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सतना ! नंदहा निवासी सुनील कोरी के 3 वर्षीय पुत्री रोशनी कोरी की मौत झोलाछाप डाक्टर के द्वारा इलाज किये जाने से सही उपचार न मिल पाने के कारण हो गयी। बताया जाता है कि रोशनी अपने ननिहाल माधवगढ़ गई थी जहां वह खेलते समय गिर गयी जिसके चोट का इलाज माधवगढ़ के एक झोलाछाप बंगाली डाक्टर से करवाया गया। इलाज कराने के बाद परिजन उसे घर ले गये, लेकिन सुबह होते-होते उसकी हालत पुन: बिगड़ गयी और उसे जब जिला अस्पताल लाया गया तो उपचार के कुछ समय बाद ही उसकी मृत्यु हो गयी। जानकारों का मानना है कि यदि चोट लगने तत्काल बाद उसे जिला अस्पताल लाया जाता तो उसका सही उपचार हो जाता और उसकी जान बच जाती।
बिना पंजीयन दवाखानों की जांच कागजों तक
शासन द्वारा प्रत्येक जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को यह अधिकार दिया गया है कि जिले में कहीं भी गैर पंजीयन के चलने वाले अवैध दवाखानों की जांच करे और उन्हें सील करवाकर दंडित करें। शासन द्वारा दिये गये इस अधिकार का उपयोग जिले में मात्र कागजों तक सीमित है जिम्मेदार अधिकारी अपनेर् कत्तव्यों से मुंह फेरे बैठे हैं।
सतना ! नंदहा निवासी सुनील कोरी के 3 वर्षीय पुत्री रोशनी कोरी की मौत झोलाछाप डाक्टर के द्वारा इलाज किये जाने से सही उपचार न मिल पाने के कारण हो गयी। बताया जाता है कि रोशनी अपने ननिहाल माधवगढ़ गई थी जहां वह खेलते समय गिर गयी जिसके चोट का इलाज माधवगढ़ के एक झोलाछाप बंगाली डाक्टर से करवाया गया। इलाज कराने के बाद परिजन उसे घर ले गये, लेकिन सुबह होते-होते उसकी हालत पुन: बिगड़ गयी और उसे जब जिला अस्पताल लाया गया तो उपचार के कुछ समय बाद ही उसकी मृत्यु हो गयी। जानकारों का मानना है कि यदि चोट लगने तत्काल बाद उसे जिला अस्पताल लाया जाता तो उसका सही उपचार हो जाता और उसकी जान बच जाती।
बिना पंजीयन दवाखानों की जांच कागजों तक
शासन द्वारा प्रत्येक जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को यह अधिकार दिया गया है कि जिले में कहीं भी गैर पंजीयन के चलने वाले अवैध दवाखानों की जांच करे और उन्हें सील करवाकर दंडित करें। शासन द्वारा दिये गये इस अधिकार का उपयोग जिले में मात्र कागजों तक सीमित है जिम्मेदार अधिकारी अपनेर् कत्तव्यों से मुंह फेरे बैठे हैं।
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