May 28, 2015,
मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) ने व्यापमं घोटाले में फंसे कांग्रेस के पूर्व नेता संजीव सक्सेना की पत्नि अरुणा सक्सेना, बहन अर्चना सक्सेना और साली अंशु गुप्ता सहित दो अन्य फैकल्टी को बर्खास्त कर दिया हैं। बुधवार को हुई बोर्ड ऑफ गवर्नर (बीओजी) की बैठक में सदस्यों ने डायरेक्टर के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने बीओजी के पिछले फैसले को दरकिनार कर पांचों को बहाल कर दिया था।
इस मुद्दे पर मैनिट की चेयरपर्सन डॉ. गीता बाली सहित अन्य सदस्यों ने मैनिट डायरेक्टर अप्पुकुट्टन से सवाल किए तो वे जवाब नहीं दे सके। बोर्ड को गुमराह करने के लिए बीओजी सदस्यों ने डायरेक्टर को जमकर फटकार भी लगाई। बीओजी की यह बैठक सुबह 12 बजे से शुरू होकर 4.30 बजे तक चली।
मैनिट की 22 फरवरी को हुई बीओजी की बैठक में ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट ऑफिसर डॉ. अरुणा सक्सेना, असिस्टेंट लाइब्रेरियन अर्चना सक्सेना, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अभय शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कविता देहलवार व डॉ. अंशु गुप्ता की नियुक्ति समाप्त करने का फैसला लिया गया था। 5 मार्च को मैनिट ने तीन लोगों की नियुक्ति समाप्त करने के आदेश जारी किए।
डॉ. अरुणा सक्सेना और डॉ. अभय शर्मा के प्रकरण हाईकोर्ट में होने के कारण उनके संबंध में फैसला टाल दिया गया था। लेकिन इस अादेश के ठीक छह दिन बाद ही मैनिट डायरेक्टर ने बीआेजी का फैसला बदलकर निरस्त की गई नियुक्तियों को बहाल कर दिया।
डायरेक्टर ने तर्क दिया कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दी थी। बुधवार को बीओजी की बैठक के बाद अप्पुकुट्टन ने बताया कि बीओजी ने अपने पुराने फैसले को बरकरार रखा है। डॉ. अरुणा सक्सेना और डॉ. अभय शर्मा को हाईकोर्ट से स्टे मिला हुआ है, स्टे खत्म होते ही उन्हें भी बाहर कर दिया जाएगा।
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बैठक छोड़कर बाहर चले गए रजिस्ट्रार
बैठक में रजिस्ट्रार अजीत नारायण की नियुक्ति और उनके क्वालिफिकेशन के मुददे पर भी लंबी चर्चा हुई। बैठक शुरू होने से पहले बीओजी चेयरमैन गीता बाली ने रजिस्ट्रार को बैठक में शामिल होने की मंजूरी दी। लेकिन बैठक के दौरान जब उनका मुददा पटल पर आया तो रजिस्ट्रार खुद ही बैठक छोड़कर बाहर निकल आए। उनके मुददे पर जब चर्चा शुरू हुई तो सदस्यों ने कहा कि अजीत नारायण की नियुक्ति, क्वालिफिकेशन सहित अन्य आरोपों को जब पहले की सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है तो अब नया क्या है। बैठक में डायरेक्टर ने रजिस्ट्रार के खिलाफ पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित होने की जानकारी दी तो सदस्यों ने कमेटी की रिपोर्ट अगले दस दिनों में प्रस्तुत करने का कहा।
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नई भर्ती पर लगी रोक, मैनिट वकील से लेगा सलाह
बैठक में यह तय हुआ कि वर्तमान में भर्ती की जो प्रक्रिया चालू है, उसे रोककर नए सिरे से प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके लिए दोबारा आवेदन बुलाए जाएं। ट्रांसफार्मर के जलने और एक ही कंपनी को हाउस कीपिंग का टेंडर बार-बार देने के मुददे भी बैठक में रखे गए। इन प्रकरणों में हुई गड़बड़ी को लेकर बीओजी ने अधिकारियों को बैठक में बुलाकर जवाब मांगा।
