राज्य मुख्य सूचना आयुक्त को गुमराह नहीं कर पाए जनसंपर्क विभाग के लोक सूचना अधिकारी, आखिरकार कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश
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भोपाल // विक्टर दास
फ़र्जी वेबसाइट घोटाले की जानकारी छुपाने वाले, दबाने वाले, गुमराह करने वाले, सूचना के अधिकार की धज्जियाँ उड़ाने वाले जनसम्पर्क के अधिकारियों पर सूचना आयोग से कार्यवाही, 4 सितंबर को कारण बताओ नोटिस का जवाब देने तारीख़ नियत
भोपाल। सूचना के अधिकार के तहत प्रार्थी को 2 साल तक गुमराह किया इसके बाद राज्य सूचना आयुक्त को भी भ्रमित जानकारी देकर गुमराह करने की कोशिश की, परंतु जनसंपर्क के लोक सूचना अधिकारी की एक भी ना चली आखिरकार अधिनियम के अनुसार विधि सम्मत कार्रवाई नहीं करने के कारण लोक सूचना अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश जारी किए गए, वही लोक सूचना अधिकारी को कारण बताओ सूचना पत्र पर व्यक्तिगत सुनवाई हेतु 4 सितंबर 2020 को पेशी नियत की है।
जनसंपर्क विभाग में सूचना के अधिकार के नियम की धज्जियां उड़ाने के मामले, भ्रमित करने और टालमटोल करने के मामले के आंकड़े बढ़ गए हैं, कई मामले राज्य सूचना आयोग के पटल पर सुनवाई में चल रहे हैं, कई मामलों में राज्य सूचना आयोग के निराकरण, अंतिम आदेश के पश्चात भी जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने राज्य सूचना आयुक्त के आदेशों को जूते की नोक पर रख रखा है, सूचना आयुक्त के आदेशों का किसी भी तरीके का पालन करना सुनिश्चित नहीं किया।
एक प्रकरण में अपीलार्थी विनय जी. डेविड के मामले में आरटीआई के तहत मांगी जानकारी नहीं देने पर राज्य मुख्य सूचना आयुक्त ए.के. शुक्ला ने सुनवाई करते हुए अपीलार्थी को समय सीमा में चाही गई सभी जानकारी एक माह में उपलब्ध कराने के आदेश जारी किये हैं।
इस मामले में लोक सूचना अधिकारी दुर्गेश रैकवार सहायक संचालक तथा तात्कालिक लोक सूचना अधिकारी मुकेश दुबे सहायक संचालक मुख्य सूचना आयोग में उपस्थित हुए थे, इन्होंने मुख्य सूचना आयुक्त को जनसंपर्क विभाग के दस्तावेजों को लेकर भ्रमित जानकारी देते हुए गुमराह करने की कोशिश की, लोक सूचना अधिकारी मुकेश दुबे ने यहां तक आयोग के सामने कहा कि जनसंपर्क विभाग में प्रदान किए गए विज्ञापनों के रिलीज ऑर्डर की प्रतियां, किए गए भुगतान में बिल वाउचर भुगतान की प्रतियां नहीं होती, विज्ञापन देने और भुगतान से संबंधित किसी भी दस्तावेजों का संधारण जनसंपर्क विभाग में नहीं किया जाता है, उक्त जानकारी पर मुख्य सूचना आयुक्त ए.के. शुक्ला ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर करोड़ों रुपए के विज्ञापन और भुगतान का ऑडिटर इन दस्तावेजों का ऑडिट करने आए तो जनसंपर्क विभाग क्या दिखाएगा। इस पर लोक सूचना अधिकारी मुकेश दुबे की बोलती बंद हो गई।
लोक सूचना अधिकारी दुर्गेश रैकवार ने सूचना आयुक्त को जानकारी दी कि वह 71 पृष्ठ की कंप्यूटरकृत उक्त मामले में जानकारी तैयार करके लाए हैं जो जानकारी अपीलार्थी ने चाही है। अपीलार्थी ने इस मामले में आपत्ति लगाते हुए कहा कि उक्त सूची में सिर्फ जानकारी है अपीलार्थी ने प्रकरण में सूचना के अधिकार के तहत संबंधित दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति चाही है ना की अलग से तैयार की गई सूची, जिस पर लोक सूचना अधिकारी रैकवार ने बताया कि इस सूची में संबंधित रिलीज ऑर्डर और भुगतान की जानकारी का समावेश है, जिस पर आयुक्त ने आदेशित किया कि यह 71 पृष्ठ की सूची अपीलार्थी को प्रदान कर दी जाए एवं इसके अलावा चाहे गए दस्तावेज 1 माह के भीतर प्रमाणित करके अपीलार्थी को प्रदान किए जाएं।
