भानपुरा (मंदसौर). अब कमरे में कूलर रखने के लिए जगह का बंदोबस्त नहीं करना होगा। कूलर सीधे छत पर पंखे की तरह को टांग सकेंगे। इसमें बार बार पानी भरने की जरूरत नहीं रहेगी। कूलर छत पर बने टैंक से जरूरत के हिसाब से पानी ले लेगा।
ऐसा कूलर बनाया है नगर के महेशकुमार लोहार और तालिब हुसैन अंसारी ने। अब तक ये ऐसे 20 कूलर बना चुके हैं। साथ ही उन्होंने रजिस्ट्रेशन कराया है। दोनों युवक आठवीं पास है और महेश लेथ मशीन तो तालिब इलेक्ट्रिक का काम करता है। उनकी कोशिश है कि इनका कूलर मेक इन इंडिया का नमूना बने।
इसके लिए इन्होंने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौैहान को पत्र भी लिखा है। टू इन वन का काम-जिस तरह गर्मी पड़ रही है हर घर में पंखे-कूलर चल रहे हैं। बिजली की खपत ज्यादा हो रही है।
कूलर की खासियत यह कि इसे लगाने के बाद बिजली की खपत कम हो जाएगी। क्योंकि इससे पंखे और कूलर दोनों का काम होगा। आम कूलर केवल दो महीने चलते हैं इसके बाद इन्हे पूरे साल सहेजना पड़ता है। इस कूलर को लगाने के बाद यह समस्या खत्म हो सकती है। जब तक जरूरत हो कूलर चलाया जा सकता है और जरूरत नहीं होने पर पंखे का उपयोग किया जा सकता है। यह शोर भी नहीं करता है।
अच्छी सोच है तकनीक को बढ़ाया जा सकता है आगे
युवाओं द्वारा बनाया गया सिलिंग कूलर अच्छा इनोवेशन है। एमआईटी कॉलेज के इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन ब्रांच के प्रोफेसर आशीष पारिख का कहना है कूलर में तकनीकी रूप से काम किया जाए ताे इस सोच को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसमें कूलर का वेट व पंखे की स्थिति देखकर ही समझा जा सकता है।
ऐसा है कूलर
यह कूलर 32 इंच व्यास की प्लास्टिक फ्रेम में बना है। फ्रेम स्पेशल तैयार करवाई है। फ्रेम के बीच एल्युमिनियम की जाली है। जाली में कूलर की घास है। बीच में एक पंखा है। युवकों ने दो तरह के कूलर बनाए हैं। एक टैंक वाला और एक बिना टैंक वाला। टैंक वाले कूलर में पानी भरा जा सकता है और बिना टैंक वाला सीधे छत पर बने टैंक से कनेक्टेड रहेगा। खास बात यह कि कूलर में सेंसर है जो जरूरत के हिसाब से पानी लेने के बाद स्वत: पानी बंद कर देगा। दोनों कूलरों की लागत छह से सात हजार के बीच है। कूलर का कलर कमरे के अनुरूप करवाया जा सकता है।