नियुक्ति के बाद से ही परेशान कर रहे हैं मुझे: रजिस्ट्रार
रजिस्ट्रार अजीत नारायण ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि संस्थान में उन पर कम्पलसरी रिटायरमेंट का दबाव बनाया जा रहा है। 1990 में नियुक्ति के दो साल बाद 1992 से ही उन्हें यहां परेशान करना शुरू कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि, मुझे यहां से कोई नहीं हटा सकता। मैं अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद ही जाउंगा। मेरे रिटायरमेंट को एक साल बचा है। यहां से जाने के बाद इस संस्थान की तरफ मुड़ कर भी नहीं देखूंगा। अगर इस बीच मुझे हटाया गया तो दो दिन में हाईकोर्ट से स्टे लेकर आ जाऊंगा।
नोट- (यह पांचों नियुक्तियां वर्ष 2005 में हुई थी। गड़बड़ी के आरोप लगने पर तब से पांच मर्तबा जांच हुई।)
2005 : रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एमएन बुच ने जांच की। एमएचआरडी को दोबारा जांच की अनुशंसा की।
2008 : एसएम शुक्ला की कमेटी ने मामला सीबीआई को रैफर करने की अनुशंसा की थी।
2010 : जस्टिस एसएच लोढा और आरके त्रिपाठी की कमेटी ने स्क्रूटनी के साथ ही पूरी सिलेक्शन प्रक्रिया को ही नियम विरुद्ध माना था।
2014 : हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एमए सिद्दिकी की तीन सदस्यीय जांच कमेटी की 22 फरवरी 2015 को आई रिपोर्ट में पांचों नियुक्तियों को गलत मानते हुए इन्हें निरस्त करने की अनुशंसा की।
मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) ने व्यापमं घोटाले में फंसे कांग्रेस के पूर्व नेता संजीव सक्सेना की पत्नि अरुणा सक्सेना, बहन अर्चना सक्सेना और साली अंशु गुप्ता सहित दो अन्य फैकल्टी को बर्खास्त कर दिया हैं। बुधवार को हुई बोर्ड ऑफ गवर्नर (बीओजी) की बैठक में सदस्यों ने डायरेक्टर के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने बीओजी के पिछले फैसले को दरकिनार कर पांचों को बहाल कर दिया था।
इस मुद्दे पर मैनिट की चेयरपर्सन डॉ. गीता बाली सहित अन्य सदस्यों ने मैनिट डायरेक्टर अप्पुकुट्टन से सवाल किए तो वे जवाब नहीं दे सके। बोर्ड को गुमराह करने के लिए बीओजी सदस्यों ने डायरेक्टर को जमकर फटकार भी लगाई। बीओजी की यह बैठक सुबह 12 बजे से शुरू होकर 4.30 बजे तक चली।
मैनिट की 22 फरवरी को हुई बीओजी की बैठक में ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट ऑफिसर डॉ. अरुणा सक्सेना, असिस्टेंट लाइब्रेरियन अर्चना सक्सेना, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अभय शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कविता देहलवार व डॉ. अंशु गुप्ता की नियुक्ति समाप्त करने का फैसला लिया गया था। 5 मार्च को मैनिट ने तीन लोगों की नियुक्ति समाप्त करने के आदेश जारी किए।
डॉ. अरुणा सक्सेना और डॉ. अभय शर्मा के प्रकरण हाईकोर्ट में होने के कारण उनके संबंध में फैसला टाल दिया गया था। लेकिन इस अादेश के ठीक छह दिन बाद ही मैनिट डायरेक्टर ने बीआेजी का फैसला बदलकर निरस्त की गई नियुक्तियों को बहाल कर दिया।