विनय जी डेविड अपीलार्थी ने आयुक्त के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत विधि अनुसार सूचना अधिकारी ने जानकारी समय से उपलब्ध नहीं कराई, दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद भी जानकारी नहीं दी, लोक सूचना अधिकारी से बार-बार संपर्क करने के बाद भी बेवजह परेशान किया गया, विधि सम्मत कार्रवाई की जाना चाहिए, आयुक्त ने स्वीकार करते हुए अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत आवेदन का निराकरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत विधि अनुसार नहीं किया जाना पाया गया।
जिस पर जनसंपर्क संचालनालय भोपाल के लोक सूचना अधिकारी को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20 (1 ) के तहत शास्ति या धारा 30 ( 2 ) के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने के संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश दिये। ज्ञात हो बाधा उत्पन्न करने पर धारा 20 (1) के तहत 250 से 25 हजार तक का दंड एवं धारा 20 (2) के तहत अनुशासनिक कार्रवाई का प्रावधान है। लोक सूचना अधिकारी की कारण बताओ सूचना पत्र पर व्यक्तिगत सुनवाई हेतु 4 सितंबर 2020 को नियत की है।
उक्त प्रकरण में अपीलार्थी विनय जी डेविड ने जानकारी में बताया कि जनसंपर्क विभाग के अपीलीय अधिकारी श्री सुरेश गुप्ता जी के आदेश के पालन में लोक सूचना अधिकारी एवं संबंधित कर्मचारी इस मामले में प्रतिदिन अवलोकन के लिए बुला लेते थे परंतु किसी भी प्रकार का अवलोकन नहीं कराते हुए कई घंटों तक इंतजार कराने के बाद टालमटोल करते रहते थे। एक दर्जन से ज्यादा बार चक्कर लगाने के बाद भी मात्र दो बंडलों का अवलोकन कराया जिस को चिन्हित करने के पश्चात भी संबंधित कार्यालय के बाबू ने जानकारी नही दी और प्रतिदिन टरकाते रहे. हमने जिसकी लिखित शिकायत प्रथम अपीलीय अधिकारी श्री सुरेश गुप्ता से भी की थी.
परंतु उस शिकायत में भी किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिस वजह से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त करने के लिए मैने द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग में की थी उक्त प्रकरण में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त श्रीमान एके शुक्ला जी ने आरटीआई नियम के तहत जो निर्णय लिए गए हैं उससे मैं संतुष्ट हूं, मुझे उनके समक्ष 71 पृष्ठ की कंप्यूटर कृत प्रमाणित प्रतियां प्रदान की गई बाकी शेष दस्तावेज मुझे एक माह में प्रदान की जाने के आदेश पारित किए हैं। मुझे लगता है आयुक्त महोदय के सक्षम निर्णय लेने से राज्य सूचना आयोग की छवि और निखरेगी, ऐसे अच्छे निर्णय से सूचना के अधिकार के तहत गुमराह करने वाले लोक सूचना अधिकारियों को सबक भी मिलेगा ।
संबंधित अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें 9893221036
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