महिला से मारापीटी, ब्लाउज फाडऩे वाले युवक सुमन को एम.पी. नगर पुलिस ने दी क्लीन चित
विशेष संवाददाता // अनिल शाक्य(भोपाल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
राजधानी पुलिस की इन दिनों थू थू हो रही है, क्योंकिं अपराधियों के हौसले बुलन्द है और यही कारण है कि पुलिस को अपराधियों के आगे नतमस्तक हो उनकों बचाने की कोशिश की जाती है और पीडि़त की शिकायतों का ऐसा कचूमर निकाला जाता है, भगवान ही बचाये।मामला गोयल निकेत परिसर, थाना एम. पी. नगर भोपाल दिनांक 23 नवम्बर 2010 की सुबह 10.30 बजे के करीब का है, फ्लेट क्रमांक टी-11 घनश्याम की पत्नि ममता बाई अपने मकान पर गई थी, जिस पर परिसर निवासी एन. आर. सुमन ने अवैध कब्जा कर रखा है, जहां पर अवैध रूप से कालेज के 10-15 लड़कों को रख कर अवैध हॉस्टल संचालित कर रहा है। उस मकान में ममता बाई अपने मकान के सिलसिले में उस मकान को खाली कब कर रहे हों, पूछने पहुंची, तो वहां एन.आर. सुमन और उसका पुत्र गिरीश सुमन पहुंच गये और ममता बाई से गाली गलौच किया. वहीं गिरीश सुमन ने ममता बाई का ब्लाउज फाड़ महिला की इज्जत उतारने की कोशिश की, और ममता को नाखूनों से नोंच डाला। ममता चिल्लाती हुई अपने को बचाती भाग कर एम. पी. नगर थाना अपनी रिपोर्ट लिखाने पहुंची। वहीं पीछे -पीछे गिरीश सुमन और उसका पिता सुमन भी पहुंच गया, और अपनी आदत अनुसार पुलिस पर दबाब डालवाकर रिपोर्ट को नहीं लिखने पर मजबूर कर दिया, ज्ञात हो कि एन.आर. सुमन केे अपराधों पर कुछ पुलिस विभाग के आला अफसर भी परदा डलवाने की भूमिका निभाते है, ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ उचित समय इसका खुलासा करेगा। पुलिस थाना एम.पी. नगर ने वहीं किया जो आरोपी चाहते थे। महिला ममता की शिकायतों को नजर अन्दाज कर अपराधिक प्रकरण का ''पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य अपराध की सूचनाÓÓ बनाते हुए आरोपियों को संरक्षण दिया, वहीं महिला की इज्जत बचाने की कोशिश में लगी शिवराज सरकार की व्यवस्था पर प्रश्रचिन्ह खड़ा कर दिया।फरियादी अपनी शिकायतों को अब आला अधिकारियों के पास लेकर घूम रहे है, फरियादी ममता ने हमारे संवाददाता को फटा हुआ ब्लाऊज और नाखूनों से नोचने के खूनी निशान दिखायें। वहीं घटना स्थल पर उपस्थित गवाह जितेन्द्र पवार और ब्रजेश रजक ने आंखों देखी घटना की जानकारी दी। --- अपराधियों के साथ खड़ी पुलिस --- वैसे तो अपराधियों को सूचना पर पकड़ लेती है, परन्तु जहां खुले आम गुण्डागर्दी हो रही है, उन गुण्डों पर पुलिस कार्यवाहीं नहीं करती यही वजह है कि पुलिस से जनता का विश्वास कम होता जा रहा है, ममता का भी यही हाल है, जो पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्र चिन्ह खड़ा कर रही है आखिर महिलाओं पर होने वाले अपराधों के प्रति भोपाल पुलिस कितनी सजग है।