डायरेक्टर ने तर्क दिया कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दी थी। बुधवार को बीओजी की बैठक के बाद अप्पुकुट्टन ने बताया कि बीओजी ने अपने पुराने फैसले को बरकरार रखा है। डॉ. अरुणा सक्सेना और डॉ. अभय शर्मा को हाईकोर्ट से स्टे मिला हुआ है, स्टे खत्म होते ही उन्हें भी बाहर कर दिया जाएगा।
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बैठक छोड़कर बाहर चले गए रजिस्ट्रार
बैठक में रजिस्ट्रार अजीत नारायण की नियुक्ति और उनके क्वालिफिकेशन के मुददे पर भी लंबी चर्चा हुई। बैठक शुरू होने से पहले बीओजी चेयरमैन गीता बाली ने रजिस्ट्रार को बैठक में शामिल होने की मंजूरी दी। लेकिन बैठक के दौरान जब उनका मुददा पटल पर आया तो रजिस्ट्रार खुद ही बैठक छोड़कर बाहर निकल आए। उनके मुददे पर जब चर्चा शुरू हुई तो सदस्यों ने कहा कि अजीत नारायण की नियुक्ति, क्वालिफिकेशन सहित अन्य आरोपों को जब पहले की सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है तो अब नया क्या है। बैठक में डायरेक्टर ने रजिस्ट्रार के खिलाफ पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित होने की जानकारी दी तो सदस्यों ने कमेटी की रिपोर्ट अगले दस दिनों में प्रस्तुत करने का कहा।
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नई भर्ती पर लगी रोक, मैनिट वकील से लेगा सलाह
बैठक में यह तय हुआ कि वर्तमान में भर्ती की जो प्रक्रिया चालू है, उसे रोककर नए सिरे से प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके लिए दोबारा आवेदन बुलाए जाएं। ट्रांसफार्मर के जलने और एक ही कंपनी को हाउस कीपिंग का टेंडर बार-बार देने के मुददे भी बैठक में रखे गए। इन प्रकरणों में हुई गड़बड़ी को लेकर बीओजी ने अधिकारियों को बैठक में बुलाकर जवाब मांगा।
नियुक्ति के बाद से ही परेशान कर रहे हैं मुझे: रजिस्ट्रार
रजिस्ट्रार अजीत नारायण ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि संस्थान में उन पर कम्पलसरी रिटायरमेंट का दबाव बनाया जा रहा है। 1990 में नियुक्ति के दो साल बाद 1992 से ही उन्हें यहां परेशान करना शुरू कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि, मुझे यहां से कोई नहीं हटा सकता। मैं अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद ही जाउंगा। मेरे रिटायरमेंट को एक साल बचा है। यहां से जाने के बाद इस संस्थान की तरफ मुड़ कर भी नहीं देखूंगा। अगर इस बीच मुझे हटाया गया तो दो दिन में हाईकोर्ट से स्टे लेकर आ जाऊंगा।
नोट- (यह पांचों नियुक्तियां वर्ष 2005 में हुई थी। गड़बड़ी के आरोप लगने पर तब से पांच मर्तबा जांच हुई।)
2005 : रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एमएन बुच ने जांच की। एमएचआरडी को दोबारा जांच की अनुशंसा की।
2008 : एसएम शुक्ला की कमेटी ने मामला सीबीआई को रैफर करने की अनुशंसा की थी।
2010 : जस्टिस एसएच लोढा और आरके त्रिपाठी की कमेटी ने स्क्रूटनी के साथ ही पूरी सिलेक्शन प्रक्रिया को ही नियम विरुद्ध माना था।
2014 : हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एमए सिद्दिकी की तीन सदस्यीय जांच कमेटी की 22 फरवरी 2015 को आई रिपोर्ट में पांचों नियुक्तियों को गलत मानते हुए इन्हें निरस्त करने की अनुशंसा की।