकाज पूरी तरह अंधेरे में रहा। 25 करोड़ रुपए का लाभ जरूर दिखाया। इसके पहले के साल में कंपनी को कोई फायदा नहीं हुआ था।

मेरा भाई और मिश्रा का बेटा पाक-साफ है

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उन्होंने और उनके परिवार ने बसपा सरकार के दौरान कोई गड़बड़ी नहीं की। मीडिया का एक धड़ा उनकी और पार्टी की छवि को धूमिल करने के लिए कहानियां रच रहा है। उन्होंने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया जिसमें उनके भाई आनंद कुमार और पार्टी के जनरल सेक्रेटरी सतीश चंद्र मिश्रा के बेटे के कारोबारी रिश्तों का खुलासा किया गया था। उन्होंने कहा कि मेरे विरोधी ही मेरे खिलाफ पुराने आरोपों को प्रचारित कर रहे हैं। मेरे भाई के किसी भी रियल एस्टेट कंपनी से ताल्लुक नहीं हैं। इस संबंध में किए गए सभी दावे निराधार और तथ्यहीन है। उन्होंने कहा कि मिश्रा को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। मायावती ने सवाल उठाया कि जिस तरह उनकी और उनके परिवार की आय की छानबीन कर मीडिया में रिपोर्टे आई हैं, वैसा भाजपा व कांग्रेस से जुड़े नेताओं व उनके परिजनों की आय के मामले में नहीं किया गया। इस कड़ी में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व उनके दामाद का भी जिक्र किया। सपा के बड़े नेताओं की आय में वृद्धि के सवाल पर कहा, उनके मामलों में तो खुद सुप्रीम कोर्ट भी जांच का आदेश दे चुका है।

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